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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई का लाइसेंस रद्द किया

2 मई 2020

भारतीय रिज़र्व बैंक ने दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिज़र्व बैंक (रिज़र्व बैंक) ने 28 अप्रैल 2020 के सकारण आदेश सं.डीओआर.सीओ.एआईडी/एलसी-02/12.22.035/2019-20 के द्वारा बैंकिंग कारोबार करने के लिए दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई को प्रदत्त लाइसेंस 30 अप्रैल 2020 के कारोबार की समाप्ति से रद्द कर दिया है। सहकारी सोसाइटी रजिस्ट्रार, पुणे, महाराष्ट्र से भी अनुरोध किया गया है कि वे दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई के कार्यों के परिसमापन के लिए एक आदेश जारी करें और बैंक के लिए एक परिसमापक की नियुक्त करें।

2. रिजर्व बैंक ने निम्न कारणों से बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया:

क. बैंक की वित्तीय स्थिति अत्यधिक प्रतिकूल और अस्थिर है। कोई ठोस पुनरुद्धार योजना या किसी अन्य बैंक के साथ विलयन के लिए कोई प्रस्ताव नहीं है। प्रबंधन की ओर से पुनरुद्धार के लिए विश्वसनीय प्रतिबद्धता दिखाई नहीं देती है।

ख. अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 11 (1) में निर्दिष्ट न्यूनतम पूंजी और भंडार की आवश्यकता को बैंक पूरा नहीं कर रहा है और अधिनियम की धारा 22 (3)(डी) में निर्धारित की गई पूंजी पर्याप्तता और आय संभावनाओं को और न्यूनतम विनियामक पूंजी की 9% की निर्धारित आवश्यकता को भी बैंक पूरा नहीं कर रहा है।

ग. बैंक अपने वर्तमान और भविष्य के जमाकर्ताओं को भुगतान करने की स्थिति में नहीं है, अत: अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 22 (3) (ए) का अनुपालन नहीं हो रहा है।

घ. बैंक के कार्यों को जमाकर्ताओं के और सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक रूप से संचालित किया जा रहा था और किया जा रहा है तथा बैंक प्रबंधन का सामान्य आचरण सार्वजनिक हित के साथ-साथ जमाकर्ताओं के हित के लिए पक्षपातपूर्ण रहा है। इस प्रकार, अधिनियम की धारा 22 (3) (बी) और (सी) के प्रावधानों का अनुपालन बैंक नहीं कर रहा है।

च. यद्यपि बैंक को पर्याप्त समय, अवसर और डिस्पेंशन दिया गया हैं, बैंक द्वारा पुनरुद्धार के लिए किए गए प्रयास काफी अपर्याप्त हैं। बैंक के संबंध में विलयन का कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इस प्रकार, कुल मिलाकर यदि बैंक को आगे भी अपना कारोबार करने की अनुमति दी जाती है तो उसका जनहित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नजर आ रही है।

छ . बैंक को अपने बैंकिंग व्यवसाय को जारी रखने की अनुमति देने से अधिनियम की धारा 22 (3) (ई) में की गई परिकल्पना के अ‍नुसार कोई उपयोगी उद्देश्य प्राप्त नहीं होगा। बल्कि यदि बैंक को अपने बैंकिंग व्यवसाय को आगे बढ़ाने की अनुमति दी जाएगी तो सार्वजनिक हित पर उससे प्रतिकूल प्रभाव पडेगा।

3. इसके लाइसेंस को रद्द करने के परिणामस्वरूप, दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई को तत्काल प्रभाव से 'बैंकिंग' व्यवसाय का संचालन करने से प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें जमा की स्वीकृति और जमा की चुकौती शामिल है जैसाकि बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 धारा के साथ पठित धारा 5 (बी) में परिभाषित किया गया है।

4. लाइसेंस रद्द किये जाने और परिसमापन कार्यवाही शुरू होने के साथ डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार, दि सीकेपी सहकारी बैंक लिमिटेड, मुंबई के जमाकर्ताओं के लिये भुगतान की प्रक्रिया निर्धारित की जाएगी। परिसमापन पर, सामान्य नियमों और शर्तों के अनुसार प्रत्येक जमाकर्ता डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) से 5,00,000/ - (केवल पांच लाख रुपए) की मौद्रिक सीमा तक अपनी जमाराशि के पुनर्भुगतान के लिए पात्र है।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2019-2020/2304

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