शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।
आरबीआई/2018-19/37 डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी).परि.No.02/16.20.000/2018-19
16 अगस्त 2018
मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदया / महोदय,
प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा गैर एसएलआर प्रतिभूतियों में निवेश किया जाना – द्वितीयक बाज़ार लेनदेन के लिए अनुमोदित काउंटरपार्टियां
कृपया 30 जनवरी 2009 के हमारे परिपत्र सं. शबैंवि.(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.46/16.20.000/2008-09 के पैरा 2 (iii) (i) का अवलोकन करें जिसमें प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को कहा गया है कि वे द्वितीयक बाज़ार में गैर एसएलआर निवेशों के अधिग्रहण / बिक्री हेतु सभी लेनदेन प्रतिपक्षों के रूप में केवल वाणिज्यिक बैंक / प्राथमिक डीलर के साथ ही करें।
2. शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों के विनियमन के बीच सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों को द्वितीयक बाज़ार में गैर एसएलआर निवेशों के अधिग्रहण / बिक्री हेतु वाणिज्यिक बैंकों एवं प्राथमिक डीलरों के अलावा म्यूचुल फंड्स, पेंशन / भविष्य निधियों एवं बीमा कंपनियों के साथ भी पात्र लेन-देन करने की अनुमति दी जाए, बशर्ते कि वे 10 अगस्त 2017 के आरबीआई मास्टर निदेश एफएमआरडी.डीआईआरडी.2/14.01.002/2017-18 के अनुच्छेद सं. 7 में निहित अनुदेशों का पालन करते हों।
3. इस संबंध में 30 जनवरी 2009 के परिपत्र सं.शबैंवि.(पीसीबी).बीपीडी.परि.सं.46/16.20.000/2008-09 और 07 मई 2014 के परिपत्र सं. शबैंवि.बीपीडी(पीसीबी).परि सं.58/16.20.000/2013-14 में विनिर्दिष्ट अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।
भवदीय,
(नीरज निगम) मुख्य महाप्रबंधक