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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

उदारीकृत विप्रेषण योजना

(06 अप्रैल 2023 को अद्यतन)

भारत में विदेशी मुद्रा लेनदेन को अभिशासित करने से संबंधित विधिक ढांचा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 द्वारा प्रदान गया है, जो दिनांक 1 जून 2000 से लागू हुआ है। फेमा के अंतर्गत विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी लेनदेन को या तो पूंजीगत अथवा चालू खाता लेनदेन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। किसी निवासी द्वारा किए गए सभी लेनदेन जिनमें आकस्मिक देयताओं सहित भारत के बाहर की उसकी आस्तियों/ देयताओं में कोई परिवर्तन नहीं होता है, उन्हें चालू खाता लेनदेन कहते हैं।

फेमा की धारा-5 के अनुसार भारत में निवासी व्यक्तिi केंद्र सरकार द्वारा जिन लेनदेनों के लिए विदेशी मुद्रा का आहरण प्रतिबंधित किया गया है, जैसे- लॉटरी से जीती हुई राशि का विप्रेषण; रेसिंग/ राइडिंग आदि अथवा अन्य किसी हॉबी से अर्जित की गई आय का विप्रेषण; लॉटरी की टिकिटें, प्रतिषिद्ध/निषिद्ध पत्रिकाएँ, फूटबाल पूल्स, स्वीप-स्टेक्स आदि को खरीदने के लिए विप्रेषण; किसी ऐसी कंपनी द्वारा लाभांश का विप्रेषण जिस पर लाभांश संतुलन (डिविडेंड बैलंसिंग) की अपेक्षा लागू है; चाय तथा तंबाकू के निर्यात के इन्वाइस मूल्य के 10% तक के कमीशन को छोड़कर रूपी स्टेट क्रेडिट रूट के अंतर्गत निर्यात पर कमीशन का भुगतान; भारतीय कंपनियों के विदेशों में संयुक्त उद्यमों/ पूर्ण स्वामित्व की अनुषंगियों में इक्विटि निवेश के लिए किए गए निर्यात पर कमीशन का भुगतान; अनिवासी विशेष रुपया (खाता) योजना में धारित निधियों पर ब्याज से अर्जित आय का विप्रेषण तथा टैलिफोन की “कॉल बॅक” सेवाओं से संबंधित भुगतान, को छोड़कर किसी भी चालू खाता लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा खरीदने अथवा बेचने के लिए स्वतंत्र है।

विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000, दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना [जीएसआर सं. 381(ई)] तथा दिनांक 26 मई 2015 की अधिसूचना जी.एस.आर. 426(ई) में दिए गए अनुसार नियमों की संशोधित अनुसूची-III, सरकारी राजपत्र तथा हमारी वेबसाइट www.rbi.org.in पर उपलब्ध “अन्य विप्रेषण सुविधाएं” विषय पर जारी मास्टर निदेश के अनुबंध में उपलब्ध है।

अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न (एफ़एक्यू) का यह संग्रह इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जानेवाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें।

प्र. 1. 250,000 अमेरिकी डॉलर की उदारीकृत विप्रेषण योजना (योजना) क्या है?
प्र. 2. योजना के तहत प्रतिबंधित मदें कौन सी हैं?
प्र. 3. फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 के अंतर्गत किन प्रयोजनों के लिए कोई निवासी व्यक्ति विदेशी मुद्रा सुविधा का लाभ उठा सकता है?
प्र. 4. क्या इस योजना के तहत निवासी व्यष्टि को, मूल राशि के अतिरिक्त, विदेश में रखी जमाराशियों/ किए गए निवेशों पर हुई आय को प्रत्यावर्तित करना आवश्यक है?
प्र. 5. क्या इस सुविधा के तहत विप्रेषण परिवार के सदस्यों के संबंध में समेकित किये जा सकते हैं?
प्र. 6. क्या प्राधिकृत व्यापारी को लेनदेनों के स्वरूप पर आधारित विप्रेषणों की अनुमति की जाँच करना आवश्यक है अथवा विप्रेषक के घोषणापत्र के आधार पर उसे अनुमति दी जा सकती है?
प्र. 7. क्या इस योजना के अंतर्गत जावक विप्रेषण के लिए निवासी व्यष्टि के पास पैन नंबर होना अनिवार्य है?
प्र. 8. क्या विप्रेषण की बारंबारता (आवृत्ति) पर कोई प्रतिबंध हैं?
प्र. 9. निवासी व्यष्टि (किन्तु जो भारत के स्थायी निवासी नहीं हैं) कर की कटौती के पश्चात निवल वेतन की राशि तक का विप्रेषण कर सकते हैं। तथापि, यदि उसने निवल वेतन विप्रेषण के रूप में 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा समाप्त कर ली है और वह अपनी अन्य किसी आय को एलआरएस के अंतर्गत विप्रेषित करना चाहता है तो क्या ऐसा करना अनुमत है क्योंकि वह 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा से अधिक होगा?
प्र. 10. दिनांक 1 जून 2015 के ए.पी. (डीआईआर सीरीज़) परिपत्र 106 के पैरा 5.4 में कहा गया है कि पूंजी खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण के पूर्व आवेदकों का न्यूनतम एक वर्ष की अवधि के लिए उक्त बैंक में खाता होना चाहिए। क्या यह प्रतिबंध चालू खाता लेनदेन पर भी वैसे ही लागू है?
प्र. 11. क्या पाकिस्तान तथा मॉरीशस में अनुमत चालू खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण करने पर कोई प्रतिबंध है?
प्र. 12. विप्रेषक द्वारा किन बातों का अनुपालन किया जाना आवश्यक है?
प्र. 13. क्या विप्रेषण केवल अमेरिकी डॉलर में ही किए जा सकते हैं?
प्र. 14. क्या ग्राहकों को पारदेशीय निवेश उपलब्ध कराने हेतु मध्यस्थ संस्थाओं को विशिष्ट अनुमोदन लेना अपेक्षित है?
प्र. 15. कोई व्यक्ति ऋण अथवा ईक्विटी लिखतों में निवेश कर सकता है, तो क्या उसके प्रकार/ गुणवत्ता पर कोई प्रतिबंध है?
प्र. 16. क्या एडी बैंक निवासी व्यष्टि को भारतीय रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में ऋण सुविधा (निधि अथवा गैर-निधि आधारित) प्रदान कर सकते हैं?
प्र. 17. एलआरएस के तहत निवासियों के लिए क्या बैंकर भारत में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं?
प्र. 18. क्या भारत में किसी अपतटीय बैंकिंग इकाई (ओबीयू) को इस योजना के तहत निवासियों द्वारा विदेशी मुद्रा खाते खोलने के प्रयोजन से भारत के बाहर के बैंक की शाखा के समान माना जाएगा?
प्र. 19. फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के पैरा-1 में उल्लिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा के आहरण/ विप्रेषण के लिए कौन से दस्तावेज़ आवश्यक हैं?
प्र. 20. क्या निर्वाह (जीविका) के लिए गए विप्रेषण सहित सभी जावक विप्रेषण के मामलों में दस्तावेज़ अर्थात 15 CA, 15CB लेने होंगे?
प्र. 21. क्या किसी एलएलपी द्वारा अपने पार्टनर जोकि संबंधित एलएलपी के लाभ हेतु उच्चतर अध्ययन कर रहें हैं, उनकी शिक्षा हेतु किए गए व्यय को प्रायोजित करने पर किया गया खर्च क्या ऐसे व्यक्तियों (पार्टनर) की व्यक्तिगत एलआरएस सीमा के बाहर होगा?
प्र. 22. एलआरएस के अंतर्गत एकल मालिक द्वारा विप्रेषण संबंधी स्पष्टीकरण
प्र. 23. क्या एलआरएस के अंतर्गत विप्रेषण करने के लिए भारत के बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलने, बनाए रखने तथा धारित करने के लिए पूर्वानुमोदन आवश्यक है?
प्र. 24. व्यष्टि इतर व्यक्तियों के लिए फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के अंतर्गत क्या सुविधाएं हैं?
प्र. 25. क्या कोई निवासी व्यक्ति किसी एनआरआई/ पीआईओ जो कि उस निवासी व्यक्ति का नजदीकी रिश्तेदार है, को रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रोनिक अंतरण के माध्यम से रुपया ऋण दे सकता है?
प्र. 26. क्या कोई निवासी व्यक्ति किसी एनआरआई/ पीआईओ जो कि उस निवासी व्यक्ति का नजदीकी रिश्तेदार है, को रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रोनिक अंतरण के माध्यम से रुपया उपहार दे सकता है?

प्रश्न 1. 250,000 अमेरिकी डॉलर की उदारीकृत विप्रेषण योजना (योजना) क्या है?

उत्तर: उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत, अवयस्क सहित सभी निवासी व्यष्टि को अनुमत चालू तथा पूंजी खाता लेनदेनों के लिए अथवा दोनों के लिये संयुक्त रूप में प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) 250,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि मुक्त रूप से विप्रेषित करने के लिए अनुमति दी गयी है। साथ ही निवासी व्यष्टि केवल 250,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा के भीतर दिनांक 26 मई 2015 के फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के पैरा 1 में उल्लिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

यह योजना दिनांक 4 फरवरी 2004 को 25,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा के साथ प्रारंभ की गयी थी। एलआरएस सीमा को प्रचलित समष्टि तथा व्यष्टि आर्थिक परिस्थितियों के अनुरूप स्तरों में संशोधित किया गया है।

विप्रेषक अवयस्क होने के मामले में एलआरएस घोषणा फॉर्म पर उसके नैसर्गिक अभिभावक के प्रतिहस्ताक्षर होने चाहिए। यह योजना कॉर्पोरेट्स, साझेदारी फ़र्म, हिन्दू अविभक्त परिवार (एचयूएफ़), न्यासों आदि के लिए उपलब्ध नहीं है।

प्रश्न 2. योजना के तहत प्रतिबंधित मदें कौन सी हैं?

उत्तर: इस योजना के तहत निम्नलिखित के लिए विप्रेषण की सुविधा उपलब्ध नहीं है:

(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 की अनुसूची-। के तहत विशेष रूप से निषिद्ध किसी भी प्रयोजन (जैसे लॉटरी टिकट खरीदने/ जुए में दांव लगाने, निषिद्ध पत्रिकाओं की खरीद, आदि) अथवा अनुसूची-॥ के तहत प्रतिबंधित किसी भी मद के लिए विप्रेषण;

(ii) पारदेशीय विनिमय गृहों/ पारदेशीय प्रतिपक्ष को मार्जिन अथवा मार्जिन कॉल के लिए भारत से विप्रेषण;

(iii) पारदेशीय द्वितीयक बाजार में भारतीय कंपनियों द्वारा जारी विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांडों की खरीद के लिए विप्रेषण;

(iv) विदेशों में विदेशी मुद्रा की ट्रेडिंग के लिए विप्रेषण;

(v) पूंजी खाता लेनदेनों के लिए यह योजना उन देशों के लिए उपलब्ध नहीं है जिनकी पहचान वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) ने समय समय पर “असहयोगी देशों एवं क्षेत्राधिकारों” के रूप में की है।

(vi) जिन व्यक्तियों या संस्थाओं की पहचान आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बेहद जोखिम वालों के रूप में की गई हो तथा जिसके बारे में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को अलग से सूचित किया हो उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विप्रेषण भेजने की अनुमति भी नहीं है।

(vii) एक निवासी द्वारा दूसरे निवासी को एलआरएस के तहत विदेश में रखे गए विदेशी मुद्रा खाते में क्रेडिट के लिए विदेशी मुद्रा में उपहार देना।

प्रश्न 3. फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 के अंतर्गत किन प्रयोजनों के लिए कोई निवासी व्यष्टि विदेशी मुद्रा सुविधा का लाभ उठा सकता है?

उत्तर: निवासी व्यष्टि वित्तीय वर्ष आधार पर 250,000 अमेरिकी डॉलर की एलआरएस सीमा के भीतर निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा सुविधा का लाभ ले सकते हैं:

i. किसी भी देश में निजी दौरे के लिए (नेपाल एवं भूटान को छोड़कर)

ii. उपहार/ दान

iii. रोजगार हेतु विदेश जाना

iv. आप्रवासन

v. विदेश में रह रहे नजदीकी रिश्तेदार के निर्वाह (जीविकोपार्जन) के लिए;

vi. कारोबार, अथवा किसी सम्मेलन अथवा विशेषज्ञता वाले प्रशिक्षण में सहभागी होने के लिए विदेश यात्रा करना अथवा विदेश में चिकित्सकीय व्यय अथवा चिकित्सा जांच करवाने का खर्च उठाने हेतु अथवा चिकित्सकीय उपचार अथवा जांच करने के लिए विदेश जाने वाले मरीज़ के सहायक के रूप में उसके साथ विदेश जाना।

vii. विदेश में चिकित्सीय इलाज से संबंधित व्यय

viii. विदेश में अध्ययन

ix. फेमा, 1999 के अंतर्गत चालू खाता की परिभाषा के अंतर्गत न आनेवाले कोई अन्य चालू खाता लेनदेन।

एडी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना ऐसे सभी अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण लेनदेन कर सकते हैं जो फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-I, II, अथवा III यथासंशोधित के अंतर्गत निषिद्ध/ प्रतिबंधित लेनदेन नहीं हैं अथवा फेमा, 1999 में परिभाषित की गई हैं। एडी बैंक को पहले की भांति लेनदेन की सदाशयता से खुद को संतुष्ट करना होगा।

प्रश्न 4. क्या इस योजना के तहत निवासी व्यष्टि को, मूल राशि के अतिरिक्त, विदेश में रखी जमाराशियों/ किए गए निवेशों पर हुई आय को प्रत्यावर्तित करना आवश्यक है?

उत्तर: जिस निवेशक ने एलआरएस के तहत धन प्रेषित किया है, वह योजना के तहत किए गए अपने निवेश से अर्जित आय को बनाए रख सकता है और उसका पुनर्निवेश कर सकता है। हालांकि, प्राप्त की गई /वसूल की गई/ खर्च न हुई/ अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा का जब तक कि पुनर्निवेश नहीं किया जाता है, ऐसी प्राप्ति /वसूली /खरीद / अधिग्रहण की तिथि या उसके भारत लौटने की तारीख, जैसा भी मामला हो, से 180 दिनों की अवधि के भीतर प्रत्यावर्तित करते हुए उसे प्राधिकृत व्यक्ति के पास जमा किया जाएगा।

इसके अलावा, पारदेशीय निवेश नियमावली और विनियमावली, 2022 के तहत किए जाने वाले निवेश के संबंध में किसी भी अतिरिक्त प्रत्यावर्तन अपेक्षा हेतु उपर्युक्त शर्तों का पालन किया जाए।

प्रश्न 5. क्या इस सुविधा के तहत विप्रेषण परिवार के सदस्यों के संबंध में समेकित किये जा सकते हैं?

उत्तर: इस सुविधा के तहत विप्रेषण परिवार के सदस्यों के संबंध में समेकित किये जा सकते हैं बशर्ते परिवार का प्रत्येक सदस्य योजना की शर्ते पूर्ण करता हो। तथापि, यदि वे निवेश पारदेशीय बैंक खाते के सह-स्वामी/ सह- भागीदार नहीं हैं तो परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा बैंक खाता खोलने/ निवेश जैसे पूंजी खाता लेनदेन का समेकन अनुमत नहीं है। भारत के बाहर निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर अचल संपत्ति अधिग्रहित करने के लिए विप्रेषण, रिश्तेदारों के संबंध में समेकित किया जा सकता है, यदि ऐसे रिश्तेदार, भारत में निवासी व्यक्ति हों और वे योजना के नियमों और शर्तों का पालन करते हों।

प्रश्न 6. क्या प्राधिकृत व्यापारी को लेनदेनों के स्वरूप के आधार पर विप्रेषणों की अनुमेयता की जाँच करना आवश्यक है अथवा विप्रेषक के घोषणापत्र के आधार पर उसे अनुमति दी जा सकती है?

उत्तर: विप्रेषक द्वारा फॉर्म ए-2 में की गई घोषणा के अनुसार लेनदेन के स्वरूप के बारे में प्राधिकृत व्यापारी अवगत होगा और तद्पश्चात वह प्रमाणित करेगा कि विप्रेषण रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में, समय-समय पर, जारी अनुदेशों के अनुसार है। तथापि विद्यमान फेमा नियमों/ विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने का अंतिम दायित्व विप्रेषक का होगा।

प्रश्न 7. क्या इस योजना के तहत जावक विप्रेषण भेजने के लिए निवासी व्यष्टि के पास स्थायी खाता संख्या (पैन नंबर) होना अनिवार्य है?

उत्तर: हाँ। निवासी व्यष्टि को उसके द्वारा प्राधिकृत व्यक्तियों के माध्यम से एलआरएस के अंतर्गत किए गए सभी लेनदेन के लिए स्थायी खाता संख्या (पैन नंबर) प्रदान करना अनिवार्य है।

प्रश्न 8. क्या विप्रेषण की बारंबारता पर कोई प्रतिबंध है?

उत्तर: एलआरएस के अंतर्गत किए गए विप्रेषण की बारंबारता पर कोई प्रतिबंध नहीं है। तथापि, किसी वित्तीय वर्ष के दौरान भारत में सभी स्त्रोतों के जरिये खरीदी गयी अथवा विप्रेषित विदेशी मुद्रा की कुल राशि 250,000 अमेरिकी डॉलर की संचयी सीमा के भीतर होनी चाहिए।

किसी वित्तीय वर्ष के दौरान एक बार 250,000 अमेरिकी डॉलर तक की राशि का विप्रेषण किया जाता है तो कोई निवासी व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत अतिरिक्त विप्रेषण करने के लिए पात्र नहीं होगा, फिर चाहे उसने निवेशों से प्राप्त आय को देश में प्रत्यावर्तित क्यों न किया हो।

प्रश्न 9: निवासी व्यष्टि (जो भारत के स्थायी निवासी नहीं हैं) कर की कटौती के बाद निवल वेतन तक विप्रेषण कर सकता है। तथापि, उसने निवल वेतन विप्रेषण के रूप में यदि 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा पूरी कर ली है और वह अन्य किसी आय को एलआरएस के अंतर्गत विप्रेषित करना चाहता है तो क्या ऐसा करना अनुमत है क्योंकि वह 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की सीमा से अधिक होगा।

उत्तर: निवासी व्यष्टि (जो भारत के स्थायी निवासी नहीं हैं) जिसने अपने समग्र उपार्जन तथा वेतन को विप्रेषित किया है और जो “अन्य आय” को अतिरिक्त रूप से विप्रेषित करना चाहता है, वह अपने एडी बैंक के माध्यम से आवश्यक दस्तावेजों के साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के विचारार्थ आवेदन कर सकता है।

प्रश्न 10. दिनांक 1 जून 2015 के एपी डीआईआर परिपत्र सं. 106 के पैरा 5.4 में कहा गया है की पूंजीगत खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण के पूर्व आवेदकों का उक्त बैंक में न्यूनतम एक वर्ष की अवधि के लिए खाता होना चाहिए। क्या यह प्रतिबंध चालू खाता लेनदेन पर भी लागू है?

उत्तर: नहीं। इसके पीछे तर्क यह है कि फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के अंतर्गत चालू खाता लेनदेन जैसेकि निजी तथा कारोबारी दौरे, के लिए 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की एलआरएस सीमा तक विप्रेषण सुविधा है जिसे एफ़एफ़एमसी द्वारा भी प्रदान किया जा सकता है। चूंकि एफ़एफ़एमसी विप्रेषकों के खाते नहीं रख सकते हैं इसलिए ऊपर दिये गए परंतुक (पूर्वोक्त परिपत्र के पैरा 5.4 में उल्लिखित किए गए अनुसार) को पूंजी खाता लेनदेन तक सीमित रखा गया है। तथापि एफ़एफ़एमसी से यह अपेक्षित है कि वे चालू खाता लेनदेन को अनुमति देते समय यह सुनिश्चित करें कि प्रचलित “अपने ग्राहक को जानिए” दिशानिर्देश तथा धन शोधन निवारण नियमावली का अनुपालन किया गया है।

प्रश्न 11. क्या पाकिस्तान तथा मॉरीशस में अनुमत चालू खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण करने पर कोई प्रतिबंध है?

उत्तर: नहीं पाकिस्तान तथा मॉरीशस में चालू खाता लेनदेन के लिए विप्रेषण करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

जिनकी पहचान वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) ने समय-समय पर असहयोगी देशों एवं क्षेत्रों के रूप में की है उन देशों में तथा जिन व्यक्तियों या संस्थाओं की पहचान आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के कारण बेहद जोखिम वालों के रूप में की गई हो तथा जिसके बारे में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को अलग से सूचित किया हो उन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विप्रेषण भेजने की अनुमति भी नहीं है।

प्रश्न 12. विप्रेषक द्वारा किन बातों का अनुपालन किया जाना आवश्यक है?

उत्तर: विप्रेषणकर्ता व्यक्ति को प्राधिकृत व्यापारी की किसी शाखा को नामित करना होगा जिसके जरिये इस योजना के तहत सभी पूंजी खाता विप्रेषण किये जाएंगे। आवेदकों को विप्रेषण करने से पहले बैंक के पास कम-से-कम एक वर्ष की अवधि के लिए बैंक खाते बनाये रखने चाहिए।

अनुमत चालू खाता लेनदेन से संबंधित विप्रेषणों के लिए यदि विप्रेषण करने का इच्छुक आवेदक बैंक का नया ग्राहक है तो प्राधिकृत व्यापारी खाता खोलने, परिचालन करने और उसके अनुरक्षण के बारे में समुचित सावधानी (ड्यू डिलीजेंस) की प्रक्रिया का पालन करे। इसके अतिरिक्त, प्राधिकृत व्यापारी आवेदक से उसके पिछले वर्ष के बैंक विवरण प्राप्त करे ताकि वह निधियों के स्त्रोतों के बारे में अपने आप को संतुष्ट कर सके। यदि इस प्रकार के बैंक विवरण उपलब्ध न हों तो नवीनतम आयकर निर्धारण आदेश अथवा आवेदक द्वारा दाखिल की गई आयकर विवरणी की प्रतिलिपि प्राप्त की जाए। उसे विप्रेषण के प्रयोजन के संबंध में फॉर्म ए-2 प्रस्तुत करना होगा और घोषित करना होगा कि निधियां उसकी स्वयं की है और उनका उपयोग योजना के तहत प्रतिबंधित अथवा विनियमित (रेगुलेटेड) प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा।

प्रश्न 13. क्या विप्रेषण केवल अमेरिकी डॉलर में ही किए जा सकते हैं?

उत्तर: किसी भी मुक्त रूप से परिवर्तनीय विदेशी मुद्रा में विप्रेषण किए जा सकते हैं।

प्रश्न 14. क्या ग्राहकों के लिए पारदेशीय निवेश उपलब्ध कराने हेतु मध्यवर्ती संस्थाओं को विशिष्ट अनुमोदन लेना अपेक्षित है?

उत्तर: बैंकों, जिनमें भारत में वास्तविक परिचालन नहीं रखने वाले बैंक शामिल हैं, को उनकी विदेशी/पारदेशीय शाखाओं हेतु जमाराशियों के लिए अनुरोध करने हेतु अथवा विदेशी म्युच्युअल फंडों अथवा किसी विदेशी वित्तीय सेवा कंपनी के लिए एजेंटों के रूप में कार्य करने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन लेना आवश्यक है।

प्रश्न 15. कोई व्यक्ति ऋण अथवा ईक्विटी लिखतों में निवेश कर सकता है, तो क्या उसके प्रकार/क्वालिटी पर कोई प्रतिबंध है?

उत्तर: 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत कोई व्यक्ति द्वारा किए जानेवाले निवेश कि गुणवत्ता के बारे में कोई रेटिंग अथवा दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं किये गये हैं। तथापि, निवेशकर्ता व्यक्ति को इस योजना के तहत निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय अपेक्षित सावधानी बरतना आवश्यक है और ऐसे निवेश पारदेशीय निवेश नियमावली और विनियमावली, 2022 और उसके तहत जारी किए गए निदेशों के अनुसरण में होने चाहिए।

प्रश्न 16. क्या एडी बैंक निवासी व्यष्टि को भारतीय रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में ऋण सुविधा (निधि अथवा गैर-निधि आधारित) प्रदान कर सकते हैं?

उत्तर: एलआरएस में एडी बाँकों द्वारा उनके निवासी व्यक्ति ग्राहकों को एलआरएस के अंतर्गत पूंजी खाता लेनदेन को सुकर बनाने के लिए निधि अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान करने कि परिकल्पना नहीं की गई है।

तथापि एडी बैंक निवासी योजना के अंतर्गत चालू खाता लेनदेन को सुकर बनाने के लिए व्यक्तियों को निधि अथवा गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं।

प्रश्न 17. क्या बैंकर एलआरएस के तहत निवासियों के लिए भारत में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं?

उत्तर : नहीं।

प्रश्न 18. क्या भारत में किसी अपतटीय बैंकिंग इकाई (ओबीयू) को इस योजना के तहत निवासियों द्वारा विदेशी मुद्रा खाते खोलने के प्रयोजन के लिए भारत के बाहर के बैंक की शाखा के समान समझा जाएगा?

उत्तर : नहीं।

प्रश्न 19. फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के पैरा 1 में उल्लिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा के आहरण/ विप्रेषण के लिए क्या दस्तावेज़ अपेक्षित हैं?

उत्तर: एलआरएस के अंतर्गत सभी लेनदेन के लिए स्थायी खाता संख्या(पैन) अनिवार्य है।

प्रश्न 20: क्या रखरखाव के लिए किए गए विप्रेषण सहित सभी बाहरी विप्रेषण के मामलों में दस्तावेज़ अर्थात 15 CA, 15CB लेने होंगे?

उत्तर: दिनांक 30 जून 2014 के ए. पी. (डीआईआर) परिपत्र सं. 151 के अनुसार अनिवासियों को विप्रेषण की अनुमति देते समय स्रोत पर कर कटौती के संबंध में जिस क्रियाविधि का पालन करना है उस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक फेमा के अंतर्गत कोई अनुदेश जारी नहीं करेगा। एडी बैंकों के लिए कर संबंधी यथालागू क़ानूनों की अपेक्षाओं का अनुपालन करना अनिवार्य होगा।

प्रश्न 21. क्या किसी एलएलपी द्वारा अपने साझेदार जो कि एलएलपी के लाभ हेतु उच्चतर अध्ययन कर रहें हैं, के शिक्षा व्यय को प्रायोजित करने पर किया गया खर्च ऐसे व्यक्तियों (साझेदार) की एलआरएस सीमा के बाहर होगा?

उत्तर: एलएलपी एक निगमित निकाय है और वह अपने साझेदारों से अलग विधिक संस्था है। अतः यदि उक्त एलएलपी उसके लाभ हेतु उच्चतर अध्ययन कर रहें साझेदारों के शिक्षा व्यय का वहन कर रही है तो वह व्यय व्यक्तिगत साझेदारों की एलआरएस सीमा के बाहर होगा और उसे एलएलपी द्वारा किसी सीमा के बिना किए गए अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन समझा जाएगा।

प्रश्न 22. एलआरएस के अंतर्गत एकमात्र मालिक द्वारा विप्रेषण संबंधी स्पष्टीकरण

उत्तर: एकमात्र स्वामित्व वाले कारोबार में व्यक्ति/ मालिक के बीच कोई विधिक अंतर नहीं होता है तथा उसी रूप में कारोबार का मालिक एलआरएस के अंतर्गत अनुमत सीमा तक अमेरिकी डॉलर विप्रेषित कर सकता है। यदि एकल स्वामित्ववाली कोई फ़र्म अपने चालू खाते में डेबिट करते हुए एलआरएस के अंतर्गत धन प्रेषित करना चाहती है तो उसकी व्यतिगत क्षमता में उक्त मालिक की पात्रता को ध्यान में लेना होगा। अतः यदि कोई व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष में अपनी खुद की क्षमता में 250,000 अमेरिकी डॉलर विप्रेषित करता है तो वह एकल स्वामित्व वाले कारोबार के मालिक के रूप में अतिरिक्त 250,000 अमेरिकी डॉलर विप्रेषित नहीं कर सकता क्योंकि वहाँ कोई विधिक अंतर नहीं है।

प्रश्न 23: क्या एलआरएस के अंतर्गत विप्रेषण करने के लिए भारत के बाहर किसी बैंक में विदेशी मुद्रा खाता खोलने, बनाए रखने तथा धारित करने के लिए पूर्वानुमोदन आवश्यक है?

उत्तर: नहीं।

प्रश्न 24: व्यष्टि से भिन्न व्यक्तियों के लिए फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के अंतर्गत क्या सुविधाएं हैं?

उत्तर: व्यष्टि से भिन्न व्यक्तियों के लिए निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध हैं:

ए) पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान किए गए अपने विदेशी मुद्रा उपार्जन के एक प्रतिशत तक अथवा 5,000,000 अमेरिकी डॉलर, इनमें से जो भी कम हो तक की राशि का दान जो निम्नलिखित के लिए हों: (क) प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थाओं में चेयर्स (प्रोफेसरशिप) का सृजन; (ख) शिक्षा संस्थाओं द्वारा प्रवर्तित निधियों (जो कि निवेश निधि नहीं है) में अंशदान; तथा (ग) दानदात्री कंपनी के कार्य क्षेत्र की तकनीकी संस्था अथवा निकाय अथवा संघ में अंशदान।

बी) भारत में आवासीय फ्लॅट अथवा वाणिज्यिक प्लॉट्स बेचने के लिए विदेश में स्थित एजेंट को प्रति लेनदेन 25,000 अमेरिकी डॉलर अथवा आवक विप्रेषण की 5% राशि में से जो भी कम हो, तक का कमीशन।

सी) बुनियादी सुविधाओं संबंधी परियोजनाओं से जुड़ी परमर्शदात्री सेवाओं के लिए प्रति परियोजना 10,000,000 अमेरिकी डॉलर तक तथा भारत के बाहर की अन्य परामर्शदात्री सेवाओं के लिए 1,000,000 प्रति परियोजना तक की राशि के विप्रेषण।

डी) किसी संस्था द्वारा निगमन पूर्व व्यय की प्रतिपूर्ति के रूप में भारत में लाए गए निवेश के पांच प्रतिशत के अथवा 100,000 अमेरिकी डॉलर, इनमें से जो भी कम हो, तक की राशि का विप्रेषण।

(ई) फेम (कैट) संशोधन नियमावली, 2015 की अनुसूची-III के पैरा 1 में उल्लिखित प्रयोजनों के लिए 250,000 अमेरिकी डॉलर प्रति वित्तीय वर्ष तक के विप्रेषण। तथापि ऐसी संस्थाओं द्वारा किए गए सभी अवशिष्ट चालू खाता लेनदेन अन्यतः किसी विशिष्ट सीमा के बिना अनुमत हैं तथा पहले की भांति एडी के स्तर पर उनका निपटान करना है। प्राधिकृत व्यापारी को लेनदेन की सदाशयता से स्वयं संतुष्ट होना पड़ेगा।

उपर्युक्त सीमा से अधिक किसी भी लेनदेन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन आवश्यक होगा।

प्रश्न 25. क्या कोई निवासी व्यष्टि किसी एनआरआई/ पीआईओ जो कि उस निवासी व्यक्ति का नजदीकी रिश्तेदार है, को रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रोनिक अंतरण के माध्यम से रुपया ऋण दे सकता है?

उत्तर: निवासी भारतीयों को निम्नलिखित शर्तों के अधीन एनआरआई/ पीआईओ को, जो निवासी भारतीय का करीबी रिश्तेदार(कंपनी अधीनियम, 2013 की धारा 2(77) में "रिश्तेदार" के रूप में परिभाषित) हैं, रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रॉनिक अंतरण के माध्यम से ऋण देने की अनुमति है:-

(i) ऐसा ऋण ब्याज मुक्त होना चाहिए और ऋण की न्यूनतम परिपक्वता अवधि एक वर्ष हो।

(ii) ऋण की राशि निवासी व्यष्टि को उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत उपलब्ध प्रति वित्तीय वर्ष 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर हो। यह सुनिश्चित करना उधारकर्ता की जिम्मेदारी होगी कि वित्तीय वर्ष के दौरान दिए जाने वाले ऋण की राशि 2 ,50,000 अमेरिकी डॉलर की एलआरएस की सीमा के भीतर है।

(iii) ऋण का उपयोग उधार लेने वाले की व्यक्तिगत आवश्यकताओं या भारत में अपने स्वयं के कारोबार के लिए किया जाए।

(iv) इस ऋण का उपयोग एकल रूप में अथवा किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिल के ऐसे कार्यों के लिए न किया जाए जिनमें भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा निवेश प्रतिबंधित है, जैसे : -

  1. चिट फंड का कारोबार, या

  2. निधि कंपनी, या

  3. कृषि या पौधा-रोपण गतिविधि या रियल इस्टेट कारोबार में, या फार्म हाउस का निर्माण, या

  4. अंतरणीय विकास प्राधिकार (टीडीआर) में ट्रेडिंग।

स्पष्टीकरण:- उक्त मद संख्या (ग) के लिए रियल इस्टेट कारोबार में टाउनशिप का विकास, आवासीय/ वाणिज्यिक परिसरों, सड़कों या पुलों का निर्माण शामिल नहीं होगा।

(v) ऋण राशि एनआरआई/ पीआईओ के एनआरओ खाते में क्रेडिट की जाए। क्रेडिट की गई ऋण की इस राशि को एनआरओ खाते में पात्र क्रेडिट समझा जाए;

(vi) ऋण राशि भारत से बाहर विप्रेषित न की जाए।

(vii) इस ऋण की चुकौती सामान्य बैंकिंग चैनल के माध्यम से आवक विप्रेषण के रूप में की जाए या उधारकर्ता के अनिवासी साधारण (एनआरओ)/ अनिवसी बाह्य (एनआरई)/ विदेशी मुद्रा अनिवासी (एफसीएनआर) खाते में से डेबिट करके किया जाए या जिन शेयरों या प्रतिभूतियों या अचल संपत्तियों की ज़मानत पर यह ऋण प्रदान किया गया था उनकी बिक्री से प्राप्त आय से चुकौती की जाए।

प्रश्न 26: क्या कोई निवासी व्यष्टि किसी एनआरआई/ पीआईओ जो कि उस निवासी व्यक्ति का नजदीकी रिश्तेदार है, को रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रोनिक अंतरण के माध्यम से रुपया उपहार दे सकता है?

उत्तर: निवासी व्यष्टि रेखांकित चेक/ इलैक्ट्रॉनिक अंतरण के माध्यम से उस एनआरआई/ पीआईओ को रुपये में उपहार दे सकता है जो उस निवासी व्यष्टि का रिश्तेदार (कंपनी अधीनियम, 2013 की धारा 2(77) में यथापरिभाषित "रिश्तेदार") हो। यह राशि एनआरआई/ पीआईओ के अनिवासी (साधारण) रुपया खाते (एनआरओ) में जमा की जाए एवं जमा की गई उपहार की राशि को एनआरओ खाते में पात्र क्रेडिट समझा जाए। उपहार की राशि की सीमा निवासी व्यष्टि को एलआरएस के तहत अनुमत प्रति वित्तीय वर्ष सीमा अर्थात 2,50,000 अमेरिकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर होगी। यह सुनिश्चित करना निवासी दाता की जिम्मेदारी होगी कि वह विप्रेषित की जाने वाली उपहार की राशि एलआरएस के अंतर्गत है एवं कथित वित्त वर्ष में दाता द्वारा किए गए उपहार की राशि सहित सभी प्रकार के विप्रेषण एलआरएस में निर्धारित सीमा से अधिक न हो।


i “भारत में निवासी व्यक्ति’ को फेमा, 1999 की धारा 2(v) में निम्नानुसार परिभाषित किया गया है:

i) पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के दौरान एक सौ बयासी दिन से अधिक दिन भारत में निवास करने वाला व्यक्ति, लेकिन इसमें निम्नलिखित शामिल नहीं है:

(ए) कोई व्यक्ति नीचे दिये गए किसी भी मामले में भारत से बाहर गया है अथवा जो भारत के बाहर निवास करता है:

(क) भारत के बाहर नौकरी करने के लिए अथवा रोजगार मिलने पर, अथवा

(ख) भारत के बाहर कोई कारोबार अथवा व्यवसाय करने के लिए; अथवा

(ग) कोई अन्य प्रयोजन, ऐसी परिस्थितियों में अनिश्चित अवधि के लिए भारत के बाहर रहने के इरादे के बारे में सूचित करें।

(बी) कोई व्यक्ति नीचे दिये गए किसी भी मामले में भारत में निवास करने आया है अथवा जो भारत में निवास करता है या अन्यथा रूप में :

(क) भारत में नौकरी करने के लिए अथवा रोजगार मिलने पर, अथवा

(ख) भारत में कोई कारोबार अथवा व्यवसाय करने के लिए; अथवा

(ग) कोई अन्य प्रयोजन, ऐसी परिस्थितियों में अनिश्चित अवधि के लिए भारत में रहने के इरादे के बारे में सूचित करें।

ii) भारत में पंजीकृत अथवा निगमित कोई व्यक्ति अथवा निगमित निकाय;

iii) भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति द्वारा भारत में स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित कोई कार्यालय, शाखा अथवा एजेंसी;

iv) भारत में निवासी द्वारा भारत के बाहर स्वाधिकृत अथवा नियंत्रित कोई कार्यालय, शाखा अथवा एजेंसी;


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