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प्रेस प्रकाशनी

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विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

8 अप्रैल 2022

विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर वक्तव्य

यह वक्तव्य (i) चलनिधि उपाय; (ii) विनियमन और पर्यवेक्षण; तथा (iii) भुगतान और निपटान प्रणाली से संबंधित विभिन्न विकासात्मक और विनियामक नीति उपायों को निर्धारित करता है।

I. चलनिधि उपाय

1. स्थायी जमा सुविधा की शुरुआत

वर्ष 2018 में, आरबीआई अधिनियम की संशोधित धारा 17 ने रिज़र्व बैंक को एक अतिरिक्त उपकरण-स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ), बिना किसी संपार्श्विक के चलनिधि को अवशोषित करने के लिए शुरू करने का अधिकार दिया। आरबीआई पर बाध्यकारी संपार्श्विक बाधा को हटाते हुए, एसडीएफ मौद्रिक नीति के परिचालन ढांचे को मजबूत करता है। चलनिधि प्रबंधन में अपनी भूमिका के अलावा एसडीएफ एक वित्तीय स्थिरता उपकरण भी है।

तद्नुसार, यह निर्णय लिया गया है कि एसडीएफ़ को 3.75 प्रतिशत की ब्याज दर पर तत्काल प्रभाव से स्थापित किया जाए। एसडीएफ, एलएएफ कॉरिडोर के फ्लोर के रूप में स्थिर दर प्रतिवर्ती रेपो (एफआरआरआर) का स्थान लेगा। दोनों स्थायी सुविधाएं अर्थात एमएसएफ और एसडीएफ पूरे वर्ष सप्ताह के सभी दिनों में उपलब्ध रहेंगी।

स्थिर दर प्रतिवर्ती रेपो (एफ़आरआरआर) दर 3.35 प्रतिशत पर बरकरार है। यह आरबीआई के टूलकिट के हिस्से के रूप में रहेगा और इसका परिचालन समय-समय पर निर्दिष्ट उद्देश्यों के लिए आरबीआई के विवेक पर होगा। एसडीएफ के साथ एफआरआरआर, आरबीआई के चलनिधि प्रबंधन ढांचे को लचीलापन प्रदान करेगा।

2. संतुलित एलएएफ कॉरिडोर की बहाली

वर्ष 2020 में महामारी के दौरान, एलएएफ कॉरिडोर के आयाम को नीतिगत रेपो दर की तुलना में रिवर्स रेपो दर में असंतुलित समायोजन द्वारा 90 आधार अंक (बीपीएस) तक बढ़ा दिया गया था। फरवरी 2020 के महामारी पूर्व चलनिधि प्रबंधन ढांचे को पूरी तरह से बहाल करने और वित्तीय बाजारों के धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में वापसी को देखते हुए, अब एलएएफ कॉरिडोर के आयाम को उसके महामारी पूर्व स्तर पर बहाल करने का निर्णय लिया गया है। 3.75 प्रतिशत पर एसडीएफ की शुरूआत से, नीतिगत रेपो दर 4.00 प्रतिशत और एमएसएफ दर 4.25 प्रतिशत होने के साथ एलएएफ कॉरिडोर का आयाम महामारी पूर्व विन्यास के 50 आधार अंक पर बहाल हो गया है। इस प्रकार, एलएएफ कॉरिडोर तत्काल प्रभाव से अधिकतम सीमा के रूप में एमएसएफ दर और न्यूनतम सीमा के रूप में एसडीएफ दर के साथ नीतिगत रेपो दर के आसपास संतुलित होगा।

II. विनियमन और पर्यवेक्षण

3. व्यक्तिगत आवास ऋण - जोखिम भार को युक्तिसंगत बनाना

रिज़र्व बैंक ने दिनांक 12 अक्टूबर 2020 के परिपत्र के माध्यम से 31 मार्च 2022 तक स्वीकृत सभी नए आवास ऋणों के लिए व्यक्तिगत आवास ऋणों के जोखिम भार को केवल मूल्य की तुलना में ऋण (एलटीवी) अनुपात के साथ सहलग्न करके युक्तिसंगत बनाया था। आवास क्षेत्र के महत्व, इसके गुणज प्रभावों और समग्र ऋण वृद्धि में इसकी भूमिका को स्वीकार करते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि उक्त परिपत्र में निर्धारित जोखिम भार, 31 मार्च 2023 तक स्वीकृत सभी नए आवास ऋणों के लिए जारी रहेगा।

4. एचटीएम श्रेणी में एसएलआर धारित राशि (होल्डिंग्स)

रिज़र्व बैंक ने 1 सितंबर 2020 से 31 मार्च 2022 तक अर्जित सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पात्र प्रतिभूतियों के संबंध में परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के तहत निवल मांग और मियादी देयताओं (एनडीटीएल) की सीमा को 19.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 22 प्रतिशत कर दिया था। एचटीएम सीमा में वृद्धि की यह छूट 31 मार्च 2023 तक उपलब्ध कराई गई थी। वित्त वर्ष 2022-23 में बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सक्षम बनाने के लिए, अब यह निर्णय लिया गया है कि एचटीएम श्रेणी में एसएलआर पात्र प्रतिभूतियों को एनडीटीएल के 23 प्रतिशत तक शामिल करने की सीमा को बढ़ाया जाए और बैंकों को 23 प्रतिशत की बढ़ी हुई सीमा के अंतर्गत 1 अप्रैल 2022 और 31 मार्च 2023 के बीच अर्जित प्रतिभूतियों को शामिल करने की अनुमति दी जाए। एचटीएम की सीमा 30 जून 2023 को समाप्त तिमाही से चरणबद्ध तरीके से 23 प्रतिशत से 19.5 प्रतिशत तक बहाल की जाएगी।

5. जलवायु जोखिम और वहनीय वित्तपोषण पर चर्चा पत्र

जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप भौतिक और संक्रमण जोखिम हो सकते हैं जो व्यक्तिगत विनियमित संस्थाओं (आरई) की सुरक्षा और सुदृढ़ता के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता के लिए निहितार्थ हो सकते हैं। इस प्रकार, आरई को अपनी व्यावसायिक कार्यनीति और परिचालन में जलवायु से संबंधित वित्तीय जोखिमों के संभावित प्रभाव को समझने और मूल्यांकन करने के लिए एक सुदृढ़ प्रक्रिया विकसित करने और लागू करने की आवश्यकता है। इसके लिए अन्य बातों के अलावा, इन जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और निपटने के लिए एक उपयुक्त शासन व्यवस्था और एक रणनीतिक ढांचे की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, जलवायु जोखिम और सतत वित्तपोषण के क्षेत्र में कुछ विनियामक पहलों से भी आरई को जलवायु जोखिम को बेहतर ढंग से संभालने और संक्रमण अवधि में उनका संचालन करने में मदद मिलेगी। उपरोक्त पहलुओं को शामिल करते हुए जलवायु जोखिम और सतत वित्तपोषण पर एक चर्चा पत्र शीघ्र ही हितधारकों की टिप्पणियों के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर रखा जाएगा।

6. आरबीआई विनियमित संस्थाओं में ग्राहक सेवा मानकों की समीक्षा के लिए समिति

आरबीआई ने अपनी विनियमित संस्थाओं (आरई) के ग्राहकों की व्यापक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्तरोत्तर कई उपाय किए हैं, जिसमें ग्राहक सेवा पर एक विस्तृत विनियामक ढांचा तैयार करना और विनियमित संस्थाओं (आरई) में आंतरिक शिकायत निवारण के साथ-साथ वर्ष 1995 में लोकपाल ढांचे को लागू करना शामिल है। वित्तीय प्रणाली में प्रचलित स्थितियों, आचरण पर्यवेक्षण के निष्कर्षों, प्राप्त शिकायतों के विश्लेषण और इस उद्देश्य के लिए गठित विभिन्न समितियों से प्राप्त सिफारिशों के आधार पर आरई को विनियामक निर्देश जारी किए जाते हैं। पिछले वर्षों के दौरान ग्राहक सेवा पर आरबीआई द्वारा बनाई गई महत्वपूर्ण समितियों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) ग्राहक सेवा पर तलवार समिति (1975), (ii) गोइपोरिया समिति (1990), (iii) लोक सेवाओं पर प्रक्रियाओं और कार्य निष्पादन लेखा परीक्षा पर तारापोर समिति (सीपीपीएपीएस), 2004) और (iv) ग्राहक सेवा पर दामोदरन समिति (2010)।

बैंकों के बढ़ते ग्राहक आधार, डिजिटल उत्पादों, प्रौद्योगिकी प्लेटफार्मों और सेवा प्रदाताओं के आगमन के साथ-साथ भुगतान प्रणालियों में नवोन्मेष से उभर रहे डिजिटल लेनदेन की बढ़ती मात्रा के परिणामस्वरूप वित्तीय परिदृश्य एक क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। तदनुसार, आरई में ग्राहक सेवा की स्थिति और ग्राहक सेवा विनियमों की पर्याप्तता की जांच और समीक्षा करने और इसमें सुधार के उपाय सुझाने के लिए एक समिति गठित करने का प्रस्ताव है।

III. भुगतान और निपटान प्रणाली

7. एटीएम में इंटरऑपरेबल कार्ड-रहित नकद निकासी (आईसीसीडब्ल्यू)

एटीएम के माध्यम से कार्ड-रहित नकद निकासी देश के कुछ बैंकों द्वारा ऑन-अस आधार पर (अपने ग्राहकों के लिए अपने स्वयं के एटीएम पर) लेन-देन का एक अनुमत तरीका है। नकद निकासी लेनदेन करने के लिए कार्ड की आवश्यकता न होने पर स्किमिंग, कार्ड क्लोनिंग, डिवाइस से छेड़छाड़ आदि जैसी धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। सभी बैंकों और सभी एटीएम नेटवर्क/ऑपरेटरों में कार्ड-रहित नकद निकासी सुविधा को प्रोत्साहित करने के लिए, यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के उपयोग के माध्यम से ग्राहक प्राधिकरण को सक्षम करने का प्रस्ताव है, जबकि ऐसे लेनदेन का निपटान एटीएम नेटवर्क के माध्यम से होगा। एनपीसीआई, एटीएम नेटवर्क और बैंकों को अलग निर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

8. भारत बिल भुगतान प्रणाली - परिचालन इकाइयों के लिए निवल मालियत की आवश्यकता को युक्तिसंगत बनाना

भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस), बिल भुगतान के लिए एक इंटरऑपरेबल प्लेटफॉर्म है और बीबीपीएस का दायरा और कवरेज उन सभी श्रेणियों के बिलर्स तक फैला हुआ है जो आवर्ती बिल जमा करते हैं। बीबीपीएस के उपयोगकर्ताओं को मानकीकृत बिल भुगतान अनुभव, केंद्रीकृत ग्राहक शिकायत निवारण तंत्र, निर्धारित ग्राहक सुविधा शुल्क आदि जैसे लाभ मिलते हैं। बीबीपीएस में लेनदेन की मात्रा के साथ-साथ ऑनबोर्ड बिलर्स की संख्या में वृद्धि हुई है।

यह देखा गया है कि गैर-बैंक भारत बिल भुगतान परिचालन इकाइयों (बीबीपीओयू) की संख्या में ऐसी वृद्धि नहीं हुई है। प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए एक गैर-बैंक बीबीपीओयू के लिए निवल मालियत की वर्तमान आवश्यकता 100 करोड़ है और इसे व्यापक भागीदारी के लिए एक बाधा के रूप में देखा जाता है। अतः, गैर-बैंक बीबीपीओयू की निवल मालियत की आवश्यकता को अन्य गैर-बैंक प्रतिभागियों के साथ संरेखित करने का प्रस्ताव है जो ग्राहक निधि (जैसे भुगतान एग्रीगेटर) को संभालते हैं और समान जोखिम प्रोफ़ाइल रखते हैं। तदनुसार, गैर-बैंक बीबीपीओयू के लिए निवल संपत्ति आवश्यकता को घटाकर 25 करोड़ किया जा रहा है। जल्द ही नियमों में आवश्यक संशोधन किया जाएगा।

9. भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) के साइबर आघात-सहनीयता और भुगतान सुरक्षा नियंत्रण

भुगतान प्रणाली वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन को सुविधाजनक बनाने में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाती है। इन प्रणालियों को सुरक्षित बनाए रखना, आरबीआई का एक प्रमुख उद्देश्य है। डिजिटल भुगतान मोड की बढ़ती पहुँच के साथ, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि भुगतान प्रणाली की बुनियादी संरचना न केवल कुशल और प्रभावी हैं, बल्कि पारंपरिक और उभरते जोखिमों, विशेष रूप से साइबर सुरक्षा से संबंधित जोखिमों के लिए भी आघात-सहनीय है। आरबीआई ने बैंकों और क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली एनबीएफ़सी द्वारा प्रदान किए जाने वाले डिजिटल भुगतान उत्पादों और सेवाओं के लिए आवश्यक सुरक्षा नियंत्रण निर्धारित किए हैं। भुगतान प्रणाली ऑपरेटरों (पीएसओ) के लिए समान निर्देश जारी करने का प्रस्ताव है, जिसमें सूचना सुरक्षा जोखिमों और कमजोरियों सहित साइबर सुरक्षा जोखिमों की पहचान, मूल्यांकन, निगरानी और प्रबंधन के लिए मजबूत शासन तंत्र और सुरक्षित डिजिटल भुगतान लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए आधारभूत सुरक्षा उपायों को निर्दिष्ट करना शामिल है। शीघ्र ही निर्देश जारी किए जाएंगे।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/39


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