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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

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भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मांडवी मर्केन्टाईल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मांडवी, जि. कच्छ (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

13 जनवरी 2021

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि मांडवी मर्केन्टाईल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मांडवी,
जि. कच्छ (गुजरात) पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने, रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म/ प्रतिष्ठानों जिसमें उनकी रुचि हो, को ऋण अग्रिम’ और ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियों को रखना’ संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं करने पर दि मांडवी मर्केन्टाईल को-ऑपरेटिव बैंक लि., मांडवी, जि. कच्छ (गुजरात) (बैंक) पर दिनांक 13 जनवरी 2021 के आदेश द्वारा 1.00 लाख (रुपये एक लाख केवल) का मौद्रिक दंड लगाया है। यह मौद्रिक दंड रिज़र्व बैंक द्वारा जारी उपर्युक्त निदेशों के अनुपालन में बैंक की विफलता को ध्यान में रखते हुए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4) (i) और धारा 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के तहत रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2018 को बैंक के वित्तीय स्थिति के संदर्भ में रिज़र्व बैंक द्वारा निष्‍पादित सांविधिक निरीक्षण से अन्य बातों के साथ-साथ यह पता चला है कि रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशक, रिश्तेदार तथा फर्म/ प्रतिष्ठानों जिसमें उनकी रुचि हो, को ऋण अग्रिम’ और ‘प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशियों को रखना’ संबंधी निदेशों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। उक्त के आधार पर बैंक को एक नोटिस जारी किया गया जिसमें उसे यह सूचित किया गया था कि वह कारण बताएं कि निदेशों के अननुपालन के लिए उस पर दंड क्यों नहीं लगाया जाए।

बैंक के उत्तर और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान किए गए मौखिक प्रस्तुतीकरण पर विचार करने के बाद रिज़र्व बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि रिज़र्व बैंक के निदेशों का अनुपालन नहीं करने के उपर्युक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और मौद्रिक दंड लगाया जाना आवश्यक है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2020-2021/938

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