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अधिसूचनाएं

स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वी.आर.आर.) के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा ऋणों में निवेश

आरबीआइ/2018-19/135
ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं. 21

01 मार्च 2019

प्रति

सभी प्राधिकृत व्‍यक्ति

महोदया / महोदय

स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वी.आर.आर.) के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा ऋणों में निवेश

प्रधिकृत डीलर श्रेणी – I (एडी श्रेणी – I) बैंकों का ध्‍यान समय-समय पर यथासंशोधित निम्‍नलिखित विनियमों और इन विनियमों के तहत जारी संगत निदेशों की तरफ दिलाया जाता है।

  1. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (अनुमेय पूंजी खाता लेनदेन) विनियम, 2000 अधिसूचना सं. फेमा 1/2000-आरबी दिनांक 3 मई 2000 के माध्‍यम से अधिसूचित;

  2. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (उधार लेना और ऋण देना) विनियम, 2018 अधिसूचना सं. फेमा 3(आर)/2018-आरबी दिनांक 17 दिसम्‍बर 2018 के माध्‍यम से अधिसूचित;

  3. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर रहने वाले व्‍यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियम, 2017 अधिसूचना सं. फेमा.20(R)/2017-आरबी दिनांक 7 नवम्‍बर 2017; के माध्‍यम से अधिसूचित; और

  4. विदेशी मुद्रा प्रबंधन (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियम, 2000 अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी – 2000 दिनांक 03 मई 2000 के माध्‍यम से अधिसूचित।

2. इस बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 5 अक्‍तूबर 2018 को जारी ‘स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा निवेशों से संबंधित विचार-विमर्श पेपर की तरफ भी ध्‍यान दिलाया जाता है। प्राप्‍त टिप्‍पणियों और व‍िचारों को ध्‍यान में लेते हुए वीआरआर योजना को अंतिम रूप दिया गया और इसके साथ अनुलग्‍नक के रूप में संलग्‍न किया गया है।

3. विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का अधिनियम 42) के तहत बनाए गए विनियमों में समुचित संशोधन किए गए हैं ताकि एफपीआई इस स्‍कीम के तहत अपने निवेशों से संबद्ध ब्‍याज दर जोखिम और विनिमय दर जोखिमों से बचाव करने के लिए वीआरआर स्‍कीम में सहभागिता करने के लिए और रेपो/रिवर्स रेपो लेनदेन के लिए अपनी चलनिधि अपेक्षाओं को पूरा कर सकें। शासकीय राजपत्र में अधिसूचित निम्‍नलिखित संशोधनों की प्रतिलिपि संलग्‍न है।

  1. अधिसूचना सं. फेमा 390/2019-आरबी दिनांक फरवरी 26, 2019 (जीएसआर सं. 161 (ई) दिनांक फरवरी 27, 2019);

  2. अधिसूचना सं. फेमा 391/2019-आरबी दिनांक फरवरी 26, 2019 (जीएसआर सं. 162 (ई) दिनांक फरवरी 27, 2019);

  3. अधिसूचना सं.फेमा 3 (आर)1/2019-आरबी दिनांक फरवरी 26, 2019 (जीएसआर सं. 163 (ई) दिनांक फरवरी 27, 2019); और

  4. अधिसूचना सं. फेमा 20 (R)5/2019-आरबी दिनांक फरवरी 26, 2019 (जीएसआर सं. 164 (ई) दिनांक फरवरी 27, 2019)

4. इसी बारे में आपका ध्‍यान स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग के तहहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा विनिमय दर जोखिम से बचाव के बारे में आज ही जारी (1 मार्च 2019) ए.पी. (डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं. 22 दिनांक 01 मार्च 2019 की तरफ भी ध्‍यान आकर्षित किया जाता है।

5. ये निदेश तत्‍काल प्रभाव से लागू होंगे।

6. इस परिपत्र में निहित निदेशों को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के तहत जारी किया गया है और इस बारे में किसी अन्‍य कानून के तहत यदि कोई अनुमति/अनुमोदन लिया जाना अपेक्षित है, तो इससे कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है।

भवदीय

(टी. रबी शंकर)
मुख्‍य महाप्रबंधक


अनुलग्‍नक

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) निवेशों के लिए स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर)

परिचय

भारतीय रिज़र्व बैंक ने भारत सरकार और प्रतिभूति और एक्‍सचेंज बोर्ड (सेबी) के साथ परामर्श करते हुए एक अलग चैनल आरंभ किया है जिसे ‘स्‍वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) कहा गया है, ताकि एफपीआई भारत में ऋण बाजारों में निवेश करने में सक्षम हो सकें। मोटे तौर पर इस मार्ग से किए गए निवेश ऋण बाजारों में एफपीआई निवेशों के लिए अनुमेय अन्‍य विनियामक मानदंडों और व्‍यष्टि विवेकशीलता से मुक्‍त रहेंगे, बशर्ते एफपीआई स्‍वैच्छिक रूप से यह वचन दें कि वे भारत में अपने निवशों का अपेक्षित न्‍यूनतम प्रतिशत एक अवधि के लिए प्रतिधारित करें। इस मार्ग के माध्‍यम से सहभागिता पूरी तरह से स्‍वैच्‍छिक है। इस मार्ग के लक्षणों को विस्‍तार से आगे स्‍पष्‍ट किया गया है।

2. परिभाषाएं

  1. किसी एफपीआई के लिए ‘प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो साइज’ (सीपीएस), का आशय होगा उस एफपीआई को आबंटित रकम।

  2. इन तीनों वर्गों अर्थात केन्‍द्र सरकार प्रतिभूतियां, राज्‍य विकास ऋण अथवा कार्पोरेट ऋण लिखत में से किसी भी एक के लिए ‘सामान्‍य निवेश सीमा’ का आशय होगा समय-समय पर यथासंशोधित ए.पी.(डीआईआर शृंखला) परिपत्र सं. 22 दिनांक 6 अप्रैल 2018 के अनुसार इन वर्गों के तहत मध्‍यम अवधि फ्रेमवर्क के लिए घोषित एफपीआई निवेश सीमाएं।

  3. ‘माइनर उल्‍लंघन’ का आशय होगा कि ऐसे उल्‍लंघन जो कस्‍टोडियनों के सम्‍मत अभिमत से अस्‍थायी प्रकृति के हैं अथवा जो एफपीआई के नियंत्रण से परे कारणों की वजह से हों, और ऐसे सभी मामलों में पकड़े जाने पर इन्‍हें ठीक कर दिया जाए।

  4. ‘संबद्ध एफपीआई’ का आशय होगा निवेशक समूह जैसा कि सेबी (विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक) विनियम, 2014 की धारा 23(3) में परिभाषित है।

  5. ‘रेपो’ का आशय वही रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनयम, 1934 की धारा 45 यू(सी) में परिभाषित है; और इस विनियम के प्रयोजन से इनमें वे रेपो शामिल नहीं हैं जो चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्‍थायी सुविधा के तहत किए जाते हैं।

  6. ‘प्रतिधारण अवधि’ का आशय होगा वह समय अवधि जिसके लिए किसी एफपीआई ने स्‍वेच्‍छा से भारत में सीपीएस को बनाए रखने का वचन देते हैं।

  7. ‘रिवर्स रेपो’ का वही आशय रहेगा जो भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनयम, 1934 की धारा 45यू(डी) में परिभाषित है; और इस विनियम के प्रयोजन से वे रिवर्स रेपो शामिल नहीं हैं जो चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्‍थायी सुविधा के तहत किए जाते हैं।

  8. ‘वीआरआर-कार्प’ का आशय होगा कार्पोरेट ऋण लिखतों में एफपीआई निवेश के लिए स्‍वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग।

  9. ‘वीआरआर-सरकार’ का आशय होगा सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश के लिए स्‍वैच्छिक प्रतिधारणा मार्ग।

3. पात्र निवेशक

सेबी में पंजीकृत कोई भी निवेशक इस मार्ग से सहभागिता का पात्र है। इस मार्ग से सहभागिता स्‍वैच्छिक रहेगी।

4. पात्र लिखतें

  1. वीआरआर-सरकार के तहत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक किसी भी सरकारी प्रतिभूति अर्थात, केन्‍द्र सरकार दिनांकित प्रतिभूतियां (जी-सेक), खजाना बिल (टी-बिल) के साथ-साथ राज्‍य विकास ऋण (एसडीएल), में निवेश करने के पात्र होंगे. वीआरआर-कार्प के तहत, एफपीआई किसी भी लिखत मे निवेश कर सकेंगे जिनकी सूचीबद्धता अधिसूचना सं. फेमा. 20(आर)/2017-आरबी दिनांक 7 नवम्‍बर 2017 के माध्‍यम से अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत से बाहर के निवासी व्‍यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियम, 2017 की अनुसूची 5 में किया गया है, ये लिखतें इसी अनुसूची में पैरा 1ए(ए) और 1ए(डी) के अलावा हैं।

  2. रेपो लेनदेन और रिवर्स रेपो लेनदेन।

5. फीचर

a. इस मार्ग से किए गए निवेश सामाय निवेश सीमा के अलावा होंगे। इस मार्ग के तहत किए जाने वाले निवेश की उच्‍चतम सीमा वीआरआर-सरकार के लिए रु.40,000 करोड़ और वीआरआर-कार्प के लिए रु.35,000 करोड़ रुपये वार्षिक अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्णीत उच्‍च सीमा रहेगी। निवेश की सीमा एक अथवा अधिक ट्रेन्‍चों में विमोचित की जाएगी।

b. इस मार्ग के तहत एफपीआई के लिए निवेश राशि का आबंटन ऑन-टैप अथवा नीलामी के माध्‍यम से किया जाएगा। नीलामी व्‍यवस्‍था का विवरण परिशिष्‍ट में दिया गया है।

c. वीआरआर-सरकार और एफपीआई श्रेणियों के लिए आबंटन देने का माध्‍यम और न्‍यूनतम प्रतिधारणा अवधि की घोषणा आबंटन से पहले ही भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा कर दी जाएगी।

d. प्रस्‍तावित रकम के लिए 100 प्रतिशत से अधिक की मांग होने की स्थिति में टैप अथवा नीलामी द्वारा प्रस्‍तावित प्रत्‍येक आबंटन की रकम के 50 प्रतिशत से अधिक की सीमा का निवेश किसी भी एफपीआई (इसके संबद्ध एफपीआई सहित) को आबंटित नहीं किया जाएगा।

e. न्‍यूनतम प्रतिधारण अवधि तीन साल रहेगी अथवा टैप या नीलामी द्वारा प्रत्‍येक आबंटन के लिए जैसा भी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्णय लिया जाए।

f. आबंटित रकम का निवेश एफपीआई करेंगे, इसे संबंधित ऋण लिखत में प्रतिबद्ध पोर्टफोलियो साइज (सीपीएस) कहा जाएगा और स्‍वैच्छिक प्रतिधारण अवधि के दौरान यह निम्‍नलिखित रियायतों के साथ हमेशा निवेशित ही रहेगा :

    1. प्रतिधारण अवधि के दौरान किसी भी एफपीआई का न्‍यूनतम निवेश सीपीएस का 75% रहेगा (निवेश को सीपीएस के 75%-100% के बीच रखने की लोचशीलता का अभिप्राय यही है कि एफपीआई आपने पोर्टफोलियो साइज को अपने निवेश निदर्शन के अनुसार रख सकें)।

    2. अपेक्षित निवेश रकम का अनुपालन दिवस-समापन आधार पर किया जाएगा। इस प्रयोजन के लिए इस मार्ग हेतु रुपया खाते में नकदी धारिता को निवेश में शामिल किया जाएगा।

g. निवेश की रकम का आकलन प्रतिभूतियों के अंकित मूल्‍य के अनुसार किया जाएगा।

6. पोर्टफोलियो प्रबंधन

  1. सफल आबंटियों से अपेक्षित है कि वे अपने सीपीएस के 25 प्रतिशत का निवेश एक माह के भीतर करें और आबंटन की तारख से तीन माह के भीतर शेष रकम का करें। सीमा के आबंटन की तारीख से प्रतिधारण अवधि आरंभ हो जाएगी।

  2. प्रतिबद्ध प्रतिधारण अवधि समाप्‍त होने से पहले यदि कोई एफपीआई चाहे तो इसी मार्ग के तहत निवशों को इतनी ही अतिरिक्‍त प्रतिधारण अवधि हेतु जारी रखने का विकल्प चुन सकता है।

  3. यदि कोई एफपीआई प्रतिधारण अवधि के अंत में वीआरआर के तहत निवेश को नहीं रखने का निर्णय लेता है, तो वह एफपीआई अपने पोर्टफोलियो को नकदीकृत करके बाहर हो सकता है, या अपने निवेश को ‘सामान्‍य निवेश सीमा’ में शिफ्ट कर सकता है। यह शिफ्टिंग ‘सामान्‍य निवेश सीमा’ के तहत सीमा की उपलब्‍धता के अनुसार रहेगी।

  4. यदि कोई एफपीआई इस मार्ग के तहत किए गए निवेश को प्रतिधारण अवधि के समापन के पहले ही नकदीकृत करना चाहता है तो वह अपने निवेशों को दूसरे एफपीआई या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को कर सकता है। हालांकि ऐसे निवेश का क्रय करने वाले एफपीआई (या विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों) पर वही शर्तें और निबंधन लागू होंगे जो इस मार्ग तहत विक्रेता एफपीआई के लिए अनुमेय हैं।

  5. एफपीआई द्वारा किए गए किसी भी उल्‍लंघन पर सेबी द्वारा निर्धारित विनियामक कार्रवाई की जाएगी। एफपीआई को अनुमति है कि कस्‍टोडियन के अनुमोदन से गौण उल्‍लंघनों को ध्‍यान में आते ही ठीक करें और हर हाल में ऐसा उल्‍लंघन होने के पांच कार्य दिवस के भीतर। कस्‍टोडियनों द्वारा उन सभी अगौण के साथ-साथ गौण उल्‍लंघनों की रिपोर्ट की जाएगी जिन्‍हें सेबी ने नियमित नहीं कर दिया है।

7. अन्‍य रियायतें

  1. इस मार्ग के माध्‍यम से किए जाने वाले निवेशों पर ऐसी कोई न्‍यूनतम अवशिष्‍ट परिपक्‍वता अपेक्षा, संकेन्‍द्रण सीमा या एकल/समूह निवेशक अनुसार सीमा नहीं लागू होगी, जो कि 15 जून 2018 को जारी ए.पी. (डीआइआर शृंखला) परिपत्र सं. 31 के पैराग्राफ 4(बी), (ई) और (एफ) में विनिर्दिष्‍ट हैं।

  2. इस मार्ग से किए गए निवेशों से होने वाली आय को एफपीआई के विवेकानुसार फिर से निवेश किया जा सकता है। ऐसे निवेशों के लिए सीपीएस से अधिक की भी अनुमति रहेगी।

8. अन्‍य सुविधाओं तक पहुंच

  1. इस मार्ग के माध्‍यम से निवेश करने वाली एफपीआई अपने-अपने नकदी प्रबंधन के लिए रेपो में सहभागिता के पात्र होंगे, बशर्ते रेपो के तहत उधार ली गई अथवा उधार दी गई रकम उनके द्वारा वीआरआर के तहत कुल निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं हो।

  2. इस मार्ग के तहत निवेश करने वाले एफपीआई अपने ब्‍याज दर जोखिम या मुद्रा जोखिम का प्रबंध करने के लिए किसी भी मुद्रा या ब्‍याज दर डेरिवेटिव लिखत, ओटीसी या एक्सचेंज ट्रेडेड, में सहभागिता के पात्र होंगे।

9. अन्‍य परिचालनग पहलू

  1. सीमाओं का प्रयोग और इस मार्ग की अन्‍य अपेक्षाओं के अनुपालन का दायित्‍व एफपीआई और उसके कस्‍टोडियन दोनों ही पर रहेगा।

  2. कस्‍टोडियन किसी भी एफपीआई को अपने नकदी खाते से कोई भी विप्रेषण करने की अनुमति नहीं देगा, यदि ऐसे संव्‍यवहार से एफपीआई की आस्तियां प्रतिधारण अवधि के दौरान सीपीएस के 75 प्रतिशत के न्‍यूनतम निर्धारित स्‍तर से नीचे जा रहे हों।

  3. कस्‍टोडियनों को एफपीआई के साथ समुचित विधिक प्रलेखन करना होगा जो उन्‍हें (कस्‍टोडियनों को) यह सुनिश्चित करने के लिए सक्षम करे कि वीआरआर के तहत विनियमों का अनुपालन किया जाता है।

  4. इस मार्ग के माध्‍यम से निवेश करने हेतु एफपीआई अलग से एक या अधिक विशेष अनिवासी रुपया (एसएनआरआर) खाता खोलेंगे। इस मार्ग के माध्‍यम से निवेश के लिए सभी निधियों के प्रवाह इन खातों में दिखाने होंगे।

  5. एफपीआई इस मार्ग के तहत ऋण प्रतिभूतियों की धारिता हेतु अलग से प्रतिभूति खाता भी खोलेंगे।


परिशिष्‍ट

वीआरआर के तहत निवेश रकम के आबंटन हेतु नीलामी प्रक्रिया

वीआरआर के तहत निवेश रकम के आबंटन हेतु नीलामी प्रक्रिया निम्‍नानुसार रहेगी :

a. कोई भी एफपीआई दो संपरिवर्तनों सहित नीलामी बोली लगाएगा – वह रकम जो निवेश के लिए प्रस्‍तावित है और उस निवेश की प्रतिधारण अवधि, जो कि उस नीलामी के लिए न्‍यूनतम प्रतिधारण अवधि से कम नहीं रहेगी।

b. एफपीआई को एकाधिक नीलामी बोलियां लगाने की अनुमति है।

c. प्रत्‍येक नीलामी के तहत आबंटन हेतु मानदंड उस नीलामी में प्रतिधारण अवधि रहेगी।

d. नीलामी बोलियों को प्रतिधारण अवधि के अवरोही क्रम में स्‍वीकार किया जाएगा, उच्‍चतम सबसे पहले, जब तक कि स्‍वीकार की गई नीलामी बोलियों की रकम नीलामी की कुल रकम के बराबर नहीं हो जाए।

e. मार्जिन पर नीलामी बोली की रकम यदि आबंटन के लिए उपलब्‍ध रकम से अधिक है तो मार्जिन पर किया जाने वाला आबंटन (अर्थात, स्‍वीकार की गई निम्‍नतम प्रतिधारण अवधि) निम्‍नानुसार रहेगी :

  1. मार्जिनल नीलामी बोलियों को आंशिक तौर पर ही स्‍वीकार किया जाएगा जिससे कि कुल स्‍वीकार्यता की रकम नीलामी रकम के अनुसार ही रहे।

  2. यदि एक से अधिक मार्जिनल नीलामी बोलियां हैं तो अधिकतम रकम वाली नीलामी बोली को आबंटन किया जाएगा और इसके बाद अवरोही क्रम में जब तक कि स्‍वीकार्यता रकम नीलामी की रकम के तुल्‍य नहीं हो जाए।

  3. यदि दो या अधिक मार्जिनल नीलामी बोलियों के लिए प्रस्‍तावित रकम समसमान है जो रकम का आबंटन समान रूप से किया जाएगा।

f. यदि किसी एफपीआई को एक नीलामी में एकाधिक नीलामी बोलियां आबंटित कर दी गई हैं तो प्रत्‍येक नीलामी बोली के लिए अलग-अलग सीपीएस का आकलन किया जाएगा।

g. यदि नीलामी में किसी एफपीआई को सीपीएस आबंटित हो गई तो तो वह परावर्ती नीलामियों में भी सहभागिता का पात्र होगा।


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