16 जनवरी 2019
भारतीय रिज़र्व बैंक ने नया बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी) ढांचे की घोषणा की
फेमा 1999 के अंतर्गत काफी समय से बनाए गए बहु विनियमों को तर्कसंगत बनाने के चालू प्रयासों के भाग के रूप में, भारत में रहने वाले व्यक्ति और भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति के बीच विदेशी मुद्रा और भारतीय रुपया में होने वाले हर प्रकार के उधार और ऋण लेनदेनों को नियंत्रित करने वाले विनियमों को समेकित किया गया है और संशोधित विनियम फेमा 3 आर/2018 भारत सरकार द्वारा 17 दिसंबर 2018 को अधिसूचित किए गए हैं।
उपर्युक्त संशोधित विनियम के अनुसार, भारत सरकार के परामर्श से यह निर्णय लिया गया है कि कारोबार की सहजता में और सुधार करने के लिए ईसीबी और रुपया मूल्यवर्गांकित बॉन्डों के लिए मौजूदा ढांचे को तर्कसंगत बनाया जाए। नई ईसीबी नीति पर ए.पी. (डीआईआर श्रृंखला) परिपत्र आज जारी किया गया है जिसमें नया ढांचा सम्मिलित किया गया है। नए ढांचे को उदार बनाने/तर्कसंगत बनाने के लिए प्रमुख उपाय निम्नानुसार है:
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मौजूदा ढांचे के अंतर्गत ट्रैक I और II को “विदेशी मुद्रा मूल्यवर्गांकित ईसीबी” के रूप में आमेलित किया गया है और रुपया मूल्यवर्गांकित बॉन्ड ढांचे को “रुपया मूल्यवर्गांकित ईसीबी” के रूप में संयुक्त किया गया है जिससे कि वर्तमान की चार टीयर वाली संरचना को विस्थापित किया जा सके। यह ढांचा लिखत-तटस्थ है।
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पात्र उधारकर्ताओं की सूची में विस्तार किया गया है। सभी पात्र संस्थाएं जो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त कर सकते हैं, ईसीबी ढांचे के अंतर्गत उधार ले सकते हैं।
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संस्था जो किसी देश की निवासी है और एफएटीएफ या आईओएससीओ अनुपालित है, को मान्यताप्राप्त ऋणदाता माना जाएगा। यह बदलाव उधार प्रदान करने के विकल्पों में वृद्धि करता है और एएमएल/सीएफटी ढांचे को सुदृढ़ करते हुए ईसीबी क्षेत्र में विभिन्न नए ऋणदाताओं को अनुमति देता है।
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इस परिपत्र में विशेषरूप से लघु अवधि के लिए उधार लेने के लिए अनुमति दी जाने वाले उधारकर्ताओं को छोड़कर, सभी ईसीबीज के लिए न्यूनतम औसत परिपक्वता अवधि (एमएएमपी) वर्तमान में एमएएमपी के विभिन्न 3 वर्ष रखी गई है, चाहे उधार की राशि कितनी भी हो।
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अब सभी पात्र उधारकर्ता मौजूदा क्षेत्र-वार सीमाओं को विस्थापित करते हुए स्वचालित मार्ग के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष 750 मिलियन अमेरिकी डॉलर या इसके समकक्ष राशि तक ईसीबी जुटा सकते हैं।
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ईसीबी ढांचे के अंतर्गत निर्धारित रिपोर्टिंग में देरी के लिए विलंब प्रस्तुति शुल्क शुरू किया गया है जिससे कि इन उल्लंघनों को कंपाउंड करने की आवश्यकता समाप्त की जा सके।
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1673
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