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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अधिसूचनाएं


डिजिटल उधार पर दिशानिर्देश

आरबीआई/2022-23/111
विवि.सीआरई.आरईसी.66/21.07.001/2022-23

02 सितंबर 2022

सभी वाणिज्यिक बैंक,
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक,
जिला केंद्रीय सहकारी बैंक; तथा
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित)

महोदया/ महोदय

डिजिटल उधार पर दिशानिर्देश

10 अगस्त 2022 की आरबीआई प्रेस विज्ञप्ति "डिजिटल उधार पर कार्य दल की सिफारिशें-कार्यान्वयन" का पैरा 7 देखें। तत्काल कार्यान्वयन के लिए कार्य दल की स्वीकृत सिफारिशों पर विस्तृत दिशा-निर्देश इस परिपत्र के अनुबंध I के रूप में संलग्न हैं।

2. यह दोहराया जाता है कि एक उधार सेवा प्रदाता (एलएसपी)/डिजिटल लेंडिंग ऐप (डीएलए) के साथ विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा दर्ज की गई आउटसोर्सिंग व्यवस्था आरई के दायित्वों को कम नहीं करती है और वे आउटसोर्सिंग1 पर मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करना जारी रखेंगे। आरई को सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके द्वारा नियुक्त एलएसपी और डीएलए (या तो आरई का या आरई द्वारा नियुक्त एलएसपी का) इस परिपत्र में निहित दिशानिर्देशों का पालन करते हैं।

3. आगे यह भी सूचित किया जाता है कि इस परिपत्र में निहित अनुदेश इस परिपत्र की तिथि से 'नए ऋण प्राप्त करने वाले मौजूदा ग्राहकों' और 'नए शामिल हुए ग्राहकों' पर लागू होंगे। हालांकि, एक सुचारु पारगमन सुनिश्चित करने के लिए, आरई को 30 नवंबर 2022 तक का समय दिया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 'मौजूदा डिजिटल उधारों' (परिपत्र की तारीख तक स्वीकृत) को भी इन दिशानिर्देशों के अनुरूप अक्षरश: अनुपालन करने के लिए पर्याप्त प्रणाली और प्रक्रियाएं बना सके।

4. यह निदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, 35ए और 56, भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45एल और 45एम, राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और 32, धारा 6 फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011 और क्रेडिट सूचना कंपनी (विनियमन) अधिनियम, 2005 की धारा 11 के तहत जारी किए गए हैं।

भवदीय

(मनोरंजन मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध I

डिजिटल उधार पर दिशानिर्देश

1. आवेदन का दायरा: ये दिशानिर्देश निम्नलिखित द्वारा विस्तारित डिजिटल उधार पर लागू होते हैं:

1.1 सभी वाणिज्यिक बैंक,

1.2 प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक; तथा

1.3 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (आवास वित्त कंपनियों सहित)

2. परिभाषाएं

2.1. वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर): एपीआर एक प्रभावी वार्षिक दर है जो डिजिटल ऋण के उधारकर्ता से लिया जाता है। एपीआर एक सर्व-समावेशी लागत और मार्जिन पर आधारित होगा जिसमें निधि की लागत, क्रेडिट लागत और परिचालन लागत, प्रसंस्करण शुल्क, सत्यापन शुल्क, रखरखाव शुल्क आदि शामिल हैं, और आकस्मिक शुल्क जैसे दंड शुल्क, देरी से भुगतान शुल्क, आदि को शामिल नहीं किया जाएगा।

2.2. कूलिंग ऑफ/लुक-अप अवधि: कूलिंग ऑफ/लुक-अप अवधि आरई के बोर्ड द्वारा निर्धारित समयसीमा है जिसके दौरान यदि कोई उधारकर्ता उधार जारी रखना नहीं चाहता है तो वह डिजिटल उधार से बाहर निकल सकता है।

2.3. डिजिटल उधार: एक दूरस्थ और स्वचालित उधार प्रक्रिया, मुख्य रूप से निर्बाध डिजिटल प्रौद्योगिकियों के उपयोग द्वारा ग्राहक अधिग्रहण, क्रेडिट मूल्यांकन, ऋण अनुमोदन, संवितरण, वसूली और संबंधित ग्राहक सेवा के लिए है।

2.4. डिजिटल उधार ऐप/ प्लैटफॉर्म (डीएलए): उपयोगकर्ता इंटरफ़ेस के साथ मोबाइल और वेब-आधारित एप्लिकेशन जो डिजिटल उधार सेवाओं की सुविधा प्रदान करते हैं। डीएलए में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों के अनुरूप किसी भी क्रेडिट सुविधा सेवाओं का विस्तार करने के लिए विनियमित संस्थाओं (आरई) के साथ-साथ आरई द्वारा नियोजित उधार सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) द्वारा संचालित ऐप शामिल होंगे।

2.5. उधार सेवा प्रदाता (एलएसपी): विनियमित इकाई का एजेंट जो रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों के अनुरूप, आरई की ओर से ग्राहक अधिग्रहण, अंडरराइटिंग सहयोग, मूल्य निर्धारण सहयोग, सर्विसिंग, निगरानी, विशिष्ट ऋण की वसूली या ऋण पोर्टफोलियो में, एक या अधिक ऋणदाता के कार्यों या उसके हिस्से को पूरा करता है।

2.6. विनियमित इकाई (आरई): जिन संस्थाओं पर यह परिपत्र लागू होता है, जैसा कि इन दिशानिर्देशों के पैरा 1 में बताया गया है।

ए. ग्राहक सुरक्षा और आचार आवश्यकताएँ

3. उधार संवितरण, सर्विसिंग और पुनर्भुगतान - आरई यह सुनिश्चित करेगी कि सभी उधार सर्विसिंग, पुनर्भुगतान इत्यादि, किसी भी तीसरे पक्ष के पास-थ्रू खाते/पूल खाते के बिना सीधे आरई के बैंक खाते में उधारकर्ता द्वारा निष्पादित किए जाएंगे। विशेष रूप से सांविधिक या विनियामकीय आदेश (आरबीआई या किसी अन्य नियामक) के तहत कवर किए गए संवितरण, सह-उधार लेनदेन2 के लिए आरई के बीच धन का प्रवाह और विशिष्ट अंतिम उपयोग के लिए संवितरण बशर्ते ऋण सीधे अंतिम-लाभार्थी के बैंक खाते में वितरित किया गया हो को छोड़कर, संवितरण हमेशा उधारकर्ता के बैंक खाते में कियाजाएगा, । आरई यह सुनिश्चित करेंगी कि, इन दिशानिर्देशों में दिए गए प्रावधान के सिवाय किसी भी मामले में, एलएसपी और उनके डीएलए के खातों सहित किसी तीसरे पक्ष के खाते में संवितरण नहीं किया गया है।

4. शुल्क, प्रभार आदि का संग्रहण

4.1. शुल्क/प्रभार का भुगतान: आरई यह सुनिश्चित करेंगी कि एलएसपी को देय किसी भी शुल्क, प्रभार आदि का भुगतान सीधे उनके (आरई) द्वारा किया जाता है और एलएसपी द्वारा सीधे उधारकर्ता से नहीं लिया जाता है।

4.2. दंडात्मक ब्याज/प्रभार: उधारकर्ताओं पर लगाया जाने वाला दंडात्मक ब्याज/प्रभार, यदि कोई हो, ऋण की बकाया राशि पर आधारित होगा। इसके अलावा, ऐसे दंडात्मक प्रभारों की दर का खुलासा उधारकर्ता को वार्षिक आधार पर मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) में अग्रिम रूप से किया जाएगा।

5. उधारकर्ताओं के लिए प्रकटीकरण

5.1. वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर)- उधारकर्ता के लिए डिजिटल ऋण की सभी समावेशी लागत के रूप में एपीआर का प्रकटीकरण आरई द्वारा अग्रिम रूप से किया जाएगा और यह मुख्य तथ्य विवरण का एक हिस्सा भी होगा।

5.2. मुख्य तथ्य विवरण

5.2.1. आरई सभी डिजिटल ऋण उत्पादों के लिए एक मानकीकृत प्रारूप में अनुबंध के निष्पादन से पहले उधारकर्ता को एक मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) प्रदान करेंगी। केएफएस का प्रारूप अनुबंध-II में दिया गया है।

5.2.2. केएफएस में अन्य आवश्यक सूचनाओं के अलावा, एपीआर का विवरण, वसूली तंत्र, विशेष रूप से डिजिटल ऋण/फिनटेक से संबंधित मामले से निपटने के लिए नामित शिकायत निवारण अधिकारी का विवरण और कूलिंग-ऑफ/लुक-अप अवधि शामिल होगी।

5.2.3. कोई भी शुल्क, प्रभार, आदि, जिसका केएफएस में उल्लेख नहीं किया गया है तो ऋण की अवधि के दौरान किसी भी स्तर पर आरई द्वारा उधारकर्ता से शुल्क, प्रभार, आदि नहीं लिया जा सकता है।

5.3. डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेज़ –आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित दस्तावेज़3 (आरई के लेटर हेड पर) जैसे, केएफएस, ऋण उत्पाद का सारांश, स्वीकृति पत्र, नियम और शर्तें, खाता विवरण, उधारकर्ताओं के डेटा के संबंध में एलएसपी/डीएलए की गोपनीयता नीतियां, आदि स्वचालित रूप से उधारकर्ताओं के पंजीकृत और सत्यापित ईमेल/एसएमएस पर भेजे जाएं।

5.4. एलएसपी की सूची – आरई अपने डीएलए, उनके द्वारा नियुक्त किए गए एलएसपी और ऐसे एलएसपी के डीएलए की सूची को उन गतिविधियों के विवरण के साथ, जिसके लिए वे नियुक्त किये गए हैं, प्रमुखता से अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेंगे।

5.5. उत्पाद संबंधी सूचना – आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके डीएलए या उनके एलएसपी के डीएलए ऑन-बोर्डिंग/साइन-अप चरण में, उत्पाद सुविधाओं, ऋण सीमा और लागत आदि से संबंधित जानकारी को प्रमुखता से प्रदर्शित करते हैं ताकि उधारकर्ताओं को इन पहलुओं से अवगत कराया जा सके।

5.6. वसूली एजेंट का ब्योरा – आरई ऋण की मंजूरी के समय और साथ ही किसी एलएसपी को वसूली की ज़िम्मेदारी सौंपते समय या वसूली के लिए ज़िम्मेदार एलएसपी में परिवर्तन के समय, वसूली एजेंट के रूप में कार्य करनेवाले एलएसपी जो वसूली के लिए उधारकर्ता से संपर्क करने के लिए प्राधिकृत है, का ब्योरा उधारकर्ता को सूचित करेगी।

5.7. वेबसाइट का लिंक - आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि आरई और एलएसपी के डीएलए में आरई की वेबसाइट का लिंक हों जहां ऋण उत्पादों, ऋणदाता, एलएसपी, ग्राहक सेवा के विवरण, सचेत पोर्टल का लिंक, गोपनीयता नीति आदि के बारे में विस्तृत जानकारी उधारकर्ताओं द्वारा प्राप्त की जा सकती है। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसी सभी जानकारियां पहुंच में आसानी के लिए वेबसाइट पर एक प्रमुख स्थान पर उपलब्ध हों।

6. शिकायत निवारण

6.1. नोडल शिकायत निवारण अधिकारी - आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके और उनके द्वारा नियुक्त एलएसपी के पास फिनटेक/डिजिटल ऋण संबंधी शिकायतों/उधारकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों से निपटने के लिए एक उपयुक्त नोडल शिकायत निवारण अधिकारी होगा। ऐसे शिकायत निवारण अधिकारी अपने संबंधित डीएलए के खिलाफ शिकायतों से भी निपटेंगे। आरई, उसके एलएसपी और डीएलए की वेबसाइटों और उधारकर्ता को प्रदान किए गए केएफएस में भी शिकायत निवारण अधिकारियों के संपर्क विवरण प्रमुखता से प्रदर्शित किए जाएंगे। इसके अलावा, शिकायत दर्ज करने की सुविधा डीएलए और वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराई जाएगी जैसा कि ऊपर बताया गया है। यह दोहराया जाता है कि शिकायत निवारण की जिम्मेदारी आरई के पास बनी रहेगी।

6.2. अगर कोई उधारकर्ता द्वारा आरई या आरई द्वारा तैनात एलएसपी के खिलाफ की गई शिकायत का निवारण निर्धारित अवधि (वर्तमान में 30 दिन) के भीतर नहीं किया जाता, तो वह रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस)5 के तहत शिकायत प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस)4 पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकता/सकती है। वर्तमान में आरबी-आईओएस के अंतर्गत नहीं आनेवाली संस्थाओं के लिए, रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित शिकायत निवारण तंत्र के अनुसार शिकायत दर्ज की जा सकती है।

7. उधारकर्ता की उधार पात्रता मूल्यांकन करना

7.1. आरई अपने स्वयं के डीएलए और/या उनके द्वारा संलग्न एलएसपी के माध्यम से किसी भी ऋण का विस्तार करने से पहले उधारकर्ताओं की आर्थिक प्रोफ़ाइल (आयु, व्यवसाय, आय, आदि) को परखेंगे ताकि उधारकर्ता की उधार पात्रता का आकलन लेखापरीक्षण योग्य तरीके से किया जा सके।

7.2. आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उधार सीमा में कोई स्वचालित वृद्धि न हो, जब तक कि ऐसी प्रत्येक वृद्धि के लिए उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति रिकॉर्ड में नहीं ली जाती है।

8. कूलिंग ऑफ/लुक-अप अवधि –उधारकर्ता को इस अवधि के दौरान बिना किसी दंड के मूलधन और आनुपातिक एपीआर का भुगतान करके डिजिटल ऋण से बाहर निकलने का एक स्पष्ट विकल्प दिया जाएगा। कूलिंग ऑफ अवधि आरई के बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाएगी। इस प्रकार निर्धारित अवधि सात दिनों या उससे अधिक की अवधि वाले ऋणों के लिए तीन दिन से कम नहीं होगी और सात दिनों से कम अवधि वाले ऋणों के लिए एक दिन से कम नहीं होगी। लुक-अप अवधि के बाद भी ऋण जारी रखने वाले उधारकर्ताओं के लिए, आरबीआई के मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार पूर्व भुगतान की अनुमति जारी रहेगी।6

9. एलएसपी के संबंध में उचित सावधानियाँ और अन्य आवश्यकताएं

9.1. डिजिटल उधार देने के लिए एलएसपी के साथ साझेदारी करने से पहले आरई को इसकी तकनीकी क्षमताओं, डेटा गोपनीयता नीतियां और भंडारण प्रणाली, उधारकर्ताओं के साथ व्यवहार में निष्पक्षता और नियमों और विधियों का पालन करने की क्षमता आदि को ध्यान में रखते हुए वर्धित ड्यू डिलिजेन्स को अपनाया जाना चाहिए।

9.2. आरई अपने द्वारा नियुक्त एलएसपी के आचरण की समय-समय पर समीक्षा करेंगे।

9.3. आरई वसूली एजेंटों के रूप में कार्य करने वाले एलएसपी को जिम्मेदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करेंगे और उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वे (एलएसपी) इस संबंध में मौजूदा निर्देशों7 का अनुपालन करते हैं।

बी. प्रौद्योगिकी और डेटा आवश्यकता

10. संग्रहण, उपयोग और तृतीय पक्षों के साथ डेटा साझा करना

10.1. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके डीएलए और उनके एलएसपी के डीएलए द्वारा डेटा का कोई भी संग्रहण स्पष्ट ऑडिट ट्रेल्स के साथ आवश्यकता-आधारित, और उधारकर्ता की पूर्व और स्पष्ट सहमति से किया गया है। किसी भी मामले में, आरई यह भी सुनिश्चित करेंगे कि डीएलए मोबाइल फोन संसाधनों जैसे फाइल और मीडिया, संपर्क सूची, कॉल लॉग्स, टेलीफोनी कार्यों आदि एक्सैस ने करें। उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति से केवल ऑन-बोर्डिंग/केवाईसी आवश्यकताओं के प्रयोजन के लिए कैमरा, माइक्रोफोन, स्थान या किसी अन्य सुविधा के लिए एक-बार एक्सेस लिया जा सकता है।

10.2. उधारकर्ता को विशिष्ट डेटा के उपयोग के लिए सहमति देने या अस्वीकार करने, तीसरे पक्ष के लिए प्रकटीकरण प्रतिबंधित करने, डेटा प्रतिधारण, व्यक्तिगत डेटा एकत्र करने के लिए पहले से दी गई सहमति को रद्द करने और यदि आवश्यक हो, तो ऐसे ऐप के डेटा हटाने / भूल जाने का विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा।

10.3. उधारकर्ताओं की सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य को उधारकर्ताओं के साथ इंटरफेस के प्रत्येक चरण में प्रकट किया जाना चाहिए।

10.4. किसी भी तीसरे पक्ष के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति ली जाएगी, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां वैधानिक या नियामक आवश्यकता के अनुसार इस तरह के साझाकरण की आवश्यकता होती है।

11. डेटा का भंडारण

11.1. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके द्वारा नियुक्त एलएसपी/डीएलए कुछ बुनियादी न्यूनतम डेटा, जो उनके संचालन के लिए आवश्यक हो सकते हैं (जैसे, नाम, पता, ग्राहक के संपर्क विवरण, आदि) को छोड़कर उधारकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी संग्रहीत नहीं करते हैं। डेटा गोपनीयता और ग्राहक की व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी आरई की होगी।

11.2. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि संग्रहीत किए जा सकने वाला डेटा, समयावधि जिसके लिए डेटा संग्रहीत किया जा सकता है, डेटा के उपयोग पर प्रतिबंध, डेटा नष्टीकरण प्रोटोकॉल, सुरक्षा उल्लंघन आदि से निपटने के लिए आवश्यक मानक, तथा ग्राहक डेटा के भंडारण के संबंध में स्पष्ट नीति दिशानिर्देश लागू किए गए हैं तथा आरई के डीएलए और आरई द्वारा लगाए गए एलएसपी द्वारा अपनी वेबसाइट और ऐप्स पर सभी समय उक्त का प्रमुखता से खुलासा किया जाना आवश्यक है।

11.3. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मौजूदा वैधानिक दिशानिर्देशों के तहत अनुमोदित होने के अलावा आरई/उनके एलएसपी के डीएलए से जुड़े सिस्टम में कोई बायोमेट्रिक डेटा संग्रहीत/एकत्र नहीं किया जाता है।

11.4. आरई द्वारा सुनिश्चित किया जाएगा कि सांविधिक दायित्वों/नियामक निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए सभी डेटा केवल भारत के भीतर स्थित सर्वरों में ही संग्रहीत किया जाता है।

12. व्यापक गोपनीयता नीति

12.1. आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा नियुक्त डीएलए और एलएसपी के पास लागू कानूनों, संबद्ध विनियमों और आरबीआई दिशानिर्देशों के अनुरूप एक व्यापक गोपनीयता नीति है। उधारकर्ताओं की व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच और संग्रह के लिए, आरई/एलएसपी के डीएलए को व्यापक गोपनीयता नीति सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करानी चाहिए।

12.2. तीसरे पक्ष (जहां लागू हो) को डीएलए के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करने की अनुमति का विवरण भी गोपनीयता नीति में बताया जाएगा।

13. प्रौद्योगिकी मानक – आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वे और उनके द्वारा नियुक्त एलएसपी डिजिटल उधार देने के लिए, आरबीआई और अन्य एजेंसियों द्वारा निर्धारित साइबर सुरक्षा पर विभिन्न प्रौद्योगिकी मानकों / आवश्यकताओं या समय-समय पर जो भी निर्दिष्ट किए जा सकते हैं, का अनुपालन करते हैं।

ग. विनियामक ढांचा

14. क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को रिपोर्ट करना

14.1. क्रेडिट सूचना कंपनी (सीआईसी) (विनियमन) अधिनियम, 2005, सीआईसी नियम, 2006; सीआईसी विनियम, 2006 और समय-समय पर आरबीआई द्वारा जारी संबंधित दिशानिर्देश के प्रावधानों के अनुसार आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके डीएलए और/या एलएसपी के डीएलए के माध्यम से किए गए किसी भी उधार की सूचना सीआईसी को दी जाए, भले ही इसकी प्रकृति/ अवधि कुछ भी हो।

14.2. आरई और/या उनके नियुक्त किए गए एलएसपी द्वारा, मर्चेंट प्लेटफॉर्म पर संरचित डिजिटल उधार उत्पादों के वितरण, जिसमें अल्पावधि, असुरक्षित/ सुरक्षित क्रेडिट या स्थगित भुगतान शामिल हैं, की सूचना आरई द्वारा सीआईसी को दी जानी चाहिए। आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि ऐसे आस्थगित भुगतान ऋण उत्पादों से जुड़े एलएसपी, यदि कोई हों, रिजर्व बैंक द्वारा जारी मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों का पालन करेंगे और इन दिशानिर्देशों द्वारा निर्देशित होंगे।

15. चूक के मामले में हानि बंटवारे की व्यवस्था:

संविदात्मक व्यवस्था से जुड़े वित्तीय उत्पादों, जैसे की फर्स्ट लॉस डिफॉल्ट गारंटी (एफएलडीजी), जिसमें एक तीसरा पक्ष आरई के ऋण पोर्टफोलियो में चूक के एक निश्चित प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति की गारंटी देता है, के वितरण की उद्योग प्रथा के संबंध में, यह सूचित किया जाता है कि आरई दिनांक 24 सितंबर 2021 के मास्टर निदेश-भारतीय रिज़र्व बैंक (मानक आस्तियों का प्रतिभूतिकरण) निदेश, 2021 के प्रावधानों विशेष रूप से पैरा (6) (ग) में निहित सिंथेटिक प्रतिभूतिकरण8 का पालन सुनिश्चित करेंगे।


1 01 जुलाई 2015 के "ऋण और अग्रिम - सांविधिक और अन्य प्रतिबंध" पर मास्टर परिपत्र का पैरा 2.6; समय-समय पर यथा संशोधित दिनांक 03 नवंबर 2006 के परिपत्र बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर दिशानिर्देश; समय-समय पर यथा संशोधित 01 सितंबर 2016 के "मास्टर निदेश - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा न लेने वाली कंपनी और जमा स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016" के पैरा 120 और 120 ए; समय-समय पर यथा संशोधित 01 सितंबर 2016 के 'मास्टर निदेश-गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी- गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार न करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016' के पैरा 106 और 106ए; 'सहकारी बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश', दिनांक 28 जून, 2021; 12 अगस्त 2022 का 'वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग - विनियमित संस्थाओं की जिम्मेदारी वसूली एजेंटों को नियुक्त करने' पर परिपत्र, और समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अन्य संबंधित अनुदेश।

2 सह-उधार व्यवस्था बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को 05 नवंबर 2020 के सह-उधार पर परिपत्र में निर्धारित मौजूदा निर्देशों और अन्य संबंधित निर्देशों द्वारा शासित होगी।

3 डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित का अर्थ है डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके हस्ताक्षरित दस्तावेज़।

4 https://cms.rbi.org.in

5 Issued vide Notification CEPD. PRD. No.S873/13.01.001/2021-22 dated November 12, 2021

6 दिनांक 02 अगस्त 2019 को बैंकों के लिए जारी परिपत्र डीबीआर.डीआईआर.बीसी.सं.08/13.03.00/2019-20 और एनबीएफसी के लिए "अस्थायी दर सावधि ऋणों पर फोरक्लोज़र शुल्क/पूर्व-भुगतान दंड लगाने" पर जारी परिपत्र डीएनबीआर (पीडी) सीसी.सं.101/03.10.001/2019-20 के अनुसार।

7 'वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग - वसूली एजेंटों को नियोजित करने वाली विनियमित संस्थाओं की जिम्मेदारी' पर दिनांक 12 अगस्त, 2022 का परिपत्र विवि.ओआरजी.आरईसी.65/21.04.158/2022-23 और समय-समय पर जारी अन्य प्रासंगिक निर्देश।

8 "सिंथेटिक प्रतिभूतिकरण" का अर्थ एक ऐसी संरचना है जहां एक्सपोजर के एक अंतर्निहित पूल का क्रेडिट जोखिम, क्रेडिट डेरिवेटिव्स या क्रेडिट गारंटी के उपयोग के माध्यम से पूरे या आंशिक रूप से स्थानांतरित किया जाता है, जो पोर्टफोलियो के क्रेडिट जोखिम को बचाव करने के लिए काम करता है जो उधारदाता की बैलेंस शीट पर रहता है।

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