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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी लक्ष्मी को- ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर, महाराष्ट्र के लाइसेंस को रद्द किया

22 सितंबर 2022

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दी लक्ष्मी को- ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर, महाराष्ट्र के लाइसेंस को रद्द किया

आज, भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 14 सितंबर 2022 के आदेश द्वारा “दी लक्ष्मी को- ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर, महाराष्ट्र” का लाइसेंस रद्द कर दिया है। परिणामस्वरूप, बैंक 22 सितंबर 2022 को कारोबार की समाप्ति के पश्‍चात बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकता है। सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, महाराष्ट्र से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक का समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने हेतु आदेश जारी करें।

रिज़र्व बैंक ने निम्न कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द किया:

  1. बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं। इस प्रकार, यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3)(डी) के प्रावधानों का पालन नहीं करता है;

  2. बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22(3)(ए), 22 (3)(बी), 22 (3)(सी), 22 (3)(डी) और 22 (3)(ई) की आवश्यकताओं का पालन करने में विफल रहा है;

  3. बैंक का बने रहना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है;

  4. बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा; और

  5. यदि बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा।

2. लाइसेंस रद्द होने के परिणामस्वरूप, “दी लक्ष्मी को- ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, सोलापुर, महाराष्ट्र” को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5(बी) में परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार, जिसमें अन्य बातों के अलावा जमाराशियों को स्वीकार करने और जमाराशियों की चुकौती करना शामिल हैं, करने से प्रतिबंधित किया गया है।

3. परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता, डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के अंतर्गत, नि‍क्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी नि‍गम (डीआईसीजीसी) से 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा। बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99 प्रतिशत जमाकर्ता डीआईसीजीसी से उनकी पूरी जमाराशि प्राप्त करने के हकदार है। 13 सितंबर 2022 तक, डीआईसीजीसी ने बैंक के संबंधित जमाकर्ताओं से प्राप्त सहमति के आधार पर डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 की धारा 18ए के प्रावधानों के तहत कुल बीमाकृत जमाराशि में से 193.68 करोड़ का भुगतान कर दिया है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/914

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