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अधिसूचनाएं

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

आरबीआई/2023-24/40
विवि.एसटीआर.आरईसी.20/21.04.048/2023-24

08 जून 2023

वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक / केंद्रीय सहकारी बैंक
अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित)

महोदया/महोदय,

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट-ऑफ) के लिए रूपरेखा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने विनियमित संस्थाओं (आरई) को दबावग्रस्त खातों से संबंधित समझौता निपटान के लिए समय-समय पर विभिन्न अनुदेश जारी किए हैं। इनमें दिनांक 07 जून 2019 को दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान के लिए विवेकपूर्ण रूपरेखा ("प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क") भी शामिल है, जिसमें समझौता निपटानों को वैध समाधान योजना के रूप में मान्यता दी गई है। दिनांक 08 जून 2023 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य जारी किया गया है। इस वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार, प्रणाली में दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान को गति प्रदान करने के साथ-साथ सभी आरई के लिए अनुदेशों को युक्तिसंगत और सुसंगत बनाना आवश्यक है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि एक व्यापक विनियामकीय रूपरेखा जारी की जाए जिसके द्वारा अनुबंध में दिए गए विवरण के अनुसार सभी आरई को शामिल करते हुए समझौते के निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने (राइट ऑफ) को अभिशासित किया जाए।

2. इस रूपरेखा के प्रावधान उन सभी आरई पर लागू होंगे जिन्हें यह परिपत्र संबोधित है। ये प्रावधान विवेकपूर्ण रूपरेखा के प्रावधानों अथवा दबावग्रस्त खातों के समाधान के लिए आरई पर लागू किसी भी अन्य दिशानिर्देशों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना लागू होंगे।

3. ये अनुदेश रूपरेखा को परिचालन में लाने के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का अध्याय IIIB और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं। ये तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और इन अनुदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आरई द्वारा आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

भवदीय,

(मनोरंजन मिश्र)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने के लिए रूपरेखा

बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति

1. विनियमित संस्थाएं (आरई) उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान करने के लिए एवं तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियां लागू करेंगी।

इस उद्देश्य के लिए समझौता निपटान ऐसे समझौते को संदर्भित करेगा जो उधारकर्ता के विरुद्ध आरई के दावों को पूरी1 तरह से नकद में निपटाए। ऐसा करते हुए उधारकर्ता द्वारा आरई को देय राशि में से कुछ राशि आरई द्वारा माफ़ की जा सकती है तथा उधारकर्ता को आरई के दावों में तदनुरूपी छूट प्रदान की जा सकती है।

इस उद्देश्य के लिए तकनीकी रूप से बट्टे- खाते डालना उन मामलों को संदर्भित कररेगा जहां अनर्जक आस्तियां उधारकर्ताओं के ऋण खाता स्तर पर बकाया हैं लेकिन आरई द्वारा केवल लेखांकन उद्देश्यों के लिए उन्हें उधारकर्ता के विरुद्ध दावों में किसी छूट को शामिल किए बिना, और उसकी वसूली पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, बट्टे खाते (पूरी तरह या आंशिक रूप से) डाल दिया जाता है।

2. बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में सभी समझौता निपटान और तकनीकी रुप से बट्टे खाते डालने के लिए अपनाई जानेवाली प्रक्रिया को व्यापक रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए जिसमें आवश्यक शर्तों जैसे कि आरई के पास ऋण की न्यूनतम अवधि (एजिंग), सांपार्श्विक मूल्य में कमी आदि पर विशिष्ट दिशानिर्देश शामिल होंगे। नीति में बोर्ड द्वारा तय की जानेवाली उचित सीमा और समय-सीमा के साथ ऐसे मामलों में कर्मचारियों की जवाबदेही की जांच के लिए एक श्रेणीबद्ध रूपरेखा भी निर्धारित की जानी चाहिए।

3. समझौता निपटानों के संबंध में, बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में अन्य बातों के साथ-साथ, निपटान राशि निर्धारित करने हेतु विभिन्न श्रेणियों के एक्सपोजर के अंतर्गत अनुमेय छूट से संबंधित प्रावधान शामिल होने चाहिए। ऐसी निपटान राशियाँ यथा-उपलब्ध प्रतिभूति/संपार्श्विक के वर्तमान वसूली योग्य मूल्य की विवेकपूर्ण गणना करने के बाद ही निर्धारित की जानी चाहिए। प्रतिभूति के वसूली योग्य मूल्य की गणना करने की कार्यप्रणाली भी बोर्ड-अनुमोदित नीति का हिस्सा होगी। इसका उद्देश्य आरई के सर्वोत्तम हित में न्यूनतम व्यय पर प्रभावित उधारकर्ता से अधिकतम संभावित वसूली करना होगा।

4. समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने की प्रक्रिया आरई द्वारा भविष्य की आकस्मिक वसूलियों से संबन्धित आरई और उधारकर्ता के बीच पारस्परिक रूप से सहमत संविदात्मक प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगी। बशर्ते कि निपटान के समय या बाद में ऐसी प्राप्य राशियों की वास्तविक वसूली तक आरई के तुलन-पत्र में ऐसे दावों को किसी भी तरह से मान्यता नहीं दी गई हो। आरई के तुलन-पत्र में पाए गए ऐसे किसी दावे को इस परिपत्र के पैरा 7 के अनुसार पुनर्गठन के रूप में माना जाएगा।

शक्ति का प्रत्यायोजन

5. उपर्युक्त नीति में समझौता निपटानों और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने के अनुमोदन/स्वीकृति के लिए शक्तियों का प्रत्यायोजन भी शामिल होगा।

6. समझौता निपटान के संबंध में, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि:

  1. इस तरह के अनुमोदनों के लिए शक्तियों का प्रत्यायोजन उस प्राधिकारी (व्यक्ति या समिति, जैसा भी मामला हो) के पास है, जो क्रेडिट / निवेश एक्सपोजर को मंजूरी देने की शक्ति रखनेवाले प्राधिकारी की तुलना में पदानुक्रम में कम से कम एक स्तर ऊपर है। बशर्ते कि कोई भी अधिकारी जो ऋण को मंजूरी देने का हिस्सा था (व्यक्तिगत रूप से या समिति के हिस्से के रूप में) किसी भी क्षमता में उसी ऋण खाते के समझौता निपटान के प्रस्ताव को मंजूरी देने का हिस्सा नहीं होगा।

  2. धोखाधड़ी या इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत देनदारों के संबंध में समझौता निपटान के लिए, जैसा कि इस अनुबंध के खंड 13 के अनुसार अनुमति दी गई है, सभी मामलों में बोर्ड के अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

विवेकपूर्ण निरूपण

7. ऐसे समझौता निपटान, जहां सहमत निपटान राशि के भुगतान का समय तीन महीने से अधिक है, उनको दिनांक 7 जून 2019 के दबावग्रस्त आस्तियों के समाधान पर विवेकपूर्ण रूपरेखा में परिभाषित किए गए अनुसार पुनर्गठन के रूप में माना जाएगा।

8. आंशिक तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने के मामले में, अवशिष्ट एक्सपोजर के संबंध में ‘प्रावधान और आस्ति वर्गीकरण’ सहित सभी विवेकपूर्ण आवश्यकताएं, मूल एक्सपोजर के अनुसार होंगी, बशर्ते कि आंशिक तकनीकी बट्टे खाते डाली जाने वाली राशि सहित प्रावधान की राशि आस्ति के सकल मूल्य पर गणना किए गए अनुसार मौजूदा प्रावधान आवश्यकताओं को पूरा करती हो।

रिपोर्टिंग तंत्र

9. किसी विशेष प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित समझौता निपटान और तकनीकी रुप से बट्टे खाते के संबंध में, अगले उच्च प्राधिकारी के समक्ष कम से कम त्रैमासिक आधार पर एक रिपोर्टिंग तंत्र होना चाहिए। एमडी और सीईओ / बोर्ड स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित समझौता निपटान और तकनीकी रूप से बट्टे खाते डालने की सूचना बोर्ड को दी जाएगी।

बोर्ड द्वारा निरीक्षण

10. बोर्ड एक उपयुक्त रिपोर्टिंग प्रारूप अनिवार्य करेगा ताकि कम से कम निम्नलिखित पहलुओं की पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित की जा सके: (i) समझौता निपटान और/या तकनीकी रूप से बट्टे खाते के अधीन खातों और राशियों की संख्या की प्रवृत्ति (q-o-q और y-o-y) ; (ii) उपरोक्त (i) में से, धोखाधड़ी, रेड-फ्लैग्ड, इरादतन चूक और त्वरित नष्ट खातों के रूप में वर्गीकृत खातों का अलग-अलग वर्गीकरण; (iii) राशि-वार, मंजूरी प्राधिकारी-वार, और ऐसे खातों का कारोबार खंड/आस्ति-वर्गवार समूहीकरण; (iv) तकनीकी रूप से बट्टे खाते डाले गए खातों में वसूली की सीमा।

विराम अवधि

11. यदि आरई सम्झौता निपटान का लाभ उठाने वाले उधारकर्ताओं के प्रति नए एक्सपोजर ग्रहण करना चाहे, तो बोर्ड-अनुमोदित नीति में ऐसे एक्सपोजर लेने के पूर्व एक ‘विराम अवधि’ का प्रावधान होना चाहिए।

बशर्ते कि :

(i) कृषि ऋण एक्सपोजर के अलावा अन्य एक्सपोजर के संबंध में विराम अवधि 12 माह की सीमा के अधीन होगी। आरई अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के संदर्भ में उच्च विराम अवधि निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं।

(ii) कृषि ऋण एक्सपोजर के लिए विराम अवधि आरई द्वारा उनके संबंधित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार निर्धारित की जाएगी।

उपरोक्त उद्देश्य में कृषि एक्सपोजर के लिए समय-समय पर संशोधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधान पर विवेकपूर्ण मानदंड पर मास्टर परिपत्र के अनुबंध 2 में सूचीबद्ध कृषि गतिविधियों के लिए विस्तारित ऋण का संदर्भ लिया जा सकेगा।

12. तकनीकी रूप से बट्टे खाते के अधीन एक्सपोज़र के संबंध में अपनाई जाने वाली विराम अवधि आरई के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के अनुसार होगी।

धोखाधड़ी और इरादतन चूककर्ता के रूप में वर्गीकृत खातों का समाधान

13. आरई ऐसे देनदारों के खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जानबूझकर चूककर्ता या धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत खातों के संबंध में समझौता निपटान या तकनीकी रूप से बट्टे खाते डाल सकते हैं।

अन्य कानूनी प्रावधान

14. उपरोक्त रूपरेखा के तहत उधारकर्ताओं के साथ समझौता निपटान लागू किसी भी अन्य कानून के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा।

15. इसके अलावा, जहां भी आरईए ने न्यायिक माध्यम के तहत वसूली की कार्यवाही शुरू की है और वह ऐसे किसी न्यायिक मंच के समक्ष लंबित है तो उधारकर्ता के साथ किया गया कोई भी समझौता संबंधित न्यायिक प्राधिकारियों से सहमति डिक्री प्राप्त करने के अधीन होगा।


उन परिपत्रों की सूची जो तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए गए हैं

क्रम सं परिपत्र सं जारी करने की तिथि विषय
1 बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.81/21.01.040/95 (पैरा 2 को छोड़कर) 28.07.1995 अनर्जक आस्तियों (एनपीए) का समझौता या बातचीत के जरिए निपटान
2 बैपविवि.सं.बीपी.बीसी.सं.55/21.04.117/2007-08 30.11.2007 अनर्जक आस्तियों के निपटान पर दिशानिर्देश - न्यायालय से सहमति डिक्री प्राप्त करना
3 बैपविवि.बीपी.बीसी.सं.112/21.04.048/2009-10 21.06.2010 अनर्जक आस्तियों का समझौता/बातचीत/एकमुश्त निपटान

1 उधारकर्ता के साथ आंशिक निपटान से जुड़ी कोई भी व्यवस्था विवेकपूर्ण रूपरेखा में परिभाषित पुनर्गठन की परिभाषा के अंतर्गत आएगी और उस पर लागू प्रावधानों द्वारा अभिशासित होगी।


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