भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई-400 001
अधिसूचना सं.फेमा.11(आर)/2015-आरबी
29 दिसंबर 2015 विदेशी मुद्रा प्रबंध {विदेशी करेंसी का धारण (possession) और प्रतिधारण (retention)} विनियमावली, 2015
विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम,1999 (1999 का 42) की धारा 9 के खंड (ए) एवं खंड (ई) और धारा 47 की उप-धारा (2) के खंड (जी) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, तथा समय-समय पर यथा संशोधित 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.11/2000-आरबी को अधिक्रमित करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक निम्नलिखित विनियम निर्मित करता है, अर्थात:-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ :-
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ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध {विदेशी करेंसी का धारण (possession) और प्रतिधारण (retention)} विनियमावली, 2015 कहलाएंगे।
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वे सरकारी राजपत्र में उनके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।
2. परिभाषाएँ
इस विनियमावली में जब तक कि प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो –
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'अधिनियम' का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) से है ;
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'धारण करने' (to possess) और 'प्रतिधारण करने' (to retain) का तात्पर्य भौतिक रूप में 'धारण' करने और 'प्रतिधारण' करने से है तथा धारण अथवा प्रतिधारण के आशय को तदनुसार समझा जाएगा।
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इन विनियमों में प्रयुक्त शब्दों एवं अभिव्यक्तियों, किन्तु जिन्हें यहां परिभाषित नहीं किया गया है, के क्रमशः वही अर्थ होंगे जो उक्त अधिनियम में दिये गए हैं।
3. विदेशी करेंसी अथवा विदेशी सिक्के धारण करने और प्रतिधारण करने के लिए सीमाएं :-
उक्त अधिनियम की धारा 9 के खंड (ए) और खंड (ई) के प्रयोजन के लिए, रिज़र्व बैंक विदेशी करेंसी अथवा विदेशी सिक्कों के धारण और प्रतिधारण के लिए निम्नलिखित सीमाएं विनिर्दिष्ट करता है, अर्थात:-
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किसी प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा उसके प्राधिकार के अंतर्गत विदेशी करेंसी और सिक्कों का बिना किसी सीमा के धारण करना ;
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किसी व्यक्ति द्वारा बिना किसी सीमा के सिक्कों का धारण करना;
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भारत में निवासी कोई व्यक्ति विदेशी करेंसी नोटों, बैंक नोटों और विदेशी करेंसी यात्री चेकों को समग्र रूप में 2000 अमेरिकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अनधिक सीमा तक प्रतिधारित (retain) कर सकता है, बशर्ते ऐसी विदेशी मुद्रा निम्नवत करेंसी नोटों, बैंक नोटों और यात्री चेकों के रूप में;
(ए) भारत से बाहर किसी स्थान के दौरे पर होने के दौरान दी गई सेवाओं के लिए भुगतान के रूप में अर्जित की गई हो, जो भारत में किसी कारोबार अथवा किए गए कार्य से उत्पन्न न हुई हो; अथवा
(बी) ऐसे व्यक्ति से, जो भारत में निवासी न हो और जो भारत में दौरे पर आया हो, मानदेय अथवा उपहार अथवा दी गई सेवाओं अथवा किसी विधि सम्मत दायित्व के निपटान/भुगतान के रूप में अर्जित की गई हो; अथवा
(सी) भारत से बाहर दौरे के दौरान मानदेय अथवा उपहार के रूप में अर्जित की गई हो; अथवा
(डी) विदेश यात्रा के लिए किसी प्राधिकृत व्यापारी से अर्जित विदेशी मुद्रा में से व्यय न हुई राशि के रूप में हो।
4. भारत में निवासी किसी व्यक्ति, किन्तु जो स्थायी निवासी नहीं है, द्वारा विदेशी मुद्रा धारित करना :-
विनियम 3 के खंड (iv) पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारत में निवासी कोई व्यक्ति, किन्तु जो स्थायी निवासी नहीं है, करेंसी नोटों, बैंक नोटों और यात्री चेकों के रूप में विदेशी मुद्रा का धारण कर सकता है, यदि ऐसी विदेशी करेंसी उसके द्वारा भारत से बाहर निवास करने के दौरान अर्जित की गई हो, धारित की गई हो अथवा स्वाधिकृत की गई हो और उक्त अधिनियम के अंतर्गत निर्मित विनियमों के अनुसार भारत में लाई गई हो।
स्पष्टीकरण : इस खंड के प्रयोजन के लिए, 'स्थायी निवासी न होने' का तात्पर्य, भारत में निवासी ऐसे व्यक्ति से है जो विनिर्दिष्ट अवधि (उसकी अवधि चाहे जितनी हो) के लिए रोजगार अथवा किसी विनिर्दिष्ट नौकरी/कार्य (job) अथवा समनुदेशन (assignment) के लिए रहता है, जिसकी अवधि 3 वर्ष से अधिक न हो।
(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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