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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

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भारतीय रिज़र्व बैंक ने आरबीआई-डिजिटल भुगतान सूचकांक की शुरुआत की

1 जनवरी 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आरबीआई-डिजिटल भुगतान सूचकांक की शुरुआत की

दिनांक 06 फरवरी 2020 के छठे द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य- 2019-20 के भाग के रूप में विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य में की गई घोषणा के अनुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने देश भर में भुगतान का डिजिटलीकरण के विस्तार का पता लगाने के लिए एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक (डीपीआई) का निर्माण किया है।

आरबीआई-डीपीआई में 5 व्यापक मापदंड शामिल हैं जो विभिन्न समय अवधि में देश में डिजिटल भुगतान की व्यापकता और पैंठ मापने में सक्षम हैं। ये पैरामीटर हैं - (i) भुगतान एनबलर्स (भार 25%), (ii) भुगतान इंफ्रास्ट्रक्चर-मांग-पक्ष कारक (10%) (iii) भुगतान अवसंरचना – आपूर्ति- पक्ष कारक (15%), (iv) भुगतान निष्पादन (45%) और (v) उपभोक्ता केंद्रितता (5%)। इन सभी मापदंडों में उप-मापदंड हैं जिसमें परिणामस्वरूप विभिन्न मापन योग्य संकेतक हैं। प्रत्येक मापदंड के तहत प्रमुख उप-मापदंड यहां उपलब्ध हैं।

आरबीआई-डीपीआई का निर्माण मार्च 2018 को आधार अवधि के साथ किया गया है, अर्थात मार्च 2018 के लिए डीपीआई स्कोर 100 पर सेट किया गया है। प्रशंसनीय वृद्धि का संकेत देते हुए, मार्च 2019 और मार्च 2020 के लिए डीपीआई क्रमशः 153.47 और 207.84 हैं। आगे, आरबीआई-डीपीआई को रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर अर्ध वार्षिक आधार पर मार्च 2021 से 4 महीने के अंतराल के साथ प्रकाशित किया जाएगा।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/874

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