आरबीआई/2023-24/90
विवि.एसटीआर.आरईसी.58/21.04.048/2023-24
19 दिसंबर, 2023
सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित)
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/राज्य सहकारी बैंक/केंद्रीय सहकारी बैंक
सभी अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (आवास वित्त कंपनियों सहित)
वैकल्पिक निवेश निधि (एआईएफ) में निवेश
विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा अपने नियमित निवेश परिचालन के अंतर्गत एआईएफ की इकाइयों में निवेश किया जाता है। इस संदर्भ मे, एआईएफ से जुड़े आरई के कुछ ऐसे लेन-देन हमारे संज्ञान में आए हैं, जिससे विनियामकीय चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। इन लेन-देन के द्वारा आरई अपने उधारकर्ताओं के प्रत्यक्ष ऋण एक्सपोजर को एआईएफ की इकाइयों में निवेश के माध्यम से अप्रत्यक्ष एक्सपोजर के साथ, प्रतिस्थापित करती है।
2. इस मार्ग के माध्यम से ऋणों के संभावित एवरग्रीनिंगसे संबंधित प्रसंगो के समाधान के लिए, निम्नानुसार सूचित किया जाता है:
(i) आरई द्वारा एआईएफ की किसी भी ऐसी स्कीम में निवेश नहीं किया जाना चाहिए जिसमें आरई की ऋणी कंपनी में उस एआईएफ की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अधोगामी (डाउनस्ट्रीम) निवेश हो।
स्पष्टीकरण: इस उद्देश्य के लिए, आरई की ऋणी कंपनी का मतलब ऐसी किसी भी कंपनी से होगा, जिस मे आरई का वर्तमान में या पिछले 12 महीनों के दौरान कभी भी ऋण या निवेश एक्सपोजर था।
(ii) यदि कोई एआईएफ स्कीम , जिसमें आरई पहले से ही एक निवेशक है, ऐसी किसी ऋणी कंपनी में बाद में डाउनस्ट्रीम निवेश करती है, तो आरई को एआईएफ द्वारा ऐसे डाउनस्ट्रीम निवेश की तारीख से 30 दिनों के भीतर स्कीम में अपना निवेश समाप्त करना होगा। यदि आज की तारीख में आरई ने पहले से ही अपनी ऋणी कंपनियों में डाउनस्ट्रीम निवेश वाली ऐसी स्कीमों में निवेश किया है, तो परिसमापन के लिए 30 दिन की अवधि इस परिपत्र के जारी होने की तारीख से गिनी जाएगी। इस मामले में एआईएफ़ को उचित रूप से सूचित करने की व्यवस्था आरई द्वारा तुरंत की जानी चाहिए।
(ii) यदि आरई उपर्युक्त निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने निवेश को समाप्त करने में सक्षम नहीं हैं, तो उन्हें ऐसे निवेश पर 100 प्रतिशत का प्रावधान करना होगा।
3. इसके अलावा, 'प्राथमिकता वितरण मॉडल' के साथ की एआईएफ स्कीम के अधीनस्थ इकाइयों में, आरई द्वारा निवेश, आरई के पूंजीगत निधि से पूर्ण कटौती के अधीन होगा।
स्पष्टीकरण: 'प्राथमिकता वितरण मॉडल' का वही अर्थ होगा जो सेबी के दिनांक 23 नवंबर 2022 के परिपत्र सेबी/एचओ/एएफ़डी-1/पीओडी/पी/सीआईआर /2022/157 में निर्दिष्ट है।
4. ये अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 और 35ए; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 का अध्याय IIIबी और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए, 32 और 33 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किए गए हैं।
5. उपर्युक्त अनुदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।
भवदीय,
(वैभव चतुर्वेदी)
मुख्य महाप्रबंधक |