Click here to Visit the RBI’s new website
आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के लिए मौजूदा नियामक ढांचे की समीक्षा - प्रस्तावित परिवर्तन

वित्त (नंबर 2) अधिनियम, 2019 (2019 के 23) ने आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) के विनियमन की शक्तियां भारतीय रिजर्व बैंक को प्रदान करते हुए राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में संशोधन किया। 09 अगस्त 2019 को वित्त (नंबर 2) अधिनियम 2019 (2019 के 23) के अध्याय VI के भाग VII के प्रभावी होने की सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के पश्चात, 13 अगस्त, 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गई थी जिसमें यह उल्लेख किया गया है कि एचएफसी पर लागू मौजूदा नियामक ढांचे की समीक्षा की जाएगी और संशोधित विनियम जारी किए जाएंगे।

2. एचएफसी को गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) की श्रेणी के रूप में विनियमित करने के उद्देश्य से एचएफसी पर लागू मौजूदा निदेशों/दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गई है। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया है कि जिन क्षेत्रों में एचएफसी का वर्तमान विनियमन एनबीएफसी के साथ मिलकर हो रहा है, वहां एनबीएफसी मास्टर निदेशों में संबंधित पैरा को एचएफसी के लिए यथारूप में लागू किया जाएगा। जिन क्षेत्रों में मौजूदा एचएफसी विनियम, एनबीएफसी विनियमन से भिन्न है, वहाँ या तो मौजूदा प्रावधानों को बरकरार रखा जाएगा, या जहां भी संभव हो इस बात को सुनिश्चित करते हुए परिवर्तन लाया जाएगा, कि यह परिवर्तन कम विघटनकारी तरीके से किए जाएं। एचएफसी के लिए नियामक ढांचे में परिकल्पित प्रमुख बदलावों को दर्शाया गया है:

2.1. एचएफसी के नियमन के लिए लागू विधि

दोहरे नियमन से बचने के लिए आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45एनसी के अंतर्गत प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 18 जून, 1997 की अधिसूचना के माध्यम से एचएफसी को भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय IIIB के प्रावधानों से छूट प्रदान की गई थी। एचएफसी के विनियमन को आरबीआई को हस्तांतरित करने के साथ ही इन छूटों को वापस लेने और आरबीआई अधिनियम की धारा 45-आईए को छोड़कर अध्याय IIIB के प्रावधानों को सभी एचएफसी पर लागू करने का निर्णय लिया गया था। एचएफसी को दी गई छूटों को वापस लेने के लिए गजट अधिसूचना संख्या 047/सीजीएम (एमएम))-2019 19 नवंबर, 2019 को जारी किया गया था। एचएफसी के रूप में कार्य करने के इच्छुक कंपनियां एनएचबी अधिनियम, 1987 की धारा 29 ए के अंतर्गत रिज़र्व बैंक के साथ पंजीकरण हेतु आवेदन करेंगी और एनएचबी द्वारा जारी सीओआर धारण करने वाले मौजूदा एचएफसी को नए सीओआर के लिए आरबीआई से संपर्क करने की आवश्यकता नहीं है।

2.2. 'आवास के लिए वित्त प्रदान करने' या 'आवास वित्त' शब्द को परिभाषित करना

यह देखा गया है कि 'आवास के लिए वित्त प्रदान करने' या 'आवास वित्त' शब्द को औपचारिक रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। हालांकि, सामान्य भाषा में, इसे आवासीय आवास उद्देश्यों के लिए वित्त प्रदान करने के रूप में माना जा सकता है और आदर्श रूप से इसमें वाणिज्यिक अचल संपत्ति आदि जैसे गैर-आवासीय उद्देश्यों के लिए वित्त शामिल नहीं होना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए आरबीआई और एनएचबी द्वारा जारी परिपत्रों में और आयकर अधिनियम 1961 के तहत, विभिन्न उद्देश्यों के लिए इंगित आवास वित्त शब्द के अर्थ की जांच की गई। बैंकों को संबोधित आवास वित्त पर आरबीआई के मास्टर परिपत्र और आवास ऋण की एनएचबी की उदाहरण सूची के प्रावधानों के अनुसार 'आवास के लिए वित्त प्रदान करने' या 'आवास वित्त' की शर्तों के अनुरूप समावेशी परिभाषा का प्रस्ताव दिया जाता है। तदनुसार, “आवास वित्त” या “आवास के लिए वित्त प्रदान करने” का अर्थ है:

आवासीय निवास इकाइयों की खरीद/निर्माण/पुनर्निर्माण/नवीकरण/मरम्मत के लिए वित्तपोषण करना, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

(क) नई आवास इकाइयों के निर्माण/खरीद के लिए सहकारी समितियों सहित व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह को ऋण देना ।

(ख) पुरानी आवासीय इकाइयों की खरीद के लिए व्यक्तियों को ऋण देना।

(ग) मौजूदा आवास इकाइयों को गिरवी रखकर पुरानी/नई आवास इकाइयों को खरीदने के लिए व्यक्तियों को ऋण देना।

(घ) आवासीय आवास इकाइयों के निर्माण के लिए भूखंडों की खरीद के लिए व्यक्तियों को ऋण प्रदान करना; बशर्ते कि उधारकर्ता से एक घोषणा प्राप्त की जाए कि वह ऋण का लाभ उठाने की तारीख से तीन साल की अवधि के भीतर भूखंड पर एक घर का निर्माण करना चाहता है।

(ङ) मौजूदा आवास इकाइयों के नवीकरण/पुनर्निर्माण के लिए व्यक्तियों को ऋण देना।

(च) आवासीय निवास इकाइयों के निर्माण के लिए राज्य आवास बोर्डों सहित सार्वजनिक एजेंसियों को ऋण देना।

(छ) कॉरर्पोरेट/सरकारी एजेंसियों को ऋण (कर्मचारी आवास के लिए ऋण के माध्यम से)।

(ज) बस्तियों या टाउनशिप के विकास के लिए आवश्यक एक ही परिसर में आवास परियोजना का हिस्सा वाले शैक्षिक, स्वास्थ्य, सामाजिक, सांस्कृतिक या अन्य संस्थानों/केंद्रों के निर्माण के लिए ऋण;

(झ) झुग्गी क्षेत्रों में स्थितियों में सुधार के लिए एक ही क्षेत्र के भीतर घरों और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए ऋण, जिसके लिए ऋण सीधे सरकार की गारंटी पर या परोक्ष रूप से राज्य सरकारों के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को दिया जा सकता है;

(ञ) स्लम क्लीयरेंस बोर्डों और अन्य सार्वजनिक एजेंसियों द्वारा स्लम बस्तियों में सुधार योजनाओं के लिए दिए गए ऋण;

(ट) आवासीय निवास इकाइयों के निर्माण के लिए बिल्डरों को ऋण देना।

2.2.1. आवास इकाइयों के फर्नीशिंग के लिए दिए गए ऋण, नई आवास इकाई/यों के निर्माण या मौजूदा आवास इकाई के नवीकरण के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए संपत्ति के बंधक के एवज में दिए गए ऋण सहित अन्य सभी ऋण को गैर-आवास ऋण के रूप में माना जाएगा।

2.3. एचएफसी के लिए 'मूल व्यवसाय' और 'अर्हताप्राप्त आस्तियों' को परिभाषित करना

वित्त अधिनियम, 2019 के अधिनियमन के बाद एनएचबी अधिनियम की धारा 29 ए (1) के अंतर्गत संशोधित प्रावधानों में 'मूल व्यवसाय' शब्द शामिल है। चूंकि संशोधन से पहले एनएचबी अधिनियम में ‘मूल व्यवसाय’ शब्द उपलब्ध नहीं था, इसलिए एचएफसी के पंजीकरण के प्रयोजनों के लिए, एनएचबी को एनएचबी अधिनियम, 1987 की धारा 2 (डी) के प्रावधानों द्वारा निर्देशित किया गया था, जो बताता है कि "आवास वित्त संस्था" में आवास के लिए वित्त प्रदान करने के व्यवसाय का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यतः लेनदेन करने या अपने प्रमुख उद्देश्यों में से एक के रूप में रखने वाले प्रत्येक संस्थान शामिल है, चाहे वह निगमित है अथवा न हों। पंजीकरण प्रयोजनों के लिए, एनएचबी कंपनियों को एचएफसी के रूप में मान्यता दे रहा था यदि ऐसी कंपनियां जिनके प्रमुख उद्देश्यों में से एक, आवास के लिए वित्त प्रदान करने के व्यवसाय के लेनदेन (प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से) के रूप में हो और उन्हें एनएचबी अधिनियम, 1987 की धारा 29 ए के अंतर्गत पंजीकृत किया जा रहा था । एनएचबी अधिनियम में संशोधन के साथ एचएफसी के लिए मूल व्यवसाय शब्द को परिभाषित करने की आवश्यकता उत्पन्न हो गई है।

2.3.1. चूंकि एचएफसी के विनियमन के लिए शक्ति भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम और एनएचबी अधिनियम दोनों से ली गई है, इसलिए हमारे प्रेस विज्ञप्ति संख्या 1998-99/1269 दिनांक 08 अप्रैल, 1999 के माध्यम से एनबीएफसी के लिए परिभाषित मूल व्यवसाय शब्द एचएफसी के लिए लागू करने का प्रस्ताव है। उक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, किसी कंपनी को एनबीएफसी माना जाएगा यदि उसकी वित्तीय आस्तियां उसकी कुल आस्तियों (अमूर्त आस्तियों द्वारा निवल किया हुआ) का 50% से अधिक हैं और वित्तीय आस्तियों से आय उसकी सकल आय का 50% से अधिक है और इन दोनों शर्तों को एक एनबीएफसी के प्रमुख व्यवसाय के लिए निर्धारक कारक के रूप में होना आवश्यक है। हालांकि, चूंकि एचएफसी आवास क्षेत्र को पूरा करते हैं, इसलिए एनबीएफसी-एमएफआई के मामले में किए गए अनुसार एचएफसी के लिए 'अर्हताप्राप्त आस्तियों' की अवधारणा निर्धारित करने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित विनियम इस प्रकार हैं: ‘अर्हताप्राप्त आस्तियों’ का तात्पर्य उपर्युक्त पैरा 2.2 में 'आवास वित्त' या 'आवास के लिए वित्त प्रदान करने' के संदर्भ में निम्नलिखित के अधीन से है:

(क) निवल आस्तियों का कम से कम 50% ऊपर पैरा 2.2 में बताए अनुसार एचएफसी के लिए 'अर्हताप्राप्त आस्तियों' की प्रकृति का है, जिसमें से कम से कम 75% पैरा 2.2 में खंड (क) से (ङ) में दिये अनुसार व्यक्तिगत आवास ऋणों में दिया गया होना चाहिए।

(ख) "निवल आस्तियों" का अर्थ नकद और बैंक जमाराशि और मुद्रा बाजार लिखतों को छोडकर अन्य कुल आस्तियों से होगा।

2.3.2. उपरोक्त मानदंडों को पूरा नहीं करने वाले ऐसे एचएफसी को एनबीएफसी-निवेश और ऋण कंपनियों (एनबीएफसी-आईसीएस) के रूप में माना जाएगा और एचएफसी से अपने पंजीकरण प्रमाण पत्र को एनबीएफसी-आईसीसी में परिवर्तित कराने के लिए आरबीआई से संपर्क करना होगा। इस तरह के परिवर्तन के लिए आवेदन सभी समर्थित दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए जो नए पंजीकरण के लिए मूल व्यवसाय मानदंड (पीबीसी) पर एक लेखा परीक्षक के प्रमाण पत्र और परिवर्तन की पुष्टि करने वाले आवश्यक बोर्ड संकल्प के साथ हो। हालांकि, एचएफसी को चरणबद्ध समय-सीमा दी जाएगी जो वर्तमान में अर्हताप्राप्त आस्ति मापदंड को पूरा नहीं करते हैं, लेकिन भविष्य में एचएफसी के रूप में जारी रखना चाहते हैं । इसके अंतर्गत चरणबद्ध तरीके से समय-सीमा को इस प्रकार लागू किया जाएगा:

समय-सीमा अर्हताप्राप्त आस्तियों अर्थात आवास वित्त के रूप में निवल आस्तियों का कम से कम 50% अर्हताप्राप्त आस्तियों का कम से कम 75% को व्यक्तिगत आवास ऋणों में
31 मार्च, 2022 50% 60%
31 मार्च 2023 - 70%
31 मार्च 2024 - 75%

2.4. एचएफसी को नियामक प्रयोजनों के लिए प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण और गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण संस्थाओं में वर्गीकृत करना

वर्तमान में एचएफसी विनियम सभी एचएफसी के लिए समान हैं, चाहे उनकी आस्ति का आकार और स्वामित्व कुछ भी हो। एचएफसी विनियमों को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण और गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण के रूप में वर्गीकृत करके किए जाने का प्रस्ताव है, ताकि सामान्य रूप से एनबीएफसी पर लागू वर्गीकृत दृष्टिकोण लागू किया जा सके। दूसरे शब्दों में, 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक के आस्ति आकार वाले जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाले एचएफसी (एचएफसी-एनडी); और जमाराशि स्वीकार करने वाले किसी भी आस्ति आकार वाले एचएफसी (एचएफसी-डी) को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण एचएफसी माना जाएगा। 500 करोड़ रुपये से कम आस्ति आकार वाले एचएफसी को गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण एचएफसी (एचएफसी-गैर-एसआई) माना जाएगा। एचएफसी-एनडीएसआई और एचएफसी-डी के लिए विनियम एनएचबी विनियमों के अंतर्गत होंगे या एनबीएफसी विनियमों के साथ सामंजस्य स्थापित करेंगे, जबकि एचएफसी-गैर-एसआई (अर्थात 500 करोड़ रुपये से कम आस्ति आकार वाले एचएफसी) के लिए विनियमों को एनबीएफसी-एनडी-गैर-एसआई (01 सितंबर 2016 को जारी और 17 फरवरी 2020 को यथासंशोधित गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण एनबीएफ़सी के लिए मास्टर निर्देश) के लिए प्रासंगिक विनियमों के समान किया जाएगा।

2.5. 20 करोड़ रुपये का न्यूनतम निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ)

एनएचबी अधिनियम, 1987 की धारा 29 ए (1) (बी) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिज़र्व बैंक ने एचएफसी के लिए न्यूनतम एनओएफ को 10 करोड़ रुपये की वर्तमान आवश्यकता से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया है। मौजूदा एचएफसी के लिए परिवर्तन पथ 1 साल के भीतर 15 करोड़ रुपये और 2 साल के भीतर 20 करोड़ रुपये तक पहुंचने का होगा। इस कदम का उद्देश्य विशेष रूप से छोटे एचएफसी और एनएचबी अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण प्राप्त करने का आवेदन करने वाली कंपनियों के पूंजी आधार को मजबूत करना है।

2.6. एनबीएफसी के साथ पूंजी (टियर I और टियर II) की परिभाषाओं में सामंजस्य स्थापित करना

टियर-I और टियर II पूंजी के घटक स्थायी कर्ज लिखतों (पीडीआई) के मामलों के अतिरिक्त एनबीएफसी और एचएफसी के लिए समान हैं। वर्तमान में पीडीआई को एनबीएफसी के विपरीत एचएफसी की पूंजी का हिस्सा नहीं माना जाता है। एचएफसी की पूंजी (टियर I और टियर II दोनों) की परिभाषाओं को मास्टर निदेश - एनबीएफ़सी - प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (17 फरवरी, 2020 को अद्यतन किया गया) के पैरा 3 (xxxii) और 3 (xxxiii) के अनुसार एनबीएफसी के साथ संरेखित करने का प्रस्ताव है, अतः निम्नलिखित परिवर्तन किया जा रहा है:

  1. एनबीएफसी की तर्ज पर टियर I और टियर II पूंजी के घटक के रूप में पीडीआई को शामिल करना।

  2. पीडीआई को केवल प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाले एचएफसी द्वारा टियर I/टियर II पूंजी का हिस्सा माना जा सकता है।

  3. जमाराशि स्वीकार करने वाले एचएफसी अथवा गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण एचएफसी द्वारा पहले से ही जारी पीडीआई या पीडीआई की प्रकृति में कोई अन्य ऋण पूंजीगत लिखत को मामले को ध्यान में रखते हुए अधिकतम तीन साल अवधि के लिए टियर I या टियर II पूंजी के रूप में गिना जाएगा।

  4. चूंकि एचएफसी को नियामक प्रयोजनों के लिए एनबीएफसी की श्रेणी के रूप में माना जाता है, अन्य एचएफसी और अन्य एनबीएफसी (चाहे समूह का हिस्सा हो अथवा नहीं) के शेयरों में निवेश, टियर I पूंजी से उस सीमा तक कम किया जाएगा जो समूह कंपनियों के लिए अन्य एक्सपोजर के साथ-साथ कुल मिलाकर एचएफसी के स्वामित्व वाले निधि का दस प्रतिशत से अधिक है।

2.7. जनता की जमाराशियाँ

एनएचबी द्वारा, दिनांक 01 जुलाई, 2019 को जारी आवास वित्त कंपनी (एनएचबी) निदेश 2010 के अध्याय 1 के पैरा 2 (1) (वाई) में दी गई जनता की जमाराशि की परिभाषा, 25 अगस्त, 2016 को जनता की जमाराशि स्वीकार करने संबंधी आरबीआई द्वारा जारी मास्टर निदेश DNBR.PD। 002/03.10.119/2016-17 25 (22 फरवरी, 2019 को अद्यतित) के पैरा 3(xiii) में दी गई परिभाषा के समान है, सिवाय इसके कि एनएचबी या किसी भी सार्वजनिक आवास एजेंसी से प्राप्त राशि को भी एनएचबी निर्देशों में उल्लिखित परिभाषा के अनुसार जनता की जमाराशि की परिभाषा से बाहर रखा गया है। हम, आरबीआई मास्टर निर्देश में दी गई जनता की जमाराशि की परिभाषा को - एनएचबी या किसी सार्वजनिक आवास एजेंसी से एचएफसी को मिलने वाली राशि को भी जनता की जमाराशि की परिभाषा से छूट - को शामिल करते हुए संरेखित करने का प्रस्ताव देते हैं।

2.8. चलनिधि जोखिम फ्रेमवर्क और एलसीआर

100 करोड़ या उससे अधिक की परिसंपत्ति वाले जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाले एनबीएफसी, प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण मूल निवेश कंपनियों और जमाराशि स्वीकार करने वाले सभी एनबीएफसी (टाइप 1 एनबीएफसी-एनडी को छोड़कर, गैर-परिचालन वित्तीय होल्डिंग कंपनी और स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर्स) को सूचित किया गया था कि वे दिनांक 04 नवंबर, 2019 को DOR.NBFC (PD) CC.No.102/03.10.001/2019-20 के माध्यम से जारी दिशानिर्देश का पालन करें। यह प्रस्तावित है कि इन दिशानिर्देशों को 100 करोड़ और उससे अधिक की परिसंपत्ति के आकार वाले जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाले सभी एचएफसी और जमाराशि स्वीकार करने वाले सभी एचएफसी के लिए भी लागू किया जाए। यह सुनिश्चित करना बोर्ड की ज़िम्मेदारी होगी कि दिशानिर्देशों का पालन किया जा रहा है। इन दिशानिर्देशों के अनुसार एचएफसी द्वारा आंतरिक नियंत्रण स्थापित करना आवश्यक है, जो पर्यवेक्षी समीक्षा के अधीन होंगे। इसके अलावा, विवेकसम्मत होने के कारण, अन्य सभी एचएफसी को चलनिधि जोखिम प्रबंधन के संबंध में इन दिशानिर्देशों को स्वैच्छिक आधार पर अपनाने की सलाह दी जाती है।

2.9. रियल इस्टेट उद्योग में शामिल संस्था समूह

रियल इस्टेट कंपनियों को समूह में और बाद में फ्लैटों को खरीदने वाले व्यक्तियों को ऋण देने के कारण दोहरे वित्तपोषण से संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए संबंधित एचएफसी केवल एक स्तर पर ऋण देने का विकल्प चुन सकता है। अर्थात्, एचएफसी या तो रियल इस्टेट के कारोबार के कंपनी समूह में एक्सपोजर ले सकता है अथवा समूह संस्थाओं की परियोजनाओं में व्यक्तिगत घर खरीदारों को ऋण दे सकता है, लेकिन दोनों को नहीं। यदि एचएफसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपने समूह संस्थाओं (ऋण देना और निवेश) में कोई भी जोखिम लेने का निर्णय करता है, तो समूह की इकाई के लिए ऐसे जोखिम स्वाधिकृत निधि का 15% से अधिक नहीं हो सकता है और ऐसे सभी समूह संस्थाओं के लिए जोखिम स्वाधिकृत निधि का 25% से अधिक नहीं हो सकता है। जहाँ तक, समूह की संस्थाओं से आवास इकाई खरीदने वाले व्यक्तियों को ऋण देने प्रश्न है, तो इस संबंध में एचएफसी कार्य और सोच में स्वतंत्र संव्यवहार के सिद्धांतों का पालन करेगा।

2.10. धोखाधड़ी की निगरानी

धोखाधड़ी की निगरानी के संबंध में एनबीएफसी को जारी सभी निर्देश, दिनांक 29 सितंबर, 2016 को जारी मास्टर निदेश - एनबीएफसी (रिजर्व बैंक) में धोखाधड़ी की निगरानी निदेश, में शामिल किया गया है। ये निर्देश, धोखाधड़ी के वर्गीकरण, धोखाधड़ी की निगरानी, बोर्ड को रिपोर्ट करने, पुलिस अधिकारियों, आरबीआई को रिपोर्ट करने आदि से संबंधित हैं। धोखाधड़ी की निगरानी से संबंधित सभी निर्देशों में सामंजस्य स्थापित करने के उद्देश्य से, एनएचबी द्वारा जारी वर्तमान दिशानिर्देशों के स्थान पर इन निर्देशों को एचएफसी पर लागू करने का प्रस्ताव है। धोखाधड़ियों की निगरानी से संबंधित इन मास्टर निदेशों में दिए गए फार्मेट में सभी रिपोर्ट एनएचबी, नई दिल्ली को भेजा जाना जारी रखा जाए जैसा कि अब तक किया जाता रहा है।

2.11 सूचना प्रौद्योगिकी फ्रेमवर्क

08 जून, 2017 को मास्टर निदेश DNBS.PPD.No.04/66.15.001/2016-17 के माध्यम से जारी एनबीएफसी के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) फ्रेमवर्क को एचएफसी पर लागू किया जाना प्रस्तावित है और इसके अनुसरण में, 15 जून, 2018 के NHB/ND/DRS/Policy No.90/2017-18 द्वारा जारी दिशानिर्देश को वापस लेने का प्रस्ताव है। आईटी फ्रेमवर्क में शामिल हैं- आईटी गवर्नेंस, आईटी पॉलिसी, सूचना और साइबर सुरक्षा, आईटी संचालन, आईएस ऑडिट, कारोबार निरंतरता योजना और आईटी सेवा आउटसोर्सिंग। निर्देशों को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है, जो निदेश, ऐसे सभी एनबीएफसी पर लागू होते हैं जिनकी आस्ति 500 करोड़ से अधिक है (प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है) उपर्युक्त मास्टर निदेश के अनुभाग-ए में दिए गए हैं। 500 करोड़ से कम की आस्ति आकार वाले एनबीएफसी के लिए निदेश उपर्युक्त मास्टर निदेश के अनुभाग-बी में उपलब्ध कराए गए हैं। एचएफसी को प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण और गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण संस्थाओं में वर्गीकृत करने के निर्णय को ध्यान में रखते हुए ये निदेश तदनुसार लागू होंगे।

2.12. प्रतिभूतीकरण

एनएचबी ने प्रतिभूतिकरण के संबंध में विशिष्ट दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं। यह प्रस्ताव है कि, एनबीएफसी पर लागू मास्टर निदेश - एनबीएफ़सी - प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (17 फरवरी, 2020 तक अद्यतन किया गया) के अनुबंध XXII में निहित प्रतिभूतिकरण लेनदेन से संबंधित दिशानिर्देशों को सभी एचएफसी (प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण और गैर-प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण) पर लागू किया जाए।

2.13. शेयर के बदले में उधार देना

एचएफसी द्वारा, शेयरों की गिरवी के बदले में उधार देने के संबंध में वर्तमान में कोई दिशानिर्देश नहीं है। एकरूपता के लिए, यह प्रस्ताव है कि मास्टर निदेश - एनबीएफ़सी - प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (17 फरवरी, 2020 तक अद्यतित) के पैरा 22 में शामिल सूचीबद्ध शेयरों की संपार्श्विक के बदले में उधार देने के संबंध में एनबीएफसी पर लागू निर्देशों को सभी एचएफसी पर लागू किया जाए।

2.14. वित्तीय सेवाओं के आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आधार संहिता

चूंकि वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग के संबंध में एचएफसी के लिए कोई दिशा-निर्देश निर्धारित नहीं किए गए हैं, अत: मास्टर निदेश - एनबीएफ़सी - प्रणालीगत महत्वपूर्ण जमाराशि स्वीकार नहीं करने वाली कंपनी तथा जमाराशि स्वीकार करने वाली कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (17 फरवरी, 2020 तक अद्यतित) के अनुलग्नक XXV के दिशानिर्देशों को सभी एचएफसी पर लागू करना प्रस्तावित है।

2.15. समय-पूर्व समाप्ति शुल्क

ग्राहकों की सुरक्षा के उपाय के लिए और बैंकों और एनबीएफसी के उधारकर्ताओं द्वारा विभिन्न ऋणों के पुनर्भुगतान के संबंध में एकरूपता लाने के लिए, कोई भी समय-पूर्व समाप्ति शुल्क / पूर्व-भुगतान दंड किसी अस्थिर दर अवधि ऋण पर नहीं लगाया जाएगा जो सह-देनदारियों के साथ या उनके बिना व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को व्यवसाय से अलग उद्देश्यों के लिए स्वीकृत हो। चूंकि वर्तमान में इसप्रकार के नियम एचएफसी के लिए निर्धारित नहीं हैं, इसलिए इन निर्देशों को एचएफसी पर लागू करना प्रस्तावित है।

2.16. भारतीय लेखा मानकों का कार्यान्वयन

भारतीय लेखा मानकों के कार्यान्वयन के संबंध में दिनांक 13 मार्च, 2020 को एनबीएफसी को जारी परिपत्र DOR(NBFC).CC.PD.No.109/22.10.106/2019-20 के माध्यम से दिये निर्देश को आवास वित्त कंपनियों (HFCs) पर भी लागू किए जाएंगे। अनुमानित ऋण हानि (ECL) का विवेकपूर्ण मानदंड आवास वित्त कंपनियों (HFCs) पर लागू प्रावधानीकरण से संबंधित मौजूदा निर्देश पर आधारित होगा।

3. उपर्युक्त के अलावा, एनबीएफसी की तुलना में आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के मौजूदा नियमों में कुछ प्रमुख अंतर हैं, जो इस प्रकार हैं:

(क) पूंजी आवश्यकताएं (CRAR और जोखिम भार) - वर्तमान में आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के लिए निर्धारित न्यूनतम सीआरएआर 12% है और जिसे उत्तरोत्तर 31 मार्च, 2021 तक 14% और 31 मार्च, 2022 तक 15% तक बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा, आवास वित्त कंपनियों (HFCs) की आस्तियों का जोखिम भार आस्ति वर्गीकरण, एल.टी.वी, ऋणी के प्रकार इत्यादि के आधार पर 30% से 125% के श्रेणी में है। हालांकि, NBFC के लिए, न्यूनतम CRAR 15% है और जोखिम भार मोटे तौर पर 0%, 20% और 100% श्रेणियों के अंतर्गत है।

(ख) आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधान (IRACP) मानदंड - आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के बही खातों में मानक, अवमानक आस्तियों, संदिग्ध आस्तियों पर लागू प्रावधानीकरण मानदंडों में महत्वपूर्ण अंतर हैं।

(ग) ऋण / निवेश के केन्द्रीयकरण का मानदंड - ऋण केन्द्रीयकरण मानदंड एनबीएफसी और एचएफसी के लिए समान हैं। तथापि, एनबीएफसी को इस संबंध में कुछ निश्चित छूट प्राप्त है।

(घ) वाणिज्यिक रियल एस्टेट (सीआरई) और कैपिटल मार्केट (सी.एम.ई.) में ऋण जोखिम की सीमा - आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के लिए भूमि और भवन में निवेश के द्वारा सीआरई में ऋण जोख़िम की निर्धारित सीमा पूंजीगत निधि के 20% से अधिक नहीं होगी और सीएमई के लिए यह सीमा निवल संपत्ति के कुल जोखिम का 40% से अधिक नहीं होगी, जिसमें प्रत्यक्ष जोखिम निवल संपत्ति का 20% होना चाहिए। एनबीएफसी के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है।

(ङ) जनता की जमाराशियां स्वीकार करने के संबंध में विनियम यथा, जनता की जमाराशि की अवधि (एनबीएफसी के लिए 12 महीने से 60 महीने के विरूद्ध, आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के लिए 12 माह से 120 माह), जमाराशि की उच्चतम सीमा (न्यूनतम निवेश ग्रेड रेटिंग प्राप्त एनबीएफसी के 1.5 गुना के बदले आवास वित्त कंपनियों (HFCs) के लिए NOF का 3 गुणा), जमाराशि के समय पूर्व पुनर्भुगतान पर ब्याज (अवधि और दर के निर्धारण के आधार पर NBFC के लिए निर्धारित दर से 2% से 3% कम के बदले एचएफसी के लिए निर्धारित दर से 1% से 4% तक कम) तरल आस्तियों का रखरखाव (एनबीएफसी के लिए 15% के बदले एचएफसी के लिए 13%) आदि।

3.1 उपर्युक्त पैरा 3 में उल्लिखित विनियमों के समरूपण का कार्य दो से तीन वर्षों की अवधि में चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा, तब तक के लिए एचएफसी मौजूदा मानदंडों का पालन करते रहेंगे।


Server 214
शीर्ष