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विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम


विदेशी मुद्रा प्रबंध (सीमापारीय विलयन) विनियमावली, 2018

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400001

अधिसूचना सं. फेमा. 389/2018–आरबी

20 मार्च 2018

विदेशी मुद्रा प्रबंध (सीमापारीय विलयन) विनियमावली, 2018

विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (42 of 1999) की धारा 47 के साथ पठित धारा (6) की उप-धारा(3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक एतदद्वारा भारतीय कंपनियों तथा विदेशी कंपनियों के बीच विलयन, समामेलन, तथा व्यवस्था से संबंधित निम्नलिखित विनियमावली निर्मित करता है: अर्थात:-

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

(i) ये विनियम विदेशी मुद्रा प्रबंध (सीमापारीय विलयन) विनियमावली, 2018 कहलाएँगे।

(ii) ये विनियम सरकारी राजपत्र में उसके प्रकाशन की तारीख से लागू होंगे।

2. परिभाषाएँ

इन विनियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,

(i) “अधिनियम” का तात्पर्य विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) से है;

(ii) ‘कंपनी अधिनियम’ का तात्पर्य कंपनी अधिनियम, 2013 से है;

(iii) ‘सीमापारीय विलयन’ का तात्पर्य कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत अधिसूचित कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के अनुसार किसी भारतीय कंपनी तथा किसी विदेशी कंपनी के बीच किसी प्रकार के विलयन, समामेलन अथवा की गई किसी व्यवस्था से है;

(iv) ‘विदेशी कंपनी” का तात्पर्य भारत के बाहर निगमित किसी कंपनी अथवा कॉर्पोरेट बॉडी से है, भले ही उसका भारत में कारोबारी स्थान हो अथवा न हों।

स्पष्टीकरण: निर्गामी विलयनों के प्रयोजन से विदेशी कंपनी को कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के अनुबंध-बी में विनिर्दिष्ट अधिकारक्षेत्र में निगमित होना चाहिए।

(v) “अंतर्गामी विलयन” का तात्पर्य ऐसे सीमापारीय विलयन से है जहां परिणामी कंपनी (रिजल्टण्ट कंपनी) एक भारतीय कंपनी हो।

(vi) “भारतीय कंपनी” का तात्पर्य किसी ऐसी कंपनी से है, जो कंपनी अधिनियम, 2013 अथवा अन्य किसी पूर्ववर्ती कंपनी कानून के अंतर्गत निगमित की गई हो।

(vii) “एन.सी.एल.टी.” का तात्पर्य कंपनी अधिनियम, 2013 अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत यथा-परिभाषित राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (नेशनल कंपनी लॉं ट्रीब्यूनल) से है।

(viii) “निर्गामी विलयन” का तात्पर्य ऐसे सीमापारीय विलयन से है, जहां रिजल्टण्ट कंपनी कोई विदेशी कंपनी हो।

(ix) “रिजल्टण्ट कंपनी” का तात्पर्य किसी ऐसी भारतीय अथवा विदेशी कंपनी से है, जो सीमापारीय विलयन में सम्मिलित कंपनियों की आस्तियां तथा देयताएँ ले लेती है।

(x) इन विनियमों में प्रयुक्त किन्तु परिभाषित न किए शब्दों तथा अभिव्यक्तियों का अर्थ क्रमशः वही होंगे जो कि उन्हें अधिनियम में दिये गए हैं।

3. अधिनियम में अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों में किए गए प्रावधानों अथवा रिज़र्व बैंक की सामान्य या विशेष अनुमति को छोड़कर, अन्य किसी भी तरीके से भारत में निवास करने वाला कोई व्यक्ति सीमापारीय विलयन के कारण भारत के बाहर किसी प्रकार की प्रतिभूति अथवा ऋण अथवा आस्ति का अर्जन अथवा अंतरण नहीं करेगा तथा भारत के बाहर का निवासी कोई व्यक्ति सीमापारीय विलयन के कारण भारत में कोई भी प्रतिभूति अथवा ऋण अथवा आस्ति का अर्जन अथवा अंतरण नहीं करेगा।

स्पष्टीकरण : इन विनियमों के लागू होने की तारीख को सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लंबित सीमापारीय विलयनों संबंधी मामले इन विनियमों के तहत अधिशासित होंगे ।

4. अंतर्गामी विलयन

अंतर्गामी विलयन में,

(1) विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर के निवासी किसी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2017 में यथा-विनिर्दिष्ट मूल्य-निर्धारण दिशानिर्देश, प्रवेश मार्ग, क्षेत्र-आधारित सीमाएं, अनुवर्ती दिशा-निर्देश तथा रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ आदि के अधीन रहते हुए रिजल्टण्ट कंपनी भारत के निवासी अथवा भारत के बाहर के निवासी व्यक्ति को कोई प्रतिभूति और/ अथवा कोई विदेशी प्रतिभूति, जैसा भी मामला हो, जारी अथवा अंतरित कर सकती है।

बशर्ते कि

  1. जहां विदेशी कंपनी किसी भारतीय कंपनी का संयुक्त उद्यम (JV) / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) हो, वहाँ भारतीय पार्टी द्वारा ऐसे संयुक्त उद्यम (JV) / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) के शेयरों के अंतरण के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के अंतर्गत विनिर्दिष्ट शर्तों क अनुपालन किया जाए।

  2. जहां अंतर्गामी विलयन के परिणामस्वरूप किसी का यदि संयुक्त उद्यम (JV) / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) द्वारा भारतीय पार्टी के किसी का संयुक्त उद्यम (JV) / पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी (WOS) की उप-अनुषंगी सहायक कंपनी (स्टेप-डाउन सब्सिडिअरी) का अधिग्रहण हो रहा हो, तो ऐसे मामलों में विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के तहत अधिग्रहण संबंधी विनियम 6 एवं 7 का अनुपालन किया जाए।

(2) सीमापारीय विलयन की योजना की स्वीकृति के अनुसार विदेशी कंपनी के भारत के बाहर के कार्यालय को विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता) विनियमावली, 2015 के अनुसार रिजल्टण्ट कंपनी की भारत के बाहर की शाखा/ कार्यालय माना जाएगा। तदनुसार रिजल्टण्ट कंपनी ऐसा कोई भी लेन-देन कर सकती है जिसे उपर्युक्त विनियमावली के अंतर्गत शाखा/ कार्यालय को करने की अनुमति हो।

(3) विदेशी कंपनी द्वारा समुद्रपरीय स्रोतों से कोई गारंटी, अथवा उधार अथवा भावी उधार जो रिजल्टण्ट कंपनी का उधार बनेगा अथवा समुद्र-पारीय स्रोतों से जुटाया गया कोई उधार, जिसकी प्रविष्टि रिजल्टण्ट कंपनी की खाता-बहियों में की जाएगी उसे दो वर्षों की अवधि के भीतर यथा लागू बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी मानदंडों अथवा व्यापार ऋण मानदंड अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपये में उधार लेना अथवा उधार देना) विनियमावली, 2000 अथवा विदेशी मुद्रा प्रबंध (गारंटी) विनियमावली, 2000 के अंतर्गत निर्धारित किसी अन्य विदेशी उधार मानदंडों के अनुसार किया जाएगा।

बशर्ते कि दो वर्षों की ऐसी अवधि के भीतर ऐसी किसी देयता की चुकौती के लिए भारत से कोई प्रेषण नहीं किया जाए।

बशर्ते यह भी कि अंतिम उपयोग (एंड यूज़) से संबंधित शर्तें लागू नहीं होंगी।

(4) रिजल्टण्ट कंपनी भारत के बाहर एसी किसी आस्ति का अर्जन अथवा धारण कर सकती है, जिसे अधिनियम के प्रावधानों, उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों, विनियमों के तहत किसी भारतीय कंपनी को अर्जित करने की अनुमति है। ऐसी आस्तियों को अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियम अथवा विनियम के अंतर्गत अनुमत लेन-देन करने के लिए किसी भी प्रकार से अंतरित किया जा सकता है।

(5) जहां अधिनियम, नियम अथवा विनियमों के अंतर्गत रिजल्टण्ट कंपनी को भारत के बाहर की आस्ति अथवा प्रतिभूति को अर्जित अथवा धारित करने की अनुमति नहीं है, वहाँ रिजल्टण्ट कंपनी एन.सी.एल.टी. द्वारा योजना को स्वीकृति प्रदान करने की तारीख से दो वर्षों की अवधि के भीतर ऐसी आस्ति अथवा प्रतिभूति को बेच देगी और बिक्रीगत आय को बैंकिंग चैनल के माध्यम से तत्काल भारत में प्रत्यावर्तित किया जाएगा। जहां रिजल्टण्ट कंपनी को भारत के बाहर की कोई देयता धारित करने की अनुमति नहीं है, वहाँ दो वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी समुद्रपारीय आस्तियों की बिक्रीगत आय में से उन देयताओं को समाप्त किया जाए।

(6) एन.सी.एल.टी. द्वारा योजना को स्वीकृति प्रदान करने की तारीख से दो वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए रिजल्टण्ट कंपनी सीमा-पारीय विलयन से संबंधित लेन-देन करने के प्रयोजन से समुद्रपारीय अधिकारक्षेत्र में विदेशी मुद्रा बैंक खाता खोल सकती है ।

5. निर्गामी (आउट-बाउंड) विलयन :

किसी निर्गामी विलयन में:

(1) भारत में निवासी कोई व्यक्ति विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के अनुसार रिजल्टण्ट कंपनी की प्रतिभूतियाँ अर्जित अथवा धारित कर सकता है।

(2) निवासी व्यक्ति भारत के बाहर की प्रतिभूतियाँ अर्जित कर सकता है बशर्ते ऐसी प्रतिभूतियों का उचित बाजार मूल्य अधिनियम अथवा उसके तहत निर्मित नियमों अथवा विनियमों में उल्लिखित उदारीकृत विप्रेषण योजना के प्रावधानों के अंतर्गत निर्धारित सीमाओं के भीतर हो।

(3) सीमापारीय विलयन योजना की स्वीकृति के अनुसार भारतीय कंपनी के भारत में स्थित कार्यालय को विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में किसी शाखा कार्यालय अथवा संपर्क कार्यालय अथवा परियोजना कार्यालय अथवा कारोबारी स्थल की स्थापना) विनियमावली, 2016 के अनुसार रिजल्टण्ट कंपनी का भारत में शाखा कार्यालय समझा जाएगा। तदनुसार रिजल्टण्ट कंपनी उक्त विनियमावली के अंतर्गत शाखा कार्यालय के लिए अनुमत कोई भी लेन- देन कर सकती है।

(4) भारतीय कंपनी की गारंटियाँ अथवा बकाया उधार, जो रिजल्टण्ट कंपनी की देयताएं बन जाती हैं, को कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के तहत एन.सी.एल.टी. द्वारा स्वीकृत योजना के अनुसार चुकाया/ लौटाया जाएगा।

बशर्ते कि रिजल्टण्ट कंपनी किसी भारतीय उधरदाता के प्रति रुपये में देय ऐसी कोई भी देयता अर्जित नहीं करेगी जो कि अधिनियम, अथवा उसके अंतर्गत जारी नियमों अथवा विनियमों के अनुरूप नहीं हैं।

बशर्ते यह भी कि भारतीय कंपनी के भारत में स्थित उधारदाताओं से इस आशय का अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाए।

(5) रिजल्टण्ट कंपनी, भारत में ऐसी कोई आस्ति अर्जित अथवा धारित कर सकती है, जिन्हें अर्जित करने के संबंध में अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमों के प्रावधानों के अंतर्गत विदेशी कंपनी को अनुमति दी गई है। ऐसी आस्तियों को अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों अथवा विनियमावली के अंतर्गत अनुमत लेन-देन करने के लिए किसी भी प्रकार से अंतरित किया जा सकता है।

(6) जहां अधिनियम, नियम अथवा विनियमावली के अंतर्गत भारत में आस्ति अथवा प्रतिभूति को अर्जित अथवा धारित नहीं किया जा सकता है, वहाँ रिजल्टण्ट कंपनी एन.सी.एल.टी. द्वारा योजना को स्वीकृति प्रदान करने की तारीख से दो वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी आस्ति अथवा प्रतिभूति को बेच देगी और बिक्रीगत आय को बैंकिंग चैनल के माध्यम से तत्काल भारत से बाहर प्रत्यावर्तित करेगी। दो वर्ष की अवधि के भीतर ऐसी आस्तियों अथवा प्रतिभूतियों की बिक्रीगत आय से भारतीय देयताओं की चुकौती अनुमत है।

(7) इन विनियमों के अंतर्गत लेन-देन करने के प्रयोजन से रिजल्टण्ट कंपनी विदिशी मुद्रा प्रबंध (जमा) विनियमावली, 2016 के अनुसरण में भारत में अनिवासी रुपया खाता (SNRR Account) खोल सकती है। उक्त खाता एन.सी.एल.टी. द्वारा योजना की स्वीकृति की तारीख से दो वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए चलेगा।

6. मूल्यांकन

(1) भारतीय कंपनी तथा विदेशी कंपनी का मूल्यांकन कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के नियम 25 ए के अनुसार किया जाएगा।

7. विविध

(1) भारतीय कंपनी अथवा विदेशी कंपनी के प्रतिभूति धारक को, जैसा भी मामला हो, रिजल्टण्ट कंपनी द्वारा किए जाने वाले मुआवजे का भुगतान एन.सी.एल.टी. द्वारा स्वीकृत योजना के अनुसार होगा।

(2) सीमापारीय विलयन में शामिल होने वाली कंपनियों को विनियामी कार्रवाइयाँ, यदि कोई हो, जैसे: अधिनियम अथवा उसके अंतर्गत निर्मित नियमों अथवा विनियमों के अन-नुपालन, उल्लंघन, नियम-भंग, जैसा भी मामला हो, को विलयन से पहले ही पूरा कर लिया जाए ।

8. रिपोर्टिंग

(1) रिजल्टण्ट कंपनी तथा/ अथवा सीमापारीय विलयन में शामिल कंपनी (कंपनियों) को रिज़र्व बैंक द्वारा भारत सरकार के परामर्श से, समय-समय पर यथा-विनिर्दिष्ट फ़ारमैट में रिपोर्टें प्रस्तुत करनी होंगी।

9. अनुमानित अनुमोदन

(1) यह मान लिया जाएगा कि इन विनियमों के अंतर्गत सिमापारीय विलयन के परिणामस्वरूप किए गए किसी भी लेन-देन के लिए कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के नियम 25-ए के अंतर्गत अपेक्षित किए गए अनुसार रिज़र्व बैक का पूर्व अनुमोदन है।

(2) कंपनी (समझौता, व्यवस्था तथा समामेलन) नियमावली, 2016 के अंतर्गत एन.सी.एल.टी. को किए गए आवेदन के साथ संबंधित कंपनी (कंपनियों) के प्रबंध निदेशक/ पूर्ण-कालिक निदेशक एवं कंपनी सचिव से इस आशय का प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत किया जाए कि इन विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया है।

(ज्योति कुमार पांडे)
मुख्य महाप्रबंधक

पाद टिप्पणी :
विनियमावली भारत सरकार के राजपत्र, असाधारण - भाग II, खंड 3, उप-खंड (i) में  20 मार्च,  2018 के जीएसआर सं. 244 (अ) द्वारा प्रकाशित की गई ।


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