भारिबैं/2014-15/323
सबैंपवि.बीपीडी.(पीसीबी).परि.सं.3/12.05.001/2014-15
27 नवंबर 2014
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया/ महोदय,
शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा
कृपया 1 मार्च 2012 का परिपत्र सं शबैंवि.बीपीडी.(पीसीबी).परिपत्र. सं. 22/12.05.001/2011-12 देखें जिसके अनुसार शहरी सहकारी बैंकों के लिए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचा लागू किया गया था। इस क्षेत्र में हुई प्रगति और समयबद्ध पर्यवेक्षी कार्रवाई को सुनिश्चित किए जाने की जरूरत को समझते हुए पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे को परिशोधित करने का निर्णय लिया गया है। इस परिशोधन की विशेषताएं निम्न प्रस्तुत है:
1. शहरी सहकारी बैंकों द्वारा स्वसुधारात्मक कार्रवाई:
कुछ पर्यवेक्षी/ विनियामक कार्रवाइयों के उत्प्रेरक बिंदुओं को परिशोधित करते हुए उन्हें आगे रखा गया है ताकि बैंक की अनियमितताओं/ कमियों को जल्द ही सुधार सकें। विभिन्न उत्प्रेरक बिंदुओं के संदर्भ में शहरी सहकारी बैंकों से अपेक्षित सुधारात्मक कार्रवाई निम्न प्रकार है:
सकल एनपीए अग्रिमों के 10% से बढ़ने पर या वृद्धिशील सकल एनपीए में पिछले दो साल लगातार 3 प्रतिशत अंक, जो भी पहले हो: शहरी सहकारी बैंकों को एनपीए की वसूली के लिए कार्य योजना तैयार करनी होगी और एनपीए स्टॉक को कम करने के लिए और नए एनपीए सृजन को रोकने के लिए विशेष अभियान का आरंभ करना होगा। शहरी सहकारी बैंक के निदेशक मंडल द्वारा उधार नीति की पुनरीक्षा की जाएगी, क्रेडिट मूल्यांकन की क्षमता और प्रणाली में सुधार के लिए कार्रवाई करेंगे, बड़ी राशि के लोन के लिए लोन पुनरीक्षा प्रणाली को सशक्त बनाएंगे, स्यूट फाईल्ड/ डिक्री डेब्ट्स समेत अग्रिमों के लिए फॉलोअप को सशक्त और प्रभावी बनाएंगे। निदेशक मंडल मासिक आधार पर गंभीर 50 एनपीए खातों की पुनरीक्षा करेंगे।
सीडी अनुपात: शहरी सहकारी बैंकों के मामले में यदि सीडी अनुपात 70% से अधिक है तो सुधारात्मक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। यदि सीडी अनुपात 80% से अधिक है तो शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया जाएगा कि एक निर्धारित दिनांक के अनुसार अग्रिम पोर्टफोलियो को सीमा के ऊपर बढ़ने से रोका जाए और सीआरआर/ एसएलआर की जरूरतों और अन्य प्रतिबंधों में सुलह किए बगैर अधिशेष निधि का तरल आस्ति में निवेश किया जाए।
इस संदर्भ में देशीय/ राज्य फेडरेशन ने भारतीय रिज़र्व बैंक के सम्मुख यह अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था कि सीडी अनुपात की गणना के पुरानी प्रणाली अपनाने के कारण उनके पास उधार देने हेतु दीर्घावधि के लिए राशि उपलब्ध होने बावजूद, पर्यवेक्षी कार्रवाई ढांचे के अंतर्गत कोई बंधन न होने पर भी उनके उधार क्षमता संकीर्ण है। फेडरेशनों द्वारा उठाए गई समस्या को सुलझाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि एसएएफ़ के लिए सीडी अनुपात को अशोध्य एवं संदिग्ध ऋण के लिए शहरी सहकारी बैंक द्वारा किए गए प्रावधान और यदि है तो, राज्य/ केंद्रीय सरकार और शहरी सहकारी बैंकों के फेडरेशनों द्वारा उपलब्ध कराई गई वित्तीय सहायता से/ एनएचबी/ सिडबी आदि से प्राप्त पुनर्वित्त से उधार दी गई राशि को कम करते हुए संगणित किया जाएगा।
लाभप्रदता: यदि शहरी सहकारी बैंक ने लगातार दो साल हानि का सामना किया है या उसे संचित हानि का सामना ना करना पड़ा है तो हमारी ओर से पत्र प्राप्त होने के एक महीने के भीतर शहरी सहकारी बैंक द्वारा संचालन को लाभदायक बनाने हेतु एक कार्य योजना प्रस्तुत किया जाना अपेक्षित है। शहरी सहकारी बैंकों को यह भी सूचित किया जाएगा कि उच्च लागत वाले जमा का अभिगमन/ नवीकरण न किया जाए, प्रशासनिक खर्च को सीमित रखा जाए, एनपीए स्टॉक को कम करने के लिए विशेष अभियान का आरंभ किया जाए और नए एनपीए सृजन को रोका जाए, शाखाओं के पुनर्गठन किया जाए और घाटे पर चल रही शाखाओं को बंद किया जाए।
पूंजीगत निधि: यदि बैंक की पूंजी 9% के विनियामक पूंजी स्तर से नीचे चले जाते हैं तो शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि हमारे पत्र प्राप्त होने के एक महीने के अंतर्गत पूंजी की वृद्धि से संबंधित एक कार्य योजना प्रस्तुत किया जाए। कार्य योजना में बैंकों को विशिष्ट रूप से बताना होगा कि पू्ंजी में बढ़ोतरी किस प्रकार की जाएगी, जैसे नए सिरे से पैसा डाला जाना, जमाराशियों का ईक्विटी में बदलना या तीन माह के अंतर्गत सीआरएआर में 9% तक वृद्धि लाने के लिए दीर्घावधि जमा, आईपीडीआई जैसी लिखतें जारी करना आदि। पूंजी बाज़ार, स्थावर संपदा, गैर-एसएलआर निवेश जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में एक्सपोज़र को कम करने के लिए शहरी सहकारी बैंकों को सूचित किया जाएगा। उन्हें यह बताया जाएगा कि वे उच्च मूल्य की जमाराशियों का संग्रहण/ ऐक्सेस नहीं करें और बाज़ार में प्रचलित दरों से संसाधन जुटाएं और क्रेडिट और निवेश नीति की समीक्षा करें। यदि शहरी सहकारी बैंक का सीआरएआर 3% से कम है तो उन्हें विकल्प का पता लगाकर विलयन के लिए प्रयास करने होंगे।
2. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियामक कार्रवाई:
कमियों को आरंभ में ही मिटाने की सामान्य दृष्टिकोण के सामंजस्य में, ऋणात्मक निवल संपत्ति वाले बैंकों से निपटने के लिए विनियामक कार्रवाई, जैसा कि जमा पर लिए जाने वाले लोन समेत जमा से समयपूर्व आहरण पर रोक लगाना, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 35 क के अधीन सर्वसमावेशी निदेश लगाना और लाईसेंस रद्द किए जाने के संदर्भ में कारण बताओ नोटिस जारी करना आदि को आगे रखा जाएगा ताकि इस प्रकार के शहरी सहकारी बैंकों के बाधारहित निष्कासन सुनिश्चित किया जा सकें।
3. परिशोधित एसएएफ़ लागू होने की तारीख:
आम तौर पर संशोधित पर्यवेक्षी कार्रवाई को 31 मार्च 2014 के अनुसार की गई निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर लागू किया जाएगा। ऐसे शहरी सहकारी बैंक जिन पर एसएएफ़ के अंतर्गत कार्रवाई अपेक्षित है, उनके वित्तीय आंकड़ों के वर्तमान मूल्यांकन के आधार पर निश्चित कार्रवाई किए जाने तथा अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बनाने की दृष्टि से सुधारात्मक उपाय करने के संदर्भ में व्यक्तिगत रूप से सूचित किया जाएगा।
4. उपरोक्त अनुसार एसएएफ़ में संशोधन के साथ शहरी सहकारी बैंकों के निदेशक मंडल से यह अपेक्षित है कि बैंक के कामकाज में युक्त कमियों/ त्रुटियों को पहचानने में वे सक्रिय भूमिका निभाएं और उन्हें सुलझाने के लिए समय पर कार्रवाई करें ताकि रिजर्व बैंक द्वारा सख्त विनियामक कार्रवाई करने की आवश्यकता को न्यूनतम रखा जा सकें।
5. इस परिपत्र की प्रतिलिपि को अगली बैठक में निदेशक मंडल के समक्ष रखा जाए और उसकी पुष्टि की सूचना संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजा जाए।
भवदीया
(सुमा वर्मा)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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