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प्रेस प्रकाशनी

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गवर्नर का वक्तव्य: 7 दिसंबर 2022

7 दिसंबर 2022

गवर्नर का वक्तव्य: 7 दिसंबर 2022

जैसा कि आप जानते हैं कि हम एक और उतार-चढ़ाव वाले वर्ष की समाप्ति की ओर हैं, लेकिन अभी भी वैश्विक अर्थव्यवस्था, गंभीर आघातों और अनोखी अनिश्चितता से प्रभावित है। भू-राजनीतिक स्थिति और वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव से मिले-जुले संकेत मिल रहे हैं। इस वर्ष (2022) की शुरुआत में, जैसे ही कोविड-19 महामारी के प्रभाव में कमी आई, यूक्रेन में अचानक हुए युद्ध ने पूरे विश्व को व्यापक रूप से प्रभावित किया और वैश्विक आर्थिक संभावनाओं को मौलिक रूप से बदल दिया। खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि और प्रमुख वस्तुओं की कमी ने दुनिया भर के गरीब वर्गों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय खाद्य, ऊर्जा और अन्य वस्तुओं की कीमतों में हाल के दिनों में मामूली कमी आई हैं, फिर भी मुद्रास्फीति उच्च और वैविध्यपूर्ण बनी हुई है। आईएमएफ का अनुमान है कि इस वर्ष या अगले वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था का एक तिहाई से अधिक हिस्से में गिरावट आएगी। हालांकि इस तरह के बड़े झटकों के दुष्प्रभाव से कोई भी देश अछूता नहीं है, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाएं (ईएमई), विशेष रूप से खाद्य, ऊर्जा और कमोडिटी के आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाएं सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

2. महामारी और युद्ध से परे, व्यापार, वित्त और प्रौद्योगिकी में विखंडन भी विवैश्वीकरण को बल दे रहा है। भू-राजनीतिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आपूर्ति शृंखलाओं को फिर से तैयार किया जा रहा है, जिससे ‘रिशोरिंग’ और ‘फ्रेंड-शोरिंग’ हो रहा है। जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा विश्व के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

3. इस प्रतिकूल अंतरराष्ट्रीय माहौल में, भारतीय अर्थव्यवस्था आघात-सहनीय बनी हुई है, जो अपने समष्टिआर्थिक सिद्धांतों से बल प्राप्त कर रही है। हमारी वित्तीय प्रणाली मजबूत और स्थिर बनी हुई है। संकट से पहले की तुलना में बैंकों और कॉरपोरेटों की स्थिति काफी अच्छी है। पिछले 8 महीनों से बैंक ऋणों में दोहरे अंकों में वृद्धि हुई है। अन्यथा इस विषादपूर्ण दुनिया में भारत को व्यापक रूप से एक उज्ज्वल बिंदु के रूप में देखा जाता है। तथापि, विश्व के अधिकांश हिस्सों की तरह ही हमारी मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। वैश्विक प्रभाव- विस्तार के कारण उच्च अस्थिरता और अनिश्चितता बनी हुई है।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णय और विचार-विमर्श

4. मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 5, 6 और 7 दिसंबर 2022 को हुई। समष्टिआर्थिक स्थिति और इसकी संभावनाओं के आकलन के आधार पर, एमपीसी ने 6 में से 5 सदस्यों के बहुमत से नीति रेपो दर को 35 आधार अंक बढ़ाकर तत्काल प्रभाव से 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। परिणास्वरूप, स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 6.00 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 6.50 प्रतिशत हो गई है। एमपीसी ने 6 में से 4 सदस्यों के बहुमत से एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मुद्रास्फीति आगे चलकर संवृद्धि को सहारा प्रदान करते हुए लक्ष्य के भीतर बनी रहे।

5. अब मैं नीति दर और रुख संबंधी इन निर्णयों के पीछे एमपीसी के तर्क के बारे में विस्तार से बताना चाहता हूं। दुनिया भर में संवृद्धि की संभावनाएं कम हो रही हैं। वित्तीय बाजार कमजोर बने हुए हैं और ये उच्च अस्थिरता और कीमतों में उतार-चढ़ाव से प्रभावित हैं।

6. भारतीय अर्थव्यवस्था में, संभावनाओं को रबी की बुवाई की अच्छी प्रगति, सतत शहरी मांग, ग्रामीण मांग में सुधार, विनिर्माण में तेजी, सेवाओं में सुधार और ऋण में मजबूत बढ़ोत्तरी से समर्थन मिला है। अपेक्षितानुसार, उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अक्तूबर में घटकर 6.8 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) हो गई, लेकिन यह अभी भी लक्ष्य के ऊपरी सहन-सीमा बैंड से ऊपर बनी हुई है। मूल मुद्रास्फीति अवरुद्ध बनी हुई है। हालांकि, हेडलाइन मुद्रास्फीति शेष वर्ष और 2023-24 की पहली तिमाही में कम हो सकती है, तथापि, इसके लक्ष्य से ऊपर बने रहने की उम्मीद है। मध्यावधि मुद्रास्फीति संभावना, भू-राजनीतिक तनावों, वित्तीय बाजार की अस्थिरता और मौसम संबंधी व्यवधानों की बढ़ती घटनाओं से बढ़ी अनिश्चितताओं से प्रभावित है।

7. समग्र रूप से, एमपीसी का विचार था कि मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को नियंत्रित करने, मूल मुद्रास्फीति की सततता को तोड़ने और दूसरे दौर के प्रभावों को रोकने के लिए आगे चलकर सुविचारित मौद्रिक नीति कार्रवाई की आवश्यकता है। ये कार्रवाइयां भारतीय अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की संवृद्धि संभावनाओं को मजबूत करेंगी। तदनुसार, एमपीसी ने नीतिगत रेपो दर को 35 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने और संवृद्धि का समर्थन करते हुए निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।

8. मौद्रिक नीति के रुख के संबंध में, एमपीसी ने मुद्रास्फीति के सापेक्ष नीतिगत दर और चलनिधि की स्थिति पर समग्र रूप से विचार किया। मुद्रास्फीति के लिए समायोजित, नीतिगत दर अभी भी निभावकारी बनी हुई है। अगले 12 महीनों में, मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक रहने की उम्मीद है। नवंबर 2022 में चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत 1.6 लाख करोड़ की औसत दैनिक अवशोषण के साथ प्रणालीगत चलनिधि अधिशेष में बनी हुई है। तब से, यह 5 दिसंबर तक 2.6 लाख करोड़ तक पहुँच गई है। समग्र मौद्रिक और चलनिधि की स्थिति निभावकारी बनी हुई है और अतः, एमपीसी ने निभाव को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का निर्णय लिया।

संवृद्धि और मुद्रास्फीति वृद्धि का आकलन

9. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ने 2022-23 की दूसरी तिमाही में वर्ष-दर-वर्ष (वाई-ओ-वाई) 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जो मुख्य रूप से निजी खपत और निवेश द्वारा संचालित है। यह हमारी प्रत्याशाओं के अनुरूप है।

10. 2022-23 की तीसरी तिमाही में, आर्थिक गतिविधियों में अक्तूबर में मजबूती जारी रही। विशेष रूप से यात्रा, पर्यटन और आतिथ्य जैसी सेवाओं पर विवेकाधीन खर्च में निरंतर सुधार के कारण शहरी खपत में और वृद्धि हुई। यात्री वाहनों की बिक्री और घरेलू हवाई यात्री यातायात ने वर्ष-दर-वर्ष मजबूत वृद्धि दर्ज की। ग्रामीण मांग में सुधार हो रहा है, जोकि ट्रैक्टर और खुदरा दुपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि के साथ कृषि गतिविधियों में वृद्धि से परिलक्षित होता है। निवेश गतिविधि भी कर्षण प्राप्त कर रही है। अप्रैल-नवंबर 2022 के दौरान खाद्येतर बैंक ऋण में पिछले वर्ष के 1.9 लाख करोड़ की वृद्धि की तुलना में 10.6 लाख करोड़ की वृद्धि हुई। वाणिज्यिक क्षेत्र में संसाधनों का कुल प्रवाह 2022-23 (नवंबर 2022 तक) के दौरान 2021-22 की समान अवधि में 6.8 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 14.7 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा। दूसरी ओर, पिछले 19 महीनों में बढ़ोत्तरी के बाद व्यापारिक निर्यात में 12.1 प्रतिशत (वर्ष-दर-वर्ष) की कमी के कारण अक्तूबर में निवल बाह्य मांग में गिरावट और बढ़ गई। अक्तूबर में पण्य आयात में 10.0 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

11. आपूर्ति पक्ष पर, कृषि क्षेत्र आघात-सहनीय बना रहा। रबी की बुआई की मजबूत शुरुआत हुई है। अब तक बोया गया क्षेत्र सामान्य बोए गए क्षेत्र (2 दिसंबर 2022 तक) की तुलना में 6.8 प्रतिशत अधिक है। विनिर्माण पीएमआई अक्तूबर में 55.3 से बढ़कर नवंबर में 55.7 हो गया। सेवा क्षेत्र के लिए पीएमआई अक्तूबर में 55.1 से बढ़कर नवंबर में 56.4 हो गया। संयोग से, नवंबर में भारत के विनिर्माण और सेवा पीएमआई विश्व में सबसे अधिक हैं। दक्षिण-पश्चिम मानसून की समाप्ति के बाद विनिर्माण गतिविधि बढ़ रही है, जिसका संकेत अक्तूबर में इस्पात की खपत में उच्च वृद्धि से मिलता है।

12. आगे चलकर, निवेश गतिविधि को सरकारी पूंजीगत व्यय से समर्थन मिलेगा। विनिर्माण कंपनियों की कुल संपत्तियों में अचल संपत्तियों के हिस्से में वृद्धि पहली छमाही में दिखाई दे रही थी1। हमारे सर्वेक्षणों के अनुसार, उपभोक्ता विश्वास में और सुधार हुआ है। विनिर्माण और अवसंरचना क्षेत्र की कंपनियां कारोबारी संभावनाओं को लेकर आशावादी हैं2। सेवा क्षेत्र की फर्मों को भी गतिविधि के विस्तार की उम्मीद है। आपस में जुड़ी हुई दुनिया में, हम वैश्विक मंदी और हमारे निवल निर्यात और समग्र आर्थिक गतिविधि पर इसके प्रतिकूल प्रभाव-विस्तार से पूरी तरह से अलग नहीं रह सकते हैं। संभावना के लिए सबसे बड़ा जोखिम, प्रलंबित भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मंदी और वैश्विक वित्तीय स्थितियों की सख्ती से उत्पन्न होने वाली बाधाएँ बनी हुई हैं। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2022-23 के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.8 प्रतिशत अनुमानित है, जिसका तीसरी तिमाही में 4.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी विकास दर 7.1 प्रतिशत और दूसरी तिमाही के लिए 5.9 प्रतिशत अनुमानित है। 2022-23 के लिए हमारे संवृद्धि अनुमान में इस संशोधन के बाद भी, भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहेगा।

मुद्रास्फीति

13. मुद्रास्फीति प्रक्षेपवक्र काफी हद तक जून 2022 में हमारी संभावना के अनुरूप विकसित हुआ है। आगे चलकर, खाद्य मुद्रास्फीति का सर्दीयों में आने वाली सामान्य कमी और भरपूर रबी फसल की संभावना के साथ कम होने की संभावना है, लेकिन निकट अवधि में अनाज, दूध और मसालों की कीमतों के रूप में दबाव बिंदु बने हुए हैं। मुख्य जोखिम यह है कि मूल मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर सीपीआई) अवरुद्ध और उच्च बनी हुई है। कुल मिलाकर, सीपीआई मूल्य गति उच्च बनी हुई है। प्रतिकूल मौसमी घटनाओं से संबंधित जोखिम से संभावना में अनिश्चितता बढ़ती है।

14. कच्चे तेल सहित वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में कुछ गिरावट आई है, लेकिन दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव को देखते हुए निकट अवधि में संभावनाओं पर अनिश्चचितता बनी हुई है। अमेरिकी डॉलर संबंधी संभावना और इसलिए आयातित मुद्रास्फीति भी अनिश्चित बनी हुई है। इसके अलावा, घरेलू सेवा क्षेत्र की गतिविधि में पुनरुत्थान भी कीमतों में वृद्धि का कारण बन सकता है, जिसका मुख्य कारण फर्मों द्वारा इनपुट लागतों को अंतरित करना है। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए और औसत कच्चे तेल की कीमत (भारतीय टोकरी) 100 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल मानते हुए, हेडलाइन मुद्रास्फीति 2022-23 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जोकि तीसरी तिमाही में 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.9 प्रतिशत अनुमानित है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति सामान्य मानसून की धारणा पर 5.0 प्रतिशत और दूसरी तिमाही के लिए 5.4 प्रतिशत अनुमानित है।

15. ये संवृद्धि और मुद्रास्फीति परिदृश्य क्या संदेश देते हैं? मैं संक्षेप में बताना चाहता हूँ। भारत में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि आघात-सहनीय बनी हुई है और मुद्रास्फीति के कम होने की उम्मीद है; लेकिन महंगाई के विरुद्ध लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। उच्च और अवरुद्ध मूल मुद्रास्फीति संबंधी दबाव बिंदु और अंतरराष्ट्रीय कारकों और मौसम संबंधी घटनाओं के साथ खाद्य मुद्रास्फीति के एक्सपोजर बने हुए हैं। हमारी पिछली मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, हम बढ़ती मुद्रास्फीति की गतिशीलता पर अर्जुन की तरह नजर बनाए रखेंगे3 और आवश्यकतानुसार कार्य करने के लिए तैयार रहेंगे। हमारे कार्य सक्रिय और अर्थव्यवस्था के सर्वोत्तम हित में होंगे। संवृद्धि के पहलू को स्पष्ट रूप से ध्यान में रखा जाएगा।

चलनिधि और वित्तीय बाजार की स्थिति

16. कुल मिलकर प्रणालीगत चलनिधि अधिशेष में बनी हुई है। अक्तूबर-नवंबर के दौरान, चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के अंतर्गत कुल औसत अवशोषण 1.4 लाख करोड़ था, जो अगस्त-सितंबर के दौरान 2.2 लाख करोड़ के औसत से कम था।

17. आगे की अवधि में, कई कारकों से चलनिधि की स्थिति में सुधार होने की संभावना है, जिसमें त्योहार के बाद की अवधि में प्रचलन में मुद्रा में कमी, वित्तीय वर्ष के अंतिम कुछ महीनों में सरकारी व्यय में वृद्धि और पोर्टफोलियो निवेशकों की वापसी के कारण उच्च विदेशी मुद्रा अंतर्वाह शामिल हैं। कर बहिर्वाह और मुद्रा की मांग के कारण चलनिधि में अल्पावधि कमी आती है, लेकिन एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। मैं दोहराता हूं कि अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रिज़र्व बैंक अपने चलनिधि प्रबंधन कार्यों में सक्रिय और लचीला बना हुआ है। अतः, हालांकि रिज़र्व बैंक अवशोषण मोड में रहता है, हम एलएएफ परिचालन करने के लिए तैयार हैं जो हमारे मुख्य परिचालनों के माध्यम से आवश्यकता अनुसार चलनिधि को निवेश कर सकते हैं। हालांकि, ऐसा करने में, जब बैंक अपनी स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) और परिवर्तनीय दर प्रतिवर्ती रेपो (वीआरआरआर) शेष राशि के बड़े हिस्से को कम करते हैं, तो हम चलनिधि चक्र में बदलाव के एक टिकाऊ संकेत की तलाश करेंगे। रिज़र्व बैंक चलनिधि परिचालनों में लचीलेपन और दो-तरफा परिचालन के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन बाज़ार सहभागियों को चलनिधि अधिशेषों की अधिकता से खुद को दूर करना होगा।

18. सामान्य चलनिधि परिचालन की दिशा में हमारे क्रमिक कदम के भाग के रूप में, हमने मांग/सूचना/मियादी मुद्रा, वाणिज्यिक पत्र, जमा प्रमाणपत्र और मुद्रा बाजार के कॉर्पोरेट बॉण्ड क्षेत्र में रेपो के साथ-साथ रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव के संबंध में बाजार के समय को - सुबह 9.00 बजे से शाम 5.00 बजे तक बहाल करने का निर्णय लिया है।

19. मई 2022 से शुरू होने वाले मौजूदा सख्ती चरण में उधार और जमा दरों के लिए मौद्रिक नीति कार्रवाइयों के प्रसारण की गति तेज हो गई है। नए और बकाया रुपया ऋणों पर भारित औसत उधार दरों (डब्ल्यूएएलआर) में मई से अक्तूबर 2022 की अवधि के दौरान क्रमशः 117 बीपीएस और 63 बीपीएस की वृद्धि हुई है। जमा पक्ष पर, इसी अवधि के दौरान नए और बकाया जमाराशियों पर भारित औसत घरेलू मीयादी जमा दर में क्रमशः 150 बीपीएस और 46 बीपीएस की वृद्धि हुई। हम प्रसारण की इस प्रक्रिया पर कड़ी नजर रख रहे हैं।

20. इस वर्ष अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि, जिसके कारण भारतीय रुपये (आईएनआर) सहित सभी प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के बड़े पैमाने पर मूल्यह्रास हुआ है, ने व्यापक रूप से ध्यान आकर्षित किया है। वैश्विक और घरेलू समष्टिआर्थिक और वित्तीय बाजार के गतिविधियों के संदर्भ में आईएनआर के उतार-चढ़ाव का एक वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है। अमेरिकी डॉलर की मूल्यवृद्धि के इस प्रकरण के माध्यम से, आईएनआर का उतार-चढ़ाव समकक्षों के सापेक्ष सबसे कम विघटनकारी रही है। वास्तव में, INR में कुछ को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मूल्यवृद्धि हुई है4। सीमापारीय विनिमय दर में उतार-चढ़ाव की तुलना अक्सर मुद्रास्फीति-समायोजित या जिसे वास्तविक प्रभाव भी कहा जाता है, के आधार पर की जाती है। वित्तीय वर्ष के आधार पर (अर्थात्, अप्रैल 2022 से अक्तूबर 2022 तक), भारतीय रुपये में वास्तविक रूप से 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है5, जबकि कई प्रमुख मुद्राओं में मूल्यह्रास हुआ है। आईएनआर की कहानी भारत के लचीलेपन और स्थिरता की कहानी रही है।

21. जैसा कि हाल ही में मेरे द्वारा दिये गए भाषण6 में कहा गया है, यूएस फेड के लिए टर्मिनल ब्याज दर किसी का भी अनुमान हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता है कि उनकी मौद्रिक नीति को अंतहीन रूप से सख्त किया जाएगा। जब सख्ती समाप्त हो जाएगी, तब ज्वार निश्चित रूप से वापस लौट जाएगा। भारत में पूंजी प्रवाहों में सुधार होगा और बाह्य वित्तपोषण की स्थिति आसान होगी। धक्का और खिंचाव दोनों कारकों के साथ इस जटिल दुनिया में, आईएनआर - जो कि बाजार निर्धारित है - को अपना स्तर खोजने की अनुमति दी जानी चाहिए और यही हम सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। हमें वर्तमान वैश्विक बाधाओं से आत्मविश्वास और धीरज के साथ निपटना चाहिए।

बाह्य क्षेत्र

22. बाह्य क्षेत्र मजबूत वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों से प्रभावित हुआ है। वैश्विक मांग में कमी का हमारे वस्तु निर्यातों पर दबाव पड़ रहा है। वस्तु आयात की वृद्धि में भी कमी आ रही है। साथ ही, यूक्रेन में युद्ध के कारण व्यापार आघात का प्रभाव धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। भारत के स्वाभाविक बफ़र्स का संज्ञान लेना भी महत्वपूर्ण है। मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर, कारोबार और यात्रा सेवाओं द्वारा संचालित सेवा निर्यात की संवृद्धि, अप्रैल-अक्तूबर 2022 में 29.1 प्रतिशत पर मजबूत बनी रही। विप्रेषण नई ऊंचाइयों को छू रहा है और मध्य पूर्व में गतिविधि में तेजी के साथ संभावना आशावादी है। विश्व बैंक के नवीनतम स्थिति के अनुसार, भारत का विप्रेषण 2022 में लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो 2021 में 89.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2022-23 की पहली तिमाही में, भारत के विप्रेषण में वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 22.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सेवाओं और विप्रेषण के अंतर्गत निवल शेष बृहद अधिशेष में बना रहा, जो आंशिक रूप से व्यापार घाटे की भरपाई करता है। परिणामस्वरूप, भले ही चालू खाता घाटा 2021-22 से अधिक है, यह प्रमुख रूप से प्रबंधनीय है और व्यवहार्यता के मापदंडों के भीतर है।

23. वित्तपोषण पक्ष पर, शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह मजबूत बना हुआ है और अप्रैल-अक्टूबर 2022 के दौरान 22.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 21.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। विदेशी पोर्टफोलियो प्रवाह हाल के महीनों में फिर से शुरू हो गया है और इक्विटी प्रवाह के साथ जुलाई से 5 दिसंबर 2022 के दौरान 11.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर सकारात्मक रहा। विदेशी मुद्रा प्रवाह बढ़ाने के लिए 6 जुलाई 2022 को रिज़र्व बैंक द्वारा घोषित उपायों के परिणामस्वरूप, नए बाहरी वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) करार, 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर संपन्न हुआ। इसमें 5.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर शामिल हैं जो स्वचालित मार्ग के अंतर्गत 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर की पूर्व सीमा से अधिक है। विदेशी मुद्रा आरक्षित निधि का आकार सहज है और बढ़ा भी है। यह 21 अक्टूबर 2022 को 524.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2 दिसंबर 2022 तक 561.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जिसमें 2022-23 के अनुमानित आयात के लगभग नौ महीने शामिल हैं। इसके अलावा, भारत का बाहरी ऋण अनुपात अंतरराष्ट्रीय मानकों7 से कम है।

अतिरिक्त उपाय

24. अब मैं कतिपय अतिरिक्त उपायों की घोषणा करता हूँ।

परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी में एसएलआर धारित राशि

25. बैंकों को अपने निवेश पोर्टफोलियो के प्रबंधन में और लचीलापन प्रदान करने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि 23 प्रतिशत से बढ़ी हुई एचटीएम सीमा को 31 मार्च 2024 तक बढ़ा दिया जाए। बैंकों को अब बढ़ी हुई एचटीएम सीमा में 1 सितंबर 2020 और 31 मार्च 2024 के बीच अधिग्रहीत प्रतिभूतियों को शामिल करने की अनुमति होगी। 30 जून 2024 को समाप्त होने वाली तिमाही से चरणबद्ध तरीके से एचटीएम की सीमा 23 प्रतिशत से 19.5 प्रतिशत तक बहाल की जाएगी।

एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के अधिदेश को बढ़ाना

26. यूपीआई भारत में सबसे लोकप्रिय खुदरा भुगतान प्रणाली के रूप में उभरा है। इसमें वर्तमान में आवर्ती के साथ-साथ एकल-ब्लॉक-और-एकल-डेबिट लेनदेनों के लिए भुगतान अधिदेश को संसाधित करने की कार्यात्मकता शामिल है। एकल-ब्लॉक-और-बहु-डेबिट कार्यात्मकता शुरू करके यूपीआई की क्षमताओं को और बढ़ाया जाएगा। यह सुविधा ग्राहक को विशिष्ट उद्देश्यों के लिए अपने खाते में धनराशि ब्लॉक करने में सक्षम करेगी, जिसे जब भी जरूरत हो, डेबिट किया जा सकता है। इससे रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म के साथ-साथ ई-कॉमर्स लेनदेनों सहित प्रतिभूतियों में निवेश के लिए भुगतान करने में बहुत आसानी होगी।

भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस) के दायरे का विस्तार

27. बीबीपीएस 2017 में शुरू होने के बाद से लगातार विस्तार कर रहा है। वर्तमान में, यह व्यापारियों और उपयोगिताओं के आवर्ती बिल भुगतानों को संभालता है और गैर-आवर्ती बिलों को पूरा नहीं करता है। यह एकल व्यक्तियों के लिए बिल भुगतान या संग्रह जैसे पेशेवर सेवाओं के लिए शुल्क का भुगतान, शिक्षा शुल्क, कर भुगतान, किराया संग्रह आदि को पूरा नहीं करता है, भले ही वे आवर्ती प्रकृति के हों। अतः, आवर्ती और गैर-आवर्ती दोनों श्रेणियों के भुगतान और संग्रह, और सभी श्रेणी के बिलर्स (व्यवसायों और व्यक्तियों) को शामिल करने के लिए बीबीपीएस का दायरा बढ़ाया जा रहा है। यह बीबीपीएस प्लेटफॉर्म को व्यक्तियों और व्यवसायों के व्यापक समूह के लिए सुलभ बना देगा, जो पारदर्शी भुगतान अनुभव, निधियों तक तेजी से पहुंच और बेहतर दक्षता से लाभान्वित हो सकते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफ़एससी) में स्वर्ण की हेजिंग

28. भारत में निवासी संस्थाओं को वर्तमान में विदेशी बाजारों में स्वर्ण की कीमत के जोखिम के प्रति अपने एक्सपोजर को हेज करने की अनुमति नहीं है। इन संस्थाओं को अपने स्वर्ण के एक्सपोजर की कीमत के जोखिम को हेज करने के लिए अधिक लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से, निवासी संस्थाओं को अब आईएफ़एससी में मान्यता प्राप्त विनिमयों पर अपने स्वर्ण की कीमत के जोखिम को कम करने की अनुमति दी जाएगी। इस उपाय से स्वर्ण के आयातकों/निर्यातकों जैसे जौहरी और उद्योग को लाभ होगा जो स्वर्ण का उपयोग मध्यवर्ती या कच्चे माल के रूप में करते हैं।

निष्कर्ष

29. पिछले तीन वर्ष असामान्य रूप से चुनौतीपूर्ण रहे हैं क्योंकि हमने कई झटकों का सामना किया है। कोविड-19 से पहले के वर्षों में हमने आरक्षित निधियों का संचय करने और लक्ष्य के करीब औसत मुद्रास्फीति के मामले में जो बफर बनाए थे, वे इन बार-बार के झटकों से निपटने के लिए वे काम आए। इस कठिन दौर में, हमारा निरंतर प्रयास रहा है कि हम समय पर और प्रभावी उपाय करें। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि हमारी नीतियों के सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

30. हमारी भविष्य की नीति में नए डेटा रिलीज और अर्थव्यवस्था की उभरती संभावना के साथ-साथ हमारे पिछले कार्यों के प्रभाव पर विधिवत विचार किया जाएगा।

31. प्रतिकूल वैश्विक वातावरण द्वारा हम पर सौंपी गई चुनौतियों का मुकाबला करने में, हमें अपने देश की दीर्घकालिक क्षमता में सुधार के कार्य को नहीं भूलना चाहिए। हरित परिवर्तन, आपूर्ति श्रृंखलाओं और लोजीस्टिक का पुनर्गठन, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएँ, डिजिटल बैंकिंग और वित्तीय सेवाएँ, और नवीन प्रौद्योगिकियाँ, भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अपार अवसर प्रदान करती हैं।

32. जैसे ही हम 2023 में प्रवेश कर रहे हैं, भारत की जी20 अध्यक्षता हमें अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाने का ऐतिहासिक अवसर प्रदान करती है। हमारे अध्यक्षता का विषय "वसुधैव कुटुम्बकम" - विश्व एक परिवार है - सार्वभौमिक कल्याण के लिए वैश्विक सहयोग की हमारी दृष्टि को दर्शाता है। हमें आशावादी बने रहना चाहिए और गांधीजी के शब्दों से प्रेरणा लेनी चाहिए: "कोई यह न सोचें कि यह असंभव है क्योंकि यह कठिन है। यह सर्वोच्च लक्ष्य है, और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि इसे प्राप्त करने के लिए उच्चतम प्रयास आवश्यक हैं।"8 जैसा कि वर्तमान वर्ष समाप्त हो रहा है और एक नया वर्ष इंतजार कर रहा है, मैं आप सभी को नए वर्ष की पूर्व शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद। नमस्कार।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1319


1 1575 विनिर्माण कंपनियों की कुल वृद्धिशील निधियों में अचल संपत्तियों के लिए प्रयुक्त निधियों का हिस्सा 2021-22 की पहली छमाही में 0.1 प्रतिशत बढ़कर 2022-23 की पहली छमाही में 19.4 प्रतिशत हो गया।

2 विनिर्माण, अवसंरचना और सेवा फर्मों की प्रत्याशाओं भारतीय रिज़र्व के उद्यम सर्वेक्षण के शुरुआती नतीजों पर आधारित हैं।

3 दास, शक्तिकांत (2022), "इंडिया: ए स्टोरी ऑफ़ रेज़िलिएंस"; 02 नवंबर 2022 को FICCI और IBA, मुंबई द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित वार्षिक FIBAC 2022 सम्मेलन में उद्घाटन भाषण।

4 स्विस फ्रैंक, कैनेडियन डॉलर, सिंगापुर डॉलर, रूसी रूबल आदि को छोड़कर।

5 बीआईएस वास्तविक प्रभावी विनिमय दरों के आधार पर।

6 फुटनोट 3 के समान।

7 कुल विदेशी ऋण के लिए आरक्षित निधि का अनुपात 2012-13 में 71.3 प्रतिशत से बढ़कर जून 2022 में 95.5 प्रतिशत हो गया है। जून 2022 में ऋण चुकौती अनुपात (वर्तमान उपार्जन के अनुपात के रूप में मूल चुकौती और ब्याज भुगतान) 4.9 प्रतिशत पर था, जो 2012-13 में 5.9 प्रतिशत की तुलना में कम था। वर्तमान में, यह उभरते बाजार समकक्षों में सबसे कम है।

8 The Story of My Experiments with Truth: M.K. Gandhi का महादेव देसाई; नवजीवन पब्लिशिंग हाउस, अहमदाबाद द्वारा गुजराती से अनुवाद।


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