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अधिसूचनाएं

आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों की स्थापना (आईबीयू) (21 जनवरी 2020 को यथा संशोधित)

आरबीआई/2014-15/533
बैविवि.आईबीडी.बीसी.14570/23.13.004/2014-15

1 अप्रैल 2015
(21 जनवरी 2020 को यथा संशोधित)
(23 दिसंबर 2019 को यथासंशोधित)

सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय/महोदया,

आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों की स्थापना (आईबीयू)

कृपया फेमा, 1999 के तहत विदेशी मुद्रा प्रबंधन (अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) विनियमन, 2015 पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा 339/2015- आरबी (प्रति संलग्न) देखें, जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय संस्थाओं की स्थापना के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन जारी किए गए हैं। इन विनियमनों को भारत सरकार के सरकारी राजपत्र 23 मार्च 2015 को दिनांक 02 मार्च 2015 की अधिसूचना संख्या जी.एस.आर. 218 (ई) द्वारा प्रकाशित किया गया है ।

2. उपर्युक्त अधिसूचना के आधार पर, भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंकों द्वारा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) की स्थापना करने संबंधी एक योजना तैयार की है। भारतीय बैंकों और भारत में पहले से कार्यरत विदेशी बैंकों के लिए इस योजना का व्यापक खाका क्रमश: अनुबंध I तथा अनुबंध II में दिया गया है । आपको यह जानकारी होगी कि भारत सरकार द्वारा गुजरात इंटरनेशनल फाईनैंस टेक-सिटी (जीआईएफटी), गांधीनगर, गुजरात के नाम से गुजरात में एक आईएफएससी की स्थापना किए जाने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है । इस परिपत्र में दिए गए दिशानिर्देश जीआईएफटी में स्थापित की जाने वाली आईबीयू के साथ ही भारत में स्थापित होने वाली अन्य आईएफएससी पर भी लागू होंगे।

3. पात्रता रखने वाले बैंक जो आईबीयू स्थापित करना चाहते हैं, उनको बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के अंतर्गत अपने आवेदन के साथ इस विभाग से संपर्क करना होगा ।

भवदीय

(सौरभ सिन्हा)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध - I

भारतीय बैंकों द्वारा आईएफएससी बैंकिंग इकाइयां (आईबीयू) स्थापित करने की योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा फेमा के तहत 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा 339/2015-आरबी जारी की गई है जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय संस्थाओं की स्थापना के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन जारी किए गए हैं। भारतीय बैंकों द्वारा आईएफएससी में स्थापित आईबीयू के लिए लागू विनियामक और पर्यवेक्षी फ्रेमवर्क का विस्तृत ब्यौरा नीचे दिया जा रहा है -

2. योजना

2.1 पात्रता मानदंड

भारतीय बैंक यथा, सरकारी क्षेत्र के बैंक तथा निजी क्षेत्र के बैंक जो विदेशी मुद्रा में कारोबार के लिए अधिकृत हैं, को आईबीयू की स्थापना हेतु पात्र माना जाएगा। पात्रता रखने वाले प्रत्येक बैंक को एक आईएफएससी में केवल एक ही आईबीयू स्थापित करने की अनुमति होगी।

2.2 लाइसेंसिंग

पात्रता रखने वाले बैंक जो आईबीयू स्थापित करना चाहते हैं, उनको बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) की धारा 23 (1)(क) के तहत आइबीयू की स्थापना के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी। अधिकांश विनियामक प्रयोजनों के लिए, आईबीयू को भारतीय बैंक की एक विदेशी शाखा के समकक्ष माना जाएगा।

2.3 पूंजी

आईबीयू अपने परिचालन शुरू कर सकें, इस बात को ध्यान में रखते हुए मूल बैंक से अपेक्षित होगा कि वह आईबीयू को न्यूनतम पूंजी के रूप में 20 मिलियन यूएस डालर अथवा इसकी समतुल्य राशि किसी अन्य विदेशी मुद्रा में उपलब्ध कराए, जिसे हर समय बनाए रखना होगा। तथापि निर्धारित न्यूनतम विनियामक पूंजी, आईबीयू के एक्सपोजर सहित, मूल बैंक के स्तर पर निरंतर बनाए रखनी होगी।

2.4 रिजर्व अपेक्षाएँ

आईबीयू की देयताओं को भारतीय रिजर्व बैंक की सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाओं से मुक्त रखा गया है ।

2.5 संसाधन और परिनियोजन

2.5.1 निधियां जुटाने के स्रोत, जिनमें विदेशी मुद्रा में उधार लेना भी शामिल है, भारत में अनिवासी व्यक्ति और भारतीय बैंकों की विदेश स्थित शाखाएँ होंगी।

2.5.2 निधियों का परिनियोजन भारत के अनिवासी व्यक्तियों तथा भारत के निवासी व्यक्तियों दोनों के लिए किया जा सकेगा। तथापि, भारत के निवासी व्यक्तियों के साथ निधियों का परिनियोजन फेमा, 1999 के प्रावधानों के अधीन होगा।

2.6 आईबीयू के लिए अनुमत गतिविधियां

आईबीयू को बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 6 (1) में दिए गए अनुसार विभिन्न कारोबार, जो नीचे दिए गए हैं, करने की अनुमति होगी बशर्ते, उनको जारी किए गए लाईसेंस की अपेक्षाओं, यदि कोई हो, का वे पालन करते हों:

i. आईबीयू व्यक्तियों, खुदरा ग्राहकों / उच्च मालियत वाले निवेशकों सहित, जैसा कि उपर्युक्त पैरा 2.5.1 और 2.5.2 में बताया गया है, के अलावा निवासी (निधियों के परिनियोजन के लिए) और अनिवासी (संसाधन जुटाने और निधियों के परिनियोजन दोनों के लिए) संस्थाओं के साथ लेनदेन कर सकती हैं।

ii. आईबीयू के सभी लेनदेन भारतीय रुपये के अलावा किसी अन्य मुद्रा में होंगे ।

iii. आईबीयू भारतीय कंपनियों की विदेशों में पंजीकृत पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों/ संयुक्त उद्यमों के साथ कारोबार कर सकती हैं ।

iv. आरबीआई बैंकों से अल्पकालिक देयताएँ जुटाने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं करेगा। तथापि आईबीयू को भारतीय बैंकों पर स्टैंड अलोन आधार पर लागू एलसीआर बनाए रखना होगा और आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी चलनिधि जोखिम प्रबंध दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। आईबीयू पर एनएसएफ़आर भी लागू होगा, जब और जैसे इसे भारतीय बैंकों के लिए लागू किया जाएगा।

v. आईबीयू को बचत खाता खोलने की अनुमति नहीं होगी। वे आईएफ़एससी में परिचालित इकाइयों और अनिवासी संस्थागत निवेशकों के निवेश लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए उनका विदेशी मुद्रा चालू खाता खोल सकते हैं। वे अपने कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के विदेशी मुद्रा चालू खाते भी (एस्क्रो खातों सहित) फेमा 1999 के प्रावधानों और उसके अंतर्गत जारी विनियमों, जहां भी उपर्युक्त पैरा 2.5 के प्रावधानों के साथ-साथ लागू हों, के अधीन खोल सकते हैं। तथापि आईबीयू खुदरा ग्राहको, जिसमें उच्च निवल मालियत वाले व्यक्ति(एचएनआई) शामिल हैं, से कोई देयता नहीं जुटा सकते। साथ ही आईबीयू में चालू खाता धारकों के लिए चेक सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। इन खातों से सभी लेनदेन बैंक अंतरण के माध्यम से किए जाने होंगे।

vi. आईबीयू को निर्यात प्राप्तियों की फैक्टरिंग/ फारफेटिंग की अनुमति होगी।

vii. अपने बोर्ड के पूर्वानुमोदन के साथ, आईबीयू को उन सभी प्रकार के डेरिवेटिव तथा संरचित उत्पादों में कारोबार करने की अनुमति होगी जिसके लिए आरबीआई के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार भारत में परिचालित बैंकों को अनुमति दी गई है। तथापि, आईबीयू को कोई अन्य डेरिवेटिव उत्पाद बेचने के लिए आरबीआई का पूर्वानुमोदन लेना होगा। आरबीआई का पूर्वानुमोदन लेने से पहले, बैंक यह सुनिश्चित करें कि उनके आईबीयू के पास बेचे जाने वाले उत्पादों/ किए जाने वाले लेनदेन के पूंजी प्रभार की कीमत लगाने, मूल्यांकन और गणना करने तथा उनका जोखिम प्रबंधन की क्षमता होनी चाहिए और उन्हें ऐसे लेनदेन के लिए अपने बोर्ड का अनुमोदन भी प्राप्त करना होगा। यह पैरा 2.6 (xiv) के प्रावधानों के अधीन है ।

viii. आईबीयू को जीडीआर / एडीआर निर्गमों के लिए अस्थायी रूप से सब्स्क्रिप्शन रखने के लिए, रसीद जारी होने तक भारतीय निवासी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एस्क्रो खाते खोलने की अनुमति है। जीडीआर/ एडीआर जारी होने के बाद, धनराशि तुरंत आईबीयू के बाहर ग्राहक के खाते में स्थानांतरित कर दी जानी चाहिए और इसे बैंक द्वारा दीर्घावधि जमा सहित किसी भी रूप में बनाए नहीं रखा जा सकता है।

ix. एफ़ईडी सीओ एपी डीआईआर परिपत्र सं.17, दिनांक 29 सितंबर 2015 में निहित अनुदेशों के अनुसार आईबीयू को विदेशी बाजार में भारतीय संस्थाओं द्वारा जारी किए गए रुपए में मूल्यांकित विदेशी बॉन्डों के हामीदार / व्यवस्थापक के रूप में कार्य करने की अनुमति है। तथापि, ऐसे मामलों में, जब IBU द्वारा हामीदारी किए गए निर्गम उस पर डिवॉल्व होते हैं, तो हामीदारी की गई धारिता को बेचने का प्रयास किया जाना चाहिए और निर्गम तिथि के 6 महीने बाद यह धारिता निर्गम के आकार के 5% से अधिक नहीं होना चाहिए।

x. उपर्युक्त पैरा 2.5 के अधीन, आईबीयू गैर-बैंक संस्थाओं से एक वर्ष से कम अवधि के विदेशी मुद्रा मीयादी जमा स्वीकार कर सकता है और किसी भी समयावधि प्रतिबंध के बिना मीयादी जमा को परिपक्वता से पहले चुका भी सकता है।''

xi. आईबीयू, उन ब्याज दर और मुद्रा डेरिवेटिव श्रेणी में ट्रेडिंग के लिए आईएफ़एससी में किसी एक्सचेंज का ट्रेडिंग सदस्य हो सकता है, जिन श्रेणियों में आरबीआई के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार भारत में परिचालित बैंकों को अनुमति दी गई है।

xii.आईबीयू किसी भी डेरिवेटिव श्रेणी में समाशोधन और निपटान के लिए आईएफ़एससी में एक्सचेंज का प्रोफेशनल क्लियरिंग सदस्य (पीसीएम) बन सकता है। यह निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:

क) आईबीयू का मूल बैंक ("बैंक") विवेकपूर्ण अपेक्षाओं को पूरा करेगा जैसा कि दिनांक 26 मई 2016 के मास्टर निदेश बैंविवि.एफ़एसडी.सं.101/24.01.041/2015-16 के पैरा 21 में दिया गया है।

ख) आईबीयू बैंक के बोर्ड की मंजूरी के साथ प्रभावी जोखिम नियंत्रण उपाय लागू करेगा और अपने प्रत्येक ट्रेडिंग ग्राहक के संबंध में उनके निवल मूल्य, कारोबार टर्नओवर आदि को ध्यान में रखते हुए जोखिम एक्सपोजर की विवेकपूर्ण सीमाएं तय करेगा।

ग) डेरिवेटिव श्रेणी के पीसीएम के रूप में आईबीयू अपने ग्राहकों द्वारा एक्सचेंज के ट्रेडिंग सदस्य के रूप में निष्पादित ट्रेड की गारंटी दे सकता है, बशर्ते कि बैंक द्वारा अपने पंजीकृत ग्राहकों पर लिया जाने वाला कुल एक्सपोजर, बैंक के बोर्ड द्वारा बैंक के निवल मूल्य को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए और इसकी नियमित रूप से निगरानी की जाती है। तथापि, आईबीयू को पीसीएम के रूप में भूमिका के लिए जितना आवश्यक है, उसके अतिरिक्त किसी भी लेन-देन की गारंटी नहीं देनी चाहिए।

घ) आईबीयू बैंक के बोर्ड द्वारा निर्धारित विभिन्न मार्जिन अपेक्षाओं और साथ ही कमोडिटी ब्रोकरों की ओर से जारी गारंटी के बारे में भारतीय रिजर्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

ङ) आईबीयू अन्य विनियामकीय निकायों द्वारा निर्धारित सभी शर्तों, यदि कोई हो, जो पीसीएम के रूप में उनकी भूमिका के लिए प्रासंगिक हों, का पालन करेंगे।

xiii. आईबीयू को आईएफ़एससी के स्टॉक ब्रोकिंग /कमोडिटी ब्रोकिंग संस्थाओं को बैंक गारंटी और अल्पावधि ऋण की सुविधा देने की अनुमति है, जो 1 जुलाई 2015 के ऋण और अग्रिम पर सांविधिक प्रतिबंध पर मास्टर परिपत्र के पैरा 2.3.1.2 में निहित निबंधन और शर्तों के अधीन है।

xiv. "आईबीयू को आईएफ़एससी में स्थापित स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध रुपया एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (विदेशी मुद्रा में निपटान के साथ) में भाग लेने की अनुमति है। बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके आईबीयू के पास पूंजी प्रभार की कीमत, मूल्य और गणना करने और उपलब्ध कराए जाने वाले उत्पादों / लेनदेन से जुड़े जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता है और उन्हें इस तरह के लेनदेन के लिए अपने बोर्ड की मंजूरी भी लेनी चाहिए। आईबीयू इन उत्पादों में भाग लेते समय इस परिपत्र में लागू और बताए गए जोखिम करने और और विवेकपूर्ण उपायों का पालन करेंगे । इसके अलावा, आईबीयू दिनांक 20 जनवरी, 2020 को "अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में रुपया डेरिवेटिव की शुरुआत" पर जारी एपी (डीआईआर शृंखला) परिपत्र संख्या. 17 से भी दिशानिर्देशित होंगे ।

2.7 विवेकपूर्ण विनियम

i. भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं पर लागू होने वाले सभी विवेकपूर्ण मानदण्ड आईबीयू पर लागू होंगे। खास तौर पर, इन इकाइयों को भारतीय बैंकों पर लागू आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण के लिए 90 दिनों के भुगतान के चूक संबंधी मानक का पालन करना होगा। बैंक का बोर्ड भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित विनियामक नीतियों के अनुरूप अपने आईबीयू के लिए उचित क्रेडिट जोखिम प्रबंधन नीति तथा जोखिम सीमा निर्धारित कर सकता है।

ii. आईबीयू को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भारतीय बैँकों की विदेशी शाखाओं के लिए निर्धारित चलनिधि और ब्याज दर जोखिम प्रबंधन नीतियों को अपनाना होगा तथा बैंक के समग्र जोखिम प्रबंधन तथा एएमएल फ्रेमवर्क के दायरे में कार्य करना होगा और यह नियत अंतराल पर बोर्ड की निगरानी के अधीन होगा।

iii. बैंक के बोर्ड को ऐसी इकाइयों के लिए हरेक मुद्रा के लिए व्यापक एक दिवसीय सीमाओं का निर्धारण करना होगा, जो मूल बैंक के लिए खुली स्थिति (ओपन पोजीशन) सीमा से अलग होंगी।

iv. एक्सपोजर की उच्चतम सीमा
आईबीयू के लिए एक्सपोजर की उच्चतम सीमा एकल ऋणकर्ता के मामले में मूल बैंक की टियर 1 पूंजी का 5 प्रतिशत और ऋणकर्ता समूह के मामले में मूल बैंक की टियर 1 पूंजी का 10 प्रतिशत होगा।

2.8 धन-शोधन निवारण उपाय

आईबीयू को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए "अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी), आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) और अन्य धन-शोधन निवारण अनुदेशों का ध्यानपूर्वक पालन करना होगा, जिसमें इससे संबंधित आरबीआई/ भारत में अन्य एजेंसियों द्वारा निर्धारित रिपोर्टिंग भी शामिल है। आईबीयू को नकद लेनदेन करने की मनाही होगी।”

2.9 विनियमन और पर्यवेक्षण

आईबीयू का विनियमन तथा पर्यवेक्षण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किया जाएगा।

2.10 रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ

आईबीयू को उनके परिचालनों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित सूचनाएं प्रस्तुत करनी होंगी। ये आफ-साईट रिपोर्टिंग, आईबीयू के लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरण आदि के रूप में हो सकती हैं।

2.11 आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों की गतिविधियों की सीमारेखा

आईबीयू अपने परिचालन तथा तुलनपत्र केवल विदेशी मुद्रा में ही रखेंगी और इनको अपने प्रशासनिक और सांविधिक खर्च अदा करने के लिए केवल परिवर्तनीय निधि से विशेष रुपया खाता रखने की अनुमति को छोड़कर भारतीय रूपयों में लेनदेन करने की अनुमति नहीं होगी। इन इकाइयों के भारतीय रुपए में ऐसे परिचालन/लेनदेन प्राधिकृत डीलरों (आईबीयू से अलग) के माध्यम से किए जा सकेंगे, जो मौजूदा विदेशी मुद्रा विनियमनों के अधीन होंगे। आईबीयू को घरेलू मांग, नोटिस, सावधि, विदेशी मुद्रा, मुद्रा तथा अन्य देशी बाजारों और घरेलू भुगतान प्रणालियों में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।

आईबीयू को करेस्पोंडेंट बैंकों के पास अलग से नोस्ट्रो खाता खोलना होगा जो उसी बैंक की अन्य शाखाओं द्वारा खोले गए नोस्ट्रो खातों से अलग होगा।

दिनांक 02 मार्च 2015 की फेमा अधिसूचना सं.339 /2015-आरबी के अनुसार, आईएफ़एससी में स्थापित किसी वित्तीय संस्था या वित्तीय संस्था की शाखा जिसे भारत सरकार या किसी विनियामकीय प्राधिकरण द्वारा इस रूप में अनुमत प्राप्त / मान्यता प्राप्त हो, उसे भारत के बाहर निवासी व्यक्ति के रूप में माना जाएगा। साथ ही, दिनांक 01 अप्रैल 2016 फेमा अधिसूचना संख्या 5(आर) / 2016-आरबी (शिड्यूल 4) के तहत, भारत के बाहर निवास करने वाला कोई व्यक्ति, जिसका भारत में व्यावसायिक हित हो, रुपए में होने वाले प्रशासनिक खर्चों के लिए घरेलू क्षेत्र में किसी प्राधिकृत डीलर के पास विशेष गैर-निवासी रुपया खाता/ते (एसएनआरआरए) रख सकता है। तदनुसार कोई भी वित्तीय संस्था (दिनांक 02 मार्च 2015 की फेमा अधिसूचना संख्या 339/2015-आरबी के तहत यथा पारिभाषित) या किसी वित्तीय संस्था की शाखा जिसमें आईएफएससी में परिचालित और भारत सरकार या किसी विनियामकीय प्राधिकरण द्वारा इस रूप में अनुमति प्राप्त / मान्यता प्राप्त आईबीयू शामिल है रुपए में होने वाले अपने प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए घरेलू क्षेत्र में किसी बैंक (प्राधिकृत डीलर) के पास एसएनआरआरए रख सकते हैं। इन खातों में केवल अंतर्राष्ट्रीय विप्रेषण के लिए उपयुक्त किसी माध्यम द्वारा विदेशी मुद्रा विप्रेषण से निधि डाली जानी चाहिए, जो मौजूदा फेमा विनियमों के अधीन होगी। वित्तीय संस्था, ग्राहक के रूप में अपनी क्षमता में, एसएनआरआरए से फेमा विनियमों के तहत अनुमत भुगतान कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें एसएनआरआरए रखने वाले घरेलू बैंक को उपयुक्त अनुदेश देना होगा।

2.12 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधार

प्राथमिकताप्राप्‍त क्षेत्र उधार दायित्व की गणना करते समय आईबीयू के ऋण तथा अग्रिमों को मूल बैंक की निवल बैंक क्रेडिट के एक भाग के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा।

2.13 जमा बीमा

आईबीयू की जमाराशियां जमा बीमा कवर के लिए पात्र नहीं होंगी।

2.14 अंतिम आश्रय के रूप में ऋणदाता (एलओएलआर)

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से आईबीयू के लिए कोई चलनिधि सहायता तथा एलओएलआर सहायता उपलब्ध नहीं होगी।


अनुबंध – II

भारत में पहले से कार्यरत विदेशी बैंकों द्वारा आईएफएससी बैंकिंग इकाइयां (आईबीयू) स्थापित करने की योजना

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा फेमा के तहत 2 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. फेमा 339/2015-आरबी जारी की गई है जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में वित्तीय संस्थाओं की स्थापना के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियमन जारी किए गए हैं। विदेशी बैंकों द्वारा आईएफएससी बैंकिंग यूनिट (आईबीयू) के लिए लागू विनियामक और पर्यवेक्षी फ्रेमवर्क का विस्तृत ब्यौरा नीचे दिया जा रहा है -

2. योजना

2.1 पात्रता मानदंड

भारत में पहले से कार्यरत विदेशी बैंक ही आईबीयू स्थापित करने के पात्र होंगे। इसे भारत में सामान्य शाखा विस्तार योजना के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए और इसलिए आईबीयू की स्थापना के लिए अपने देश के विनियामक से विशिष्ट अनुमति लेनी होगी। पात्रता रखने वाले प्रत्येक बैंक को एक आईएफएससी में केवल एक ही आईबीयू स्थापित करने की अनुमति होगी।

2.2 लाइसेंसिंग

बैंकों को आईबीयू की स्थापना के लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (बी आर अधिनियम) की धारा 23 (1) (क) के तहत भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी। विदेशी बैंकों के आवेदनों पर विचार भारत में शाखाएं स्थापित करने संबंधी मौजूदा दिशानिर्देशों के आधार पर किया जाएगा, इसके अलावा आईएफएससी में बैंक की मौजूदगी के प्रति उनके देश के विनियामक/कों की विनियामक दृष्टि से स्वीकार्यता संबंधी लिखित स्वीकृति भी प्रस्तुत करनी होगी, जो नीचे दिए गए पैरा 2.3 तथा 2.14 में दिए गए प्रावधानों में दी गई अन्य बातों के अतिरिक्त होगा।

2.3 पूंजी

आईबीयू अपने परिचालन शुरू कर सकें, इस बात को ध्यान में रखते हुए मूल बैंक से अपेक्षित होगा कि वह आईबीयू को न्यूनतम पूंजी के रूप में 20 मिलियन यूएस डालर अथवा इसकी समतुल्य राशि किसी अन्य विदेशी मुद्रा में उपलब्ध कराए, जिसे हर समय बनाए रखना होगा। तथापि निर्धारित न्यूनतम विनियामक पूंजी, आईबीयू के एक्सपोजर सहित, मूल बैंक के स्तर पर निरंतर बनाए रखनी होगी जो मूल देश के विनियमनों के अनुसार होंगे और आईबीयू को मूल बैंक से लिया गया इस आशय का एक प्रमाणपत्र छमाही आधार पर आरबीआई (अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग, डीओआर, सीओ, आरबीआई) को प्रस्तुत करना होगा। मूल बैंक को इस आशय का एक आश्वासन पत्र भी प्रस्तुत करना होगा कि जरूरत पड़ने पर उसके द्वारा आईबीयू को पूंजी / चलनिधि सहायता के रूप में वित्तीय मदद प्रदान की जाएगी।

2.4 रिजर्व अपेक्षाएँ

आईबीयू की देयताओं को भारतीय रिजर्व बैंक की सीआरआर और एसएलआर अपेक्षाओं से मुक्त रखा गया है ।

2.5 संसाधन और परिनियोजन

2.5.1 निधियां जुटाने के स्रोत, जिनमें विदेशी मुद्रा में उधार लेना भी शामिल है, भारत में अनिवासी व्यक्ति और भारतीय बैंकों की विदेश स्थित शाखाएँ होंगी।

2.5.2 निधियों का परिनियोजन भारत के अनिवासी व्यक्तियों तथा भारत के निवासी व्यक्तियों दोनों के लिए किया जा सकेगा। तथापि, भारत के निवासी व्यक्तियों के साथ निधियों का परिनियोजन फेमा, 1999 के प्रावधानों के अधीन होगा।

2.6 आईबीयू के लिए अनुमत गतिविधियां

आईबीयू को बैंककारी विनियमन अधिनियम की धारा 6 (1) में दिए गए अनुसार विभिन्न कारोबार, जो नीचे दिए गए हैं, करने की अनुमति होगी बशर्ते, उनको जारी किए गए लाईसेंस की अपेक्षाओं, यदि कोई हो, का वे पालन करते हों:

i. आईबीयू व्यक्तियों, खुदरा ग्राहकों / उच्च मालियत वाले निवेशकों सहित, जैसा कि उपर्युक्त पैरा 2.5.1 और 2.5.2 में बताया गया है, के अलावा निवासी (निधियों के परिनियोजन के लिए) और अनिवासी (संसाधन जुटाने और निधियों के परिनियोजन दोनों के लिए) संस्थाओं के साथ लेनदेन कर सकती हैं।

ii. आईबीयू के सभी लेनदेन भारतीय रुपये के अलावा किसी अन्य मुद्रा में होंगे ।

iii. आईबीयू भारतीय कंपनियों की विदेशों में पंजीकृत पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों/ संयुक्त उद्यमों के साथ कारोबार कर सकती हैं ।

iv. आरबीआई बैंकों से अल्पकालिक देयताएँ जुटाने के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं करेगा। तथापि आईबीयू को भारतीय बैंकों पर स्टैंड अलोन आधार पर लागू एलसीआर बनाए रखना होगा और आरबीआई द्वारा बैंकों को जारी चलनिधि जोखिम प्रबंध दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा। आईबीयू पर एनएसएफ़आर भी लागू होगा, जब और जैसे इसे भारतीय बैंकों के लिए लागू किया जाएगा।

v. आईबीयू को बचत खाता खोलने की अनुमति नहीं होगी। वे आईएफ़एससी में परिचालित इकाइयों और अनिवासी संस्थागत निवेशकों के निवेश लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए उनका विदेशी मुद्रा चालू खाता खोल सकते हैं। वे अपने कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं के विदेशी मुद्रा चालू खाते भी (एस्क्रो खातों सहित) फेमा 1999 के प्रावधानों और उसके अंतर्गत जारी विनियमों, जहां भी उपर्युक्त पैरा 2.5 के प्रावधानों के साथ-साथ लागू हों, के अधीन खोल सकते हैं। तथापि आईबीयू खुदरा ग्राहको, जिसमें उच्च निवल मालियत वाले व्यक्ति(एचएनआई) शामिल हैं, से कोई देयता नहीं जुटा सकते। साथ ही आईबीयू में चालू खाता धारकों के लिए चेक सुविधा उपलब्ध नहीं होगी। इन खातों से सभी लेनदेन बैंक अंतरण के माध्यम से किए जाने होंगे।

vi. आईबीयू को निर्यात प्राप्तियों की फैक्टरिंग/ फारफेटिंग की अनुमति होगी।

vii. अपने बोर्ड के पूर्वानुमोदन के साथ, आईबीयू को उन सभी प्रकार के डेरिवेटिव तथा संरचित उत्पादों में कारोबार करने की अनुमति होगी जिसके लिए आरबीआई के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार भारत में परिचालित बैंकों को अनुमति दी गई है। तथापि, आईबीयू को कोई अन्य डेरिवेटिव उत्पाद बेचने के लिए आरबीआई का पूर्वानुमोदन लेना होगा। आरबीआई का पूर्वानुमोदन लेने से पहले, बैंक यह सुनिश्चित करें कि उनके आईबीयू के पास बेचे जाने वाले उत्पादों/ किए जाने वाले लेनदेन के पूंजी प्रभार की कीमत लगाने, मूल्यांकन और गणना करने तथा उनका जोखिम प्रबंधन की क्षमता होनी चाहिए और उन्हें ऐसे लेनदेन के लिए अपने बोर्ड का अनुमोदन भी प्राप्त करना होगा। यह पैरा 2.6 (xiv) के प्रावधानों के अधीन है ।

viii. आईबीयू को जीडीआर / एडीआर निर्गमों के लिए अस्थायी रूप से सब्स्क्रिप्शन रखने के लिए, रसीद जारी होने तक भारतीय निवासी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एस्क्रो खाते खोलने की अनुमति है। जीडीआर/ एडीआर जारी होने के बाद, धनराशि तुरंत आईबीयू के बाहर ग्राहक के खाते में स्थानांतरित कर दी जानी चाहिए और इसे बैंक द्वारा दीर्घावधि जमा सहित किसी भी रूप में बनाए नहीं रखा जा सकता है।

ix. एफ़ईडी सीओ एपी डीआईआर परिपत्र सं.17, दिनांक 29 सितंबर 2015 में निहित अनुदेशों के अनुसार आईबीयू को विदेशी बाजार में भारतीय संस्थाओं द्वारा जारी किए गए रुपए में मूल्यांकित विदेशी बॉन्डों के हामीदार / व्यवस्थापक के रूप में कार्य करने की अनुमति है। तथापि, ऐसे मामलों में, जब IBU द्वारा हामीदारी किए गए निर्गम उस पर डिवॉल्व होते हैं, तो हामीदारी की गई धारिता को बेचने का प्रयास किया जाना चाहिए और निर्गम तिथि के 6 महीने बाद यह धारिता निर्गम के आकार के 5% से अधिक नहीं होना चाहिए।

x. उपर्युक्त पैरा 2.5 के अधीन, आईबीयू गैर-बैंक संस्थाओं से एक वर्ष से कम अवधि के विदेशी मुद्रा मीयादी जमा स्वीकार कर सकता है और किसी भी समयावधि प्रतिबंध के बिना मीयादी जमा को परिपक्वता से पहले चुका भी सकता है।''

xi. आईबीयू, उन ब्याज दर और मुद्रा डेरिवेटिव श्रेणी में ट्रेडिंग के लिए आईएफ़एससी में किसी एक्सचेंज का ट्रेडिंग सदस्य हो सकता है, जिन श्रेणियों में आरबीआई के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार भारत में परिचालित बैंकों को अनुमति दी गई है।

xii. आईबीयू किसी भी डेरिवेटिव श्रेणी में समाशोधन और निपटान के लिए आईएफ़एससी में एक्सचेंज का प्रोफेशनल क्लियरिंग सदस्य (पीसीएम) बन सकता है। यह निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगा:

क) आईबीयू का मूल बैंक ("बैंक") विवेकपूर्ण अपेक्षाओं को पूरा करेगा जैसा कि मास्टर निदेश बैंविवि.एफ़एसडी.सं.101/24.01.041/2015-16 के पैरा 21 में दिया गया है।

ख) आईबीयू बैंक के बोर्ड की मंजूरी के साथ प्रभावी जोखिम नियंत्रण उपाय लागू करेगा और अपने प्रत्येक ट्रेडिंग ग्राहक के संबंध में उनके निवल मूल्य, कारोबार टर्नओवर आदि को ध्यान में रखते हुए जोखिम एक्सपोजर की विवेकपूर्ण सीमाएं तय करेगा।

ग) डेरिवेटिव श्रेणी के पीसीएम के रूप में आईबीयू अपने ग्राहकों द्वारा एक्सचेंज के ट्रेडिंग सदस्य के रूप में निष्पादित ट्रेड की गारंटी दे सकता है, बशर्ते कि बैंक द्वारा अपने पंजीकृत ग्राहकों पर लिया जाने वाला कुल एक्सपोजर, बैंक के बोर्ड द्वारा बैंक के निवल मूल्य को ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए और इसकी नियमित रूप से निगरानी की जाती है। तथापि, आईबीयू को पीसीएम के रूप में भूमिका के लिए जितना आवश्यक है, उसके अतिरिक्त किसी भी लेन-देन की गारंटी नहीं देनी चाहिए।

घ) आईबीयू बैंक के बोर्ड द्वारा निर्धारित विभिन्न मार्जिन अपेक्षाओं और साथ ही कमोडिटी ब्रोकरों की ओर से जारी गारंटी के बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करेगा।

ङ) आईबीयू अन्य विनियामकीय निकायों द्वारा निर्धारित सभी शर्तों, यदि कोई हो, जो पीसीएम के रूप में उनकी भूमिका के लिए प्रासंगिक हों, का पालन करेंगे।

xiii. आईबीयू को आईएफ़एससी के स्टॉक ब्रोकिंग /कमोडिटी ब्रोकिंग संस्थाओं को बैंक गारंटी और अल्पावधि ऋण की सुविधा देने की अनुमति है, जो 1 जुलाई 2015 के ऋण और अग्रिम पर सांविधिक प्रतिबंध पर मास्टर परिपत्र के पैरा 2.3.1.2 में निहित निबंधन और शर्तों के अधीन है।

xiv. "आईबीयू को आईएफ़एससी में स्थापित स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध रुपया एक्सचेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव (विदेशी मुद्रा में निपटान के साथ) में भाग लेने की अनुमति है। बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके आईबीयू के पास पूंजी प्रभार की कीमत, मूल्य और गणना करने और उपलब्ध कराए जाने वाले उत्पादों / लेनदेन से जुड़े जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता है और उन्हें इस तरह के लेनदेन के लिए अपने बोर्ड की मंजूरी भी लेनी चाहिए। आईबीयू इन उत्पादों में भाग लेते समय इस परिपत्र में लागू और बताए गए जोखिम करने और और विवेकपूर्ण उपायों का पालन करेंगे । इसके अलावा, आईबीयू दिनांक 20 जनवरी, 2020 को "अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (आईएफएससी) में रुपया डेरिवेटिव की शुरुआत" पर जारी एपी (डीआईआर शृंखला) परिपत्र संख्या. 17 से भी दिशानिर्देशित होंगे ।

2.7 विवेकपूर्ण विनियम

i. भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं पर लागू होने वाले सभी विवेकपूर्ण मानदण्ड आईबीयू पर लागू होंगे। बैंक का बोर्ड भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विनियामक नीतियों के अनुरूप अपने आईबीयू के लिए उचित क्रेडिट जोखिम प्रबंधन नीति तथा जोखिम सीमा निर्धारित कर सकता है।

ii. आईबीयू को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारतीय बैँकों की विदेशी शाखाओं के लिए निर्धारित चलनिधि और ब्याज दर जोखिम प्रबंधन नीतियों को अपनाना होगा तथा बैंक के समग्र जोखिम प्रबंधन तथा एएलएम फ्रेमवर्क के दायरे में कार्य करना होगा और यह नियत अंतराल पर बोर्ड की निगरानी के अधीन होगा।

iii. बैंक के बोर्ड को ऐसी इकाइयों के लिए हरेक मुद्रा के लिए व्यापक एक दिवसीय सीमाओं का निर्धारण करना होगा, जो मूल बैंक के लिए खुली स्थिति (ओपन पोजीशन) सीमा से अलग होंगी।

iv. एक्सपोजर की उच्चतम सीमा
आईबीयू के लिए एक्सपोजर की उच्चतम सीमा एकल ऋणकर्ता के मामले में मूल बैंक की टियर 1 पूंजी का 5 प्रतिशत और ऋणकर्ता समूह के मामले में मूल बैंक की टियर 1 पूंजी का 10 प्रतिशत होगा।

2.8 धन-शोधन निवारण उपाय

आईबीयू को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए "अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी), आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी) और अन्य धन-शोधन निवारण अनुदेशों का ध्यानपूर्वक पालन करना होगा, जिसमें इससे संबंधित आरबीआई/ भारत में अन्य एजेंसियों द्वारा निर्धारित रिपोर्टिंग भी शामिल है। आईबीयू को नकद लेनदेन करने की मनाही होगी।”

2.9 विनियमन और पर्यवेक्षण

विदेशी बैंकों के आईबीयू का विनियमन तथा पर्यवेक्षण भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किया जाएगा।

2.10 रिपोर्टिंग अपेक्षाएँ

आईबीयू को उनके परिचालनों के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित सूचनाएं प्रस्तुत करनी होंगी। ये आफ-साईट रिपोर्टिंग, आईबीयू के लेखा-परीक्षित वित्तीय विवरण आदि के रूप में हो सकती हैं।

2.11 आईएफएससी बैंकिंग इकाइयों की गतिविधियों की सीमारेखा

आईबीयू अपने परिचालन तथा तुलनपत्र केवल विदेशी मुद्रा में ही रखेंगी और इनको अपने प्रशासनिक और सांविधिक खर्च अदा करने के लिए केवल परिवर्तनीय निधि से विशेष रुपया खाता रखने की अनुमति को छोड़कर भारतीय रूपयों में लेनदेन करने की अनुमति नहीं होगी। इन इकाइयों के भारतीय रुपए में ऐसे परिचालन/लेनदेन प्राधिकृत डीलरों (आईबीयू से अलग) के माध्यम से किए जा सकेंगे, जो मौजूदा विदेशी मुद्रा विनियमनों के अधीन होंगे। आईबीयू को घरेलू मांग, नोटिस, सावधि, विदेशी मुद्रा, मुद्रा तथा अन्य देशी बाजारों और घरेलू भुगतान प्रणालियों में भाग लेने की अनुमति नहीं है।

आईबीयू को करेस्पोंडेंट बैंकों के पास अलग से नोस्ट्रो खाता खोलना होगा जो उसी विदेशी बैंक की अन्य शाखाओं द्वारा खोले गए नोस्ट्रो खातों से अलग होगा।

दिनांक 02 मार्च 2015 की फेमा अधिसूचना सं.339 /2015-आरबी के अनुसार, आईएफ़एससी में स्थापित किसी वित्तीय संस्था या वित्तीय संस्था की शाखा जिसे भारत सरकार या किसी विनियामकीय प्राधिकरण द्वारा इस रूप में अनुमत प्राप्त / मान्यता प्राप्त हो, उसे भारत के बाहर निवासी व्यक्ति के रूप में माना जाएगा। साथ ही, दिनांक 01 अप्रैल 2016 फेमा अधिसूचना संख्या 5(आर) / 2016-आरबी (शिड्यूल 4) के तहत, भारत के बाहर निवास करने वाला कोई व्यक्ति, जिसका भारत में व्यावसायिक हित हो, रुपए में होने वाले प्रशासनिक खर्चों के लिए घरेलू क्षेत्र में किसी प्राधिकृत डीलर के पास विशेष गैर-निवासी रुपया खाता/ते (एसएनआरआरए) रख सकता है। तदनुसार कोई भी वित्तीय संस्था (दिनांक 02 मार्च 2015 की फेमा अधिसूचना संख्या 339/2015-आरबी के तहत यथा पारिभाषित) या किसी वित्तीय संस्था की शाखा जिसमें आईएफएससी में परिचालित और भारत सरकार या किसी विनियामकीय प्राधिकरण द्वारा इस रूप में अनुमति प्राप्त / मान्यता प्राप्त आईबीयू शामिल है रुपए में होने वाले अपने प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए घरेलू क्षेत्र में किसी बैंक (प्राधिकृत डीलर) के पास एसएनआरआरए रख सकते हैं। इन खातों में केवल अंतर्राष्ट्रीय विप्रेषण के लिए उपयुक्त किसी माध्यम द्वारा विदेशी मुद्रा विप्रेषण से निधि डाली जानी चाहिए, जो मौजूदा फेमा विनियमों के अधीन होगी। वित्तीय संस्था, ग्राहक के रूप में अपनी क्षमता में, एसएनआरआरए से फेमा विनियमों के तहत अनुमत भुगतान कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें एसएनआरआरए रखने वाले घरेलू बैंक को उपयुक्त अनुदेश देना होगा।

2.12 प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधार

प्राथमिकताप्राप्‍त क्षेत्र उधार दायित्व की गणना करते समय आईबीयू के ऋण तथा अग्रिमों को भारत में विदेशी बैंक के निवल बैंक क्रेडिट के एक अंग के रूप में शामिल नहीं किया जाएगा।

2.13 जमा बीमा

आईबीयू की जमाराशियां जमा बीमा कवर के लिए पात्र नहीं होंगी।

2.14 अंतिम आश्रय के रूप में ऋणदाता (एलओएलआर)

भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से आईबीयू के लिए कोई चलनिधि सहायता तथा एलओएलआर सहायता उपलब्ध नहीं होगी।


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