भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001
अधिसूचना सं. फेमा.23(आर)/2015-आरबी
12 जनवरी 2016
विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2015
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 7 की उप-धारा (1) के खंड (ए), उप-धारा (3), धारा 47 की उप-धारा (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, तथा समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.23/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक, भारत से माल और सेवाओं के निर्यात के संबंध में निम्नलिखित विनियम निर्मित करता है, अर्थात:-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-
(i) इन विनियमों को विदेशी मुद्रा प्रबंध (माल और सेवाओं का निर्यात) विनियमावली, 2015 कहा जाएगा।
(ii) वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे ।
2. परिभाषाएं :-
इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो –
i) ‘अधिनियम’ से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है;
ii) ‘प्रधिकृत व्यापारी’ से उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रधिकृत व्यापारी के रूप में प्राधिकृत व्यक्ति अभिप्रेत है, जिसमें आढ़तिये (फैक्टर) के रूप में कारोबार करने वाला और उक्त धारा 10 के अंतर्गत इस रूप में प्रधिकृत व्यक्ति शमिल हैं;
iii) ‘एक्जि़म बैंक’ से भारतीय निर्यात-आयात बैंक अधिनियम, 1981 (1981 का 28) के अंतर्गत स्थापित निर्यात-आयात बैंक अभिप्रेत है;
iv) ‘निर्यात’ में परेषण पर या बिक्री, पट्टे, किराया-खरीद के द्वारा या किसी भी नाम से उल्लिखित किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत भूमि, समुद्र या वायु मार्ग से माल देश से बाहर ले जाना या भेजना और सॉफ्टवेयर के मामले में किसी इलेक्ट्रानिक माध्यम से संचारण भी शमिल है ;
v) पट्टे या किराया-खरीद द्वारा या ऐसी ही किसी अन्य व्यवस्था के अंतर्गत किए जाने वाले निर्यात के संबंध में ‘निर्यात मूल्य’ में ऐसे पट्टे या किराया-खरीद या ऐसी ही किसी अन्य व्यवस्था के संबंध में देय प्रभार शमिल हैं, चाहे उन्हें किसी भी नाम से अभिहित किया जाता हो ;
vi) ‘फॉर्म’ से इन विनियमों के साथ अनुलग्न फॉर्म अभिप्रेत हैं ;
vii) ‘अनुसूची’ से इन विनियमों के साथ अनुलग्न अनुसूची अभिप्रेत है ;
viii) ‘सॉफ्टवेयर’ से कोई कंप्यूटर प्रोग्राम, डेटाबेस, रेखांकन, डिज़ाइन, श्रव्य-दृश्य संकेतक, किसी भैतिक माध्यम या इससे भिन्न किसी अन्य माध्यम से या कोई अन्य सूचना, चाहे उसे किसी भी नाम से अभिहित किया जाता हो, अभिप्रेत है;
ix) ‘निर्दिष्ट प्राधिकारी’ से वह व्यक्ति या प्राधिकरण अभिप्रेत है जिसे विनियम 3 में निर्दिष्ट घोषणा प्रस्तुत की जानी है;
x) इन विनियमों में प्रयुक्त किंतु परिभाषित न किए गए शब्दों और अभिव्यक्तियों का क्रमशः वही अर्थ होगा जो अधिनियम में निर्दिष्ट है ।
3. निर्यात के संबंध में घोषणा :-
(1) भौतिक या अन्य किसी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, नेपाल और भूटान को छोड़कर, भारत से बाहर किसी स्थान को माल या सॉफ्टवेयर का निर्यात करने वाला हर निर्यातक निर्दिष्ट प्राधिकारी को अनुसूची में निर्धारित फार्मों में से यथा लागू किसी एक फॉर्म में घोषणा और उसके समर्थन में यथा निर्दिष्ट पुष्टिकरण साक्ष्य प्रस्तुत करेगा और जिसमें निम्नलिखित की द्योतक राशि सहित सही और तथ्यपरक महत्वपूर्ण ब्योरा दिया जाना चाहिए -
(i) माल अथवा सॉफ्टवेयर का पूर्ण निर्यात मूल्य; या
(ii) यदि निर्यात के समय पूर्ण निर्यात मूल्य का निश्चय न किया जा सकता हो, तो वह मूल्य जो निर्यातक विदेशी बाजार में माल या सॉफ्टवेयर की बिक्री होने पर बाजार की चालू स्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्राप्त होने की अपेक्षा करता हो, और उक्त घोषणा में स्वीकार करे कि सॉफ्टवेयर या माल का पूर्ण निर्यात मूल्य (निर्यात के समय उसका निश्चय किया जा सकता हो या नहीं) विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर निर्दिष्ट तरीके से अदा कर दिया गया है या कर दिया जाएगा ।
(2) घोषणाएं निर्दिष्ट संख्या में, निर्दिष्ट सेटों में निष्पादित की जाएंगी ।
(3) संदेह के निवारण के लिए, यह स्पष्ट किया जाता है कि सेवाओं के निर्यात के संबंध में चूंकि इन विनियमों में निर्दिष्ट कोई फार्म लागू नहीं होता है, निर्यातक बिना कोई घोषणा प्रस्तुत किए ऐसी सेवाओं का निर्यात कर सकता है, किंतु वह ऐसे निर्यात के फलस्वरूप प्राप्य या उपार्जित होने वाली विदेशी मुद्रा राशि वसूल करने, और उक्त अधिनियम के उपबंधों और उसके तहत निर्मित अन्य नियमों तथा विनियमों के उपबंधों के अंतर्गत भारत में प्रत्यावर्तित करने के लिए उत्तरदायी होगा।
(4) माल/सॉफ्टवेयर के निर्यात के संबंध में किसी तीसरे पक्ष से निर्यात आगम राशि की वसूली के संबंध में निर्यातक द्वारा उचित घोषणा फॉर्म में विधिवत घोषणा की जानी चाहिए।
4. छूट :-
विनियम 3 में उल्लिखित किसी बात के होते हुए भी, निम्नलिखित मामलों में घोषणा प्रस्तुत किए बिना ही माल/सॉफ्टवेयर का निर्यात किया जा सकता है, अर्थात:
ए) निःशुल्क आपूर्त किए जाने वाले माल के व्यापारिक नमूने और प्रचार-सामग्री;
बी) यात्रियों के निजी सामान, चाहे वे उनके साथ हों या अलग से भेजे जाएं ;
सी) केंद्र सरकार या उसके द्वारा इस हेतु नियुक्त अधिकरियों या सेना, नौसेना या वायुसेना की आवश्यकताओं के लिए भारत में सेना, नौसेना या वायुसेना के प्राधिकरियों के आदेश के अंतर्गत आपूर्त किए जाने वाले जहाज के भंडार, पोतांतरण कार्गो और माल ;
डी) उपहार के रूप में माल, जिनके साथ निर्यातक की यह घोषणा संलग्न हो कि उनका मूल्य पाँच लाख रूपये से अधिक नहीं है;
ई) विदेश में ओवरहॉलिंग और/या मरम्मत के लिए वायुयान या वायुयान के इंजन और स्पेयर पार्टस् का निर्यात, बशर्ते ओवरहॉलिंग/मरम्मत के बाद उन्हें उनके निर्यात की तिथि से छह माह की अवधि के भीतर भारत में वापस आयात किया जाए ;
एफ़) पुनर्निर्यात के आधार पर निःशुल्क आयातित माल ;
जी) विशेष आर्थिक क्षेत्रों(SEZ), इलेक्ट्रानिक हार्डवेयर टेक्नालजी पार्कों (EHTP), इलेक्ट्रानिक सॉफ्टवेयर टेक्नालजी पार्कों (ESTP) अथवा मुक्त व्यापार क्षेत्रों (FTZ) के विकास आयुक्त/तों द्वारा पुनर्निर्यात के लिए अनुमत निम्नलिखित माल, अर्थात:
1) दोषपूर्ण पाया गया आयातित माल, जिसे विदेशी आपूर्तिकर्ताओं/सहयोगियों को उसे बदलने के लिए भेजा जाना है;
2) विदेशी आपूर्तिकर्ताओं/सहयोगियों से उधार के रूप में आयातित माल;
3) विदेशी आपूर्तिकर्ताओं/सहयोगियों से निःशुल्क आयातित माल, जो उत्पादन कार्यों (operations) के बाद बेशी (surplus) पाये गए।
(जीए) विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) की इकाइयों द्वारा विकास आयुक्त / संबन्धित सहायक आयुक्त अथवा उपायुक्त, सीमा शुल्क को सूचित करते हुए खंड (i) की मद (1), (2) और (3) में सूचीबद्ध माल का पुनर्निर्यात।
(एच) फिलहाल, प्रचलित एक्ज़िम नीति के प्रावधानों के अनुसार निःशुल्क निर्यातित माल का प्रतिस्थापन।
(आई) परीक्षण के लिए भारत से बाहर भेजा गया माल बशर्ते उसे भारत में पुनः आयात किया जाए ;
(जे) मरम्मत के लिए भारत से बाहर भेजा गया दोषपूर्ण माल तथा उसका पुनः आयात, बशर्ते उसके साथ भारत में प्राधिकृत व्यापारी द्वारा जारी इस आशय का प्रमाणपत्र संलग्न हो कि निर्यातित माल मरम्मत और पुनः आयात के लिए है, और यह कि ऐसे निर्यात में विदेशी मुद्रा का लेनदेन शामिल नहीं है।
(के) आवेदन करने पर रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत निर्यात, बशर्ते अनुमति-पत्र में विनिर्दिष्ट शर्तें, यदि कोई हों, का पालन किया गया हो।
5. आयातक - निर्यातक कोड नंबर का उल्लेख :-
निर्यातक द्वारा विनिर्दिष्ट प्रधिकारी को प्रस्तुत घोषणापत्र की सभी प्रतियों और निर्यातक द्वारा रिज़र्व बैंक अथवा प्रधिकृत व्यापारी के साथ किये जाने वाले सभी पत्राचार में, यथास्थिति, विदेशी व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 (1992 का 22) की धारा 7 के अंतर्गत विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा आबंटित आयातक - निर्यातक कोड नंबर का उल्लेख किया जाएगा।
6. किस प्राधिकारी को घोषणा-पत्र प्रस्तुत किया जाएगा और घोषणा पर किस तरह कार्रवाई की जाएगी
ए. ईडीएफ़ फार्म में घोषणा
1) (i) ईडीएफ फार्म में घोषणा सीमा शुल्क आयुक्त को दो प्रतियों में प्रस्तुत की जाएगी।
(ii) घोषणापत्र का विधिवत सत्यापन करने और अधिप्रमाणित करने के बाद सीमा शुल्क आयुक्त मूल घोषणा पत्र/डेटा रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय को भेजेगा और दूसरी प्रति प्रधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करने के लिए निर्यातक को देगा।
बी. सोफ़्टेक्स फार्म में घोषणा
(i) कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और ऑडियो/वीडियो/टेलीविजन सॉफ्टवेयर के निर्यात के संबंध में सोफ़्टेक्स फार्म में घोषणा भारत स्थित भारतीय सॉफ्टवेयर टेक्नालजी पार्क अथवा मुक्त व्यापार क्षेत्र अथवा विशेष आर्थिक क्षेत्र में स्थित भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नामित अधिकारी को तीन प्रतियों में प्रस्तुत किया जाएगा।
ii) सोफ़्टेक्स फार्म की तीनों प्रतियों को प्रमाणित करने के बाद, उक्त नामित अधिकारी मूल घोषणा पत्र सीधे रिज़र्व बैंक के निकटतम कार्यालय को भेजेगा और दूसरी प्रति निर्यातक को वापस कर देगा। नामित अधिकारी उसकी तीसरी प्रति अपने पास रिकार्ड के लिए रख लेगा ।
सी. प्राधिकृत व्यापारी द्वारा घोषणा पत्र की दूसरी प्रति अपने पास रखना
निर्यात आगम राशि की वसूली होने पर, निर्यात घोषणा फॉर्म अर्थात ईडीएफ़ और साफ़्टेक्स तथा शिपिंग बिल की एक्स्चेंज कंट्रोल प्रतियों की दूसरी प्रतिलिपि प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अपने पास अनुरक्षित रखी जाएगी।
7. घोषणा के समर्थन/की पुष्टि में साक्ष्य
सीमा शुल्क आयुक्त या डाक प्रधिकारी या इलेक्ट्रानिक विभाग का अधिकारी, जिसको घोषणा पत्र प्रस्तुत किया गया है, वह उक्त अधिनियम की धारा 7 और इन विनियमों के विधिवत अनुपालन के संबंध में स्वयं को संतुष्ट करने की दृष्टि से घोषणा के समर्थन/की पुष्टि में ऐसे साक्ष्य की अपेक्षा करेगा, जिससे यह सिद्ध हो कि –
ए) निर्यातक भारत का निवासी व्यक्ति है और उसके कारोबार का स्थान भारत में है;
बी) घोषणा पत्र में उल्लिखित गंतव्य स्थान निर्यातित माल का अंतिम गंतव्य स्थान है;
सी) घोषणा पत्र में उल्लिखित मूल्य निम्नलिखित को दर्शाता है –
-
माल या सॉफ्टवेयर का पूर्ण निर्यात मूल्य; या
-
जहां निर्यात के समय माल या सॉफ्टवेयर का पूर्ण निर्यात मूल्य निश्चित न हो सके, वहां निर्यातक बाजार की वर्तमान स्थिति को देखते हुए विदेशी बाजार में माल की बिक्री से जो मूल्य प्राप्त करने का अनुमान करता हो, उस मूल्य को दर्शाया जाए ।
स्पष्टीकरण
इस विनियम के प्रयोजनार्थ, ‘अंतिम गंतव्य स्थान’ का अभिप्राय किसी देश के उस स्थान से है, जहां निर्याति माल अंततः आयात के रूप में पहुंचता है और उस देश के सीमा-शुल्क प्राधिकारी के मार्फत उसकी निकासी होती है।
8. माल के निर्यात मूल्य के भुगतान का तरीका :-
जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा अन्यथा प्राधिकृत न किया गया हो, निर्यातित माल के संपूर्ण निर्यात मूल्य को दर्शाने वाली राशि का भुगतान प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से, समय-समय पर यथा संशोधित, विदेशी मुद्रा प्रबंध (प्राप्ति और भुगतान का तरीका) विनियमावली, 2000 में यथा विनिर्दिष्ट रीति से किया जाएगा ।
स्पष्टीकरण
निर्यात मूल्य की वसूली हेतु विनिर्दिष्ट अवधि में भारत में पुन: आयात होने पर, विनियम 3 के अंतर्गत निर्यातित माल की वसूली के बाबत की गई घोषणा के अनुसार की गई वसूली इस विनियम के प्रयोजनार्थ पूर्ण निर्यात मूल्य की वसूली समझी जाएगी।
9. अवधि जिसके भीतर माल/सॉफ्टवेयर के निर्यात मूल्य की वसूली की जाएगी:-
(1) निर्यातित माल/सॉफ्टवेयर/सेवाओं के पूर्ण निर्यात मूल्य को दर्शाने वाली राशि वसूल कर के निर्यात की तारीख से नौ महीने के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित की जाएगी, बशर्ते कि
(ए) जहां माल का निर्यात रिज़र्व बैंक की अनुमति से भारत के बाहर स्थित किसी गोदाम को किया जाता है, वहाँ निर्यातित माल के पूर्ण निर्यात मूल्य की राशि का भुगतान, जैसे ही उसकी वसूली हो या हर हाल में माल के लदान की तिथि से पंद्रह महीने के भीतर प्रधिकृत व्यापारी को किया जाएगा;
(बी) रिज़र्व बैंक, या इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी, पर्याप्त और उचित कारण दर्शाने पर, यथस्थिति, 9 महीने अथवा 15 महीने की उक्त अवधि को बढ़ा सकता है।
(2)(ए) जहां माल/सॉफ्टवेयर का निर्माण/सेवाओं का सृजन प्रचलित विदेश व्यापार नीति में यथापरिभाषित विशेष आर्थिक क्षेत्र/स्टेटस होल्डर एक्स्पोर्टर/निर्यात उन्मुख इकाइयों तथा इलेक्ट्रानिक हार्डवेर टेक्नालजी पार्कों, सॉफ्टवेयर टेक्नालजी पार्कों, बायो टेक्नालजी पार्कों में हुआ हो उनके निर्यात के मामले में उपर्युक्त उप-विनियम (1) में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी माल अथवा सॉफ्टवेयर के पूर्ण मूल्य को दर्शाने वाली राशि उसके निर्यात की तारीख से नौ महीने के भीतर भारत में प्रत्यावर्तित की जाएगी ।
बशर्ते यह भी कि रिज़र्व बैंक, या इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अधीन, कोई प्राधिकृत व्यापारी, पर्याप्त और उचित कारण दर्शाने पर इस नौ महीने की अवधि को बढ़ा सकता है।
(बी) उचित और पर्याप्त कारणों के होने पर रिज़र्व बैंक किसी निर्यातक/निर्यातकों को उप-विनियम (2) के विनियमन से छूट दे सकता है;
बशर्ते यह कि ऐसा निर्देश तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि ऐसी यूनिट को इस बाबत अभिवेदन करने के लिए उचित अवसर न दे दिया गया हो।
(सी) ऐसे निर्देश दिये जाने पर, ऐसा निर्यातक रिज़र्व बैंक द्वारा अन्यथा निदेश न दिये जाने तक उपविनियम (1) द्वारा विनियमित होता रहेगा।
स्पष्टीकरण
इस विनियम के प्रयोजन के लिए, वस्तु से इतर रूप में सॉफ्टवेयर के निर्यात के संबंध में ‘निर्यात की तारीख’ ऐसे निर्यात के बीजक (इन्वाइस) की तारीख मानी जायेगी ।
10. निर्यात दस्तावेज़ों की प्रस्तुति:-
निर्यात की तारीख अथवा सॉफ़्टेक्स फॉर्म के प्रमाणन की तारीख से 21 दिन की निर्दिष्ट अवधि में निर्यात संबंधी दस्तावेज़ संबंधित घोषणा फॉर्म में उल्लिखित प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत किए जाएंगे;
बशर्तें कि समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अधीन, प्राधिकृत व्यापारी 21 दिन की निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति के बाद भी निर्यात संबंधी दस्तावेज, निर्यातक के नियंत्रण से परे कारण/णों को मद्देनजर रखते हुए स्वीकार कर सकता है।
11. प्रलेखों का हस्तांतरण
विनियम 3 पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्राधिकृत व्यापारी निर्यातों से संबंधित बीजक (इन्वाइस) तथा विनिमय पत्र सहित पोतलदान प्रलेखों को बेचान अथवा वसूली के लिए अपने ग्राहक (विनियम 3 के अनुसार घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति नहीं) से स्वीकार कर सकता है:
बशर्ते कि बेचान या वसूली के लिए ऐसे प्रलेखों को स्वीकार करने से पूर्व, प्राधिकृत व्यापारी यह अपेक्षा करेगा कि –
(ए) जहां घोषणापत्र में घोषित मूल्य तथा बेचान किये जा रहे अथवा वसूली के लिए भेजे जा रहे प्रलेखों में दर्शाये गये मूल्य में अंतर न हो, अथवा
बी) जहां घोषणापत्र में घोषित मूल्य, बेचान किये जा रहे अथवा वसूली के लिए भेजे जा रहे प्रलेखों में दर्शाये गये मूल्य से कम हो, वहां संबंधित ग्राहक भी ऐसी घोषणा पर हस्ताक्षर करेगा और इसके पश्चात उक्त ग्राहक इस बात से प्रतिबद्ध होगा कि वह अपेक्षित मांग की पूर्ति करे और घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाला ऐसा ग्राहक, इन विनियमों के प्रयोजन के लिए निर्यातक समझा जाएगा जिसकी सीमा, बेचान किये गये अथवा वसूली के लिए भेजे गये प्रलेखों में दर्शाये पूर्ण मूल्य तक होगी और तदनुसार इन विनियमों द्वारा नियंत्रित होगी ।
12. निर्यात के लिए भुगतान
किसी माल या सॉफ्टवेयर के निर्यात के संबंध में, जिसके लिए विनियम 3 के अंतर्गत घोषणा प्रस्तुत करने की अपेक्षा की जाती है, कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक अथवा रिज़र्व बैंक के निदेशों के तहत किसी प्राधिकृत व्यापारी द्वारा दी गई अनुमति के बिना ऐसा कोई काम नहीं करेगा अथवा काम करने से बचेगा (refrain) अथवा कोई कार्रवाई नहीं करेगा या कार्रवाई करने से बचेगा जिसमें -
i) माल या सॉफ्टवेयर के लिए भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से न होकर किसी अन्य तरीके से किया गया है; अथवा
ii) इन विनियमों के अंतर्गत विनिर्दिष्ट अवधि के बाद विलंब से भुगतान किया गया हो; अथवा
iii) निर्यातित माल या सॉफ्टवेयर की बिक्री से प्राप्त राशि रिज़र्व बैंक अथवा रिज़र्व बैंक के निर्देशों के अधीन किसी प्राधिकृत व्यापारी की अनुमति से की गई कटौती, यदि कोई हो, करने के बाद माल या सॉफ्टवेयर के पूर्ण निर्यात मूल्य को इंगित नहीं करती।
बशर्ते इन प्रावधानों के उल्लंघन के संबंध में तब तक कोई कार्रवाई आरंभ नहीं की जाएगी जब तक कि विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त नहीं हो जाती और सॉफ्टवेयर या माल के निर्यात के पूर्ण मूल्य अथवा खण्ड (iii) के अंतर्गत अनुमत कटौतियों के बाद, मूल्य का भुगतान विनिर्दिष्ट तरीके से नहीं कर दिया जाता ।
iv) ऐसी सेवाओं का निर्यात जिनके संबंध में इन विनियमों में विनिर्दिष्ट कोई फॉर्म लागू नहीं होता है, निर्यातक बिना किसी घोषणा के ऐसी सेवाओं का निर्यात कर सकता है, व उपर्युक्त मद (i), (ii) और (iii) लागू नहीं होंगी ।
13. कतिपय निर्यात जिनके लिए पूर्व अनुमोदन अपेक्षित है:- व्यापार करार, रुपया ऋण आदि व्यवस्था के अंतर्गत निर्यात :
(i) केंद्र सरकार और किसी विदेशी सरकार के बीच हुई विशेष व्यवस्था, अथवा केंद्र सरकार द्वारा किसी अन्य देश की सरकार को रुपया ऋण सहायता के अंतर्गत किए गए माल के निर्यात भारतीय व्यापार नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा जारी सार्वजनिक सूचनाओं में विनिर्दिष्ट शर्तों और समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार नियंत्रित होंगे ।
(ii) भारत से निर्यात के वित्त पोषण के लिए निर्यात-आयात बैंक द्वारा किसी अन्य देश के बैंक अथवा कार्यरत वित्तीय संस्था को दी गई ऋण सुविधा के अंतर्गत किए गए निर्यात रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर प्राधिकृत व्यापारियों को सूचित की गई शर्तों के अनुसार विनियमित होंगे।
14. भुगतान की प्राप्ति में विलंब
जहां माल या सॉफ्टवेयर के निर्यात संबंधी मामले में, जिसे विनिर्दिष्ट फार्म में घोषित किया जाना अपेक्षित है तथा सेवाओं के निर्यात जिनके संबंध में कोई घोषणापत्र लागू नहीं है, विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त हो गयी हो और इसके लिए यथोक्त भुगतान भी न हुआ हो, तो रिज़र्व बैंक ऐसे किसी भी व्यक्ति को, जिसने माल या सॉफ्टवेयर बेचा हो या जो माल या सॉफ्टवेयर को बेचने का हक़ रखता हो अथवा इसके लिए बिक्री का प्रबंध किया हो, उसे निम्नलिखित को प्राप्त करने हेतु यथापेक्षित निर्देश दे सकता है,
(ए) यदि माल अथवा सॉफ्टवेयर बेचा जा चुका हो, तो उसके भुगतान के लिए, और
(बी) यदि माल अथवा सॉफ्टवेयर न बिका हो तो उसे विनिर्दिष्ट अवधि में बेच कर भुगतान लाने अथवा परिस्थितियां यदि अनुमत करती हों तो (विनिर्दिष्ट अवधि में) भारत में उन्हें पुनः आयात करने के लिए;
बशर्तें रिज़र्व बैंक द्वारा निदेश दिये जाने में किसी चूक का प्रभाव यह नहीं होगा कि उल्लंघन करने वाला व्यक्ति उसके परिणाम से बच जाये।
15. निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान
(1) जहां कोई निर्यातक भारत के बाहर किसी क्रेता से अग्रिम भुगतान (ब्याज के साथ या इसके बिना) प्राप्त करता है, निर्यातक का दयित्व होगा कि वह यह सुनिश्चित करे कि -
i) माल का पोतलदान (shipment) अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष के भीतर किया जाए ;
ii) अग्रिम भुगतान पर देय ब्याज की दर, यदि कोई हो, तो वह लंदन इंटर बैंक ऑफर्ड रेट (LIBOR) + 100 आधार पॉइंट्स से अधिक न हो; और
iii) पोतलदान संबंधी प्रलेख उस प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से जाने चहिए जिसके जरिये अग्रिम का भुगतान प्राप्त किया गया है;
बशर्ते कि निर्यातक की इस असमर्थता की स्थिति में कि वह अग्रिम भुगतान की प्रप्ति की तिथि से एक वर्ष के अंतर्गत अंशतः अथवा पूर्णतः पोतलदान नहीं कर पाता है, अग्रिम भुगतान के अप्रयुक्त अंश की वापसी या ब्याज के भुगतान के लिए कोई विप्रेषण, एक वर्ष की उक्त अवधि की समाप्ति के बाद, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना नहीं किया जाएगा ।
(2) उप-विनियम (1) के खण्ड (i) में निहित किसी बात के होते हुए भी, जहां निर्यात करार में विधिवत यह प्रावधान है कि अग्रिम भुगतान की प्राप्ति की तिथि से एक वर्ष की अवधि से ऊपर माल का पोतलदान किया जा सकता है।
16. कतिपय मामलों में रिज़र्व बैंक द्वारा निर्देश जारी करना:-
(1) माल या सॉफ्टवेयर के निर्यात संबंधी विनियम 3 के प्रावधानों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, जिसे घोषित किया जाना आवश्यक है, रिज़र्व बैंक यह सुनिश्चित करने के प्रयोजन से कि माल का पूर्ण निर्यात मूल्य या, जैसा भी मामला हो, निर्यातक विद्यमान बाजार की दशा को देखते हुए कि विदेशी (ओवरसीज़) बाजार में उस माल या सॉफ्टवेयर की बिक्री का आशान्वित मूल्य सही समय पर और बिना विलंब के प्राप्त हुआ हो, सामान्य या विशेष आदेश के द्वारा, समय-समय पर, माल या सॉफ्टवेयर के किसी भी गंतव्य स्थान के लिए निर्यात के संबंध में या किसी भी श्रेणी के निर्यात लेनदेन या किसी श्रेणी के माल या सॉफ्टवेयर या निर्यातकों की श्रेणी के लिए, निर्देश दे सकता है कि निर्यात से पहले निर्यातक आदेश में दी गई शर्तों को पूरा करे, अर्थात;
ए) माल या सॉफ्टवेयर का भुगतान अविकल्पी साख पत्र या आदेश में विनिर्दिष्ट अन्य व्यवस्था या प्रलेख द्वारा सुरक्षित है ;
बी) विनिर्दिष्ट प्राधिकारी को प्रस्तुत की जाने वाली कोई घोषणा, प्राधिकृत व्यापारी को पूर्वानुमोदन के लिए भेजी जाएगी, ऐसा अनुमोदन परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए दिया जा सकता है या रोके रखा जा सकता है अथवा ऐसी शर्तो के अधीन दिया जा सकता है जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट की गई हों।
सी) विनिर्दिष्ट प्राधिकरण को प्रस्तुत की जाने वाली घोषणा की एक प्रति, यह प्रमाणित करने के लिए कि घोषणा में विनिर्दिष्ट वस्तुओं अथवा सॉफ्टवेयर का मूल्य उनके उचित मूल्य को दर्शाता है, ऐसे प्राधिकरण अथवा संगठन को प्रस्तुत किया जायेगा जैसा कि आदेश में बताया गया है।
2) जब तक निर्यातक को मामले के संबंध में प्रतिवेदन करने का उचित अवसर नहीं दे दिया जाता है तब तक रिज़र्व बैंक उप विनियम (1) के अंतर्गत कोई निदेश नहीं देगा तथा उस उपविनियम के खंड (बी) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी किसी अनुमोदन को नहीं रोकेगा ।
17. परियोजना निर्यात
(1) जहां माल अथवा सेवाओं का निर्यात आस्थगित भुगतान की शर्तों पर अथवा किसी टर्न-की परियोजना के कार्यान्वयन अथवा सिविल निर्माण ठेके पर किया जाना प्रस्तावित है, वहां निर्यातक ऐसी कोई निर्यात व्यवस्था करने से पहले अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा, जो समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार प्रस्ताव पर विचार करेगा ।
(2) यदि post-award approval से पहले गारंटी देने की अपेक्षा हो तो किसी प्राधिकृत व्यापारी बैंक अथवा भारत में किसी निर्यातक कंपनी के निवासी व्यक्ति द्वारा भारत से बाहर परियोजना के निष्पादन के लिए भारत से बाहर के किसी बैंक अथवा किसी वित्तीय संस्था से निधि आधारित अथवा गैर निधि आधारित क्रेडिट सुविधाएं लेने के लिए ऐसी परियोजना के लिए गारंटी दी जा सकती है, बशर्ते कि संविदा / ठेका पत्र में विनिर्दिष्ट शर्तों में ऐसी अपेक्षा की गई हो ।
इस विनियम के प्रयोजन के लिए ‘अनुमोदनकर्ता प्राधिकरण’ से निर्यात-आयात बैंक (Exim Bank of India) अथवा प्रधिकृत व्यापारी अभिप्रेत है ।
(बी.पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
अनुसूची
(विनियम 3 के संदर्भ में)
फार्म ईडीएफ: |
ईडीआई रहित बन्दरगाहों से किए जाने वाले निर्यात के मामलों में ईडीएफ़ फॉर्म दो प्रतियों में भरा जाए । |
फार्म सॉफ़्टेक्स: |
वस्तु रूप यथा मैगनेटिक टेपों / डिस्कों और पेपर मिडिया से इतर सॉफ्टवेयर के निर्यात की घोषणा के लिए तीन प्रतियों में भरें । |
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