भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2014 में अंतर-विभागीय कार्य-दल का गठन किया था, जिसका उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक के विभिन्न विभागों में प्राप्त बैंकिंग/ विनियमन संबंधी विवरणियों में शामिल तुलन-पत्र/ लाभ और हानि/ तुलन-पत्रेतर की प्रमुख मदों की “सुसंगत” परिभाषाएं देना था। विभिन्न विवरणियों में रिपोर्ट किए जाने वाले 106 डेटा तत्वों के लिए सुसंगत परिभाषाओं का समुच्चय 30 मार्च 2017 की प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से जारी किया गया था। रिज़र्व बैंक ने अब 83 डेटा तत्वों के दूसरे समुच्चय (अनुबंध) के लिए परिभाषाओं को सुसंगत बनाया है, जो विभिन्न विवरणियों में रिपोर्ट किए जाते हैं।
2. कुछ डेटा तत्वों की व्याख्या संदर्भगत हो सकती है, जो विवरणी के प्रयोजन और प्रयोक्ता विभाग की आवश्यकता पर निर्भर करेगा। सूक्ष्म विवरण प्राप्त करने के लिए, संबंधित मास्टर परिपत्र/ निदेश/ मार्गदर्शन नोट का संदर्भ लिया जाना आवश्यक है। इस परिपत्र में दी गई किसी शब्द की परिभाषा और सांविधिक/ लेखांकन/ विनियामक (संबंधित परिपत्रों में दी गई) परिभाषा के बीच टकराव की स्थिति में, सांविधिक/ लेखांकन/ विनियामक परिभाषा मान्य होगी।
क्र.सं. |
डेटा तत्व |
सुसंगत परिभाषा |
1 |
ग्राहक ऋण |
ग्राहक ऋण का संबंध व्यक्तियों को दिए जाने वाले ऋणों से है, जिसमें (क) उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के लिए ऋण, (ख) क्रेडिट कार्ड प्राप्य राशियां, (ग) ऑटो ऋण (वाणिज्यिक उपयोग के लिए ऋण के अलावा), (घ) स्वर्ण, स्वर्ण आभूषण, अचल संपत्ति, मीयादी जमाराशियां (एफसीएनआर(बी) सहित), शेयर और बॉन्ड, आदि की जमानत पर लिए गए वैयक्तिक ऋण (व्यवसाय/ वाणिज्यिक प्रयोजन के अलावा), (ङ) पेशेवरों को वैयक्तिक ऋण (व्यवसाय के प्रयोजन के लिए ऋण को छोड़कर), और (च) अन्य उपभोग के प्रयोजन के लिए दिए गए ऋण (उदाहरणार्थ, सामाजिक आयोजन, आदि)। तथापि, इसमें निम्न शामिल नहीं है (क) शिक्षा ऋण, (ख) अचल आस्तियों (उदाहरणार्थ, आवास, आदि) के निर्माण/ वृद्धि के लिए दिए गए ऋण, (ग) वित्तीय आस्तियों (शोयर, डिबेंचर, आदि) में निवेश के लिए दिए गए ऋण, और (घ) केसीसी के अंतर्गत किसानों को प्रदत्त उपभोग ऋण। पूंजी पर्याप्तता ढांचे के अंतर्गत जोखिम भार के प्रयोजन से, मौजूदा विनियामक दिशानिर्देश लागू होंगे। |
2 |
वैयक्तिक ऋण |
वैयक्तिक ऋण का संबंध व्यक्तियों को दिए गए ऋण से है और इसमें निम्न शामिल है (क) उपभोक्ता ऋण, (ख) शिक्षा ऋण, (ग) अचल आस्तियों (उदाहरणार्थ, आवास, आदि) के निर्माण/ वृद्धि के लिए दिए गए ऋण, (घ) वित्तीय आस्तियों (शेयर, डिबेंचर, आदि) में निवेश के लिए दिए गए ऋण। |
3 |
निधिक ऋण |
निधिक ऋण का आशय वास्तव में उधार दी गई राशि अथवा उधारकर्ता के खाते में जमा की गई राशि अथवा उधारकर्ता की ओर से भुगतान के लिए उधारकर्ता के ऋण खाते/ नकद ऋण/ ओवरड्रॉफ्ट अथवा किसी अन्य उधार खाते के नामे डाली गई राशि से है। |
4 |
भारित औसत उधार दर |
भारित औसत उधार दर (डब्ल्यूएएलआर) का संबंध सभी प्रकार के रुपया ऋण खाते (अर्थात् नकदी ऋण, मांग ऋण, ओवरड्रॉफ्ट, वित्त-पोषित किए गए और भुनाए गए देशी बिल, मीयादी ऋण और अन्य प्रकार के ऋण, यदि कोई हो) से है। प्रत्येक ऋण खाते के अधीन ऋण की राशि का इसके संबंधित ब्याज दरों के साथ गुणा किया जाता है (सामान्य तौर पर, इसे प्रत्येक प्रकार के ऋण खाते के अंतर्गत अलग-अलग खाता-वार किया जाता है) और फिर, एक साथ जोड़ दिया जाता है। सभी उत्पादों के इस योग को डब्ल्यूएएलआर प्राप्त करने के लिए ऋण की कुल राशि से विभाजित किया जाता है। |
5 |
पोत-लदानपूर्व ऋण |
पोत-लदानपूर्व ऋण किसी बैंक द्वारा किसी निर्यातक को मंजूर किया गया या दिया गया ऐसा ऋण या अग्रिम है जो भारत से बाहर स्थित किसी आयातक द्वारा निर्यातक या किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में खोले गए साख-पत्र के आधार पर या भारत से वस्तुओं/ सेवाओं के निर्यात के लिए पुष्ट और अपरिवर्तनीय आदेश या निर्यातक या किसी अन्य व्यक्ति को भारत से बाहर निर्यात करने संबंधी आदेश या निर्यातक या किसी अन्य व्यक्ति को भारत से बाहर निर्यात करने संबंधी आदेश के किसी अन्य साक्ष्य के आधार पर (बशर्ते निर्यात आदेश दिए जाने या बैंक में साख-पत्र खोले जाने से छूट न दे दी गई हो) पोतलदान से पहले वस्तुओं के क्रय, प्रसंस्करण, विनिर्माण या पैकिंग कार्यों/ सेवाएं देने के लिए कार्यकारी पूंजीगत व्यय के लिए अपेक्षित वित्त के रूप में उपलब्ध कराया गया हो। |
6 |
अंतरण (टेक-ऑउट) वित्तपोषण/ सशर्त अंतरण (टेक-ऑउट) वित्तपोषण |
अंतरण (टेक-ऑउट) वित्तपोषण ऐसी व्यवस्था है जहां इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का वित्तपोषण करने वाली कोई संस्था/ बैंक किसी वित्तीय संस्था के साथ उक्त को पूर्व-निर्धारित आधार पर अपनी बहियों में इस प्रकार के वित्तपोषण के संबंध में बकाया राशि को अंतरित करने की व्यवस्था करेगी। सशर्त अंतरण (टेक-ऑउट) वित्तपोषण : इस परिदृष्य में, अधिग्रहण करने वाली संस्था ऋणदात्री संस्था से वित्त के अधिग्रहण से पहले उधारकर्ता के द्वारा पूरा किए जाने के लिए कतिपय शर्तें निर्धारित करेगी। |
7 |
गैर-जमानती गारंटियां |
गैर-जमानती गारंटियां ऐसी गारंटियां हैं जो किसी संपार्श्विक द्वारा जमानती न हों। गैर-जमानती गारंटियों की राशि की सीमा बैंक के बोर्ड के द्वारा तय की जाती है। |
8 |
गिरावट |
गिरावट का संबंध किसी अवधि के दौरान एनपीए में हुई नई वृद्धि से है। |
9 |
मानक अग्रिम |
मानक अग्रिम ऐसा अग्रिम है जो मौजूदा आईआरएसी और प्रावधान करने संबंधी मानदंडों के अनुसार अनर्जक नहीं है। |
10 |
अवमानक अग्रिम |
अवमानक अग्रिम वह है जो 12 महिने के बराबर या उससे कम अवधि तक अनर्जक रहा हो। |
11 |
संदिग्ध अग्रिम |
ऐसा अग्रिम जो 12 महिने की अवधि तक अवमानक श्रेणी में रहा हो। |
12 |
पुनर्रचित खाते |
पुनर्रचित खाता ऐसा खाता है जहां उधारकर्ता की वित्तीय कठिनाई संबंधी आर्थिक अथवा विधिक कारणों से बैंक उधारकर्ता को ऐसी छूट प्रदान करेगा जिस पर बैंक अन्यथा विचार नहीं करेगा। पुनर्रचना में सामान्य तौर पर अग्रिमों/ प्रतिभूतियों की शर्तों में संशोधन शामिल होगा, जिसमें आम तौर पर अन्य बातों के साथ-साथ चुकौती अवधि/ चुकौती-योग्य राशि/ किस्तों की राशि/ ब्याज दर (प्रतिस्पर्धात्मक कारणों को छोड़कर अन्य कारणों से) में परिवर्तन शामिल होंगे। तथापि, जब खातों के एक वर्ग पर समान रूप से लागू करने की शर्त पर समान मासिक किस्त (ईएमआई) को अपरिवर्तित बनाए रखने के उद्देश्य से, ब्याज दर के पुनर्निर्धारण के कारण अस्थिर दर वाले ऋण की चुकौती अवधि बढ़ायी जाती है, तब खाते को ‘पुनर्रचित खाते’ के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। दूसरे शब्दों में, सम्पूर्ण वर्ग के बजाए वैयक्तिक उधारकर्ताओं के ईएमआई में विस्तार अथवा आस्थगन वाले खातों को ‘पुनर्रचित खातों’ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। |
13 |
पुनर्रचित मानक अग्रिम |
पुनर्रचित मानक अग्रिम ऐसे अग्रिम हैं जिन्हें डीबीआर के मौजूदा अनुदेशों के अनुसार मानक के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पुनर्रचित/ अनुमत किया गया हो। |
14 |
बंधक-समर्थित जमानत |
बंधक-समर्थित जमानत बॉन्ड के जैसी जमानत है जिसमें बंधकों के समूह द्वारा संपार्श्विक प्रदान किए जाते हैं। अंतर्निहित बंधकों से प्राप्त होने वाली आय का उपयोग ब्याज और मूलधन की चुकौती करने के लिए किया जाता है। |
15 |
खजाना (ट्रेजरी) बिल |
खजाना (ट्रेजरी) बिल अल्पकालिक परक्राम्य गैर-कूपन वाले लिखत हैं जिन्हें भारत सरकार के द्वारा जारी किया जाता है। |
16 |
परिवर्तित निवेश |
परिवर्तित निवेश तीन श्रेणियों, अर्थात् परिपक्वता तक धारित (एचटीएम), बिक्री के लिए उपलब्ध (एएफएस) तथा ट्रेडिंग के लिए धारित (एचटीएम) के बीच एक श्रेणी से दूसरी में निवेशों के परिवर्तन की राशि है। |
17 |
इक्विटी सहभागिता |
इक्विटी सहभागिता का आशय बैंकों द्वारा भारत में या विदेश में अपनी अनुषंगी/ सहयोगी/ संयुक्त उद्यम में निवेश करने, अथवा अन्य संस्थाओं में इक्विटी सहभागिता है। |
18 |
ट्रेडिंग के लिए धारित (एचएफटी), बिक्री के लिए उपलब्ध (एएफएस), परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) प्रतिभूतियां |
ट्रेडिंग के लिए धारित (एचएफटी) प्रतिभूतियां: बैंकों द्वारा अल्पकालिक कीमत/ ब्याज दर गतिविधियों का लाभ उठाते हुए ट्रेडिंग करने के इरादे से अर्जित प्रतिभूतियां। इन प्रतिभूतियों को 90 दिनों के भीतर बेचा जाना है। परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) प्रतिभूतियां: बैंकों द्वारा परिपक्वता तक धारण करने के इरादे से अर्जित प्रतिभूतियां। बिक्री के लिए उपलब्ध (एएफएस) प्रतिभूतियां: एचएफटी तथा एचटीएम के अंतर्गत वर्गीकृत न की गई प्रतिभूतियां एएफएस के अंतर्गत शामिल की जाती हैं। |
19 |
समायोजित निवल बैंक ऋण (एएनबीसी) |
एएनबीसी भारत में बकाया बैंक ऋण का द्योतक है [जैसा कि भारतीय् रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) के अंतर्गत फॉर्म ‘ए’ की मद सं. VI में निर्धारित किया गया है] जिसमें से आरबीआई तथा अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं में पुनर्भुनाए गए बिल घटाए जाएंगे तथा परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत अनुमत गैर एसएलआर बांड/डिबेंचर तथा प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के लिए उधार के भाग के रूप में माने जाने के लिए पात्र अन्य निवेश (उदा. प्रतिभूतीकृत आस्तियों में निवेश) जोड़े जाएंगे। प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र उधारों के लक्ष्य/उप- लक्ष्यों को पूरा करने के बजाए आरआईडीएफ तथा नाबार्ड, एनएचबी, सिडबी तथा मुद्रा लि. की अन्य निधियों में बकाया जमाराशियां एएनबीसी का एक भाग होगी। वृद्धिशील एफसीएनआर (बी)/ एनआरई जमाराशियों के प्रति भारत में दिए जाने वाले अग्रिम, जो 31 जनवरी 2014 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.93/12.01.001/2013-14 के साथ पठित 14 अगस्त 2013 के परिपत्र बैंपविवि.सं.आरईटी.बीसी.36/12.01.001/2013-14 और 6 फरवरी 2014 को जारी डीबीओडी मेलबॉक्स स्पष्टीकरण के अनुसार, सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के लिए अर्हताप्राप्त है, उन्हें उनकी चुकौती हो जाने तक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के उधार लक्ष्यों की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर रखा जाएगा। रिज़र्व बैंक के 15 जुलाई 2014 के परिपत्र बैंपविवि.बीपी.बीसी.सं.25/08.12.014/2014-15 के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्चर और किफायती दरों पर आवास के लिए दीर्घावधि बांड जारी किए जाने के कारण छूट के लिए पात्र राशि को भी प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के उधार लक्ष्यों की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर रखा जाएगा। |
20 |
आंतरिक देयताएं |
पूंजी, आरक्षित निधियां तथा जोखिम प्रावधान आंतरिक देयताएं हैं। |
21 |
बाह्य देयताएं |
पूंजी, आरक्षित निधियां तथा जोखिम प्रावधान को छोड़ कर अन्य देयताएं बाह्य देयताएं हैं। |
22 |
जोखिम संवेदनशील देयताएं |
ऐसी देयताएं, जो बाज़ार जोखिमों के प्रति संवेदनशील हैं। |
23 |
निर्दिष्ट पूंजी |
शाखाओं के माध्यम से विदेश में परिचालन करने वाले भारतीय बैंक अपनी विदेशी शाखाओं के लिए निर्दिष्ट पूंजी के रूप में एक विशिष्ट राशि निर्दिष्ट करते हैं। इस निर्दिष्ट पूंजी को विदेश में स्थित शाखा की बही में निर्दिष्ट पूंजी के रूप में दर्शाया जाता है तथा डीएसबी(ऐसे बैंकों द्वारा प्रस्तुत ओवरसीज विवरणियां) को रिपोर्ट किया जाता है। |
24 |
शाश्वत असंचयी अधिमानी शेयर |
शाश्वत असंचयी अधिमानी शेयर का आशय उन अधिमानी शेयरों से है, जो निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन अतिरिक्त टियर 1 पूंजी में शामिल किए जाने के लिए पात्र हैं। |
25 |
प्रकटीकृत आरक्षित राशियां |
प्रकटीकृत आरक्षित राशियों का आशय आरक्षित निधियों की विनिर्दिष्ट श्रेणियों में कराधान के बाद लाभों का विनियोजन करने से है, जिनका बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों तथा विनियामक अनुदेशों के अनुसार प्रकाशित तुलन-पत्र की अनुसूची 2 में प्रकटीकरण किया जाना अपेक्षित है। |
26 |
विनियामक पूंजी |
विनियामक पूंजी का आशय पूंजी पर्याप्तता पर मौजूदा अनुदेशों के अनुसार गणना की गई टियर I और टियर II पूंजी का योग है। |
27 |
पूंजी संरक्षण बफर (सीसीबी) |
पूंजी संरक्षण बफर पूंजी बफर के संबंध में है, जिसमें सामान्य इक्विटी टियर I पूंजी निहित है, बैंकों से अपेक्षित है कि बासल III पूंजी विनियमावली पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र डीबीआर.सं.बीपी.बीसी.1/21.06.201/2015-16 के भाग घ के अनुसार 9% की विनियामक न्यूनतम पूंजी अपेक्षा से ऊपर बनाए रखें। |
28 |
क्षैतिज अस्वीकृति (हॉरिजॉल्टल डिसअलाउंस) |
विनियामक पूंजी के लिए बाजार जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए बीआईएस पद्धति का प्रयोग करते हुए अपेक्षित पूंजी के ऑफसेट को अस्वीकृत करना। ट्रेडिंग पोर्टफोलियो के ब्याज दर जोखिम के लिए अपेक्षित पूंजी की गणना करने के लिए, बीआईएस पद्धति अधिक्रय और अधिविक्रय की स्थिति के ऑफसेट की अनुमति देता है। फिर भी, प्रतिफल वक्र के विभिन्न क्षैतिज बिन्दुओं पर लिखतों के ब्याज दर जोखिम पूर्णतः सहसंबद्ध नहीं हैं। इसलिए, बीआईएस पद्धति में यह अपेक्षित है कि इन ऑफसेट के भाग को अस्वीकार किया जाए। |
29 |
ऊर्ध्वाधर अस्वीकृति (वर्टिकल डिसअलाउंस) |
बाजार जोखिम से बचाव के लिए आवश्यक विनियामक पूंजी निर्धारित करने के लिए बीआईएस पद्धति में, प्रतिफल वक्र में उसी समयावधि में दो या उससे अधिक प्रतिभूतियों में प्रत्येक मुद्रा में अधिविक्रय की स्थिति से अधिक्रय की स्थिति के सामान्य जोखिम प्रभार के ऑफसेट को प्रतिवर्ती करना, जहां प्रतिभूतियों के भिन्न-भिन्न ऋण जोखिम होते हैं। |
30 |
संपार्श्विक उधार और ऋण दायित्व (सीबीएलओ) |
भारतीय समाशोधन निगम लि. (सीसीआईएल) ने ‘संपार्श्विक उधार और ऋण दायित्व (सीबीएलओ)’ के नाम से एक मुद्रा बाजार लिखत विकसित करके 20 जनवरी 2003 से उसे प्रारंभ किया है। यह एक मुद्रा बाजार लिखत है जिसकी मूल परिपक्वता एक दिन से लेकर एक साल तक होती है। यह सरकारी प्रतिभूतियों के द्वारा पूर्णतः संपार्श्विकीकृत है, जिसे उधारकर्ताओं द्वारा सीएसजीएल के पास उनके एसजीएल अथवा ग्राहकों की सहायक सामान्य खाताबही (सीएसजीएल) खाते में जमा किया गया हो और सीसीआईएल द्वारा प्रदत्त प्लेटफॉर्म पर ट्रेड किया गया हो। यह लिखत किसी उधार लिए गए धन की पूर्व-निर्धारित भावी तिथि को ब्याज के साथ चुकौती करने के लिए उधारकर्ता पर दायित्व सृजित करता है; और उस उधार दिए गए धन की पूर्व-निर्धारित भावी तिथि को ब्याज के साथ वसूली के लिए उधारदाता को अधिकार और प्राधिकार प्रदान करता है। |
31 |
निम्नतर टियर II बांड |
निम्नतर टियर II बांड ऐसे रुपया टियर II गौण ऋण हैं, जो भारतीय बैंकों द्वारा निर्धारित निबंधनों और शर्तों के अधीन निम्नतर टियर II पूंजी में शामिल करने हेतु जुटाये जाते हैं। भारत में परिचालनरत विदेशी बैंक निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन विदेशी मुद्रा में प्रधान कार्यालय उधार के माध्यम से टियर II पूंजी में गौण ऋण जुटा सकते हैं। |
32 |
उच्चतर टियर II बांड |
उच्चतर टियर II बांड ऋण पूंजी लिखत हैं जो भारतीय बैंकों द्वारा जारी किए जाते हैं और ‘पूंजी पर्याप्तता और बाजार अनुशासन – नया पूंजी पर्याप्तता ढांचा (एनसीएएफ)’ पर मौजूदा मास्टर निदेश के अनुबंध- 3 में निर्धारित निबंधनों और शर्तों के अनुसार आवश्यक अर्हताप्राप्त हैं, तथा अनुबंध- 4 में दी गई निबंधन और शर्तों को पूरा करने वाले शाश्वत संचयी अधिमानी शेयर (पीसीपीएस), प्रतिदेय गैर-संचयी अधिमानी शेयर (आरएनसीपीएस) और प्रतिदेय संचयी अधिमानी शेयर (आरसीपीएस) जैसे पूंजी लिखत भी हैं। |
33 |
मिश्र पूंजी |
मिश्र पूंजी लिखत वे हैं, जिनकी इक्विटी से काफी समानता है, विशेषत: जब परिसमापन की शुरुआत किए बिना वे निरंतर आधार पर हानि की स्थिति में सहायक होते हैं। इन्हें निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन टियर II पूंजी के भाग के रूप में शामिल किया जाता है। |
34 |
प्रतिभूतिकृत ऋण लिखत |
प्रतिभूतीकृत ऋण लिखत प्रतिभूतीकृत आस्तियों के समूह में से नकद प्रवाहों से निर्मित ऋण दायित्व हैं। |
35 |
मोचनीय ऋण लिखत |
मोचनीय ऋण लिखत ऐसे बांड/ लिखत हैं, जिन्हें भारतीय बैंक निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन पूंजी पर्याप्तता के प्रयोजन से पूंजी निधियों में वृद्धि करने के लिए जुटाते हैं। |
36 |
गौण ऋण |
गौण ऋण का अर्थ है, वे ऋण लिखत जो निर्धारित दिशानिर्देशों के अधीन टियर II पूंजी में शामिल किए जाने के लिए पात्र हैं। उधारकर्ता की शोधन अक्षमता या परिसमापन के मामले में इन लिखतों की स्थिति अन्य ऋणों के दावों से गौण होगी। |
37 |
दीर्घावधि मीयादी जमा |
आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर)/ सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) पर दिनांक 1 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र के अनुसार दीर्घावधि मीयादी जमाराशियाँ एक वर्ष से अधिक अवधि की संविदात्मक परिपक्वता वाली जमाराशियाँ हैं। |
38 |
मूल जमाराशि |
मूल जमाराशि, एक वर्ष से अधिक परिपक्वता (संरचनात्मक चलनिधि विवरण में रिपोर्ट किए गए अनुसार) वाली सभी जमाराशियों (चालू और बचत खाते सहित) और निवल मालियत का जोड़ है। |
39 |
अदावी जमाराशि |
भारत में सभी ऐसे खाते जो 10 साल से संचालित नहीं किए गए हैं, बशर्ते कि नियत अवधि के लिए जमा धन के मामले में 10 वर्ष की उक्त अवधि की गणना ऐसी अवधि की समाप्ति की तारीख से की जाएगी। |
40 |
विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता/ जमाराशि (ईईएफ़सी) |
विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता (ईईएफ़सी),किसी प्राधिकृत डीलर, अर्थात विदेशी मुद्रा में संव्यवहार करने वाले बैंक के पास खोला गया खाता है। यह विदेशी मुद्रा अर्जकों,निर्यातकों सहित,को प्रदान की जाने वाली एक सुविधा है, जिसमें वे अपनी विदेशी मुद्रा आय का 100% हिस्सा खाते में जमा कर सकते हैं, ताकि खाताधारकों को विदेशी मुद्रा को रुपए में या इसके उलट बदलने की जरूरत नहीं पड़े, जिससे लेनदेन की लागत कम होती है। |
41 |
जोखिम प्रावधान |
जोखिम प्रावधान, बैंक द्वारा किसी वित्तीय वर्ष के दौरान चिह्नित वास्तविक हानि/ मूल्य में कमी और चिह्नित अनुमानित हानि / मूल्य में कमी को रिकॉर्ड करने के लिए लाभ और हानि खाते में लगाए गए सभी प्रभारों को, कवर करते हैं। |
42 |
पैरा बैंकिंग गतिविधियां |
पैरा बैंकिंग गतिविधियां वे अनुमत गतिविधियां हैं, जो कोई बैंकिंग कंपनी, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 6 की उप-धारा 1 के अंतर्गत, बैंकिंग गतिविधियों के साथ-साथ कर सकती है, और जो पैरा बैंकिंग गतिविधियों पर जारी किए गए विनियामक दिशानिर्देशों के अधीन होंगी। |
43 |
विदेश में स्थित बैंकिंग इकाई |
विदेश में स्थित बैंकिंग इकाई, किसी विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) में स्थित बैंक शाखा है, जिसने 23 जून, 2005 के 'विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005' के अध्याय 1 के पैरा 2 (यू) में पारिभाषित किए गए अनुसार बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 के उप-धारा (1) के खंड (क) के तहत अनुमति प्राप्त कर ली है। |
44 |
आंशिक चुकता शेयर पर देयता |
आंशिक चुकता शेयरों पर देयता तब उत्पन्न होती है जब शेयर के अंकित मूल्य का केवल एक हिस्सा चुकाया गया हो और अब भी शेयरधारक द्वारा जारीकर्ता कंपनी को शेष राशि का भुगतान किया जाना अपेक्षित हो। |
45 |
वायदा जमाराशि |
वायदा जमाराशि एक सहमत राशि के लिए किसी भावी तारीख और पूर्व-निर्धारित दर पर जमाराशि रखने के लिए एक प्रतिबद्धता है। यह तुलन पत्रेतर मद है। |
46 |
गैर निधिक प्रतिबद्धता |
गैरनिधिक प्रतिबद्धता में ऐसी कोई भी प्रतिबद्धता शामिल है, जो निधि आधारित प्रतिबद्धता के अंतर्गत नहीं आती है। |
47 |
गैर निधि-आधारित अग्रिम |
गैर निधि-आधारित अग्रिम का आशय ऐसे आकस्मिक ऋण से है जो तुलनपत्रेतर एक्सपोजर है, जैसे – उधारकर्ता को जारी किए गए साख पत्र, गारंटी आदि। |
48 |
बैंक द्वारा दी गई अल्पकालिक सुविधाएं |
अल्पकालिक सुविधाएं एक वर्ष से कम अवधि के लिए दी गई (निधिक और/या गैर-निधिक) ऋण सुविधाएं हैं। |
49 |
परिक्रामी हामीदारी सुविधाएं |
परिक्रामी हामीदारी सुविधाएं एक करार है जिसके तहत बैंक किसी जारीकर्ता (उधारकर्ता) को, सहमत नियम और शर्तों के अनुसार, अनबिके नोट/ बॉन्ड खरीदकर ऋण सुविधा प्रदान करने के लिए सहमत होता है। |
50 |
औपचारिक स्टैंडबाय सुविधाएं और ऋण व्यवस्था |
औपचारिक स्टैंडबाय सुविधाएं या ऋण व्यवस्था एक औपचारिक व्यवस्था है जिसमें प्रतिपक्षकार को निर्दिष्ट सीमा तक निधि आहरित करने का अधिकार होता है, लेकिन दायित्व नहीं। |
51 |
सकल एक्सपोजर |
सकल एक्सपोजर में समायोजन के बिना ऋण एक्सपोज़र (निधिक और गैर-निधिक ऋण सीमाएं) और निवेश एक्सपोज़र (हामीदारी और उसके समान प्रतिबद्धताओं सहित) शामिल हैं। |
52 |
निवल निधिक एक्सपोजर |
निवल निधिक एक्सपोज़र का आशय सकल एक्सपोजर में से संपार्श्विक, गारंटी, बीमा आदि को घटाना है। जिस देश के लिए एक्सपोजर माना जा रहा है, उससे कम जोखिम श्रेणी वाले देशों से जारी नकद संपार्श्विक, बैंक गारंटी और ऋण बीमा के लिए नेटिंग की अनुमति दी जा सकती है। |
53 |
स्थावर संपदा (रियल एस्टेट) एक्सपोजर |
स्थावर संपदा (रियल एस्टेट) को सामान्यतः अचल आस्ति के रूप में पारिभाषित किया जाता है- जमीन (भूमि स्थल) और इसमें किए गए स्थायी सुधार। रियल एस्टेट एक्स्पोजर में गृह ऋण, व्यवसायिक रियल एस्टेट ऋण, संपत्ति पर ऋण, बंधक पर आधारित प्रतिभूति आदि शामिल हैं। |
54 |
प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर |
प्रतिभूतीकरण का अर्थ है वह प्रक्रिया जिसमें एक अर्जक आस्ति या अर्जक आस्तियों के समूह को शोधन अक्षमता रहित/दूरस्थ एसपीवी को बेच दिया जाता है और उन्हें तुरंत नकद भुगतान के बदले में प्रारंभकर्ता के तुलन पत्र से एसपीवी के तुलन पत्र में अंतरित कर दिया जाता है। |
55 |
पुनर्प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर |
पुनर्प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर वह प्रतिभूतिकरण एक्सपोजर है, जिसमें किसी अंतर्निहित एक्सपोजर समूह से संबंधित जोखिम को पाट लिया जाता है और अंतर्निहित एक्स्पोजरों में से कम से कम एक प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर है। साथ ही, एक या अधिक पुनर्प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर के प्रति एक्सपोजर पुनर्प्रतिभूतीकरण एक्सपोजर है। |
56 |
बाजार से असंबंधित एक्सपोजर |
गैर- बाजार संबंधित एक्सपोजर, तुलनपत्रेतर एक्स्पोजर (बाजार संबंधित तुलनपत्रेतर एक्सपोजर) जैसे प्रत्यक्ष ऋण विकल्प, व्यापर और प्रदर्शन संबंधी आकस्मिक मदें और निश्चित ड्राडाउन के साथ प्रतिबद्धताएं और अन्य प्रतिबद्धताएं आदि। |
57 |
बाजार संबंधित एक्सपोजर |
बाजार संबंधित एक्सपोजर में विदेशी मुद्रा संविदा, ब्याज दर संविदा, और रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत कोई भी अन्य बाजार संबंधित संविदा है, जो ऋण जोखिम को जन्म देती है, शामिल हैं। |
58 |
ऋण जोखिम |
ऋण जोखिम उधारकर्ता या प्रतिपक्षकार की ऋण गुणवत्ता में कमी से होने वाली हानि की संभावना है। ऋण जोखिम बैंक के किसी व्यक्ति, कोर्पोरेट, बैंक, वित्तीय संस्था या राज्य से किए गए लेनदेन से उत्पन्न होता है। |
59 |
ऋण घटना भुगतान |
ऋण घटना भुगतान वह राशि है जो कोई ऋण घटना होने के बाद ऋण सुरक्षा प्रदाता के द्वारा ऋण सुरक्षा खरीदने वाले को ऋण डेरिवेटिव संविदा की शर्तों के तहत भुगतान योग्य है। |
60 |
ऋण जोखिम प्रशामक का समायोजित मूल्य |
ऋण जोखिम प्रशामक का समायोजित मूल्य, पूंजी पर्याप्तता ढांचे पर मौजूदा अनुदेशों के अनुसार, गारन्टी और पात्र संपार्श्विक पर, हेयरकट लगाने के बाद निकलने वाला मूल्य है। |
61 |
जोखिम समायोजित मूल्य |
जोखिम समायोजित मूल्य, निवल एक्सपोजर (हेयरकट लागू करने के बाद संपार्श्विक के लिए समायोजित एक्सपोजर) का लागू जोखिम भार के साथ गुणनफल है। |
62 |
जोखिम भारित आस्तियां |
जोखिम भारित आस्तियों की गणना प्रत्येक आस्ति (निधिक/ गैर निधिक) को निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार जोखिम भार देने के अनुसार की जाती है। |
63 |
क्रेडिट डिफ़ाल्ट स्वैप (सीडीएस) लेनदेन |
क्रेडिट डिफ़ाल्ट स्वैप (सीडीएस) लेनदेन एक या अधिक संदर्भ आस्तियों पर द्विपक्षीय डेरिवेटिव संविदा है, जिसमें सुरक्षा खरीदने वाला संविदा के जीवनकाल भर शुल्क देता है, जिसके बदले संदर्भित संस्थाओं की ऋण घटना के बाद सुरक्षा प्रदाता, सुरक्षा घटना भुगतान करता है। |
64 |
फोरेक्स खरीद बिक्री स्वैप |
फोरेक्स खरीद बिक्री स्वैप में पक्षों के बीच काउंटर पर (ओटीसी) करार के अनुसार परिपक्वता तिथि के आस-पास विदेशी मुद्रा खरीदना और साथ-साथ भावी परिपक्वता तिथि पर विदेशी मुद्रा बेचना शामिल है। |
65 |
फोरेक्स बिक्री खरीद स्वैप |
फोरेक्स खरीद बिक्री स्वैप में पक्षों के बीच काउंटर पर (ओटीसी) करार के अनुसार परिपक्वता तिथि के आस-पास विदेशी मुद्रा बेचना और साथ-साथ भावी परिपक्वता तिथि पर विदेशी मुद्रा खरीदना शामिल है। |
66 |
विदेशी मुद्रा रुपया स्वैप |
दो प्रतिपक्षकारों के बीच का समझौता जिसके द्वारा एक प्रतिपक्षकार दूसरे प्रतिपक्षकार को एक मुद्रा में ऋण अथवा आस्ति पर मूलधन राशि और/अथवा ब्याज का भुगतान करेगा, जिसके बदले में वह दूसरी मुद्रा में सहमत दरों पर समतुल्य ऋण अथवा आस्ति पर मूलधन राशि और/अथवा ब्याज का भुगतान प्राप्त करेगा। |
67 |
खुली विदेशी मुद्रा पोजीशन सीमा पूंजी प्रभार |
खुली विदेशी मुद्रा पोजीशन सीमा पूंजी प्रभार वह पूंजी प्रभार है, जो कुल खुली विदेशी मुद्रा स्थिति सीमा पर विनियामक निर्धारणों के अनुसार बनाए रखा जाता है। |
68 |
ऋण परिवर्तन कारक |
ऋण परिवर्तन कारक वह कारक है जो किसी तुलन-पत्रेतर एक्सपोजर को तुलनपत्र ऋण जोखिम एक्सपोजर के रूप में परिवर्तित करता है, जिसे प्रतिपक्षकार पर लागू जोखिम भार के साथ गुणा किया जाता है ताकि जोखिम भारित आस्ति अनुपात की तुलना में पूंजी (सीआरएआर) की गणना करने के लिए समायोजित मूल्य पहुंचा हासिल किया जाए। |
69 |
बाज़ार जोखिम |
बाजा़र जोखिम वह जोखिम है जिसमें इक्विटी और ब्याज दर बाजारों, मुद्रा विनिमय दरों और पण्य कीमतों में उतार चढ़ाव के कारण तुलनपत्र और तुलनपत्रेतर मूल्य स्थिति प्रतिकूल रूप से प्रभावित होती है। |
70 |
सकल बाज़ार मूल्य (ऋणात्मक /धनात्मक) |
सकल बाज़ार मूल्य का अर्थ है विनियामकीय निर्धारणों के अधीन, एक प्रतिभूति अथवा संविदा या पोजीशन का पूर्ण मूल्य जो सहमत पद्धतियों के अनुसार प्राप्त उसके बाज़ार मूल्य को दर्शाता है। |
71 |
बाज़ार मूल्य पोजीशन |
बाज़ार मूल्य पर दर्शाना (एमटीएम) वह पद्धति है जिसका उपयोग समय के साथ बदलने वाले आस्तियों अथवा देयताओं के उचित मूल्य का आकलन करने के लिए किया जाता है। बाज़ार मूल्य पर दर्शाने (एमटीएम) का उद्देश्य किसी संस्था की वर्तमान वित्तीय स्थिति का यथार्थवादी आकलन करना है। |
72 |
हेअरकट समायोजन |
बैंको से अपेक्षित है कि वे बाजा़र की गति के कारण एक्सपोज़र अथवा संपार्श्विक के मूल्य में संभावित भावी उतार-चढ़ाव के मद्देनज़र प्रतिपक्षकार के एक्सपोजर और उस प्रतिपक्षकार के समर्थन में प्राप्त किसी संपार्श्विक के मूल्य, दोनों राशियों को समायोजित करें। इन समायोजनों को हेअरकट कहा जाता है । |
73 |
अंतर सीमा |
परिपक्वता समयावधि के अनुसार नकद प्रवाह में बेमेल की स्थिति को अंतर (गैप) कहा जाता है जिसके परिणामस्वरूप चलनिधि और बाजार जोखिम होता है। चलनिधि अथवा बाजार जोखिम को सीमित रखने के लिए इस प्रकार के अंतर (गैप) पर लगायी गयी सीमा को अंतर (गैप) सीमा कहा जाता है। |
74 |
संचयी अंतर (गैप) |
संचयी अंतर (गैप) संकेतों के साथ वैयक्तिक निवल अंतर (गैप) के अनुक्रमिक आवधिक समयावधि से अधिक प्रगामी योग है। उदाहरण के लिए, '3 महीने से अधिक और 6 महीने तक' की समयावधि के संचयी अंतर (गैप) की गणना '29 दिन और 3 महीने तक' के साथ जोड़ '3 महीने से अधिक और 6 महीने तक' की समयावधि का निवल अंतर (गैप) के संचयी अंतर (गैप) के रूप में की जाती है। |
75 |
निवल अंतर (गैप) |
निवल अंतर (गैप) वैयक्तिक समयावधि-वार तुलन पत्र अंतर (गैप) का योग और संकेत के साथ अन्य उत्पादों का जोड़ है। |
76 |
अधिकतम समग्र अंतर सीमा |
अधिकतम समग्र अंतर (गैप) संकेतों पर ध्यान न देते हुए विदेशी मुद्राओं में अवधि-वार (समयावधि-वार) अंतर (गैप) का योग है। समग्र अंतर (गैप) के लिए तय की गई सीमा अधिकतम समग्र सीमा है। |
77 |
परिचालनगत जोखिम |
परिचालनगत जोखिम अपर्याप्त या विफल आंतरिक प्रक्रिया, व्यक्तियों और प्रणालियों अथवा बाह्य घटनाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न हानि का जोखिम है। इसमें विधिक जोखिम शामिल है, लेकिन कार्यनीतिक और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम इसमें शामिल नहीं है। |
78 |
असाधारण मदें |
लेखांकन मानक 5 (एएस 5) के अनुसार, असामान्य मदें ऐसे आय या व्यय हैं जो उद्यम की सामान्य गतिविधियों से स्पष्टतः भिन्न घटनाओं या लेनदेनों से उत्पन्न होते हैं और, इसलिए, इनका बार-बार अथवा नियमित रूप से घटित होना अपेक्षित नहीं होता है। |
79 |
न्यूनतम प्रतिलाभ दर |
न्यूनतम प्रतिलाभ दर व्यावसायिक कार्यकलाप पर न्यूनतम स्वीकार्य प्रतिलाभ है। रेटिंग ग्रेड के संदर्भ में, इसका संबंध उस रेटिंग ग्रेड (बैंक के आंतरिक मास्टर रेटिंग स्केल के संबंध में) से है, जिसके नीचे, बैंक की अनुमोदित आंतरिक नीति के अनुसार, प्रतिपक्षकारों के प्रति नए एक्सपोजर नहीं लिये जाएंगे। |
80 |
असाधारण हानि/ व्यय/ प्रभार |
लेखांकन मानक 5 (एएस 5) के अनुसार, असाधारण प्रभार ऐसे व्यय हैं जो उद्यम की सामान्य गतिविधियों से स्पष्टतः भिन्न घटनाओं या लेनदेनों से उत्पन्न हो और, इसलिए, इनका बार-बार घटित होना अपेक्षित नहीं होता है अथवा ऐसे लेनदेन जो उद्यम की सामान्य गतिविधियों से स्पष्टतः भिन्न हो और, इसलिए, इनका बार-बार या नियमित रूप से घटित होना अपेक्षित नहीं होता है। |
81 |
मिश्रित अर्जन |
प्रति शेयर मिश्रित अर्जन की गणना यह मानते हुए की जाती है कि ऐसा प्रत्येक व्यक्ति, जिसके पास किसी इक्विटी शेयर में परिवर्तित किए जा सकने वाले लिखत हो, वह इसे इक्विटी शेयर में परिवर्तित करता है और इस तरह कंपनी के बकाया शेयरों की संख्या में वृद्धि होती है, जिसके द्वारा ईपीएस में कमी आती है। ब्यौरे के लिए, कृपया लेखांकन मानक 20 (एएस 20) देखें। |
82 |
प्रति शेयर मूल अर्जन |
प्रति शेयर मूल अर्जन इक्विटी शेयरधारकों के कारण अवधि के लिए निवल लाभ अथवा हानि है जिसे अवधि के दौरान बकाया इक्विटी शेयरों की भारित औसत संख्या से विभाजित किया जाता है। कृपया लेखांकन मानक 20 (एएस 20) देखें। |
83 |
बीटा फैक्टर |
बीटा किसी व्यावसायिक कार्यकलाप के परिचालनगत जोखिम की हानि संबंधी अनुभव और उस व्यावसायिक कार्यकलाप के लिए सकल आय के समग्र स्तर के बीच उद्योग-वार संबंध के लिए प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है। |