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विदेशी मुद्रा प्रबंधक

भारतीय रुपए के बाहरी मूल्‍य के निर्धारण के लिए बाज़ार-आधारित प्रणाली में परिवर्तन के साथ विदेशी मुद्रा बाज़ार ने सुधार अवधि की शुरुआत से ही भारत में ज़ोर पकड़ा है।

प्रेस प्रकाशनी


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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों का वित्त, 2020-21: जारी आंकड़े

22 सितंबर 2022

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कंपनियों का वित्त, 2020-21: जारी आंकड़े

आज रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 के दौरान भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) कंपनियों के वित्तीय कार्य निष्पादन से संबंधित आंकड़े1 जारी किए (https://dbie.rbi.org.in/DBIE/dbie.rbi?site=statistics#!2_46)। विश्लेषण 2,059 कंपनियों के लेखापरीक्षित वार्षिक खातों पर आधारित है, जो एफडीआई कंपनियों, जिन कंपनियों ने रिज़र्व बैंक की भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों2 की विदेशी देयताओं और आस्तियों के संबंध में वार्षिक गणना के 2020-21 के दौर में सूचना दी थी, की कुल चुकता पूंजी (पीयूसी) का 39.1 प्रतिशत है।

मॉरीशस, सिंगापुर और यूएसए से प्रत्यक्ष निवेश वाली कंपनियों का प्रतिदर्श कंपनियों में लगभग आधा हिस्सा था; नीदरलैंड, जापान, यूनाइटेड किंगडम और जर्मनी अन्य प्रमुख प्रत्यक्ष निवेश स्रोत थे। कंपनियों का एक बड़ा हिस्सा विनिर्माण तथा सूचना और संचार क्षेत्रों से संबंधित था (विवरण 1)।

विवरणों हेतु व्याख्यात्मक नोट अनुबंध में दिए गए हैं।

मुख्य अंश

  • एफडीआई कंपनियों के कार्य निष्पादन 2019-20 (अंतिम तिमाही) के साथ-साथ 2020-21 (पूर्ण वित्तीय वर्ष) के दौरान कोविड-19 महामारी और संबंधित प्रतिबंधों के अत्यधिक व्यापक प्रतिकूल प्रभाव को दर्शाते हैं।

  • चुनिंदा एफडीआई कंपनियों की बिक्री में 2019-20 और 2020-21 में क्रमशः 1.3 प्रतिशत और 0.2 प्रतिशत की अल्प संवृद्धि दर्ज की गई (विवरण 2)।

  • विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई कंपनियों की कुल बिक्री में 2019-20 के साथ-साथ 2020-21 में सीमांत रूप से गिरावट आई; तथापि, खाद्य उत्पादों, विद्युत उपकरण, फार्मास्युटिकल, रसायन और प्लास्टिक उत्पादों ने वर्ष के दौरान उच्च बिक्री दर्ज की (विवरण 7)।

  • व्यापार गतिविधियों में कमी के कारण दोनों वर्षों में विनिर्माण क्षेत्र में विनिर्माण और परिचालन व्यय में गिरावट आई (विवरण 2 और 7)।

  • बिक्री की तुलना में व्यय में संकुचन के कारण परिचालन लाभ में सुधार हुआ। करों और ब्याज भुगतानों पर कम व्यय के परिणामस्वरूप निवल लाभ में महत्वपूर्ण संचय हुआ (विवरण 2 और 4)।

  • 2020-21 में प्रमुख क्षेत्रों में उच्च लाभप्रदता ने ब्याज कवरेज अनुपात [आईसीआर, ब्याज और करों से पूर्व आय (ईबीआईटी) के रूप में मापा जाता है] में सुधार में योगदान दिया (विवरण 2 और 7)।

  • चुनिंदा एफडीआई कंपनियों ने दोनों वर्षों में स्थिर निवेश के लिए वृद्धिशील निधि के आधे से अधिक का उपयोग किया (विवरण 3 और 6)। वित्तीय लिखतों में उनका निवेश 2020-21 में पर्याप्त रूप से बढ़ गया।

  • चुनिंदा कंपनियों की निवल अचल आस्तियों में संवृद्धि पिछले वर्ष के 15.7 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 में कम होकर 3.6 प्रतिशत रही (विवरण 1)।

रूपांबरा    
निदेशक (संचार)

प्रेस प्रकाशनी: 2022-2023/912


1 शृंखला में जारी पिछले आंकड़े 8 जून 2020 को प्रकाशित किया गए थे। इसमें वर्ष 2018-19 के लिए 8,095 कंपनियों के वित्त को शामिल गया, जो कि रिज़र्व बैंक की भारतीय प्रत्यक्ष निवेश कंपनियों की विदेशी देयताओं और आस्तियों पर गणना के 2018-19 दौर में रिपोर्ट करने वाली एफडीआई कंपनियों की कुल पीयूसी का 47.5 प्रतिशत था।

2 रिज़र्व बैंक के वार्षिक आंकड़ों (ए) 'गैर-सरकारी गैर-वित्तीय सार्वजनिक पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के वित्त, 2020-21' और (बी) 'गैर-सरकारी गैर-वित्तीय प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां, 2020-21’ में शामिल भारतीय कंपनियां जिन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की सूचना दी, इस अध्ययन में शामिल हैं। जारी आंकड़ों में कंपनियों का क्षेत्रीय वर्गीकरण उपर्युक्त दो अध्ययनों में अपनाए गए वर्गीकरण के अनुरूप है। ये सभी अध्ययन भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) से प्राप्त प्राथमिक आंकड़ों पर आधारित हैं।

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