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गवर्नर का वक्तव्य: 8 फरवरी 2024

8 फरवरी 2024

गवर्नर का वक्तव्य: 8 फरवरी 2024

यह वर्ष 2024 का पहला मौद्रिक नीति वक्तव्य है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष है, जिसमें बैंक ने 1 अप्रैल को अपनी मौजूदगी और परिचालन के 90वें वर्ष में प्रवेश किया है। पिछले कतिपय वर्षों में, भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्वयं को एक विश्वसनीय संस्था के रूप में स्थापित किया है जो स्थिरता, विश्वास और आर्थिक प्रगति के लिए खड़ी है। हाल के वर्षों में, यह वित्तीय प्रणाली में नवोन्मेष और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने में अग्रणी बन गई है। ग्राहक केंद्रितता और वित्तीय समावेशन सदैव इसकी प्राथमिकताएं रही हैं। मूल्य स्थिरता, वित्तीय स्थिरता और बाह्य क्षेत्र की स्थिरता के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखने की दिशा में भारतीय रिज़र्व बैंक के अथक प्रयासों से समृद्ध लाभांश प्राप्त हुआ है क्योंकि देश आने वाले वर्षों में उच्च संवृद्धि पथ पर आगे बढ़ रहा है। जैसे-जैसे भारत नई वैश्विक व्यवस्था में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहा है, भारतीय रिज़र्व बैंक के योगदान को भारत और विदेशों में व्यापक रूप से मान्यता मिल रही है।

2. वैश्विक अर्थव्यवस्था निरंतर मिश्रित तस्वीर प्रस्तुत कर रही है। एक तरफ, मुद्रास्फीति लक्ष्य के करीब पहुंचने और प्रमुख उन्नत और उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं में आशा से बेहतर संवृद्धि के साथ सॉफ्ट-लैंडिंग की संभावना बढ़ गई है। दूसरी ओर, चल रहे युद्ध और संघर्ष तथा विश्व के विभिन्न हिस्सों में नए फ्लैशप्वाइंट के उद्भव, लाल सागर में व्यवधान जो इस शृंखला में नवीनतम है, वैश्विक समष्टि आर्थिक संभावना को अनिश्चितता प्रदान करते हैं।

3. इस अस्थिर वैश्विक वातावरण में, भारतीय अर्थव्यवस्था ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय रूप से अच्छा निष्पादन किया है। संवृद्धि की गति तेज़ हो रही है और अधिकांश पूर्वानुमानों से आगे निकल रही है, जबकि मुद्रास्फीति अधोगामी है। वर्तमान समय में, भारत की संभावित संवृद्धि, भौतिक बुनियादी ढांचे में सुधार; विश्व स्तरीय डिजिटल और भुगतान प्रौद्योगिकी के विकास; व्यापार में आसानी; बढ़ी हुई श्रम बल सहभागिता; और राजकोषीय व्यय की गुणवत्ता में सुधार जैसे संरचनात्मक चालकों द्वारा प्रेरित है। मौद्रिक, विनियामक और पर्यवेक्षी मामलों पर हमारी बहु-आयामी, सक्रिय और सुविचारित नीतियों ने समष्टि आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने और मजबूत करने में अच्छा कार्य किया है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय और विचार-विमर्श

4. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 6, 7 और 8 फरवरी 2024 को हुई। उभरते समष्टि आर्थिक और वित्तीय गतिविधियों तथा संभावना के विस्तृत मूल्यांकन के बाद, इसने 5 से 1 के बहुमत से नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत् रखने का निर्णय लिया। परिणामस्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.25 प्रतिशत तथा सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर बनी हुई है। एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति उतरोत्तर संवृद्धि को समर्थन प्रदान करते हुए लक्ष्य के साथ संरेखित हो।

5. अब मैं संक्षेप में इन निर्णयों का औचित्य बताऊंगा। घरेलू आर्थिक गतिविधियों में गति निरंतर मजबूत बनी हुई है। हेडलाइन मुद्रास्फीति, अक्तूबर में 4.9 प्रतिशत तक कम होने के बाद, दिसंबर 2023 में बढ़कर 5.7 प्रतिशत हो गई। यह मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति, अधिकतर सब्जियों के कारण था। मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) में नरमी वस्तुओं और सेवाओं दोनों में जारी रही, जो मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के संचयी प्रभाव के साथ-साथ कमोडिटी की कीमतों में महत्वपूर्ण नरमी को दर्शाती है। तथापि, खाद्य कीमतों में अनिश्चितताएं हेडलाइन मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र पर प्रभाव डाल रही हैं।

6. इस संवृद्धि-मुद्रास्फीति गतिकी और इस तथ्य के ध्यानार्थ कि संचयी 250 बीपीएस नीतिगत दर वृद्धि का संचरण अभी भी जारी है, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। एमपीसी खाद्य मूल्य दबावों के सामान्यीकरण के किसी भी संकेत की सावधानीपूर्वक निगरानी करेगी जो मूल मुद्रास्फीति में कमी के लाभ को गँवा सकता है। मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने के लिए मौद्रिक नीति को सक्रिय रूप से अवस्फीतिकारी बने रहना चाहिए। एमपीसी इस प्रतिबद्धता पर दृढ़ रहेगी। एमपीसी ने पूर्ण संचरण और मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं के स्थिरीकरण को सुनिश्चित करने के लिए निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का भी निर्णय लिया।

संवृद्दि और मुद्रास्फीति का आकलन

वैश्विक संवृद्धि

7. विभिन्न क्षेत्रों में भिन्नता के साथ 2024 में वैश्विक संवृद्धि स्थिर रहने की आशा है।1 यद्यपि वैश्विक व्यापार की गति कमजोर बनी हुई है, इसमें बहाली के संकेत दिख रहे हैं और 20242 में इसके तेजी से बढ़ने की संभावना है। मुद्रास्फीति काफी कम हो गई है और 2024 में इसके और कम होने की आशा है।3 वित्तीय बाज़ार अस्थिर हैं क्योंकि बाजार सहभागियों ने प्रमुख केंद्रीय बैंकों, जो मुद्रास्फीति के विरुद्ध अपनी लड़ाई में समय से पहले ढील के प्रति सतर्क हैं, द्वारा दर में कटौती के समय और गति पर अपनी आशाओं को समायोजित किया है।

8. मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, सार्वजनिक ऋण का ऊंचा स्तर कतिपय उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) सहित कई देशों में समष्टि आर्थिक स्थिरता पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न कर रहा है। इस दशक के अंत तक वैश्विक सार्वजनिक ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात 100 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। एई में सार्वजनिक ऋण का स्तर वास्तव में उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) की तुलना में बहुत अधिक है।4 वैश्विक स्तर पर उच्च ब्याज दरों और कम संवृद्धि के वातावरण में ऋण स्थिरता की चुनौतियाँ दबाव के नए स्रोत बन सकती हैं। हरित परिवर्तन सहित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में नए निवेश के लिए राजकोषीय गुंजाइश बनाने के लिए ऋण का बोझ कम करना आवश्यक है। जहां तक भारत का संबंध है, राजकोषीय समेकन पथ के साथ-साथ संवृद्धि की संभावनाओं में सुधार को देखते हुए, हम आशा करते हैं कि सामान्य सरकारी ऋण धीरे-धीरे कम हो जाएगा।5.

घरेलू संवृद्धि

9. घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी हुई है। पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) ने 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि 7.3 प्रतिशत रखी, जो लगातार तीसरे वर्ष 7 प्रतिशत से अधिक संवृद्धि दर्शाती है।6

10. आगे, 2023-24 के दौरान देखी गई आर्थिक गतिविधियों की गति अगले वर्ष (2024-25) में भी जारी रहने की आशा है। कम वर्षा, कम जलाशय स्तर और देरी से बुआई के बावजूद कृषि गतिविधि अच्छी चल रही है।7 रबी की बुआई पिछले वर्ष के स्तर के साथ-साथ सामान्य रकबे से भी अधिक हो गई है।8 बागवानी और मत्स्य पालन में निरंतर गति के साथ संबद्ध क्षेत्र से कृषि को भी बड़ा समर्थन मिलने की आशा है।9

11. विनिर्माण के कार्य-निष्पादन में सुधार के कारण औद्योगिक गतिविधि में तेजी आ रही है।10 उच्च लाभ मार्जिन के कारण विनिर्माण क्षेत्र में कॉरपोरेट्स के शुरुआती नतीजे आशावादी हैं।11 विनिर्माण के लिए क्रय प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) भविष्य के गतिविधि सूचकांक में मजबूती के साथ-साथ विस्तार प्रदर्शित कर रहा है।12

12. मजबूत घरेलू मांग और स्थिर वैश्विक संभावनाओं के कारण सेवा क्षेत्र की गतिविधि आघात-सह की उम्मीद है।13 जनवरी (2024) में पीएमआई सेवाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो निरंतर मजबूत विस्तार का संकेत देती है।14 आवासीय घरों की बढ़ती मांग के साथ-साथ सरकारी पूंजीगत व्यय पर बढ़ते जोर से विनिर्माण गतिविधि में तेजी आने की आशा है।15

13. मांग पक्ष पर, रोजगार की स्थिति में सुधार16 और मुद्रास्फीति के कम होने के साथ-साथ कृषि गतिविधि में उछाल से घरेलू खपत में वृद्धि होनी चाहिए। ग्रामीण मांग लगातार गति प्राप्त कर रही है।17 मनरेगा की घटती मांग18 और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के विस्तार से परिलक्षित होने वाली कृषि स्तर की गतिविधि को मजबूत करने से ग्रामीण खपत को और समर्थन मिलना चाहिए।19 आय स्तर में सुधार के कारण शहरी खपत मजबूत बनी हुई है।20

14. सरकारी पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर;21 क्षमता उपयोग में वृद्धि;22 वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों के बढ़ते प्रवाह;23 और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) जैसी योजनाओं से नीतिगत समर्थन24 से सहायता प्राप्त निवेश चक्र गति पकड़ रहा है। निजी कॉर्पोरेट निवेश में भी बहाली हो रही है।25 हमारे सर्वेक्षण से पता चलता है कि निजी कॉरपोरेट्स के निवेश के इरादे उत्साहित हैं तथा सेवा और बुनियादी ढांचा कंपनियां दोनों समग्र कारोबारी स्थितियों के बारे में आशावादी हैं। व्यापारिक व्यापार घाटा कम होने से निवल बाह्य मांग में भी सुधार हो रहा है।26 इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी संवृद्धि पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 6.9 प्रतिशत के साथ 7.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

मुद्रास्फीति

15. हेडलाइन मुद्रास्फीति 2022-23 के दौरान 6.7 प्रतिशत से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान औसतन 5.5 प्रतिशत हो गई। तथापि, खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र में काफी अस्थिरता प्रदान करती रही।27 इसके विपरीत, सीपीआई ईंधन में अपस्फीति गहरा गई और मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई मुद्रास्फीति) दिसंबर में घटकर चार वर्ष के निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर आ गई। मूल मुद्रास्फीति में गिरावट व्यापक आधार पर जारी रही और इसके घटक समूहों और उप-समूहों में मुद्रास्फीति स्थिर रही या नरम रही।28

16. आगे चलकर मुद्रास्फीति का प्रक्षेपवक्र खाद्य मुद्रास्फीति की संभावना से आकार लेगा, जिसके बारे में काफी अनिश्चितता है। प्रतिकूल मौसमी घटनाएं रबी फसल पर प्रभाव डालने वाला प्राथमिक जोखिम बनी हुई हैं। भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने से आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान आ रहा है और प्रमुख वस्तुओं, विशेषतया कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता आ रही है। सकारात्मक पक्ष पर रबी की बुआई में प्रगति संतोषजनक रही है और यह सीजन के लिए अच्छा संकेत है। प्रमुख सब्जियों, विशेषकर प्याज और टमाटर की कीमतों में मौसमी मूल्य सुधार दर्ज किया जा रहा है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, चालू वर्ष (2023-24) के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति के 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगले वर्ष सामान्य मानसून की परिकल्पना करते हुए, 2024-25 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति पहली तिमाही में 5.0 प्रतिशत; दूसरी तिमाही में 4.0 प्रतिशत; तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत; और चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत के साथ 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं।

मौद्रिक नीति के लिए इन मुद्रास्फीति और संवृद्धि स्थितियों का क्या अर्थ है?

17. 2022 की गर्मियों के उच्चतम स्तर से मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय कमी देखी गई है। पिछले दो वर्षों में, मौद्रिक नीति ने संवृद्धि पर मुद्रास्फीति को प्राथमिकता दी है, नीतिगत रेपो दर में 250 आधार अंकों की सुविचारित वृद्धि की है और प्रोत्साहन उपायों को वापस लिया है। मौद्रिक नीति को सरकार द्वारा सक्रिय आपूर्ति-पक्ष उपायों द्वारा समर्थित किया गया था। जैसा कि कहा गया है, काम अभी ख़त्म नहीं हुआ है, और हमें नए आपूर्ति आघातों से सतर्क रहने की आवश्यकता है जो अब तक की प्रगति को बिगाड़ सकते हैं।

18. हेडलाइन मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है और इसमें काफी अस्थिरता देखी गई है, जो चालू वित्त वर्ष के दौरान 4.3 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के दायरे में रही है।29 खाद्य पदार्थों की कीमतों के आवर्ती आघात, जारी अवस्फीति प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं, साथ ही जोखिम यह है कि इससे मुद्रास्फीति की प्रत्याशाएँ अस्थिर हो सकती हैं और मूल्य दबाव सामान्यीकृत हो सकता है। इनके अलावा, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान सहित भू-राजनीतिक मंच पर नए फ्लैशप्वाइंट भी जुड़ गए हैं। महत्वपूर्ण रूप से 4.0 प्रतिशत का सीपीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है। इन निरंतर अनिश्चितताओं के बीच, मौद्रिक नीति को यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क रहना होगा कि हम अवस्फीति के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पार कर सकें। 4 प्रतिशत पर स्थिर और कम मुद्रास्फीति धारणीय आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक आधार प्रदान करेगी।

चलनिधि और वित्तीय बाज़ार की स्थितियाँ

19. अप्रैल-अगस्त 2023 के दौरान अधिशेष में रहने के बाद, प्राणली स्तर की चलनिधि30 साढ़े चार वर्ष के अंतराल के बाद सितंबर से घाटे में बदल गई।31 सरकारी नकदी शेष के लिए समायोजित, बैंकिंग प्रणाली में संभावित चलनिधि अभी भी अधिशेष में है। दिसंबर-जनवरी के दौरान, रिज़र्व बैंक ने प्रणाली में चलनिधि की तंगी को कम करने के लिए मुख्य और फाइन-ट्यूनिंग रेपो परिचालन दोनों के माध्यम से सक्रिय रूप से चलनिधि डाली।32 सरकारी खर्च बढ़ने और प्रणाली स्तर पर चलनिधि बढ़ाने के साथ, रिज़र्व बैंक ने अधिशेष चलनिधि को अवशोषित करने के लिए 2-7 फरवरी 2024 के दौरान छह फाइन-ट्यूनिंग परिवर्तनीय दर रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) नीलामी की।33

20. वित्तीय बाजार खंडों ने अलग-अलग स्तरों में विकसित हो रही चलनिधि स्थितियों को समायोजित किया है। जबकि अल्पकालिक दरों में उतार-चढ़ाव हुआ है, दीर्घकालिक दरें अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई हैं, जो मुद्रास्फीति की उम्मीदों की बेहतर एंकरिंग को दर्शाती है, जैसा कि जी-सेक बाजार में टर्म स्प्रेड में नरमी से संकेत मिलता है।34 ऋण बाजार में, मौद्रिक संचरण अधूरा रहता है।35

21. मैं दोहराना चाहता हूं कि हमारी नीति का रुख ब्याज दर के संदर्भ में है जो मौजूदा ढांचे में मौद्रिक नीति का प्रमुख उपकरण है। निभाव को वापस लेने के हमारे रुख को अपूर्ण संचरण और मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत के लक्ष्य से ऊपर रहने और इसे टिकाऊ आधार पर लक्ष्य पर वापस लाने के हमारे प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जहां तक चलनिधि की स्थिति का प्रश्न है, ये बाहरी कारकों द्वारा संचालित हो रहे हैं, जो निकट भविष्य में हमारे बाजार परिचालन की सहायता से सही होने की संभावना है। हमारी ओर से, रिज़र्व बैंक रेपो और रिवर्स रेपो दोनों में दो-तरफा मुख्य और फाइन-ट्यूनिंग परिचालन के माध्यम से अपने चलनिधि प्रबंधन में चुस्त और लचीला बना हुआ है। हम घर्षणात्मक और टिकाऊ चलनिधि दोनों को नियंत्रित करने के लिए लिखतों का एक उचित मिश्रण तैनात करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रा बाजार की ब्याज दरें व्यवस्थित तरीके से विकसित हों और वित्तीय स्थिरता बनी रहे।

22. हमारे दिसंबर नीति वक्तव्य में घोषित सप्ताहांत और छुट्टियों के दौरान भी एसडीएफ और एमएसएफ दोनों के अंतर्गत चलनिधि सुविधाओं को उलटने से बैंकों द्वारा बेहतर निधि प्रबंधन की सुविधा प्राप्त होती है।36

23. 7 फरवरी 2024 तक, भारतीय रुपया (आईएनआर) अपने उभरते बाजार साथियों और कुछ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में स्थिर बना हुआ है।37 भिन्नता के गुणांक (सीवी) के संदर्भ में, आईएनआर ने पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में 2023-24 (अप्रैल से जनवरी) में सबसे कम अस्थिरता प्रदर्शित की।38 मैं दोहरा दूं कि भारतीय रुपये की विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होती है। हाल की अवधि में इसकी सापेक्ष स्थिरता, मजबूत अमेरिकी डॉलर और बढ़ी हुई अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत और स्थिरता, इसकी मजबूत व्यापक आर्थिक बुनियादी बातों, वित्तीय स्थिरता और भारत की बाहरी स्थिति में सुधार, विशेष रूप से वर्तमान खाता घाटा (सीएडी), आरामदायक विदेशी मुद्रा आरक्षित निधियाँ और पूंजी प्रवाह की वापसी में महत्वपूर्ण नरमी को दर्शाती है।

वित्तीय स्थिरता

24. बैंकों और वित्तीय संस्थानों के स्वस्थ तुलन-पत्र के साथ घरेलू वित्तीय प्रणाली आघात-सह बनी हुई है।39 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के वित्तीय मापदंडों में भी बैंकिंग प्रणाली के अनुरूप सुधार हो रहा है।40 वित्तीय प्रणाली और अलग- अलग संस्थानों की सुरक्षा और स्थिरता के लिए सुशासन, मजबूत जोखिम प्रबंधन, ठोस अनुपालन प्रक्रिया और ग्राहकों के हितों की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। रिज़र्व बैंक इन पहलुओं पर काफी जोर देता है। हम आशा करते हैं कि सभी विनियमित संस्थाएं इन कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगी।

बाहरी क्षेत्र

25. भारत का चालू खाता घाटा (सीएडी) 2022-23 की दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत से घटकर 2023-24 की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद का 1.0 प्रतिशत हो गया। आगे चलकर, सेवाओं और विप्रेषण के अंतर्गत शुद्ध शेष राशि बड़े अधिशेष में रहने की आशा है, जो आंशिक रूप से व्यापार घाटे की भरपाई करेगा। अक्तूबर -दिसंबर 2023 में भारत का सेवा निर्यात सॉफ्टवेयर, व्यवसाय और यात्रा सेवाओं द्वारा संचालित आघात- सह रहा।41 इसके अलावा, विश्व दूरसंचार, कंप्यूटर और सूचना सेवाओं के निर्यात में लगभग 10.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ, भारत विश्व सॉफ्टवेयर व्यवसाय में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी है।42 विश्व बैंक के अनुसार, 2024 में अनुमानित 135 बिलियन अमेरिकी डॉलर की आवक विप्रेषण के साथ, भारत विश्व स्तर पर विप्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता बना रहेगा।43 इस प्रकार, 2023-24 और 2024-25 के लिए सीएडी काफी हद तक प्रबंधनीय होने की आशा है।

26. वित्तपोषण पक्ष पर, शुद्ध विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफ़डीआई) अप्रैल-नवंबर 2023 में 13.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जबकि एक वर्ष पहले यह 19.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।44 2023-24 (6 फरवरी तक) के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) में तेज बदलाव देखा गया, जिसमें एक वर्ष पहले के 6.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के शुद्ध बहिर्प्रवाह की तुलना में 32.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का शुद्ध एफपीआई अंतर्वाह रहा। वर्ष के दौरान अनिवासी जमाराशियों में शुद्ध वृद्धि और बाह्य वाणिज्यिक उधार के अंतर्गत शुद्ध अंतर्वाह भी अधिक था।45 2 फरवरी 2024 को, भारत की विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 622.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।46 भेद्यता संकेतक, भारत के बाहरी क्षेत्र के अधिक आघात- सह का सुझाव देते हैं।47 हम अपनी सभी बाहरी वित्तपोषण आवश्यकताओं को आसानी से पूरा करने के प्रति आश्वस्त हैं।

अतिरिक्त उपाय

27. अब मैं कुछ अतिरिक्त उपायों की घोषणा करूंगा।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के लिए विनियामक ढांचे की समीक्षा

28. इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (ईटीपी) के लिए रिज़र्व बैंक का मौजूदा विनियामक ढांचा 2018 में जारी किया गया था। बाजारों, उत्पादों और प्रौद्योगिकी आदि में बाद के विकास को देखते हुए, हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए ईटीपी के लिए एक संशोधित विनियामक ढांचा जारी किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में ओवर दि काउंटर (ओटीसी) बाजार में स्वर्ण की कीमत संबंधी जोखिम की हेजिंग

29. दिसंबर 2022 में, रिज़र्व बैंक ने निवासी संस्थाओं को आईएफएससी में मान्यता प्राप्त विनिमय बाज़ारों में अपने स्वर्ण की कीमत संबंधी जोखिम को हेज करने की अनुमति दी थी। अब यह निर्णय लिया गया है कि निवासी संस्थाओं को आईएफएससी में ओवर दि काउंटर (ओटीसी) स्तर में स्वर्ण की कीमत को हेज करने की भी अनुमति दी जाएगी। इससे निवासी संस्थाओं को स्वर्ण की कीमतों में अपने जोखिम की हेजिंग करने में अधिक लचीलापन मिलेगा।

खुदरा और एमएसएमई ऋण और अग्रिम के लिए मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस)

30. वर्तमान में, उधारकर्ताओं द्वारा लिए गए ऋण और अग्रिम में, ब्याज दर शामिल करने के अलावा, अन्य शुल्क और प्रभार जैसे प्रोसेसिंग शुल्क, दस्तावेज़ीकरण प्रभार आदि भी शामिल होते हैं। ऐसी जानकारी के प्रकटीकरण में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, रिज़र्व बैंक ने उधारदाताओं की कुछ श्रेणियों को, उधारकर्ता को एक मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) प्रदान करने के लिए अनिवार्य किया था, जिसमें सभी समावेशी वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) और वसूली और शिकायत निवारण तंत्र जैसी आवश्यक जानकारी शामिल थी। केएफएस की आवश्यकता को अब सभी खुदरा और एमएसएमई ऋणों को शामिल करने के लिए बढ़ाया जा रहा है। इस उपाय से ऋण देने में पारदर्शिता बढ़ेगी और ग्राहक सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम होंगे।

एईपीएस की मजबूती बढ़ाना

31. आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) ने ग्राहकों को कारोबार सहयोगी जैसे सेवा प्रदाताओं के माध्यम से डिजिटल भुगतान लेनदेन करने में सक्षम बनाकर वित्तीय समावेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके महत्व को ध्यान में रखते हुए, एईपीएस सेवा प्रदाताओं को शामिल करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और कुछ अतिरिक्त धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन उपायों को आरंभ करने का प्रस्ताव है। ये उपाय एईपीएस प्रणाली की सुरक्षा को और मजबूत करेंगे और इसकी मजबूती बढ़ाएंगे।

डिजिटल भुगतान लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए सिद्धांत-आधारित रूपरेखा

32. पिछले कुछ वर्षों में, रिज़र्व बैंक ने डिजिटल भुगतान को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त प्रमाणीकरण कारक (एएफए) जैसे विभिन्न व्यवस्थाओं की शुरूआत को सक्रिय रूप से सुविधाजनक बनाया है। हालाँकि रिज़र्व बैंक द्वारा कोई विशेष व्यवस्था निर्दिष्ट नहीं किया गया था, एसएमएस-आधारित ओटीपी बहुत लोकप्रिय हो गया है। हालाँकि, तकनीकी प्रगति के साथ, हाल के वर्षों में वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र उभरे हैं। अतः, डिजिटल भुगतान की सुरक्षा बढ़ाने के लिए वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र को अपनाने की सुविधा के लिए, ऐसे लेनदेन के प्रमाणीकरण के लिए एक सिद्धांत-आधारित ढांचा स्थापित करने का प्रस्ताव है।

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) पायलट में प्रोग्रामयोग्यता और ऑफ़लाइन कार्यक्षमता की शुरुआत

33. सीबीडीसी रिटेल (सीबीडीसी-आर) पायलट वर्तमान में व्यक्ति से व्यक्ति (पी2पी) और व्यक्ति से व्यापारी (पी2एम) लेनदेन को सक्षम बनाता है। अब सीबीडीसी खुदरा भुगतान में प्रोग्रामयोग्यता और ऑफ़लाइन क्षमता की अतिरिक्त कार्यक्षमता को सक्षम करने का प्रस्ताव है। प्रोग्रामयोग्यता विशिष्ट/लक्षित उद्देश्यों के लिए लेनदेन की सुविधा प्रदान करेगी, जबकि ऑफ़लाइन कार्यक्षमता खराब या सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में इन लेनदेन को सक्षम करेगी।

निष्कर्ष

34. भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत, निरंतर और परिवर्तनकारी विकास पथ पर आत्मविश्वासपूर्ण प्रगति कर रही है। घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेशक भारत की आर्थिक संभावनाओं पर अधिक भरोसा जता रहे हैं। हमारे आकलन में, मौद्रिक नीति की वर्तमान व्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है, जिससे संवृद्धि मजबूत हो रही है और मुद्रास्फीति अपने लक्ष्य की ओर नीचे आ रही है। अतः, बहुत कुछ प्राप्त किया गया है, लेकिन हमें सतर्क रहना चाहिए। अनिश्चित समय के दौरान नीति निर्धारण, प्राप्त आंकड़ों के निरंतर मूल्यांकन और उभरते संभावना पर इसके प्रभाव पर आधारित होना चाहिए।

35. हम मुद्रास्फीति को समय पर और टिकाऊ तरीके से 4 प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। मूल्य और वित्तीय स्थिरता मजबूत, टिकाऊ और समावेशी संवृद्धि की नींव हैं। अर्थव्यवस्था को संतुलन में रखने के लिए हमेशा से हमारा प्रयास समग्र दृष्टिकोण अपनाने का रहा है। हमें न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की कड़ी मेहनत से अर्जित इस शक्ति और स्थिरता को संरक्षित करना चाहिए, बल्कि मूल्य और वित्तीय स्थिरता के साथ उच्च संवृद्धि को दीर्घकाल तक बनाए रखना चाहिए। वर्तमान परिवेश में, महात्मा गांधी ने बहुत पहले जो कहा था वह प्रासंगिक बना हुआ है और मैं इसे उद्धृत कर रहा हूं: “मैं सावधानी से आगे बढ़ रहा हूं, हर कदम पर खुद को देख रहा हूं। ….. परंतु मेरे प्रत्येक कार्य के पीछे निश्चित संकल्प है …”48

धन्यवाद। नमस्कार।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 20203-2024/1825


1 30 जनवरी 2024 को जारी आईएमएफ के वैश्विक आर्थिक संभावना (डब्ल्यूईओ) के नवीनतम अपडेट के अनुसार, 2024 के दौरान वैश्विक संवृद्धि 2023 के समान 3.1 प्रतिशत पर स्थिर रहने की आशा है।

2 आईएमएफ के नवीनतम डब्ल्यूईओ के अनुसार, विश्व व्यापार मात्रा (वस्तुओं और सेवाओं) की संवृद्धि वर्ष 2023 में 0.4 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2024 में 3.3 प्रतिशत होने की आशा है।

3 आईएमएफ के नवीनतम डब्ल्यूईओ के अनुसार, विश्व उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति 2023 में 6.8 प्रतिशत से घटकर 2024 में 5.8 प्रतिशत रहने की आशा है।

4 आईएमएफ के अनुसार, उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) का सकल सार्वजनिक ऋण और जीडीपी अनुपात 2019 में 104.1 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 112.1 प्रतिशत होने का अनुमान है। उभरती बाज़ार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) के लिए, सकल सार्वजनिक ऋण और जीडीपी अनुपात 2019 में 55.9 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 68.3 प्रतिशत होने का अनुमान है (वित्तीय मॉनिटर, अक्तूबर 2023)।

5 आईएमएफ के अनुसार, महामारी वर्ष 2020 के दौरान भारत का सामान्य सरकारी ऋण बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद का 88.5 प्रतिशत हो गया। यह 2022 में घटकर सकल घरेलू उत्पाद का 81 प्रतिशत हो गया और 2028 में घटकर 80.5 प्रतिशत होने का अनुमान है (आईएमएफ राजकोषीय मॉनिटर, अक्तूबर 2023)।

6 2021-22 और 2022-23 में जीडीपी में क्रमशः 9.1 प्रतिशत और 7.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आपूर्ति पक्ष पर, विनिर्माण क्षेत्र के योगदान में वृद्धि तथा निर्माण गतिविधि और अन्य सेवाओं में निरंतर भारी वृद्धि के कारण 2023-24 के लिए योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 6.9 प्रतिशत की संवृद्धि हुई। 2023-24 के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि विनिर्माण क्षेत्र में क्रमशः 10.7 प्रतिशत की दोहरे अंक की संवृद्धि दर्ज की गई।

7 पूर्वोत्तर मानसून का दीर्घावधि औसत (एलपीए) से 9 प्रतिशत कम बारिश के साथ समापन हुआ। अखिल भारतीय स्तर पर, 1 फरवरी 2024 तक कुल जलाशय क्षमता के 52 प्रतिशत जल भंडारण की स्थिति पिछले वर्ष की तुलना में 17.3 प्रतिशत कम है और दशकीय औसत से 2.8 प्रतिशत कम है।

8 2 फरवरी 2024 तक, रबी की बुआई पिछले वर्ष के स्तर को पार कर गई है और 5 वर्ष के सामान्य औसत रकबे से 5.2 प्रतिशत अधिक है। गेहूं, तिलहन और मोटे अनाज का रकबा पिछले वर्ष के स्तर से क्रमशः 0.7 प्रतिशत, 1.1 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत अधिक है।

9 तीसरे एई (18 जनवरी 2024 को जारी) के अनुसार, फलों और सब्जियों के अधिक उत्पादन के कारण 2022-23 के दौरान बागवानी फसलों का उत्पादन रिकॉर्ड 355.3 मिलियन टन पर रखा गया है, जो 2021-22 के अंतिम अनुमान से 2.3 प्रतिशत अधिक है। 2022-23 में 175.45 लाख टन (2021-22 में 162.48 लाख टन) के रिकॉर्ड मछली उत्पादन के साथ, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 8 प्रतिशत और कृषि के योजित सकल मूल्य (जीवीए) में 6.7 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है।

10 विनिर्माण के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में अक्तूबर-नवंबर के दौरान 5.6 प्रतिशत की संवृद्धि दर्ज की गई, जबकि मूल उद्योगों ने तीसरी तिमाही के दौरान 7.8 प्रतिशत की मजबूत संवृद्धि दर्ज की।

11 494 सूचीबद्ध विनिर्माण कंपनियों के आरंभिक नतीजों से पता चलता है कि सकल लाभ में 16.8 प्रतिशत की वृद्धि से मौद्रिक संदर्भ में जीवीए में 15.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

12 पीएमआई विनिर्माण दिसंबर के 54.9 से बढ़कर जनवरी में 56.5 हो गया और लंबी अवधि के रुझान से ऊपर रहा। 12 महीनों में भविष्य की गतिविधि सूचकांक द्वारा मापी गई कारोबारी प्रत्याशाएँ जनवरी में 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं, जो नई जाँचों और उत्पाद विविधीकरण में वृद्धि और मजबूत मांग से बढ़ी।

13 2023-24 की तीसरी तिमाही में ई-वे बिल और टोल संग्रह में क्रमशः 17.1 प्रतिशत और 12.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इस अवधि के दौरान बंदरगाह कार्गो में 10.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। तीसरी तिमाही और जनवरी 2024 दोनों में रेलवे माल ढुलाई में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह की वृद्धि 2023-24 की तीसरी तिमाही में पिछली तिमाही में 10.6 प्रतिशत की वृद्धि से बढ़कर 12.9 प्रतिशत हो गई। जनवरी में जीएसटी संग्रह 10.4 प्रतिशत वर्ष-दर-वर्ष बढ़कर 1.72 लाख करोड़ हो गया, जो अब तक का दूसरा सबसे बड़ा संग्रह है।

14 पीएमआई सेवाएं दिसंबर 2023 में 59.0 से बढ़कर जनवरी 2024 में 61.8 हो गईं, जिससे वृद्धि दर छह महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।

15 केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में अप्रैल-दिसंबर 2023 में 37.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान 25.1 प्रतिशत की वृद्धि से अधिक है। तीसरी तिमाही के दौरान स्टील की खपत 14.5 प्रतिशत बढ़ी, जबकि सीमेंट उत्पादन 4.5 प्रतिशत बढ़ा।

16 आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, शहरी बेरोजगारी दर 2021-22 की दूसरी तिमाही में 9.8 प्रतिशत से घटकर 2022-23 की दूसरी तिमाही में 7.2 प्रतिशत और 2023-24 की दूसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत हो गई।

17 2023-24 की तीसरी तिमाही के दौरान दोपहिया वाहनों की बिक्री में 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इस अवधि के दौरान ट्रैक्टर की बिक्री में 4.9 प्रतिशत की गिरावट आई।

18 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम या मनरेगा कार्य मांग में दिसंबर 2023 में 5.5 प्रतिशत और जनवरी 2024 में 4.8 प्रतिशत की गिरावट आई।

19 29 नवंबर 2023 को जारी प्रेस प्रकाशनी के अनुसार, केंद्र सरकार, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु, 1 जनवरी 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के अंतर्गत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करेगी।

20 घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या में 9.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि यात्री वाहनों की बिक्री में 2023-24 की तीसरी तिमाही में 8.3 प्रतिशत की वर्ष-दर-वर्ष संवृद्धि दर्ज की गई। शुरुआती कॉर्पोरेट नतीजे बताते हैं कि 2023-24 की तीसरी तिमाही में सूचीबद्ध विनिर्माण कंपनियों की स्टाफ लागत में 11.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

21 बीई 2024-25 में पूंजीगत व्यय बढ़कर रु. 11.1 लाख करोड़ (जीडीपी का 3.4 प्रतिशत) हो गया, जो आरई 2023-24 में 9.5 लाख करोड़ रुपये पर 16.9 प्रतिशत और बीई 2023-24 में 10.0 लाख करोड़ रुपये पर 11.1 प्रतिशत की वृद्धि है।

22 अंतिम नतीजे बताते हैं कि 2023-24 की दूसरी तिमाही में क्षमता उपयोग 40 बीपीएस बढ़कर 74.0 प्रतिशत हो गया। दीर्घावधि औसत 73.7 प्रतिशत है जो 2020-21 की पहली तिमाही को छोड़कर 2008-09 की पहली तिमाही से 2023-24 की दूसरी तिमाही की अवधि से संबंधित है। तथापि, मौसमी रूप से समायोजित सीयू में 90 बीपीएस की गिरावट आई और 2023-24 की दूसरी तिमाही में यह 74.5 प्रतिशत पर है।

23 12 जनवरी 2024 तक, चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंकों और अन्य स्रोतों से वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों का कुल प्रवाह 23.6 लाख करोड़ है, जो पिछले वर्ष (19.8 लाख करोड़) की तुलना में काफी अधिक है।

24 पीएलआई योजना के अंतर्गत निवेश नवंबर 2023 तक 1.03 लाख रुपये तक पहुँच गया है।

25 यह मुख्य रूप से इस्पात, पेट्रोलियम, कपड़ा, बिजली, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण और विनिर्माण जैसे प्रमुख उद्योगों द्वारा संचालित था

26 तीसरी तिमाही में पण्य व्यापार घाटा पिछले वर्ष की समान तिमाही के दौरान 71.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर 70.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।

27 हेडलाइन मुद्रास्फीति अक्तूबर में 4.9 प्रतिशत के निचले स्तर से बढ़कर दिसंबर में 5.7 प्रतिशत हो गई, सीपीआई खाद्य मुद्रास्फीति अक्तूबर में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर दिसंबर 2023 में 8.7 प्रतिशत हो गई। नवंबर के बाद से खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से सब्जियों के साथ-साथ फलों, दालों और चीनी के कारण हुई।

28 दिसंबर में, खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति को छोड़कर सीपीआई 10 उप-समूहों/समूहों में से आठ में कम हुई और शेष दो में स्थिर रही। अन्य के सात-साथ कपड़े और जूते, स्वास्थ्य, परिवहन और संचार, शिक्षा, व्यक्तिगत देखभाल और प्रभाव जैसे उप-समूहों/समूहों में मुद्रास्फीति में कमी आई।

29 मई 2023 में हेडलाइन मुद्रास्फीति 4.3 प्रतिशत और जुलाई 2023 में 7.4 प्रतिशत थी।

30 प्रणाली स्तर की चलनिधि को चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत चलनिधि अवशोषण और चलनिधि निवेश के बीच अंतर से मापा जाता है। एलएएफ के अंतर्गत चलनिधि अवशोषण में प्रतिवर्ती रेपो (मुख्य और साथ ही विशेष परिचालन) और स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) शामिल हैं। एलएएफ के अंतर्गत चलनिधि निवेश में रेपो (मुख्य और साथ ही विशेष परिचालन) और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) शामिल हैं। दूसरे शब्दों में, प्रणाली स्तर की चलनिधि= [(प्रतिवर्ती रेपो +एसडीएफ) - (रेपो + एमएसएफ)]। एक निवल सकारात्मक संख्या प्रणाली अधिशेष स्तर की चलनिधि का प्रतिनिधित्व करती है, जबकि एक निवल नकारात्मक संख्या प्रणाली स्तर की कमी की चलनिधि का प्रतिनिधित्व करती है।

31 प्रणाली स्तर पर चलनिधि घाटा सितंबर-नवंबर 2023 के दौरान औसतन 0.42 लाख करोड़ से बढ़कर दिसंबर-जनवरी के दौरान 1.61 लाख करोड़ हो गया।

32 15 दिसंबर, 2023 - 31 जनवरी, 2024 के बीच, 1-7 दिनों की परिपक्वता के नौ विशेष परिचालन परिवर्तनीय दर रेपो (वीआरआर) के आयोजन किए गए, जिनकी राशि 7.75 लाख करोड़ थी, जबकि दो मुख्य वीआरआर परिचालनों ने प्रणाली में 4.25 लाख करोड़ निवेश किए।

33 रिज़र्व बैंक ने क्रमशः 2 फरवरी और 5 फरवरी 2024 को 50,000 करोड़ की दो 4-दिवसीय वीआरआरआर नीलामी आयोजित कीं। इसके अलावा, 75,000 करोड़ और 50,000 करोड़ की दो एक दिवसीय वीआरआरआर नीलामी 6 फरवरी को और 50,000 करोड़ की दो एक दिवसीय वीआरआरआर नीलामियां 7 फरवरी 2024 को आयोजित की गईं। इस प्रकार, 3,25,000 करोड़ की कुल अधिसूचित राशि की तुलना में, इन नीलामियों के माध्यम से अवशोषित राशि 1,53,915 करोड़ थी।

34 दिसंबर-जनवरी के दौरान, औसत अवधि स्प्रेड (10-वर्ष माइनस 91-दिवसीय खजाना बिल) अक्टूबर-नवंबर में 40 बीपीएस से कम होकर 24 आधार अंक (बीपीएस) हो गया।

35 मौजूदा सख्ती चक्र (मई 2022 - दिसंबर 2023) के दौरान रुपये के नए ऋण पर भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) 181 बीपीएस बढ़ गई, जबकि बकाया ऋण पर 113 बीपीएस बढ़ गई। इसी अवधि के दौरान, नए जमा और बकाया जमा पर भारित औसत घरेलू मियादी जमा दरें (डब्ल्यूएडीटीडीआर) क्रमशः 246 आधार अंक और 180 बीपीएस बढ़ीं।

36 यह वास्तव में 30 दिसंबर के बाद से एसडीएफ के अंतर्गत निधि के अल्प नियोजन और एमएसएफ के लिए कम सहारा वाले बैंकों के व्यवहार में परिलक्षित हुआ है। 30 दिसंबर (2 फरवरी 2024 तक) के बाद से शुक्रवार के दौरान एसडीएफ के अंतर्गत निधि का औसत नियोजन और एमएसएफ के अंतर्गत लिए गए फंड कम होकर क्रमशः 0.64 लाख करोड़ और 0.38 लाख करोड़ हो गया, जबकि यह दिसंबर की शुरुआत के बाद से शुक्रवार के दौरान क्रमशः 0.70 लाख करोड़ और 0.86 लाख करोड़ थे।

37 7 फरवरी 2024 तक, वित्तीय वर्ष के आधार पर अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय रुपये (आईएनआर) का मूल्यह्रास 0.9 प्रतिशत है, जो चीनी युआन, थाईलैंड बात, इंडोनेशियाई रुपया, वियतनामी डोंग और मलेशियाई रिंगगिट और कुछ उन्नत अर्थव्यवस्था वाली मुद्राएँ जैसे जापानी येन, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, कोरियाई वोन और न्यूज़ीलैंड डॉलर जैसे उभरते बाजार समकक्षों की तुलना में कम है।

38 अप्रैल से जनवरी की अवधि के लिए, आईएनआर की भिन्नता के गुणांक (सीवी) वर्ष 2020-21, 2021-22, 2022-23 और 2023-24 के लिए क्रमशः 1.4 प्रतिशत, 1.0 प्रतिशत, 2.7 प्रतिशत और 0.6 प्रतिशत थे। अप्रैल से जनवरी 2022-23 और 2023-24 की अवधि के लिए, चीनी युआन, थाईलैंड बात, इंडोनेशियाई रुपया और मलेशियाई रिंगगिट सहित विभिन्न समकक्ष ईएमई मुद्राओं के बीच सीवी के मामले में आईएनआर सबसे कम अस्थिर में से एक था।

39 सितंबर 2023 के अंत तक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की पूंजी और आस्ति गुणवत्ता के प्रमुख संकेतकों में और सुधार हुआ। एससीबी का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) और चलनिधि कवरेज अनुपात (एलसीआर) नियामक सीमा से काफी ऊपर थे। सितंबर 2023 में एससीबी का सीआरएआर अनुपात 16.8 प्रतिशत था। एससीबी का एलसीआर 135.4 प्रतिशत पर था, जो 100 प्रतिशत की न्यूनतम शर्त से काफी ऊपर था। सितंबर 2023 में एससीबी का सकल अनर्जक आस्ति (जीएनपीए) अनुपात और निवल अनर्जक आस्ति (एनएनपीए) अनुपात घटकर क्रमश: 3.2 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत के कई वर्षों के निचले स्तर पर आ गया।

40 सितंबर 2023 में सीआरएआर 27.6 प्रतिशत, जीएनपीए अनुपात 4.1 प्रतिशत और आस्ति पर 2.9 प्रतिशत रिटर्न (आरओए) के साथ एनबीएफसी क्षेत्र की आघात-सहनीयता में सुधार हुआ।

41 अक्तूबर-दिसंबर 2023 के दौरान भारत का सेवा निर्यात वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 5.1 प्रतिशत बढ़ा।

42 वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के माध्यम से भारत का बढ़ता सॉफ्टवेयर और व्यावसायिक सेवा निर्यात उच्च-कौशल और उच्च-मूल्य सेवा निर्यात में इसके बढ़ते प्रभुत्व का प्रमाण है। बृहद उपलब्ध आंकड़ों का प्रयोग करते हुए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) और संगत हार्डवेयर, जेनरेटिव एआई और स्थानिक कंप्यूटिंग में प्रगति ने भारतीय सॉफ्टवेयर निर्यात के लिए नए आयाम खोले हैं।

43 विश्व बैंक के अनुसार, 2024 में भारत की आवक विप्रेषण में 8.0 प्रतिशत की वृद्धि होगी। वैश्विक आवक विप्रेषण में भारत की हिस्सेदारी लगभग 15 प्रतिशत है।

44 अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान उच्च प्रत्यावर्तन के कारण 25.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह कम था, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि के दौरान यह 19.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान सकल आवक एफडीआई थोड़ी कम होकर 47.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 49.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

45 अप्रैल-नवंबर 2023 के दौरान अनिवासी जमाओं में निवल अभिवृद्धि एक वर्ष पहले के 3.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 7.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई, जिसका नेतृत्व एनआरई और एफसीएनआर (बी) खातों में उच्च प्रवाह के कारण हुआ। अप्रैल-दिसंबर 2023 के दौरान भारत में ईसीबी का निवल अंतर्वाह 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि एक वर्ष पहले 5.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल बहिर्प्रवाह था।

46 विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि 2023-24 के लिए अनुमानित आयात के दस महीने से अधिक और सितंबर 2023 के अंत तक कुल विदेशी ऋण का 97.1 प्रतिशत को समाहित करता है।

47 भारत का विदेशी ऋण/ जीडीपी अनुपात मार्च 2022 के अंत में 20.0 प्रतिशत से गिरकर सितंबर 2023 के अंत में 18.6 प्रतिशत हो गया। इसी अवधि के दौरान ऋण सेवा अनुपात 5.2 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गया।

48 महात्मा गांधी, संकलित कार्य, खंड. 82


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