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भुगतान और निपटान प्रणाली

अर्थव्‍यवस्‍था की समग्र दक्षता में सुधार करने में भुगतान और निपटान प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत राशि-मुद्रा, चेकों जैसी कागज़ी लिखतों के सुव्‍यवस्थित अंतरण और विभिन्‍न इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यमों के लिए विभिन्‍न प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (ट्रेड्स)

(01 जनवरी 2020)

1. ट्रेड्स क्या है?

उत्तर: सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को कई वित्त पोषकों के माध्यम से व्यापार प्राप्तियों के वित्तपोषण / छूट की सुविधा प्रदान करने के लिए ट्रेड्स एक इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफ़ॉर्म है। ये प्राप्तियाँ कॉर्पोरेट और अन्य खरीदारों द्वारा देय हो सकती हैं, जिनमें सरकारी विभाग और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं।

2. ट्रेड्स में प्रतिभागी कौन हैं?

उत्तर: ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर विक्रेता, खरीदार और फाइनेंसर सहभागी होते हैं।

3. ट्रेड्स में विक्रेता के रूप में कौन भाग ले सकता है?

उत्तर: ट्रेड्स में विक्रेता के रूप में केवल एमएसएमई ही भाग ले सकते हैं।

4. ट्रेड्स में खरीदार के रूप में कौन भाग ले सकता है?

उत्तर: ट्रेड्स में खरीदार के रूप में कॉर्पोरेट्स, सरकारी विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और अन्य कोई संस्था भाग ले सकती है।

5. ट्रेड्स में एक फाइनेंसर के रूप में कौन भाग ले सकता है?

उत्तर: बैंक, एनबीएफसी – फ़ैक्टर्स और अन्य वित्तीय संस्थाएं जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति दी गई है, वे ट्रेड्स में फाइनेंसर के रूप में भाग ले सकते हैं।

6. ट्रेड्स कैसे काम करता है?

उत्तर: मोटे तौर पर ट्रेड्स के माध्यम से वित्तपोषण / छूट देने के दौरान निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:

  1. फैक्टरिंग यूनिट (एफ़यू) का सृजन – इन्वॉइस (इन्वॉइसेज़) अथवा बिल (बिल्स) ऑफ एक्सचेंज के लिए प्रयुक्त मानक नाम – जिसमें ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर एमएसएमई विक्रेता (फैक्टरिंग के मामले में) अथवा क्रेता (रिवर्स फैक्टरिंग के मामले) में इन्वॉइसेज़ / बिल्स ऑफ एक्सचेंज (वस्तुओं की बिक्री के साक्ष्य / एमएसएमई विक्रेताओं द्वारा खरीददारों को सेवाएं) के विवरण शामिल हैं;

  2. काउंटर्पार्टी द्वारा एफ़यू की स्वीकृति - खरीदार अथवा विक्रेता, जैसा भी मामला हो;

  3. फाइनेंसरों द्वारा बोली लगाना;

  4. विक्रेता या खरीदार द्वारा सर्वश्रेष्ठ बोली का चयन, जैसा भी मामला हो;

  5. एमएसएमई विक्रेता को वित्तपोषण / छूट के संबंध में सहमति दर पर फाइनेंसर द्वारा किया गया भुगतान (चयनित बोली का);

  6. क्रेता द्वारा देय तिथि को फाइनेंसर को भुगतान।

7. एक फैक्टरिंग यूनिट (एफ़यू) क्या है?

उत्तर: एक फैक्टरिंग यूनिट (एफयू) एक मानक नामकरण है जिसका उपयोग ट्रेड्स में इन्वॉइस (इन्वॉइसेज़) अथवा बिल (बिल्स) ऑफ एक्सचेंज के लिए किया जाता है। प्रत्येक एफ़यू, सरकारी विभागों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों सहित कॉर्पोरेट अथवा अन्य खरीदारों की स्थायी बाध्यता दर्शाता है।

8. एक एफ़यू का निर्माण कौन कर सकता है?

उत्तर: ट्रेड्स में, एफ़यू को या तो एमएसएमई विक्रेता या खरीदार द्वारा बनाया जा सकता है। यदि एमएसएमई विक्रेता इसे बनाता है, तो इस प्रक्रिया को फैक्टरिंग कहा जाता है; यदि इसे कॉर्पोरेट्स या अन्य खरीदारों द्वारा बनाया जाता है, तो इसे रिवर्स फैक्टरिंग कहा जाता है।

9. क्या ट्रेड्स, रिवर्स फैक्टरिंग से निपट सकता है?

उत्तर: हाँ। ट्रेड्स, रिसीवेबल फैक्टरिंग और साथ ही साथ रिवर्स फैक्टरिंग से निपट सकता है।

10. यदि खरीदार चुकौती करने में विफल होता है तो क्या एमएसएमई विक्रेता फाइनेंसर को भुगतान करेगा?

उत्तर: नहीं, ट्रेड्स के अंतर्गत संसाधित लेनदेन एमएसएमई के लिए "उत्तरदायित्व रहित" हैं।

11. क्या ट्रेड्स प्लेटफ़ॉर्म स्थापित करने और परिचालित करने के लिए किसी प्राधिकार की आवश्यकता है?

उत्तर: हां, भुगतान और निपटान प्रणाली (पीएसएस) अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक से प्राधिकार प्राप्त करने की आवश्यकता है।

12. ट्रेड्स की स्थापना और परिचालन के लिए पात्रता मानदंड क्या है?

उत्तर: ट्रेड्स प्लेटफॉर्म की स्थापना और परिचालन के लिए पात्रता मानदंड भारतीय रिज़र्वव बैंक द्वारा जारी किए गए ट्रेड्स दिशा-निर्देशों (समय-समय पर यथा संशोधित) में उपलब्ध कराए गए हैं। ये दिशा-निर्देश निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध हैं : www.rbi.org.in → "भुगतान और निपटान प्रणाली" ड्रॉप डाउन → "दिशानिर्देश"। 15 अक्टूबर 2019 को जारी की गई आरबीआई की प्रेस विज्ञप्ति भी इस संबंध में पढ़ी जा सकती है। यह निम्नलिखित वेब लिंक पर उपलब्ध है:

https://www.rbi.org.in/Scripts/bs_viewcontent.aspx?Id=3504 और https://www.rbi.org.in/scripts/FS_PressRelease.aspx?prid=48405&fn=9

13. मुझे आरबीआई द्वारा प्राधिकृत ट्रेड्स संस्थाओं का विवरण कहां मिल सकता है?

उत्तर: ट्रेड्स सहित सभी प्राधिकृत भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) की सूची निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है www.rbi.org.in → "भुगतान और निपटान प्रणाली" ड्रॉप डाउन → " ग्राहकों के लिए उपयोगी सूचना" → "प्राधिकृत संस्थाओं की सूची - भुगतान प्रणाली परिचालक”। यह निम्नलिखित वेब लिंक पर उपलब्ध है: https://www.rbi.org.in/Scripts/PublicationsView.aspx?id=12043

14. क्या ट्रेड्स संस्थाएं प्रतिभागियों का केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) करवाती हैं?

उत्तर: हाँ। ट्रेड्स संस्थाओं द्वारा अपनाई गई केवाईसी प्रक्रिया भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा दिनांक 25 फरवरी 2016 को जारी किए गए "मास्टर निदेश – अपने ग्राहक को जानें (केवाईसी) संबंधी निदेश 2016" (समय-समय पर यथा संशोधित) का पालन करती है।

15. एक सेटलमेंट फ़ाइल क्या होती है और ट्रेड्स में इसका सृजन कौन करता है?

उत्तर: एक सेटलमेंट फ़ाइल इस बात की सूचना उपलब्ध कराती है कि प्रतिभागियों (विक्रेताओं, खरीदारों और फाइनेंसरों) के खातों में से कितनी राशि डेबिट की जानी है कितनी राशि क्रेडिट की जानी है, जो एक विशेष तिथि / समय पर देय है। दूसरे शब्दों में, यह इंगित करता है कि एक फाइनेंसर को एमएसएमई विक्रेता को कितना भुगतान करना है, और एक खरीदार को किसी विशेष तारीख / समय पर फाइनेंसर को कितना देना है। ट्रेड्स संस्थाएँ निपटान फ़ाइल उत्पन्न करती हैं और धन के वास्तविक भुगतान के लिए मौजूदा भुगतान प्रणालियों (उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय स्वचालित समाशोधन गृह) को भेजती हैं।

16. क्या ट्रेड्स मंच पर चूक ट्रेड्स संस्थाओं की जिम्मेदारी है?

उत्तर: नहीं। डिफ़ॉल्ट हैंडलिंग ट्रेड्स प्लेटफ़ॉर्म के दायरे से बाहर है।

ये सामान्य प्रश्न भारतीय रिज़र्व बैंक (बाद में इसे " बैंक " के रूप में संदर्भित किया जाता है) द्वारा, केवल सूचना और सामान्य मार्गदर्शन उद्देश्यों के लिए जारी किए जाते हैं। ईस के आधार पर किए गए कार्यों और / या निर्णयों के लिए बैंक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। स्पष्टीकरण या व्याख्या के लिए, यदि कोई हो, तो बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए प्रासंगिक परिपत्रों, दिशानिर्देशों और अधिसूचनाओं द्वारा निर्देशित हुआ जा सकता है।

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