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आर-रिटर्न का समेकन : विदेशी मुद्रा लेनदेन-इलेक्ट्रानिक रिपोर्टिंग प्रणाली (फेटर्स) के तहत रिपोर्टिंग

भारिबैंक/2011-12/413
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 84

29 फरवरी 2012

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

आर-रिटर्न का समेकन : विदेशी मुद्रा लेनदेन-इलेक्ट्रानिक रिपोर्टिंग प्रणाली (फेटर्स) के तहत रिपोर्टिंग

प्राधिकृत व्यापारी (श्रेणी I) बैंकों का ध्यान आर-रिटर्न के समेकन और विदेशी मुद्रा लेनदेनों के इलेक्ट्रानिक रिपोर्टिंग प्रणाली (फेटर्स) के तहत रिपोर्ट करने के लिए दिशानिर्देश देने से संबंधित 13 मार्च 2004 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 77 और फेटर्स के तहत शाखा-वार रिपोर्टिंग के बजाय बैंक-वार रिपोर्टिंग करने के बदलाव लाने वाले 25 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 30 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. अनुवर्ती घटित अनेक घटनाओं ने फेटर्स में और संशोधनों को आवश्यक बना दिया है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

ए) भारत के भुगतान संतुलन मैनुअल के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा गठित कार्यदल (अध्यक्ष: श्री दीपक मोहंती) ने भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) की मौजूदा समेकन प्रणाली के साथ ही साथ उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के भुगतान संतुलन और अंतर्राष्ट्रीय निवेश स्थिति संबंधी मैनुअल के छठे अंक में (बीपीएम 6) अंतर्विष्ट दिशानिर्देशों के अनुरूप निरूपित करने की समीक्षा की थी। उक्त कार्यदल ने मौजूदा समेकन प्रणाली/प्रक्रिया में सुधार लाने और भारत के भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़ों को अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम व्यवहार के अनुरूप बनाने के लिए अनेक सिफारिशें की थीं।

बी) कोर बैंकिंग सिस्टम (सीबीएस) में संचरण के साथ एक निश्चित सीमा से कम की गैर-निर्यात प्राप्तियों के अंतर्गत समेकित राशि के प्रयोजनवार वितरण के लिए अवर्गीकृत प्राप्तियों के सर्वेक्षण पर निर्भर रहने के बजाय पूर्ण लेनदेन की रिपोर्टिंग करने की पहल अपेक्षित हो गयी है ।

सी) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहले जारी किए जाने वाले दो अंको के पोर्ट-कोड के स्थान पर कार्यप्रणाली महानिदेशालय (सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क) [Directorate General of Systems(Customs and Central Excise)], भारत सरकार UNLOCODE योजना के अनुसार अब छह अंकों का पोर्ट कोड जारी करता है।

3. उपर्युक्त परिप्रेक्ष्य में अब आगामी वित्तीय वर्ष (अर्थात 1 अप्रैल 2012 से होने वाले लेनदेन) से आर- रिटर्न में निम्नलिखित परिवर्तन लागू किए जाएंगे:

  1. विदेशी मुद्रा लेनदेनों के वर्गीकरण और रिपोर्टिंग के लिए प्रयोजन कोड फेटर्स में पुनरीक्षित (संशोधित) वर्गीकरण के अनुसार होंगे। तदनुसार सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अप्रैल 2012 के प्रथम पखवाड़े से पुनरीक्षित (संशोधित) प्रयोजन कोड के अनुसार सभी विदेशी मुद्रा लेनदनों को संलग्न दिशानिर्देशों के अनुसार रिपोर्ट करें।

  2. प्राधिकृत व्यापारी बैंक फेटर्स के अंतर्गत सभी विदेशी मुद्रा लेनदेनों (जिसमें 5 लाख रुपए से कम के गैर निर्यात लेनदेनों के अंतर्गत प्राप्तियाँ शामिल हैं) के लिए प्रयोजन कोड का उल्लेख करें। 5 लाख रुपए से कम के गैर निर्यात लेनदेनों की मौजूदा रिपोर्टिंग (ए) भुगतान संतुलन की फाइल में समेकित आधार पर और (बी) ऐसी लघु प्राप्तियों संबंधी लेनदेनों की (फेटर्स के अंतर्गत यूआरएस फाइल में आर-रिटर्न के भाग के रूप में) नमूने के रूप में प्रयोजनवार प्रस्तुति 31 मार्च 2012 के बाद के लेनेदनों के लिए समाप्त कर दी जाएगी।

  3. फेटर्स की सभी फाइलों में राशि अंकित करने की फील्ड बढ़ाकर 15 अंकों के फार्मेट की जाएगी।

  4. फेटर्स में रिपोर्टिंग के लिए समान रूप से 6 अंकों के पोर्ट कोड का प्रयोग किया जाएगा।

4. फेटर्स के अंतर्गत आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण के लिए पुनरीक्षित (संशोधित) दिशानिर्देश संलग्न हैं।

5. इस परिपत्र में निहित दिशानिर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और 11 (1) के अंतर्गत और किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हों, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।

भवदीया,

(रश्मि फौजदार)
मुख्य महाप्रबंधक

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