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प्रेस प्रकाशनी

भारतीय रिजर्व बैंक ने अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेनों में ग्राहकों का उत्‍तरदायित्‍व सीमित करने के लिए ग्राहक संरक्षण परिपत्र के प्रारूप पर टिप्पणियाँ मांगी

11 अगस्‍त 2016

भारतीय रिजर्व बैंक ने अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेनों में ग्राहकों का
उत्‍तरदायित्‍व सीमित करने के लिए ग्राहक संरक्षण परिपत्र के प्रारूप पर टिप्पणियाँ मांगी

भारतीय रिजर्व बैंक ने आज अपनी वेबसाइट पर ‘अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेनों में ग्राहकों का उत्‍तरदायित्‍व सीमित’ करने के लिए ग्राहक संरक्षण परिपत्र का प्रारूप अभिमत के लिए जारी किया। प्रारूप परिपत्र पर सुझाव/टिप्‍पणियां यदि कोई हो डाक द्वारा 31 अगस्‍त 2016 तक मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग विनियमन विभाग, केंद्रीय कार्यालय, 12वीं मंजिल, केंद्रीय कार्यालय भवन, शहीद भगत सिंह मार्ग, मुंबई-400 001 को भेजे जा सकते हैं अथवा कृपया ई-मेल भेजने के लिए यहां क्लिक करें

प्रारूप परिपत्र की प्रमुख विशेषताएं हैं:

1) जहां ग्राहक की खुद की सहभागिता स्थापित होगी, ग्राहक उत्तरदायी होगा।

2) निम्‍न के लिए ग्राहक उत्तरदायी नहीं होगा:

  1. जहां धोखाधड़ी / लापरवाही बैंक की ओर से हुई हो;

  2. तीसरे पक्ष द्वारा उल्लंघन के मामले में जहां ग्राहक अनधिकृत लेनदेन के संबंध में बैंक से सूचना प्राप्त हो जाने पर तीन कार्य दिवसों के भीतर बैंक को उसकी सूचना दें।

3) जहां ग्राहक की खुद की संलिप्तता स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं होती हों और अगर वह 4 से 7 कार्य दिवसों के भीतर उसकी सूचना दें तो ग्राहक का उत्‍तरदायित्व अधिकतम 5000/- तक सीमित हो जाएगा।

4) अगर ग्राहक 7 कार्य दिवसों के बाद रिपोर्ट करता है, तो ग्राहक का उत्‍तरदायित्व बैंक के बोर्ड की अनुमोदित नीति के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।

पृष्ठभूमि

अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेनों द्वारा अपने खातों / कार्ड के माध्‍यम से जमाराशियां आहरित किए जाने संबंधी ग्राहकों की शिकायतों में हाल ही में हुई तेज वृद्धि के परिणामस्वरूप ऐसी परिस्थितियों में ग्राहक के उत्‍तर दायित्व का निर्धारण करने के लिए मापदंडों की समीक्षा जरूरी हो गई थीं।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2016-2017/388


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