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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गुजरात राज्य कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

19 दिसंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि गुजरात राज्य कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात)
पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिनांक 15 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा, दि गुजरात राज्य कर्मचारी को-ऑपरेटिव बैंक लि., अहमदाबाद (गुजरात) (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों द्वारा सांविधिक आरक्षित निधि - आरक्षित नकदी निधि अनुपात(सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) बनाए रखने‘ संबंधी निदेशों तथा दिनांक 27 मई 2014 के ‘जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि योजना, 2014 – बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 26ए - परिचालन संबंधी दिशानिर्देश’ संबंधी परिपत्र के साथ संलग्न जमाकर्ता शिक्षण और जागरूकता निधि योजना, 2014 (योजना) के पैरा 3 के साथ पठित बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (अधिनियम) की धारा 26 ए की उप-धारा (2) के उल्लंघन के लिए 3.00 लाख (तीन लाख रुपये मात्र) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2019 को बैंक की वित्तीय स्थिति के संदर्भ में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए बैंक के सांविधिक निरीक्षण, निरीक्षण रिपोर्ट और उससे संबंधित सभी पत्राचार की जांच से, अन्य बातों के साथ-साथ, यह पता चला कि बैंक ने न्यूनतम आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को बनाए नहीं रखा और कतिपय खातों में पड़ी शेष राशियों, जो कि दस से अधिक वर्षों से अदावी थीं, को जमाकर्ता शिक्षण और जागरुकता निधि में अंतरित नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन हुआ है। उक्त के आधार पर, बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उनसे यह पूछा गया कि वे कारण बताएं कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों का उल्लंघन करने के लिए उन पर दंड क्यों न लगाया जाए।

नोटिस पर बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई मौखिक प्रस्तुतियों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/1403

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