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विदेशी मुद्रा प्रबंधक

भारतीय रुपए के बाहरी मूल्‍य के निर्धारण के लिए बाज़ार-आधारित प्रणाली में परिवर्तन के साथ विदेशी मुद्रा बाज़ार ने सुधार अवधि की शुरुआत से ही भारत में ज़ोर पकड़ा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


अस्वीकारण : अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न तथा फेमा अधिसूचना (अधिसूचनाओं)/ मास्टर निदेश(निदेशों)/ ए.पी. डीआईआर परिपत्र (परीपत्रों) के बीच किसी प्रकार की असंगति (असंगतियाँ) होने की स्थिति में परवर्ती को सही माना जाएगा।

अचल संपत्ति की खरीद

(06 अप्रैल 2023 को अद्यतन)

भाग-I
निवासी व्यक्तियों द्वारा भारत से बाहर अचल संपत्ति की खरीद

‘अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ नामक यह शृंखला इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि, कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल प्रावधान दिनांक 22 अगस्त 2022 को जारी की गई विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) नियमावली, 2022 और विदेशी मुद्रा प्रबंध (पारदेशीय निवेश) निदेश, 2022 में दिये गए हैं, जिन्हें समय-समय पर संशोधित भी किया गया है।

प्रश्न 1. क्या कोई निवासी भारत के बाहर कोई ऐसी अचल संपत्ति धारित करना जारी रख सकता है, जो उसने अपने अनिवासी होने के समय अर्जित की थी?
प्रश्न 2. क्या कोई निवासी व्यष्टि भारत से बाहर धनराशि विप्रेषित कर सकता है और भारत से बाहर संपत्ति खरीद सकता है?
प्रश्न 3. भारत से बाहर संपत्ति के अंतरण पर लागू प्रतिबंध किस पर लागू नहीं होते हैं?
प्रश्न 4. निवासी द्वारा भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण कैसे किया जा सकता है?

प्रश्न 1. क्या कोई निवासी भारत के बाहर कोई ऐसी अचल संपत्ति धारण करना जारी रख सकता है जो उसने अनिवासी होने के समय अर्जित की थी?

उत्तर : फेमा अधिनियम, 1999 की धारा 6(4) के तहत भारत में निवासी व्यक्ति भारत से बाहर स्थित अचल संपत्ति धारित कर सकता है, उसे अपने स्वामित्व में रख सकता है, उसे हस्तांतरित कर सकता है अथवा वह किसी संपत्ति में निवेश कर सकता है, यदि इस प्रकार की संपत्ति जब वह भारत से बाहर निवासी था/ थी तब उसने प्राप्त की हो, धारित की हो, अथवा उसके स्वामित्व में ली हो अथवा भारत से बाहर के निवासी किसी व्यक्ति से उसे वह संपत्ति विरासत में प्राप्त हुई हो।

प्रश्न 2. क्या कोई निवासी व्यष्टि भारत से बाहर धनराशि विप्रेषित कर सकता है और भारत से बाहर संपत्ति खरीद सकता है?

उत्तर: कोई निवासी व्यक्ति भारत के बाहर अचल संपत्ति खरीदने के लिए उदारीकृत विप्रेषण योजना (एलआरएस) के अंतर्गत विप्रेषण भेज सकता है। उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत किए जाने वाले विप्रेषण को रिश्तेदारोंi के मामले में आपस में समेकित किया जा सकता है, यदि ऐसे रिश्तेदार, भारत में निवासी व्यक्ति हों, और वे योजना के नियमों और शर्तों का पालन करते हों।

प्रश्न 3. भारत के बाहर संपत्ति के अंतरण पर लागू प्रतिबंध किस पर लागू नहीं होते हैं?

उत्तर: किसी निवासी द्वारा भारत के बाहर संपत्ति अधिग्रहित करने पर प्रतिबंध लागू नहीं होता यदि:

ए) निवासी कोई विदेशी नागरिक है; अथवा

बी) संपत्ति 8 जुलाई 1947 से पहले अधिग्रहित की गई थी और रिज़र्व बैंक की अनुमति प्राप्त करने के बाद उक्त संपत्ति धारित की गई हो; अथवा

सी) यदि इसे पांच साल से अधिक के पट्टे पर अधिग्रहित नहीं किया जाता है

प्रश्न 4. निवासी द्वारा भारत के बाहर अचल संपत्ति का अधिग्रहण कैसे किया जा सकता है?

उत्तर: भारत के बाहर निम्नलिखित प्रकार से अचल संपत्ति अर्जित की जा सकती है;

(i) भारत में निवासी व्यक्ति भारत के बाहर विरासत के रूप में या उपहार के रूप में या भारत में निवासी किसी ऐसे व्यक्ति से खरीदकर अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है जिसने यथालागू विदेशी मुद्रा प्रावधानों के अनुसार ऐसी संपत्ति अर्जित की हो।

(ii) भारत में निवासी व्यक्ति निम्नलिखित माध्यमों से भारत के बाहर निवासी व्यक्ति से भारत के बाहर अचल संपत्ति अर्जित कर सकता है -

(ए) विरासत के रूप में;

(बी) आरएफसी खाते में धारित विदेशी मुद्रा राशि का उपयोग करते हुए खरीद के माध्यम से;

(सी) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बनाई गई उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत भेजे गए विप्रेषण की राशि का उपयोग करते हुए की गई खरीद के माध्यम से :

बशर्ते रिश्तेदारों के मामले में उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत किए जाने वाले इस तरह के विप्रेषण को समेकित किया जा सकता है, यदि ऐसे रिश्तेदार, भारत में निवासी व्यक्ति हों और वे योजना की शर्तों का पालन करते हों।

(डी) किसी रिश्तेदार के साथ संयुक्त रूप से, जो भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति है;

(ई) पारदेशीय प्रत्यक्ष निवेश (ओडीआई) को छोड़ कर अन्य किन्हीं आस्तियों की बिक्री से प्राप्त आगम अथवा हुई आय से अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार विदेशों में अधिग्रहित संपत्ति;

(iii) रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, कोई भारतीय संस्था, जिसका विदेश में कार्यालय है, वह अपने कारोबार और कर्मचारियों के आवासीय उद्देश्यों के लिए भारत के बाहर अचल संपत्ति अधिग्रहित कर सकती है;

भाग II
अनिवासी व्यक्तियों द्वारा भारत में अचल संपत्ति की खरीद

‘अक्सर पूछे जानेवाले प्रश्न’ नामक यह शृंखला इस विषय पर उपयोगकर्ताओं द्वारा समान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर सरल भाषा में देने का प्रयास है। तथापि कोई लेनदेन करने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों/ नियमों अथवा निदेशों का संदर्भ लें। इससे संबंधित मूल नियम हैं – समय समय पर यथासंशोधित विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019। इस संबंध में जारी निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के अंतर्गत अचल संपत्ति के अधिग्रहण तथा अंतरण पर मास्टर निदेश सं.12 के भाग-II में समेकित किया गया है।

प्रश्न 1. कोई अनिवासी भारतीय (एनआरआई) तथा कोई विदेशी भारतीय नागरिक (ओसीआई) भारत में अचल संपत्ति कैसे अर्जित कर सकता है?
प्रश्न 2. भारत में अर्जित की गई संपत्ति के लिए भुगतान करने के स्वीकृत माध्यम क्या हैं?
प्रश्न 3. क्या विदेशी दूतावास/ राजनयिक/ महा वाणिज्यदूत भारत में संपत्ति अर्जित कर सकते हैं?
प्रश्न 4. क्या विदेशी नागरिक भारत में संपत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं?
प्रश्न 5. कोई दीर्घकालिक वीजा (एलटीवी) धारक व्यक्ति भारत में संपत्ति का अधिग्रहण किस प्रकार कर सकता है?
प्रश्न 6. क्या किसी अनिवासी / विदेशी भारतीय नागरिक का पति/पत्नी जोकि अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक नहीं है, वह भारत में संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता है?
प्रश्न 7. क्या कोई अनिवासी भारत में अचल संपत्ति की बिक्री से प्राप्त आगम को प्रत्यावर्तित कर सकता है?
प्रश्न 8. अंतरण का अर्थ क्या है?

प्रश्न 1. कोई अनिवासी भारतीय (एनआरआई)ii और विदेशी भारतीय नागरिक (ओसीआई)iii भारत में अचल संपत्ति किस प्रकार अर्जित कर सकता है?

विवरण एनआरआई/ओसीआई (एनडीआई नियम, 2019)
...... से (कृषि भूमि/ फार्म हाउस / बागवानी संपत्ति आदि को छोड़कर) अन्य संपत्ति की खरीद निवासी/एनआरआई/ ओसीआई [24(ए)]
...... से (कृषि भूमि/ फार्म हाउस / बागवानी संपत्ति आदि को छोड़कर) उपहार के रूप में निवासी/एनआरआई/ओसीआई [24(बी)] जो रिश्तेदार है
...... से विरासत के रूप में अर्जित (कोई भी भारतीय पक्ष) करना ए. किसी भी ऐसे व्यक्ति, जिसने उसे तत्कालीन प्रचलित क़ानून के अंतर्गत अर्जित किया है [24(सी)];

बी. निवासी [24(सी)]
.... को (कृषि भूमि/ फार्म हाउस / बागवानी संपत्ति आदि को छोड़कर) बेचना   निवासी/एनआरआई/ ओसीआई [24(ई)]
को (कृषि भूमि) बेचना निवासी [24(डी)]
उपहार में (कृषि भूमि को छोड़कर) देना निवासी/एनआरआई/ ओसीआई [24(ई)]
उपहार में (कृषि भूमि) देना निवासी [24(डी)]
उपहार में रिहायशी / वाणिज्यिक संपत्ति देना निवासी/एनआरआई/ ओसीआई [24(ई)]

प्रश्न 2. भारत में अर्जित की गई संपत्ति के लिए भुगतान करने के स्वीकृत माध्यम क्या हैं?

उत्तर : अचल संपत्ति के लिए किया गया भुगतान बैंकिंग चैनल के माध्यम से भारत में प्राप्त होना चाहिए और वह भारत में लागू करों और अन्य शुल्क/ लेवी के भुगतान के अधीन होगा। यह भुगतान अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक के एनआरई/ एफ़सीएनआर(बी)/ एनआरओ खातों में धारित निधियों में से भी किया जा सकता है। ऐसे भुगतान यात्री चेकों द्वारा अथवा विदेशी मुद्रा नोटों द्वारा नहीं किये जा सकते हैं।

प्रश्न 3. क्या विदेशी दूतावास/ राजनयिक/ महा वाणिज्यदूत भारत में संपत्ति अर्जित कर सकते हैं?

उत्तर: विदेशी दूतावास/ राजनयिक/ महा वाणिज्यदूत भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि/ बागबानी संपत्ति/ फार्म हाउस को छोड़कर) की खरीद/ बिक्री कर सकते हैं बशर्ते-

(ए) इस प्रकार की खरीद/ बिक्री के लिए भारत सरकार, विदेश मंत्रालय से मंजूरी (क्लियरंस) प्राप्त कर ली गई हो, तथा

(बी) भारत में अचल संपत्ति के अधिग्रहण के लिए भुगतान बैंकिंग चैनलों के जरिये विदेश से विप्रेषित निधियों में से किया गया हो;

प्रश्न 4. क्या विदेशी नागरिक भारत में संपत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं ?

उत्तर: ए) पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन, ईरान, नेपाल, भूटान, मकाऊ, हांगकांग अथवा डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया के नागरिक, उनकी निवासी स्थिति चाहे कुछ भी हो, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना भारत में, पाँच वर्षों से अनधिक अवधि के लिए अचल संपत्ति पट्टे पर लेने के सिवाय कोई अचल संपत्ति अर्जित अथवा अंतरित नहीं कर सकते हैं। यह प्रतिबंध विदेशी भारतीय नागरिकों (ओसीआई) पर लागू नहीं होगा।

बी) भारत में निवासी विदेशी नागरिक [उपर्युक्त (ए) में सूचीबद्ध किए गए 11 देशों को छोड़कर] जो भारतीय मूल के नहीं हैं, भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं।

सी) भारत के बाहर निवासी विदेशी नागरिक जो भारतीय मूल के नहीं हैं, भारत में पाँच वर्ष तक की अवधि के लिए पट्टे पर अचल संपत्ति का अर्जन/ अंतरण कर सकते हैं तथा किसी निवासी से विरासत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण कर सकते हैं।

विदेशी नागरिकों द्वारा किए जाने वाले सभी अन्य अधिग्रहणों/ अंतरणों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति आवश्यक है।

प्रश्न 5. कोई दीर्घकालिक वीज़ा (एलटीवी) धारक भारत में संपत्ति का अधिग्रहण किस प्रकार कर सकता है?

उत्तर: भारत में निवासी पाकिस्तान, बांग्लादेश अथवा अफ़ग़ानिस्तान के नागरिक जो कि उन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी तथा ईसाई) से संबंधित हैं तथा जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा दीर्घकालिक वीज़ा (एलटीवी) प्रदान किया गया है, वे अपने स्वयं के रहने के लिए भारत में केवल एक रिहायशी अचल संपत्ति तथा अपने व्यवसाय के लिए केवल एक अचल संपत्ति खरीद सकते हैं। तथापि इस प्रकार का अधिग्रहण विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019 के नियम-28 के तहत निर्दिष्ट शर्तों के अधीन होगा।

प्रश्न 6. क्या किसी अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक का पति/ की पत्नी जो अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक नहीं है, भारत में संपत्ति का अधिग्रहण कर सकता/ सकती है ?

उत्तर: भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति, जोकि अनिवासी भारतीय अथवा विदेशी भारतीय नागरिक नहीं है, और जो अनिवासी भारतीय अथवा विदेशी भारतीय नागरिक का पति/ पत्नी है, वह विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019 के नियम-25 में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन अपने अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक पति/ पत्नी के साथ संयुक्त रूप से एक अचल संपत्ति (कृषि भूमि/ बागबानी संपत्ति/ फार्म हाउस को छोड़कर) का अधिग्रहण कर सकता/ सकती है ।

प्रश्न 7. क्या कोई अनिवासी भारत में अचल संपत्ति की बिक्री से प्राप्त होने वाली आगम राशि को प्रत्यावर्तित कर सकता है?

उत्तर: ए) जिस व्यक्ति ने फेमा की धारा 6(5)iv के अंतर्गत संपत्ति का अधिग्रहण किया है, वह अथवा उसका उत्तराधिकारी ऐसी संपत्ति की बिक्री से प्राप्त आगम राशि को रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना प्रत्यावर्तित नहीं कर सकता है।

बी) किसी अनिवासी/ विदेशी भारतीय नागरिक अथवा किसी विदेशी नागरिक (नेपाल/ भूटान/ भारतीय मूल के व्यक्ति को छोड़कर) को, जिसने (i) फेमा की धारा 6(5) में संदर्भित व्यक्ति से विरासत में पाया है, अथवा (ii) भारत में नौकरी से सेवानिवृत्त हुआ है अथवा(सी) वह अनिवासी विधवा/ विधुर है और अपने मृत पति/ पत्नी जो कि भारत में निवासी भारतीय नागरिक था/ थी, से परिसंपत्ति विरासत में पायी है, को विदेशी मुद्रा प्रबंध (परिसंपत्तियों का विप्रेषण) विनियमावली, 2016 के तहत अन्य परिसंपत्तियों के साथ-साथ 1 मिलियन अमरीकी डॉलर प्रति वित्तीय वर्ष का प्रत्यावर्तन करना अनुमत है।

सी) अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति भारत में अचल संपत्ति (कृषि भूमि/ बागबानी संपत्ति/ फार्म हाउस को छोड़कर) की बिक्री से प्राप्त आगम राशि का निम्नलिखित शर्तों के अधीन विप्रेषण कर सकते हैं:

i. अचल संपत्ति, अधिग्रहण के समय लागू विदेशी मुद्रा कानून के प्रावधानों अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (गैर-ऋण लिखत) नियम, 2019 के प्रावधानों के अनुसार अर्जित की गयी थी;

ii. संपत्ति के अधिग्रहण के लिए सामान्य बैंकिंग चैनलों के जरिए प्राप्त विदेशी मुद्रा अथवा विदेशी मुद्रा अनिवासी खाते में धारित निधियों अथवा अनिवासी बाह्य खाते में धारित निधियों से भुगतान किया गया था।

iii. रिहायशी संपत्ति के मामले में बिक्रीगत आगम राशि का प्रत्यावर्तन इस प्रकार की दो संपत्तियों से अनधिक संपत्तियों तक प्रतिबंधित किया गया है।

प्रश्न 8. अंतरण का अर्थ क्या है?

उत्तर: फेमा की धारा 2 (ज़ेडई) के अनुसार ‘अंतरण’ का अर्थ है - बिक्री, खरीद, विनिमय, बंधक, गिरवी रखना, उपहार, ऋण, अथवा अधिकार, विलेख, कब्जा, अथवा धारणाधिकार के हस्तांतरण का कोई अन्य रूप।


i रिश्तेदार का वही अर्थ है जो कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) में दिया गया है।

ii अनिवासी भारतीय का अर्थ है भारत के बाहर निवासी कोई व्यक्ति जो भारतीय नागरिक है।

iii विदेशी भारतीय नागरिक (ओसीआई) भारत के बाहर का निवासी व्यक्ति है, जो नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7(ए) के अंतर्गत विदेशी भारतीय नागरिक कार्डधारक के रूप में पंजीकृत है।

iv विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) की धारा 6(5) के अनुसार, भारत से बाहर का निवासी व्यक्ति भारत में स्थित अचल संपत्ति धारित कर सकता है, स्वामित्व में रख सकता है, अंतरित कर सकता है अथवा किसी अचल संपत्ति में निवेश कर सकता है, यदि इस प्रकार की संपत्ति जब वह भारत का निवासी था तब उसने प्राप्त की थी, धारित की थी, अथवा उसके स्वामित्व में थी अथवा भारत के निवासी व्यक्ति से विरासत में प्राप्त हुई थी ।

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