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मास्टर निदेशों

मास्टर निदेश-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी की निगरानी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016

भारिबैं/गैबैंपवि/2016-17/49
मास्टर निदेश डीएनबीएस पीपीडी 01/66.15.001/2016-17

29 सितंबर, 2016

अधिसूचना

मास्टर निदेश-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी की निगरानी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016

भारतीय रिज़र्व बैंक, जन हित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऋण प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 (1934 का 2) की धारा 45 के, 45एल और 45एम द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इसको समर्थ करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए और मास्टर परिपत्र-धोखाधड़ी- गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी निरोधक निगरानी के लिए भावी दृष्टिकोण के अधिक्रमण मे मास्टर निदेश-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में धोखाधड़ी की निगरानी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 (निदेश) जारी करता है।


सूची

अध्याय I - प्रारंभिक
अध्याय II - परिचय
अध्याय III - धोखाधड़ी का वर्गीकरण
अध्याय IV - भारतीय रिज़र्व बैंक को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग
अध्याय V - त्रैमासिक रिटर्न
अध्याय VI - बोर्ड को रिपोर्ट
अध्याय VII - पुलिस को धोखाधड़ी रिपोर्टिंग के लिए दिशानिर्देश
अध्याय VIII - व्याख्याएं
अध्याय IX – निरसन प्रावधान
अनुलग्नक
अनुबंध I - एफएमआर - 1: एनबीएफसी में वास्तविक या संदेहास्पद धोखाधड़ी पर रिपोर्ट
अनुलग्नक II - एफएमआर - 2: शेष धोखाधड़ी पर तिमाही रिपोर्ट
अनुबंध III - एफएमआर - 3: 1.00 लाख और ऊपर के धोखाधड़ी पर तिमाही प्रगति रिपोर्ट

अध्याय 1

प्रारंभिक

1 संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ

ए) इन निदेशों को एनबीएफसी1 में धोखाधड़ी की निगरानी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2016 कहा जाएगा,

बी) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

2 प्रयोज्यता

ये निदेश सभी जमा स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और 'प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण जमा न स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां' (एनबीएफसी-एनडी-एसआई2) आगे 'लागू एनबीएफसी' कहा जाएगा, पर लागू होंगे ।

अध्याय-II

परिचय

1. लागू एनबीएफसी बिना किसी विलंब के धोखाधड़ी रिकॉर्ड करने के लिए एक रिपोर्टिंग प्रणाली स्थापित करेगी बैंकों को ।धोखाधड़ी के मामले रिपोर्ट करने में देरी के संबंध में उन्हें कर्मचारियों की जवाबदेही निर्धारित करना होगा।

2. लागू गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को धोखाधड़ी की रिपोर्ट करने के लिए इस संबंध में निर्धारित समय-सीमा का सख्ती से पालन करना होगा, अन्यथा, लागू एनबीएफसी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (आरबीआई अधिनियम) के अध्याय V के प्रावधानों के तहत निर्धारित दंडनीय कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होगी।

3. गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे महाप्रबंधक या उसके समान के स्तर के किसी पदाधिकारी को विशेष रूप से इस बात के लिए नामित करें जो इस परिपत्र में दी गई सभी विवरणियों को प्रस्तुत करने के लिए उत्तरदायी होंगे ।

4. यदि किसी धोखाधड़ी का पता नहीं लगता है, तो लागू एनबीएफसी को बैंक के गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के धोखाधड़ी निगरानी कक्ष / क्षेत्रीय कार्यालयों को 'शून्य' रिपोर्ट प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है । साथ ही लागू एनबीएफसी द्वारा पर्याप्त सावधानी बरतने हेतु यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके द्वारा रिपोर्ट किए गए मामलों को धोखाधड़ी निगरानी कक्ष / गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों द्वारा विधिवत प्राप्त कर लिया गया है, जैसा भी मामला हो।

5. लागू एनबीएफसी धोखाधड़ी से जुड़ी राशि का खुलासा करेंगी, जो कि कंपनी में उस वर्ष के लिए उनके तुलनपत्र में रिपोर्ट की गई है।

अध्याय - III

धोखाधड़ी का वर्गीकरण

1. धोखाधड़ियों के मामलों की सूचना देने में एकरूपता लाने के लिए धोखाधड़ियों को भारतीय दंड संहिता के उपबंधों के आधार पर निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है :

(ए) दुर्विनियोजन और आपराधिक विश्वास भंग ।

(बी) जाली लिखतों, लेखा-बहियों में हेर-फेर अथवा बेनामी खातों के जरिये कपटपूर्ण नकदीकरण और संपत्ति का परिवर्तन ।

(सी) पुरस्कृत करने अथवा अवैध तुष्टीकरण के लिए दी गयी अनधिकृत ऋण सुविधाएं।

(डी) लापरवाही और नकदी की कमी ।

(ई) छल और ज़ालसाजी ।

(एफ) विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताएं ।

(जी) अन्य किसी प्रकार की धोखाधड़ी, जो उक्त किसी विशिष्ट शीर्ष के अंतर्गत शामिल न हो ।

2. उक्त मद (डी) और (एफ) में संदर्भित `लापरवाही और नकदी की कमी' तथा `विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेनों में अनियमितताओं' के मामलों को धोखाधड़ी के रूप में सूचित किया जाए, यदि छल करने/धोखा देने के इरादों का संदेह हो/का इरादा साबित हो गया हो। तथापि, निम्नलिखित मामलों में जहाँ पकड़े जाने के समय कपटपूर्ण इरादा संदेह वाला न हो/साबित न हो गया हो, को धोखाधड़ी माना जाएगा और रिपोर्ट किया जाएगा:

(ए) 10,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले; और

(बी) प्रबंध-तंत्र/लेखापरीक्षक/ निरीक्षण अधिकारी द्वारा पकड़े गए 5,000/- रुपए से अधिक की नकदी की कमी के मामले जो नकदी का काम करने वाले व्यक्ति द्वारा घटित होने पर रिपोर्ट न किये गये हों।

3. विदेश व्यापार शाखाओं/कार्यालयों वाली लागू गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे ऐसी शाखाओं/कार्यालयों में होने वाली सभी धोखाधड़ियों की सूचना अध्याय IV में दिए गए फार्मेट और प्रक्रिया के अनुसार रिज़र्व बैंक को भी दें ।

अध्याय- IV

भारतीय रिज़र्व बैंक को धोखाधड़ी की रिपोर्टिंग

1. एक लाख रुपए तथा उससे अधिक की राशि वाली धोखाधड़ियां

(i) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों के ऐसे मामलों की धोखाधड़ी रिपोर्टें प्रस्तुत की जाएं जो गलत बयानी, विश्वास भंग, लेखा बहियों में हेर-फेर, सावधि जमा रसीदों के कपटपूर्ण नकदीकरण, गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को प्रभारित प्रतिभूतियों पर अनधिकृत रूप से कार्य करने में, अधिकार के दुरुपयोग, गबन, निधियों के दुर्विनियोजन, संपत्ति के परिवर्तन, छल, कमी, अनियमितताओं आदि के माध्यम से हुए हों।

(ii) धोखाधड़ी की रिपोर्टें ऐसे मामलों में भी प्रस्तुत की जाएं जहां केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने स्वयं ही आपराधिक कार्यवाही प्रारंभ कर दी हो और/अथवा जहां रिज़र्व बैंक ने निदेश दिया हो कि उन्हें धोखाधड़ी के रूप में रिपोर्ट किया जाए ।

(iii) लागू गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी अपनी अनुषंगियों, सहायक संस्थाओं/संयुक्त उद्यमों में हुई धोखाधड़ियों की भी सूचना दें । तथापि, ऐसी धोखाधड़ियों को बकाया धोखाधड़ियों तथा नीचे पैरा (vi) में उल्लिखित तिमाही प्रगति रिपोर्टों में शामिल न किया जाए ।

(iv) जहां धोखाधड़ी में शामिल राशि 1 करोड़ और उससे अधिक है, धोखाधड़ी का पता लगाने की तिथि से तीन सप्ताह के भीतर निर्धारित प्रारूप में रिपोर्ट निम्नांकित पते पर:

केंद्रीय धोखाधड़ी निगरानी कक्ष
बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग,
भारतीय रिज़र्व बैंक, 10/3/8, नृपथुंगा रोड,
पीबी सं 5467
बेंगलूर - 560001

और बैंक के गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के अधीन, जिसके अधिकार क्षेत्र से लागू एनबीएफसी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है, भेजी जाएगी।

(v) जिन मामलों में धोखाधड़ी की राशि 1 करोड़ रूपए से कम हो उसकी रिपोर्टिंग एफएमआर -1 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ी का पता चलने के 21 दिन के अंदर गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आता है।

(vi) लागू एनबीएफसी को सूचित किया जाता है कि रुपए 1 लाख और उससे अधिक के मामले में एफएमआर -3 में दिए गए प्रारूप में बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को धोखाधड़ियों पर मामला-वार त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट उस तिमाही के अंत के 15 दिनों के भीतर, जिससे यह संबंधित है प्रस्तुत करें, जिसके अधिकार क्षेत्र में लागू एनबीएफसी का पंजीकृत कार्यालय आता है ।

(vii) लागू एनबीएफसी को केवल निम्न कार्रवाई के पूरा होने पर तथा संबंधित गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, क्षेत्रीय कार्यालय से पूर्वानुमति प्राप्त करने के पश्चात ही एनबीएफसी को धोखाधड़ी मामले को बन्द करने की अनुमति है। कार्रवाई तभी पूर्ण मानी जाएगी जब-

(ए) सीबीआई/पुलिस/न्यायालय द्वारा लंबित धोखाधड़ी मामले का अंतिम रूप से निपटान हो गया हो,

(बी) स्टॉफ के उत्तरदायित्व की जांच पूरी कर ली गई हो,

(सी) धाखाधड़ी मामले में शामिल राशि की वसूली या बट्टे खाते में डालने के बाद

(डी) बीमा दावा जहां लागू हो, उसके निपटान होने पर

(ई) उपयुक्त प्राधिकारी (बोर्ड /लेखा परीक्षा समिति) द्वारा यह प्रमाणित किया गया हो कि एनबीएफसी द्वारा प्रणालियों और प्रक्रियाओं की समीक्षा की गई है, धोखाधड़ी के कारकों की पहचान कर तथ्य और कमियों को दूर किया गया है।

(viii) लागू एनबीएफसी को लंबित धोखाधड़ी मामले, विशेषकर जहां उन्होंने स्टॉफ के तरफ की कार्रवाई पूरी कर ली है, के अंतिम निपटान के लिए सीबीआई के साथ लगातार अनुवर्तन करना चाहिए। इसी प्रकार एनबीएफसी को धोखाधड़ी के मामलों के अंतिम निपटान के लिए पुलिस प्राधिकारी तथा / या न्यायालय से भी लगातार अनुवर्तन करना चाहिए।

एनबीएफसी को सीमित सांख्यिकीय/रिपोर्टिंग उद्देश्य के लिए, रू 25.00 लाख तक की राशि वाली धोखाधड़ी मामलों को समाप्त करने की अनुमति है जहां:

ए. जांच पड़ताल जारी है तथा पुलिस /सीबीआई द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दायर करने की तारीख से तीन वर्ष से अधिक समय के बाद भी न्यायालय में चालान/आरोप पत्र दायर नहीं किया गया हो;

बी. सीबीआई/पुलिस द्वारा चालान/आरोप पत्र दायर करने के बाद न्यायालय में मुकदमा शुरू नहीं किया गया या प्रगति पर है।

2 बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा की गई धोखाधड़ियां

(i) यह देखा गया है कि बड़ी संख्या में धोखाधड़ियां बेईमान किस्म के उधारकर्ताओं द्वारा, जिनमें कंपनियां, भागीदार फर्म /स्वामित्व प्रतिष्ठान और/अथवा उनके निदेशक/भागीदार शामिल हैं, निम्नलिखित सहित विभिन्न तरीकों से की जाती है:

(ए) लिखतों की कपटपूर्ण भुनाई ।

(बी) गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी की जानकारी के बिना गिरवी रखे गए स्टॉक को कपटपूर्ण ढंग से हटाना/दृष्टिबंधक रखे गए स्टॉक को बेचना/स्टॉक विवरण में स्टॉकों का मूल्य बढ़ाकर दर्शाना तथा अतिरिक्त वित्त का आहरण ।

(सी) उधारकर्ता इकाइयों के बाहर निधियों का अपयोजन/विशाखन, उधारकर्ताओं, उनके भागीदारों आदि के स्तर पर रुचि का अभाव अथवा आपराधिक उपेक्षा तथा प्रबंधन में चूक के कारण इकाई का रुग्ण होना और गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों के कर्मियों के स्तर पर उधार खातों में होने वाले परिचालनों पर प्रभावी पर्यवेक्षण में कमी के कारण अग्रिमों की वसूली में कठिनाई होना ।

(ii) "उधार खातों में हुई धोखाधड़ियों के संबंध में एफएमआर-1 के भाग 'बी' के तहत यथानिर्धारित अतिरिक्त जानकारी भी प्रस्तुत की जाए"।

3. एक करोड़ रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियां

एक करोड़ रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों के संबंध में उपर्युक्त दी गई अपेक्षाओं के अलावा गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि धोखाधड़ियों की रिपोर्ट, गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों के ध्यान में ऐसी धोखाधड़ियां आने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केन्द्रीय कार्यालय, धोखाधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को संबोधित अर्द्धशासकीय पत्र द्वारा करें तथा उसकी प्रतिलिपि प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केंद्रीय कार्यालय को परांकित करें। पत्र में धोखाधड़ी के संक्षिप्त विवरण जैसे कि धोखाधड़ी की राशि, धोखाधड़ी का स्वरूप, संक्षेप में आपराधिक कार्य-प्रणाली, शाखा/कार्यालय का नाम,धोखाधड़ी में शामिल पार्टियों के नाम (यदि वे स्वामित्व/ भागीदारी के प्रतिष्ठान या निजी लिमिटेड कंपनियां हैं, तो मालिकों,भागीदारों तथा निदेशकों के नाम) शामिल अधिकारियों के नाम, तथा पुलिस के पास शिकायत दर्ज़ किए जाने के बारे में विवरण दिए जाएं । धोखाधड़ी की सूचना देने के लिए अर्द्धशासकीय पत्र की प्रतिलिपि गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को भी परांकित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत कंपनी का पंजीकृत कार्यालय कार्यरत है ।

4 धोखाधड़ी करने के लिए किए गए प्रयास के मामले

(ए) 25 लाख रूपए या उससे अधिक राशि के वैयक्तिक सभी मामले लागू एनबीएफसी बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना जारी रखा जाए। धोखाधड़ी के प्रयास के मामलों की रिपोर्टें जिन्हें बोर्ड की लेखा-परीक्षा समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है, उनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित बातों को भी शामिल किया जाए:

• धोखाधड़ी के प्रयास की कार्य प्रणाली

• कैसे वह प्रयास धोखाधड़ी में कार्यान्वित नहीं हो पाया या कैसे वह प्रयास असफल / विफल किया गया ।

• वर्तमान प्रणाली और नियंत्रण को सुदृढ़ करने के लिए बैंक द्वारा उठाए गए कदम ।

• जहां धोखाधड़ी का प्रयास किया गया वहाँ उस क्षेत्र में लागू की गई नई प्रणालियाँ व स्थापित नियंत्रण ।

• इसके अतिरिक्त, उस वर्ष के दौरान पता लगाए गए ऐसे मामलों की वार्षिक समेकित समीक्षा जिसमें निम्न प्रकार की सूचना होनी चाहिए, जैसे धोखाधड़ी के प्रयास किए जाने, वर्ष के दौरान स्थापित नई प्रक्रिया तथा कार्यप्रणालियों की प्रभावकारिता, पिछले तीन वर्षों के दौरान ऐसे मामलों की प्रवृत्ति, प्रक्रिया तथा कार्यप्रणालियों में आगे और बदलाव की आवश्यकता, यदि कोई है, इत्यादि। यह सूचना (31 मार्च 2013 को समाप्त वर्ष से शुरू करते हुए) हर वर्ष, 31 मार्च की स्थिति के अनुसार, संबन्धित वर्ष की समाप्ति के तीन माह के भीतर प्रस्तुत की जानी चाहिए ।

अध्याय - V

त्रैमासिक विवरणी

1 धोखाधड़ियों के बकाया मामलों पर रिपोर्ट

(i) गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एफएमआर-2 में दिए गए फार्मेट में धोखाधड़ियों के बकाया मामलों की तिमाही रिपोर्ट की एक-एक प्रति संबंधित तिमाही की समाप्ति के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रेषित की जाए जिसके अधिकार क्षेत्र में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय आाता हो भले ही ये मामले किसी भी राशि के क्यों न हों ।

(ii) रिपोर्ट के भाग-ए में तिमाही के अंत में धोखाधड़ियों के बकाया मामले शामिल किए जाते हैं । रिपोर्ट के भाग- बी तथा सी में तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के क्रमश: श्रेणी-वार तथा अपराधी-वार विवरण दिए जाते हैं । भाग- बी तथा सी में दर्शाए अनुसार तिमाही के दौरान रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों के मामलों की कुल संख्या तथा राशि रिपोर्ट के भाग-ए के कालम सं.4 तथा 5 के कुल जोड़ से मेल खानी चाहिए ।

(iii) उपर्युक्त रिपोर्ट के भाग के रूप में गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियां इस आशय का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करें कि तिमाही के दौरान एफएमआर-1 में रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट किए गए एक लाख रुपए तथा उससे अधिक के सभी व्यक्तिगत धोखाधड़ी के मामले भी गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों के बोर्ड के समक्ष रखे गए हैं तथा एफएमआर-2 के भाग - ए (कालम 4 तथा 5) एवं भाग- बी तथा सी में शामिल किए गए हैं ।

2 धोखाधड़ियों के संबंध में प्रगति रिपोर्ट

(i) गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे एक लाख रुपए और उससे अधिक की राशि की धोखाधड़ियों पर मामले-वार तिमाही प्रगति रिपोर्टें एफएमआर-3 में दिए गए फार्मेट में संबंधित तिमाही की समाप्ति के 15 दिन के भीतर भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग केन्द्रीय कार्यालय, धोखोधड़ी निरोधक निगरानी कक्ष को यदि ऐसी राशि 1 करोड़ एवं अधिक हो तथा 1 करोड़ से कम के मामलों में गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें जिसके अधिकार क्षेत्र में गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी का पंजीकृत कार्यालय स्थित है ।

(ii) जिन धोखाधड़ियों के मामले में तिमाही के दौरान कोई प्रगति नहीं हुई हो, ऐसे मामलों की एक सूची शाखा का नाम तथा सूचना देने की तारीख के संक्षिप्त विवरण सहित उपरोक्त मद संख्या (i) के अनुसार एफएमआर-3 में प्रस्तुत करें ।

अध्याय- VI

बोर्ड को रिपोर्ट प्रस्तुत करना

1 धोखाधड़ियों की रिपोर्ट

(i) लागू गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियां यह सुनिश्चित करें कि एक लाख रुपए और उससे अधिक की सभी धोखाधड़ियों की सूचना पता लगने के तुरंत बाद उनके बोर्डों को प्रस्तुत की जाएं ।

(ii) ऐसी रिपोर्टों में अन्य बातों के साथ-साथ संबंधित शाखा अधिकारियों तथा नियंत्रक प्राधिकारियों के स्तर पर हुई चूकों का उल्लेख किया जाए तथा धोखाधड़ी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई प्रारंभ किए जाने के लिए विचार किया जाए ।

2 धोखाधड़ियों की तिमाही समीक्षा

(i) मार्च, जून तथा सितंबर को समाप्त तिमाहियों के लिए धोखाधड़ियों से संबंधित जानकारी संबंधित तिमाही के अगले माह के दौरान निदेशक बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की जाए ।

(ii) इनके साथ अनुपूरक सामग्री होनी चाहिए, जिसमें सांख्यिकीय सूचना और प्रत्येक धोखाधड़ियों के ब्यौरों का विश्लेषण किया गया हो ताकि बोर्ड के पास धोखाधड़ियों के दंडात्मक और निवारक पहलुओं के संबंध में कारगर रूप से योगदान देने के लिए पर्याप्त सामग्री हो ।

(iii) सभी धोखाधड़ियों के मामले जो एक करोड़ रुपये या उससे अधिक के हों, की निगरानी और समीक्षा गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी के बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति द्वारा की जानी चाहिए और यदि बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति न हो तो बोर्ड की अन्य किसी समिति द्वारा की जाए। मामलों की संख्या को देखते हुए इस समिति की बैठकों की आवधिकता तय की जा सकती है। तथापि, जब कभी भी एक करोड़ रुपये और उससे अधिक राशि की धोखाधड़ी उजागर हो, तो यह समिति बैठक करके उसकी समीक्षा करे ।

3 धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा

(i) गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को चाहिए कि वे धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करें तथा निदेशक बोर्ड के समक्ष जानकारी देने के लिए नोट प्रस्तुत करें । दिसंबर को समाप्त वर्ष के लिए समीक्षाएं अगले वर्ष के मार्च की समाप्ति के पहले बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत की जाएं । ऐसे समीक्षा नोट भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजने की आवश्यकता नहीं है। इन्हें रिज़र्व बैंक के निरीक्षण अधिकारियों के सत्यापन के लिए सुरक्षित रखा जाए ।

(ii) ऐसी समीक्षा करते समय ध्यान में रखे जाने वाले प्रमुख पहलुओं में निम्नलिखित मुद्दे शामिल किये जाएं:

(ए) क्या धोखाधड़ी हो जाने पर कम से कम समय में उस का पता लगाने के लिए गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी में विद्यमान प्रणाली पर्याप्त है?

(बी) क्या धोखाधड़ियों की स्टाफ की दृष्टि से जांच की जाती है?

(सी) क्या जहां कहीं उपयुक्त पाया गया वहां जिम्मेदार पाये गये व्यक्तियों के लिए निवारक सजा दी गई?

(डी) क्या धोखाधड़ियां प्रणालियों और क्रियाविधियों का पालन करने में शिथिलता के कारण हुईं और यदि ऐसा हो तो क्या यह सुनिश्चित करने के लिए कारगर कार्रवाई की गयी कि संबंधित स्टाफ् द्वारा प्रणालियों और क्रियाविधियों का पूरी सावधानी से पालन किया जाता है।

(ई) क्या धोखाधड़ियों के बारे में, यथास्थिति, स्थानीय पुलिस को जांच-पड़ताल के लिए सूचना दी जाती है।

(iii) वार्षिक समीक्षाओं में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित ब्यौरे भी शामिल होने चाहिए:

(ए) वर्ष के दौरान पता लगायी गई कुल धोखाधड़ियां तथा पिछले दो वर्ष की तुलना में उनमें फंसी हुई राशि।

(बी) अध्याय IV में दी गई विभिन्न श्रेणियों के अनुसार धोखाधड़ियों का विश्लेषण तथा बकाया धोखाधड़ियों पर तिमाही रिपोर्ट में उल्लिखित विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों का भी विश्लेषण (एफएमआर -2 के अनुसार)।

(सी) वर्ष के दौरान रिपोर्ट की गई मुख्य-मुख्य धोखाधड़ियों की वर्तमान स्थिति सहित उनकी आपराधिक कार्य-प्रणाली।

(डी) एक लाख रुपए और उससे अधिक की धोखाधड़ियों का ब्यौरे-वार विश्लेषण।

(ई) वर्ष के दौरान धोखाधड़ियों के कारण गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी को हुई अनुमानित हानि, वसूल हुई राशि तथा किए गए प्रावधान।

(एफ) जहां स्टाफ शामिल हैं, ऐसे मामलों की संख्या (राशि सहित) एवं उनके खिलाफ की गई कार्रवाई।

(जी) धोखाधड़ी के मामलों का पता लगाने में लगा समय (धोखाधड़ी होने के तीन महीने, छह महीने, एक वर्ष के भीतर पता लगाये गये मामलों की संख्या)।

(एच) पुलिस को रिपोर्ट की गई धोखाधड़ियों की स्थिति।

(आई) धोखाधड़ी के ऐसे मामलों की संख्या जिनमें गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा अंतिम कार्रवाई हो गयी है और मामले निपटा दिए गए हैं।

(जे) धोखाधड़ी की घटनाओं में कमी करने/उन्हें न्यूनतम रखने के लिए गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा वर्ष के दौरान किये गये निवारक/दण्डात्मक उपाय।

(के) संबन्धित प्राधिकारियों को धोखाधड़ी की समय पर सूचना देना।

अध्याय- VII

पुलिस को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देश

1. पुलिस को धोखाधड़ियों की सूचना देने हेतु दिशा-निर्देश

लागू गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी द्वारा दी गयी अवैध तुष्टीकरण,अनधिकृत ऋण सुविधाएँ, लापरवाही और नकदी कम हो जाने,छल, जालसाजी आदि जैसी धोखाधड़ियों के संबंध में राज्य पुलिस अधिकारियों को सूचित करने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए:

(ए) धोखाधड़ियों/गबन के मामलों पर कार्रवाई करते हुए गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों को, मात्र संबंधित राशि के शीघ्र वसूल करने के लिए ही प्रवृत्त नहीं होना चाहिए बल्कि उन्हें लोक-हित से और यह सुनिश्चित करने के लिए भी प्रेरित होना चाहिए कि दोषी व्यक्ति दण्डित हुए बिना नहीं छूटे.

(बी) अतः सामान्य नियमानुसार निम्नलिखित मामले अनिवार्यतः राज्य पुलिस के पास भेजे जाने चाहिए

बाहरी व्यक्तियों द्वारा स्वयं तथा/या गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के स्टाफ् / अधिकारियों की सांठ-गांठ से गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी में एक लाख रुपये या उससे अधिक की राशि के धोखाधड़ी के मामले;

गैर बैंकिग वित्तीय कंपनी के कर्मचारियों द्वारा किये गये धोखाधड़ी के मामले, जिनमें गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनी की 10,000 रुपये से अधिक की राशियां शामिल हों;

अध्याय VIII

व्याख्याएं

इन दिशा-निर्देश के प्रावधानों को प्रभावी करने के प्रयोजन के लिए, बैंक, अगर आवश्यक समझता है, तो इसमें शामिल किसी भी बात के साथ-साथ बैंक द्वारा दिए गए निर्देशों के किसी प्रावधान की व्याख्या के संबंध में आवश्यक स्पष्टीकरण जारी कर सकता है जो अंतिम और सभी संबंधित पक्षों पर बाध्यकारी होगा । इन निर्देशों का उल्लंघन अधिनियम के प्रावधानों के तहत दंडात्मक कार्रवाई को आमंत्रित करेगा। इसके अलावा, ये प्रावधान तत्समय प्रवृत्त किसी भी अन्य कानूनों, नियमों, विनियमों या निर्देश के प्रावधानों के अलावा होंगे और उन्हे न्यून प्रभावी नहीं करेंगे ।

अध्याय IX

निरसन प्रावधान

1. इन निर्देशों के जारी करने पर, बैंक के द्वारा जारी किए गए परिशिष्ट में उल्लिखित परिपत्र में निहित निर्देश / मार्गदर्शिका निरस्त कर दी गई हैं।

2. उक्त उल्लिखित परिपत्र के तहत दिए गए सभी अनुमोदन/स्वीकरण, इन निर्देशों के अनुसार दी गई मानी जाएगी।

3. निम्न उल्लिखित परिपत्र इन दिशा-निर्देशों के प्रभाव में आने से पहले प्रभाव में होना माना जाएगा।


परिशिष्ट

मास्टर दिशानिर्देश जारी करने के साथ निरस्त परिपत्र या उसके हिस्से की सूची

क्रमांक परिपत्र संख्या तारीख
1 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 121/03.10.42/2008-09 01 जुलाई, 2008
2 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 127/03.10.42/2008-09 14 अगस्त, 2008
3 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 149/03.10.42/2009-10 01 जुलाई, 2009
4 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 182/03.10.42/2010-11 01 जुलाई, 2010
5 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 127/03.10.42/2011-12 01 जुलाई, 2011
6 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 256/03.10.42/2011-12 02 मार्च, 2012
7 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 283/033.10.042/2012-13 02 जुलाई, 2013
8 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 314/03.10.042/2012-13 13 दिसंबर, 2012
9 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 315/03.10.42/2012-13 13 दिसंबर, 2012
10 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 329/03.10.42/2012-13 13 जून, 2013
11 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 337/03.10.42/2012-13 01 जुलाई, 2013
12 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 385/03.10.42/2012-13 01 जुलाई, 2014
13 डीएनबीएस पीडी सीसी संख्या 075/03.10.001/2015-16 18 फरवरी, 2016

1 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (अधिनियम 1934 का 2) की धारा 45I (एफ) में यथापरिभाषित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी जिसे इसके बाद गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) कहा जाएगा।

2 वर्तमान में एनबीएफसी जनता से जमा स्वीकार नहीं कर रही है/जमा धारित नहीं कर रही है तथा उनकी कुल आस्तियां 500 करोड़ और उससे अधिक है जैसाकि पिछले लेखापरीक्षित तुलनपत्र में दर्शाया गया।


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