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भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (संशोधन) निदेश, 2025

आरबीआई/2025-26/51
विवि.एएमएल.आरईसी.30/14.01.001/2025-26

12 जून 2025

भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (संशोधन)
निदेश, 2025

रिज़र्व बैंक ने पीएमएल अधिनियम, 2002 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के प्रावधानों के अनुपालन में भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (जिसे आगे मास्टर निदेश कहा जाएगा) जारी किए थे। उपभोक्ता संरक्षण और सेवा में वृद्धि करने के लिए इसमें और अधिक संशोधन करने की आवश्यकता है।

2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित अधिनियम की धारा 35ए, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45के और 45एल, संदाय और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 18 के साथ पठित धारा 10(2), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 11(1), धन शोधन निवारण (रिकॉर्ड रखरखाव) नियम, 2005 के नियम 9(14) और इस संबंध में रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाने वाली अन्य सभी विधियों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होकर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, इसके बाद विनिर्दिष्ट संशोधन निदेश जारी करता है।

3. (i) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) (संशोधन) निदेश, 2025 कहा जाएगा।

(ii) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

4. ये संशोधन निदेश, भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 को निम्नानुसार संशोधित करते हैं:

(i) मास्टर निदेश के पैरा 38 में, पैरा 38(ए) से पहले एक नया खंड सम्मिलित किया जाएगा, जो इसप्रकार है:

“उपर्युक्त प्रावधानों के बावजूद, किसी ऐसे वैयक्तिक ग्राहक के संबंध में, जिसे कम जोखिम श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है, विनियमित संस्था उसे सभी लेन-देन करने की अनुमति देगी तथा केवाईसी के लिए नियत तिथि से एक वर्ष के भीतर अथवा दिनांक 30 जून 2026 तक, जो भी बाद में हो, केवाईसी अद्यतन सुनिश्चित करेगी। विनियमित संस्था ऐसे ग्राहकों के खातों की नियमित निगरानी करेगी। यह कम जोखिम वाले वैयक्तिक ग्राहकों जिनका केवाईसी आवधिक अद्यतनीकरण पहले ही बकाया हो चुका है, पर भी लागू होगा।”

(ii) पैरा 38(ए)(ii) के पश्चात्, निम्नलिखित पैरा 38(ए)(iiए) जोड़ा जाएगा, जो इसप्रकार है:-

“38(ए)(iiए) केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन के लिए बैंकों द्वारा कारोबार प्रतिनिधि(बीसी) का उपयोग

केवाईसी जानकारी में कोई परिवर्तन न होने अथवा केवल पते के विवरण में परिवर्तन होने पर ग्राहक से स्व-घोषणा, बैंक के अधिकृत बीसी के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। बैंक इन स्व-घोषणाओं और उनके सहायक दस्तावेजों को बैंक के सिस्टम में इलेक्ट्रॉनिक रूप में रिकॉर्ड करने के लिए अपने बीसी सिस्टम को समर्थ बनाएगा।

बैंक, सफल बायोमेट्रिक आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण के बाद, ग्राहक से इलेक्ट्रॉनिक मोड में, बीसी के माध्यम से सहायक दस्तावेजों सहित, यदि आवश्यक हो तो, स्व-घोषणा प्राप्त करेगे। जब तक इलेक्ट्रॉनिक मोड में विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जाता, तब तक ग्राहक द्वारा ऐसी घोषणा भौतिक रूप में प्रस्तुत की जा सकती है। बीसी, ग्राहक द्वारा वैयक्तिक रूप से प्रस्तुत किए गए स्व-घोषणा और सहायक दस्तावेजों को प्रमाणित करेगा, तथा उन्हें तुरंत संबंधित बैंक शाखा को अग्रेषित करेगा। बीसी ग्राहक को ऐसी घोषणा/दस्तावेजों की प्रस्तुति की प्राप्ति की पावती प्रदान करेगा।

बैंक ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड को अद्यतन करेगा तथा सिस्टम में रिकॉर्ड अद्यतन हो जाने पर ग्राहक को सूचित करेगा, जैसा कि उक्त मास्टर निदेश के पैरा 38(सी) के अंतर्गत अपेक्षित है। तथापि, पुनः स्पष्ट किया जाता है कि केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण की मुख्य जिम्मेदारी संबंधित बैंक की ही होगी।”

(iii) पैरा 38(डी) के बाद निम्नलिखित पैरा 38(ई) सम्मिलित किया जाएगा, अर्थात: -

“38(ई) केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण हेतु देय नोटिस

आरई को अपने ग्राहकों को उनके केवाईसी को अद्यतन करने के लिए अग्रिम रूप से सूचित करना होगा। केवाईसी के आवधिक अद्यतन की नियत तिथि से पहले, केवाईसी के आवधिक अद्यतनीकरण की अपेक्षा के अनुपालन के लिए आरई को अपने ग्राहकों को उपलब्ध संचार विकल्पों/चैनलों के माध्यम से उचित अंतराल पर कम से कम तीन अग्रिम सूचनाएं देनी होंगी, जिनमें कम से कम एक सूचना पत्र द्वारा दी जाएगी। नियत तिथि के बाद, आरई उचित अंतराल पर ऐसे ग्राहक जिन्होंने अग्रिम सूचना के बावजूद अभी तक आवश्यकताओं का अनुपालन नहीं किया है उन्हें कम से कम तीन अनुस्मारक दे, इनमें कम से कम एक अनुस्मारक पत्र द्वारा भी दिया जाए। सूचना/अनुस्मारक पत्र में, अन्य बातों के साथ-साथ, केवाईसी अद्यतन करने के लिए आसानी से समझ आने वाले अनुदेश, यदि आवश्यक हो तो सहायता प्राप्त करने के लिए वर्धन तंत्र, तथा समय पर केवाईसी को अद्यतन न करने पर होने वाले परिणाम, यदि कोई हों, को शामिल किया जाए। इस प्रकार की अग्रिम सूचना/अनुस्मारक जारी करने की प्रक्रिया को, प्रत्येक ग्राहक के लिए लेखापरीक्षा ट्रेल हेतु आरई की प्रणाली में विधिवत रूप से दर्ज की जाए। आरई द्वारा इसे शीघ्रता से अपितु, दिनांक 01 जनवरी 2026 से पूर्व क्रियान्वित किया जाए।

(उषा जानकीरामन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


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