भारिबैंक/2014-15/460
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 73
6 फरवरी 2015
सभी प्राधिकृत व्यक्ति
महोदया/महोदय,
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा भारत में विदेशी निवेश
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंकों का ध्यान 3 फरवरी 2015 को जारी छठी द्विमासिक मौद्रिक नीति वक्तब्य, 2014-15 में की गई घोषणा एवं 3 फरवरी 2015 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.71 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार पंजीकृत विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा भारतीय कर्ज बाजार (debt market) में सभी भावी निवेश, न्यूनतम तीन सालों की अवशिष्ट परिपक्वता अवधि हेतु किए जाएंगे।
2. इस संबंध में उल्लिखित निदेशों की प्रयोज्यता (applicability) के बाबत रिज़र्व बैंक को कुछ पृच्छाएं प्राप्त हो रही हैं। ये पृच्छाएं एवं तत्संबंध में हमारे स्पष्टीकरण निम्नवत हैं:
ए. प्रश्न/पृच्छा: कमर्शियल पेपर्स(CPs) में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निवेश के संबंध में इन निदेशों की प्रयोज्यता।
स्पष्टीकरण: उक्त निदेशों के अनुसार, भारत में किसी भी प्रकार के कर्ज लिखत में नए निवेश की अनुमति तभी होगी जब उसकी न्यूनतम अवशिष्ट परिपक्वता अवधि तीन साल हो। तदनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को कमर्शियल पेपर्स(CPs) में और निवेश करने की अनुमति नहीं होगी।
बी. प्रश्न/पृच्छा: तीन साल एवं अधिक की परिपक्वता अवधि वाले कर्ज लिखतों, किन्तु जिनमें आप्शनैलिटी उपबंध तीन साल से कम का हो, के संबंध में इन दिशानिर्देशों की प्रयोज्यता।
स्पष्टीकरण: विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों को तीन साल की परिपक्वता अवधि एवं तीन साल से कम में आप्शनैलिटी उपबंध के प्रयोग किए जा सकने वाले कर्ज लिखतों में नए निवेश की अनुमति नहीं होगी।
सी. प्रश्न/पृच्छा: औसत तीन सालों एवं अधिक की परिपक्वता अवधि वाले परिशोधित कर्ज लिखतों पर इन दिशानिर्देशों की प्रयोज्यता।
स्पष्टीकरण: विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों को परिशोधित कर्ज लिखतों में निवेश करने की अनुमति होगी बशर्ते उनकी औसत परिपक्वता अवधि तीन साल एवं अधिक हो।
3. कोई प्रबंध (अरेंजमेंट) जो उक्त में से किसी के भी अनुरूप नहीं होगा वह 3 फरवरी 2015 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.71 के उपबंधों के अनुरूप भी नहीं होगा।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं।
5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।
भवदीय,
(बी. पी. कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |