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मास्टर निदेशों

मास्‍टर निदेश – माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार

आरबीआई/विसविवि/2016-17/37
मास्‍टर निदेश विसविवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.3/06.02.31/2016-17

21 जुलाई 2016

अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय / महोदया,

मास्‍टर निदेश – माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार

जैसा कि आपको ज्ञात है, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों को माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को उधार से संबंधित मामलों में समय-समय पर कई दिशा-निर्देश/ अनुदेश/ परिपत्र/ निदेश जारी किए हैं। संलग्‍न मास्‍टर निदेश में इस विषय पर अद्यतन दिशानिर्देश/ अनुदेश/ परिपत्र समाविष्ट किए गए हैं। इस मास्टर निदेश में समेकित परिपत्रों की सूची परिशिष्‍ट में दी गई है। निदेश को समय-समय पर, जब भी नए अनुदेश जारी किए जाएंगे तबअद्यतन किया जाएगा। मास्टर निदेश को रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर रखा गया है।

2. कृपया प्राप्ति सूचना दें।

भवदीय

(जोस जे. कट्टूर)
मुख्य महाप्रबंधक


मास्‍टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक [माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार] – निदेश, 2016

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35 ए द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनहित में ऐसा करना आवश्‍यक और समीचीन है, एतद्द्वारा, इसके बाद विनिर्दिष्‍ट किए गए निदेश जारी करता है।

अध्‍याय - I

प्रारंभिक

1.1 संक्षिप्‍त नाम और प्रारंभ

(क) ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक [माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार] – निदेश, 2016 कहलाएंगे।

(ख) ये निदेश भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर रखे जाने के दिन से प्रभावी होंगे।

1.2 प्रयोज्‍यता

इन निदेशों के उपबंध भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में कार्य करने के लिए लाइसेंसीकृत प्रत्‍येक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक {क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को छोड़कर} पर लागू होंगे।

1.3 परिभाषा/ स्‍पष्‍टीकरण

इन निदेशों में, जब तक कि प्रसंग से अन्‍यथा अपेक्षित न हो, दिए गए शब्‍दों (टर्मस) के अर्थ वही होंगे जो नीचे विनिर्दिष्ट हैं:

  1. एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 का अर्थ है भारत सरकार द्वारा दिनांक 16 जून 2006 को यथा अधिसूचित माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 तथा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर उसमें किए गए संशोधन, यदि कोई हो।

  2. ‘माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम’ का अर्थ है एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में यथा परिभाषित उद्यम तथा भारत सरकार द्वारा समय-समय पर उसमें किया गया संशोधन, यदि कोई हो।

  3. ‘विनिर्माण’ और ‘सेवा’ उद्यम का अर्थ है एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में यथा परिभाषित या भारत सरकार, एमएसएमई मंत्रालय द्वारा एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत समय-समय पर यथा अधिसूचित उद्यम।

  4. ‘प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र’ का अर्थ है दिनांक 07 जुलाई 2016 के मास्‍टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण) निदेश, 2016 में यथा परिभाषित या समय-समय पर यथा संशोधित क्षेत्र।

  5. ‘समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी)’ का अर्थ दिनांक 07 जुलाई 2016 के मास्‍टर निदेश – भारतीय रिज़र्व बैंक (प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र को उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण) निदेश, 2016 में यथा परिभाषित या समय-समय पर यथा संशोधित समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) होगा।

अध्‍याय – II

2 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006

भारत सरकार ने माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 बनाया है जिसे राजपत्र अधिसूचना के द्वारा दिनांक 16 जून 2006 को अधिसूचित किया है। एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 लागू हो जाने से जो स्पष्ट परिवर्तन आया है वह यह कि उक्त क्षेत्र में मध्यम उद्यमों को सम्मिलित करने के अलावा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा में सेवा क्षेत्र को भी शामिल किया जाना है। माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 ने विनिर्माण या उत्पादन तथा सेवाएं उपलब्ध या प्रदान करने में लगे माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा को संशोधित किया है। रिज़र्व बैंक ने सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को परिवर्तन के बारे में सूचित कर दिया है। इसके साथ ही, अधिनियम में दी गई परिभाषा को, रिज़र्व बैंक के दिनांक 4 अप्रैल 2007 के परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफ एस.बीसी.सं.63/06.02.31/2006-07 के अनुसार बैंक ऋण के प्रयोजनों के लिए अपनाया गया है।

2.1 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम की परिभाषा

(क) विनिर्माण उद्यम, अर्थात एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में दी गई परिभाषा के अधीन, नीचे विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार, वस्तुओं के विनिर्माण या उत्पादन में लगे उद्यम :

  1. माइक्रो उद्यम एक ऐसा उद्यम है जिसका संयंत्र और मशीनों में निवेश 25 लाख रुपए से अधिक न हो;

  2. लघु उद्यम एक ऐसा उद्यम है जिसका संयंत्र और मशीनों में निवेश 25 लाख रुपए से अधिक हो परंतु 5 करोड़ रुपए से अधिक न हो; तथा

  3. मध्यम उद्यम एक ऐसा उद्यम है जिसका संयंत्र और मशीनों में निवेश 5 करोड़ रुपए से अधिक हो परंतु 10 करोड़ रुपए से अधिक न हो।

उपर्युक्त उद्यमों के मामले में, संयंत्र और मशीनों में निवेश वह मूल लागत है जिसमें भूमि और भवन तथा लघु उद्योग मंत्रालय द्वारा दिनांक 5 अक्तूबर 2006 की अधिसूचना सं.एसओ.1722 (ई) में निर्दिष्ट मद शामिल नहीं हैं (अनुबंध I) ।

(ख) सेवा उद्यम अर्थात सेवाएं उपलब्ध कराने अथवा प्रदान करने में लगे उद्यम एवं जिनका उपकरणों में निवेश (भूमि और भवन तथा फर्नीचर, फिटिंग्स और ऐसी अन्य मदों को, जो प्रदान की जाने वाली सेवाओं से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित नहीं हैं या एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 में यथा अधिसूचित मदों को छोड़कर मूल लागत) नीचे विनिर्दिष्ट किया गया है :

  1. माइक्रो उद्यम वह उद्यम है जिसका उपकरणों में निवेश 10 लाख रूपए से अधिक न हो;

  2. लघु उद्यम वह उद्यम है जिसका उपकरणों में निवेश 10 लाख रुपए से अधिक हो परंतु 2 करोड़ रुपए से अधिक न हो; और

  3. मध्यम उद्यम वह उद्यम है जिसका उपकरणों में निवेश 2 करोड़ रुपए से अधिक हो परंतु 5 करोड़ रुपए से अधिक न हो।

2.2 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम हेतु प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी दिशानिर्देश

‘प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार- लक्ष्‍य और वर्गीकरण’ पर दिनांक 07 जुलाई 2016 के मास्टर निदेश विसविवि.केंका.प्‍लान.1/04.09.01/2016-17 के अनुसार विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के माइक्रो, लघु और मध्‍यम उद्यमों को दिए गए बैंक ऋण निम्नलिखित मानदण्‍डों के अनुसार प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे।

2.2.1 विनिर्माण उद्यम

उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में निर्दिष्ट और सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किसी भी प्रकार के उद्योग के लिए विनिर्माण या वस्तुओं के उत्पादन में लगी माइक्रो, लघु और मध्‍यम उद्यम संस्थाएं। विनिर्माण उद्यमों को संयंत्र और मशीनरी में निवेश के अनुसार परिभाषित किया गया है।

2.2.2 सेवा उद्यम

एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत उपकरणों में निवेश के अनुसार परिभाषित और सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में लगे माइक्रो और लघु उद्यमों को प्रति उधारकर्ता/ यूनिट 5 करोड़ रुपए और मध्‍यम उद्यमों को 10 करोड़ रुपए तक का बैंक ऋण।

2.3 खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र (केवीआई)

खादी और ग्राम उद्योग (केवीआई) क्षेत्र की इकाइयों को दिए गए सभी ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत माइक्रो उद्योगों हेतु नियत 7.5 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के अधीन वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

2.4 खाद्यान्‍न और एग्रो प्रसंस्करण यूनिटों को दिए गए बैंक ऋण कृषि का भाग होंगे।

2.5 एमएसएमई को अन्‍य वित्त

(i) काश्तकारों, ग्राम और कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति और उनके उत्पादन के विपणन के विकेंद्रित क्षेत्र को सहायता प्रदान करने में निहित संस्‍थाओं को ऋण।

(ii) विकेंद्रित क्षेत्र अर्थात काश्तकार, ग्राम और कुटीर उद्योग के उत्पादकों की सहकारी समितियों को ऋण।

(iii) ‘प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार- लक्ष्‍य और वर्गीकरण’ पर वर्तमान मास्‍टर परिपत्र में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार एमएफआई को आगे एमएसएमई क्षेत्र को ऋण देने के लिए बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण।

(iv) सामान्‍य क्रेडिट कार्ड (वर्तमान में प्रचलित और व्‍यक्तियों की कृषि से इतर उद्यमीय क्रेडिट आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने वाले काश्तकार क्रेडिट कार्ड, लघु उद्यमी कार्ड, स्‍वरोजगार क्रेडिट कार्ड, तथा बुनकर कार्ड आदि सहित) के अंतर्गत बकाया ऋण।

(v) बैंकों द्वारा 8 अप्रैल 2015 के बाद प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के अंतर्गत ऐसे खाता धारकों, जिनकी घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में 100,000/- से अधिक न हो और गैर-ग्रामीण क्षेत्रों में यह 1,60,000/- से अधिक न हो, को दी जानेवाली 5,000/- तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा। ऐसे ओवरड्राफ्ट, माइक्रो उद्यमों को उधार देने संबंधी लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे।

(vi) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र में कमी के कारण सिडबी और मुद्रा लि. के पास बकाया जमाराशियां।

2.6 यह सुनिश्चित करने के लिए कि एमएसएमई केवल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की स्थिति के लिए पात्र बने रहने हेतु लघु और मध्‍यम उद्यम इकाई न बनी रहे, एमएसएमई यूनिट को संबंधित एमएसएमई श्रेणी से अधिक विकसित होने के बाद तीन वर्षों तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार का लाभ मिलना जारी रहेगा।

2.7 चूँकि एमएसएमई अधिनियम, 2006 में उसी व्यक्ति/ कंपनी द्वारा स्थापित भिन्न-भिन्न उद्यमों के निवेशों को सूक्ष्म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों के रूप में वर्गीकरण के प्रयोजनार्थ एक साथ मिलाने (क्लब करने) का प्रावधान नहीं है, इसलिए औद्योगिक उपक्रमों के लघु उद्योग के रूप में वर्गीकरण के प्रयोजन हेतु एक ही स्वामित्व के दो या अधिक उद्यमों के निवेशों को एक साथ मिलाने के संबंध में 1 जनवरी 1993 की गज़ट अधिसूचना सं. एस.ओ. 2 (ई) को 27 फरवरी 2009 की भारत सरकार की अधिसूचना सं. एस.ओ. 563 (ई) के द्वारा रद्द कर दिया गया है।

अध्‍याय – III

3 घरेलू वाणिज्य बैंकों और भारत में कार्यरत विदेशी बैंकों द्वारा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र को उधार का लक्ष्य/ उप-लक्ष्य

3.1 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुसार माइक्रो, लघु और मध्‍यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र अग्रिमों को समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) या तुलन पत्र से इतर एक्सपोज़र के बराबर ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, को प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के 40 प्रतिशत के समग्र लक्ष्य की गणना के हिसाब में लिया जाएगा।

3.2 घरेलू अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे माइक्रो उद्यमों को दिए जाने वाले ऋण, एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य राशि का ऋण, इनमें से जो भी अधिक हो, का 7.5 प्रतिशत का उप-लक्ष्‍य मार्च 2017 तक प्राप्त करे। ऐसे विदेशी बैंक जिनकी 20 और उससे अधिक शाखाएं भारत में कार्यरत हैं, के लिए माइक्रो उद्यम का उप-लक्ष्‍य 2017 में समीक्षा के बाद 2018 के पश्‍चात लागू किया जाएगा। तथापि ऐसे विदेशी बैंक जिनकी 20 से कम शाखाएं भारत में कार्यरत हैं, उनके लिए माइक्रो उद्यम को उधार देने का यह उप-लक्ष्‍य लागू नहीं है।

3.3 एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत उपकरणों में निवेश के अनुसार परिभाषित और सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में लगे माइक्रो और लघु उद्यमों को प्रति उधारकर्ता/ यूनिट 5 करोड़ रुपए से अधिक और मध्‍यम उद्यमों को 10 करोड़ रुपए से अधिक के बैंक ऋणों को उपर्युक्तानुसार समग्र प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र लक्ष्यों की गणना में हिसाब में नहीं लिया जाएगा। तथापि, माइक्रो और लघु उद्यमों को प्रति उधारकर्ता/ यूनिट 5 करोड़ रुपए से अधिक के ऋणों को एमएसई क्षेत्र को उधार हेतु एमएसएमई पर प्रधानमंत्री टास्क फोर्स द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की बैंकों की उपलब्धि के संदर्भ में उनके कार्यनिष्पादन के मूल्यांकन के समय हिसाब में लिया जाएगा।

3.4 एमएसएमई पर प्रधानमंत्री टास्क फोर्स की सिफारिशों के अनुसार बैंकों को निम्‍नलिखित को प्राप्त करने हेतु सूचित किया गया है :

(i) माइक्रो और लघु उद्यमों को ऋण में 20 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष वृद्धि,

(ii) माइक्रो उद्यम खातों की संख्या में 10 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि और

(iii) एमएसई क्षेत्र को पिछले 31 मार्च तक दिए गए कुल उधार का 60 प्रतिशत - माइक्रो उद्यमों को दिया जाना

अध्‍याय – IV

4. एमएसएमई क्षेत्र को उधार देने के लिए सामान्य दिशा-निर्देश/ अनुदेश

4.1 एमएसएमई उधारकर्ताओं को ऋण आवेदनपत्रों की प्राप्ति सूचना जारी करना

बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपने एमएसएमई उधारकर्ताओं द्वारा हाथ से (मैन्‍यूअली) रूप से अथवा ऑनलाइन द्वारा प्रस्तुत किए गए सभी ऋण आवेदनपत्रों की प्राप्ति सूचना अनिवार्य रूप से दें तथा यह सुनिश्चित करें कि आवेदन फॉर्म एवं प्राप्ति सूचना रसीद पर रनिंग क्रम संख्या दर्ज की जाए। साथ ही बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऋण आवेदनपत्रों का केंद्रीकृत पंजीकरण प्रारंभ करने, आवेदनपत्रों को ऑनलाइन प्रस्तुत करने तथा ऋण आवेदनपत्रों की ऑनलाइन ट्रैकिंग के लिए प्रणाली विकसित करें।

4.2 संपार्श्विक

बैंकों के लिए यह अनिवार्य किया गया है कि वे एमएसई क्षेत्र की इकाइयों को 10 लाख रूपए तक के ऋण के मामलों में संपार्श्विक जमानत स्वीकार न करें। बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि केवीआईसी के प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत वित्तपोषित सभी इकाइयों को 10 लाख रूपए तक संपार्श्विक-रहित ऋण प्रदान किया जाए।

एमएसई इकाइयों का अच्छा रिकार्ड तथा वित्तीय स्थिति के आधार पर बैंक, ऋण हेतु संपार्श्विक अपेक्षाओं में छूट की सीमा को (उचित प्राधिकारी के अनुमोदन से) 25 लाख रुपए तक बढ़ा सकते हैं।

बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपने शाखा स्तरीय अधिकारियों को ऋण गारंटी योजना कवर का उपभोग कराने हेतु प्रभावशाली ढंग से प्रोत्साहित करें तथा इस सबंध में उनके फील्ड स्टाफ के कार्य-निष्पादन को उनके मूल्यांकन में मानदंड के रूप में शामिल करें।

4.3 संमिश्र ऋण

बैंकों द्वारा 1 करोड़ रुपए तक की संमिश्र ऋण सीमा स्वीकृत की जा सकती है ताकि एमएसई उद्यमी एक ही स्थान पर अपनी कार्यशील पूंजी और मीयादी ऋण अपेक्षाओं का उपयोग कर सके।

4.4 संशोधित सामान्य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना

समग्र प्राथमिकता-प्राप्त दिशा-निर्देशों के भीतर सभी उत्पादक गतिविधियों के लिए उच्चतर ऋण संबद्धता को सुनिश्चित करने के लिए जीसीसी योजना की व्याप्ति को बढ़ाने और व्यक्तियों को कृषितर उद्यमी गतिविधि के लिए बैंकों द्वारा दिए गए समस्त क्रेडिट को पा लेने की दृष्टि से जीसीसी दिशा-निर्देशों को 2 दिसंबर 2013 को संशोधित किया गया है।

4.5 ऋण सहलग्न पूंजीगत सब्सिडी योजना (सीएलएसएस)

भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने निम्नलिखित शर्तों के अधीन माइक्रो और लघु उद्यमों के प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिए ऋण सहलग्न पूंजीगत सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) प्रारम्भ की थी :

  1. योजना के अंतर्गत ऋण की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपए है।

  2. ऊपर क्रम संख्या (i) में बताई गई अधिकतम सीमा वाले माइक्रो और लघु उद्यमों की सभी इकाइयों के लिए सब्सिडी की दर 15 प्रतिशत है।

  3. स्वीकार्य सब्सिडी की गणना संयंत्र और मशीनरी के खरीदी मूल्य के आधार पर की जाएगी न कि लाभार्थी इकाई को दिए गए मीयादी ऋण के आधार पर।

  4. सिडबी और नाबार्ड योजना की कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां बनी रहेंगी।

4.6 माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को उनके ‘जीवन चक्र’ के दौरानसमय पर और पर्याप्‍त ऋण सुविधा देने के लिए ऋण प्रवाह का सरलीकरण

वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को उनके ‘जीवन चक्र’ के दौरानसमय पर वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाने के लिए, बैंकों को उपर्युक्त विषय पर दिनांक 27 अगस्त 2015 के परिपत्र विसविवि.एमएसएमई एण्‍ड एनएफएस.बीसी.सं.60/06.02.31/2015-16 के माध्यम से दिशानिर्देश जारी किया गया था। बैंकों को सूचित किया गया है कि वे एमएसई क्षेत्र से संबंधित अपने मौजूदा उधार नीतियों में निम्नलिखित प्रावधानों को समाहित करते हुए उसकी समीक्षा कर उसे अनुरूप बनाएं ताकि अर्थक्षम एमएसई उधारकर्ताओं को, खासतौर पर अनपेक्षित परिस्थितियों में राशि की आवश्यकता के दौरान, समय पर और पर्याप्त ऋण सुविधा उपलब्ध हो सके :

i) मीयादी ऋणों के मामले में अतिरिक्त ऋण सुविधा का विस्तार

ii) एमएसई इकाइयों की आकस्मिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अतिरिक्त कार्यशील पूंजी

iii) बैंक पिछले वर्ष की वास्तविक बिक्री के आधार पर प्रति वर्ष, ऐसे मामलों में और जहां वह आश्‍वस्‍त हो कि एमएसई उधारकर्ताओं की मांग के स्‍वरूप में परिवर्तनों के कारण उनके मौजूदा उधार सीमा को बढ़ाएं जाने की आवश्यकता है, नियमित कार्यशील पूंजी सीमा की मध्‍यावधि समीक्षा करना।

iv) ऋण निर्णयों के लिए सामयिकता

4.7 एमएसएमई हेतु ऋण पुनर्संरचना तंत्र

(i) सभी वाणिज्यिक बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एसएमई ऋण पुनर्संरचना हेतु बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग द्वारा दिनांक 01 जुलाई 2015 को जारी “मास्टर परिपत्र - अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड” बैंविवि.सं.बीपी.बीसी.2/21.04.048/2015-16 में उल्लेखित सभी दिशा-निर्देश/अनुदेशों तथा जब भी उसे अद्यतन किया जाए, का अनुसरण करें।

ii) रुग्ण एमएसई के पुनर्वास के लिए कार्यदल (अध्यक्ष : डॉ. के.सी.चक्रवर्ती) की सिफारिशों के परिप्रेक्ष्य में दिनांक 4 मई 2009 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि एसएमई एंड एनएफएस बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 द्वारा सभी वाणिज्य बैंकों को सूचित किया गया था कि वे :

क) निदेशक मंडल के अनुमोदन से ऋण सुविधाएं प्रदान करने की नियंत्रक ऋण नीति, संभाव्य अर्थक्षम रुग्ण इकाइयों/ उद्यमों के पुनर्जीवन के लिए पुनर्संरचना/ पुनर्वास नीति (अब इसे दिनांक 17 मार्च 2016 को ‘सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा’ पर जारी दिशानिर्देशों के साथ पढ़ा जाए) तथा एमएसई क्षेत्र के लिए अनर्जक ऋण की वसूली के लिए नॉन-डिसक्रीशनरी एकबारगी निपटान योजना लागू करें तथा

ख) एमएसई क्षेत्र को समय पर तथा पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में सिफारिशों को कार्यान्वित करें।

(iii) बैंकों को सूचित किया गया है कि वे उनके द्वारा कार्यान्वित एकबारगी निपटान योजना बैंक की वेबसाइट पर डालकर तथा अन्य संभावित प्रचार विधि के माध्यम से प्रचार करें। वे उधारकर्ताओं को आवेदन प्रस्तुत करने तथा देय राशि की चुकौती करने के लिए भी पर्याप्त समय दें ताकि पात्र उधारकर्ताओं को योजना के लाभ प्रदान किए जा सकें।

4.8 एमएसएमई के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा

सूक्ष्‍म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार ने अपनी 29 मई 2015 की राजपत्र अधिसूचना द्वारा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के खातों में दबाव दूर करने के लिए सरल और त्‍वरित प्रणाली उपलब्‍ध कराने तथा एमएसएमई के संवर्धन और विकास को सुसाध्‍य बनाने के लिए ‘सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा’ अधिसूचित किया था। उक्त ढांचे के प्रभावी कार्यान्वयन और निगरानी हेतु बैंकों को आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित किया गया था। इसे रिज़र्व बैंक द्वारा ‘अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण’ पर बैंकों को जारी वर्तमान विनियामक दिशा-निर्देशों के अनुरूप करने के लिए उपर्युक्त ढांचे में भारत सरकार, एमएसएमई मंत्रालय के साथ परार्मश करते हुए कतिपय परिवर्तन करने के बाद दिनांक 17 मार्च 2016 को उक्त ढांचे पर परिचालनात्मक अनुदेशों के साथ बैंकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए। इस ढांचे के अंतर्गत रुपए 25 करोड़ तक की ऋण सीमा वाली एमएसएमई इकाइयों के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास पर कार्य किया जाएगा। इस ढांचे को कार्यान्वित करने के लिए बैंकों को 30 जून 2016 तक बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति स्‍थापित करनी थी। इस संशोधित ढांचे से रुग्‍ण माइक्रो और लघु उद्यमों की पुनर्व्‍यवस्‍था पर दिनांक 1 नवंबर 2012 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.40/06.02.31/2012-13 में निहित पूर्ववर्ती दिशा-निर्देश, उक्‍त परिपत्र में संभाव्‍य रूप से अर्थक्षम इकाइयों की पुनर्व्‍यवस्‍था और एकबारगी निपटान के लिए राहत और रियायतों से संबंधित दिशा-निर्देशों को छोड़कर, अधिक्रमित हुए हैं।

ढांचे की मुख्य विशेषताएं निम्नानुसार है :

i) एमएसएमई के ऋण खाते को अनर्जक आस्तियों (एनपीए) में परिवर्तित होने से पूर्व, बैंकों या ऋणदाताओं को चाहिए कि वे विशेष उल्लिखित खाता (एसएमए) के अधीन तीन उप-श्रेणियाँ, जैसा कि ढांचा में दिया गया है, सृजित कर खाते में आरंभिक दबाव की पहचान करें

ii) इस ढांचे के तहत कोई भी एमएसएमई उधारकर्ता भी स्वेच्छा से कार्यवाही प्रारंभ कर सकता है

iii) सुधारात्मक कार्य योजना के निर्णय हेतु समिति दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए

iv) ढांचे के अंतर्गत विभिन्न निर्णय लेने हेतु समय सीमा का निर्धारण किया गया है

4.9 एमएसई क्षेत्र को ऋण की वृद्धि पर निगरानी के लिए संरचित तंत्र

एमएसई क्षेत्र को ऋण की वृद्धि में कमी के कारण उत्‍पन्‍न चिंताओं को देखते हुए, इस क्षेत्र में ऋण संबंधी सभी मुद्दों की निगरानी के लिए बैंकों द्वारा सुनियोजित कार्यविधि का सुझाव देने के लिए भारतीय बैंक संघ की अगुवाई में एक उप-समिति (अध्यक्ष : श्री के.आर.कामथ) गठित की गई थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर बैंकों को सूचित किया गया है कि :

  • इस क्षेत्र को ऋण वृद्धि पर निगरानी के लिए वर्तमान प्रणालियों को सुदृढ़ करें और प्रत्‍येक पर्यवेक्षी स्‍तर पर (शाखा, क्षेत्र, अंचल, प्रधान कार्यालय) व्‍यापक निष्‍पादन प्रबंध सूचना प्रणाली (एमआईएस) स्‍थापित करें जिसका नियमित आधार पर विश्लेषणात्मक मूल्यांकन किया जाए;

  • बैंकों में ऋण आवेदन निपटान प्रक्रिया की निगरानी तथा एमएसई ऋण आवेदन की ई-ट्रैकिंग सिस्‍टम, जिसमें शाखा-वार, क्षेत्र-वार, अंचल-वार और राज्‍य-वार स्थिति दी जाए। इस संबंध में, बैंकों द्वारा स्थिति उनकी वेबसाइट पर दिखाई जाए, और

  • रुग्ण एमएसई इकाइयों के समय पर पुनर्वास पर निगरानी रखें। रुग्ण एमएसई इकाइयों के पुनर्वास की प्रगति बैंकों की वेबसाइट पर दिखाई जाए।

दिनांक 9 मई 2013 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.74/06.02.31/2012-13 के द्वारा सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को विस्‍तृत दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

अध्‍याय – V

5 संस्थागत व्यवस्थाएँ

5.1 एमएसएमई की विशेषीकृत शाखाएं

सरकारी क्षेत्र के बैंकों को सूचित किया गया है कि वे प्रत्येक जिले में कम से कम एक विशेषीकृत शाखा खोलें। साथ ही, बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे 60 प्रतिशत या उससे अधिक एमएसएमई क्षेत्र को अग्रिम वाली अपनी सामान्य बैंकिंग शाखाओं को विशेषीकृत एमएसएमई शाखाओं के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं ताकि वे समग्र रूप से इस क्षेत्र को बेहतर सेवा उपलब्ध कराने हेतु और अधिक विशेषीकृत एमएसएमई शाखाएं खोल सकें। एमएसएमई क्षेत्र को ऋण में वृध्दि हेतु भारत सरकार द्वारा घोषित पॉलिसी पैकेज के अनुसार सरकारी क्षेत्र के बैंक लघु उद्यमों की अधिकता वाले पहचाने गये समूहों/केन्द्रों में विशेषीकृत एमएसएमई शाखाएं सुनिश्चित करेंगे ताकि उद्यमी आसानी से बैंक ऋण ले सकें तथा बैंक कार्मिक आवश्यक विशेषज्ञता विकसित कर सकें। विद्यमान विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाओं, यदि कोई हो, को एमएसएमई शाखाओं के रूप में पुनःनामित किया जाए। हालांकि उनकी महत्वपूर्ण क्षमता का उपयोग एमएसएमई क्षेत्र को वित्त और अन्य सेवाएं प्रदान करने हेतु किया जाएगा, पर उनके पास अन्य क्षेत्रों /उधारकर्ताओं को वित्त /अन्य सेवाएं प्रदान करने का परिचालनात्मक लचीलापन भी रहेगा। बैंक, ऐसी शाखाओं में तैनात अधिकारियों के लिए उचित प्रशिक्षण का ध्यान रखें।

5.2 राज्य स्तरीय अंतर संस्थागत समिति (एसएलआईआईसी)

रुग्ण माइक्रो एवं लघु इकाइयों के पुनर्वास हेतु समन्वय की समस्याओं से निपटने के लिए राज्यों में राज्य स्तरीय अंतर संस्थागत समितियाँ गठित की गई थीं। तथापि, राज्य स्तरीय अंतर संस्थागत समिति मंच का जारी रहना अथवा समाप्त किया जाना प्रत्येक राज्य/ संघशासित क्षेत्र पर छोड़ दिया गया है। इन समितियों की बैठकें भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा संबंधित राज्य सरकार के उद्योग या एमएसएमई सचिव की अध्यक्षता में की जाती हैं। यह समिति एक तरफ राज्य सरकार के अधिकारियों और राज्य स्तरीय संस्थानों तथा दूसरी तरफ मीयादी ऋण संस्थानों और बैंकों के बीच पर्याप्त आदान-प्रदान हेतु उपयोगी मंच उपलब्ध कराती है। यह उन इकाइयों को कार्यकारी पूंजी स्वीकृत करने पर कड़ी निगरानी रखता है जिन्हें एसएफसी द्वारा मीयादी ऋण उपलब्ध कराया गया हो, विशेष योजनाओं जैसे राज्य सरकार की मार्जिन मनी योजना का कार्यान्वयन करता है तथा बैंकों द्वारा प्रस्तुत ब्योरे के आधार पर उद्योगों की सामान्य समस्याओं तथा एमएसई क्षेत्र में रूग्णता की समीक्षा करता है। दूसरों के साथ-साथ, स्थानीय राज्य स्तरीय एमएसई संघ के प्रतिनिधियों को तिमाही आधार पर आयोजित एसएलआईआईसी की बैठकों में आमंत्रित किया जाता है।

5.3 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के लिए अधिकार-प्राप्त समिति

भारतीय रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालयों में यूनियन वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के अनुसार क्षेत्रीय निदेशकों की अध्यक्षता में माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यमों पर अधिकार-प्राप्त समितियां गठित की गई हैं। इन समितियों में राज्य स्तरीय बैंकर समिति संयोजक के प्रतिनिधि, दो बैंकों, जिनका राज्य में माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम को वित्तपोषण में सर्वाधिक हिस्सा हो, के वरिष्ठ स्तर के अधिकारी, सिडबी क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधि, राज्य सरकार उद्योग के निदेशक, राज्य में माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम संघ के एक या दो वरिष्ठ स्तर के प्रतिनिधि तथा एसएफसी/एसआईडीसी से एक वरिष्ठ अधिकारी सदस्य के रूप में होते हैं। इस समिति की बैठक नियत अवधि पर होगी तथा माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम के वित्तपोषण में हुई प्रगति और रुग्ण माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम इकाइयों के पुनर्वास की भी समीक्षा करेगी। यह क्षेत्र को सहज ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करने में आने वाली बाधाओं, यदि कोई हों, के निवारण हेतु अन्य बैंकों/ वित्तीय संस्थानों और राज्य सरकार के साथ समन्वय करेगी। ये समितियां समूह/ जिला स्तर पर ऐसी ही समितियां गठित करने की आवश्यकता का निर्णय ले सकती है।

5.4 भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड (बीसीएसबीआई)

भारतीय बैंकिंग संहिता और मानक बोर्ड ने माइक्रो और लघु उद्यमों के लिए बैंक प्रतिबध्दता की संहिता तैयार की है। यह स्वैच्छिक संहिता है जो बैंको द्वारा, जब वे माइक्रो और लघु उद्यमों से संव्यवहार करते हैं, माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 में परिभाषित किए गए अनुसार, अपनाए जाने के लिए बैंकिंग संव्यवहार के न्यूनतम मानक तय करती है। यह माइक्रो और लघु उद्यमों को संरक्षण प्रदान करती है और बैंकों को यह बताती है कि माइक्रो और लघु उद्यमों के साथ संव्यवहार करते समय उनके दैनिक परिचालन में और वित्तीय समस्याओं की घड़ी में बैंकों से क्या अपेक्षा की गई है।

यह संहिता अन्य बातों के साथ-साथ इसका उल्लेख भी करती है कि बैंकों से अपेक्षा की गई है कि वे 5 लाख रुपए तक की ऋण सीमा अथवा वर्तमान ऋण सीमा को 5 लाख रुपए तक बढ़ाने के लिए एमएसई आवेदन-पत्र को दो सप्ताह के भीतर निपटान करेंगे और 5 लाख रुपए से अधिक तथा 25 लाख रुपए तक की ऋण सीमा के आवेदन पत्र को तीन सप्ताह के भीतर तथा 25 लाख रुपए से अधिक की राशि की ऋण सीमा के आवेदन पत्र को छः सप्ताह के भीतर निपटान करेंगे, बशर्ते आवेदन सब प्रकार से पूर्ण हो तथा उपलब्ध जांच-सूची के अनुसार सभी दस्तावेज़ संलग्न किए गए हो।

बैंक जहां स्वेच्छा से संहिता में दिए गए समय सीमा का पालन कर सकते हैं वहीं एमएसई ऋण आवेदनों संबंधी प्रक्रिया और निपटान के लिए लिए जाने वाले समय में कमी लाने के लिए हर प्रयास किया जाना चाहिए।

यह संहिता भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियामक या पर्यवेक्षी अनुदेशों को न तो परिवर्तित करती है और न ही अधिक्रमित करती है और बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी ऐसे अनुदेशों/ निदेशों का पालन करते रहेंगे।

5.4.1 बीसीएसबीआई संहिता के उद्देश्य

यह संहिता इसलिए तैयार की गई है कि यह :

क) सक्षम बैंकिंग सेवाओं तक माइक्रो और लघु उद्यम क्षेत्र की पहुंच को आसान बनाने के लिए उन्हें एक सकारात्मक बल प्रदान करती हैं।

ख) माइक्रो और लघु उद्यमों के साथ लेनदेन करने में न्यूनतम मानक तय करके अच्छे और उचित बैंकिंग संव्यवहारों का प्रसार करती है।

ग) पारदर्शिता बढ़ाती है ताकि सेवाओं से यथोचित रूप से क्या अपेक्षित है इसे भलिभांति समझा जा सके।

घ) प्रभावी संप्रेषणीयता के जरिए कारोबार की समझ में सुधार लाती है।

ड.) उच्चतर परिचालनगत मानकों को प्राप्त करने के लिए स्पर्धा के जरिए बाजारी शक्तियों को प्रोत्साहित करती है।

च) माइक्रो और लघु उद्यमों और बैंकों के बीच स्वच्छ और सौहार्दपूर्ण संबंध बढ़ाने के साथ-साथ बैंकिंग आवश्यकताओं के प्रति सामयिक और त्वरीत प्रतिसाद सुनिश्चित करती है।

छ) बैंकिंग प्रणाली में विश्वास को बढ़ाती है।

संहिता का पूरा पाठ बीसीएसबीआई की वेबसाइट (www.bcsbi.org.in) पर उपलब्ध है।

5.5 माइक्रो और लघु उद्यम क्षेत्र – वित्तीय साक्षरता और परामर्शी सहायता की अनिवार्यता

एमएसएमई क्षेत्र में वित्तीय वंचन (एक्‍सक्‍लूजन) की काफी अधिक परिमाण को देखते हुए बैंकों के लिए यह अनिवार्य है कि उक्त वंचित यूनिटों को औपचारिक बैंकिंग क्षेत्र के भीतर लाया जाए। लेखाकरण तथा वित्त, कारोबारी आयोजना आदि सहित वित्तीय साक्षरता, परिचालनगत कौशल का अभाव एमएसई के उधारकर्ताओं के लिए कठिन चुनौती बनी है, जिसके कारण इन जटिल वित्तीय क्षेत्रों में बैंकों द्वारा सुविधा प्रदान किए जाने की जरूरत अधोरेखित हो जाती है। साथ ही साथ, एमएसई उद्यम माप (स्केल) एवं आकार के अभाव के कारण इस संबंध में और असहाय बन जाते हैं। इन कमियों को कारगर ढ़ंग से तथा निर्णायक रूप से दूर करने के लिए अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को 1 अगस्त 2012 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.सं.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.20/06.02.31/2012-13 द्वारा सूचित किया गया कि बैंक या तो अपनी शाखाओं में अपनी तुलनात्मक सुविधानुसार अलग से विशेष कक्ष स्थापित करें अथवा उनके द्वारा स्थापित वित्तीय साक्षरता केंद्रों में इसके लिए अलग कार्य मद (वर्टिकल) बनाएं। इस क्षेत्र की जरुरतों को पूरा करने के लिए बैंक के स्टाफ को भी अनुकूलित प्रशिक्षण के माध्यम से प्रशिक्षित कराया जाए।

5.6 समूह (क्लस्टर) दृष्टिकोण

सभी एसएलबीसी संयोजक बैंकों को सूचित किया गया है कि वे अपनी वार्षिक ऋण योजनाओं में माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पहचाने गए समूहों की ऋण आवश्यकताओं को दर्ज करें। साथ ही, उन्हें ऐसे क्लस्टरों/ समुदायों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया है जो नवनिर्मित हैं तथा जिन्हें एसएलबीसी/ डीडीसी सदस्यों द्वारा बाद में विनिर्दिष्ट किया गया है।

(i) गांगुली समिति की सिफारिशों (4 सितंबर 2004) के अनुसार, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे 4 – C दृष्टिकोण अपनाकर - अर्थात् ग्राहक फोकस (Customer focus), लागत नियंत्रण (Cost control), प्रति बिक्री (Cross selling) तथा जोखिम रोकथाम (Contain risk) - पहचाने गए एमएसई समूहों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के माध्यम से एसएसआई क्षेत्र (अब एमएसई क्षेत्र) की विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संपूर्ण-सेवा दृष्टिकोण प्राप्त करें। उधार हेतु समूह आधारित दृष्टिकोण निम्नलिखित में अधिक लाभकारी होगा :

क. सुपरिभाषित तथा मान्यता-प्राप्त समूहों से व्यवहार;

ख. जोखिम निर्धारण हेतु उपयुक्त जानकारी की उपलब्धता तथा

ग. उधारदाता संस्थानों द्वारा निगरानी।

(i) समूहों को व्यापार रिकार्ड, प्रतिस्पर्धात्मकता तथा वृद्धि संभावनाओं और/ या अन्य समूह विशिष्ट डाटा के आधार पर पहचाना जा सकता है।

(ii) दिनांक 8 मई 2007 के पत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.सं.10416/06.02.31/2006-07 द्वारा सभी एसएलबीसी संयोजक बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एमएसएमई क्षेत्र को ऋण प्रदान करने हेतु अपने संस्थागत व्यवस्था की समीक्षा करें, विशेषकर देश के विभिन्न भागों में 21 राज्यों में फैले 388 समूहों में जो युनाइटेड नेशन औद्योगिक विकास संघ (यूएनआईडीओ) द्वारा पहचाने गए हैं। यूएनआईडीओ द्वारा पहचाने गए एसएमई समूहों की सूची अनुबंध II में दी गई है।

(iii) माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने पारंपरिक उद्योगों के पुनर्सृजन हेतु निधि योजना (एसएफयूआरटीआई) तथा माइक्रो एवं लघु उद्यम समूह विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) के अंतर्गत 121 अल्पसंख्यक बहुल जिलों में स्थित समूहों की सूची अनुमोदित की है। तदनुसार, देश के अल्पसंख्यक बहुल जिलों में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों में से माइक्रो और लघु उद्यमियों के पहचाने गए समूहों को ऋण उपलब्ध कराने हेतु उचित उपाय किये गये हैं।

(iv) एमएसएमई पर प्रधानमंत्री टास्क फोर्स की सिफारिशों के अनुसार बैंकों को विभिन्न एमएसई समूहों में एमएसई केन्द्रित अधिक शाखा कार्यालय खोलने चाहिए जो एमएसई के लिए परामर्श केन्द्रों के रूप में कार्य कर सकें। जिले के प्रत्येक अग्रणी बैंक द्वारा कम से कम एक एमएसई समूह को अपनाया जाए।

5.7 विलंबित भुगतान

माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (एमएसएमईडी), 2006 में लघु एवं अनुषंगी औद्योगिक उपक्रमों के लिए विलंबित भुगतान पर ब्याज अधिनियम, 1998 के वर्तमान प्रावधानों को मजबूत किया गया है जो निम्नानुसार हैं :

(i) क्रेता को उसके और आपूर्तिकर्ता के बीच लिखित रूप में सहमत तारीख को या उससे पूर्व आपूर्तिकर्ता को भुगतान करना होगा और यदि कोई समझौता नहीं हुआ हो तो नियत दिन से पूर्व भुगतान करना होगा। आपूर्तिकर्ता और क्रेता के बीच की सहमत अवधि स्वीकरण की तारीख अथवा माने गए स्वीकरण दिन से 45 (पैंतालीस) दिनों से अधिक नहीं होगी।

(ii) यदि क्रेता आपूर्तिकर्ता को राशि का भुगतान नहीं कर पाया तो वह राशि पर नियत दिन या निर्धारित तारीख से रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित बैंक दर का तीन गुना चक्रवृद्धी ब्याज, मासिक शेष आधार पर भुगतान करने हेतु बाध्य होगा।

(iii) आपूर्तिकर्ता द्वारा माल या सेवा की आपूर्ति के लिए क्रेता उक्त (ii) में सूचित ब्याज के भुगतान हेतु बाध्य होगा।

(iv) देय राशि में विवाद होने पर संबंधित राज्य सरकार द्वारा गठित माइक्रो और लघु उद्यम सुविधा सेवा परिषद से संपर्क किया जाएगा।

साथ ही, बैंकों को सूचित किया गया है कि वे विशेषतः एमएसएमई से खरीद से संबंधित भुगतान बाध्यता की पूर्ति हेतु बड़े उधारकर्ताओं के लिए समग्र कार्यकारी पूंजी सीमाओं के भीतर उप-सीमाएं निर्धारित करें।

अध्‍याय – VI

6. माइक्रो और लघु उद्यम (एमएसई) क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने के लिए समितियां

6.1 लघु उद्योग (अब एमएसई) को ऋण पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट (कपूर समिति)

भारतीय रिज़र्व बैंक ने लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण की सुपुर्दगी प्रणाली सुधारने तथा कार्य-विधि के सरलीकरण हेतु उपाय सुझाने के लिए एकल व्यक्ति उच्च स्तरीय समिति नियुक्त की थी (30 जून 1998) जिसके अध्यक्ष श्री एस.एल.कपूर, (आई.ए.एस.,सेवानिवृत्त), भूतपूर्व सचिव, भारत सरकार, उद्योग मंत्रालय थे। समिति ने 126 सिफारिशें की जिनमें लघु उद्योग क्षेत्र के वित्तपोषण से संबधित व्यापक क्षेत्र शामिल हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इन सिफारिशों की जांच की गई तथा 88 सिफारिशों को स्वीकार करने का निर्णय लिया गया जिसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण सिफारिशें शामिल हैं :

(i) तदर्थ सीमाएं प्रदान करने हेतु शाखा प्रबंधकों को अधिक शक्तियाँ प्रदान करना;
(ii) आवेदन फार्मों का सरलीकरण;
(iii) ऋण अपेक्षाओं के मूल्यांकन हेतु बैंकों को स्वयं के मानदंड निर्धारित करने की स्वतंत्रता;
(iv) और अधिक विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाएं खोलना;
(v) संमिश्र ऋण की सीमा में 5 लाख रुपए तक की वृद्धि (अब बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए);
(vi) बैंकों द्वारा पिछड़े राज्यों के प्रति अधिक ध्यान देना;
(vii) छोटी परियोजनाओं के मूल्यांकन हेतु शाखा प्रबंधकों को प्रशिक्षित करने हेतु विशेष कार्यक्रम;
(viii) बैंक द्वारा ग्राहक शिकायत तंत्र को अधिक पारदर्शी बनाना तथा शिकायतों के निपटान और उनकी निगरानी की प्रक्रिया सरल बनाना।

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को दिनांक 28 अगस्त 1998 को परिपत्र ग्राआऋवि.सं. पीएलएनएफएस.बीसी.सं.22/06.02.31/98-99 जारी किया गया जिसमें कपूर समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बारे में सूचित किया गया।

6.2 लघु उद्योग क्षेत्र (अब एमएसई) को संस्थागत ऋण की पर्याप्तता और संबंधित पहलुओं की जाँच हेतु समिति की रिपोर्ट (नायक समिति)

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तत्कालीन उप गवर्नर श्री पी.आर.नायक की अध्यक्षता में दिसंबर 1991 में लघु उद्योगों (अब एमएसई) द्वारा वित्त प्राप्त करने से संबंधित मुद्दों की जाँच हेतु एक समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट 1992 में प्रस्तुत की। समिति की सभी मुख्य सिफारिशें स्वीकार कर ली गई हैं तथा बैंकों को अन्य बातों के साथ-साथ सूचित किया गया है कि वे -

i) लघु उद्योग क्षेत्र की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करते समय ग्रामीण उद्योगों, अत्यन्त लघु उद्योगों और अन्य छोटी इकाइयों को उसी क्रम में वरीयता दें;

ii) उन लघु उद्योग (अब एमएसई) इकाइयों को कार्यशील पूंजी ऋण सीमा उनकी अनुमानित वार्षिक आय के कम से कम 20 प्रतिशत के आधार पर प्रदान करें; जिनकी प्रत्येक इकाई की ऋण सीमा 2 करोड़ रुपए तक (अब 5 करोड रुपए हो गई है) हो;

iii) यह सुनिश्चित करें कि ऋण स्वीकृत होने और उसके संवितरण में विलम्ब नहीं होना चाहिए। ऋण प्रस्ताव की ऋण सीमा में कमी/ अस्वीकृति होने पर संदर्भ उच्च अधिकारियों के पास भेजा जाना चाहिए;

iv) ऋण स्वीकृति के लिए बदले में आवश्यक जमाराशि पर जोर न दिया जाए;

v) विशेषीकृत लघु उद्योग (अब एमएसई) बैंक शाखाएँ खोलें अथवा बड़ी संख्या में लघु उद्योग (अब एमएसई) उधार खातों वाली शाखाओं को विशेषीकृत लघु उद्योग (अब एमएसई) शाखाओं में परिवर्तित करें;

vi) लघु उद्योग (अब एमएसई) उधारकर्ताओं के लिए मानकीकृत ऋण आवेदन फार्म तैयार करें; एवं

vii) विशेषीकृत शाखाओं में कार्यरत स्टाफ में स्थिति संबंधी परिवर्तन लाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाए।

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को दिनांक 2 मार्च 2001 को परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस. बीसी.सं.61/06.02.62/2000-01 जारी किया गया जिसमें नायक समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बारे में सूचित किया गया।

6.3 लघु उद्योगों (अब एमएसई) क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने पर कार्यकारी दल की रिपोर्ट (गांगुली समिति)

भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर द्वारा मौद्रिक और ऋण नीति 2003-04 की मध्यावधि समीक्षा में की गई घोषणा के अनुसार डॉ. ए.एस.गांगुली की अध्यक्षता में "लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराने पर कार्यकारी दल" का गठन किया गया।

समिति ने लघु उद्योग क्षेत्र के वित्तपोषण से संबंधित क्षेत्रों को व्यापक रूप से कवर करते हुए 31 सिफारिशें की हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक और बैंकों से संबंधित सिफारिशों की जाँच की गई जिसमें से अभी तक निम्नलिखित 8 सिफारिशें स्वीकार की गईं और बैंकों को उनके कार्यान्वयन हेतु दिनांक 4 सितंबर 2004 के परिपत्र ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.28/06.02.31(डब्ल्यूजी) /2004-05 द्वारा सूचित किया गया जो निम्नानुसार हैं :

  1. एमएसएमई क्षेत्र के वित्तपोषण के लिए समूह आधारित दृष्टिकोण अपनाना;

  2. छोटे और अत्यंत लघु उद्योगों और अलग-अलग उद्यमियों को सेवा देने वाले अग्रणी बैंकों द्वारा गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के सफल कार्य मॉडल के व्यापक प्रचार के साथ-साथ विशिष्ट परियोजनाओं को प्रायोजित करना;

  3. पहाड़ी क्षेत्रों की दिक्कतों, बार-बार बाढ़ से परिवहन में बाधा आने जैसी कठिनाइयों को देखते हुए अपने वाणिज्य निर्णय के आधार पर उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में कार्यरत बैंकों द्वारा लघु उद्योगों (अब एमएसई) को उच्चतर कार्यकारी पूंजी सीमा स्वीकृत करना;

  4. बैंकों द्वारा ग्रामीण उद्योग के उन्नयन तथा ग्रामीण कामगारों, ग्रामीण उद्योगों और ग्रामीण उद्यमियों को ऋण उपलब्ध कराने में सुधार के लिए नए उपाय खोजना; एवं

6.4 रुग्ण एसएमई के पुनर्वास पर कार्यकारी दल (अध्यक्ष: डॉ. के.सी.चक्रवर्ती)

रुग्ण एमएसई के पुनर्वास पर कार्यकारी दल (अध्यक्ष: डॉ. के.सी.चक्रवर्ती, तत्कालीन अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, पंजाब नैशनल बैंक) की सिफारिशों के परिप्रेक्ष्य में सभी वणिज्यिक बैंकों को 4 मई 2009 के हमारे परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.102/06.04.01/2008-09 द्वारा सूचित किया गया कि :

क) वे अपने निदेशक बोर्ड के अनुमोदन से एमएसई क्षेत्र के लिए क्रेडिट सुविधाएं प्रदान करने के संबंध में ऋण नीतियां, संभाव्य रूप से अर्थक्षम रुग्ण यूनिटों/ उद्यमों के पुनरुज्जीवन के लिए पुनर्संरचना/ पुनर्वास नीतियां और गैर निष्पादक ऋणों की वसूली के लिए एकबारगी निपटान योजना स्थापित करें और

ख) उक्त सिफारिशों का ऊपर उल्लिखित परिपत्र में वर्णन के अनुसार एमएसई क्षेत्र को समय पर तथा पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराते हुए कार्यान्वयन करें।

उपर्युक्त 4 मई 2009 के परिपत्र द्वारा बैंकों को अन्य बातों के साथ-साथ उन सिफ़ारिशों को कार्यान्वित करने पर विचार करने के लिए भी सूचित किया गया था कि 2 करोड़ रुपए तक के सभी अग्रिमों के मामले में स्कोरिंग मॉडल के आधार पर उधार दिए जाएं। बैंकों को 15 अप्रैल 2014 के परिपत्र बैंपविवि.डीआईआर.बीसी.सं.106/13.03.00/2013-14 द्वारा यह भी सूचित किया गया कि वे एमएसई उधारकर्ताओं के ऋण प्रस्तावों के मूल्यांकन में बोर्ड अनुमोदित क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल का प्रयोग करने की दृष्टि से एमएसई क्षेत्र को क्रेडिट सुविधाएं प्रदान करने के संबंध में लागू अपनी ऋण नीति की समीक्षा करें।

6.5 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम पर प्रधानमंत्री का टास्क फोर्स

माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) द्वारा उठाए विभिन्न मामलों पर विचार करने हेतु भारत सरकार द्वारा जनवरी 2010 में एक उच्च स्तरीय टास्क फोर्स (अध्यक्षः श्री टी.के.ए.नायर) गठित किया गया था। टास्क फोर्स ने एमएसएमई के कार्य अर्थात् ऋण, विपणन, श्रम, निकास नीति, मूलभूत सुविधाएं/ प्रौद्योगिकी/ कौशल उन्नयन तथा कर-निर्धारण से संबंधित विभिन्न उपायों की सिफारिश की। व्यापक सिफारिशों में वे उपाय जिन पर तुरंत कार्रवाई आवश्यक है तथा विधि और नियामक ढांचा सहित मध्यावधि संस्थागत उपाय भी तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों और जम्मू और कश्मीर के लिए सिफारिशें शामिल हैं।

बैंकों को टास्क फोर्स द्वारा की गई सिफारिशों को ध्यान में रखकर एमएसई क्षेत्र, विशेषतः माइक्रो उद्यमों को ऋण उपलब्धता बढ़ाने हेतु प्रभावी कदम उठाने हेतु प्रेरित किया जाता है।

एमएसएमई पर प्रधानमंत्री टास्क फोर्स की सिफारिशों के कार्यान्वयन की सूचना देते हुए सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को दिनांक 29 जून 2010 का परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.90/06.02.31/2009-10 जारी किया गया।

6.6 माइक्रो और लघु उद्यम (एमएसई) हेतु ऋण गारंटी योजना की समीक्षा करने हेतु कार्यकारी दल

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा सीजीटीएमएसई की ऋण गारंटी योजना (सीजीएस) के कार्य की समीक्षा करने, उसके प्रयोग को बढ़ाने के उपाय सुझाने तथा एमएसई को संपार्श्विक रहित ऋण में वृद्धि को सुगम बनाने हेतु श्री वी.के.शर्मा, कार्यपालक निदेशक की अध्यक्षता में एक कार्यकारी दल गठित किया गया था।

कार्यकारी दल की सिफारिशों में अन्य बातों के साथ-साथ माइक्रो और लघु उद्यम (एमएसई) क्षेत्र को संपार्श्विक रहित ऋण सीमा को 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए तक अनिवार्यतः दुगुना करना तथा बैंकों के मुख्य कार्यपालक अधिकारियों को आदेश देना कि वे सीजीएस कवर का उपभोग करने हेतु शाखा स्तर के पदाधिकारियों को प्रभावशाली ढंग से प्रोत्साहित करें तथा उनके फील्ड स्टाफ, आदि का मूल्यांकन करने में इससे संबंधित कार्य-निष्पादन को एक मानदंड बनाए, शामिल है जो सभी बैंकों को सूचित किया गया।

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को दिनांक 6 मई 2010 का परिपत्र ग्राआऋवि.एसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.79/06.02.31/2009-10 जारी किया गया जिसके द्वारा यह अनिवार्य किया गया कि वे एमएसई क्षेत्र की इकाइयों को प्रदत्त 10 लाख रुपए तक के ऋण के मामलों में संपार्श्विक जमानत स्वीकार न करें तथा यह सूचित किया गया कि वे सीजीएस कवर का उपभोग करने हेतु शाखा स्तर के पदाधिकारियों को प्रभावशाली ढंग से प्रोत्साहित करें जिसमें उनके फील्ड स्टाफ के मूल्यांकन में इससे संबंधित कार्य-निष्पादन को एक मानदंड बनाना शामिल है।


अनुबंध - I

लघु उद्योग मंत्रालय
अधिसूचना
नई दिल्ली, 5 अक्तूबर, 2006

का.आ. 1722 (अ)- केन्द्रीय सरकार, सूक्ष्म, माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006 (2006 का 27), जिसे इसमें उक्त अधिनियम कहा गया है, की धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित मदों को विनिर्दिष्ट करती है जिनकी लागत को उक्त अधिनियम के खण्ड 7 (1) (a) में वर्णित उद्यमों की दशा में संयंत्र एवं मशीनरी में विनिधान की गणना करते समय अपवर्जित किया जायेगा ।

(i) उपस्कर जैसे औजार, जिग्स, डाईयां, मोल्डस और रखरखाव के फालतू पुर्जे और उपभोज्य सामान की लागत;

(ii) संयंत्र और मशीनरी का प्रतिष्ठापन;

(iii) अनुसन्धान और विकास उपस्कर और प्रदूषण नियंत्रण उपस्कर;

(iv) राज्य बिजली बोर्ड के विनियम के अनुसार उद्यमों द्वारा प्रतिष्ठापित विद्युत उत्पादन सेट और अतिरिक्त ट्रांसफार्मर;

(v) राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम या राज्य लघु उद्योग निगम को संदत्त बैंक प्रभार और सेवा प्रभार;

(vi) केबलों का प्रतिष्ठापन या उपार्जन, वायरिंग, बस बारों, विद्युत नियंत्रण पेनल (जो किसी मशीन पर चढ़ी न हो) आइल सर्किट ब्रेकर्स या सूक्ष्म सर्किट ब्रेकर्स जो संयंत्र और मशीनरी को विद्युत शक्ति देने के लिए या सुरक्षात्मक उपाय के लिए आवश्यक रुप से प्रयोग किया जाना है;

(vii) गैस उत्पादक संयंत्र;

(viii) परिवहन प्रभार (बिक्रय कर या मूल्य वर्धित कर और उत्पाद शुल्क को छोड़कर) स्वदेशी मशीन के लिए उनके उत्पादन के स्थान से उद्यम के स्थान तक;

(ix) संयंत्र और मशीनरी के परिनिर्माण करने में तकनीकी ज्ञान के लिए प्रदत्त प्रभार;

(x) ऐसी भंडारण टंकी जो कच्चा माल और तैयार उत्पाद का भंडारण करते हों और जो उत्पादन प्रक्रिया से संबंधित न हों, और

(xi) अग्निशमन उपस्कर।

2. पैरा 1 के अनुसार संयंत्र और मशीनरी में विनिधान की गणना करते समय उसके वास्तविक मूल्य को इस बात पर ध्यान दिये बिना कि चाहे मशीनरी नई है या पुरानी गणना में लिया जाएगा परन्तु तब जब कि मशीनरी आयातित है तो निम्नलिखित को, मूल्य की गणना करते समय सम्मिलित किया जायेगा, अर्थात्

(i) आयात शुल्क (विभिन्न खर्चों जैसे पतन से कारखाने के स्थल तक का परिवहन खर्च, पत्तन पर संदत्त डेमरेज प्रभार, को छोड़कर) ;

(ii) नौवहन प्रभार;

(iii) सीमा शुल्क निकासी प्रभार; और

(iv) विक्रय कर या मूल्यवर्धित कर।

(फा.सं.4(1)/2006-एमएसएमई नीति),
जवाहर सरकार, अपर सचिव


अनुबंध II

भारत में एसएमई समूहों की सूची (यूएनआइडीओ द्वारा पहचाने गए)

क्रम सं. राज्य जिला स्थान उत्पाद
1 आंध्र प्रदेश अनंतपुर रायादुर्ग सिले-सिलाए वस्त्र
2 आंध्र प्रदेश अनंतपुर चित्रदुर्ग जीन्स के कपड़े
3 आंध्र प्रदेश चित्तूर नगरी पावरलूम
4 आंध्र प्रदेश चित्तूर वेंटीमाल्टा, श्रीकालहस्ती, चुंदूर तांबे के बर्तन
5 आंध्र प्रदेश पूर्व गोदावरी पूर्व गोदावरी चावल मिल
6 आंध्र प्रदेश पूर्व गोदावरी राजमंदरी ग्रेफाइट क्रूसिब्लस
7 आंध्र प्रदेश पूर्व गोदावरी पूर्व गोदावरी कोयर और कोयर उत्पाद
8 आंध्र प्रदेश पूर्व गोदावरी राजमंदरी अल्युमिनियम के बर्तन
9 आंध्र प्रदेश पूर्व गोदावरी और पश्चिम गोदावरी पूर्व गोदावरी (पूगो) और पश्चिम गोदावरी रिफेक्टरी उत्पाद
10 आंध्र प्रदेश गूंटूर गूंटूर पावरलूम
11 आंध्र प्रदेश गूंटूर गूंटूर नींबू काल्सीनेशन
12 आंध्र प्रदेश गूंटूर मचेरला लकड़ी का फर्नीचर
13 आंध्र प्रदेश हैदराबाद हैदराबाद छत के पंखे
14 आंध्र प्रदेश हैदराबाद हैदराबाद इलैक्ट्रानिक सामान
15 आंध्र प्रदेश हैदराबाद हैदराबाद फार्मास्युटिकल्स - दवाएं
16 आंध्र प्रदेश हैदराबाद मुशीराबाद चमड़े की टेनिंग
17 आंध्र प्रदेश हैदराबाद हैदराबाद हेंड पम्प सेट
18 आंध्र प्रदेश हैदराबाद हैदराबाद फाउंड्री
19 आंध्र प्रदेश करीमनगर सिरसिला पावरलूम
20 आंध्र प्रदेश कृष्णा मछलीपट्टनम सोने की परत और इमिटेशन आभूषण
21 आंध्र प्रदेश कृष्णा विजयवाड़ा चावल मिल
22 आंध्र प्रदेश कृष्णा चुंदुर, कवाडिगुडा, चारमिनार, विजयवाड़ा स्टील फर्नीचर
23 आंध्र प्रदेश करनूल अडोनी तेल मिल
24 आंध्र प्रदेश करनूल करनूल बनावटी हीरे
25 आंध्र प्रदेश करनूल, कडप्पा करनूल (बनागनापल्ली, बेथामचेरिया, कोलीमीगुड़ला,कडप्पा) पॉलिश किए स्लेब
26 आंध्र प्रदेश प्रकासम मरकापुरम पत्थर की स्लेट
27 आंध्र प्रदेश रंगा रेड्डी बालनगर,जेड्डीमेटला और कुक्टपल्ली मशीन औजार
28 आंध्र प्रदेश श्रीकाकुलम पालसा काजू प्रसंस्करण
29 आंध्र प्रदेश विशाखापट्टनम, पूर्व गोदावरी विशाखापट्टनम, काकीनाडा समुद्री खाद्य
30 आंध्र प्रदेश वारंगल वारंगल पावरलूम
31 आंध्र प्रदेश वारांगल वारंगल ब्रासवेयर
32 आंध्र प्रदेश पश्चिम गोदावरी पश्चिम गोदावरी चावल मिल
33 बिहार बेगुसराई बरौनी इंजीनियरिंग और फेब्रिकेशन
34 बिहार मुज्जफरपुर मुज्जफरपुर खाद्य उत्पाद
35 बिहार पटना पटना तांबे और जर्मन चांदी के बर्तन
36 छत्तीसगढ़ दुर्ग,राजनंदगाव,रायपुर दुर्ग,राजनंदगाव,रायपुर स्टील री-रोलिंग
37 छत्तीसगढ़ दुर्ग, रायपुर दुर्ग, रायपुर ढलाई और धातु की वस्तुएं बनाना
38 दिल्ली उत्तरी पश्चिम दिल्ली वजीरपुर,बादली स्टेनलेस स्टील के बर्तन और छुरी-कांटा
39 दिल्ली दक्षिण और पश्चिम दिल्ली ओखला, मायापुरी रसायन
40 दिल्ली पश्चिम और दक्षिण दिल्ली नारैना और ओखला इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
41 दिल्ली पश्चिम और दक्षिण दिल्ली नारैना और ओखला इलेक्ट्रानिक सामान
42 दिल्ली उत्तर दिल्ली लॉरेन्स रोड खाद्य उत्पाद
43 दिल्ली दक्षिण दिल्ली ओखला,वजीरपुर फ्लेटेड फैक्ट्रीस संकुल चमड़ा उत्पाद
44 दिल्ली दक्षिण, पश्चिम दिल्ली ओखला, मायापुरी, आनंद पर्बत मेकॅनिकल इंजीनियरिंग उपकरण
45 दिल्ली पश्चिम, दक्षिण,पूर्व दिल्ली नरैना, ओखला, पतपरगंज पैकेजिंग सामान
46 दिल्ली पश्चिम और दक्षिण दिल्ली नरैना और ओखला कागज उत्पाद
47 दिल्ली पश्चिम और दक्षिण दिल्ली नरैना उद्योग नगर और ओखला प्लास्टिक उत्पाद
48 दिल्ली पश्चिम,दक्षिण,उत्तर-पश्चिम दिल्ली नरैना,ओखला,शिवाजी मार्ग, नज़ाफगढ़ मार्ग रबड़ उत्पाद
49 दिल्ली उत्तर पूर्वी दिल्ली शहादरा और विश्वासनगर तार लगाना
50 दिल्ली पश्चिम और उत्तर पश्चिमी मायापुरी और वजीरपुर धातु की वस्तुएं बनाना
51 दिल्ली पश्चिम और उत्तर पूर्वी किर्तीनगर और तिलक नगर फर्नीचर
52 दिल्ली उत्तर पूर्वी दिल्ली वजीरपुर इलैक्ट्रो प्लेटिंग
53 दिल्ली दक्षिण,पश्चिम,उत्तरी पश्चिम और उत्तर पश्चिमी ओखला,मायापुरी,नरैना, वजीरपुर बदली और जी.टी.करनल रोड ऑटो कम्पोनेन्ट
54 दिल्ली उत्तर पूर्वी दिल्ली, पूर्व दिल्ली और दक्षिण शाहदरा, गांधीनगर, ओखला और मैदानगड़ी होज़यरी
55 दिल्ली दक्षिण और उत्तर पूर्वी ओखला और शाहदरा सिले-सिलाए वस्त्र
56 दिल्ली दक्षिण दिल्ली ओखला सेनिटरी फिटिंग
57 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद फार्मास्युटिकल्स
58 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद डाय और इंटरमीडिएट्स
59 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद प्लास्टिक की ढलाई का सामान
60 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद सिले-सिलाए वस्त्र
61 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद टेक्सटाइल मशीनरी के पुर्जे
62 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद, धनडुका हीरा प्रसंस्करण
63 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद मशीन उपकरण
64 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद ढलाई
65 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद स्टील के बर्तन
66 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद लकड़ी का उत्पाद और फर्नीचर
67 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद कागज़ के उत्पाद
68 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद चमड़े के चप्पल जूते
69 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद धुलाई का पावडर और साबुन
70 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद संगमरमर के पट्टे
71 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद बिजली से चलने वाले पम्प
72 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद इलेक्ट्रॉनिक सामान
73 गुजरात अहमदाबाद अहमदाबाद ऑटो पूर्जे
74 गुजरात अमरेली सावरकुंडला वज़न और माप
75 गुजरात अमरेली,जुनागढ़,राजकोट अमरेली,जुनागढ़,राजकोट बेल्ट तेल मिल मशीनरी
76 गुजरात भावनगर अलंग जहाज तोड़ना
77 गुजरात भावनगर भावनगर स्टील री-रोलिंग
78 गुजरात भावनगर भावनगर मशीन उपकरण
79 गुजरात भावनगर भावनगर प्लास्टिक प्रसंस्करण
80 गुजरात भावनगर भावनगर हीरा प्रसंस्करण
81 गुजरात गांधीनगर कालोल पावरलूम
82 गुजरात जामनगर जामनगर तांबे के पुर्जे
83 गुजरात जामनगर जामनगर लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर
84 गुजरात मेहसाणा विज़ापुर सूती कपड़े की बुनाई
85 गुजरात राजकोट धोराजी, गोंडल,राजकोट तेल मिल
86 गुजरात राजकोट जेतपुर टेक्सटाइल छपाई
87 गुजरात राजकोट मोरवी और वाकांनेर फ्लोरिंग टाइल्स (क्ले)
88 गुजरात राजकोट मोरवी दीवार की घड़ियां
89 गुजरात राजकोट राजकोट डीज़ल इंजिन
90 गुजरात राजकोट राजकोट इलेक्ट्रिक मोटर
91 गुजरात राजकोट राजकोट ढलाई
92 गुजरात राजकोट राजकोट मशीन उपकरण
93 गुजरात राजकोट राजकोट हीरा प्रसंस्करण
94 गुजरात सूरत सूरत, चोरयासी हीरा प्रसंस्करण
95 गुजरात सूरत सूरत पावर लूम
96 गुजरात सूरत सूरत लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर
97 गुजरात सूरत सूरत टेक्सटाइल मशीनरी
98 गुजरात सुरेन्द्रनगर सुरेन्द्रनगर और थानगढ़ सेरेमिक्स
99 गुजरात सुरेन्द्रनगर छोटिला सेनिटरी फिटिंग
100 गुजरात वड़ोदरा वड़ोदरा फार्मास्युटिकल दवाएँ
101 गुजरात वड़ोदरा वड़ोदरा प्लास्टिक प्रसंस्करण
102 गुजरात वड़ोदरा वड़ोदरा लकड़ी के उत्पाद और फर्नीचर
103 गुजरात बलसाड़ पारदी डाय और इंटरमीडिएट्स
104 गुजरात बलसाड़/भरूच वापी/अंकलेश्वर रसायन
105 गुजरात बलसाड़/भरूच वापी/अंकलेश्वर फार्मास्युटिकल दवाएं
106 गोवा दक्षिण गोवा मार्गो फार्मास्युटिकल
107 हरियाणा अंबाला अंबाला मिक्सी और ग्राइंडर
108 हरियाणा अंबाला अंबाला वैज्ञानिक उपकरण
109 हरियाणा भिवानी भिवानी पावरलूम
110 हरियाणा भिवानी भिवानी स्टोन क्रशिंग
111 हरियाणा फरिदाबाद फरिदाबाद ऑटो पूर्जे
112 हरियाणा फरिदाबाद फरिदाबाद इंजीनियरिंग क्लस्टर
113 हरियाणा फरिदाबाद फरिदाबाद पत्थर तोड़ना
114 हरियाणा गुड़गांव गुड़गांव ऑटो पूर्जे
115 हरियाणा गुड़गांव गुड़गांव इलेक्ट्रानिक सामान
116 हरियाणा गुड़गांव गुड़गांव इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
117 हरियाणा गुड़गांव गुड़गांव सिले-सिलाए कपड़ें
118 हरियाणा गुड़गांव गुड़गांव मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
119 हरियाणा कैथल कैथल चावल मिल
120 हरियाणा कर्नाल कर्नाल कृषि उपकरण
121 हरियाणा कर्नाल, कुरुक्षेत्र,पानिपत कर्नाल,कुरुक्षेत्र,पानिपत चावल मिल
122 हरियाणा पंचकुला पिंजोर इंजीनियरिंग उपकरण
123 हरियाणा पंचकुला पंचकुला पत्थर तोड़ना
124 हरियाणा पानिपत पानिपत पावरलूम
125 हरियाणा पानिपत पानिपत शोडी यार्न
126 हरियाणा पानिपत समलखा फाउंड्री
127 हरियाणा पानिपत पानिपत सूती कातना
128 हरियाणा रोहतक रोहतक नट्स/बोल्ट्स
129 हरियाणा यमुना नगर यमुना नगर प्लाई वुड/ बोर्ड/ ब्लैक बोर्ड
130 हरियाणा यमुना नगर जगध्री बर्तन
131 हिमाचल प्रदेश कुल्लु और सिरमौर कुल्लु और सिरमौर खाद्य प्रसंस्करण
132 हिमाचल प्रदेश कांगड़ा दमतल पत्थर तोड़ना
133 हिमाचल प्रदेश सोलन परवानु इंजीनियरिंग उपस्कर
134 जम्मू और कश्मीर अनंतनाग अनंतनाग क्रिकेट बेट
135 जम्मू और कश्मीर जम्मू जम्मू स्टील रि-रोलिंग
136 जम्मू और कश्मीर जम्मू / कथुवा जम्मू /कथुवा तेल मिल
137 जम्मू और कश्मीर जम्मू / कथुवा कथुवा चावल मिल
138 जम्मू और कश्मीर श्रीनगर श्रीनगर टिम्बर जोयनरी / फर्नीचर
139 झारखंड सारीकेला-खरसावन आदित्यपुर ऑटो पुर्जे
140 झारखंड पूर्व सिंहभूम जमशेदपुर इंजीनियरिंग और फेब्रिकेशन
141 झारखंड बोकारो बोकारो इंजीनियरिंग और फेब्रिकेशन
142 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर मशीन उपकरण
143 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर पावरलूम
144 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर इलेक्ट्रानिक सामान
145 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर सिले-सिलाए वस्त्र
146 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर लाइट इंजीनियरिंग
147 कर्नाटक बंगलूर बंगलूर चमड़े के उत्पाद
148 कर्नाटक बेलगांव बेलगांव फाउंड्री
149 कर्नाटक बेलगांव बेलगांव पावरलूम
150 कर्नाटक बेल्लरी बेल्लरी जीन्स गारमेंट
151 कर्नाटक बिजापुर बिजापुर तेल मिल
152 कर्नाटक धारवाड़ हुबली, धारवाड़ कृषि उपकरण और ट्रेक्टर ट्रेलर
153 कर्नाटक गडग गडग बेटगीरी पावरलूम
154 कर्नाटक गुलबर्गा गुलबर्गा गडग बेल्ट दाल मिल
155 कर्नाटक हसन आरसिकारा कोयर और कोयर उत्पाद
156 कर्नाटक मैसूर मैसूर खाद्य उत्पाद
157 कर्नाटक मैसूर मैसूर रेशम
158 कर्नाटक रायचुर रायचुर चमड़ा उत्पाद
159 कर्नाटक शिमोगा शिमोगा चावल मिल
160 कर्नाटक दक्षिण कन्नड मंगलूर खाद्य उत्पाद
161 केरल अलपुज्जा अलपुज्जा कोयर और कोयर उत्पाद
162 केरल एर्नाकुलम एर्नाकुलम रबड़ उत्पाद
163 केरल एर्नाकुलम एर्नाकुलम पावरलूम
164 केरल एर्नाकुलम कोच्ची समुद्री खाद्य प्रसंस्करण
165 केरल कन्नूर कन्नूर पावरलूम
166 केरल कोल्लम कोल्लम कोयर और कोयर उत्पाद
167 केरल कोट्टायम कोट्टायम रबड़ उत्पाद
168 केरल मल्लापुरम मल्लापुरम पावरलूम
169 केरल पालक्काड पालक्काड पावरलूम
170 केरल   फैजलूर पावरलूम
171 महाराष्ट्र अहमदनगर अहमदनगर ऑटो पूर्जे
172 महाराष्ट्र अकोला अकोला तेल मिल (सूती बीज)
173 महाराष्ट्र अकोला अकोला दाल मिल
174 महाराष्ट्र औरंगाबाद औरंगाबाद ऑटो पुर्जे
175 महाराष्ट्र औरंगाबाद औरंगाबाद फार्मास्युटिकल्स - दवाएं
176 महाराष्ट्र भंडारा भंडारा चावल मिल
177 महाराष्ट्र चंद्रपुर चंद्रपुर छत की टाइल्स
178 महाराष्ट्र चंद्रपुर चंद्रपुर चावल मिल
179 महाराष्ट्र धुले धुले मिर्ची पाउडर
180 महाराष्ट्र गडचिरोली गडचिरोली ढलाई
181 महाराष्ट्र गडचिरोली गडचिरोली चावल मिल
182 महाराष्ट्र गोंदिया गोंदिया चावल मिल
183 महाराष्ट्र जलगांव जलगांव दाल मिल
184 महाराष्ट्र जलगांव जलगांव कृषि औजार
185 महाराष्ट्र जालना जालना इंजीनियरिंग उपकरण
186 महाराष्ट्र कोल्हापुर कोल्हापुर डीज़ल इंजीन
187 महाराष्ट्र कोल्हापुर कोल्हापुर फाउंड्री
188 महाराष्ट्र कोल्हापुर इचलकरंजी पावरलूम
189 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई इलेक्ट्रॉनिक सामान
190 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई फार्मास्युटिकल - दवाएं
191 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई खिलौने (प्लास्टिक)
192 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई सिले-सिलाए कपड़े
193 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई होजियरी
194 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई मशीन उपकरण
195 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई इंजीनियरिंग उपस्कर
196 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई रसायन
197 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई पैकेजिंग सामग्री
198 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई हाथ के औजार
199 महाराष्ट्र मुंबई मुंबई प्लास्टिक उत्पाद
200 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर पावरलूम
201 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर इंजीनियरिंग और फैब्रिकेशन
202 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर स्टील फर्नीचर
203 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर (बुटीबोरी) सिले-सिलाए वस्त्र
204 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर हाथ के औजार
205 महाराष्ट्र नागपुर नागपुर खाद्य प्रसंस्करण
206 महाराष्ट्र नांदेड़ नांदेड़ दाल मिल
207 महाराष्ट्र नाशिक मालेगांव पावरलूम
208 महाराष्ट्र नाशिक नाशिक स्टील फर्नीचर
209 महाराष्ट्र पुणे पुणे ऑटो पुर्जे
210 महाराष्ट्र पुणे पुणे इलेक्ट्रॉनिक सामान
211 महाराष्ट्र पुणे पुणे खाद्य उत्पाद
212 महाराष्ट्र पुणे पुणे सिले-सिलाए वस्त्र
213 महाराष्ट्र पुणे पुणे फर्मास्युटिकल्स दवाएं
214 महाराष्ट्र पुणे पुणे फाइबर कांच
215 महाराष्ट्र रत्नागिरी रत्नागिरी कैन्ड और प्रस्संकृत मछली
216 महाराष्ट्र सांगली सांगली एमएस रॉड
217 महाराष्ट्र सांगली माधवनगर पावरलूम
218 महाराष्ट्र सातारा सातारा चमड़ा टैनिंग
219 महाराष्ट्र सोलापुर सोलापुर पावरलूम
220 महाराष्ट्र सिंधुदुर्ग सिंधुदुर्ग काजू प्रसंस्करण
221 महाराष्ट्र सिंधुदुर्ग सिंधुदुर्ग कॉपर परत वाले वायर
222 महाराष्ट्र थाने भिवंडी पावरलूम
223 महाराष्ट्र थाने कल्याण कॉनफेक्शनरी
224 महाराष्ट्र थाने वाशिंद रसायन
225 महाराष्ट्र थाने तारापुर,थाने-बेलापुर फार्मास्युटिकल्स दवाएं
226 महाराष्ट्र थाने थाने समुद्री खाद्य
227 महाराष्ट्र वरधा वरधा पिघलने वाला तेल
228 महाराष्ट्र यवतमाल यवतमाल दाल मिल
229 मध्य प्रदेश भोपाल भोपाल इंजीनियरिंग उपस्कर
230 मध्य प्रदेश देवास देवास इलेर्टिकल सामान
231 मध्य प्रदेश पूर्व निमार बृहनपुर पावरलूम
232 मध्य प्रदेश इंदौर इंदौर फार्मास्युटिकल दवाएं
233 मध्य प्रदेश इंदौर इंदौर सिल-सिलाए वस्त्र
234 मध्य प्रदेश इंदौर इंदौर खाद्य प्रसंस्करण
235 मध्य प्रदेश इंदौर पिथमपुर ऑटो पुर्जे
236 मध्य प्रदेश जबलपुर जबलपुर सिले-सिलाए वस्त्र
237 मध्य प्रदेश जबलपुर जबलपुर पावरलूम
238 मध्य प्रदेश उज्जैन उज्जैन पावरलूम
239 उड़ीसा बलनगिर बलनगिर चावल मिल
240 उड़ीसा बलसोर बलसोर चावल मिल
241 उड़ीसा बलसोर बलसोर पावरलूम
242 उड़ीसा कट्टक कट्टक चावल मिल
243 उड़ीसा कट्टक कट्टक रसायन और फार्मास्युटिकल्स
244 उड़ीसा कट्टक कट्टक (जगतपुर) इंजीनियरिंग और फेब्रिकेशन
245 उड़ीसा कट्टक कट्टक मसाले
246 उड़ीसा धेनकनल धेनकनल पावरलूम
247 उड़ीसा गंजम गंजम पावरलूम
248 उड़ीसा गंजम गंजम चावल मिल
249 उड़ीसा कोरापत कोरापत चावल मिल
250 उड़ीसा पूरी पूरी चावल मिल
251 उड़ीसा सम्बलपुर सम्बलपुर चावल मिल
252 पंजाब अमृतसर अमृतसर चावल मिल
253 पंजाब अमृतसर अमृतसर शॉडी यार्न
254 पंजाब अमृतसर अमृतसर पावरलूम
255 पंजाब फतेहगढ़ साहिब मंडी गोविंदगढ़ स्टील री-रोलिंग
256 पंजाब गुरदासपुर बटाला मशीन उपकरण
257 पंजाब गुरदासपुर बटाला,गुरदासपुर चावल मिल
258 पंजाब गुरदासपुर बटाला कास्टिंग और फोरजिंग
259 पंजाब जलंधर जलंधर खेल का सामान
260 पंजाब जलंधर जलंधर कृषि उपकरण
261 पंजाब जलंधर जलंधर हाथ के औजार
262 पंजाब जलंधर जलंधर रबड़ का सामान
263 पंजाब जलंधर करतारपुर लकड़ी का फर्नीचर
264 पंजाब जलंधर जलंधर चमड़े का टेनिंग
265 पंजाब जलंधर जलंधर चमड़े की चप्पल
266 पंजाब जलंधर जलंधर शल्य उपकरण
267 पंजाब कपुरथला कपुरथला चावल मिल
268 पंजाब कपुरथला फगवाड़ा डिज़ल इंजीन
269 पंजाब लुधियाना लुधियाना ऑटो उपकरण
270 पंजाब लुधियाना लुधियाना बाइसिकल के पुर्जे
271 पंजाब लुधियाना लुधियाना हौजयरी
272 पंजाब लुधियाना लुधियाना सिलाई एम/सी उपकरण
273 पंजाब लुधियाना लुधियाना औद्योगिक फास्टनर्स
274 पंजाब लुधियाना लुधियाना हाथ के औजार
275 पंजाब लुधियाना लुधियाना मशीन उपकरण
276 पंजाब लुधियाना लुधियाना फोर्जिंग
277 पंजाब लुधियाना लुधियाना इलेक्ट्रोप्लेटिंग
278 पंजाब मोगा मोगा गेहूँ थ्रेशर
279 पंजाब पटियाला पटियाला कृषि उपकरण
280 पंजाब पटियाला पटियाला काटने के उपकरण
281 पंजाब संगरूर संगरूर चावल मिल
282 राजस्थान अल्वर, एस.माधोपुर, भरतपुर अल्वर, एस.माधोपुर, भरतपुर बेल्ट तेल मिल
283 राजस्थान अजमेर किशनगढ़ संगमरमर के पट्टे
284 राजस्थान अजमेर किशनगढ़ पावरलूम
285 राजस्थान अल्वर अल्वर रसायन
286 राजस्थान बिकानेर बिकानेर पापड़ मंगोड़ी, नमकीन
287 राजस्थान बिकानेर बिकानेर प्लास्टर ऑफ पेरिस
288 राजस्थान दौसा महुआ सेंड स्टोन
289 राजस्थान गंगानगर गंगानगर खाद्य प्रसंस्करण
290 राजस्थान जयपुर जयपुर हीरे और जवाहरात
291 राजस्थान जयपुर जयपुर बॉल बेरिंग
292 राजस्थान जयपुर जयपुर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उपकरण
293 राजस्थान जयपुर जयपुर खाद्य उत्पाद
294 राजस्थान जयपुर जयपुर वस्त्र
295 राजस्थान जयपुर जयपुर नींबू
296 राजस्थान जयपुर जयपुर मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपकरण
297 राजस्थान झालवर झालवर संगमरमर के पट्टे
298 राजस्थान नगौर नगौर हाथ के औजार
299 राजस्थान सिकर शिखावटी लकड़ी का फर्नीचर
300 राजस्थान सिरोही सिरोही संगमरमर के पट्टे
301 राजस्थान उदयपुर उदयपुर संगमरमर के पट्टे
302 तमिलनाडु चैन्नै चैन्ने ऑटो पूर्जे
303 तमिलनाडु चैन्ने चैन्ने चमड़े के उत्पाद
304 तमिलनाडु चैन्ने चैन्ने इलेक्ट्रोप्लेटिंग
305 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर डीज़ल इंजीन
306 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर कृषि उपकरण
307 तमिलनाडु कोयम्बतुर तिरुपुर हौजरी
308 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर मशीन उपकरण
309 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर कास्टिंग और फोर्जिंग
310 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर,पालादम,कन्नम पालयम पावरलूम
311 तमिलनाडु कोयम्बतुर कोयम्बतुर गिली पिसाई की मशीनें
312 तमिलनाडु इरोड सुरामपट्टी पावरलूम
313 तमिलनाडु करुर करुर पावरलूम
314 तमिलनाडु मदुराई मदुराई सिले-सिलाए वस्त्र
315 तमिलनाडु मदुराई मदुराई चावल मिल
316 तमिलनाडु मदुराई मदुराई दाल मिल
317 तमिलनाडु नमक्कल थिरूचेनगोडे रिग्स
318 तमिलनाडु सालेम सालेम सिले-सिलाए वस्त्र
319 तमिलनाडु सालेम सालेम स्टार्च और सेगो
320 तमिलनाडु तंजवुर तंजवुर चावल मिल
321 तमिलनाडु त्रिचुरापल्ली त्रिचुरापल्ली इंजीनियरिंग उपकरण
322 तमिलनाडु त्रिचुरापल्ली त्रिचुरापल्ली (ग्रामीण) आर्टिफिशियल हीरे
323 तमिलनाडु टुटिकोरिन कोविलपति सेफ्टी मैचेस
324 तमिलनाडु वेल्लुर अंबुर,वनियमबड़ी,पलार वेली चमड़ें का टैनिंग
325 तमिलनाडु विरधुनगर राजपलायम सूती मिल (गेज़ कपड़ा)
326 तमिलनाडु विरधुनगर विरुधनगर टिन कंटेनर
327 तमिलनाडु विरधुनगर शिवकासी प्रिंटिंग
328 तमिलनाडु विरधुनगर शिवकासी माचिस और पटाखे
329 तमिलनाडु विरधुनगर श्रीवल्लीपुथुर टोइलेट साबून
330 उत्तर प्रदेश आगरा आगरा फाउंड्री
331 उत्तर प्रदेश आगरा आगरा चमड़े के चप्पल-जूते
332 उत्तर प्रदेश आगरा आगरा मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
333 उत्तर प्रदेश अलीगढ़ अलीगढ़ ब्रास और गनमेटल की मूर्तियां
334 उत्तर प्रदेश अलीगढ़ अलीगढ़ ताले
335 उत्तर प्रदेश अलीगढ़ अलीगढ़ भवन हार्डवेयर
336 उत्तर प्रदेश इलाहाबाद माऊ पावरलूम
337 उत्तर प्रदेश इलाहाबाद माऊ एमा चमड़े के उत्पाद
338 उत्तर प्रदेश बांदा बांदा पावरलूम
339 उत्तर प्रदेश बुलंदशहर खुरजा सिरेमिक्स
340 उत्तर प्रदेश फिरोज़ाबाद फिरोज़ाबाद कांच के उत्पाद
341 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा इलेक्ट्रानिक उत्पाद
342 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा खिलौने
343 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा रसायन
344 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
345 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा वस्त्र
346 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
347 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा पेकेजिंग सामान
348 उत्तर प्रदेश गौतम बुद्ध नगर नोएडा प्लास्टिक उत्पाद
349 उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद गाज़ियाबाद रसायन
350 उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद गाज़ियाबाद मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपस्कर
351 उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद गाज़ियाबाद पेकेजिंग सामान
352 उत्तर प्रदेश गोरखपुर गोरखपुर पावरलूम
353 उत्तर प्रदेश हथरस हथरस शीटवर्क (ग्लोब लैम्प)
354 उत्तर प्रदेश झांसी झांसी पावरलूम
355 उत्तर प्रदेश कनौज कनौज परफ्यूमरी और एसेंशियल तेल
356 उत्तर प्रदेश कानपुर कानपुर सैडेल्री
357 उत्तर प्रदेश कानपुर कानपुर सूती हौजयरी
358 उत्तर प्रदेश कानपुर कानपुर चमड़े के उत्पाद
359 उत्तर प्रदेश मिरठ मिरठ खेल उत्पाद
360 उत्तर प्रदेश मिरठ मिरठ कैंची
361 उत्तर प्रदेश मुरादाबाद मुरादाबाद ब्रासवेयर
362 उत्तर प्रदेश मुजफ्फर नगर मुजफ्फर नगर चावल मिल
363 उत्तर प्रदेश सहरानपुर सहरानपुर चावल मिल
364 उत्तर प्रदेश सहरानपुर सहरानपुर लकड़ी का काम
365 उत्तर प्रदेश वाराणसी वाराणसी शीटवर्क (ग्लोब लैम्प)
366 उत्तर प्रदेश वाराणसी वाराणसी पावरलूम
367 उत्तर प्रदेश वाराणसी वाराणसी कृषि उपकरण
368 उत्तर प्रदेश वाराणसी वाराणसी बीजली का पंखा
369 उत्तरांचल देहरादून देहरादून मिनियेचर वेक्यूम बल्ब
370 उत्तरांचल हरिद्वार रुरकी सर्वे उपकरण
371 उत्तरांचल उधम सिंह नगर रुद्रपुर चावल मिल
372 पश्चिम बंगाल बंकुरा बरजोरा मछली पकड़ने का हुक
(जानकारी बाकी)
373 पश्चिम बंगाल एचएमसी और बाली मुनसिपल क्षेत्र हावड़ा फाउंड्री
374 पश्चिम बंगाल हावड़ा बरगछिया,मानसिंहपुर,हंतल,शाहदत पुर और जगतबलावपुर लॉक
375 पश्चिम बंगाल हावड़ा एचएमसी और बाली मुनसिपल क्षेत्र सिवोक रोड स्टील रि-रोलिंग
376 पश्चिम बंगाल हावड़ा दोमजुर नकली और सच्चे जवाहरात
377 पश्चिम बंगाल कूच बिहार कूच बिहार - I, तुफानगंज, माथाबंधा, मेखलीगंज सितलपति/फर्नीचर
378 पश्चिम बंगाल कोलकाता वेलींगटन, खानपुर बिजली के पंखे
379 पश्चिम बंगाल कोलकाता सोवाबाज़ार,कोसीपुर हौजयरी
380 पश्चिम बंगाल कोलकाता मेतियाबुर्ज, वार्ड नं. 138 से 141 सिले-सिलाए वस्त्र
381 पश्चिम बंगाल कोलकाता तिलजला, टोपसिया, फूलबागान चमड़े के उत्पाद
382 पश्चिम बंगाल कोलकाता दासपारा (उल्टाडांगा), अहीरीतोला दाल मिल
383 पश्चिम बंगाल कोलकाता तलताला, लेनिन, सारणी मेकेनिकल इंजीनियरिंग उपकरण
384 पश्चिम बंगाल कोलकाता बोबाज़ार, कालीघाट लकड़ी के उत्पाद
385 पश्चिम बंगाल नाडिया मतियारी, धर्मादा, नाबाडविप बेल/धातु के बर्तन
386 पश्चिम बंगाल नाडिया राजघाट पावरलूम
387 पश्चिम बंगाल पुरूलिया जालदा प्रोपर, पुरूलिया,बेगुनकोदर और तानसी हाथ के औजार
388 पश्चिम बंगाल दक्षिण 24 परगना कल्याणपुर, पुरुंदरपुर, धोपागच्छी शल्य संबंधी उपकरण

परिशिष्ट

मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं. परिपत्र सं. तारीख विषय पैराग्राफ सं.
1. विसविवि. एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.21/06.02.31/2015-16 17/03/2016 सूक्ष्‍म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई)
के पुनरुज्‍जीवन और पुनर्वास के लिए ढांचा
4.8
2. विसविवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.60/06.02.31/2015-16 27/08/2015 माइक्रो और लघु उद्यमों (एमएसई) को उनके ‘जीवन चक्र’ के दौरान समय पर और पर्याप्‍त ऋण सुविधा देने के लिए ऋण प्रवाह का सरलीकरण 4.6
3. मास्‍टर निदेश विसविवि.केंका.प्‍लान.1/04.09.01/2016-17 07.07.2016 प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार– लक्ष्‍य और वर्गीकरण 1.3(घ) (ड़),
2.2
4. ग्राआऋवि.एमएसएमई एंड एनएफएस.बीसी.सं.61/06.02.31/2013-14 02/12/2013 संशोधित सामान्य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना 4.4
5. ग्राआऋवि.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.74/06.02.31/2012-13 09/05/2013 एमएसई क्षेत्र को ऋण की वृद्धि पर निगरानी के लिए संरचित तंत्र 4.1,4.9
6. ग्राआऋवि.केंका.एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.40/06.02.31/2012-13 01/11/2012 रुग्ण माइक्रो (सूक्ष्म) और लघु उद्यमों के पुनर्वास के लिए दिशानिर्देश 4.8
7. ग्राआऋवि. एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं 20/06.02.31/2012-13 01/08/2012 माइक्रो और लघु उद्यम क्षेत्र – वित्तीय साक्षरता और परामर्शी सहायता की अनिवार्यता 5.5
8. ग्राआऋवि. एमएसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.53/06.02.31/2011-12 04.01.2012 एमएसएमई उधारकर्ताओं को ऋण आवेदन की प्राप्ति-सूचना जारी करना 4.1
9. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.35/06.02.31(पी)/2010-11 06.12.2010 इकाइयों का स्वामित्व – एक ही स्वामित्व के अंतर्गत दो या उससे अधिक उपक्रम – इकाई की स्थिति 2.7
10. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस सं.90/06.02.31/2009-10 29.06.2010 एमएसएमई पर प्रधानमंत्री उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की सिफारिशें 3.4, 6.5
11. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस.बीसी.सं.79/06.02.31/2009-10 06.05.2010 माइक्रो और लघु उद्यम (एमएसई) हेतु ऋण गारंटी योजना की समीक्षा के लिए कार्य-दल - एमएसई को संपार्श्विक रहित ऋण 6.6
12. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस सं.9470/06.02.31(पी)/2009-10 11.03.2010 माइक्रो और लघु उद्यम (एमएसई) क्षेत्र को संमिश्र ऋण स्वीकृति 4.3
13. ग्राआऋवि.एसएमई एंड एनएफएस सं.13657/06.02.31(पी)/2008-09 18.06.2009 पीएमईजीपी के अंतर्गत वित्तपोषित इकाईयों को संपार्श्विक रहित ऋण 4.2
14. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस सं.102/06.04.01/2008-09 04.05.2009 माइक्रो और लघु उद्यम क्षेत्र को ऋण प्रदान कराना 6.4
15. ग्राआऋवि.एसएमई एण्ड एनएफएस सं.12372/06.02.31(पी)/2007-08 23.05.2008 ऋण सहलग्न पूंजी सब्सिडी योजना 4.5
16. ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.सं.63/06.02.31/2006-07 04.04.2007 माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र को ऋण उपलब्ध कराना-माइक्रो, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम, 2006 लागू करना 2
17. ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.28/06.02.21(डब्लूजी)/2004-05 04.09.2004 लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण उपलब्धता पर कार्यकारी दल 6.3
18. ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.39/06.02.80/2003-04 03.11.2003 लघु उद्योग को ऋण सुविधाएं - संपार्श्विक मुक्त ऋण 4.2
19. डीबीओडी.सं.बीएल.बीसी.74/22.01.001/2002 11.03.2002 सामान्य बैंकिंग शाखाओं का विशेषीकृत लघु उद्योग शाखाओं में परिवर्तन 5.1
20. आईसीडी.सं.5/08.12.01/2000-01 16.10.2000 लघु उद्योग क्षेत्र को ऋण उपलब्धता- मंत्रियों के समूह का निर्णय 5.7
21. ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.61/06.02.62/2000-01 02/03/2001 नायक समिति की सिफारिशों का कार्यान्वयन – बैंकों द्वारा की गई प्रगति – विशेषीकृत एसएसआई शाखाओं का अध्ययन 6.2
22. ग्राआऋवि.पीएलएनएफएस.बीसी.22/06.02.31(ii)/98-99 28.08.1998 लघु उद्योग पर उच्च स्तरीय समिति -कपूर समिति- सिफारिशों का कार्यान्वयन 6.1

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