उभरती भारतीय अर्थव्यवस्था और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की पहुंच के कारण, उभरती राष्ट्रीय प्राथमिकताओं तथा ऋण के प्रवाह में व्याप्त क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र संबंधी दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई। बैंकों और एनबीएफसी द्वारा सह-उधार मॉडल का उद्देश्य विभिन्न प्राथमिकता-प्राप्त वाले क्षेत्रों में ऋण के प्रवाह में सुधार हेतु बैंकों और एनबीएफसी का तुलनात्मक रूप से लाभ उठाना है। वाणिज्यिक बैंकों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे भारत सरकार के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन ढांचे के दायरे में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित पात्र उधारकर्ताओं को आवश्यक सहायता प्रदान करें।
वित्तीय समावेशन हेतु राष्ट्रीय कार्यनीति 2019-24 की सिफारिशों को लागू करना तथा देश में वित्तीय समावेशन की प्रगति को विस्तारित करने और उसे बनाए रखने के लिए वित्तीय समावेशन योजनाओं की प्रगति की निगरानी करना।
वित्तीय साक्षरता केंद्र के माध्यम से जनता के बीच वित्तीय साक्षरता जागरूकता को मजबूत करना।
कृषि ऋण की समीक्षा हेतु आंतरिक कार्यदल तथा एमएसएमई पर विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए हितधारकों के साथ समन्वय करना।