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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश –बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016

भारिबैं/ गैबैंविवि/2016-17/50
मास्टर निदेश गैबैंविवि.(नीति प्र-एमजीसी) सं.01/23.11.001/2016-17

10 नवंबर 2016
(22 नवंबर 2019 को अद्यतन किया गया)
(25 मई 2017 को अद्यतन किया गया)

मास्टर निदेश –बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक, जन हित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाने और बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का कारोबार इस तरह से होने से रोकने के लिए जो निवेशकों और जमकर्ताओं के हित में न हो या ऐसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के हित में न हो, के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) की धारा 45जेए द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सभी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों को मास्टर परिपत्र गैबैंविवि (नीति प्रभा-एमजीसी) कंपरि.सं.01/23.11.001/2015-16, गैबैंविवि (नीति प्रभा-एमजीसी) कंपरि.सं.02/23.11.001/2015-16 और गैबैंविवि (नीति प्रभा-एमजीसी) कंपरि.सं.03/23.11.001/2015-16, दिनांक 1 जुलाई 2015 के अधिक्रमण के पश्चात, यहाँ विनिर्दिष्ट मास्टर निदेश- बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016, जारी करता है।


अध्याय - I
प्रारंभिक

1. संक्षिप्त नाम और दिशानिर्देश का प्रारंभ

(ए) इन निदेशों को “बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016” कहा जाएगा।

(बी) उक्त निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2. प्रयोज्यता

इन निदेशों के प्रावधान ऐसे सभी बंधक गारंटी कंपनियों पर लागू होंगे जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बंधक गारंटी कंपनी पंजीकरण योजना के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किया गया है ।

3. परिभाषाएं

(ए) इन मार्गदर्शी सिद्धांतों में जब तक विषय के संबंध में अन्यथा अपेक्षित न हो, तब तक यहाँ परिभाषित ‘शब्दों’ का निम्नानुसार अर्थ होगा -

(i) "बैंक" का अर्थ है-

  1. कोई बैंकिंग कंपनी; या

  2. प्रतिनिधि नया बैंक; या

  3. भारतीय स्टेट बैंक; या

  4. सहायक बैंक; या

  5. ऐसा कोई बैंक जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना द्वारा इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के लिए विनिर्दिष्ट करे; और

  6. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का अधिनियम 10) में यथा परिभाषित कोई सहकारी बैंक;

(ii) "बैंकिंग कंपनी" का अर्थ बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का अधिनियम 10) की धारा 5(ग) में यथा परिभाषित किसी बैंकिंग कंपनी से है;

(iii) "उधारकर्ता" का अर्थ किसी व्यक्ति या किसी संस्था से है जिसे किसी ऋणदाता संस्था या किसी अन्य संस्था जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट करे, ने आवास/गृह ऋण दिया है;

(iv) "विघटित मूल्य" का अर्थ है ईक्विटी पूंजी तथा आरक्षित निधि, जिसे अमूर्त आस्तियों एवं पुनर्मूल्यांकित आरक्षित निधि से /के रूप में घटाया गया है, व निवेशिती (इनवेस्टी) कंपनी के ईक्विटी शेयरों की संख्या से विभाजित किया गया है;

(v) "वहन लागत" का अर्थ है आस्तियों का बही मूल्य और उस पर उपार्जित ब्याज किंतु जो प्राप्त न हुआ हो;

(vi) "कंपनी" का अर्थ है कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 3 के अंतर्गत पंजीकृत अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 के संगत प्रावधान के तहत कंपनी;

(vii) "प्रतिनिधि नया बैंक" का अर्थ है बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 5 के खंड (डीए) में यथा परिभाषित;

(viii) "ऋणदाता संस्था" का अर्थ है कोई बैंक या आवास वित्त कंपनी;

(ix) "चूक" का अर्थ किसी उधारकर्ता द्वारा किसी ऋणदाता संस्था को मूल ऋण एवं उस पर देय ब्याज को अदा करने की तारीख पर अदा न करना है;

(x) "संदिग्ध आस्तियों " का अर्थ है ऐसी आस्ति जो 12 माह से अधिक अवधि तक अवमानक आस्ति बनी रहे;

(xi) "अर्जन मूल्य" का अर्थ है ईक्विटी शेयरों का वह मूल्य जिसकी गणना करने के बाद करोत्तर लाभ के औसत तथा अधिमानी लाभांश को घटाते हुए तथा असाधारण एवं गैर-आवर्ती मदों को समायोजित करते हुए तत्काल पूर्ववर्ते 3 वर्षों के लिए की गई हो और उसे निवेशिती (इनवेस्टी) कंपनी के ईक्विटी शेयरों की संख्या से विभाजित किया गया हो तथा जिसे निम्नलिखित दर पर पूंजीकृत किया गया हो:

1) प्रमुखत: विनिर्माण कंपनी के मामले में, 8 प्रतिशत;

2) प्रमुखत: व्यापार (ट्रेडिंग) कंपनी के मामले में, 10 प्रतिशत; तथा

3) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी सहित किसी अन्य कंपनी के मामले में, 12 प्रतिशत;

नोट: यदि निवेशिती(इनवेस्टी) कंपनी घाटे वाली कंपनी हो तो अर्जन मूल्य शून्य पर लिया जाएगा।

(xii) "उचित मूल्य" का अर्थ है "अर्जन मूल्य" और "विघटित मूल्य" का औसत/मध्यमान;

(xiii) "गारंटी" का अर्थ गारंटी संविदा से है जैसा कि भारतीय संविदा अधिनियम, 1872(1872 का 9) की धारा 126 में परिभाषित है;

(xiv) "आवास वित्त कंपनी" का अर्थ ऐसी कंपनी से है जिसका प्राथमिक संव्यवहार या प्रधान लक्ष्य आवास के लिए वित्त उपलब्ध कराने का करोबार है जैसा कि राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 में परिभाषित है;

(xv) "आवास ऋण" का अर्थ किसी व्यक्ति या किसी अन्य संस्था को दिया गया वह ऋण या अग्रिम है जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, समय-समय पर, गृह या आवासीय संपत्ति के निर्माण/मरम्मत/उच्चीकरण या गृह (आवास) /आवास संपत्ति के अर्जन या दोनों अर्थात गृह (आवास) /आवास संपत्ति के अर्जन के लिए विनिर्दिष्ट किया जाता है;

स्पष्टीकरण: "आवास ऋण" की उल्लिखित परिभाषा में "अन्य संस्था" अभिव्यक्ति में आवास समितियाँ तथा आवास सहकारिताएं शामिल हैं ।

(xvi) “संमिश्र (हाइब्रिड) ऋण पूंजी लिखत” का अर्थ है कोई ऐसी पूंजीगत लिखत जिसमें कुछ इक्विटी का तथा कुछ ऋण की विशेषता हो।

(xvii) "हानि वाली आस्ति" का अर्थ हैः

1) ऐसी आस्तिजिसे बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा अथवा उसके आंतरिक या बाह्य लेखा-परीक्षकों द्वारा अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा हानि वाली आस्तिके रूप में उस सीमा तक पहचाना गया है जिस सीमा तक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा बट्टे खाते नहीं डाला गया है; और

2) ऐसी आस्तिजो प्रतिभूति मूल्य में या तो क्षरण के कारण अथवा प्रतिभूति की अनुपलब्धता अथवा उधारकर्ता के धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य या चूक के कारण वसूल न हो पाने के संभावित खतरे से (विपरीत रूप से) प्रभावित हो;

(xviii) "बंधक (मार्गेज) गारंटी" का अर्थ किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा दी गई वह गारंटी है जिसमें बकाया आवास ऋण तथा उस पर उपार्जित ब्याज की अदायगी ऋणदाता संस्था को गारंटीकृत सीमा के अधीन, ट्रिगर घटना होने पर, अदा की जानी है;

(xix) "बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी" का अर्थ उस कंपनी से है जो भारतीय रिज़र्व बैंक से बंधक गारंटी कंपनी के रूप में पंजीकृत हो एवं जिसका प्राथमिक संव्यवहार बंधक (मार्गेज) गारंटी देना है;

(xx) "बंधक (मार्गेज) गारंटी संविदा" का अर्थ उस त्रिपक्षीय संविदा से है जो उधारकर्ता, ऋणदाता संस्था तथा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के बीच होता है जो बंधक (मार्गेज) गारंटी उपलब्ध कराती है;

(xxi) "राष्ट्रीय आवास बैंक" का अर्थ राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987(1987 का 53) के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय आवास बैंक से है;

(xxii) "निवल स्वाधिकृत निधियों" का अर्थ है:

1) चुकता ईक्विटी पूंजी और मुक्त आरक्षित निधियों का योग जिन्हें कंपनी के अद्यतन तुलनपत्र में प्रकट किया गया हो और जिसमें से निम्नलिखित को घटाया गया हो-

ए) संचित हानि- राशि (बैलेंस);

बी) आस्थगित राजस्व व्यय;

सी) अन्य अमूर्त आस्तियां; और

2) उसमें से निम्नलिखित का प्रतिनिधित्व करने वाली राशि को और घटाया जाए-

ए) ऐसी कंपनी के निम्नलिखित के शेयरों में किए गए निवेश-

  1. अपनी सहायक कंपनियों में;

  2. उसी समूह की कंपनियों में;

  3. सभी अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में; और

बी) डिबेंचरों, बांडों, निम्नलिखित को दिए गए बकाया ऋण तथा अग्रिमों (किराया खरीद तथा पट्टादायी वित्त सहित) एवं जमाराशियों का बही मूल्य-

  1. ऐसी कंपनी की सहायक कंपनी/यों; और

  2. उसी समूह की कंपनियों,

उस सीमा तक जहाँ तक ऐसी राशि उल्लिखित (1) के 10 प्रतिशत से अधिक हो।

3) "सहायक कंपनियों" एवं "उसी समूह की कंपनियों" के अर्थ वही होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956 अथवा कंपनी अधिनियम, 2013 के संगत प्रावधानों में अभिप्रेत हैं।

(xxiii) "अनर्जक आस्ति" (एनपीए) का अर्थ उधारकर्ता के उस खाते से है जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक या राष्ट्रीय आवास बैंक, जैसा भी मामला हो, द्वारा आस्तियों के वर्गीकरण के संबध में जारी निदेशों या मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार ऋणदाता संस्था ने अवमानक, संदिग्ध या हानिवाली आस्तिके रूप में वर्गीकृत किया है;

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों द्वारा के संबंध में "अनर्जक आस्ति" का अर्थ है ऐसी आस्तिजिसे किसी क्रेडिट संस्था से ट्रिगर इवेंट होने के पश्चात प्राप्त किया गया है जो कि सीधे तौर पर अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसलिए इसे एनपीए की अवधि के अनुसार वर्गीकृत किया जाएगा; बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों द्वारा किए गए निवेशों के संबंध में आय निर्धारण के प्रयोजन से "अनर्जक आस्ति" का अर्थ है ऐसी आस्तिजिस पर प्राप्त होने वाला ब्याज या मूलधन या दायित्व की अदायगी 90 या अधिक दिनों की अवधि के लिए अतिदेय रही हो|

(xxiv) "निवल आस्ति मूल्य " (एनएवी) का अर्थ है किसी खास योजना के संबंध में संबंधित म्युचुअल फंड द्वारा घोषित अद्यतन मूल्य;

(xxv) "स्वाधिकृत निधि" का अर्थ है चुकता ईक्विटी पूंजी, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पंजीकरण तथा परिचालन संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतों के पैरा 18 के अनुसार रखी गयी आकस्मिक आरक्षित निधियों सहित मुक्त आरक्षित निधियां, शेयर प्रीमियम खाते में शेष और आस्तियों की बिक्री के उपरांत अधिशेष के रूप में प्राप्त पूंजीगत आरक्षित निधि, आस्ति के पुनर्मूल्यांकन से सृजित आरक्षित निधियों को छोड़कर, संचित हानि राशि, अमूर्त आस्तियों का बही मूल्य और आस्थगित राजस्व व्यय को यथा घटाकर, यदि कोई हो;

(xxvi) "रिज़र्व बैंक" का अर्थ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934(1934 का 2) के अंतर्गत गठित भारतीय रिज़र्व बैंक से है;

(xxvii) "मानक आस्ति" का अर्थ ऐसी आस्ति से है जिसकी मूल रकम या ब्याज के भुगतान में कोई चूक न हुई हो और जिसमें किसी प्रकार की समस्या न हो और न ही उस कारोबार के सामान्य जोखिम से अधिक जोखिम हो;

(xxviii) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के संबंध में "अवमानक आस्ति" का अर्थ उस आस्ति से है जिसे अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए 12 माह से अधिक न हुआ हो;

(xxix) "गौण ऋण” का अर्थ है पूर्णतः चुकता लिखत, जो गैर-जमानती होता है और अन्य ऋणदाताओं के दावों के अधीन होता है और प्रतिबंधित खण्डों से मुक्त होता है और धारक के अनुरोध पर अथवा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पर्यवेक्षी प्राधिकारी की सहमति के बिना विमोच्य नहीं होता है। ऐसे लिखत का बही मूल्य निम्नानुसार भुनाई/बट्टा के अधीन होगाः

लिखतों की शेष परिपक्वता अवधि बट्टा दर
(ए) एक वर्ष तक 100%
(बी) एक वर्ष से अधिक किंतु दो वर्ष तक 80%
(सी) दो वर्ष से अधिक किंतु तीन वर्ष तक 60%
(डी) तीन वर्ष से अधिक किंतु चार वर्ष तक 40%
(इ) चार वर्ष से अधिक किंतु पांच वर्ष तक 20%

का मूल्य टियर-I पूंजी के पचास प्रतिशत से अधिक न हो;

(xxx) "पर्याप्त हित" का अर्थ है किसी व्यक्ति अथवा उसके पति-पत्नी अथवा अवयस्क बच्चे द्वारा एकल या सामूहिक रूप से किसी कंपनी के शेयरों में लाभ भोगी हित धारिता, जिस पर अदा की गई रकम कंपनी की चुकता (प्रदत्त) पूंजी अथवा भागीदारी फर्म के सभी भागीदारों द्वारा अभिदत्त पूंजी के दस प्रतिशत से अधिक है;

(xxxi) "टियर-I पूंजी" का अर्थ ऐसी स्वाधिकृत निधि से है जिसमें से अन्य एनबीएफसी के शेयरों और शेयरों, डिबेंचरों, बाण्डों, बकाया ऋणों और अग्रिमों में, जिनमें किराया खरीद तथा किए गए पट्टा वित्तपोषण एवं सहायक कंपनियों तथा उसी समूह की कंपनियों में रखी जमा राशियां शामिल हैं, स्वाधिकृत निधि के दस प्रतिशत से अधिक निवेश, सकल रूप में, घटाया गया हैः

नोट:- सहायक कंपनियों, उसी समूह की कंपनियों तथा अन्य एनबीएफसी के शेयरों में किए गए निवेश का तात्पर्य उस निवेश से है जो बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी ने अपने ऋणों की पूर्ति के लिए अर्ह किया है;

(xxxii) "टियर -II पूंजी" में निम्नलिखित शामिल हैः

1) अधिमानी शेयर;

2) 55 प्रतिशत की भुनाई /घटी दर पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि;

3) सामान्य प्रावधान एवं उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ट आस्ति के मूल्य में वास्तविक कमी अथवा उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि तथा मानक आस्तियों के प्रावधानों की पूर्ति के लिए जोखिम भारित आस्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती हैं;

4) संमिश्र (हाइब्रिड) ऋण पूंजी लिखत; और

5) गौण ऋण,

उस सीमा तक जहाँ तक सकल राशि, टियर-I पूंजी से अधिक न हो।

(xxxiii) "ट्रिगर इवेंट" का अर्थ है ऋणदाता संस्था की बहियों में उधारकर्ता के खाते का अनर्जक आस्ति के रूप मे वर्गीकृत होना;

(xxxiv) "पण्यावर्त या व्यवसायगत पण्यावर्त" का अर्थ है एक वर्ष में की गई कुल बंधक (मार्गेज) गारंटी संविदाओं के साथ-साथ उस वर्ष में अन्य कार्यों/ गतिविधियों (विशेषकर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत) से व्युत्पन्न कारोबार का योग;

(बी) इस निदेश में प्रयुक्त अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्तियाँ, किन्तु जो यहां परिभाषित नहीं हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का अधिनियम 2) अथवा बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 (1949 का अधिनियम 10) में परिभाषित की गई हैं, का वही अर्थ होगा जो इन अधिनियमों में दी गई है। अन्य कोई शब्द अथवा अभिव्यक्तियाँ, जिन्हें उक्त अधिनियमों में परिभाषित नहीं किया गया है का वही अर्थ जैसा कि उन्हें कंपनी अधिनियम, 1956 अथवा कंपनी अधिनियम 2013 में परिभाषित किया गया है।

अध्याय - II
सामान्य दिशानिर्देश

4. भारतीय रिज़र्व बैंक के पास पंजीकरण

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित अपेक्षाएं पूरी करने के बाद बंधक (मार्गेज) गारंटी देने का कारोबार प्रारंभ करेगी -

  1. भारतीय रिज़र्व बैंक से पंजीकरण प्रमाणपत्र लेने पर; और

  2. 100 करोड़ रुपए या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एतदर्थ अधिसूचना द्वारा विनिदिष्ट अन्य उच्च राशि की निवल स्वाधिकृत निधियाँ होने पर।

(बी) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस प्रयोजन के लिए विनिर्दिष्ट फार्म द्वारा पंजीकरण के लिए आवेदन करेगी।

(सी) पंजीकरण के लिए प्रस्तुत आवेदन पत्र पर विचार करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को निम्नलिखित शर्तों की पूर्ति के संबंध में संतुष्ट होना चाहेगा:-

(i) कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी प्राथमिक तौर पर / मूलत: बंधक (मार्गेज) गारंटी देने का कारोबार करेगी। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के संबंध में समझा जाएगा कि वह उल्लिखित अपेक्षा को पूरी कर रही है यदि उसके कारोबार के पण्यावर्त (टर्नओवर) का न्यूनतम 90% बंधक (मार्गेज) गारंटी से हुआ पण्यावर्त हो या उसकी संपूर्ण आय में से न्यूनतम 90% आय बंधक (मार्गेज) गारंटी कारोबार से हुई हो [इसमें बंधक (मार्गेज) गारंटी कारोबार से हुई आय के पुनर्निवेश से हुई आय शामिल है] ;

(ii) कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने द्वारा की गई गारंटी संविदाओं से उत्पन्न/उत्पन्न होने वाली देयताओं का भुगतान करने में सक्षम है/ हो सकेगी;

(iii) कि निम्नलिखित पैराग्राफ 8 और 9 में विनिर्दिष्ट पर्याप्त पूंजीगत ढांचा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पास है और बंधक (मार्गेज) गारंटी कारोबार से पर्याप्त आय के आसार (प्रत्याशा) हैं;

(iv) कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के मौजूदा प्रबंधन या प्रस्तावित प्रबंधन का समान्य चरित्र/स्वरूप जनहित के प्रतिकूल नहीं है;

(v) कि ऐसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के निदेशक बोर्ड के कुल निदेशकों में से आधे से ज्यादा निदेशक ऐसे नहीं हैं जो पर्याप्त हितधारक किसी शेयर धारक के नामिनी हों या पर्याप्त हितधारक शेयरधारक से किसी प्रकार का सम्बन्ध हों या पर्याप्त हितधारक किसी शेयर धारक, यदि वह कोई कंपनी हो, की/के सहायक हो;

(vi) 1) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी की शेयर धारिता अच्छी तरह विविधीकृत होगी;

2) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी किसी अन्य कंपनी की सहायक कंपनी नहीं होगी जिसमें वह कंपनी शामिल है जिसका पंजीकरण या गठन भारत से बाहर लागू विधि के अंतर्गत हुआ हो;

3) किसी व्यक्ति, व्यक्तियों के असोसिएशन या निकाय चाहे वह गठित (इन्कार्पोरेटेड) हो या न हो, फर्म, कंपनी या वह कंपनी जिसका पंजीकरण या गठन भारत से बाहर लागू किसी विधि के अंतर्गत हुआ हो, के बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रक हित नहीं होंगे;

(vii) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिसूचित विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआय) नीति, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों पर लागू होगी। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी में पर्याप्त हित रखने वाली विदेशी संस्था, को गृह देश के वित्तीय विनियामक द्वारा विनियमित होना चाहिए और उसे स्वयं वरीयत: बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी होना चाहिए और उसका बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के रूप में परिचालन/कार्य करने का अच्छा ट्रैक रिकार्ड होना चाहिए। तथापि, उक्त शर्तें लागू नहीं होंगी, यदि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी की ईक्विटी में निवेशक कोई अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्था हो;

(viii) कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को भारत में कारोबार प्रारंभ करने/जारी रखने के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान करने से जनता का हित होगा;

(ix) कि पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान करना देश के आवास वित्त क्षेत्र के परिचालन और प्रगति के लिए प्रतिकूल असरदायी नहीं होगा;

(x) कि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी इन कंपनियों पर लागू विदेशी निवेश मानदण्डों को अनुपालित करती है;

(xi) कि भारतीय रिज़र्व बैंक की राय में, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के भारत में कारोबार प्रारंभ करने या जारी रखने के संबंध में उस पर, शर्त लगाया जाना आवश्यक है ताकि उसके पूरी होने से यह सुनिश्चित हो सके कि भारत में उससे जनहित और आवास वित्त क्षेत्र पर प्रतिकूल असर न पड़े।

(डी) भारतीय रिज़र्व बैंक इस बात से संतुष्ट होने पर कि उल्लिखित उप पैराग्रफ 4(सी) में विनिर्दिष्ट शर्तें पूरी हो गई हैं, उन शर्तों के साथ जिन्हें वह लगाना उचित समझे, पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी कर सकता है।

(इ) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक के विनियामक और पर्यवेक्षी अधिकार-क्षेत्र में होंगी।

(एफ) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को प्रदान किये गये पंजीकरण प्रमाणपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक निरस्त कर सकता है यदि ऐसी कंपनी:-

(i) भारत में बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का कारोबार करना बंद कर देती है; या

(ii) जिन शर्तों के तहत उसे पंजीकरण प्रमाणपत्र दिया गया है, उनमें से किसी शर्त का पालन करने में विफल हो जाती है ; या

(iii) वह की गई/की जाने वाली गारंटी संविदाओं से उत्पन्न दावों का समय से निपटान/भुगतान करने में विफल होती है; या

(iv) पैराग्राफ 4(सी) तथा 4(डी) में दी गई शर्तों में से कोई भी शर्त किसी भी समय पूरी करने में असफल होती है; या

(v) निम्नलिखित के संबंध में विफल होने पर-

1) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी भी निदेश का अनुपालन करने में; या

2) किसी विधि या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किसी निदेश या आदेश की अपेक्षाओं के अनुसार कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति संबंधी लेखे रखने(मेनटेन करने), प्रकाशित करने तथा प्रकट करने में; या

3) भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा मांगे जाने पर निरीक्षण के लिए लेखा बहियों या अन्य संबंधित दस्तावेज़ों को प्रस्तुत करने में।

5. अन्य गतिविधियाँ

कोई बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपनी कुल आस्तियों के 10% तक कोई गतिविधि/ कारोबार कर सकती है। यदि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आई(सी) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में कोई अन्य कारोबार करती है जिसके लिए विवेकपूर्ण मानदण्ड पहले से लागू हैं, जो समय-समय पर यथा संशोधित, में अंतर्विष्ट हैं, तो उनका अनुसरण निवेशों के मूल्यांकन, आस्तियों के वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण के लिए किया जाए।

6. बंधक (मार्गेज) गारंटी की आवश्यक विशेषताएं

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी संविदा की आवश्यक विशेषताएं इस प्रकार होंगी:

(i) भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 की धारा 126 के अंतर्गत यह एक गारंटी संविदा होगी;

(ii) भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 के अंतर्गत बंधक (मार्गेज) गारंटी संविदा बिना शर्त तथा अप्रत्याहूत होगी और प्राप्त गारंटी अवपीड़न, अवांछित प्रभाव, धोखाधड़ी, दुर्प्रतिनिधित्व, और/ या त्रुटि विहीन होगी;

(iii) इसमें उधारकर्ता के आवास खातेगत बकाया ऋण और ब्याज गारंटीकृत राशि तक अदा करने की गारंटी होगी;

(iv) गारंटीदाता आहूत किए/मांगे जाने पर बंधक संपत्ति के वसूल करने योग्य मूल्य से समायोजन के बिना गारंटीकृत राशि अदा करेगा;

(v) यह त्रिपक्षीय करार उधारकर्ता, ऋणदाता संस्था और बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अर्थात गारंटीदाता कंपनी के बीच होगा।

(बी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी बीमा कारोबार नहीं करेगी।

7. निधीयन विकल्प

(ए) जनता से जमाराशियाँ स्वीकार करना- बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ जनता से जमाराशियाँ स्वीकार नहीं करेंगी।

(बी) वाह्य वाणिज्यिक उधार- बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ वाह्य वाणिज्यिक उधार नहीं लेंगी।

अध्याय III
विवेकपूर्ण तथा लेखा मानदंड

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को भारतीय रिजंर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी विभिन्न विवेकपूर्ण मानदण्डों संबंधी मार्गदर्शी सिद्धांतो, जिनमें आय निर्धारण, आस्तियों के वर्गीकरण, प्रावधानीकरण, निवेशों के वर्गीकरण तथा मूल्यन और विवेकपूर्ण जोखिम मानदण्ड शामिल हैं, का अनुपालन करना होगा।

8. न्यूनतम पूंजी अपेक्षा

कारोबार प्रारंभ करने के समय बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पास न्यूनतम 100 करोड़ रुपए की निवल स्वाधिकृत निधियाँ होनी चाहिए जिन्हें बढ़ाने की समीक्षा 3 वर्ष के बाद की जाएगी।

9. पूंजी पर्याप्तता

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपनी तुलनपत्रगत सकल जोखिम भारित आस्तियों और तुलन पत्रेतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य के दस प्रतिशत (10%) या भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में समय-समय पर विनिर्दिष्ट प्रतिशत तक टियर I और टियर II धारित पूंजी पर्याप्तता अनुपात बनाए रखेगी।

(बी) बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपनी तुलनपत्रगत सकल जोखिम भारित आस्तियों और तुलन पत्रेतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य का छह प्रतिशत (6%) टियर-1 पूंजी के रूप में बनाए रखेगी।

(सी) टियर ॥ पूंजी का योग किसी भी समय टियर । पूंजी के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।

स्पष्टीकरण:

तुलनपत्र की आस्तियों के संबंध में

(i) इन निदेशों में, प्रतिशत भार के रूप में व्यक्त ऋण जोखिम की मात्रा तुलनपत्र की आस्तियों के लिए है। अतः, आस्तियों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए प्रत्येक आस्ति/मद को संबंधित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ताकि आस्तियों का जोखिम समायोजित मूल्य निकाला जा सके। न्यूनतम पूंजी अनुपात की गणना हेतु इस प्रकार आकलित जोखिम भार के सकल (aggregate) को हिसाब में लिया जाएगा। जोखिम भारित आस्ति की गणना निधि प्रदत्त (funded) मदों के भारित सकल के रूप में निम्नानुसार की जाएगीः

आस्तियों की मदें-तुलनपत्र की मदों के रूप में जोखिम भार प्रतिशत
(i) नकदी 0
(ii) बैंक शेष एवं मीयादी जमा और जमा प्रमाणपत्रों सहित बैंकों पर दावे 20
(iii) निवेश  
(ए) केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार की प्रतिभूतियाँ 0
(बी) बैंकों के बांड 20
(सी) सरकारी वित्तीय संस्थाओं की मीयादी जमा/जमा प्रमाणपत्र/बांड 100
(डी) सभी कंपनियों* के शेयर तथा सभी कंपनियों के डिबेंचर बांड वाणिज्य पत्र एवं ऋण उन्मुख/मुद्रा बाजार मुचुअल फंडों की यूनिटें 100
(* "कंपनियों (corporates) के शेयरों का अर्जन केवल ऋणों की पूर्ति के लिए ही किया जा सकता है।)  
(iv) चालू (current) आस्तियां  
(ए) ऋण और अग्रिम 100
(बी) स्टाफ को ऋण, यदि अधिवर्षिता लाभों, फ्लैटों/गृहों के बंधक रखने से पूरी तरह आवरित हों 20
(सी) स्टाफ को अन्य ऋण 100
(डी) अन्य जमानती ऋण और अग्रिम 100
(इ) अन्य (किराए पर निवल स्टाक, खरीदे और भुनाए गए बिल, आदि सहित) 100
(v) अचल आस्तियां (मूल्यह्रास घटाने के बाद)  
(ए) पट्टे पर दी गई आस्तियां (निवल बही मूल्य) 100
(बी) परिसर 100
(सी) फर्नीचर और फिक्सचर 100
(डी) अन्य अचल आस्तियां 100
(vi) अन्य आस्तियां  
(ए) स्रोत पर काटा गया आय कर (प्रावधान घटाकर) 0
(बी) अदा किया गया अग्रिम कर (प्रावधान घटाकर) 0
(सी) सरकारी प्रतिभूतियों पर प्राप्य (ड्यू) ब्याज 0
(डी) अन्य 100
टिप्पणी:
(1) घटाने का कार्य केवल उन्हीं आस्तियों के संबंध में किया जाए जिनमें मूल्यह्रास अथवा अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों।
(2) निवल स्वाधिकृत निधि की गणना के लिए जिन आस्तियों को स्वाधिकृत निधि से घटाया गया है उस पर भार `शून्य' होगा।
(3) जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के समग्र निधिक जोखिम की गणना करते समय, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ उधारकर्ता के खाते में कुल बकाया अग्रिमों से नकदी मार्जिन/प्रतिभूति जमा/जमानती राशि रूपी संपार्श्विक प्रतिभूति, जिसकी मुजरायी (set off) के लिए अधिकार उपलब्ध है, का समायोजन कर सकती हैं।

तुलनपत्र से इतर मदें

(ii) इन निदेशों में, तुलनपत्र से इतर मदों से संबद्ध ऋण जोखिम (एक्सपोजर) की मात्रा को ऋण परिवर्तन कारक के प्रतिशत के रूप में दर्शाया गया है। अतः तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना के लिए सबसे पहले प्रत्येक मद के अंकित मूल्य को उसके संगत परिवर्तन कारक (कन्वर्सन फैक्टर) से गुणा करना होगा। उसके बाद प्रत्येक मद के क्रेडिट तुल्य मूल्य को संबंधित प्रति पार्टियों के लिए लागू जोखिम भार से गुणा करना होगा। सकल जोखिम भारित मूल्य को न्यूनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए हिसाब में लिया जाएगा। तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना, गैर-निधिक मदों के ऋण परिवर्तन कारकों द्वारा निम्नानुसार की जाएगीः-

मद का स्वरूप ऋण (क्रेडिट) परिवर्तन कारक- प्रतिशत
i) मार्गेज़ गारंटियां 50
ii) पूंजी निवेश जैसे शेयरों/डिबेंचरों, आदि के संबंध में हामीदारी दायित्व 50
iii) आंशिक-प्रदत्त (paid) शेयर/डिबेंचर 100
iv) किए गए पट्टा करार जो निष्पादित होने हैं 100
v) अन्य आकस्मिक देयताएं 50
टिप्पणी : परिवर्तन कारक लागू करने से पहले नकदी मार्जिन/जमा राशियों को घटाया जाएगा।

(सी) कोई भी एक गारंटी कंपनी के टियर । और टियर ॥ पूंजी के योग के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।

10. आय निर्धारण

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ कंपनी निकायों(कार्पोरेट बॉडिज़)/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्रतिभूतियों, जिनके संबंध में केंद्र सरकार/राज्य सरकार द्वारा ब्याज एवं मूलधन की अदायगी की गारंटी दी गई हो, को उपचय के आधार पर आय में शामिल कर सकती हैं, बशर्ते नियमित रूप से ब्याज अदा किया जा रहा हो और इस प्रकार वह बकाया न हो।

(बी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ कंपनी निकायों (कार्पोरेट बॉडिज़) के शेयरों पर उपचित होने के आधार पर लाभांश को अपनी आय में शामिल कर सकती हैं बशर्ते लाभांश की घोषणा कंपनी निकाय ने अपनी वार्षिक सामान्य बैठक में की हो और उसे प्राप्त करने का मालिकाना हक स्थापित हो गया हो।

(सी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ सरकारी प्रतिभूतियों एवं कंपनी निकायों (कार्पोरेट बॉडिज़) के बांडों तथा डिबेंचरों पर उपचित होने के आधार पर आय को शामिल कर सकती हैं जहाँ इन पर प्राप्त ब्याज की दर पहले से निर्दिष्ट हो बशर्ते मिलने वाला ब्याज नियमित रूप से मिल रहा हो और वह बकाया न हो।

(डी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ म्युचुअल फंड की यूनिटों पर आय नकद प्राप्ति के आधार बुक कर सकती हैं।

(इ) ब्याज/बट्टा सहित आय अथवा अनर्जक आस्ति अथवा ऐसी कोई आस्ति जो अनर्जक आस्ति है और ऋणदाता संस्था से ट्रिगर घटना होने पर ली गई है पर किसी अन्य प्रभार को नकदी के आधार पर आय में शामिल किया जाएगा।

(एफ) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी बंधक संविदाओं पर प्राप्त प्रीमियम या फीस को अपने लाभ-हानि खाते में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के लेखा मानकों के अनुसार आय के रूप लेंगी। अनर्जित प्रीमियम की राशि तुलन पत्र के देयता खंड में अलग पंक्ति में दर्शाई जाएगी।

(जी) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 45 आई (सी) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में किए गए किसी अन्य कारोबार से हुई आय की गणना, ऐसी आस्तियों के संबंध में इन निदेशों में अंतर्विष्ट मानदण्डों के अनुसार की जाएगी।

11. आस्ति वर्गीकरण

(ए) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, स्पष्ट रूप से परिभाषित ऋण कमज़ोरियों (वेल डिफाइन्ड क्रेडिट वीकनेस) की डिग्री एवं वसूली हेतु संपार्श्विक जमानत पर निर्भरता की सीमा को ध्यान में रखते हुए अपनी आस्तियों, ऋण और अग्रिमों तथा किसी अन्य प्रकार के ऋण (क्रेडिट) को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करेगी, अर्थात् :

(i) मानक आस्तियां*;
(ii) अवमानक आस्तियां;
(iii) संदिग्ध आस्तियां; और
(iv) हानि वाली आस्तियां ।

* गारंटी दायित्वों के अंतर्गत अधिग्रहीत आस्तियों को मानक आस्तियों में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा।

(बी) उपर्युक्त आस्तियों की श्रेणी, मात्र पुनर्निर्धारण किए जाने के कारण उन्नयन नहीं की जाएंगी, बल्कि रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने पर ही उनका उन्नयन होगा |

12. लेखा वर्ष

प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलन पत्र एवं लाभ-हानि लेखे 31 मार्च को समाप्त प्रत्येक वर्ष के लिए तैयार करेगी। जब भी कोई बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र की तारीख कंपनी अधिनियम 1956 अथवा कंपनी अधिनियम 2013 के उपबंधों के अनुसार बढ़ाना चाहे, तो वह कंपनी रजिस्ट्रार से संपर्क करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति प्राप्त करे।

इसके अतिरिक्त, उन मामलों में जिनमें रिज़र्व बैंक एवं कंपनी रजिस्ट्रार ने समय विस्तार का अनुदान दे दिया हे, उनमें भी बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी/याँ 31 मार्च की स्थिति के अनुसार प्रोफार्मा तुलन पत्र (बिना लेखा परीक्षित) तथा सांविधिक विवरणियाँ बैंक को नियत तारीख को प्रस्तुत करेगी।

13. ऋण/निवेश का संकेंद्रण

(ए) कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित को ऋण नहीं देगीः

  1. किसी एक उधारकर्ता को अपनी स्वाधिकृत निधि के पंद्रह प्रतिशत से अधिक; तथा

  2. किसी एक उधारकर्ता समूह को अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से अधिक;

(बी) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी एक पार्टी/पार्टियों के एक समूह के संबंध में होने वाले जोखिमों के लिए नीति बनाएगी।

नोट:

  1. सीमाओं के निर्धारण के लिए, तुलनपत्र से इतर जोखिम (एक्सपोजर) को उल्लेखानुसार परिवर्तन कारकों का इस्तेमाल करके क्रेडिट जोखिम में बदला जाएगा।

  2. इस पैराग्राफ में विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए डिबेंचरों में किए गए निवेश को ऋण के रूप में माना जाएगा, न कि निवेश के रूप में।

  3. ये अधिकतम सीमाएं किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा क्रेडिट जोखिम के संबंध में अपने समूह की कंपनियों/फर्मों के साथ-साथ उधारकर्ता कंपनी के समूह के संबंध में लागू होंगी।

14. प्रारक्षित निधियों का सृजन और रखरखाव

(ए) आकस्मिकता प्रारक्षित निधि:

बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी सतत आधार पर "आकस्मिकता प्रारक्षित निधि" का सृजन करेगी और उसे बनाए रखेगी। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी:

(i) लेखा-वर्ष के दौरान अर्जित प्रीमियम या फीस का न्यूनतम चालीस प्रतिशत (40%) या लाभ का (प्रावधान करने और टैक्स के बाद) पच्चीस प्रतिशत (25%), जो भी अधिक हो, आकस्मिकता प्रारक्षित निधि में प्रति वर्ष विनियोजित करेगी;

(ii) अपर्याप्त लाभ होने की दशा में ऐसे विनियोजन का परिणाम हानि हो सकता है अथवा अग्रेषित हानि की राशि बढ़ जाएगी;

(iii) किसी लेखांकन वर्ष के दौरान प्रीमियम अथवा अर्जित शुल्क का निम्न (लोअर) प्रतिशत का विनियोजन किया जाए बशर्ते कि बंधक गारंटी दावा उस लेखांकन वर्ष के दौरान प्रीमियम अथवा अर्जित शुल्क के पैतीस प्रतिशत (35%) से अधिक हो ऐसी स्थिति में प्रत्येक वर्ष हानि खाते का निपटान हेतु किया गया प्रावधान प्रीमियम अथवा अर्जित शुल्क का कम से कम 24% होना चाहिए।

(iv) यह सुनिशचित करेगी कि आकस्मिकता प्रारक्षित निधि उसकी कुल बाकाया बंधक गारंटी वायदों के न्यूनतम पांच प्रतिशत (5%) तक सृजित हो जाए;

(v) प्रत्येक वर्ष आकस्मिकता प्रारक्षित निधि में विनियोजित राशि को आगामी न्यूनतम 07 वर्ष तक रखे रहेगी जिसे केवल आठवें वर्ष में प्रति रूपांतरित (रिवर्स) किया जा सकेगा बशर्ते उपर्युक्त मद सं. 14(ए)(iv) की अपेक्षाएं पूर्ण हों;

(vi) बंधक गारंटी द्वारा वहन की गई हानि से निकलने तथा स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति के बगैर आकस्मिक आरक्षित निधि का इस्तेमाल किया जा सकता है, हानि से बाहर निकलने हेतु अन्य सभी प्रयासो और विकल्प का प्रयोग करने के बाद ही यह उपाय किया जाए, इस्तेमाल करने के अन्य सभी मामलो में भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति ली जाए।

(vii) तुलन पत्र के देयता भाग की ओर अलग से पंक्ति में आकस्मिकता प्रारक्षित निधि की राशि को दिखाएगी; तथापि, आकस्मिकता प्रारक्षित निधि को निवल स्वाधिकृत निधियों के प्रयोजन से "मुक्त प्रारक्षित निधि" के रूप में माना जाएगा।

15. लेखांकन मानक

भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) द्वारा समय-समय पर जारी लेखांकन मानक और मार्गदर्शी नोट का पालन उस सीमा तक किया जाएगा; जहां तक वे इन निदेशों से बेमेल न हों।

16. अनर्जित प्रीमियम का लेखाकरण

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) द्वारा जारी लेखा मानकों के अनुसार बंधक संविदाओं पर ली गई प्रीमियम या फीस की गणना आय के रूप में अपने लाभ-हानि खाते में करेगी। अनर्जित प्रीमियम तुलनपत्र की देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा।

17. प्रावधानीकरण अपेक्षाएँ

(ए) आहूत गारंटियों से हुई हानि के लिए प्रावधान

जब बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा दी गई गारंटी आहूत की जाती है ते उसे संभावित हानि का जोखिम होता है। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को इस प्रकार आहूत की गई गारंटियों से होने वाली हानि के मद्देनज़र, आस्तियों की वसूली होने तक, प्रावधान रखना चाहिए। इस प्रकार रखे जाने वाले प्रावधान की राशि प्रत्येक आवास ऋण के संबंध में सकल गारंटी संविदावार राशि, जिसके संबंध में गारंटी आहूत हुई हो, के बाबत कंपनी के अधिकार में आयी आस्तियों से वसूलनीय मूल्य को समायोजित करके शेष रही राशि के बराबर होनी चाहिए।  यदि किसी आहूत गारंटी के संबंध में रखी आस्ति से वसूलनीय राशि आहूत राशि से ज्यादा होती है तो उसे किसी अन्य आहूत गारंटी के मामले में घटने वाली /कम होने वाली राशि के प्रति समायोजित नहीं किया जा सकेगा। ऐसे मामले में जहां प्रावधान की गई राशि पहले से ही परिकलित राशि से अधिक है, वहां पूर्णवसूली अथवा इस्तेमाल की गई गारंटी अथवा खाते का मानक बनने के बाद उस आधिक्य को वापस किया जा साकता है। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा। आहूत गारंटियों के संबंध में भुगतान/निपटान से हुई हानि के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी।

(बी) ‘हानि जो हुई किन्तु रिपोर्ट नहीं की गई (आईबीएनआर)’ के लिए प्रावधान

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा गारंटीकृत आवास ऋण के संबंध में की गई चूक से गारंटीदाता कंपनी को संभावित जोखिम हो सकता है। आवास ऋण संबंधी चूक के ऐसे मामले, जिनमें ट्रिगर घटना/इवेंट होनी है या गारंटी आहूत नहीं हुई है के बाबत बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा प्रावधान किया जाएगा। वह संभावित हानि जो गारंटी कंपनी को हो सकती है को "हानि जो हुई किन्तु रिपोर्ट नहीं की गई" कहा गया है। किए जाने वाले अपेक्षित प्रावधान की राशि बीमा करने के आधार पर निकाली जाएगी जो "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" की आवृत्ति/बारंबारता तथा हानि के असर/की कठोरता के अनुमान पर आधारित होगी। इन्हें ऐतिहासिक (historic) आंकड़ों, प्रवृत्तियों, आर्थिक कारकें एवं भुगतान किए / निपटाए गए दावों, भुगतान किए/निपटाए गए दावों के लिए किए गए प्रावधानों, जोखिम सांख्यिकी से संबंधित अन्य सांख्यिकीय आंकड़ों आदि के आधार पर आकलित किया जाएगा। यदि पहले से किया गया प्रावधान उल्लेखानुसार गणना किये जाने पर अधिक होता है तो बढ़ी हुई राशि के प्रावधान को उलटा (रिवर्स) नहीं किया जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा। "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी।

(सी) उल्लिखित प्ररिप्रेक्ष्य में प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, किसी खाते के अनर्जक होते जाने, उसके अनर्जक हो जाने के बीच लगने वाले समय, जमानत राशि की वसूली तथा उस समय में प्रभारित जमानती राशि के मूल्य में हुए क्षरण को ध्यान में रखकर प्रत्येक श्रेणी/वर्ग के लिए निम्नानुसार प्रावधान करेंगी |

(डी) बंधक (मार्गेज) गारंटी आस्तियां

बंधक (मार्गेज) गारंटी आस्तियों के संबंध में निम्नानुसार प्रावधान किया जाएगाः

(i) हानिवाली आस्तियां समस्त आस्ति बट्टे खाते डाली जाएगी। यदि किसी कारणवश आस्तियों को बहियों में बने रहने दिया जाता है तो बकाया के लिए 100% प्रावधान किया जाए;
(ii) संदिग्ध आस्तियां (ए) अग्रिम के उस भाग के लिए 100 % प्रावधान किया जाएगा जो उस जमानत के वसूलीयोग्य मूल्य से पूरा नहीं होता है जिसका बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी के पास वैध आश्रय है। वसूली योग्य मूल्य का आकलन वास्तविक आधार पर किया जाना है;
    (बी) जमानती अंश के संबंध में, आस्ति के संदिग्ध बने रहने की अवधि को देखते हुए जमानती अंश के 20% से 100% तक के लिए निम्नलिखित आधार पर प्रावधान किया जाएगाः

जिस अवधि तक आस्ति को संदिग्ध श्रेणी में माना गया प्रावधान का प्रतिशत
एक वर्ष तक 20
एक से तीन वर्ष तक 30
तीन वर्ष से अधिक 100
(iii) अवमानक आस्तियां कुल बकाया के 10% का सामान्य प्रावधान किया जाएगा।
मानक आस्तियों के लिए
मानक आस्ति बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ मानक आस्तियों के संबंध में सामान्यत: निम्नवत प्रावधान करेंगी;
(ए) 20 लाख रुपए से ऊपर के आवासीय गृह ऋणों पर गारंटी कवर के मामले में 1% (की दर से);
(बी) सभी अन्य गारंटी कवर के मामले में 0.40% (की दर से)
नोट:-
1. मानक आस्तियों के संबंध में किए गए प्रावधान निवल अनर्जक आस्तियों को आकलित करने के लिए हिसाब में नहीं लिए जाएंगे।
2. मानक आस्तियों के लिए किए गए प्रावधान सकल अग्रिमों से नहीं घटाए जाएंगे किन्तु तुलन पत्र में "अन्य देयताएं और प्रावधान अन्य" शीर्षक में मानक आस्तियों के लिए “आकस्मिक प्रावधान" के रूप में अलग से दिखाए जाएंगे।
3. यह स्पष्ट किया जाता है कि विवेकपूर्ण मानदण्डों में आय निर्धारण एवं अनर्जक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण दो अलग-अलग पहलू हैं तथा कुल बकाया राशि में से अनर्जक आस्तियों के लिए मानदण्डों के अनुसार प्रावधान करना अपेक्षित है। अनर्जक आस्तियों के संबंध में आय का निर्धारण न हो सकने के तथ्य को प्रावधान न कर पाने का कारण नहीं माना जा सकता है।

18. तुलन पत्र में प्रकटीकरण

(ए) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र में अलग से उपर्युक्त पैरा 6 के अनुसार किए गए प्रावधानों को आय अथवा आस्तियों के मूल्य से घटाए बिना प्रकट करेंगी।

(बी) बंधक गारंटी कारोबार तथा अन्य एवं अलग-अलग प्रकार की आस्तियों के लिए प्रावधानों का उल्लेख विशेष रूप से निम्नलिखित पृथक खाता शीर्षकों के अंतर्गत किया जाएगाः

  1. अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान; तथा

  2. निवेशों में मूल्यह्रास  हेतु किए गए प्रावधान।

(सी)  ऐसे प्रावधान प्रति वर्ष लाभ-हानि खाते से किए जाएंगे।

19. सरकारी प्रतिभूतियों का लेनदेन

प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी सरकारी प्रतिभूतियों का लेनदेन सीएसजीएल खाते या डिमैट खाते से कर सकती है:

बशर्ते कि कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी किसी भी ब्रोकर के मार्फत सरकारी प्रतिभूतियों का भौतिक (कागजी) फार्म में लेनदेन नहीं करेगी।

अध्याय IV
निवेश नीति

20. बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों के लिए निवेश नीति

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी केवल निम्नलिखित लिखतों में निवेश करेगी:

  1. सरकारी प्रतिभूतियों में;

  2. कंपनी निकायों /सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की प्रतिभूतियों में, जिनकी गारंटी सरकार द्वारा दी गई हो;

  3. अनुसूचित वाणिज्य बैंकों/सरकारी वित्तीय संस्थाओं (PFIs) की सावधि जमाराशियों/जमा प्रमाणपत्रों/बांडों में;

  4. कंपनियों के सूचीबद्ध तथा रेटिंगवाले डिबेंचरों/बांडों में;

  5. पूर्णत: ऋण उन्मुख मुचुअल फंड की यूनिटों में;

  6. बिना निर्दिष्ट भाव वाली सरकारी प्रतिभूतियों तथा सरकार द्वारा गारंटीकृत बांडों में।

(बी) सहायक कंपनियों तथा संयुक्त जोखिमों (ज्वाइंट वेंचर्स) सहित अन्य प्रकार के निवेशों की अनुमति नहीं होगी। तथापि, कोई बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी किसी कंपनी के ईक्विटी शेयरों में निवेशों को धारित (होल्ड) कर सकती है जो निर्दिष्ट भाव वाले (कोट की गई) हो या बिना निर्दिष्ट भाव वाले (अनकोटेड) हों या बिना निर्दिष्ट भाव वाले (अनकोटेड) अन्य निवेश हों जो उसने अपने द्वारा दिए गए कर्ज को पूरा करने के लिए अर्जित किए हों जिन्हें बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा अर्जन की तारीख से 3 वर्ष या इस संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत अवधि के भीतर बेच दिया (डिस्पोज़ कर दिया) जाएगा।

21. निवेश स्वरूप (पैटर्न)

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने कुल निवेश संविभाग का 25% से कम अंश, केंद्र तथा राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में नहीं रखेगी।

(बी) शेष निवेश वह अपने निदेशक बोर्ड द्वारा विवेकपूर्ण समझी गई रीति से किन्तु किसी भी श्रेणी अर्थात सूचीबद्ध एवं रेटेड कंपनी बांडों एवं डिबेंचरों या ऋण उन्मुख म्युचुअल फंड की यूनिटों आदि में 25% से अनधिक की सीमा के साथ निवेश कर सकेगी।

(सी) इन निदेशों के उल्लिखित पैरा 20(ए) में विनिर्दिष्ट लिखतों की प्रत्येक श्रेणी में बोर्ड अलग-अलग निवेशों हेतु उचित उप-सीमाएं निधार्रित कर सकता है।

(डी) भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के पास रजिस्टर्ड रेटिंग एजेंसियों द्वारा बांडों/डिबेंचरों तथा ऋण उन्मुख मुचुअल फंडों को दी गई न्यूनतम निवेश ग्रेड रेटिंग बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों द्वारा इनमें निवेश करने के लिए अपेक्षित (न्यूनतम निवेश ग्रेड रेटिंग) होगी।

22. निवेशों का लेखांकन

(ए) (i) मूल्यांकन के उद्देश्य से निवेश को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाए जैसे:-

  1. सरकारी प्रतिभूति सहित राजकोषीय बिल,

  2. सरकारी गारंटी वाली बॉंड/प्रतिभूति;

  3. बैंकों/पीएफआई के बॉंड;

  4. कॉरपोरेट्स के ऋण पत्र /बॉंड्स; तथा

  5. म्युचुअल फंड के यूनिट्स

(ii) सरकारी प्रतिभूति सहित राजकोषीय बिल, सरकारी गारंटी बॉंड अथवा प्रतिभूति को छोड़कर उद्धृत निवेश के लिए प्रत्येक श्रेणी को लागत मूल्य अथवा बाजार मूल्य जो भी कम होगा उसपर मूल्यांकन किया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए सरकारी प्रतिभूतियां उद्धृत अथवा अन्य, सरकारी गारंटीड प्रतिभूतियों तथा बॉंडो में किया गया निवेश पूंजी से अधिक नहीं होगी तथा इसे मूल्यांकन के उद्देश्य से और तदनुसार लेखांकन हेतु परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) माना जाएगा। कंपनी को अपने निदेशक मंडल की अनुमति से प्रत्येक अर्ध वर्ष अर्हात 01 अप्रैल या 01 अक्तूबर के प्रारंभ में सरकारी प्रतिभूतियों का अंतरण एचटीएम श्रेणी में करने की अनुमति है, बशर्ते मूलधन की राशि को अन्य सरकारी प्रतिभूतियों में पुन: निवेश किया जाए। एएफएस श्रेणी एचटीएम के तहत वर्गीकृत निवेश को बाजार भाव पर दर्शाया जाने की आवश्यकता नहीं है तथा इसे अधिग्रहण लागत से लिया जाएगा, जब तक प्रीमियम परिपक्वता के लिए शेष अवधि में ऋण चुकता किया जाए, जो अंकित मूल्य से अधिक हो। तथापि इस श्रेणी के बाहर किसी प्रतिभूति का परिपपक्वता के पूर्व कारोबार किया जाता है तो पूरे लाट को कारोबार के लिए प्रतिभूति माना जाएगा और बाजार भाव पर दर्शाया जाएगा विवरण खंड (iii) में निम्नानुसार दिया जा रहा है।

(iii) प्रत्येक श्रेणी में की गई निवेश को शेयर वार माना जाएगा तथा सभी निवेश के लिए कुल लागत और बाजार मूल्य पर विचार किया जाएगा। यदि श्रेणी के लिए बाजार मूल्य, श्रेणी की कुल लागत से कम होती है तो निवल मूल्य ह्रास उपलब्ध कराया जाएगा अथवा लाभ हानि खाता में इसे प्रभारित किया जाएगा। यदि श्रेणी के लिए बाजार मूल्य, श्रेणी की कुल लागत से अधिक होती है तो निवल मूल्य वृद्धि को नज़रांदाज़ किया जाएगा। निवेश की एक श्रेणी के मूल्यह्रास को अन्य श्रेणी के मूल्य वृद्धि से समाप्त नहीं किया जाएगा।

(iv) अन्य सभी निवेशों को इन निदेशों के अनुसार बाजार भाव (एमटीएम) पर दर्शाया जाएगा।

(बी) अपने द्वारा दिए गए ऋणों की पूर्ति के लिए बिना निर्दिष्ट भाव वाले (unquoted) निवेश जिन्हें अर्जित किया गया है का मूल्यांकन निम्नवत किया जाएगा:

(i) म्युचुअल फंड की यूनिटों में किए गए निवेश, जो बिना निर्दिष्ट भाव वाले (unquoted) हैं, का मूल्यांकन म्युचुअल फंड द्वारा प्रत्येक विशिष्ट योजना के संबंध में घोषित निवल आस्ति मूल्य पर किया जाएगा।

(ii) बिना निर्दिष्ट भाव वाले (unquoted) इक्विटी शेयरों का मूल्यांकन लागत या विघटित मूल्य दोनों में से जो भी कम हो पर किया जाएगा। तथापि, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ विघटित मूल्य को, यदि समीचीन हो, तो उचित मूल्य से प्रतिस्थापित कर सकती हैं। जहाँ निवेशिती (इनवेस्टी) कंपनी का तुलनपत्र गत 2 वर्षों के लिए उपलब्ध न हो वहाँ ऐसे शेयरों का मूल्यांकन 1 रुपए प्रति कंपनी के हिसाब से किया जाए।

(iii) बिना निर्दिष्ट भाव वाले (unquoted) अधिमानी शेयरों का मूल्यांकन लागत या अंकित मूल्य में से जो भी कम हो पर किया जाएगा।

टिप्पणी: आय निर्धारण और आस्ति वर्गीकरण के प्रयोजन से बिना निर्दिष्ट भाव वाले (unquoted) डिबेंचरों को मीयादी ऋण के रूप में अथवा अन्य ऋण सुविधाओं के रूप में माना जाएगा जो इस प्रकार के डिबेंचरों की अवधि पर निर्भर करेगा।

23. बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ अपने निदेशक बोर्ड के अनुमोदन से इन निदेशों के अनुरूप अपनी निवेश नीति की संरचना करेंगी।

अध्याय V
विविध अनुदेश

24. गारंटियों को दर्ज करने के लिए रजिस्टर रखना

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी दी गई गारंटियों के ब्योरों को दर्ज करने के लिए एक या कई रजिस्टर रखेगी, जैसे-

(ए) उधारकर्ता/सह उधारकर्ता का नाम और पता,

(बी)  उधारकर्ता को मंजूर ऋण की तारीख और राशि,

(सी) संपत्ति का संक्षिप्त ब्योरा, संपत्ति के स्थान/अवस्थिति (लोकेशन) की जानकारी सहित,

(डी)  ऋण के लिए उपलब्ध प्रतिभूति/सिक्युरिटी का स्वरूप,

(इ) ऋण (के अदा होने की) अवधि,

(एफ)  प्रत्येक किस्त कितनी राशि की है तथा हरेक किस्त के अदा होने की तारीखें,

(जी)  उस बैंक या आवास वित्त कंपनी का नाम और पता जिसे गारंटी उपलब्ध कराई गई है,

(एच) गारंटी की तारीख और राशि, और

(आई) गारंटी की अवधि/की कालावधि।

25. बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का दायित्व

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का दायित्व किसी ऋणदाता संस्था द्वारा जमानती (सिक्योर्ड) आवास ऋण/गृह ऋण के संबंध में बंधक गारंटीदाता कंपनी, ऋणदाता संस्था तथा उधारकर्ता के बीच हुई गारंटी संविदा में किए गए विनिर्देशन के अनुसार होगी।

(बी) ट्रिगर घटना (इवेंट) के बाद किसी भी दिन ऋणदाता संस्था ने जिस बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से गारंटी प्राप्त की है, वह उस बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से गारंटी आहूत करने की हकदार हो जाएगी।

(सी) जब भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को उसके द्वारा दी गई गारंटी के संबंध में उस बैंक या आवास वित्त संस्था से मांग की नोटिस आए जिसने गारंटी प्राप्त की है, तो गारंटीदाता कंपनी बिना विलंब (demur) के गारंटी दायित्व का भुगतान करेगी।

(डी) आवास ऋण/गृह ऋण के अनजर्क आस्ति में तब्दील होने पर यदि ऋणदाता संस्था वित्तीय आस्तियों के प्रतिभूतिकरण तथा पुनर्संरचना और प्रतिभूति हित (ब्याज) प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (SARFAESI Act, 2002) में विनिर्दिष्ट त्वरित गति से वसूली की प्रक्रिया का रास्ता अख्तियार कर ऋण की वसूली करने को प्रथम वरीयता दे तथा ऋणदाता संस्था ऋण में से कुछ राशि वसूल कर ले तो बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी की देयता में से इस प्रकार वसूल की गई राशि को ऋण राशि से घटा दिया जाएगा।

(इ) जैसा कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से उनके आवास/गृह ऋण के लिए बंधक (मार्गेज) गारंटी की अपेक्षा की जाती है, अत: वाणिज्यिक बैंक की तरह बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों के लिए एलटीवी अनुपात को विनियामक निर्धारण में शामिल करने का निर्णय लिया गया है तथा रू 20 लाख से अधिक के गृह/आवास ऋण के लिए इसे संशोधित कर 90% से 80% घटा दिया गया है। तथापि छोटे मूल्य के गृह/आवास ऋण जैसे रू 20 लाख तक का गृह/आवास ऋण (जिसे प्राथमिक क्षेत्र के अग्रिम में श्रेणीबद्ध किया गया है) के लिए एलटीवी अनुपात 90% से अधिक नहीं हों।

26. बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा समुचित सावधानी बरतना (डियु डिलीजेंस करना)

(ए) आवास ऋण/गृह ऋण के संबंध में गारंटी का प्रस्ताव करने से पूर्व बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से अपेक्षित है कि वह, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित के संबंध में अपनी संतुष्टि कर ले:

  1. कि ऋण वैध बंधक (मार्गेज) से सुरक्षित है;

  2. कि ऋणदाता संस्था ने संपत्ति के हक/स्वत्व, संपत्ति की विक्रेयता तथा उधारकर्ता की ऋण-शोधन-क्षमता का सत्यापन कर लिया है;

  3. कि ऋणदाता संस्था ने उस भूमि के उपयोग का सत्यापन कर लिया है, जिस पर लिए गए ऋण से आवास या आवासीय संपत्ति/गृह निर्माण हुआ है /करने का प्रस्ताव है;

  4. कि आवास/आवासीय संपत्ति के निर्माण या प्रस्तावित निर्माण के संबंध में समुचित प्राधिकारियों से उधारकर्ता द्वारा ली गई मंजूरी/अनुमति की प्रतिलिपि ऋणदाता संस्था द्वारा ली गई है और उसे सत्यापित किया गया है; तथा

  5. कि संपत्ति के मूल्य के 90% से ज्यादा ऋण ऋणदाता संस्था द्वारा उधारकर्ता को नहीं दिया गया है।

27. पते, निदेशकों, लेखापरीक्षकों आदि के परिवर्तन के संबंध में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना

प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित में किसी प्रकार का परिवर्तन होने की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को एक माह के भीतर देगीः

(ए) पंजीकृत/कंपनी (कार्पोरेट) कार्यालय के डाक का पूरा पता, टेलीफोन नं. तथा फैक्स नंबर;

(बी) कंपनी के निदेशकों के नाम तथा आवासीय पते;

(सी) उसके प्रधान अधिकारियों के नाम एवं पदनाम;

(डी) कंपनी के लेखापरीक्षकों के नाम तथा उनके कार्यालय के पते;

(इ) कंपनी की ओर से हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत अधिकारियों के हस्ताक्षरों के नमूने।

28. निषेध/रोक

(ए) ऐसे ऋण से अधिग्रहीत या अधिग्रहीत करने के लिए प्रस्तावित आवास (गृह)/ आवासीय संपत्ति को वैध बंधक रखकर सुरक्षित न किये गये आवास ऋण बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा गारंटी दिए जाने के पात्र नहीं होंगे।

(बी) कमीशन, छूट/रियायत या प्रोत्साहन न देना

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी मार्गेज गारंटी कारोबार को संदर्भित करने/अपने पास लाने के लिए किसी भी व्यक्ति को कमीशन, रियायत या अन्य प्रोत्साहन (प्रलोभन) नहीं देगी।

(सी) मार्गेज प्रारंभ करने वाली संबंधित पार्टियों को गारंटी देने पर रोक

प्रवर्तकों, उनकी अनुषंगी, सहयोगी कंपनियों और संबंधित पाटिर्यों या अनुषंगी, सहयोगी कंपनियों या मार्गेज कंपनी से संबंधित पार्टियों जिनमें वे कंपनियाँ शामिल हैं द्वारा प्रारंभ किए गए मार्गेज तथा वह कंपनी जिनमें मार्गेज कंपनी ने महत्त्वपूर्ण निवेश किया है या जिनमें उनकी शेयरधारिता(होल्डिंग) पांच प्रतिशत(5%) या अधिक है, को बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी गारंटी नहीं देगी।

(डी) निवेश

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी नोट्स या ऋणग्रस्तता के अन्य साक्ष्यों/प्रमाणों, जिसे/जिन्हें किसी मार्गेज या स्थावर संपत्ति पर अन्य ग्रहणाधिकार द्वारा प्रतिभूत किया गया हो, में निवेश नहीं करेगी। यह धारा उन मामलों में लागू नहीं होगी जहाँ स्थावर संपदा द्वारा प्राप्त उत्तरदायित्वों, या स्थावर संपदा की बिक्री संबंधी संविदा, जो बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा जारी नीतियों के तहत दावों के सद्भावपूर्ण भुगतान/निपटान के दौरान मिले बिक्रीगत उत्तरदायित्वों या संविदा से प्राप्त हुए हों या इस प्रकार अधिग्रहीत संपदा के सद्भावपूर्ण अधिकार के तहत आए हों।

(इ) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के अपने शेयरों पर ऋण वर्जित

  1. कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने शेयरों पर ऋण नहीं देगी।

  2. पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने से पूर्व, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को अपने शेयरों पर दिए गए ऋण की बकाया राशि की वसूली, चुकौती अनुसूची के अनुसार, करनी होगी।

29. लेखापरीक्षा समिति का गठन

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी एक लेखापरीक्षा समिति का गठन करेगी जिसमें कंपनी के बोर्ड के कम से कम तीन गैरकार्यपालक निदेशक शामिल किए जाएंगे और उनमें से कम से कम एक सनदी लेखाकार होगा।

(बी) कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 292ए या कंपनी अधिनियम, 2013 के इसी प्रावधान के तहत अपेक्षित बंधक गारंटी कंपनी द्वारा गठित लेखापरीक्षा समिति। लेखापरीक्षा समिति के पास कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 292 ए या कंपनी अधिनियम के इसी प्रावधान में निर्धारित किए अनुसार समान शक्तियां, कार्य और शुल्क होंगे।

30. गारंटी प्रदान करने के लिए नीति

बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का निदेशक बोर्ड ऋणदाता संस्थाओं को मार्गेज गारंटी देने के लिए कंपनी की नीति निर्धारित करेगा। ऐसी नीति में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित लिखित बातों का भी निर्धारण होगा:-

(ए) बंधक (मार्गेज) गारंटी प्रदान करने के लिए ली जाने वाली फीस या प्रीमियम का निर्धारण कतिपय मानकों के आधार पर किया जाए जिनमें शामिल होंगे ऋण की मात्रा (राशि), एलटीवी अनुपात, उधारकर्ता की ऋण-शोधन-क्षमता (साख) गुणवत्ता, और बैंक या आवास वित्त कंपनी का ऋण-मूल्यांकन/क्रेडिट जोखिम प्रबंधन का कौशल,

(बी) बंधक (मार्गेज) गारंटी प्रदान करने एवं गारंटी संविदा निष्पादित करने के लिए अधिकारों का प्रत्यायोजन,

(सी) बैंकों तथा आवास वित्त कंपनियों से प्राप्त दावों के सद्भावपूर्ण भुगतान के लिए निर्णय लेने हेतु अधिकारों का प्रत्यायोजन, और

(डी) उधारकर्ताओं से प्राप्य राशि की वसूली के लिए कार्रवाई प्रारंभ करने के लिए अधिकारों का प्रत्यायोजन।

31. बंधक (मार्गेज) गारंटी योजना

बंधक(मार्गेज) गारंटी प्रदान करने के प्रयोजन से बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ विस्तृत योजना तैयार करेंगी जिसे उनके निदेशक बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित किया जाएगा। योजना में, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित मामले होंगे:-

(ए) आवास/गृह ऋण की गुणवत्ता,

(बी) किसी बैंक या आवास वित्त कंपनी द्वारा किसी उधारकर्ता को प्रदान किए गए आवास/गृह ऋण के अधिकतम कितने अंश को गारंटी संविदा में शामिल किया जाएगा,

(सी) गारंटी संविदा में शामिल किए जाने वाले आवास /गृह ऋण के एलटीवी अनुपात की न्यूनतम एवं अधिकतम सीमा,

(डी) किसी उधारकर्ता द्वारा बंधक (मार्गेज) गारंटी हेतु बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को अदा की जाने वाली फीस या प्रीमियम या शुल्क एवं उसके अदा करने के तरीके का उल्लेख किया जाए,

(इ) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी की देयता क्या उधारकर्ता के साथ या अन्यथा सह-प्रभावी (co-extensive) होगी, और

(एफ) गारंटी आहूत किए जाने और बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा उसकी अदायगी बैंक या आवास वित्त कंपनी को किये जाने पर बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी या बैंक या आवास वित्त कंपनी की कौन सी पार्टी द्वारा उधारकर्ता से ऋण की वसूली की जाएगी संबंधी शर्त।

32. प्रति-गारंटी

जब भी कोई बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने द्वारा आवास ऋण पर दी गई गारंटी के संबंध में किसी अन्य बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से प्रति गारंटी प्राप्त करे, तब बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी और प्रति गारंटी दाता कंपनी भारत में बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा रखे जाने के लिए अपेक्षित प्रारक्षित निधियाँ उस अनुपात में बनाए रखेंगी जिस अनुपात में मूल गारंटी दाता कंपनी का तथा प्रति गारंटी लेने वाली कंपनी का जोखिम हो जाता है ताकि उनके द्वारा रखे गए कुल रिज़र्व भारतीय विधि के तहत किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से अपेक्षित रिज़र्व से कम न हों। यदि प्रति गारंटी दाता कंपनी भारत में विनियमित न होती हो तो गारंटीदाता बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी दावों के संबंध में उसके द्वारा जारी बकाया सभी बंधक (मार्गेज) गारंटी संविदाओं के संबंध में तदनुरूपी प्रारक्षित निधियाँ एवं प्रावधान रखेगी।

33. छूट

(ए) भारतीय रिज़र्व बैंक, यह आवश्यक समझने पर कि किसी कठिनाई को दूर किया जा सके या किसी अन्य उचित और पर्याप्त कारण से, किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी या बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों की किसी श्रेणी या सभी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों को इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के सभी या किसी प्रावधान/शर्त/शर्तों से सामान्यत: या विनिर्दिष्ट अवधि तक, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उन शर्तों के तहत जिन्हें वह लगाए, के अंतर्गत छूट दे सकता है।

34. अकाउंट एग्रीगेटर (ए.ए.) परिवेश तंत्र के सभी प्रतिभागियों के लिए मुख्य तकनीकी विनिर्देश

एनबीएफसी- एकाउंट एग्रीगेटर (एए), मास्टर निदेश गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- एकाउंट एग्रीगेटर (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 के पैरा 3.(1)ix में दी गई परिभाषा के अनुसार विभिन्न सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली और इंटरफेस को अपनाने वाले वित्तीय क्षेत्र के नियामकों में फैले, विभिन्न वित्तीय संस्थाओं के पास रखे, ग्राहक की वित्तीय जानकारी को समेकित करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उक्त आंकड़े का आदान-प्रदान सुरक्षित, विधिवत अधिकृत, सुचारु और निर्बाध हो, यह निर्णय लिया गया कि अकाउंट एग्रीगेटर (ए.ए.) परिवेश तंत्र के सभी प्रतिभागियों के लिए मुख्य तकनीकी विनिर्देश निर्धारित किए जाएं। रिजर्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (ReBIT), ने इन विनिर्देशों को तैयार किया है और इन्हें अपनी वेबसाइट (www.rebit.org.in) पर प्रकाशित है।

वित्तीय सूचना प्रदाताओं (एफआईपी)1 या वित्तीय सूचना उपयोगकर्ताओं (एफआईयू) के रूप में कार्य करने वाले लागू एनबीएफसी से यह अपेक्षित है कि वे ReBIT द्वारा प्रकाशित तथा समय-समय पर अद्यतन किए अनुसार तकनीकी विनिर्देशों को अपनाएं।

अध्याय VI
व्याख्या और निरसन प्रावधान

35. निर्वचन/अर्थ-निर्णय

इन निदेशों के उपबंधों को लागू करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक समझेगा, इसमें अवरित/शामिल किसी मसले पर आवश्यक स्पष्टीकरण दे सकता है और इन निदेशों के किसी उपबंध के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिया गया अर्थ-निर्णय अंतिम और सभी पार्टियों पर बाध्यकारी होगा। इन निदेशों के गैर अनुपालन की स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ ही, ये निदेश यथासमय लागू किसी अन्य क़ानूनों, नियमों, विनियमों अथवा निदेशों के प्रावधानों के अतिरिक्त होंगे न कि उनके अल्पीकरण के रूप में।

36. निरसन

इन निर्देशों के जारी होने पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए संलग्नक में उल्लिखित परिपत्रों में निहित दिशानिर्देशों को निरस्त माना जाए ।

इन परिपत्रों के तहत दिए गए सभी अनुमोदन / स्वीकृतियां इन निर्देशों के तहत दिए गए माने जाएंगे।

ऐसे निरसन के होते हुए भी, निरस्त कर दिए अनुदेश / दिशा-निर्देशों के अधीन की गई /शुरू की गई किसी भी कार्रवाई कथित अनुदेश / दिशा-निर्देशों के प्रावधानों के द्वारा निर्देशित किया जाना जारी रहेगा।

(मनोरंजन मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुलग्नक

मास्टर निदेश 2016 के जारी होने के साथ ही वापस लिए गए परिपत्रों और अधिसूचनाओं की सूची

क्रमांक परिपत्र सं तारीख विषय
1 अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.3/सीजीएम (पीके)-2008 15 फरवरी, 2008 बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के पंजीकरण और परिचालन संबंधी दिशानिर्देश
2 अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.4/सीजीएम (पीके)-2008 15 फरवरी, 2008  
3 अधिसूचना संख्या डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.5/सीजीएम (पीके)-2008 15 फरवरी, 2008  
4 डीएनबीएस.(नीप्र-एमजीसी) कंपरि सं.10/03.11.01/2011-12 16 दिसंबर, 2011 बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) दिशानिर्देश-2008 में संशोधन
5 अधिसूचना डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.6/सीजीएम (यूएस)- 2011 16 दिसंबर, 2011  
6 डीएनबीएस.(नीप्र-एमजीसी) कंपरि सं.20/03.11.01/2014-15 08 अगस्त, 2014 बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (एमजीसी) दिशानिर्देश में संशोधन
7 अधिसूचना डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.7/पीसीजीएम (केकेवी)-2014 08 अगस्त, 2014  
8 अधिसूचना डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.8/पीसीजीएम (केकेवी)-2014 08 अगस्त, 2014  
9 अधिसूचना डीएनबीएस.(नीप्र)एमजीसी सं.9/पीसीजीएम (केकेवी)-2014 08 अगस्त, 2014  

1 मास्टर निदेश - गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- एकाउंट एग्रीगेटर (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 और समय-समय पर यथासंशोधित संस्कारण में एफ़आईपी और एफ़आईयू की परिभाषा के अनुसार।


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