वार्षिक प्रकाशन
सांविधिक
वार्षिक रिपोर्ट
वार्षिक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक की सांविधिक रिपोर्ट है और इसे हर वर्ष अगस्त में जारी
किया जाता है। यह रिज़र्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की भारत सरकार को प्रस्तुत
की जाने वाली रिपोर्ट है और इसमें (क) भारतीय अर्थव्यवस्था का आकलन और संभावनाएं; (ख)
अर्थव्यवस्था की स्थिति की समीक्षा; (ग) वर्ष के दौरान रिज़र्व बैंक का कार्य; (घ)
आगामी वर्ष के लिए रिज़र्व बैंक का विज़न और एजेंडा; तथा रिज़र्व बैंक के वार्षिक खाते
(जुलाई-जून) शामिल होते हैं।
भारत में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट
यह भी केंद्रीय बैंक द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला सांविधिक प्रकाशन है। वार्षिक
रूप से प्रस्तुत यह दस्तावेज पिछले वर्ष के लिए वित्तीय क्षेत्र की नीतियों और कार्यनिष्पादन
की समीक्षा है। अप्रैल से मार्च की अवधि कवर करने वाले इस प्रकाशन को सामान्यतः नवंबर/दिसंबर
में जारी किया जाता है। दिसंबर 2014 से यह प्रकाशन वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट का भाग
होगा।
भाषण
भारतीय रिज़र्व बैंक ने तीन वार्षिक भाषणों को शुरू किया है। इनमें से दो भाषण रिज़र्व
बैंक के गवर्नरों और एक प्रसिद्ध मौद्रिक अर्थशास्त्री की याद में है।
करेंसी और वित्त पर रिपोर्ट
अनुसंधानकर्ताओं का पसंदीदा यह दस्तावेज केंद्रीय बैंक के स्टाफ द्वारा प्रस्तुत किया
जाता है। 1998-99 से इस रिपोर्ट ने एक विशेष विषय पर ध्यान केंद्रित किया है और इस
विषय से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत आर्थिक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। पिछली रिपोर्ट
(2009-12) का विषय “राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय” था। समष्टि आर्थिक सिद्धांत की उत्पत्ति
की खोज करने और प्रमुख उन्नत देशों और चयनित उभरती बाजारों और विकासशील अर्थव्यस्थाओं
में अंतरराष्ट्रीय अनुभव के बाद यह रिपोर्ट समष्टि आर्थिक और मौद्रिक निहितार्थ के
मामले में भारत में राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय का गहन आकलन, रिज़र्व बैंक के तुलन पत्र
पर प्रभाव और राजकोषीय-मौद्रिक समन्वय के लिए मध्यावधि दृष्टिकोण तथा ऋण और नकदी प्रबंध
के लिए संस्थागत व्यवस्था का अध्ययन करती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी की हस्तपुस्तिका
यह प्रकाशन आंकड़ों के प्रसार में सुधार करने के लिए रिज़र्व बैंक की प्रमुख पहल है।
यह सांख्यिकीय सूचना का एक उपयोगी भंडार गृह है। यह प्रकाशन आर्थिक चर वस्तुओं के व्यापक
दायरे से संबंधित समय-श्रृंखला आंकड़े (वार्षिक/तिमाही/मासिक/पाक्षिक/दैनिक) उपलब्ध
कराता है जिसमें राष्ट्रीय आय, उत्पादन, कीमत, मुद्रा, बैंकिंग, वित्तीय बाजारों, सार्वजनिक
वित्त, व्यापार और भुगतान संतुलन संबंधी आंकड़े शामिल हैं। प्रकाशन हार्ड प्रति और
सीडी-रोम फार्मेट में उपलब्ध है।
राज्य वित्त: बजट का अध्ययन
यह भी अनुसंधानकर्ताओं का पसंदीदा प्रकाशन है और यह अलग-अलग राज्य-वार आंकड़ों का प्रमुख
स्रोत है तथा राज्य सरकारों की राजकोषीय स्थिति पर विश्लेषणात्मक चर्चा प्रस्तुत करता
है। रिपोर्ट का विश्लेषण, उन्मुखीकरण, कवरेज़ और फार्मेट को अधिक सूचनाप्रद और विश्लेषणात्मक
बनाने के लिए आवधिक बनाया गया है। 2005-06 से इस रिपोर्ट में एक विशेष विषय शामिल किया
गया है जो विशेष संदर्भ मुद्दे पर आधारित होता है।
भारत में बैंकों से संबंधित सांख्यिकीय सारणियां
यह वार्षिक प्रकाशन अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
से संबंधित व्यापक समय श्रृंखला आंकड़े प्रस्तुत करता है। यह भारत में प्रत्येक वाणिज्यिक
बैंक के तुलन पत्र और निष्पादन संकेतक कवर करता है। इस प्रकाशन में बैंक-वार, बैंक
समूह-वार और राज्य-वार कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों पर अलग-अलग आंकड़े भी शामिल होते हैं।
मूलभूत सांख्यिकी विवरणियां
यह भी एक दूसरा आंकड़ोन्मुखी वार्षिक प्रकाशन है। यह प्रकाशन क्षेत्र-वार, राज्य-वार
और जिला-वार सूचना तथा ऋण के उपयोग स्थल (जिला और जनसंख्या समूह), खातों के प्रकार,
उधारकर्ताओं के संगठन के प्रकार, उधारकर्ताओं के कार्यकलाप/व्यवसाय, ब्याज दर और क्रेडिट
सीमा, जमाराशियों का चालू, बचत और मीयादी जमाराशियों में बंटवारा जैसे कुछ पहलुओं पर
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कार्यालयों, कर्मचारियों, जमाराशियों और ऋण पर व्यापक
आंकड़े प्रस्तुत करता है। विभिन्न परिपक्वता अवधियों और ब्याज दरों, स्टाफ संख्या के
अनुसार महिलाओं के लिए मीयादी जमाराशियों के जमाखातों को लिंग और श्रेणी (अर्थात अधिकारी,
कलर्क और अधीनस्थ कर्मचारी) के अनुसार वर्गीकृत किए गए हैं।
अर्ध-वार्षिक प्रकाशन
मौद्रिक नीति रिपोर्ट
रिज़र्व बैंक मौद्रिक नीति रिपोर्ट का पहला अंक सार्वजनिक डोमेन में 30 सितंबर 2014
को डाला गया। अब यह रिपोर्ट प्रत्येक वर्ष पहले (सामान्यतः अप्रैल में घोषित) और चौथे
द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्यों (सामान्यतः अक्टूबर में घोषित) के साथ जारी की जाएगी।
इसमें सभी आंकड़े/इनपुट होते हैं जो मौद्रिक नीति निर्माण में काम आते हैं जैसे आंतरिक
समष्टि आर्थिक आकलन और सर्वेक्षणों के परिणाम तथा लघु से मध्य अवधि तक वृद्धि और मुद्रास्फीति
के अनुमान।
पहले रिज़र्व बैंक समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियां नामक तिमाही प्रकाशन भारतीय
रिज़र्व बैंक के मौद्रिक नीति वक्तव्य के साथ जारी करता था। यह प्रकाशन समीक्षाधीन
तिमाही के दौरान समष्टि आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों का विश्लेषणात्मक विहंगावलोकन
उपलब्ध कराता था। यह प्रकाशन पृष्ठभूमि और मौद्रिक नीति के औचित्य का काम करता था और
इसे मौद्रिक नीति की घोषणा से एक दिन पहले जारी किया जाता था।
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट
भारतीय रिज़र्व बैंक ने मार्च 2010 में पहली वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) प्रकाशित
की। प्रत्येक छह महीने में प्रकाशित की जाने वाली ये रिपोर्टें निहित ध्यानकेंद्रण
को संस्थागत बनाने और वित्तीय स्थिरता को नीति ढांचे का प्रमुख घटक बनाने का एक प्रयास
हैं। सामान्यतः वित्तीय स्थिरता रिपोर्टें समष्टि आर्थिक परिवेश, वित्तीय संस्थाओं,
बाजारों और मूलभूत सुविधाओं पर होने वाले जोखिमों के स्वरूप, आकार और निहितार्थ की
समीक्षा करने पर ध्यान केंद्रित करता है। ये रिपोर्टें तनाव परीक्षण के माध्यम से वित्तीय
क्षेत्र के लचीलेपन का आकलन करती हैं।
तिमाही प्रकाशन
अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशियों और ऋण पर तिमाही
सांख्यिकी
यह प्रकाशन प्रत्येक तिमाही के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशियों और ऋण
पर आंकड़े उपलब्ध कराता है। “मूलभूत सांख्यिकी विवरणी-7” के माध्यम से प्राप्त किए
जाने वाले आंकड़े जिन्हें अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत
किया जाता है, वे केंद्र-वार, क्षेत्र-वार, राज्य-वार, जिला-वार, आबादी समूह-वार और
बैंक समूह-वार प्रस्तुत किए जाते हैं। मार्च, जून, सितंबर और दिसंबर को समाप्त होने
वाली तिमाहियों के लिए “अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमाराशियों और ऋण पर तिमाही सांख्यिकी”
उपलब्ध है।
मासिक प्रकाशन
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन
यह एक मासिक प्रकाशन है जिसे प्रत्येक महीने के पहले सप्ताह सामान्यतः 10 तारीख को
जारी किया जाता है। बुलेटिन में रिज़र्व बैंक द्वारा विशेषकर इस प्रयोजन हेतु एकत्र
किए जाने वाले आंकड़ों के आधार पर विश्लेषणात्मक आलेख प्रकाशित किए जाते हैं। इसमें
गवर्नर, उप गवर्नरों और कार्यपालक निदेशकों के भाषण होते हैं। ये भाषण केंद्रीय बैंक
की नीतियों को समझने में उपयोगी होते हैं। बुलेटिन में शामिल अन्य उपयोगी सामग्री रिज़र्व
बैंक के विभिन्न विभागों द्वारा जारी महत्वपूर्ण प्रेस प्रकाशनियां और परिपत्र तथा
अर्थव्यवस्था, वित्त और बैंकिंग से संबंधित आंकड़े होते हैं। प्रायः रिज़र्व बैंक द्वारा
जारी महत्वपूर्ण रिपोर्टें जैसे वार्षिक रिपोर्ट और वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (भारत
में बैंकिंग की प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट सहित) और महत्वपूर्ण समिति/कार्य समूह
की रिपोर्टें इस मासिक प्रकाशन के अनुपूरक के रूप में जारी की जाती हैं। आगामी आलेखों
का एक सांकेतिक वार्षिक कैलेंडर दिसंबर बुलेटिन में प्रकाशित किया जाता है।
मोनेटरी एंड क्रेडिट इन्फर्मेशन रिव्यू
यह एक चार पृष्ठ का आवधिक प्रकाशन है जो परिचालनात्मक स्तरीय बैंकरों के लिए उपयोगी
है। इस आवधिक प्रकाशन में बैंकों तथा अन्य नियंत्रित संस्थाओं को रिज़र्व बैंक द्वारा
महीने में जारी महत्वपूर्ण अनुदेशों का सार होता है। यह प्रत्येक महीने की पहली तारीख
को प्रकाशित किया जाता है।
साप्ताहित प्रकाशन
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन
के लिए साप्ताहिक सांख्यिकीय संपूरक
साप्ताहिक सांख्यिकीय संपूरक (डब्ल्यूएसएस) में उच्च आवृति वर्तमान आंकड़े होते हैं
और इसके साथ इनमें होने वाले परिवर्तन (साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, वार्षिक) भी होता
है। डब्ल्यूएसएस के वर्तमान रुपांतरण में 14 सारणियां है जो रिज़र्व बैंक का साप्ताहिक
तुलन पत्र, विदेशी मुद्रा भंडार, रिज़र्व द्वारा चलनिधि परिचालन और वित्तीय बाजारों
से संबंधित अन्य गतिविधियां प्रस्तुत करते हैं। यह प्रत्येक शुक्रवार को अपराह्न 5
बजे प्रकाशित किया जाता है।
इस प्रकाशन का समय श्रृंखला रुपांतरण भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) में
“सारणियों पर टिप्पणियां” के साथ भी उपलब्ध है।
आंकड़ों की समझ बढ़ाने के लिए विभिन्न आंकड़ा मदों और विभिन्न सारणियों के बीच लिंकेज
“भारतीय रिज़र्व बैंक के साप्ताहिक सांख्यिकीय संपूरक पर हस्तपुस्तिका” में स्पष्ट
किए गए हैं।
सामयिक प्रकाशन
सामयिक पेपर
भारतीय रिज़र्व बैंक के सामयिक पेपरों के प्रत्येक अंक में रिज़र्व बैंक के व्यावसायिक
स्टाफ द्वारा प्रस्तुत पेपर होते हैं। यह प्रकाशन लेखकों के विचार दर्शाता है। सामयिक
पेपर 2011 तक वर्ष में तीन बार प्रकाशित होता था। वर्ष 2012 से इसके वर्ष में दो अंक
होते हैं।
विकास अनुसंधान समूह (डीआरजी)
अध्ययन
ये अनुसंधान अध्ययन हैं जो रिज़र्व बैंक के आंतरिक स्टाफ सदस्यों के साथ मिलकर बाह्य
विशेषज्ञों द्वारा चलाए जाते हैं। विकास अनुसंधान समूह एक मंच है जो आंतरिक अनुसंधान
में बाह्य विशेषज्ञता की भागीदारी को संस्थागत बनाता है।
रिपोर्टें
रिज़र्व बैंक इसके द्वारा स्थापित समितियों/कार्यदलों की रिपोर्टों को भी व्यापक प्रसार
और फीडबैक के लिए प्रकाशित करता है।
अन्य
भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस
पारंपरिक चैनलों जैसे आंकड़ों का प्रकाशन, रिपोर्टों, प्रेस प्रकाशनियों आदि के अतिरिक्त
रिज़र्व बैंक भारतीय अर्थव्यवस्था पर डेटाबेस (डीबीआईई) नामक सार्वजनिक वेबसाइट के
माध्यम से आंकड़ों का प्रसार भी करता है। यह रिज़र्व बैंक के लिए समष्टि-आर्थिक और
वित्तीय क्षेत्र के आंकड़ों को अनुसंधानकर्ताओं, बाजार भागीदारों और विभिन्न अन्य स्टेकधारकों
को प्रसारित करने के लिए आंकड़ों के संप्रेषण का सबसे लोकप्रिय चैनल है। इस साइट पर
समय श्रृंखला आंकड़ों को विषय क्षेत्र-वार और अवधि-वार प्रस्तुत किए जाते हैं। आंकड़ों
के प्रत्येक सेट (विषय क्षेत्र) से संबंधित आंकड़े एक या अधिक स्थायी फार्मेट सारणियों
के माध्यम से प्रस्तुत किए जाते हैं। रिज़र्व बैंक के प्रमुख आंकड़ा प्रकाशनों जैसे
भारतीय अर्थव्यवस्था पर सांख्यिकी की हस्तपुस्तिका, भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन का
वर्तमान सांख्यिकी खंड और अन्य बैंकिंग सांख्यिकी से संबंधित प्रकाशनों को समय श्रृंखला
फार्मेट में प्रस्तुत किया जाता है। इससे उपयोगकर्ताओं के लिए विभिन्न प्रकाशनों के
एक से अधिकार बार जारी करने से आंकड़ों का मिलान करने की आवश्यकता से छुटकारा मिल जाता
है।
भारत में कार्यरत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की शाखाओं की बैंक-वार और बैंक
समूह-वार सूची कुछ ब्यौरों जैसे बैंक, राज्य, जिला, केंद्र के नाम, पते आदि के साथ
डीबीआईई वेबसाइट पर उपलब्ध है जिसके लिए ‘शाखा लोकेटर’ हाइपरलिंक दिया गया है।
डीबीआईई का एक प्रमुख विशेषता लचीले और पुनःउपयोगी फार्मेट में समग्र स्थिति पर समय
श्रृंखला आंकड़े है। ये सारणियां डाउनलोड कर आगे की प्रोसेसिंग और विश्लेषण के लिए
एक्सेल फाइलों के रूप में रखी जा सकती हैं।
डीबीआईई को यूआरएल http://dbie.rbi.org.in
का उपयोग कर वेब ब्राउजर के माध्यम से देखा जा सकता है।
सर्वेक्षण/गणना परिणामों पर आंकड़ों का प्रकाशन
रिज़र्व बैंक के आवधिक सर्वेक्षण के परिणाम जो मौद्रिक नीति निर्माण में इनपुट प्रदान
करते हैं, उन्हें प्रेस प्रकाशनियों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इनमें शामिल
हैं:
परिवार मुद्रास्फीति प्रत्याशा सर्वेक्षण (आईईएसएच),
उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण (सीसीएस), औद्योगिक संभावना सर्वेक्षण (आईओएस) , आदेश
पुस्तिका, माल-सूची और क्षमता उपयोग सर्वेक्षण (ओबीआईसीयूएस)
तथा व्यावसायिक पूर्वानुमानकर्ताओं का सर्वेक्षण (एसपीएफ)।
अन्य नियमित अध्ययन जिसमें बाह्य क्षेत्रों/सर्वेक्षणों/गणना शामिल हैं, के परिणामों
को भी भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन में उनके विभिन्न दौरों के आधार पर विश्लेषणात्मक
आलेखों के प्रकाशन के अतिरिक्त उसी तरह से सार्वजनिक डोमेन में डाला जाता है।
अंशदान पर उपलब्ध प्रकाशन
- भारतीय रिज़र्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट
|
अगस्त-सितंबर
|
भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन के पूरक के रूप में जारी
|
- प्रत्येक महीने की दस तारीख को भारतीय रिज़र्व बैंक बुलेटिन (मासिक)
|
|
एक प्रति: भारतीय रिज़र्व बैंक के काउंटर पर 200 और डाकघर के माध्यम से 240 । एक वर्ष
का अंशदान 2800
|
|
|
विदेश प्रत्येक प्रति 11 अमेरिकी डॉलर (डाकखर्च सहित) एक वर्ष का अंशदान 130
अमेरिकी डॉलर
|
उपर्युक्त प्रकाशन काउंटर पर खरीदे जा सकते हैं या इनको अंशदान देकर प्राप्त किया जा
सकता है। ये भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (यूआरएल: http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध हैं।
सामान्य जानकारी
- प्रकाशन पूर्वाह्न 10.30 बजे से अपराह्न 3.00 बजे तक (सोमवार से शुक्रवार) बिक्री अनुभाग,
कॉर्पोरेट सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, अमर भवन, भूतल, सर पी.एम. रोड, पी.बी.
सं. 1036, मुंबई - 400 001 पर उपलब्ध हैं। बिक्री अनुभाग का संपर्क नं. 022-2260 3000
एक्सटेंशन: 4002, इमेल।
- एक बार बिक्री किए गए प्रकाशन वापस नहीं लिए जाते हैं।
- प्रकाशनों की आपूर्ति प्रेषण वीपीपी आधार पर नहीं की जाएगी।
- जहां भी रियायती मूल्य अंकित नहीं हो, वहां छात्रों, अध्यापकों/प्रवक्ताओं, शैक्षिक/शिक्षा
संस्थानों, सार्वजनिक पुस्तकालयों और भारत में पुस्तक विक्रेताओं के लिए 25 प्रतिशत
की छूट है बशर्तें कि वे संबंधित संस्थान से संबंधित होने के लिए पात्रता का प्रमाण
प्रस्तुत करें।
- प्रकाशन के पिछले अंक सामान्यतः उपलब्ध नहीं होते हैं।
- अंशदान मांग ड्राफ्ट/चेक जो भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई को मुंबई में देय हो, के माध्यम
से महाप्रबंधक, बिक्री अनुभाग, कॉर्पोरेट सेवा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय
कार्यालय, मुंबई - 400 001 को भेजें।
- प्रकाशन शीघ्रताशीघ्र भेजने के लिए प्रयास किया जाएगा। अधिक आर्डर होने की स्थिति
में पहले आओ पहले पाओ आधार पर प्रकाशन प्राप्त किए जा सकते हैं। औपचारिकताएं पूरी करने
और फिर उपलब्ध प्रकाशन भेजने में कम से कम एक महीने का समय लग सकता है।
- ‘प्रकाशन प्राप्त नहीं होने’ संबंधी शिकायतें 2 महीनों के अंदर भेजें।
|