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अधिसूचनाएं

भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेश में धारित परिसंपत्तियों (आस्तियों) का विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत नियमितीकरण

भारिबैंक/2015-16/195
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 18

30 सितंबर 2015

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय

भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेश में धारित परिसंपत्तियों
(आस्तियों) का विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत नियमितीकरण

विदेश में धारित (held) अप्रकटित परिसंपत्तियों के मसले के निपटान के लिए भारत सरकार ने 'काला धन (अप्रकटित विदेशी आय और आस्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 (काला धन अधिनियम) 26 मई 2015 को अधिनियमित किया है। यह अधिनियम अप्रकटित आय, जो भारत में कर योग्य है, उसके एवं उससे अर्जित विदेशी परिसंपत्तियों के लिए अलग से कर अधिरोपण का उपबंध करता है।

2. भारत में निवासी व्यक्तियों द्वारा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 का उल्लंघन करते हुए विदेश में धारित (हेल्ड) परिसंपत्तियों जिनके संबंध में घोषणा की जा चुकी है और काले धन अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत जिस पर / जिन पर कर एवं दण्ड अदा कर दिया गया है, उनके प्रभावी रूप में निपटान हेतु रिज़र्व बैंक ने 25 सितंबर 2015 के जीएसआर सं. 738 (ई) के मार्फत 25 सितंबर 2015 की अधिसूचना सं. फेमा. 348/2015-आरबी के जरिये अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी किसी व्यक्ति द्वारा विदेश में धारित परिसंपत्तियों का नियमितीकरण) विनियमावली, 2015 जारी की है।

3. तदनुसार यह स्पष्ट किया जाता है कि:

ए) घोषणाकर्ता द्वारा विदेश में धारित परिसंपत्ति जिसके संबंध में उसने काला धन अधिनियम के उपबंधों के अंतर्गत कर एवं दण्ड अदा कर दिया है, उसके विरुद्ध विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के तहत कोई कार्यवाही लंबित नहीं रहेगी।

बी) ऐसी परिसंपत्ति की घोषणा करने की तारीख से 180 दिनों के भीतर उसके निपटान अथवा बैंकिंग चैनल से उसकी आगम राशि भारत लाने के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के अंतर्गत अनुमति लेने की अपेक्षा नहीं होगी।

सी) यदि घोषणाकर्ता इस प्रकार घोषित परिसंपत्ति को धारण किए रखना चाहती/चाहता है, तो वह घोषणा करने की तारीख से 180 दिनों के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक को, आवेदनपत्र की तारीख को अनुमति लेना आवश्यक होने पर, आवेदन करेगी/करेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसे आवदेनपत्र/त्रों पर मौजूदा विनियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। यदि ऐसी अनुमति नहीं दी जा सकती है, तो रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमति देने से मना करने की सूचना मिलने की तारीख से 180 दिनों के भीतर अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा विस्तारित अवधि के भीतर संदर्भित परिसंपत्ति का निस्तारण करना होगा और प्राप्त आगम राशि को बैंकिंग चैनल से तत्काल भारत में वापस लाया जाएगा।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं ।

भवदीय,

(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक


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