रिज़र्व बैंक ने भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों और शोध संस्थाओं में आरबीआई पेशेवर पीठ (प्रोफेसनल चेयर्स) स्थापित किए हैं जिसका प्रमुख उद्देश्य बैंक के कार्य से संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान व ज्ञानार्जन में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। योजना के अंतर्गत संबंधित विश्वविद्यालय/शोध संस्था में बैंक कानूनन लागू करार के साथ एक आधारभूत निधि (कॉर्पस फ़ंड) तैयार करता है। आरबीआई पीठों की स्थापना के लिए संबंधित संस्थाओं के साथ बैंक द्वारा हस्ताक्षरित करार से उस संस्था/पीठ प्रोफेसरों को दैनिक कार्य में स्वायत्तता मिलती है। संबंधित संस्था को उस कॉर्पस फ़ंड के लिए एक अलग खाता (अकाउंट) मेंटेन करना होगा तथा करार के दिशा निर्दशों के अनुसार उसके द्वारा मैनेज की जा रही आधारभूत निधि की राशि के निवेश के लिए एक निवेश समिति बनानी होगी। आधारभूत निधि (कॉर्पस फ़ंड) के ब्याज से होने वाली आय को अनुसंधान व शिक्षण की गतिविधियों में लगाना होगा न कि बुनियादी व्यवस्थाओं (इन्फ़्रास्ट्रक्चर) के विकास के लिए। संबंधित संस्था को कॉर्पस फ़ंड के आय व व्यय का विवरण देते हुए एक लेखापरीक्षित ‘उपयोग प्रमाणपत्र’ जमा करना होगा।
आरबीआई पेशेवर पीठ (प्रोफेशनल चेयर) की मंजूरी के मानदंड मोटे तौर पर इस प्रकार हैं:
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विश्वविद्यालय/शोध संस्था में उपलब्ध विशेषज्ञता का विषय क्षेत्र बैंक की रुचि/काम का होना चाहिए;
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विश्वविद्यालय/शोध संस्था प्रतिष्ठित हो और उसके पास अकादमिक शोध व प्रकाशन का अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड हो;
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विश्वविद्यालय / शोध संस्था में शोध छात्रों के प्रशिक्षण के लिए सुविधाएं होनी चाहिए; तथा
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विश्वविद्यालय/शोध संस्था आवश्यक बुनियादी व्यवस्थाएं देने में सक्षम हो।
नियमित पीठ (चेयर) प्रोफेसर्स अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्रों में, देश में छात्रों को पढ़ाकर ज्ञान प्रदान करने के अलावा, शोध आलेख, वर्किंग रिसर्च पेपर्स और पुस्तकों के रूप में प्रकाशित शोध कार्यों, सरकार / सार्वजनिक क्षेत्र के निकायों के लिए परियोजना रिपोर्ट तैयार करने व सम्मेलनों के आयोजन द्वारा अनुसंधान व नीति निर्माण में योगदान देते रहे हैं।
रिज़र्व बैंक अलाभार्थ पेशेवर समाजों (सोसायटियों) / अनुसंधान संघों को अर्थशास्त्र, अर्थमिति और संबंधित विषयों पर पत्रिकाओं के प्रकाशन में आने वाली लागत का एक अंश देकर वित्तीय सहायता प्रदान करता है। जनसांख्यिकी, कृषि अर्थशास्त्र, कृषि विपणन, स्वास्थ्य अर्थशास्त्र, अर्थमिति, विकास अर्थशास्त्र, मौद्रिक अर्थशास्त्र आदि जैसे विविध क्षेत्रों में प्रकाशनों के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती है।
आवेदन जमा करना
कोई भी अलाभार्थ शैक्षणिक / शोध संस्था प्रकाशन हेतु वित्तीय अनुदान के लिए एक वित्तीय वर्ष में केवल एक बार बैंक को आवेदन करने का पात्र है।
आवेदन में प्रस्तुत किए जाने वाले विवरण
अनुसंधान पत्रिकाओं के प्रकाशन के लिए धन का आवेदन करने वाले संस्थान बैंक को जाँच के लिए निम्नलिखित विवरण दें:
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संस्था का नाम
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अलाभार्थ संस्था है या नहीं
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पत्रिका (जर्नल) का नाम
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प्रकाशन का दिनांक
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सह-प्रायोजकों की सूची
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प्रकाशन के लिए सटीक बजट अनुमान (विभिन्न प्रमुख शीर्षों, और अन्य प्रायोजकों द्वारा वचनबद्ध राशि का विवरण देते हुए)।
सह प्रायोजक के बारे में
चूँकि बैंक जाँच के बाद प्रकाशन की लागत का केवल एक अंश ही देता है, किन्हीं सह-प्रायोजकों या प्रकाशक द्वारा अपने स्रोतों से पैसा खर्च करने की प्रतिबद्धता या संकेत के बिना किसी भी आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।
अनुपालन
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संस्था को उक्त प्रकाशन जारी होने की तारीख से एक महीने के भीतर इसकी दो प्रतियों के साथ किसी चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा जारी किया गया उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना आवश्यक है।
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अनुपालन न होने पर, बैंक को भविष्य के अनुरोधों को अस्वीकार करने का अधिकार है।
रिज़र्व बैंक पेशेवर निकायों/ शोध संगठन और विश्वविद्यालयों/ शोध संस्थाओं को भी बैंक के लिए प्रासंगिक क्षेत्रों में सम्मेलनों/ सेमिनारों/ कार्यशालाओं (एतदोपरांत कार्यक्रम/ इवेंट)के लिए वित्तीय सहायता देता है।
सांकेतिक दिशानिर्देश
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कोई भी अकादमिक शोध संस्था अनुदान के लिए एक वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में केवल एक बार बैंक को आवेदन प्रस्तुत करने के लिए पात्र है।
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सभी अनुरोध कार्यक्रम/ इवेंट के कम-से-कम दो महीने पहले प्रस्तुत किए जाएं।
आवेदन में प्रस्तुत किए जाने वाले विवरण
बैंक अनुदान पर विचार के लिए संस्था से निम्नलिखित जानकारी माँग सकता है:
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सेमिनार/ कार्यशाला/सम्मेलन का आयोजन करने वाली संस्था का नाम।
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कार्यक्रम (इवेंट) का नाम।
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प्रस्तावित कार्यक्रम के विषय व उद्देश्य।
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आमंत्रितों/ विशेषज्ञों/ पैनलिस्टों की प्रत्याशित संख्या।
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कार्यक्रम की तिथि/ अवधि।
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कार्यक्रम (इवेंट) का स्थान (वेन्यू)।
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सह-प्रायोजकों की सूची।
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कार्यक्रम के लिए विस्तृत बजट अनुमान (विभिन्न प्रमुख शीर्षों, और अन्य प्रायोजकों द्वारा वचनबद्ध |