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अधिसूचनाएं

शाखा प्राधिकरण नीति को युक्तिसंगत बनाना- दिशानिर्देशों में संशोधन

भारिबैंक/2016-17/306
बैंविवि.सं.बीएपीडी.बीसी.69/22.01.001/2016-17

दिनांक 18 मई 2017

अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर), लघु वित्त बैंक,
भुगतान बैंक तथा स्थानीय क्षेत्र बैंक

महोदया/ महोदय,

शाखा प्राधिकरण नीति को युक्तिसंगत बनाना- दिशानिर्देशों में संशोधन

कृपया ‘बैंकिंग आउटलेट्स – अंतिम दिशानिर्देश’ (उद्धरण संलग्न) पर दिनांक 06 अप्रैल 2016 को जारी विकासात्मक और विनियामक नीतियों से संबंधित वक्तव्य का पैरा 11 देखें।

2. इस संबंध में, यह स्मरण कराया जाता है कि 05 अप्रैल 2016 को प्रथम द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2016-17 में की गई घोषणा के अनुसार, अन्य बातों के साथ-साथ यह प्रस्ताव किया गया था कि बैंकों की विभिन्न विशेषताओं तथा उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं के प्रकारों को ध्यान में रखते हुए शाखाओं तथा आउटरीच के स्वीकार्य तरीकों को पुन:परिभाषित किया जाए। इस प्रयोजन से एक आंतरिक कार्य दल का गठन किया गया था और 06 अक्तूबर 2016 को इसकी रिपोर्ट हमारी वेब साइट पर रखी गई थी, जिस पर जनता की टिप्पणियां मांगी गई थीं।

3. भारत सरकार तथा अन्य हितधारकों से प्राप्त सुझावों/ फीडबैक को ध्यान में लेते हुए अनुबंध में दिए गए ब्योरे के अनुसार बैंकिंग आउटलेट्स पर अंतिम दिशानिर्देशजारी किए जा रहे हैं, जो तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

भवदीय,

(सौरभ सिन्हा)
मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक: यथोक्त


दिनांक 06 अप्रैल 2017 को जारी भारतीय रिज़र्व बैंक की विकासात्‍मक और विनियामकीय नीतियों से संबंधि‍त वक्‍तव्‍य से उद्धरण

11. बैंकिंग केंद्र (बैंकिंग आउटलेट्स): अंतिम दिशानिर्देश – बैंकिंग केंद्रों के संबंध में अंतिम दिशानिर्देश जारी करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसमें 'बैंकिंग केंद्र' क्या है और कम सेवा प्राप्त क्षेत्रों में बैंकिंग केंद्रों को खोलने के प्रयोजनार्थ बैंक की भिन्न-भिन्न रूप में उपस्थिति में एकरूपता लाने के संबंध में स्पष्टीकरण दिया गया है। यह दिशानिर्देश वर्तमान शाखा लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों का अधिक्रमण करेगा। विस्तृत दिशानिर्देश अप्रैल 2017 के अंत तक जारी कर दिए जाएंगे।


अनुबंध

कारोबार के नए स्थान खोलना और विद्यमान कारोबार स्थानों को अंतरित करना

(बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23)

संशोधित दिशानिर्देश

1. प्रयोज्यता का दायरा

ये दिशानिर्देश सभी देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर), लघु वित्त बैंकों, भुगतान बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों पर लागू होंगे।

2. लागू करने की तारीख

ये दिशानिर्देश इस परिपत्र को जारी करने की तारीख से लागू होंगे।

3. परिभाषाएं

इस नीतिगत ढांचे के प्रयोजन से निम्नलिखित परिभाषाओं का प्रयोग किया जाए:

3.1 बैंकिंग आउटलेट/ अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट

3.1.1 अ किसी देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (डीएससीबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी) और भुगतान बैंक (पीबी) के लिए ‘बैंकिंग आउटलेट’ एक नियत स्थल पर सेवा सुपुर्दगी इकाई है, जिसे बैंक के स्टाफ अथवा उसके कारोबार प्रतिनिधि द्वारा चलाया जाता है, जहां सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए जमाराशियां स्वीकार करने, चेकों का नकदीकरण/ नकद आहरण अथवा पैसा उधार देने की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसमें बैंक के नाम और उससे प्राप्त प्राधिकार के साथ नियंत्रक प्राधिकारियों और शिकायत निवारण प्रणाली के संपर्क ब्योरे सहित एक समान पहचान-सूचक बोर्ड है। बैंकिंग आउटलेट का उचित पर्यवेक्षण, टेलेकॉम कनेक्टिविटी के कारण अस्थायी रुकावट को छोड़ कर निर्बाध सेवा आदि सुनिश्चित करने तथा ग्राहकों की शिकायतों का समय पर निवारण करने हेतु बैंक को बैंकिंग आउटलेट की नियमित आन-साइट तथा आफ साइट निगरानी करनी चाहिए। कारोबार समय/ दिवसों को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

3.1.2 ऐसा बैंकिंग आउटलेट, जो सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध नहीं कराता है, उसे अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट माना जाएगा।

3.2 बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र

‘बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र’ (यूआरसी) का आशय एक ग्रामीण (टियर 5 और 6) केंद्र से है, जहाँ ग्राहक आधारित बैंकिंग लेनदेन के लिए किसी अनुसूचित वाणिज्य बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का कोई सीबीएस समर्थित ‘बैंकिंग आउटलेट’ नहीं है अथवा किसी स्थानीय क्षेत्र बैंक या लाइसेंस-प्राप्त सहकारी बैंक की कोई शाखा नहीं है।

विशेष टिप्पणी 1: ऊपर दी गई परिभाषा को पूर्ण करने के अधीन विस्तार काउंटर, सेटेलाइट कार्यालय, अंशत: शिफ्ट की गई शाखाएं, अत्यंत लघु शाखाएँ तथा विशेषीकृत शाखाएं भी स्वतंत्र ‘बैंकिंग आउटलेट’ या ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’, जैसा भी मामला हो, मानी जाएंगी।

विशेष टिप्पणी 2: एटीएम, ई-लॉबी, बंच नोट एक्सेप्टर मशीन (बीएनएएम), नकदी जमा मशीन (सीडीएम), ई-कियोस्क तथा मोबाइल शाखाओं को बैंकिंग आउटलेट नहीं माना जाएगा। मौजूदा अनुदेशों के अनुसार ऐसे बिक्री केंद्र (पीओएस) टर्मिनल, जहां बैंकों द्वारा संबंधित इकाइयों के साथ व्यवसाय प्रतिनिधि के रूप में व्यवस्था न करने के बावजूद सीमित नकद आहरण सुविधा की अनुमति दी गई है, को ‘बैंकिंग आउटलेट’ नहीं माना जाएगा।

4. बैंकिंग आउटलेट खोलना – सामान्य अनुमति

4.1 देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से इतर) को, यदि अन्यथा विनिर्दिष्ट रूप से प्रतिबंधित न किया गया हो, प्रत्येक मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमति लेने की आवश्यकता के बिना टियर 1 से टियर 6 केंद्रों में बैंकिंग आउटलेट खोलने की अनुमति दी गई है। इस नीति में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या के आधार पर यथा-परिभाषित सभी टियर वाले केंद्रों में ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना शामिल है। केंद्रों का टियर-वार और जनसंख्या समूह-वार वर्गीकरण अनुबंध I में दिया गया है।

4.2 वित्त वर्ष के दौरान ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना नीचे दी गई शर्तों के अधीन होगा:

क) वित्त वर्ष के दौरान खोले गए कुल ‘बैंकिंग आउटलेट’ में से कम से कम 25 प्रतिशत ऊपर पैरा 3.2 में यथा- परिभाषित बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में खोले जाने चाहिए।

ख) किसी भी केंद्र में खोले गए किसी ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’ को बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में बैंकिंग आउटलेट खोलने के मानदंड को पूरा करने तथा आनुपातिक आधार पर गणना करने की अपेक्षा के अंतर्गत भाजक तथा गणक के रूप में गिना और जोड़ा जाएगा। अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट के परिकलन के कुछ उदाहरण अनुबंध II में दिए गए हैं।

ग) भारत सरकार द्वारा समय- समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम में टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (एलडबल्यूई) जिलों के टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’ खोलने को किसी बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र (यूआरसी) में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’, जैसा भी मामला हो, खोलने के बराबर माना जाएगा। भारत सरकार द्वारा 24 जनवरी 2016 को अधिसूचित किए गए अनुसार 10 राज्यों में 106 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (एलडबल्यूई) जिलों की सूची अनुबंध III में दी गई है। चूंकि इन दिशानिर्देशों का समग्र उद्देश्य इन कम बैंकिंग सुविधा वाले/ बैंकिंग सुविधा रहित केंद्रों में बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करना है, अत: केंद्र की बैंक सहित/ बैंक रहित स्थिति पर ध्यान न देते हुए, इन कम बैंकिंग सुविधा वाले/ बैंकिंग सुविधा रहित केंद्रों में खोले गए प्रत्येक बैंकिंग आउटलेट को यूआरसी में खोला गया माना जाएगा।

घ) किसी ग्रामीण (टियर 5 और 6) क्षेत्र में खोली गई स्वयं-पूर्ण ‘पक्की इमारत’ वाली शाखा, जिसमें पहले से ही किसी नियत स्थल बीसी आउटलेट द्वारा सेवा दी जा रही है, भी किसी यूआरसी में ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलने के बराबर माने जाने के लिए पात्र होगा। दूसरे शब्दों में, किसी यूआरसी में किसी भी बैंक द्वारा खोले गए पहले नियत स्थल बीसी आउटलेट और पहली ‘पक्की इमारत’ वाली शाखा को 25 प्रतिशत मानदंड की गणना में गिना जाएगा।

ङ) किसी ग्रामीण (टियर 5 और 6) क्षेत्र में खोला गया ‘बैंकिंग आउटलेट’, जिसमें केवल भुगतान बैंक के बैंकिंग आउटलेट द्वारा सेवा दी जा रही है, भी किसी यूआरसी में ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलने के बराबर माने जाने के लिए पात्र होगा। दूसरे शब्दों में, किसी यूआरसी में किसी भुगतान बैंक द्वारा खोले गए पहले ‘बैंकिंग आउटलेट’ तथा किसी अन्य बैंक द्वारा खोले गए पहले ‘बैंकिंग आउटलेट’ को 25 प्रतिशत मानदंड की गणना के लिए गिना जाएगा।

च) बैंक को किसी यूआरसी में कोई आउटलेट खोलने के लिए दिया गया समय एक वर्ष है। यदि कोई बैंक एक वर्ष में 25% आउटलेट खोलने में असफल रहता है, तो टियर 1 शाखाएं खोलने पर प्रतिबंधों सहित उचित दण्डात्मक उपाय किए जाएंगे।

4.3 बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों में अधिक संख्या में बैंकिंग आउटलेट खोलने/फ्रंटलोड करने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें ऊपर पैरा 4.2 में विनिर्दिष्ट अपेक्षा से अधिक ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोले जाने का लाभ, यदि हो, को अगले दो वर्ष की अवधि तक आगे ले जाने की अनुमति दी जाएगी। उक्त लाभ लेने के लिए इस समयावधि को बढ़ाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

4.4 बैंकों को किसी यूआरसी की पहचान करने में सक्षम बनाने हेतु राज्य स्तरीय बैंकर समितियां (एसएलबीसी) रचनात्मक और सक्रिय भूमिका निभाएंगी। एसएलबीसी राज्य के सभी बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्रों का संकलन करेंगी और अद्यतन सूची रखेंगी, जो उनकी वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएगी। इस सूची से बैंकों को उस स्थान को चुनने/ बताने में मदद मिलेगी, जहां वे ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना चाहते हैं। बैंक उनके द्वारा निर्धारित केंद्र को चिह्नित करने हेतु एसएलबीसी संयोजक बैंक को सूचित करेंगे और उनके साथ समन्वय करेंगे। यदि कोई बैंक ऊपर पैरा 4.2(च) के अनुसार निर्धारित 1 वर्ष की अवधि में बैंकिंग आउटलेट खोलने में असफल रहता है, तो एसएलबीसी संयोजक बैंक उस केंद्र को अन्य बैंकों द्वारा बैंकिंग आउटलेट खोले जाने के लिए उपलब्ध के रूप में बता सकता है। ऐसे बैंक, जो एसएलबीसी के सदस्य नहीं हैं, भी वेबसाइट देख सकेंगे तथा उनके द्वारा चिह्नित केंद्रों की सूचना एसएलबीसी संयोजक बैंक को देंगे।

4.5 यदि कोई बैंक किसी भी बैंकिंग आउटलेट/ अंकालिक बैंकिंग आउटलेट में सरकार का कारोबार करने का प्रस्ताव करता है, तो उसे संबंधित सरकारी प्राधिकारी तथा सरकारी और बैंक लेखा विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय से पूर्वानुमति लेना आवश्यक होगा।

5. ‘बैंकिंग आउटलेट’ का विलयन/ बंद करना/शिफ्ट करना/ रूपान्तरण करना

5.1 जिन बैंकों के पास सामान्य अनुमति है, वे अपने विवेकानुसार सभी ‘बैंकिंग आउटलेट’ (ग्रामीण तथा एकमात्र अर्ध-शहरी आउटलेट को छोड़ कर) को शिफ्ट, विलय या बंद कर सकते हैं।

5.2 किसी भी ग्रामीण तथा एकल अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ के विलयन, बंद करने तथा शिफ्ट करने के लिए डीसीसी/डीएलआरसी का अनुमोदन लेना आवश्यक होगा। तथापि, किसी ग्रामीण तथा एकल अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ को संपूर्ण पक्की इमारत वाली शाखा में परिवर्तित करने, और इसके विपरीत के लिए ऐसे अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। किसी ग्रामीण तथा एकल अर्ध-शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ का विलयन/बंदी/शिफ्टिंग/परिवर्तन करते समय बैंक तथा डीसीसी/डीएलआरसी यह सुनिश्चित करेंगे कि केंद्र की बैंकिंग आवश्यकताओं को पूरा किया जाना जारी है।

5.3 बैंकों को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस बैंकिंग आउटलेट का विलयन/बंद/शिफ्ट किया जा रहा है, उसके ग्राहकों को समय रहते सूचित किया जाए, ताकि उन्हें होने वाली असुविधा से बचा जा सके। साथ ही, बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं के अंतर्गत उन्हें सौंपी गई भूमिका को निभा रहे हैं।

5.4 इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ‘बैंकिंग आउटलेट’ को उसी या उससे कम जनसंख्या वाले वर्ग के भीतर, अर्थात् अर्ध –शहरी ‘बैंकिंग आउटलेट’ को अर्ध-शहरी या ग्रामीण केंद्र में, अथवा ग्रामीण ‘बैंकिंग आउटलेट’ को अन्य ग्रामीण केंद्रों में शिफ्ट किया जाता है।

6. ‘बैंकिंग आउटलेट’ खोलना/ शिफ्ट करना/ विलय करना/ बंद करना/ परिवर्तन करना- जिन बैंकों के पास सामान्य अनुमति नहीं है, उनके लिए दिशानिर्देश

6.1 देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, जिनसे सामान्य अनुमति वापिस ले ली गई है, को अपनी सभी शाखाएं खोलने के लिए बैंकिंग विनियमन विभाग (डीबीआर), केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन लेना होगा। साथ ही, उन्हें टियर 5 और 6 केंद्रों में खोले गए आउटलेटों को छोड़ कर, अपने नियत स्थल बीसी आउटलेट के संबंध में अनुमति के लिए भी रिज़र्व बैंक से संपर्क करना होगा। लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक तथा स्थानीय क्षेत्र बैंक सभी श्रेणियों के बैंकिंग आउटलेट के लिए डीबीआर, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करेंगे। ये बैंक अनुबंध IV में दिए गए प्रोफार्मा के अनुसार इन बैंकिंग आउटलेटों को खोलने, बंद करने, शिफ्ट करने, विलय करने तथा परिवर्न करने को प्रस्तावों के समेकित ब्योरों सहित अपनी वार्षिक बैंकिंग आउटलेट विस्तार योजना (एबीओईपी) प्रस्तुत करेंगे।

6.2 यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उपरोक्त पैरा में निहित दिशानिर्देशों के अनुरूप सभी प्रस्ताव सामान्य अनुमति वाले बैंकों के लिए लागू हैं। समेकित प्रस्ताव के अनुमोदन पर, विशिष्ट केंद्रों में नई शाखाएं खोलने के लिए व्यक्तिगत प्रस्ताव, जिसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति की आवश्यकता होती है, बैंककारी विनियमन (कम्पनी नियम), 1949 के नियम 12 के अनुसार निर्धारित फार्म VI में बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई को अनुमोदन के लिए प्रस्‍तुत की जानी चाहिए। प्रारूप अनुबंध V में दिया गया है। एबीओईपी और कोई अन्य प्रस्ताव जो इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करना आवश्यक है, के लिए बैंक के निदेशक मंडल या ऐसे अन्य प्राधिकारी जिसे बैंक के बोर्ड द्वारा अधिकार सौंपे गए हैं, की मंजूरी होनी चाहिए। बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि इन प्रस्तावों के साथ ऐसे अनुमोदन की एक अधिप्रमाणित / प्रमाणित प्रतिलिपि अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की गई है।

6.3 यह समझा गया है कि लघु वित्‍त बैंकों सहित कुछ बैंकों, जिनके पास सामान्य अनुमति नहीं है, ने ऐसे यूआरसी ,जिनकी पहचान यूआरसी की पूर्व परिभाषा के अनुसार की गई है, में 25% शाखाएं खोलने की मंजूरी सहित, चालू वर्ष (2017-18) हेतु अपनी वार्षिक शाखा विस्तार योजना के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से विशेष अनुमति ली होगी। यह स्पष्ट किया जाता है कि उपर्युक्‍त पैरा 3.2 के अनुसार यूआरसी की संशोधित परिभाषा के होते हुए भी आरबीआई द्वारा प्राधिकृत केन्द्रों पर खोली गई शाखाओं की गणना 25% के मानदंड के अनुपालन के मूल्यांकन हेतु की जाएगी।

7. लघु वित्‍त बैंकों के एमएफआई ढांचे को पुराने नियमों के अनुसार चलने की अनुमति देना

7.1 लघु वित्त बैंकों (एसएफबी) के एमएफआई / एनबीएफसी ढांचे के फायदों को संरक्षित रखने के लिए एक सक्षम माहौल प्रदान करने हेतु तथा आगे वित्तीय समावेशन की दृष्‍टि से एसएफबी को अपने बैंकिंग नेटवर्क को मौजूदा दिशानिर्देशों के साथ संरेखित करने के लिए कारोबार शुरू करने की तारीख से 3 साल का समय दिया जा रहा है। तब तक मौजूदा संरचना बनी रह सकती हैं और उन्हें 'बैंकिंग आउटलेट' माना जाएगा, हालांकि 25 प्रतिशत के मानदंड के लिए तुरंत गणना नहीं की जाएगी।

7.2 फिर भी, 3 वर्षों की इस अवधि के दौरान, एक वर्ष में खोले गए अथवा मौजूदा एमएफआई शाखाओं से परिवर्तित किए गए सभी बैंकिंग आउटलेटों के लिए, उन्हें उसी वर्ष में बैंक रहित ग्रामीण क्षेत्रों में 25% बैंकिंग आउटलेट खोलने होंगे। इस प्रयोजन के लिए, मौजूदा एमएफआई शाखाओं से परिवर्तित किए गए सभी बैंकिंग आउटलेटों से आशय है, ऐसी मौजूदा एनबीएफसी / एमएफआई शाखाएं जो मौजूदा ऋण देने की गतिविधियों के अलावा जमाएं स्‍वीकार करने, चेक की निकासी/ आहरण की अनुमति देने जैसे कार्य करने का इरादा रखती हैं।

7.3 उनके द्वारा कारोबार शुरू करने की तारीख से तीन साल की समाप्‍ति पर, सभी एसएफबी द्वारा अपने कुल बैंकिंग आउटलेट में से कम से कम 25 प्रतिशत शाखाएं बैंक रहित ग्रामीण क्षेत्रों में खोली जानी चाहिए अन्‍यथा ऐसे बैंकों द्वारा और विस्तार करने पर प्रतिबंध सहित दंडात्मक उपायों पर विचार किया जाएगा और यथोचित दंड लगाया जाएगा। सभी संस्थाओं को समान अवसर प्रदान करने के लिए यह व्‍यवस्‍था उन सभी मौजूदा बैंकों पर लागू होंगी जो पहले एनबीएफसी / एमएफआई थे और ऐसी एनबीएफसी / एमएफआई संस्थाएं भी, जो भविष्यि में लाईसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं।

8.एटीएम / ई-कियोस्क / सीडीएम / बीएनएएम में कर्मचारी लगाना

बैंकों द्वारा विशेषीकृत आर्थिक क्षेत्र सहित पहचाने गए केंद्रों / स्थानों पर ऑनसाइट / ऑफसाइट ऑटोमेटेड टेलर मशीन (एटीएम) स्थापित करने की अनुमति है। बैंकों को इन आउटलेटों की सेवाओं का उपयोग करने वाले ग्राहकों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए उचित स्टाफ सदस्य (सदस्यों) नियुक्त करने की अनुमति है। ऐसे एटीएम को 'बैंकिंग आउटलेट्स' नहीं माना जाएगा जैसा कि परिपत्र के पैरा 3.1 में परिभाषित किया गया है।

9. मोबाइल शाखाएं - सभी टीयरों में विस्तार

बैंकों को सभी केंद्रों में मोबाइल शाखाएं खोलने / संचालित करने की अनुमति है। इन मोबाइल शाखाओं को बैंकिंग आउटलेट नहीं माना जाएगा।

10. प्रशासनिक कार्यालय, बैक ऑफिस (केंद्रीय प्रसंस्करण केंद्र / सेवा शाखा) और कॉल सेंटर आदि की स्थापना

10.1 सामान्य अनुमति वाले बैंक भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमति के बिना प्रशासनिक कार्यालय (प्रधान/क्षेत्रीय/ अंचल कार्यालय आदि), प्रशिक्षण केंद्र, बैक ऑफिस (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) / सेवा शाखाएं), ट्रेजरी शाखाएं और कॉल सेंटर आदि की स्थापना कर सकते हैं।

10.2 बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बैं‍क ऑफिस अर्थात सीपीसी / सेवा शाखाएं, जो विशेष रूप से अन्य शाखाओं से प्राप्त अनुरोधों पर डेटा प्रसंस्करण, दस्तावेजों का सत्यापन और प्रसंस्करण, चेक बुक जारी करना आदि बैंक ऑफिस कार्य करने के लिए स्थापित किए गए हैं, को उन्हें बैंकिंग आउटलेट नहीं माने जाने के लिए उनका ग्राहकों से कोई सीधा संपर्क नहीं होना चाहिए। वर्तमान में जिन बैंकों को इन बैक ऑफिसों (सेवा शाखाओं और/या सीपीसी) में ग्राहक संपर्क के लिए विनिर्दिष्‍ट रूप से अनुमति दी गई है, उन्हें इस परिपत्र की तिथि से एक वर्ष के भीतर उपरोक्त अनुदेशों के साथ संरेखित करना होगा और बैंकिंग विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक को इसका अनुपालन रिपोर्ट करना होगा।

11. व्यवसाय सुविधादाता / कारोबार प्रतिनिधि मॉडल

दिनांक 1 जुलाई 2014 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि सं. बीएपीडी. बीसी .7/22.01.001/2014-15 में निहित व्यवसाय सुविधादाता / कारोबार प्रतिनिधि मॉडल से संबंधित अनुदेशों में कोई परिवर्तन नहीं है।

12. ग्राहक शिक्षा

बैंकों को 1 जुलाई, 2014 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि सं.बीएपीडी.बीसी.7/22.01.001/2014-15 में दिये गये दिशानिर्देशों का पालन करना जारी रखते हुए यह भी सुनिश्‍चित करना चाहिए कि कम जनसंख्या घनत्व या कम जनसंख्या वाले स्थानों में भौतिक ' इमारती शाखाओं' के समुचित विकल्प के रूप में बैंकिंग आउटलेट के संबंध में लोगों को जानकारी दी जाती है।

13. निदेशक बोर्ड की भूमिका

वित्तीय समावेशन बैंकिंग विस्तार का व्यापक उद्देश्य है और बैंकों दिए गए परिचालनगत लचीलेपन को देखते हुए, बैंकों के बोर्ड के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि इन दिशानिर्देशों के सख्त अनुपालन के लिए पूर्ण व्यवस्था की गई है। इसलिए, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे 'बैंकिंग आउटलेट' की नियमित ऑफ-साइट और ऑन-साइट निगरानी की व्‍यवस्‍था करें, ताकि उचित पर्यवेक्षण, 'निर्बाध सेवा' और ग्राहक शिकायतों का समय पर निपटान सुनिश्‍चित किया जा सके। बोर्ड इन आउटलेटों में लेनदेनों की नियमित रूप से समीक्षा और निगरानी करेगा ताकि ये पता लगाया जा सके कि इन आउटलेटों में बैंकिंग सेवाओं का लेनदेन किया जा रहा है और विशेष रूप से बैंक रहित ग्रामीण केंद्रों में वित्‍तीय समावेशन के लिए लक्षित ग्राहकों को बैंकिंग सुविधाएं मिल रही हैं। इसलिए, बैंकों के बोर्डों को वित्तीय समावेशन के लिए आंतरिक लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। ग्राहक खातों और लेन-देनों (खातों का प्रकार और संख्या, प्राप्त जमा राशियां, दिए गए अग्रिम, संसाधित विप्रेषण, बकाया शेष राशि आदि) पर केंद्र-वार और टियर-वार डेटा नियमित आधार पर प्राप्त किया जाएगा। चूंकि लघु वित्त बैंकों और भुगतान बैंकों को वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने के लिए स्थापित किया गया है और उनका ग्राहक आधार मुख्य रूप से प्रवासी श्रमिक कार्मचारी, कम आय वाले परिवार, छोटे व्यवसाय, अन्य असंगठित क्षेत्र की इकाइयां आदि होंगे, अतः उनके आंतरिक लक्ष्य उनके उद्देश्यों के अनुरूप होने चाहिए। बोर्ड नियमित आधार पर, जैसा कि तिमाही आधार पर इस संबंध में प्रगति की समीक्षा करेगा, और जब भी आवश्यक होगा और मांगा जाएगा, जरूरी डेटा रिजर्व बैंक को उपलब्ध कराएगा ।

14. रिपोर्टिंग की आवश्‍यकता

14.1 बैंक कारोबार का नया स्‍थान अर्थात् शाखा / कार्यालय / एनएआईओ (गैर-प्रशासकीय स्वतंत्र कार्यालय) खोलने से संबंधित सूचना प्रोफार्मा I (अनुलग्नक VI) के अनुसार और स्थिति में परिवर्तन- विलय, रूपांतरण, समापन आदि पर प्रोफार्मा II (अनुलग्नक VII) के अनुसार सूचनाएं सांख्यिकी और सूचना प्रबंधन विभाग (डीएसआईएम), बैंकिंग सांख्यिकी प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, सी -8 / 9, बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स, मुंबई -400051 को प्रस्तुत करेंगे ।

14.2 'बैंकिंग आउटलेट' के रूप में वर्गीकृत नियत स्‍थल पर बिन्दु बीसी आउटलेटों के संबंध में, बैंकों से अपेक्षित है कि वे अनुलग्नक VIII के अनुसार 01अप्रैल, 2017 से त्रैमासिक आधार पर डेटा रिपोर्ट करें। प्रारंभिक आंकडें प्रस्तुत करने के लिए, बैंक ऐसी पहली रिपोर्ट (31 मार्च, 2017 तक की स्थिति) डीएसआईएम, भारतीय रिजर्व बैंक, को इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से एक माह के भीतर भेजें।

14.3 चालू वर्ष 2017-18 से, शाखाएं खोलने के संबंध में बैंकिंग विनियमन विभाग, केन्द्रीय कार्यालय को वार्षिक रिपोर्टिंग को समाप्‍त किया गया।

15. मौजूदा शाखा प्राधिकरण ढांचे में किए गए सभी प्रमुख परिवर्तन परिशिष्ट में प्रस्तुत किए गए हैं।


अनुबंध

बैंकिंग आउटलेट प्राधिकरण पर संशोधित दिशानिर्देश – महत्वपूर्ण परिवर्तन

क्रम
सं
विवरण पुराने प्रावधान नए प्रावधान
1 बैंकिंग आउटलेट/ अन्य आउटलेट की परिभाषा शाखा - "शाखा" में सभी शाखाएं शामि‍ल होंगी, अर्थात् स्वयं पूर्ण शाखाएं, विशेषीकृत शाखाएं, अनुषंगी (सेटलाइट) कार्यालय, मोबाइल शाखाएं, वि‍स्तार पटल, ऑफसाइट एटीएम (स्वचालि‍त टेलर मशीन), प्रशासनि‍क कार्यालय, नि‍यंत्रक कार्यालय, सेवा शाखाएं (बैक ऑफि‍स या प्रसंस्करण केंद्र) आदि। कॉल सेंटर को शाखा के रूप में नहीं माना जाएगा।

शाखा के स्थान पर बैंकिंग आउटलेट (जिसमें शाखा के साथ-साथ बीसी आउटलेट जैसे अन्य आउटलेट भी शामिल हैं) की निम्नलिखित परिभाषा दी गई है:

बैंकिंग आउटलेट - किसी देशी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (डीएससीबी), लघु वित्त बैंक (एसएफबी) और भुगतान बैंक (पीबी) के लिए ‘बैंकिंग आउटलेट’ एक नियत स्थल पर सेवा सुपुर्दगी इकाई है, जिसे बैंक के स्टाफ अथवा उसके कारोबार प्रतिनिधि द्वारा चलाया जाता है, जहां सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए जमाराशियां स्वीकार करने, चेकों का नकदीकरण/ नकद आहरण अथवा पैसा उधार देने की सेवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं।

अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट - बैंक की ऐसी स्थायी सेवा प्रदाता इकाई जो सप्ताह में कम से कम पांच दिन, प्रतिदिन न्यूनतम 4 घंटे के लिए बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध नहीं कराती है, उसे अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट माना जाएगा।

2 बैंकरहित ग्रामीण केंद्र की पुनर्परिभाषा बैंकरहित ग्रामीण केंद्र वे हैं, जहां ग्राहक आधारित बैंकिंग लेनदेन के लिए किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की कोई इमारती शाखा नहीं है। ‘बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र’ (यूआरसी) का आशय एक ग्रामीण (टियर 5 और 6) केंद्र से है, जहाँ ग्राहक आधारित बैंकिंग लेनदेन के लिए किसी अनुसूचित वाणिज्य बैंक, लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक या क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का कोई सीबीएस समर्थित ‘बैंकिंग आउटलेट’ नहीं है अथवा किसी स्थानीय क्षेत्र बैंक या लाइसेंस-प्राप्त सहकारी बैंक की कोई शाखा नहीं है।
3 25% शाखाएं खोलने की शर्तें संशोधित एक वित्तीय वर्ष के दौरान खोले जाने के लिए प्रस्तावित शाखाओं की कम से कम 25 प्रतिशत शाखाएं (टियर 1 केन्द्रों में प्रोत्साहन के रूप में मिली शाखाओं को छोड़कर) बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण (टियर 5 तथा टियर 6) केंद्रों को आबंटित करनी होगी । वित्त वर्ष के दौरान खोले गए कुल ‘बैंकिंग आउटलेट’ में से कम से कम 25 प्रतिशत बैंकरहित ग्रामीण केंद्रों में (टियर 5 और टियर 6) खोले जाने चाहिए। अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट के लिए यथानुपात लाभ दिया जाएगा।
4. टियर 1 शाखाओं की संख्या पर रोक हटाकर विनियमों को सरल बनाया गया और अपर्याप्त बैंकिंग सुविधाओं वाले जिले/राज्यों की सूची देने की आवश्यकता नहीं रही।

टियर 1 केंद्रों में शाखाएं खोलने के लिए प्राधिकार सामान्यतः टियर 2 से टियर 6 केंद्रों तथा पूर्वोत्तर राज्यों एवं सिक्किम के ग्रामीण, अर्ध-शहरी एवं शहरी केंद्रों में खोले जाने के लिए प्रस्तावित शाखाओं की कुल संख्या से अधिक नहीं होगा।

बैंक अपर्याप्त बैंकिंग सुविधा वाले राज्यों के अपर्याप्त बैंकिंग सुविधा वाले जिलों में खोली गई शाखाओं की संख्या के बराबर शाखाएं टियर 1 केन्द्रों में (उपर्युक्त दी गई पात्रता के अतिरिक्त) खोल सकेंगे।

टियर 1 शाखाओं की संख्या पर बंधन हटाया गया

उत्तर-पूर्वी राज्यों और सिक्किम (एलडबल्यूई जिलों में भी) में बैंकिंग आउटलेट खोलने के लिए प्रोत्साहन को निम्नलिखित रूप में संशोधित किया गया है:

भारत सरकार द्वारा समय- समय पर अधिसूचित किए गए अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों और सिक्किम में टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में तथा वामपंथी उग्रवाद प्रभावित (एलडबल्यूई) जिलों के टियर 3 से टियर 6 केंद्रों में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’ खोलने को किसी बैंकिंग सुविधा रहित ग्रामीण केंद्र (यूआरसी) में ‘बैंकिंग आउटलेट’/ ‘अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट’, जैसा भी मामला हो, खोलने के बराबर माना जाएगा।

किसी ग्रामीण (टियर 5 और 6) क्षेत्र में खोली गई स्वयं-पूर्ण ‘पक्की इमारत’ वाली शाखा, जो पहले से ही किसी नियत स्थल बीसी आउटलेट द्वारा सेवा दिए जाने के कारण बैंकरहित की परिभाषा में नहीं आता है, को भी किसी यूआरसी में शाखा खोलने के बराबर प्रोत्साहन दिए जाने के लिए पात्र माना जाएगा। किसी भुगतान बैंक के बैंकिंग आउटलेट की सेवा पा रहे ग्रामीण केंद्र में बैंकिंग आउटलेट खोलने पर भी ऐसा ही लाभ दिया जाएगा।

5 बैंकरहित ग्रामीण केन्द्रों में शाखाओं की फ्रंट लोडिंग – एफ़आईपी से असंबद्ध करना बैंक बैंकरहित ग्रामीण केन्द्रों में शाखाएं खोलने को तीन-वर्षीय चक्र में शुरुआती अवधि में प्राथमिकता दे (फ्रंट लोडिंग) सकते हैं, जो उनकी वित्तीय समावेशन योजना (एफ़आईपी 2013-16) के साथ चलेगा। बैकरहित ग्रामीण केन्द्रों/ उत्तर पूर्वी राज्यों, सिक्किम के टियर 3 से 6 के केन्द्रों और एलडबल्यूई प्रभावित जिलों में न्यूनतम 25% से अधिक बैंकिंग आउटलेट की फ्रंटलोडिंग के लिए बैंक अगले दो वर्ष तक प्रोत्साहन प्राप्त कर सकते हैं।
6 बैक ऑफिस/ (सीपीसी /सेवा शाखाएं)-ग्राहक इंटरफेस – किसी इंटरफेस की अनुमति नहीं हालांकि वर्तमान दिशानिर्देशों में किसी ग्राहक संपर्क पर प्रतिबंध है, पर समय के साथ, बैंकों के विभिन्न प्रकार के अनुरोधों पर कुछ अपवादों की अनुमति दी गई। किसी ग्राहक इंटरफेस/ संपर्क की अनुमति नहीं होगी। जिन बैंकों को अभी सीपीसी में गाहको से सीमित संपर्क की विशिष्ट अनुमति दी गई है, उन्हें उपर्युक्त अनुदेशों का पालन इस परिपत्र की तारीख के एक वर्ष के भीतर करना होगा।
7 सैटेलाइट कार्यालयों, शाखाओं की आंशिक शिफ्टिंग, विस्तार काउंटर, अति लघु शाखाओं, विशेषीकृत शाखाओं पर दिशानिर्देश सम्मिलित किए गए। इन आउटलेटों के लिए अलग दिशानिर्देश मौजूद थे। अलग दिशानिर्देशों की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि इन सभी आउटलेटों को, मामले के अनुसार, बैंकिंग आउटलेट या अंशकालिक बैंकिंग आउटलेट माना जाएगा।
8 निदेशक बोर्ड की भूमिका वार्षिक शाखा विस्तार योजना के अनुमोदन तक सीमित संशोधित रूपरेखा का व्यापक उद्देश्य वित्तीय समावेशन होने और बैंकों को परिचालनगत लचीलेपन की सुविधा होने के कारण, बोर्ड को सभी दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की समग्र जिम्मेदारी दी गई है।


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