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प्रेस प्रकाशनी

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विनियमन समीक्षा प्राधिकारी (आरआरए 2.0) का रिपोर्ट

13 जून 2022

विनियमन समीक्षा प्राधिकारी (आरआरए 2.0) का रिपोर्ट

विनियमन समीक्षा प्राधिकारी (आरआरए 2.0) की स्थापना भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 15 अप्रैल 2021 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से की गई थी, जिसका उद्देश्य विनियामक निदेशों को सुव्यवस्थित करके और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को युक्तिसंगत बनाकर विनियमित संस्थाओं (आरई) पर अनुपालन बोझ को कम करना था।

आरआरए 2.0 ने सिफ़ारिशों की अंतिम सूची को शामिल करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। यह रिपोर्ट आंतरिक और बाह्य हितधारकों दोनों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर तैयार की गई है। रिपोर्ट में, अन्य बातों के साथ-साथ, अनुपालन में आसानी और विनियामक भार में कमी, रिपोर्टिंग व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने और विनियामक अनुदेशों के प्रसार और पहुंच में आसानी संबंधी सिफारिशें शामिल हैं।

इसके अलावा, आरआरए ने 16 नवंबर 2021, 18 फरवरी 2022, 2 मई 2022 और 13 मई 2022 को अंतरिम सिफारिशों की चार शृंखलाओं में 714 परिपत्रों को वापस लेने की सिफारिश की है। इसके अलावा, 18 फरवरी 2022 को, आरआरए ने 65 नियामक विवरणियों को बंद करने / विलय करने/ ऑनलाइन प्रस्तुति में परिवर्तित करने और आरबीआई की वेबसाइट पर एक नया "विनियामक रिपोर्टिंग" लिंक बनाने की सिफारिश की थी ताकि आरई द्वारा विनियामक रिपोर्टिंग और विवरणियों को प्रस्तुत करने से संबंधित जानकारी को एक ही स्थान पर समेकित किया जा सके।

मुख्य बातें:

  • अनुदेशों को समझने, उसे व्याख्यायित करने और उसके कार्यान्वयन में आने वाले अंतराल को दूर करने के लिए, विनियामक अनुदेशों में उसके उद्देश्य, जो अनुदेश जारी करने के औचित्य में अंतर्निहित है, का संक्षिप्त विवरण होना चाहिए। अनुदेशों के साथ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों / निदेशन नोट्स और चित्रों, जहां भी आवश्यक हो, पूरक के रूप में होने चाहिए।

  • उद्योग प्रथाओं और वित्तीय परिदृश्य में होने वाली गतिविधियों के साथ संरेखित करने के लिए मौजूदा विनियमों की आवधिक समीक्षा का सुझाव दिया गया है।

  • आरई द्वारा प्रस्तुत की जा रही विवरणियों की व्यापक समीक्षा के आधार पर, आरआरए ने कागज-आधारित विवरणियों को समाप्त करने की सिफारिश की है और उनकी प्रासंगिकता और आवधिकता सुनिश्चित करने के लिए कम से कम तीन वर्षों में एक बार आरई द्वारा प्रस्तुत की जा रही विनियामक और पर्यवेक्षी विवरणियों की आवधिक समीक्षा करने का सुझाव दिया है।

  • विशिष्ट आंकड़ो को शामिल करने के लिए आरंभ किए गए किसी भी तदर्थ विवरणी के साथ एक सावधि विधि खंड (sunset clause) निर्धारित किया जाना चाहिए, जिसकी अवधि छह महीने से अधिक न हो।

  • इसके अलावा, आरआरए ने सिफारिश की है कि मास्टर परिपत्रों को समयबद्ध तरीके से अद्यतन किया जाए और जहां भी संभव हो, उसे अंततः मास्टर निदेशों में परिवर्तित कर दिया जाए। विनियामक अनुदेश, जिन्हें निरस्त कर दिया गया है/ वापस ले लिया गया है, उन्हें आरई / आम जनता के बीच भ्रम से बचने के लिए पुरालेख में रखा जाए / उस पर मुहर लगा दी जाए।

  • आरबीआई की वेबसाइट पर रखी गई सभी सामग्री का अद्यतन तत्काल आधार पर किया जाए। नेविगेशन के लिए और अधिक संवादात्मक और सुविधाजनक बनाने हेतु आरबीआई की वेबसाइट को और बेहतर बनाया जाए।

  • आरबीआई की वेबसाइट पर सभी अनुदेशों को अक्सर पूछे जाने वाले प्रासंगिक प्रश्नों, परामर्शी पत्रों, मास्टर निदेशों आदि के साथ आवश्यक रूप से संबद्ध करते हुए विषय-वार, कार्य-वार और विनियमित संस्थाओं की श्रेणी के आधार पर वर्गीकृत किया जाए।

  • आरआरए ने मास्टर निदेश और परिपत्र के लिए मानक टेम्पलेट के साथ-साथ आगे चलकर विनियामक निदेशों को अद्यतन करने की प्रक्रिया के मानकीकरण की भी सिफारिश की है।

आरआरए 2.0 की रिपोर्ट को आरबीआई की वेबसाइट पर आज रखा जा रहा है। लक्षित परिणामों को प्राप्त करने के लिए आरआरए की सिफारिशों को रिज़र्व बैंक द्वारा आंतरिक रूप से कार्यान्वित किया जाएगा। आरआरए गतिविधि से भविष्य में, विनियामक निदेशों और विवरणियों में स्पष्टता, सरलीकरण, पहुंच और युक्तिसंगतता होनी चाहिए।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/360


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