भारिबैंक/2014-2015/316
ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं.41
25 नवंबर 2014
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
विदेश में उगाही गई निधियों को भारत लाना
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार (ईसीबी), गारंटी जारी करने, एवं भारत से बाहर समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश से संबन्धित वर्तमान विनियामक ढांचे (फ्रेमवर्क) की ओर आकृष्ट किया जाता है।
2. हमारे ध्यान में यह बात लायी गई है कि कुछ भारतीय कंपनियाँ कर्ज निधियों के लिए अपनी समुद्रपारीय होल्डिंग कंपनियों/एसोशिएट/सहायक कंपनियों/समूह कंपनियों के मार्फत ओवरसीज़ मार्केट तक पहुंच रही हैं। यह भी रिपोर्ट हुआ है कि इस प्रकार के उधार मौजूदा फेमा विनियमों में निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक दर पर लिए जाते हैं एवं इस प्रकार ली गई निधियां भारतीय कंपनियों को भेजी जाती हैं जो समूह के परिचालनों हेतु एकमात्र/प्रमुख रूप से इस्तेमाल होती हैं। भारतीय परिचालनों में इस्तेमाल के लिए ऐसी निधियां लगाने के लिए विभिन्न तौर-तरीके अपनाए जाते हैं जिनमें भारतीय कंपनियों द्वारा जारी रुपया बान्डों में निवेश करना शामिल है।
3. वर्तमान विनियामक ढांचे के तहत इस मामले की समीक्षा करने पर यह स्पष्ट किया जाता है कि:
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भारतीय कंपनियों को अपनी समुद्रपारीय होल्डिंग कंपनियों/एसोशिएट/सहायक कंपनियों/समूह कंपनियों द्वारा लिए गए ऐसे उधार हेतु स्वयं अथवा उनके प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों को संबन्धित विनियमों में स्पष्टत: उल्लिखित प्रयोजनों से भिन्न किसी भी रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष गारंटी अथवा आकस्मिक देयता के सृजन अथवा प्रतिभूति जारी करने की अनुमति नहीं है।
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इसके अलावा, उपर्युक्त मद (i) में किए गए उल्लेखानुसार, भारतीय कंपनियों की समुद्रपारीय होल्डिंग कंपनियों/एसोशिएट/सहायक कंपनियों/समूह कंपनियों द्वारा भारतीय कंपनियों एवं प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –I के समर्थन से समुद्रपार से उगाही गई ऐसी निधियां भारत में तब तक इस्तेमाल नहीं की जा सकती हैं जब तक कि वे संबन्धित विनियमों के अंतर्गत दी गई सामान्य अथवा विशेष अनुमति के अनुरूप न हों।
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भारतीय कंपनियों अथवा उनके प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों द्वारा अपनाए गए माध्यम जो उपर्युक्त विनिर्धारण का उल्लंघन करते हैं/करेंगे, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 के उपबंधों के तहत वे स्वयं को दंडात्मक कार्रवाई का भागी बनाएंगे।
4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I के बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबन्धित घटकों एवं ग्राहकों को अवगत कराएं ।
5. इस परिपत्र में निहित दिशानिर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (फेमा), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) एवं 11(1) के तहत एवं किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किए गए हैं।
भवदीय,
(बी.पी.कानूनगो)
प्रधान मुख्य महाप्रबंधक |