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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

अधिसूचनाएं


प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश

आरबीआई/2017-18/175
डीसीबीआर.बीपीडी(पीसीबी).परि.सं.07/09.09.002/2017-18

10 मई 2018

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक

महदेया/महोदय,

प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश

कृपया उपर्युक्‍त विषय पर दिनांक 08 अक्‍तूबर 2013 के हमारे परिपत्र शसबैं.केंका.बीपीडी(पीसीबी).एमसी सं.18/09.09.001/2013-14 तथा समय-समय पर उसमें हुए संशोधन तथा उनको समेकित करते हुए जारी 01 जुलाई 2015 के मास्‍टर परिपत्र. डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं:11/09.09.001/2015-16 का अवलोकन करें। मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्‍त मास्‍टर परिपत्र में उल्लिखित दिशानिर्देशों को अधिक्रमित करते हुए संशोधित दिशानिर्देश (अनुबंध-। के अनुसार) जारी किए जाएँ।

2. संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्‍य विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  1. कुल प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र और कमजोर वर्ग के लिए ऋण-लक्ष्‍य, समायोजित निवल बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) या तुलन पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, जो भी उच्‍चतर हो, के क्रमश: 40 प्रतिशत और 10 प्रतिशत का होना जारी रहेगा।

  2. कृषि: प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष कृषि के बीच के अंतर को समाप्‍त किया गया है।

  3. खाद्य और कृषि प्रसंस्‍करण इकाइयों के लिए दिए गए बैंक ऋण, कृषि ऋण के भाग होंगे।

  4. मध्यम उद्यम, सामाजिक बुनियादी संरचना और नवीकरणीय ऊर्जा प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र का हिस्सा माने जाएंगे।

  5. सूक्ष्‍म उद्यमों के लिए एएनबीसी या तुलन पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्‍य ऋण राशि, जो भी उच्‍च्‍तर हो, के 7.5 प्रतिशत का लक्ष्‍य निर्धारित किया गया है।

  6. शिक्षा: भारत और विदेश में अध्‍ययन के लिए दिए जाने वाले ऋण के बीच के अंतर को समाप्‍त किया गया है।

  7. प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्‍म क्रेडिट अब से एक अलग वर्ग नहीं रहेगा।

  8. प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के तहत पात्र आवास ऋणों की सीमाओं को संशोधित किया गया है।

  9. प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र का मूल्‍यांकन तिमाही और वार्षिक विवरणों के माध्‍यम से किया जाएगा।

3. संशोधित दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से लागू होंगे। इस परिपत्र की तारीख से पहले जारी किए गए दिशानिर्देशों के तहत मंजूर किए गए प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र ऋण उनकी परिपक्‍वता अवधि / नवीकरण तक प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत रहेंगे।

4. प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्‍यों की प्राप्ति

प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्यों की प्राप्ति को विभिन्न उद्देश्यों के लिए नियामक मंजूरी / अनुमोदन प्रदान करते समय ध्‍यान में रखा जाएगा। दिनांक 01 अप्रैल 2018 से शहरी सहकारी बैंकों को वित्‍तीय दृष्टि से सुदृढ़ और सुव्‍यवस्थित बैंकों (एफएसडबल्‍यूएम) के रूप में वर्गीकृत करते समय प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्‍यों की प्राप्ति को एक मानदंड के रूप में शामिल किया जाएगा। यह मानदंड दिनांक 13 अक्‍तूबर 2014 के हमारे परिपत्र शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी)परिसं.20/07.01.000/2014-15 और 28 जनवरी 2015 में परिपत्र डीसीबीआर.केंका.एलएस.(पीसीबी).परि.सं.4/07.01.000/2014-15 में जारी किए गए मानदंडों के अतिरिक्‍त होगा। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्य / उप-लक्ष्य की प्राप्ति में हो रही कमी का मूल्‍यांकन 31 मार्च, 2018 की स्थिति के आधार पर किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं तत्पश्चात, वित्तीय वर्ष के अंत में प्राप्‍त लक्ष्‍य का आकलन प्रत्येक तिमाही के अंत में प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्य / उप-लक्ष्य की प्राप्ति के औसत के आधार पर किया जाएगा। इसे सोदाहरण अनुबंध-2 में दिया गया है।

भवदीय,

(नीरज निगम)
मुख्‍य महाप्रबंधक

संलग्‍नक : अनुबंध । एवं ।।


अनुबंध-।

प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के लिए उधार – लक्ष्‍य और वर्गीकरण

I. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां

(i) कृषि

(ii) माइक्रो (सूक्ष्म), लघु और मध्यम उद्यम

(iii) निर्यात ऋण

(iv) शिक्षा

(v) आवास

(vi) सामाजिक बुनियादी संरचना

(vii) नवीकरणीय ऊर्जा

(viii) अन्य

उपर्युक्त श्रेणियों के अंतर्गत पात्र गतिविधियों के ब्योरे पैरा III में निर्दिष्ट किए गए हैं।

II. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य / उप-लक्ष्य

(i) शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता- प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य और उप-लक्ष्य नीचे दिए गए हैं। वेतन अर्जक बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र उधार से संबंधित अनुदेश लागू नहीं हैं।

कुल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र समायोजित निवल बैंक ऋण (नीचे उप पैरा (ii) में परिभाषित एएनबीसी) अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोज़र राशि की सममूल्य ऋण राशि, जो भी अधिक हो, का 40 प्रतिशत।
कुल कृषि कोई लक्ष्‍य नहीं।
सूक्ष्‍म उद्यम एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, जो भी अधिक हो, का 7.5 प्रतिशत।
कमज़ोर वर्गों को अग्रिम एएनबीसी अथवा तुलनपत्र से इतर एक्सपोज़र की सममूल्य ऋण राशि, जो भी अधिक हो, का 10 प्रतिशत।

(ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्‍यों/उप-लक्ष्‍यों की प्राप्ति की गणना पूर्ववर्ती वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाएगी। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के प्रयोजन से, एएनबीसी से आशय है कुल ऋण व अग्रिम माइनस रिज़र्व बैंक और अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं के पास री-डिस्काऊंट कराए गए बिल प्लस परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत अनुमत गैर-एसएलआर बांडों में 30 अगस्‍त 2007 के बाद किए गए निवेश। तुलनपत्र से इतर एक्सपोजरों के सममूल्य ऋण राशि की गणना के लिए बैंक वर्तमान एक्‍सपोज़र विधि को अपनाएं। अंतर बैंक एक्‍सपोज़र जिसमें अंतरबैंक तुलन पत्र से इतर एक्‍सपोज़र भी शामिल है, को प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्‍यों/उप-लक्ष्‍यों के प्रयोजन से दिए गए ऋण में शामिल नहीं माना जाएगा।

(iii) बैंक एएनबीसी से प्रावधान, उपचित ब्‍याज, आदि जैसी किसी भी राशि को न घटाएं/न निवल करें।

(iv) वृद्धिशील एफसीएनआर(बी)/एनआरई जमाराशियों के विरुद्ध भारत में प्रदत्‍त अग्रिम, जो रिज़र्व बैंक के 11 जून 2014 के परिपत्र शबैंवि.बीपडी.(पीसीबी).परि.सं.72/13.01.000/2013-14 के साथ पठित 27 अगस्‍त 2013 के परिपत्र शबैंवि.बीपडी.(पीसीबी).परि.सं.5/13.01.000/2013-14 के अंतर्गत सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के पात्र हैं, चुकौती किए जाने तक प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र को उधार के लक्ष्‍य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर रखे जाएंगे।

III. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र श्रेणियों का विवरण

1. कृषि

प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष कृषि के बीच के मौजूदा अंतर को समाप्त जाता है। इसके बजाय कृषि क्षेत्र को उधार को पुन: परिभाषित किया गया है ताकि उसमें (i) कृषि ऋण (जिसमें अल्‍पावधि फसल ऋण, और किसानों को मध्‍यावधि / दीर्घावधि ऋण शामिल होगा) (ii) कृषि बुनियादी संरचना और (iii) अधीनस्‍थ गतिविधियों को शामिल किया जा सके। तीनों उप-श्रेणियों के अंतर्गत पात्र क्रियाकलापों की सूची नीचे दी गई है:

1.1 कृषि ऋण क. कृषि तथा उससे संबंधित कार्यकलापों जैसे डेरी उद्योग, मत्स्यपालन, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधु-मक्‍खीपालन और रेशम उद्योग से प्रत्‍यक्ष रूप से जुड़े व्यक्तिगत किसानों [स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) या संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी), अर्थात व्यक्तिगत किसानों के समूहों सहित, बशर्ते बैंक ऐसे ऋणों का अलग-अलग ब्योरा रखते हों] को ऋण। इसमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:
(i) किसानों को फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, जिसमें फलोद्यान शामिल होंगे, तथा संबन्धित गतिविधियों के लिए ऋण।
(ii) किसानों को कृषि और उससे संबंधित कार्यकलापों (अर्थात कृषि उपकरणों और मशीनरी की खरीद, खेत में सिंचाई तथा अन्य विकासात्मक कार्यकलापों हेतु ऋण एवं संबंधित कार्यकलापों के लिए विकास ऋण) के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण।
(iii) किसानों को फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, निराई (वीडिंग), फसल कटाई, छंटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा अपने स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।
(iv) कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी / दृष्टिबंधक रखकर किसानों को 12 माह तक की अवधि के लिए 50 लाख तक के ऋण।
(v) गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसानों को ऋण।
(vi) कृषि प्रयोजन हेतु जमीन खरीदने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को ऋण।
ख. कारपोरेट किसानों, व्यक्तिगत किसानों के कृषक उत्पादक संगठनों/कंपनियों तथा कृषि और उससे संबंधित कार्यकलापों जैसे डेरी उद्योग, मत्स्यपालन, पशुपालन, मुर्गीपालन, मधु-मक्खीपालन, रेशम उद्योग से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ी साझेदारी फर्मों को प्रति उधारकर्ता 2 करोड़ की कुल ऋण सीमा में दिए गए ऋण। इसमें निम्‍नलिखित शामिल हैं:
(i) किसानों को फसल ऋण जिसमें पारंपरिक/गैर-पारंपरिक बागान, जिसमें फलोद्यान शामिल होंगे, तथा संबन्धित गतिविधियों के लिए ऋण।
(ii) किसानों को कृषि और उससे संबंधित कार्यकलापों (अर्थात कृषि उपकरणों और मशीनरी की खरीद, खेत में सिंचाई तथा अन्य विकासात्मक कार्यकलापों हेतु ऋण एवं संबंधित कार्यकलापों के लिए विकास ऋण) के लिए मध्यावधि और दीर्घावधि ऋण।
(iii) किसानों को फसल काटने से पूर्व और फसल काटने के बाद के कार्यकलापों जैसे छिड़काव, निराई (वीडिंग), फसल कटाई, छंटाई, श्रेणीकरण (ग्रेडिंग), तथा अपने स्वयं के फार्म की उपज के परिवहन के लिए ऋण।
(iv) कृषि उपज (गोदाम रसीदों सहित) को गिरवी / दृष्टिबंधक रखकर किसानों को 12 माह तक की अवधि के लिए 50 लाख तक के ऋण।
1.2 कृषि बुनियादी संरचना (i) भंडारण सुविधाओं (भंडारघर, बाज़ार प्रांगण, गोदाम और साइलो) जिनमें कृषि उत्पादों/उत्पादनों के भंडारण के लिए बनाए गए कोल्ड स्टोरेज यूनिट / कोल्ड स्टोरेज चेन शामिल हैं, चाहे वे कहीं भी स्थित हों, के निर्माण के लिए ऋण।
(ii) भू-संरक्षण और जल विभाजन (वॉटरशेड) विकास।
(iii) पौधा ऊत्तक (टिश्‍यू) संवर्धन और कृषि जैव प्रौद्योगिकी (बायो-टैक्‍नोलॉजी), बीज़ उत्‍पादन, जैविक (बायो) कीटनाशकों तथा जैविक उर्वरकों का उत्‍पादन और कृमि कंपोस्टिंग।
  उपर्युक्‍त ऋणों के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता 100 करोड़ की समग्र स्वीकृत सीमा लागू होगी।
1.3 संबन्धित कार्यकलाप (i) एग्री क्लिनिक और एग्री बिजनेस केंद्रों की स्थापना के लिए ऋण।
(ii) खाद्यान्न तथा एग्रो प्रसंस्करण के लिए बैंकिंग प्रणाली से प्रति उधारकर्ता 100 करोड़ की समग्र स्वीकृत सीमा तक के ऋण।
(iii) व्‍यक्तियों, संस्‍थानों या संगठनों द्वारा प्रबंधित कस्‍टम सेवा इकाइयों, जो ट्रैक्‍टर, बुलडोजर, बोरवेल उपकरण, थ्रेशर्स, कम्‍बाइन्‍स, इत्‍यादि के बेड़ों का प्रबंधन करते हैं, और ठेके के आधार पर किसानों के लिए कृषि कार्य करते हैं, को ऋण।

नोट:

छोटे और सीमांत किसानों में निम्‍नलिखित शामिल होंगे :-

  • एक हेक्टेयर तक के भूधारक किसान सीमांत किसान कृषक माने जाते हैं। एक हेक्टेयर से अधिक परंतु 2 हेक्टेयर तक के भूधारक किसान छोटे किसान माने जाते हैं।

  • भूमिहीन कृषि श्रमिक, काश्तकार, मौखिक पट्टेदार तथा बंटाईदार।

2. सूक्ष्‍म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई)

2.1 सूक्ष्म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा 29 सितम्बर 2006 के एस.ओ.1642(ई) द्वारा अधिसूचित अनुसार विनिर्माण / सेवा उद्यम के लिए संयंत्र और मशीनरी/उपकरणों में निवेश की सीमाएं निम्नानुसार हैं:

विनिर्माण क्षेत्र
उद्यम संयंत्र और मशीनरी में निवेश
सूक्ष्‍म उद्यम पच्चीस लाख रुपए से अधिक न हो
लघु उद्यम पच्चीस लाख रुपए से अधिक परंतु पांच करोड़ रुपए से अधिक न हो
मध्यम उद्यम पांच करोड़ रुपए से अधिक परंतु दस करोड़ रुपए से अधिक न हो
सेवा क्षेत्र
उद्यम उपकरणों में निवेश
सूक्ष्‍म उद्यम दस लाख रुपए से अधिक न हो
लघु उद्यम दस लाख रुपए से अधिक परंतु दो करोड़ रुपए से अधिक न हो
मध्यम उद्यम दो करोड़ रुपए से अधिक परंतु पांच करोड़ रुपए से अधिक न हो

विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों को दिए जानेवाले बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत निम्नानुसार वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे।

2.2 विनिर्माण उद्यम

उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में निर्दिष्ट और सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किसी उद्योग के लिए विनिर्माण या वस्तुओं के उत्पादन में लगी सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम संस्थाएं। विनिर्माण उद्यम को संयंत्र और मशीनरी में निवेश के अनुसार परिभाषित किया गया है।

2.3 सेवा उद्यम

एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत उपकरणों में निवेश के अनुसार परिभाषित और सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में लगे सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यमों को बैंक ऋण।

2.4 खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र (केवीआई)

खादी और ग्राम उद्योग (केवीआई) क्षेत्र की इकाइयों को दिए गए सभी ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्‍म उद्योगों हेतु नियत 7.5 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे।

2.5 एमएसएमई को अन्‍य वित्त

(i) दश्तकारों, ग्राम और कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति और उनके उत्पादन के विपणन हेतु विकेंद्रीकृत सेक्टर को सहायता प्रदान करने में निहित संस्‍थाओं को ऋण। “संस्‍था” शब्‍द में ऐसी संस्‍थाएं शामिल नहीं हैं जिन्‍हें आरबीआई के दिशानिर्देशों / इन बैंकों के कार्यसंचालन को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढ़ांचे के तहत ऋण देने की अनुमति नहीं है।

(ii) प्रधान मंत्री जन-धन योजना(पीएमजेडीवाई) खातों के अंतर्गत बैंकों द्वारा दिनांक 08 अप्रैल 2015 के बाद प्रदत्‍त 5000/ - तक के ओवरड्राफ्ट, बशर्ते उधारकर्ता की घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में 100,000/- और गैर ग्रामीण क्षेत्रों में 1,60,000/- से अधिक न हो। यह ओवरड्राफ्ट सूक्ष्‍म उद्यमों को दिए जाने वाले उधार के लक्ष्य की पूर्ति हेतु पात्र होंगे।

2.6 यह सुनिश्चित करने के लिए कि एमएसएमई केवल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए पात्र बने रहने हेतु लघु और मध्‍यम उद्यम इकाई न बने रहे, एमएसएमई यूनिट को संबंधित एमएसएमई श्रेणी से अधिक विकसित होने के बाद भी तीन वर्षों तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार का दर्जा मिलना जारी रहेगा।

3. निर्यात ऋण

नीचे दिए गए विवरणों के अनुसार दिया गया निर्यात ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रुप में वर्गीकृत किया जाएगा।

3.1 अप्रैल 1, 2007 से लेकर आगे, पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख पर बकाया निर्यात ऋण के मुकाबले वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक, बशर्ते की 100 करोड़ तक के टर्नओवर वाले यूनिट की प्रति उधारकर्ता स्‍वीकृत सीमा 25 करोड़ तक हो।

3.2 निर्यात ऋण में हमारे बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा रुपया/ विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण और निर्यातकों को ग्राहक सेवा पर जारी मास्‍टर परिपत्र में परिभाषित किए गए अनुसार पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्‍तर निर्यात ऋण (तुलन पत्र से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है।

4. शिक्षण

व्यावसायिक पाठ्यक्रमों सहित शिक्षा के प्रयोजनों के लिए व्‍यक्तियों को 10 लाख तक का ऋण चाहे स्‍वीकृत राशि कुछ भी हो, प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के लिए पात्र माना जाएगा।

5. आवास

(i) किसी भी स्‍थान पर प्रति परिवार आवासीय इकाई की खरीद / निर्माण करने के लिए व्‍यक्तियों को रु 28 लाख तक का ऋण बशर्ते आवासीय इकाई की कुल कीमत 35 लाख से अधिक न हो। बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों को स्‍वीकृत आवासीय ऋणों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।

(ii) परिवारों के क्षतिग्रस्त आवासीय इकाइयों की मरम्मत के लिए महानगरीय केंद्रों में 5 लाख तक और अन्‍य केंद्रों में 2 लाख तक का ऋण।

(iii) किसी सरकारी एजेंसी को आवासीय इकाइयों के निर्माण अथवा झोपडपट्टी हटाने और झोपडपट्टी में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए प्रति आवासीय इकाई अधिकतम 10 लाख तक के बैंक ऋण।

(iv) केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय समूह के लोगों के लिए मकान बनवाने के प्रयोजन संबंधी आवास परियोजनाओं, जिनकी कुल लागत प्रति आवासीय इकाई 10 लाख से अधिक नहीं है, हेतु बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण । आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय समूह के लोगों की पहचान के प्रयोजन के लिए वार्षिक 2 लाख की पारिवारिक आय सीमा निर्धारित है, चाहे स्थान कोई भी हो।

(v) आवासीय इकाइयों के निर्माण/पुन:निर्माण के लिए या झोपड़पट्टी निकासी और झोपडपट्टी के निवासियों के पुनर्वास के लिए एनएचबी द्वारा अनुमोदित गैर सरकारी एजेंसी को प्रति आवासीय इकाई रु10 लाख की सकल ऋण सीमा तक दी गई सहायता।

(vi) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा दिनांक 01 अप्रैल 2007 को या बाद में एनएचबी/हुडको द्वारा जारी बाण्‍डों में किए गए निवेश प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे।

6. सामाजिक बुनियादी संरचना

सामाजिक बनुनियादी संरचना के निर्माण के लिए टियर II से टियर VI के केंद्रों में स्‍कूल, स्‍वास्‍थ्‍य रक्षा सुविधाएं, पेयजल सुविधाएं और स्वच्छता सुविधाओं, जिनमें घरेलू शौचालय के निर्माण / नवीकरण, घरेलू जल स्‍तर सुधार भी शामिल है, हेतु प्रति उधारकर्ता 5 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण।

7. नवीकरणीय ऊर्जा

सौर आधारित बिजली जनित्र, बायो मास आधारित बिजली जनित्र, पवन चक्की, माइक्रो-हाईडल संयंत्र और गैर पारंपरिक ऊर्जा आधारित जनोपयोगी सेवाओं जैसे स्ट्रीट लाइटिंग प्रणाली और सुदूर गांव में विद्युतिकरण के प्रयोजन के लिए उधारकर्ताओं को 15 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण। अलग-अलग परिवारों को प्रति उधारकर्ता के लिए 10 लाख की ऋण सीमा होगी।

8. अन्य

8.1 बैंकों द्वारा व्यक्तियों और उनके एसएचजी/ जेएलजी को सीधे दिए जानेवाले प्रति उधारकर्ता 50,000/- तक के ऋण, बशर्ते उधारकर्ता की घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में 100,000/- और गैर-ग्रामीण क्षेत्रों में 1,60,000/- से अधिक न हो।

8.2 आपदाग्रस्त व्यक्तियों (पैरा III (1.1) क (v) के अंतर्गत शामिल किसानों को छोड़कर) को उनके गैर संस्थागत ऋणदाताओं के कर्जं की पूर्व अदायगी के लिए प्रति उधारकर्ता 100,000/- तक के ऋण।

8.3 अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य प्रायोजित संगठनों को इन संगठनों के लाभार्थियों को निविष्टियों की खरीद और आपूर्ति और/या उनके उत्पादनों के विपणन के विशिष्ट प्रयोजन के लिए स्वीकृत ऋण।

IV. कमज़ोर वर्ग

निम्नलिखित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण कमज़ोर वर्गो की श्रेणी के अंतर्गत शामिल हैं:

सं. श्रेणी
1 छोटे और सीमान्त किसान
2 दश्तकार, ऐसे ग्रामीण और कुटीर उद्योग जिनकी व्यक्तिगत ऋण सीमा 1 लाख से अधिक न हो
3 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियां
4 स्वयं-सहायता समूह
5 गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त आपदाग्रस्त किसान
6 गैर संस्थागत उधारदाताओं के प्रति ऋणग्रस्त किसानों को छोड़कर आपदाग्रस्त व्यक्तियों को अपने ऋण की पूर्व अदायगी हेतु 1 लाख तक के ऋण।
7 महिलाएं
8 विकलांगता वाले व्‍यक्ति
9 प्रधान मंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) खातों के अंतर्गत 5,000/- तक के ओवरड्राफ्ट, बशर्ते उधारकर्ता की घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में 100,000/- और गैर ग्रामीण क्षेत्रों में 1,60,000/- से अधिक न हो
10 भारत सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यक समुदाय
टिप्‍पणी: उन राज्‍यों में, जहां अधिसूचित अलपसंख्‍यक समुदायों में से कोई, वास्‍तव में, बहुसंख्‍य है, मद (10) केवल अन्‍य अधिसूचित अल्‍पसंख्‍यकों को सम्मिलित करेगी। यह राज्‍य / संघ शासित प्रदेश जम्‍मू –कश्‍मीर, पंजाब, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और लक्षद्वीप है।

V. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र

बैंकों द्वारा खरीदे गए बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे बशर्तें, आस्तियां बैंकों द्वारा मूलत: जारी की गई हों, और प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र हों और प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 7 अप्रैल 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्‍लान.बीसी.23/04.09.01/2015-16 में दिए गए दिशा-निर्देशों की पूर्ति करते हों।

VI. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को निरंतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए गए उधार संबंधी अनुपालन पर वार्षिक आधार पर रखी जानेवाली निगरानी के स्‍थान पर अब ‘तिमाही’ आधार पर निगरानी रखी जाएगी। प्राथमिकता प्रात्‍प क्षेत्र के अग्रिमों पर आंकड़े संशोधित रिपोर्टिंग प्रारूप विविरण । और विवरण ।। (भाग ए से ई) के अनुसार त्रैमासिक और वार्षिक अंतराल पर शहरी सहकारी बैंकों को रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्‍तुत करना होगा। रिपोर्ट प्रत्येक संबंधित अवधि के अंत से 15 दिनों के भीतर क्षेत्रीय कार्यालय तक पहुँच जानी चाहिए।

VII. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश

बैंक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अग्रिमों की सभी श्रेणियों हेतु निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करें।

1. सेवा प्रभार

25,000/- तक के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों पर ऋण संबंधी और तदर्थ सेवा प्रभार / निरीक्षण प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए। एसएचसी/जेएलजी को पात्र प्राथमिकता प्राप्‍त क्षेत्र ऋण के मामले में यह सीमा प्रति सदस्‍य के रूप में लागू होगी न कि पूरे समूह के लिए।

2. प्राप्ति, स्वीकृति / नामंजूर / संवितरण रजिस्टर

बैंक द्वारा एक रजिस्टर / इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड बनाया जाए जिसमें प्राप्ति की तारीख, मंजूरी / नामंजूरी / संवितरण आदि का कारणों सहित उल्लेख किया जाए। सभी निरीक्षणकर्ता एजेन्सियों को उक्त रजिस्टर / इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड उपलब्ध करवाया जाए।

3. ऋण आवेदनों की पावती जारी करना

शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के अंतर्गत प्राप्त ऋण आवेदनों की पावती दी जाए। बैंक बोर्ड एक ऐसी समय सीमा निर्धारित करें जिसके पहले बैंक आवेदकों को अपना निर्णय लिखित रूप में सूचित करेंगे।


अनुबंध-II

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी/ अधिकता की गणना

उदाहरण

प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर संशोधित दिशानिर्देशों के अंतर्गत वित्‍तीय वर्ष के अंत में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी / अधिकता की गणना के लिए अपनाई जानेवाली पद्धति का उदाहरण टेबल संख्‍या 1 और 2 में प्रस्‍तुत है।

टेबल 1
(राशि हजार में)
निम्‍नलिखित को समाप्त तिमाही पीएसएल लक्ष्य प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र - बकाया राशि कमी/अधिकता
जून 3,29,61,56,032 3,16,93,80,800 -12,67,75,232
सितंबर 3,08,82,65,369 3,11,94,59,969 3,11,94,600
दिसंबर 3,17,69,48,703 3,19,29,13,269 1,59,64,566
मार्च 3,24,56,09,908 3,21,34,75,156 -3,21,34,752
कुल 12,80,69,80,012 12,69,52,29,194 -11,17,50,818
औसत 3,20,17,45,003 3,17,38,07,299 -2,79,37,704

टेबल 2
(राशि हजार में)
निम्‍नलिखित को समाप्त तिमाही पीएसएल लक्ष्य प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र - बकाया राशि कमी/अधिकता
जून 3,29,61,56,032 3,27,96,75,252 -1,64,80,780
सितंबर 3,08,82,65,369 3,12,37,80,421 3,55,15,052
दिसंबर 3,17,69,48,703 3,27,22,57,164 9,53,08,461
मार्च 3,24,56,09,908 3,21,31,53,809 -3,24,56,099
कुल 12,80,69,80,012 12,88,88,66,646 8,18,86,634
औसत 3,20,17,45,003 3,22,22,16,661 2,04,71,658

टेबल 1 में दिए गए उदाहरण में वित्‍तीय वर्ष के अंत में बैंक में समग्र कमी 2,79,37,704 हजार की है।

टेबल 2 में वित्‍तीय वर्ष के अंत में बैंक में समग्र अधिकता 2,04,71,658 हजार की है।

प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के उप-लक्ष्‍यों की तिमाही और वार्षिक उपलब्धि की गणना के लिए इसी पद्धति का पालन किया जाए।

टिप्‍पणी: प्राथमिकता-प्राप्‍त क्षेत्र के लक्ष्‍य/उप-लक्ष्‍य की उपलब्धि की गणना एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर के सममूल्य राशि का ऋण, इनमें से पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाएगी।

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