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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश – जमा राशियां और खाते

भा.रि.बैं./विमुवि/2015-16/09
विमुवि मास्टर निदेश सं.14/2015-16

1 जनवरी 2016

(23 जून 2016 को अद्यतन)
(05 मई 2016 को अद्यतन)
(13 अप्रैल 2016 को अद्यतन)
(04 फरवरी 2016 को अद्यतन*)

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक और प्राधिकृत बैंक

महोदया/ महोदय

मास्टर निदेश – जमा राशियां और खाते

भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते खोलना, धारण करना तथा रखरखाव करना, अधिसूचना सं. 1 फेमा.10 (आर)/ 2015-आर बी दिनांक 21 जनवरी, 2016 द्वारा जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम 2015 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (एफ ई एम ए) की धारा 9 से विनियमित होते हैं । भारत में निवासी व्यक्ति तथा भारत से बाहर निवासी व्यक्ति के बीच जमा राशियों/ खातों का रखरखाव अधिसूचना सं. 2 एफ ई एम ए 5(आर)/ 2016- आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा जारी विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमों 2016 के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) की धारा 6 की उपधारा (3) के अनुसार विनयमित होता है । ये विनियम समय-समय पर संशोधित किए जाते हैं ताकि विनियामक फ्रेमवर्क में परिवर्तन शामिल किया जा सके और संशोधन अधिसूचनाओं के माध्यम से प्रकाशित किए जाते हैं ।

2. विनियमों की परिधि के भीतर, भारतीय रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (एफईएमए) 1999 की धारा 11 के अधीन प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश भी जारी करता है । ये निदेश वे कार्यविधियां निर्धारित करते हैं, जो प्राधिकृत व्यक्तियों को अपने ग्राहकों/ संघटकों के साथ विदेशी मुद्रा का कारोबार करते समय अपनानी हैं ताकि बनाये गये विनियमों को कार्यान्वित किया जा सके ।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अधीन जमाराशियों और खातों के रखरखाव पर जारी अनुदेश मास्टर निदेश में संकलित किए गए हैं । निहीत परिपत्रों/ अधिसूचनाओं की सूची जो इस मास्टर निदेश का आधार है, परिशिष्ट में दी गई है । रिपोर्टिंग अनुदेश, रिपोर्टिंग के संबंध में मास्टर निदेश में हैं (मास्टर निदेश सं. 18 दिनांक 01 जनवरी, 2016) ।

4. यदि विनियमों में या उन तरीकों में जिनके अनुसार प्राधिकृत व्यक्ति अपने ग्राहकों/घटकों के साथ संबंधित लेनदेन करेगा तो यह नोट किया जाए कि आवश्यकता पड़ने पर भारतीय रिज़र्व बैंक एपी (डीआईआर सीरिज) परिपत्रों के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्तियों को निदेश जारी करेगा। जारी किए जा रहे इस मास्टर निदेश को उपयुक्त रूप से साथ-साथ संशोधित किया जाएगा।

भवदीय

(ए. के. पाण्डेय)
मुख्य महाप्रबंधक


*चूंकि यह मास्टर निदेश उल्लेखनीय रूप से संशोधित किया गया है, इसलिए इसे बदल दिया गया है न कि ट्रैक मोड में परिवर्तन दिखलाकर । बहरहाल परिवर्तनों की सूची मास्टर निदेश के अंत में दे दी गई है ।


3मास्टर निदेश 14/2015-2016 जमा राशियां और खाते

भाग I - भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते खोलना, धारण करना
तथा रखरखाव – चालू रखना

1. परिचय

1.1 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999(एफईएमए) भारतीय रिज़र्व बैंक को भारत में निवासी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा खोलने, धारण करने तथा रख्ररखाव के संबंध में प्रतिबंध लगाने, सीमित करने तथा विनियमित करने के लिए विनियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है और भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा किस सीमा तक राशियां रखी जा सकती हैं, उनके बारे में विनियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है । ये विनियम समय समय पर यथासंशोधित 4 अधिसूचना स. फेमा. 10 (आर) 2015- आरबी दिनांक 21 जनवरी, 2016 के अधीन अधिसूचित किए गए हैं ।

1.2 भारत में निवासी व्यक्ति जिसने रिज़र्व बैंक की विशेष या सामान्य अनुमति से एफईएमए 10 (आर) के प्रारंभ होने से पहले विदेशी मुद्रा खाता धारित या रखरखाव किया था, ऐसा करना जारी रख सकता है ।

1.3 भारत में निवासी व्यक्ति भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाता रख सकता है यदि वह भारत से बाहर निवासी हो या भारत से बाहर निवासी व्यक्ति से उसे विरासत में मिला था ।

परिभाषाएं

इस भाग में प्रयुक्त कुछ अति महत्वपूर्ण शब्द नीचे दिए गए हैं :-

2.1 ‘प्राधिकृत व्यापारी’ (एडी) का अभिप्राय है फेमा अधिनियम की धारा 10 की उपधारा (1) के अधीन प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत व्यक्ति।

2.2 ‘विदेशी मुद्रा खाता’ का अभिप्राय है भारत या नेपाल या भूटान की मुद्रा से इतर किसी मुद्रा में धारित या रखा खाता ।

2.3 ‘संबंधी’ कंपनी अधिनियम, 2013 की 5 धारा5 2(77) में यथापरिभाषित व्यक्ति है ।

3. विदेशी मुद्रा खाते जो भारत में धारित किए जा सकते हैं :-

3.1 विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता(ईईएफसी) – ईईएफसी खाता

भारत में निवासी व्यक्ति एफईएमए 10 (आर) की अधिसूची I में विनिर्दिष्ट शर्तों के अनुसार भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ ईईएफसी खाता खोल सकता है । मुख्य बातें:

1) क्रेडिट : इस खाते में अनुमत क्रेडिट हैं :

(ए) सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण द्वारा विदेशी मुद्रा अर्जन का 100 प्रतिशत (ऋणों या निवेशों से इतर):

(बी) काउंटर व्यापार के प्रयोजन के लिए प्राप्त भुगतान

(सी) वस्तुओं या सेवाओं के निर्यात के लिए प्राप्त निर्यातक द्वारा अग्रिम विप्रेषण ;

(डी) अपनी वैयक्तिक हैसियत में किसी व्यावसायिक द्वारा दी गयी सेवाओं के लिए प्राप्त निवेशक के शुल्क, परामर्श शुल्क, व्याख्यान शुल्क, मानदेय तथा इसी प्रकार के अर्जन सहित व्यावसायिक अर्जन

(ई) खाते में रखी निधियों पर अर्जित ब्याज

(एफ़) खाते से पहले आहरित अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा का पुन: क्रेडिट

(जी) व्यापार से संबंधित ऋणों/ अग्रिमों की चुकौती (जो ईईएफसी खाते में मंजूर की गई थी); तथा

(एच) 6डीआर योजना, 2014 के अधीन निवासी खाता धारक द्वारा एडीआर/ जीडीआर के शेयर में परिवर्तन से विनिवेश प्राप्तियां

(आई) किसी भारतीय स्टार्ट अप को अथवा उसकी समुद्रपारीय अनुषंगी कंपनी को प्राप्त निर्यात अथवा बिक्री पर विदेशी मुद्रा में प्राप्त भुगतान राशि ।

2) डेबिट: इन खातों में निम्नलिखित के डेबिट की अनुमति है:

(ए) क्रमश: विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूँजी खाता लेन-देन) विनियम, 2000 या विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेन-देन) नियम, 2000 के उपबंधों के अनुसार पूँजी या चालू खाता लेनदेनों के लिए भारत से बाहर भुगतान;

(बी) 100 प्रतिशत निर्यातान्मुख इकाई या निर्यात प्रसंस्करण जोन / साफ्ट्वेअर टैक्नोलाजी पार्क/ इलैक्ट्रोनिक हार्ड्वेअर टैक्नोलाजी पार्क से वस्तुओं की लागत के लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान;

(सी) निर्यात आयात नीति के प्रावधानों के अनुसार सीमा शुल्क का भुगतान;

(डी) एफईएमए के उपबंधों और उसके अधीन नियमों/ विनियमों के अनुपालन की शर्त के अधीन निर्यातक खाताधारक द्वारा भारत से बाहर अपने आयातक ग्राहक को व्यापार से जुडे ऋणों/ अग्रिमों का भुगतान ;

(ई) भारत में निवासी व्यक्ति को हवाई किराया और होटल खर्च सहित वस्तुओं/ सेवाओं के लिये विदेशी मुद्रा में भुगतान।

3) इस खाते में से रूपये में आहरण की अनुमति है, बशर्ते इस प्रकार से आहरत राशि खाते में फिर से जमा नहीं की जाएगी ।

4) खाता ब्याज-रहित खाते के रूप में होगा ।

5) ईसीजीसी / बीमा कंपनियों द्वारा रूपये में निपटाये गये दावों को विदेशी मुद्रा में निर्यात प्राप्ति न समझा जाए और दावा राशि ईईएफसी खाते में पात्र जमा राशि नहीं मानी जायेगी ।

6) किसी कैलेंडर माह में खाते में प्राप्त राशियों का कुल जोड़ अनुमोदित प्रयोजनों या भावी प्रतिबद्धताओं के लिये समायोजन के बाद अगले कैलेंडर माह की अंतिम तारीख से पहले रूपयों में परिवर्तित किया जाना चाहिये ।

7) ईईएफसी खातों में रखी शेष राशियों के विरूद्ध निधि-आधारित/ गैर-निधि आधारित ऋण सुविधाएं प्रदान नहीं की जानी चाहिएं ।

8) जिस सीमा तक निर्यात वास्तव में हो गये हैं, उस सीमा तक ईईएफसी की शेष राशियों में से निर्यातक पैकिंग क्रेडिट अग्रिम की चुकौती कर सकते हैं, चाहे रुपयों में या विदेशी मुद्रा में लिया गया हो ।

9) आवासी स्थिति के निवासी से अनिवासी में परिवर्तन के परिणामस्वरूप, खाताधारकों के विकल्प/ अनुरोध पर खाते में धारित शेष जमाराशिया एनआरई / एफसीएनआर (बी) खातों में जमा की जा सकती है ।

3.2 निवासी विदेशी मुद्रा खाता (आरएफसी) खाता - आरएफसी खाता

1) भारत में निवासी व्यक्ति प्राप्त या अधिग्रहित विदेशी मुद्रा में से भारत में एडी बैंक के साथ आरएफसी खाता खोल सकता है :

(ए) अपने विदेशी नियोक्ता से पेंशन या अधिवर्षिता लाभ या अन्य मौद्रिक लाभ के रूप में;

(बी) जब वह अनिवासी या तब उस समय अधिगृहीत आस्तियों या उत्तराधिकार में प्राप्त या भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा उपहार में प्राप्त और भारत में प्रत्यावर्तित।

(सी) 8 जुलाई 1947 से पहले या रिज़र्व बैंक द्वारा सामान्य या विशेष अनुमति के अनुसरण में भारत से बाहर धारित आय या उस पर अधिग्रहण।

(डी) बीमा विनियामक तथा विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमत भारतीय बीमा कंपनी से विदेशी मुद्रा में एलआईसी दावों/ परिपक्वता / अभ्यर्पित मूल्य से प्राप्त राशियां ।

2) आरएफसी खाते में राशियां भारत से बाहर विदेशी मुद्रा शेष राशियों के प्रयोग के संबंध में सभी प्रतिबंधो से मुक्त हैं ।

3) ऐसे खाते ‘दोनों में से पूर्ववर्ती या उत्तरजीवी’ आधार पर निवासी संबंधी के साथ संयुक्त रूप से धारित किए जा सकते हैं । तथापि, ऐसे निवासी भारतीय संबंधी संयुक्त धारक निवासी खाता धारक के जीवन काल में खाता परिचालित नहीं कर सकता।

4) 7एनआरई खाता और एफसीएनआर (बी) खाता में शेष राशियां आरएफसी खाते में क्रेडिट की जा सकती हैं, जब अनिवासी भारतीय या भारतीय मूल के व्यक्ति की स्थिति अनिवासी में परिवर्तित हो जाती है ।

3.3 निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता आरएफसी (डी) खाता

1) निम्नलिखित विदेशी स्रोतों से निवासी व्यक्ति आरएफसी (डी) खाता खोल सकता है ताकि भारत में बैंक खाते में करेंसी नोट,बैंक नोट तथा यात्रा चेक के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा रख सके :

(ए) भारत में कारोबार या कोई कार्य से न होने के कारण विदेश में दौरे के दौरान भुगतान;

(बी) व्यक्ति जो भारत के निवासी नहीं है और भारत के दौरे पर है, उससे प्राप्त मानदेय या उपहार या दी गई सेवाएं या किसी कानूनी दायित्व से निबटान;

(सी) भारत से बाहर दौरे पर मानदेय या उपहार;

(डी) किसी संबंधी से उपहार;

(ई) विदेश में यात्रा के लिए किसी प्राधिकृत व्यक्ति से प्राप्त अव्ययित विदेशी मुद्रा;

(एफ़) निवासी व्यक्ति खाता धारक द्वारा डीआर योजना, 2014 के अधीन एडीआर/ जीडीआर में परिवर्तित शेयरों में होने के कारण विनिवेश प्राप्तियां;

(जी) बीमा विनियामक तथा विकास प्राधिकरण द्वारा अनुमत भारतीय बीमा कंपनी से विदेशी मुद्रा में एलआईसी दावों/ परिपक्वता / अभ्यर्पित मूल्य से प्राप्त राशियां ।

2) यह सुविधा समय समय पर यथासंशोधित रिज़र्व बैंक की अधिसूचना सं. एफईएमए 11 (आर)/2015 आरबी दिनांक 29 दिसम्बर 2015 के अधीन उपलब्ध के अतिरिक्त है।

3) किसी कैलेंडर माह में खाते में प्राप्त राशियों का कुल जोड़ अनुमोदित प्रयोजनों या भावी प्रतिबद्धताओं के लिये समायोजन के बाद अगले कैलेंडर माह की अंतिम तारीख से पहले रूपयों में परिवर्तित किया जाना चाहिये ।

4) क्रमश: विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 या विदेशी मुद्रा प्रबंध (अनुमत पूंजी खाता लेनदेन) विनियम 2000 के प्रावधानों के अधीन खाते में शेषों का प्रयोग किसी भी चालू या पूंजी खाता लेनदेन के लिए किया जा सकता हैं।

5) आवासी स्थिति के निवासी से अनिवासी में परिवर्तन के परिणामस्वरूप, खाताधारकों के विकल्प/ अनुरोध पर खाते में धारित शेष जमाराशियां एनआरई / एफसीएनआर (बी) खातों में जमा की जा सकती हैं ।

3.4 डायमंड डालर खाता (डीडीए) योजना – डीडीए योजना

भारत सरकार की विदेश व्यापार नीति में विनिर्दिष्ट पात्रता मानदंड का अनुपालन कर रही फर्म तथा कंपनियां भारत के एडी के साथ डीडीए खाते खोल सकती हैं; जिनके विवरण एफईएमए 10 (आर) की अनुसूची II में, समय-समय पर यथासंशोधित में दिए गए हैं । योजना की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:-

1) रफ, कट और पौलिश हीरों की निर्यात प्राप्तियां और स्थानीय बिक्री(यूएसडी) में और शिपमेंट से पहले और बाद में लिए गए वित्त इस खाते में जमा किए जा सकते हैं।

2) रफ, कट और पौलिश हीरों की ख्ररीद के भुगतान डीडीए खाते से किए जा सकते हैं । निधियां निर्यातक के रुपया खाते में भी अंतरित की जा सकती हैं।

3) खाता ब्याज-रहित चालू खातों में रखा जाना चाहिए ।

4) किसी कैलेंडर माह में खाते में प्राप्त राशियों का कुल जोड़ अनुमोदित प्रयोजनों या भावी प्रतिबद्धताओं के लिये समायोजन के बाद अगले कैलेंडर माह की अंतिम तारीख से पहले रूपयों में परिवर्तित किया जाना चाहिये ।

3.5 भारत से बाहर निगमित जहाजरानी या हवाई कंपनियों के भारतीय एजेंट विदेशी कंपनियों के स्थानीय खर्च पूरा करने के लिए भारत में विदेशी मुद्रा खाता रख सकते हैं। ऐसे खाते में अनुमत क्रेडिट है. भारत में उगाहे गए या भारत से बाहर उसके प्रमुख एजेंट से मालभाड़ा या यात्री किराया।

3.6 भारत में जहाज के लिए व्यक्ति उपलब्ध कराने/ क्रू का प्रबंधन कर रही एजेंसियां निम्नानुसार अपने कारोबार का सामान्य लेनदेन करने के लिए भारत में ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता रख सकती हैं :-

1) क्रेडिट: विदेशी मूल से सामान्य बैंकिंग चैनलों के माध्यम से केवल आवक विप्रेषण

2) डेबिट: सामान्य कारोबार में जहाजों/ क्रू के प्रबंधन के संबंध में विभिन्न व्ययों के लिए

3) खाते में धारित निधियों के विरूद्ध कोई क्रेडिट सुविधा (निधि आधारित या गैर-निधि आधारित) नहीं दी जानी चाहिए।

4) ऐसे खातों के संबंध में बैंक निर्धारित रिज़र्व आवश्यकताओं का पालन करें।

5) खाते में प्राप्त विप्रेषणों के लिए किसी ईईएफसी सुविधा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

6) खाता केवल करार की वैधता के दौरान रखा जायेगा ।

3.7 भारत में निष्पादित करने के लिए विदेशी कंपनियों के परियोजना कार्यालय भारत में एक या अधिक ब्याज-रहित खाते खोल सकते हैं। ऐसे खाते निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे:-

1) परियोजना कार्यालय संबंधित परियोजना मंजूर करने वाले प्राधिकरण से वांछित अनुमोदन सहित रिज़र्व बैंक की सामान्य/ विशेष अनुमति से भारत में स्थापित किया गया है ।

2) जिस संविदा के अधीन परियोजना मंजूर की गई है, विशिष्ट रूप से विदेशी मुद्रा में भुगतान करने का प्रावधान करती है ।

3) प्रत्येक परियोजना के लिए केवल एक विदेशी मुद्रा खाता है ।

4) डेबिट:

(ए) परियोजना से संबंधित व्यय का भुगतान।

5) क्रेडिट:

(ए) परियोजना मंजूर करने वाले प्राधिकरण से विदेशी मुद्रा प्राप्तियां और

(बी) विदेश से मूल/ समूह कंपनी से या द्विपक्षीय/ बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एजेंसी से विप्रेषण

6) परियोजना पूर्ण हो जाने पर विदेशी मुद्रा खाता बंद कर दिया जाना चाहिए ।

7) निधियों का अंतर - परियोजना अंतरण रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय की अनुमति से होगा जिसके अधिकारक्षेत्र में परियोजना का कार्यालय स्थित है ।

8) परियोजना कार्यालय और परियोजना मंजूर करने वाले प्राधिकरण या अन्य सरकारी/ गैर सरकारी एजेंसियों आदि के बीच विवाद होने पर, ऐसे खाते में रखी शेष राशि रूपये में परिवर्तित कर दी जायेगी और एक विशेष खाते में क्रेडिट कर दी जाएगी जिसे विवाद के निबटान के अनुसार हैंडल किया जायेगा ।

3.8 अंतर्राष्ट्रीय विचारगोष्ठियों, सम्मेलनों, कन्वेंशन आदि के आयोजक निम्नलिखित शर्तों के अधीन भारत में अस्थाई विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं:-

1) क्रेडिट: सम्मेलन, कन्वेंशन आदि के संबंध में विदेशी प्रतिनिधि द्वारा देय सभी विदेस्शि मुद्रा में आवक विप्रेषण – जैसे कि पंजीकरण शुल्क और दान

2) डेबिट: (i) आयोजकों के विशिष्ट आमंत्रण पर विदेशी / विशेष आमंत्रित व्यक्ति आदि के लिए यात्रा, होटल प्रभारों आदि के लिए भुगतान और विदेशी अतिथि वक्ताओं को मानदेय; (ii) विदेशी प्रतिनिधियों के पंजीकरण शुल्क को लौटाने के लिए विप्रेषण और अप्रयुक्त प्रायोजन/ अनुदान राशि, यदि कोई हो; (iii) बैंक प्रभार, यदि कोई हो; (iv) निधियों को रूपये में बदलना

3) अन्य सभी डेबिट/ क्रेडिट के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन आवश्यक होगा।

4) सम्मेलन/ घटना के बाद खाता तुरंत बंद कर दिया जाना चाहिए।

3.9 ऐसा निर्यातक जिसने भारत से बाहर निर्माण संविदा या टर्न की परियोजना ली है या जो आस्थगित भुगतान शर्तों पर सेवाएं निर्यात कर रहा है या इंजीनियरिंग वस्तुएं निर्यात कर रहा है, भारत में बैंक के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोल, धारित और रख्ररखाव कर सकता है, बशर्ते कि समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात) विनियम, 2015 के अधीन संविदा/ परियोजना, वस्तुओं या सेवाओं के लिए अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है और अनुमोदन के पत्र में विनिर्दिष्ट शर्तों का विधिवत पालन कर लिया गया है ।

3.10 विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित कोई इकाई उसके द्वारा प्राप्त सभी विदेशी मुद्रा निधियों के क्रेडिट के लिए भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ खाता खोल, धारण और रखरखाव कर सकती है।

1) इकाई और भारत में/ भारत से बाहर निवासी व्यक्ति के बीच वास्तविक व्यापार लेन देनों के लिए खातों का प्रयोग किया जा सकता है ।

2) भारत में रूपये के विरूद्ध खरीदी गई विदेशी मुद्रा रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति के बिना खाते में क्रेडिट नहीं की जा सकती ।

3) समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमों के नियम 5 के अधीन प्रतिबंधों से खातों में शेष राशियां हैं, उपहार आदि के लिए शेष राशियों के प्रयोग को छोडकर

4) इन खातों में धारित निधियां ऐसे किसी व्यक्ति या भारत में निवासी विशेष आर्थिक क्षेत्र की इकाई न होने पर उधार या उपलब्ध नहीं कराई जा सकती ।

3.11 समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा (प्रतिभूति के अंतरण या निर्गम) विनियम, 2000 दिनांक 3 मई 2000 के अनुसार एफडीआई मार्ग से विदेशी निवेश प्राप्त कर रही कोई भारतीय कंपनी भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोल और रख सकती है बशर्ते कि भारतीय निवेशिती कंपनी का विदेशी मुद्रा व्यय होना है और खाता आवश्यकताएं पूरी हो जाने या ऐसा खाता खोलने की तारीख से छ्ह महीने के भीतर, जो भी पहले हो, बंद कर दिया जाए ।

4. ऐसे विदेशी मुद्रा खाते जो भारत से बाहर रखे जा सकते हैं

4.1 निम्नलिखित व्यक्ति सामान्य कारोबार और प्रासंगिक लेन देनों के लिए भारत से बाहर बैंक के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोल सकते हैं।

क) भारत में प्राधिकृत व्यापारी जिसकी शाखा/ प्रधान कार्यालय/प्रतिनिधि भारत से बाहर हो।

ख) भारत में निगमित बैंक की भारत से बाहर शाखा।

ग) भारतीय जहाजरानी या हवाई कंपनी।

घ) 8भारतीय जीवन बीमा निगम या भारतीय साधारण बीमा निगम और उसकी सहायक संस्थाएं।

ड) अपने विदेशी कार्यालय/ शाखा या भारत से बाहर नियोजित उसके प्रतिनिधि के नाम में भारतीय फर्म/ कंपनी/निगमित निकाय।

च) निर्यातक जो विदेश में सेवाओं और इंजीनियरिंग वस्तुओं का आस्थगित भुगतान शर्तों पर निर्यात कर रहा है या टर्न की परियोजना या निर्माण संविदा निष्पादित कर रहा है ।

4.2 भारत में निवासी व्यक्ति जो अध्ययन के लिए विदेश गया है, अपने विदेश में प्रवास के दौरान भारत से बाहर बैंक के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है । भारत के खाते में सभी क्रेडिट एफईएमए तथा उसके अधीन बनाए गए नियमों तथा विनियमों के अनुसार होने चाहिए । 9अध्ययन के बाद विद्यार्थी के भारत में लौटने के बाद, यह माना जायेगा कि खाता उदारीकृत विप्रेषण योजना के अधीन खोला गया है ।

4.3 भारत में निवासी व्यक्ति जो विदेश के किसी देश में दौरे पर है, अपने विदेश में प्रवास के दौरान भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है । खाता धारक के भारत लौटने पर खाते में शेष राशियां भारत को प्रत्यावर्तित की जानी चाहिए।

4.4 प्रदर्शनी / व्यापार मेले में विदेश जा रहा व्यक्ति वस्तुओं की विक्रय राशियों को क्रेडिट करने के लिए भारत से बाहर बैंक के साथ खाता खोल सकता है । प्रदर्शनी / व्यापार मेले की समाप्ति की तारीख से एक माह के भीतर शेष राशियां भारत को प्रत्यावर्तित की जानी चाहिए ।

4.5 भारत में देय उनके पूरे वेतन को विप्रेषित करने/ प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित व्यक्ति भारत से बाहर विदेशी मुद्रा खाता खोल सकते हैं:-

क) 10भारत में रहने वाला विदेशी नागरिक विदेशी कंपनी का कर्मचारी होने के कारण, भारत में सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम / समूह कंपनी के कार्यालय/ शाखा में प्रतिनियुक्ति पर ,

ख) भारतीय नागरिक, विदेशी कंपनी का कर्मचारी होने के कारण भारत में सहायक कंपनी/ संयुक्त उद्यम / समूह कंपनी के कार्यालय/ शाखा में प्रतिनियुक्ति पर

ग) भारतीय कंपनी के साथ नियोजित भारत में निवासी विदेशी नागरिक

4.6 कोई भारतीय पार्टी समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियम, 2004 के अधीन विदेश में प्रत्यक्ष निवेश के लिए विदेशी मुद्रा खाता खोल सकती है बशर्ते कि विदेशी विनियामक ऐसा खाता खोलने का अधिदेश देता है ।

4.7 निवासी व्यक्ति उदारीकृत विप्रेषण योजना के अधीन विप्रेषण भेजने के प्रयोजन के लिए भारत से बाहर बैंक के साथ विदेशी मुद्रा खाता खोल सकता है।

4.8 ईसीबी जुटाने या एडीआर या जीडीआर के लिए संसाधन जुटाने की शर्त के अनुपालन के अधीन, जुटाई गयी निधियां उनके उपयोग या भारत में प्रत्यावर्तन होने तक, निधियां भारत से बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खातों में रखी जा सकती हैं ।

4.9 स्टार्ट-अप उद्योगों को बढ़ावा देने संबंधी भारत सरकार की पहल के अनुसरण में, यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे भारतीय स्टार्ट-अप, जिनकी समुद्रपारीय सहायक कंपनी हो, वे स्वयं द्वारा अथवा अपनी समुद्रपारीय सहायक कंपनी द्वारा विदेशी मुद्रा में प्राप्त निर्यातगत/ बिक्रीगत आय को जमा करने के प्रयोजन से भारत से बाहर के बैंको में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं। ऐसे खातों में धारित जमाराशियों को भारत से किये गए निर्यात की सीमा तक एवं समय-समय पर यथा-संशोधित 12 जनवरी 2016 को जारी विदेशी मुद्रा प्रबंधन (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2015 के तहत निर्यातों की वसूली हेतु निर्धारित अवधि के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित किया जाएगा ।

5. विविध

5.1 जब तक कि अन्यथा विनिर्दिष्ट न किया गया हो, समय-समय पर यथासंशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध, (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015 दिनांक 21 जनवरी 2016 के अधीन विदेशी मुद्रा खाता, खाताधारक के व्यक्ति होने पर चालू या बचत या मीयादी खाते के रूप में हो सकता है और अन्य मामलों में चालू खाता या मीयादी जमा खाते के रूप में हो सकता है।

5.2 खाता एकल या संयुक्त रूप से खाता खोलने, धारण करने और रखरखाव के लिए पात्र व्यक्ति द्वारा धारित किया जा सकता है ।

5.3 विदेशी मुद्रा खाता धारक की मृत्यु होने पर -

ए) जिस प्राधिकृत व्यापारी के साथ खाता धारित है या रखरखाव किया जाता है, मृत खाता धारक के हिस्से या पात्रता की सीमा तक निधियां भारत से बाहर निवासी व्यक्ति नामिति को विप्रेषित की जा सकती हैं ;

बी) नामिति जो भारत में निवासी व्यक्ति है, जो अपनी देयताएं पूरी करने के लिए अपने हिस्से की निधियां भारत से बाहर विप्रेषित करने के लिए इच्छुक है, ऐसे विप्रेषण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को अनुरोध कर सकता है ।

सी) 11विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम 2015, दिनांक 21 जनवरी, 2016 के विनियम 5 के अनुसार (अर्थात, इस मास्टर निदेश के भाग I के पैराग्राफ 4) के अनुसार भारत से बाहर धारित निवासी नामिती को खाता बंद करना होगा और बैंकिंग चैनलों के माध्यम से निधियां भारत को प्रत्यावर्तित करनी होगीं ।

भाग II – 12भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा भारत में खाते खोलना, धारण करना और
रखरखाव करना

1. परिचय

1.1 विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (एफईएमए) रिज़र्व बैंक को भारत में निवासी व्यक्ति और भारत से बाहर व्यक्ति के बीच जमा राशियों के रखरखाव को सीमित , विनयमित और प्रतिबंधित करने के लिए विनियम बनाने की शक्ति प्रदान करता है। ये विनियम समय समय पर यथासंशोधित 17 अधिसूचना सं. एफईएमए 5 (आर) / 2016- आरबी दिनांक 01 अप्रैल 2016 (एफईएमए 5 (आर) के अधीन अधिसूचित किए गए हैं ।

2. परिभाषाएं

विनियमों में प्रयुक्त कुछ प्रमुख शब्द नीचे दिये गए हैं :

2.1 ‘प्राधिकृत बैंक’ सहकारी बैंक सहित वह बैंक है जिसे रिज़र्व बैंक द्वारा भारत से बाहर निवासी व्यक्ति का खाता रखने के लिए प्राधिकृत किया गया है ।

2.2 ‘प्राधिकृत व्यापारी’ एफईएमए की धारा 10 की उप-धारा (1) के अधीन प्राधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत व्यक्ति है।

2.3 ‘जमा राशि’ में किसी बैंक, कंपनी, स्वामित्व संस्था, भागीदारी फर्म, कंपनी निकाय, न्यास या किसी अन्य व्यक्ति के साथ धन जमा करना शामिल है ।

2.4 13‘अनिवासी भारतीय ’ (एनआरआई) भारत से बाहर निवासी व्यक्ति है जो भारत का नागरिक है।

2.5 14‘भारतीय मूल का व्यक्ति’ (पीआईओ) भारत से बाहर निवासी वह व्यक्ति है जो बांग्ला देश या पाकिस्तान से इतर ,केंद्रीय सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट कोई अन्य देश है, निम्नलिखित शर्तें पूरी करता है:

क) जो भारतीय संविधान के कारण या नागरिकता अधिनियम, 1955 (1955 का 57) के कारण भारत का नागरिक था, या

ख) ऐसे क्षेत्र का था जो 15 अगस्त 1947 के बाद भारत का भाग बन गया; या

ग) भारतीय नागरिक का या खंड क) या ख) में उल्लिखित व्यक्ति का चाईल्ड या ग्रैंड चाईल्ड या ग्रेट ग्रैंड चाईल्ड है; या

घ) भारतीय नागरिक के विदेशी मूल का पति/ पत्नी है या खंड क) या ख) या ग) में उल्लिखित विदेशी मूल का पति/पत्नी है।

स्पष्टीकरण- पीआईओ में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) की परिभाषा के भीतर ‘भारत का समुद्रपारीय नागरिक’ शामिल होगा

2.6 ‘अनुमत मुद्रा’ विदेशी मुद्रा है जो मुक्त रूप से परिवर्तनीय है।

2.7 15‘संबंधी’ का अभिप्राय है कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथापरिभाषित ।

2.8 16चूंकि एफईएम (जमा) विनियम, 2000 निरस्त कर दिए गए हैं और 01 अप्रैल, 2016 से उनका स्थान एफईएम (जमा) विनियम, 2016 ने ले लिया है, इसलिए एनआरआई, जहाँ आया, उसका स्थान एनआरआई तथा/ या पीआईओ ने ले लिया है । इससे पहले पीआईओ, एनआरआई की परिभाषा में आते थे।

3. छूट

ये प्रतिबंध निम्नलिखित पर लागू नहीं हैं :

3.1 विदेशी राजनीतिक दूतावासों और राजनीतिक कार्मिकों द्वारा रखे रूपये खातों में जमा राशियां और विशेष रूपये खाते

3.2 राजनीतिक दूतावासों, राजनीतिक कार्मिकों और गैर-राजनयिक स्टाफ द्वारा रखे विदेशी मुद्रा खाते जो संबंधित विदेशी राजनीतिकों के राष्ट्रिक हैं और भारत में विदेशी दूतावासों का आधिकरिक पासपोर्ट रखते हैं, बशर्ते कि

ए) खाते में अनुमत क्रेडिट बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत से बाहर से प्राप्त आवक विप्रेषण होंगे; और भारत में राजनीतिक दूतावासो के रूपया खाते में से, जो भारत में उगाहे जाते हैं जैसे कि वीजा शुल्क और ऐसे खाते में क्रेडिट

बी) ऐसे खाते की निधियां यदि रूपये में परिवर्तित की जाएं तो विदेशी मुद्रा में फिर से परिवर्तित नहीं की जा सकतीं ।

सी) खाता चालू खाता या मीयादी जमा राशि खाते के रूप में रखा जा सकता है और राजनीतिक कार्मिकों तथा गैर- राजनीतिक स्टाफ के मामले में, बचत खाते के रूप में रखा जा सकता है ।

डी) बचत खातों या मीयादी जमाराशियों पर ब्याज की दर वह होगी जो खाता रख रहे प्राधिकृत व्यापारी द्वारा निर्धारित की जाए ।

ई) खाते की निधियां रिजर्ब बैंक के अनुमोदन के बिना भारत से बाहर प्रत्यावर्तित की जा सकती हैं ।

3.3 नेपाल और भूटान में निवासी व्यक्तियों द्वारा रूपये में रखी प्राधिकृत व्यापारी के साथ जमाराशियां

3.4 बहुपक्षीय संगठन और उसकी सहायक संस्थाओं/ सम्बद्ध निकायों और भारत में पदाधिकारियों द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति के साथ जमाराशियां, जिनका भारत एक सदस्य देश है ।

4. अनिवासी भारतीय खाता (एनआरई खाता)

इस खाते को खोलने तथा रखरखाव करने के लिए विस्तृत अनुदेश समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम 2016 की अनुसूची 1 में निर्धारित किए गए हैं ।

4.1 अनिवासी भारतीय (एनआरआई) और भारतीय मूल की व्यक्ति (पीआइओ) रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत व्यापारियों और बैंको (सहकारी बैंकों सहित) के साथ खोल और रख सकते है ।

4.2 खाते किसी भी रूप में अर्थात बचत, चालू, आवर्ती या नियत जमा राशि, आदि में रखे जा सकते हैं ।

4.3 संयुक्त खाते दो या अधिक पहला या एनआरआई और/ या पीआइओ द्वारा या निवासी संबंधी के साथ एनआरआई / पीआईओ द्वारा ‘पूर्ववर्ती पहला या उत्तरजीवी’ आधार पर खोले जा सकते हैं। तथापि, एनआरआई/ पीआईओ खाता धारक के जीवनकाल के दौरान निवासी संबंधी खाता केवल पावर आफ अटर्नी धारक के रूप में खाता परिचालित कर सकता है।

4.4 खाते में आवक विप्रेषण और भारत के बाहर से एनआरआई खाते से विप्रेषण की अनुमति है।

4.5 इस खाते में, आवक विप्रेषण के रूप में अनुमत क्रेडिट है – खाते में उपचित हो रहा ब्याज, निवेश पर ब्याज, अन्य एनआरई / एफसीएनआर (बी) खातों से परिपक्वता राशियां यदि ऐसे निवेश इस खाते से या आवक विप्रेषण के माध्यम से किए गए हैं।

4.6 इस खाते से अनुमत डेबिट है – स्थानीय संवितरण, अन्य एनआरई / एफसीएनआर (बी) खाते और भारत में निवेश।

4.7 चालू आय जैसे कि भाडा, लाभांश, पेंशन, ब्याज आदि को एनआरई खाते में अनुमत क्रेडिट माना जायेगा बशर्ते कि प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हो कि क्रेडिट एनआरआई/ पीआईओ खाता धारक की चालू आय है और उस पर, यथास्थिति, आय कर दिया गया है/ प्रावधान कर लिया गया है।

4.8 17ऋणों की मंजूरी के लिए विनियम निम्नानुसार हैं:

4.8.1 भारत में प्राधिकृत व्यापारी/ बैंक सामान्य मार्जिन आवश्यकताओं की शर्त के अधीन, बिना किसी सीमा के, एनआरई खातों में रखी निधियो के विरूद्ध भारत में खाता धारक/ अन्य पार्टी को ऋण दे सकते हैं । ऋण भारत से बाहर प्रत्यावर्तित नहीं किया जा सकता और निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए होगा :

ए) वैयक्तिक प्रयोजनों या कारोबारी गतिविधिया करने फिर से ऋण देने या कृषि/ प्लान्टेशन गतिविधियो सिवाय के लिए या स्थावर संपदा कारोबार में निवेश के लिए ।

बी) अधिनियम के अधीन संबंधित विनियमों की उपबंधों के अधीन भारतीय फर्मो / कंपनियों की पूंजी में अंशदान के लिए गैर-प्रत्यावर्तन आधार पर भारत में प्रत्यक्ष निवेश ।

सी) अधिनियम के अधीन संबंधित विनियमों के उपबंधों के अधीन स्वयं अपने आवासीय प्रयोग के लिए भारत में फ्लैट / मकान अधिग्रत करने के लिए किसी अन्य पार्टी को ऋण मंजूर करने की स्थिति में, निवासी व्यक्ति/ फ़र्म/कंपनीको ऐसी सुविधाओं के लिए अनिवासी जमाकर्ता द्वारा अपनी जमाराशियां गिरवी रखने के संबंध में कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष विदेशी मुद्रा देयता नहीं होनी चाहिए ।

खाता धारक को मंजूर किए गए ऋण के संबंध में, इसकी चुकौती या तो जमा राशियों में से समायोजन द्वारा या सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत से बाहर आवक विप्रेषणों में से या खाता धारक के एनआरओ खाते में शेष से की जा सकती है ।

4.8.2 प्राधिकृत व्यापारी भारत में एनआरआई खातों में रखी निधियों के विरूद्ध भारत से बाहर अपनी शाखाओं/ प्रतिनिधि बैंकों को अनिवासी जमाकर्ताओं या अन्य पार्टियों को ऋण स्वीकृत कर सकते हैं और भारत से निधियों के विप्रेषण, यदि आवश्यक हो, तो बकाया शेष को समाप्त करने के लिए भी सहमति दे सकते हैं ।

4.8.3 जमा राशियों के समयपूर्व आहरण की सुविधा वहाँ उपलब्ध नहीं होगी जहाँ ऐसी जमाराशियों के विरूद्ध ऋण लिए गए हैं।

4.8.4 ऋण में सभी प्रकार की निधि आधारित/ गैर-निधि आधारित सुविधाए शामिल होंगी ।

4.9 खाता धारक के विकल्प पर एनआरई खातों को तुरंत निवासी खाते विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए या इन खातों में रखी निधिया आरएफसी खातों में अंतरित कर दी जानी चाहिए, यदि खाता धारक नियोजन के लिए भारत लौटता है या आवसीय स्थिति में परिवर्तन हो जाता है ।

4.10 खाता धारक की मृत्यु हो जाने पर मृत खाता धारक के अनिवासी नामिती के खाते में जमा राशियां अंतरित की जा सकती हैं। तथापि, देयताओं को पूरा करने के लिए, यदि कोई हो, मृत खाता धारक के निवासी नामिती से भारत से बाहर निधियों के विप्रेषण, या इसी प्रकार के प्रयोजन के लिए अनुरोध विचारार्थ रिज़र्व बैंक को अग्रेषित किए जाने चाहिए ।

4.11 एनआरई खाते परिचालन को आफ अटोर्नी या निवासी के पक्ष में अनिवासी खाता धारक द्वारा कोई अन्य प्राधिकार होने पर अनुमति दी जा सकती है। बशर्ते कि ऐसे परिचालन सामान्य बैंकिग चैनलों से स्थानीय भुगतानों के आहरण या स्वयं खाता धारक को विप्रेषण किए जाएं । जहाँ धाता धारक या उसके द्वारा नामित बैंक भारत में निवेश करने का पात्र है, पावर आफ अटर्नी धारक को ऐसे निवेश को सुविधाजनक बनाने के लिए खाता परिचालन करने की अनुमति दी जानी चाहिए । निवासी पावर आफ अटर्नी धारक को (ए) एनआरई खाता खोलने; (बी) खाता धारक के स्वयं के खाते से इतर भारत से बाहर निधियां प्रत्यावर्तित करने; (सी) खाता धारक की ओर से निवासी को उपहार के द्वारा भुगतान करने; (डी) खाते से किसी दूसरे एनआरई खाते में निधियां अंतरित करने की अनुमति नहीं है।

4.12 एनआरई खातों में जमा राशियों से ब्याज पर आय, आय कर से मुक्त है। इसी प्रकार ऐसे खातों की राशिया धन कर से मुक्त हैं ।

4.13 इन खातों पर लागू ब्याज की दर और अवधि बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक के निदेशों/ अनुदेशों के अनुसार होगी ।

5. विदेशी मुद्रा (अनिवासी ) (बैंक) खाता – FCNR (B) खाता

इस खाते को खोलने और रखरखाव करने लिए विस्तृत अनुदेश समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम, 2016 की अनुसूची 2 में दिए गए हैं । योजना की मुख्य-मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:-

5.1 अनिवासी भारतीय (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्ति (पीआईओ) रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत, प्राधिकृत व्यापारी और बैंकों के साथ खाते खोल और रख सकते हैं । जमा राशियां किसी भी अनुमत मुद्रा में प्राप्त की जा सकती हैं।

5.2 खाते केवल नियत जमाराशि रूप में ही रखे जा सकते हैं ।

5.3 एनआरई खाते पर लागू अन्य शर्तें जैसे कि क्रेडिट/ डेबिट, संयुक्त खाते, ऋण / ओवरड्राफ्ट, पावर आफ अटर्नी द्वारा परिचालन आदि, एफसीएनआर (बी) पर भी लागू होंगे ।

5.4 इन खातों पर लागू ब्याज की दर और अवधि बैंकिंग विनियमन विभाग, रिज़र्व बैंक के निदेशों/ अनुदेशों के अनुसार होगी।

6. अनिवासी (सामान्य) खाता योजना – एनआरओ खाता

इस खाते को खोलने और रखने के लिए विस्तृत अनुदेश समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम, 2016 की अनुसूची 3 के अनुसार होंगे । योजना की मुख्य- मुख्य बातें निम्नानुसार हैं:-

6.1 भारत से बाहर निवासी कोई भी व्यक्ति (एफईएमए की धारा 2 (डब्ल्यु) के अनुसार) प्राधिकृत व्यापारी या प्राधिकृत बैंक के साथ एनआरओ खाता खोल और रख सकता है जिससे भारतीय रूपयों में वर्गीकृत वास्तविक लेनदेन किए जा सकें ।

6.2 भारत में डाक घर भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों कें नाम में बचत बैंक खाता खोल सकते हैं और उन्हीं शर्तों के अधीन प्रचालन की अनुमति दे सकते हैं जो प्राधिकृत व्यापारी/ प्राधिकृत बैंक के साथ रखे एनआरओ खातों पर लागू हैं ।

6.3 भारत का दौरा कर रहे गैर-भारतीय मूल का विदेशी नागरिक बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत से बाहर विप्रेषित निधियों या भारत में लाई गई विदेशी मुद्रा की बिक्री से एनआरओ (चालू/ बचत) खाता खोल सकता है । भारत से प्रस्थान करते समय एनआरओ में जमा शेष राशि का भुगतान खाता धारक को किया जा सकता है बशर्ते कि खाता छ: माह से अनधिक की अवधि के लिए रखा गया है और खाते में उस पर उपचित ब्याज से इतर कोई स्थानीय निधियानं जमा नहीं की गई हैं ।

6.4 पाकिस्तानी राष्ट्रिक / स्वामित्व वाले व्यक्तियों / संस्थाओं द्वारा खाते खोलने और बांग्लादेश स्वामित्व की संस्थाओं द्वारा खाते खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन आवश्यक है । तथापि, बांग्लादेश के व्यक्तियों को ये खाते खोलने की अनुमति दी जा सकती है बशर्ते कि व्यक्ति के पास वैध वीजा हो और एफआरओ/ एफआरआरओ द्वारा जारी वैध आवासीय परमिट हो।

6.5 खाते किसी भी रूप में खोले जा सकते हैं अर्थात बचत, चालू, आवर्ती या नियत अवधि खाता ।

6.6 निवासी व्यक्तियों के साथ खाते सँयुक्त रूप से 18 ‘पूर्ववर्ती व्यक्ति या उत्तरजीवी व्यक्ति’ के आधार पर खोले जा सकते हैं । एनआरआई और पीआईओ संयुक्त रूप से अन्य एनआरआई और पीआईओ के साथ खाता खोल सकते हैं ।

6.7 भारत से बाहर से आवक विप्रेषण, भारत में वैध देयताएं 19और अन्य एनआरओ खातों से अंतरण एनआरओ खाते में अनुमत एनआरओ क्रेडिट है । उदारीकृत विप्रेषण योजना के अधीन निर्धारित सीमा के भीतर निवासी द्वारा एनआरआई /पीआईओ संबंधी को दिए गए रूपया उपहार / ऋण संबंधी के एनआरओ खाते में जमा किए जाए ।

6.8 स्थानीय भुगतानों के प्रयोजनों, 20अन्य एनआरओ खातों या विदेश में चालू खाता का विप्रेषण के लिए खाता डेबिट किया जा सकता है । इन के अलावा एनआरओ खाते में शेष विदेश में प्रत्यावर्तित नहीं किए जा सकते सिवाय एनआरआई/ पीआईओ द्वारा 1 मिलियन अमरिकी डालर तक 1 मिलियन डालर विदेशी मुद्रा प्रबंध (आस्तियों का विप्रेषण) विनियम21, 2016 में निर्धारित शर्तों के अधीन । सुविधा के भीतर निधियां एनआरई खाते में अंतरित की जा सकती हैं।

6.9 सामान्य शर्तों और मार्जिन आवश्यकताओं के अधीन जमाराशियों के विरूद्ध खाता धारक या अन्य पार्टी को भारत में ऋण प्रदान किए जा सकते हैं । ऋण राशि का प्रयोग पुन: उधार देने, कृषि/ प्लान्टेशन गतिविधियों या स्थावर रुपयों में निवेश के लिए नहीं किया जाएगा।

6.10 अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने की इच्छा के प्रयोजन के लिए खाता धारक के भारत लौटने पर एनआर ओ खातों को निवासी खातों के रूप में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए । इसी प्रकार, जब कोई निवासी भारतीय भारत से बाहर निवासी व्यक्ति बन जाता है, तो उसका विद्यमान खाता एनआरओ खाते के रूप में निर्दिष्ट किया जाना चाहिए ।

6.11 अनिवासी भारतीय द्वारा किसी निवासी के पक्ष में पावर आफ अटर्नी देने पर प्राधिकृत व्यापारियों/ बैंकों को शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं कि एनआरओ खाते में प्रचालन की अनुमति प्रदान करे बशर्ते कि ऐसे प्रचालन स्थानीय भुगतान और अनिवासियों को विप्रेषण तक सीमित रहे ।

6.12 भारत में विदेशी राष्ट्रिकों के लिए भारत में अपनी प्राप्य राशियां प्राप्त करने को सुविधाजनक बनाने के लिए, एडी श्रेणी -1 बैंक भारत में एनआरओ खाते को उनके बाद निवासी खातों के रूप में निर्दिष्ट करे ताकि वे अपनी वास्तविक प्राप्य राशियां प्राप्त कर सकें, बशर्ते कि बैंक इस बात से संतुष्ट हो कि राशियों का क्रेडिट खाता धारक की वास्तविक प्राप्य राशियां हैं जब वह भारत में निवासी था । एनआरओ खाते में क्रेडिट की गई निधियां विदेश में तुरंत प्रत्यावर्तित की जाएं, बशर्ते कि भारत में आय कर और अन्य करों का भुगतान किया गया हो । विदेश में प्रत्यावर्तित की गई राशि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक मिलियन अमरिकी डालर से अधिक नहीं होनी चाहिए । खाते में डेबिट केवल विदेश में खाता धारक को प्रत्यावर्तन के प्रयोजन के लिए होना चाहिए । एनआरओ खाते के रूप में खाते बदलने के बाद खाता धारक की घोषणा के अनुसार सभी प्राप्त राशियां प्राप्त होने और प्रत्यावर्तित होने के तुरंत बाद खाता बंद कर दिया जाना चाहिए ।

6.13 अन्तर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड – प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना एनआरआई/ पीआईओ को अन्तर्राष्ट्रीय कार्ड जारी करने की अनुमति दी गई है । ऐसे लेनदेनों का निबटान आवक विप्रेषणों से या कार्ड धारक के एफसीएनआर (बी)/ एनआरई/ एनआरओ खातों में रखी शेष राशियों में से किया जा सकता है ।

6.14 आय कर – केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा समय-समय पर फार्मेट में वांछित सूचना देने पर प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा विप्रेषणों (लागू करों की कटौती के बाद) की अनुमति दी जाएगी । भारतीय रिज़र्व बैंक कर मुद्दों के स्पष्टीकरण के लिए एफईएमए के अधीन कोई अनुदेश जारी नहीं करेगा । प्राधिकृत व्यापारियों के लिए, यथा लागू, कर कानूनों का पालन करना अनिवार्य होगा)।

722 23विशेष अनिवासी (एसएनआरआर) खाता

7.1 भारत से बाहर निवासी कोई व्यक्ति जिसका भारत में कारोबारी हित है, और अधिनियम के प्रावधानों, नियमों और विनियमों का उल्लंघन नहीं करता, रूपये में वास्तविक लेनदेन करने के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी के साथ विशेष अनिवासी रुपया खाता (एसएनआरआर) खोल सकता है ।

7.2 एसएनआरआर खाता उस विशिष्ट कारोबार का नाम बताएगा जिसके लिए वह खाता खोला गया है और उस पर ब्याज नहीं दिया जाएगा ।

7.3 खाते में डेबिट/ क्रेडिट और शेष राशियां प्रासंगिक होंगे और खाता धारक के कारोबारी प्रचालनो कें अनुरूप होंगे ।

7.4 प्राधिकृत व्यापारी यह निश्चित करे कि एसएनआरआर खाते में सभी प्रचालन अधिनियम, नियमों और उसके अधीन बनाए गए विनियमों के अनुसार हैं ।

7.5 एसएनआरआर खाते की अवधि खाता धारक की संविदा / प्रचालन की अवधि / कारोबार के साथ साथ होगी और किसी भी स्थिति में सात वर्ष से अधिक नहीं होगी । खाता खोलने की तारीख से सात वर्ष के बाद खाते में किसी प्रचालन की अनुमति नहीं है ।

7.6 एसएनआरआर खाते में प्रचालन का परिणाम रूपये में प्रतिपूर्ति के विरूद्ध या अन्य किसी तरीके से भारत में निवासी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराना नहीं होना चाहिए ।

7.7 एसएनआरआर खाते में शेष राशियां प्रत्यावर्तन के लिए पात्र होंगी और किसी एनआरओ खाते से एसएनआरआर खाते में अंतरण प्रतिबंधित है ।

7.8 एसएनआरआर खाते में सभी लेनदेन भारत में लागू करों के भुगतान के अधीन होंगे ।

7.9 खाता धारक के निवासी बन जाने पर, एसएनआरआर खाते को निवासी रूपया खाता विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए ।

7.10 मृत खाता धारक के खाते में से अनिवासी नामिती को देय/ भुगतान योग्य राशि को भारत में प्राधिकृत व्यापारी / प्राधिकृत बैंक के साथ नामिती के एनआरओ खाते में क्रेडिट किया जाएगा ।

7.11 पाकिस्तान और बांग्लादेश के राष्ट्रिकों और पाकिस्तान और बांग्लादेश में निगमित संस्थाओं द्वारा एसएनआरआर खाते खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन आवश्यक है ।

8. एस्क्रो (ESCROW) खाता

8.1 निवासी या अनिवासी कंपनी /प्राप्तकर्ता भारत में प्राधिकृत व्यापारी के साथ समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम, 2016 की अनुसूची 245 में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन एस्क्रो एजेंट के रूप में भारतीय रूपयों में एस्क्रो खाता खोल सकते हैं ।

8.2 लेनदेन विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम) विनियम, 2000 तथा भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड के संबंधित विनियमों के अनुसार होंगे ।

8.3 खातों पर ब्याज नहीं दिया जाएगा ।

8.4 खाते में शेष राशियों के विरूद्ध कोई निधि /गैर-निधि आधारित सुविधा नहीं दी जाएगी ।

9. प्रत्यावर्तन आधार पर एनआरआई / पीआईओ से भारत में कंपनी द्वारा जमाराशियां स्वीकार करना

रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकृत एनबीएफसी सहित भारत में निगमित कंपनी प्रत्यावर्तन के आधार पर जमा राशियां स्वीकार नहीं कर सकती । तथापि, वह समय समय पर यथासंशोधित 25 विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम, 2016 की अनुसूची 6 के अनुसार स्वीकार की गई राशियों का नवीकरण कर सकती है।

10. गैर – प्रत्यावर्तन आधार पर एनआरआई या पीआईओ से भारतीय स्वामित्व संस्था/ फर्म से जमा राशियां स्वीकार करना ।

10.1 समय-समय पर यथा संशोधित 26 27विदेशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियम, 2016 की अनुसूची 7 की शर्तो के अधीन रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकृत कंपनी (गैर-बैंककारी वित्तीय कंपनी सहित) कोई भारतीय स्वामित्व संस्था / फर्म या कंपनी एनआरआई या पीआईओ से गैर – प्रत्यावर्तन आधार पर जमा राशियां स्वीकार कर सकती है ।

10.2 अधिसूचना सं. एफईएमए 5 (आर) / 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 के विनियम 6 के 28 उप – विनियम (3) में विनिर्दिष्ट शर्तो के अनुसार भारतीय कंपनियां वाणिज्यिक पत्र जारी कर के एनआरआई या पीआईओ से जमा राशियां स्वीकार कर सकती हैं ।

11 भारत से बाहर निवासी व्यक्ति से निदेशक के रूप में नामांकन के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा जमा राशियां स्वीकार करना

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 160 के अनुसार, भारत से बाहर निवासियों द्वारा भारतीय कंपनी के साथ जमा राशियां रखना एक चालू खाता (भुगतान) लेनदेन है और इस प्रकार, रिज़र्व बैंक से कोई अनुमोदन आवश्यक नहीं है । ऐसे व्यक्ति के निदेशक के रूप में चयन या पच्चीस प्रतिशत वोटों से अधिक वोट प्राप्त करना भी इसी प्रकार है ।

12 अन्य खाते / जमा राशियां

12.1 प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से बाहर अपनी शाखा, प्रधान कार्यालय या प्रतिनिधि शाखा में जमा और प्राधिकृत व्यापारी द्वारा भारत से बाहर शाखा या प्रतिनिधि के साथ जमा और भारत में अपनी बहियों में दर्ज जमा इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों से नियंत्रित होगा ।

12.2 भारत से बाहर निगमित जहाजरानी या हवाई जहाज कंपनी भारत में स्थानीय व्यय को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा खाता खोल, धारित और रखरखाव कर सकती है । ऐसे खातों में अनुमत क्रेडिट भारत में ऐसी हवाई जहाज कंपनी या जहाजरानी कंपनी के केवल मालभाडा या यात्री किराए के संग्रहण या भारत से बाहर उसके कार्यालय से बैंकिंग चैनल से आवक विप्रेषण है।

2912.3 प्राधिकृत व्यापारी भारतीय संस्थाओं के साथ विदेशी कंपनियों/ संस्थाओं के संयुक्त उद्यमों (यूजेवी)को कारोबार के सामान्य कार्य में जमा राशि विनियमों की अनुसूची 4 के अनुसार ब्याज रहित विदेशी मुद्रा खाता और एसएनआर खाता खोलने, धारण करने और रखरखाव करने की अनुमति दे सकता है । इन खातों में डेबिट और क्रेडिट यूजेवी की कारोबारी आवश्यकताओं के साथ प्रासंगिक होंगे। खाते की अवधि यूजेवी की संविदा / प्रचालन की अवधि के साथ-साथ होगी और खाते के सभी प्रचालन अधिनियम के उपबंधो के अनुसार या उसके अधीन नियमो या विनियमो या निदेशो के अनुसार होंगे । पाकिस्तान / बांग्लादेश के स्वामित्व / राष्ट्रिकता वाली कंपनियों द्वारा ऐसे खाते खोलने के लिए रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन आवश्यक होगा ।

13. नामांकन

अलग-अलग खाता धारकों द्वारा रखी जमाराशियों / खातों के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी नामांकन सुविधा दे सकते हैं ।

14. विदेशी मुद्रा खाते रख रहे प्राधिकृत व्यापारी का उत्तरदायित्व

इस मास्टर निदेश के अधीन खाते रख रहे प्राधिकृत व्यापारी को :-

रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी निदेशों का अनुपालन करना होगा और

रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट, यदि कोई हो, आवधिक विवरणी या विवरण प्रस्तुत करने होंगे ।


परिशिष्ट

इस मास्टर निदेश में समेकित अधिसूचनाओं / परिपत्रों की सूची

क्रम सं. अधिसूचना/ एपी(डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र तारीख
1 30 अधिसूचना सं. एफईएमए 10 (आर)/2015 – आर बी 21 जनवरी 2016
2 31 अधिसूचना सं. एफईएमए 5 (आर)/2015 – आर बी 01 अप्रैल 2016
3 32 अधिसूचना सं. एफईएमए 10 (आर)/(1) 2016 – आर बी 01 जून 2016
4 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 44[(1)/10 (आर)] 04 फरवरी 2016
5 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 59 13 अप्रैल 2016
6 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16 /[(1) / 5 (आर)] 5 मई 2016
7 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 77/[(2)/10 (आर)] 23 जून 2016

1 एफईएम( भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम ,2000 निरस्त किया गया और उसे एफईएम( भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम 2015 से 21 जनवरी 2016 से प्रतिस्थापित किया गया ।

2 एफईएम (जमा) विनियम, 2000 निरस्त किया गया और उसे 1 अप्रैल 2016 से एफईएम (जमा) विनियम 2016 से प्रतिस्थापित किया गया।

3 1 अप्रैल, 2016 की स्थिति के अनुसार अद्यतन (देखे एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 44/2015- 16) (1,/10 (आर) दिनांक 04 फरवरी, 2016 तथा एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015- 16/[(1)/5/(आर)] दिनांक 5 मई, 2016 मूल मास्टर निदेश सं. 14/2015-16, 01 जनवरी 2016 को जारी किया गया ।

4 एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियम, 2000 को निरस्त कर के उसके स्थान पर 21 जनवरी, 2016 से एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015 रखा गया ।

5 21 जनवरी 2016 से एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015 द्वारा जोड़ा गया । जोडने से पहले यह “ कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6” पढ़ा जाता था ।

6 21 जनवरी 2016 से एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2015 द्वारा जोड़ा गया। इससे पहले यह “भारत सरकार द्वारा अनुमोदित ए डी आर/ जी डी आर योजना” कहलाती थी।

7 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016- आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के माध्यम से 5 मई 2016 के परिपत्र एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16/[(1) 5(आर)] के द्वारा जोड़ा गया । इससे पहले, पीआईओ, एनआरआई की परिभाषा में आते थे ।

9 04 फरवरी, 2016 के एपी (डीआईआर) श्रृंखला परिपत्र 44 द्वारा जोड़ा गया ।

10 21 जनवरी, 2016 से एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2005 द्वारा जोड़ा गया । इससे पहले यह “खाताधारक के भारत लौटने पर शेष राशि भारत को प्रत्यावर्तित की जाए” पढ़ा जाता था ।

11 21 जनवरी, 2016 से एफईएम (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाते) विनियम, 2005 द्वारा जोड़ा गया ।

12 एफईएम (जमा) विनियम, 2000 निरस्त किए गए और उनका स्थान 01 अप्रैल 2016 से एफईएम (जमा) विनियम, 2016 ने लिया।

13 एफ ई एम ए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा जोड़ा गया । जोडने से पहले यह “ अनिवासी भारतीय” (एनआरआई) भारत से बाहर निवासी व्यक्ति है जो भारत का नागरिक है या भारतीय मूल का व्यक्ति है पढ़ा जाता था।

14 एफईएमए अधिसूचना सं. 5(आर)/ 2016 आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा ए पी (डी आई आर श्रृंखला) सं. 67/2015-16/(1)/5 (आर) दिनांक 05 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया । जोड़ने से पहले यह “भारतीय मूल का व्यक्ति (पीआईओ) का अभिप्राय है बांग्लादेश या पाकिस्तान से इतर देश का नागरिक जिसके पास क) कभी भारतीय पासपोर्ट था या ख) वह या उसके माता/ पिता या उसके भारत का नागरिक भारतीय संविधान के कारण या नागरिकता अधिनियम, 1955 या ग) व्यक्ति भारतीय नागरिक का पति/ पत्नी है या क) या ख) में उल्लिखित व्यक्ति है, पढा जाता था ।

15 1एफईएम अधिसूचना सं. 5(आर) 2016-आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा ए पी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16 [(1) 5/आर] दिनांक 05 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया । इससे पहले

16 एफईएम अधिसूचना सं. 5(आर) 2016-आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा ए पी (डी आई आर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16/(1)5/आर दिनांक 05 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया।

17 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं.67/2015-16/(1)/5(आर) दिनांक 5 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया । इससे पहले यह “ प्राधिकृत व्यापारी या उसकी समुद्रपारीय शाखा / प्रतिनिधि द्वारा भारत में या बाहर बिना किसी सीमा के, सामान्य मार्जिन आवश्यकतओ के अधीन निधियो कें विरूद्ध ऋण दे सकता है ” पढा जाता था ।

18 एफईएमए अधिसूचना सं. 5(आर) 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 द्वारा एपी (डीआरआर) श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16[(1)/5(आर)] दिनांक 05 मई, 2016 द्वारा जोड़ा गया ।

19 एफ ईएमए अधिसूचना सं. 5(आर) 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 द्वारा एपी (डीआरआर) श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16[(1)/5(आर)] दिनांक 05 मई, 2016 द्वारा जोड़ा गया ।

20 एफईएमए अधिसूचना सं. 5(आर) 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 द्वारा एपी (डीआरआर) श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16[(1)/5(आर)] दिनांक 05 मई, 2016 द्वारा जोड़ा गया ।

21 एफईएम (आस्तियों का विप्रेषण) विनियम, 2000 हटा दिया गया है और उसका स्थान एफईएमए अधिसूचना सं. 13 (आर)/ 2016 –आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा एफ ई एम (अस्तियों का विप्रेषण) विनियम, 2016 ने ले लिया है ।

22 एफ ई एम ए अधिसूचना सं. 5/(आर)/2016- आर बी दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा ए पी (डी आई आर श्रृंखला) परिपत्र सं.67/2015-16 [(1)/5(आर)] दिनाँक 05 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया । इससे पहले यह “7 विशेष अनिवासी रूपया खाता – एसएनआरआर खाता पढा जाता था ।

7.1 पंजीकृत आरएफपीआई निवेशक समय-समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण या निर्गम ) विनियम, 2000 दिनांक 03 मई, 2000 के अनुसार योजना के अधीन प्रतिभूतियो के क्रय और विक्रय के संबंध में प्राप्तियों और भुगतान के लिए भारत में एडी के साथ एसएनआरआर खाता खोल सकता है ।

7.2 खाते में अनुमत क्रेडिट है : क) आवक विप्रेषण ; ख) विक्रय प्राप्तियां (कर के बाद भारत में प्रतिभूतियों की विक्रय प्राप्तियां); ग) आरएफपीआई के विदेशी मुद्रा खाते में से अंतरण।

7.3 अनुमत डेबिट है ; क) भारत में प्रतिभूतियों का क्रय ; ख) आर एफ पी आई के विदेशी मुद्रा खाते में अंतरण

23 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) आरबी 2016 – के द्वारा एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं.67/2015-16 [(1)/5(आर)] दिनांक 05 मई 2016 से जोड़ा गया । इससे पहले उपबंध अनुसूची 8 में विनिर्दिष्ट थे।

24 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 के द्वारा एफईएम (जमा) विनियम, 2000 निरस्त और उसका स्थान एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 – आर बी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 ने ले लिया।

25 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 के द्वारा एफईएम (जमा) विनियम, 2000 निरस्त और उसका स्थान एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 – आर बी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 ने ले लिया।

26 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) / 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल, 2016 के द्वारा एपी (डीआईआर श्रृंखला ) परिपत्र सं. 67/2015 – 16/(1)/5 (आर) दिनांक 05 मई से जोड़ा गया ) पहले यह अधिसूचना सं. एफईएमए 5/2000 – आर बी दिनांक 03 मई 2000 के विनियम 8 का उप – विनियम (2) पढा जाता था ।

27 एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 53 दिनांक 13 अप्रैल 2016 द्वारा जोड़ा गया । तदनुसार, वर्तमान पैरा 11, 12 और 13 को क्रमश: नई संख्या 12, 13 और 14 दी गई है।

28एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67/2015-16 / (1) / 5 (आर) दिनांक 05 मई, 2016 द्वारा जोड़ा ग़या ।

29 एफईएमए अधिसूचना सं. 5 (आर) 2016 – आरबी दिनांक 01 अप्रैल 2016 द्वारा एपी (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र सं. 67 / 2015 – 16/[ (1)/ 5 (आ)]र दिनांक 05 मई 2016 द्वारा जोड़ा गया।

30 जीएसआर 96 (ई) दिनांक 21 जनवरी 2016 के द्वारा भारत के राजपत्र में जारी

31 जीएसआर 389 (ई) दिनांक 01 अप्रैल 2016 के द्वारा भारत के राजपत्र में जारी

32 जीएसआर 570 (ई) दिनांक 01 जून 2016 के द्वारा भारत के राजपत्र में जारी


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