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परिचय
वित्तीय सेवाओं की डिजाइनिंग और वितरण में तकनीकी नवोन्मेषों ने वित्तीय क्षेत्र की गतिशीलता को खासकर पिछले दशक में, उल्लेखनीय रूप से बदल दिया है। जबकि फिनटेक के तहत गतिविधियों का सटीक दायरा उभरते हुए यूज़ केसेस के साथ विकसित होता रहेगा, यह निश्चित है कि वित्तीय क्षेत्र प्रौद्योगिकी को और भी अधिक समाविष्ट करना जारी रखेगा।
गतिशील रूप से बदलते परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए, रिज़र्व बैंक, जनता की व्यापक भलाई के लिए फिनटेक क्षेत्र में नवोन्मेष को सहज बनाने के लिए सतर्क प्रयास कर रहा है। तदनुसार, फिनटेक क्षेत्र पर अधिक ध्यान देने, नवोन्मेष को सहज बनाने और गतिशील रूप से बदलते वित्तीय परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखने के उद्देश्य से जनवरी 2022 भारतीय रिज़र्व बैंक में फिनटेक विभाग की स्थापना की गई। फिनटेक विभाग द्वारा, फिनटेक क्षेत्र में रचनात्मक नवोन्मेष और उद्भवन (इन्क्यूबेशन) की सुविधा से संबंधित सभी मामलों का निष्पादन किया जा रहा है, जिनके वित्तीय क्षेत्र/बाजारों में व्यापक प्रभाव हो सकते हैं और जो बैंक के दायरे में आते हैं।
विभाग के उद्देश्य
i. फिनटेक क्षेत्र पर निष्ठापूर्वक ध्यान देना और गतिशील रूप से बदलते वित्तीय परिदृश्य के साथ तालमेल बनाए रखना।
ii. फिनटेक क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा देना, इससे जुड़ी चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना और एक उचित दृष्टिकोण, संबद्ध कार्यनीति और दिशानिर्देश तैयार करके उनका समाधान करना।
iii. फिनटेक विषय पर अधिक के शोध के लिए एक फ्रेमवर्क प्रदान करना जो बैंक द्वारा नीतिगत हस्तक्षेप में सहायता कर सके।
iv. इस विषय पर अंतर-नियामक और अंतरराष्ट्रीय समन्वय करना एवं इससे जुड़ी चुनौतियों और अवसरों की पहचान करना तथा उन पर समयसे ध्यान देना।
नवोन्मेषी पहलें और विकास
I. नियामक सैंडबॉक्स
भारत में फिनटेक परितंत्र के विनियमित और अनुशासित विकास को सक्षम बनाने के लिए, रिज़र्व बैंक अगस्त 2019 में उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया, जिनके पास अपना स्वयं का नियामक सैंडबॉक्स (आरएस) परितंत्र है। सैंडबॉक्स के भीतर, पात्र संस्थाएं नियंत्रित वातावरण में अपने नवीन उत्पादों या सेवाओं का सजीव (लाइव) परीक्षण कर सकती हैं।
आरएस नियामक, नवोन्मेषकों, वित्तीय सेवा प्रदाताओं और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच एक सहयोग है जो यह सुनिश्चित करेगा कि भारतीय उपभोक्ताओं को सर्वश्रेष्ठ वित्तीय सेवाएं मिलना जारी रहे।
नियामक सैंडबॉक्स की स्थापना वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद - उप समिति (एफएसडीसी-एससी) द्वारा स्थापित फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग पर कार्य समूह की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। व्यापक हितधारक परामर्श के बाद, नियामक सैंडबॉक्स (आरएस) के लिए अंतिम सक्षम फ्रेमवर्क
13 अगस्त 2019
को आरबीआई की वेबसाइट पर प्रस्तुत किया गया था। सक्षम फ्रेमवर्क को
16 दिसंबर 2020
और
08 अक्तूबर 2021
को पुनः अद्यतित किया गया, जिसे पिछले समूहों के अनुभवोंनुसार बेहतर बनाया गया।
आरएस थीम के (विषयक) समूहों पर आधारित है। आरएस के तहत विभिन्न समूहों की थीम निम्नवत है-
I. खुदरा भुगतान
II. सीमा-पार भुगतान
III. एमएसएमई ऋण
IV. वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और शमन
V. सीमीत थीमों के अलावा - यहां आरबीआई के नियामक डोमेन में विभिन्न कार्यों से संबंधित नवोन्मेषी उत्पाद/सेवाएं/प्रौद्योगिकियां आवेदन करने के लिए पात्र होंगी।
इसके अतिरिक्त, सीमित थीमों में निरंतर नवोन्मेष सुनिश्चित करने के लिए, आरएस सीमित थीमों के लिए 'ऑन टैप' एप्लिकेशन भी स्वीकार करता है। वर्तमान में, पहले दो समूहों (अर्थात खुदरा भुगतान और सीमा पार भुगतान) की थीम 'ऑन टैप' अनुप्रयोगों के लिए खुली हैं।
II. आरबीआई हैकथॉन – हार्बिंजर
हैकथॉन एक ऐसा कार्यक्रम है जो समस्या विवरणों के माध्यम से निर्दिष्ट क्षेत्र में मौजूदा चुनौतियों के लिए नवोन्मेषी समाधानों के विकास हेतु लोगों और संस्थाओं को एक साथ लाने के लिए आयोजित किया जाता है। हैकथॉन की सीमित अवधि के दौरान समस्या विवरणों पर प्रतिभागियों द्वारा काम किया जाता है, जिनमें हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर और कोडिंग समुदाय के व्यक्ति, दल एवं संस्थाएं शामिल हैं। तथापि प्रतिभागी इन्हीं तक सीमित नहीं हैं। हैकथॉन की कार्य-प्रणाली एक प्रतिस्पर्धी कार्यक्रम है जहां प्रतिभागी विचार प्रस्तुत करते हैं, समाधान तैयार करते हैं, आदिप्ररूप (प्रोटोटाइप) प्रदर्शित करते हैं। हैकथॉन के विजेता/ओं को चुनने के लिए एक पैनल द्वारा समाधानों का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त समाधान, मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी संचालित नवोन्मेषी समाधान होते हैं जिन्हें मौजूदा प्रक्रियाओं को परिष्कृत करने के लिए आयोजकों द्वारा उपयोग में लाया जा सकता है या बढ़ावा दिया जा सकता है।
भुगतान और निपटान परिदृश्य में मौजूदा चुनौतियों का नवोन्मेषी समाधान खोजने के लिए, रिज़र्व बैंक ने
9 नवंबर 2021
को हैकथॉन हर्बिंजर 2021 लॉन्च किया है और भुगतान परिदृश्य संबंधित चार समस्या विवरणों पर घरेलू और वैश्विक फिनटेक कंपनियों, प्रोग्रामरों और छात्रों से समाधान आमंत्रित किया है।
हैकाथॉन को भारत समेत और यूएसए, यूके, स्वीडन, सिंगापुर, फिलीपींस और इज़राइल सहित 22 अन्य देशों से टीमों द्वारा प्रस्तुत 363 प्रस्तावों के साथ उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली। हैकथॉन तीन चरणों में चला जिसमें पहले चरण में प्रस्तावों को शॉर्टलिस्ट किया गया, दूसरे चरण में समाधान विकास और उसके बाद तीसरे चरण में अंतिम मूल्यांकन किया गया। विजेता समाधानों का निर्णय बाहरी विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा किया गया और टीमों को पुरस्कार प्रदान किए गए।
III. रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब
हाल के दिनों में, बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) सहित विश्व में कई केंद्रीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने इनोवेशन हब स्थापित किए हैं। सतत नवोन्मेष को बढ़ावा देने के लिए, एक संस्थागत सेटअप के माध्यम से इसे पोषित करना आवश्यक है और तदनुसार,
06 अगस्त 2020 के विकास और नियामक नीतियों पर अपने मौद्रिक नीति वक्तव्य
में की गई घोषणा के अनुसार रिज़र्व बैंक ने रिज़र्व बैंक इनोवेशन हब (आरबीआईएच) की स्थापना की है। संस्थागत सेट-अप के माध्यम से वित्तीय नवोन्मेष को सतत प्रोत्साहित करने और पोषण करने के लिए
₹
100 करोड़ के प्रारंभिक पूंजी योगदान के साथ, आरबीआईएच को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत कंपनी के रूप में पंजीकृत किया गया है। हब का एक स्वतंत्र बोर्ड है, जिसके अध्यक्ष श्री सेनापति (क्रिश) गोपालकृष्णन हैं और आरबीआईएच का मार्गदर्शन करने के लिए सदस्य के रूप में उद्योग और शिक्षा जगत के अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं। आरबीआईएच का उद्देश्य एक ऐसा परितंत्र बनाना है जो कम आय वाली आबादी के लिए वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच को बढ़ावा देने पर केंद्रित हो।
हब का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर और एक ऐसा वातावरण तैयार करके वित्तीय क्षेत्र में नवोन्मेष को बढ़ावा देना है जो नवोन्मेष को सहज करेगा और बढ़ावा देगा। यह एक ऐसा परितंत्र बनाने की दिशा में प्रयास करेगा जो वित्तीय सेवाओं और उत्पादों तक पहुंच को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगा और वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाएगा। यह फिनटेक शोध को बढ़ावा देने एवं नवोन्मेषियों और स्टार्ट-अप के साथ जुड़ाव को सहज बनाने लिए आवश्यक आंतरिक बुनियादी ढांचे का भी विकास करेगा। साथ ही, आरबीआईएच वित्तीय क्षेत्र के संस्थानों, प्रौद्योगिकी, उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग करेगा और वित्तीय नवोन्मेषों से संबंधित विचारों के आदान-प्रदान और प्रोटोटाइप के विकास के प्रयासों का समन्वय करेगा।
भविष्य की संभावनाएं
अपने अधिदेश के अंश के रूप में, फिनटेक विभाग एक उचित संस्थागत फ्रेमवर्क तैयार करने और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (पीओसी), पायलट और रोलआउट का संचालन करने, विशेष रूप से तकनीकी रूप से संचालित नवोन्मेषी वित्तीय उत्पादों/सेवाओं के उपयोग को बढ़ावा देने वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने, एनबीएफसी-पीयर टू पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म और एनबीएफसी-अकाउंट एग्रीगेटर्स के संबंध में तकनीकी पहलुओं का मूल्यांकन करने, वित्तीय सेवाओं में शोध को आगे बढ़ाने एवं प्रोत्साहित करने और नए सुपटेक और रेगटेक टूल के परीक्षण एवं अंगीकरण के प्रयोग और संचालन की दिशा में काम कर रहा है।
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