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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 - (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत निर्देश – पद्मश्री डॉ. विठ्ठलराव विखे पाटिल को-ऑपरेटिव बैंक लि., नाशिक, महाराष्ट्र – अवधि में विस्तार

18 मार्च 2020

बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 - (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35 ए के अंतर्गत
निर्देश – पद्मश्री डॉ. विठ्ठलराव विखे पाटिल को-ऑपरेटिव बैंक लि., नाशिक, महाराष्ट्र – अवधि में विस्तार

भारतीय रिज़र्व बैंक ने लोकहित में बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (ए.ए.सी.एल) धारा 35 ए की उपधारा (1) के साथ पठित धारा 56 के तहत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए पद्मश्री डॉ. विठ्ठलराव विखे पाटिल को-ऑपरेटिव बैंक लि., नाशिक, महाराष्ट्र के लिए 19 मई 2018 की कार्य समाप्ती से निर्देश जारी किए थे। भारतीय रिजर्व बैंक ने इन निर्देशों की अवधि अ‍ब 18 मार्च 2020 से 17 सितंबर 2020 तक छः महीने के लिए बढाई है, जो की समीक्षाधीन है। हितबद्ध आम जनता के अवलोकनार्थ बैंक के परिसर में विस्तृत निर्देश प्रदर्शित किए गए हैं । भारतीय रिज़र्व बैंक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन निर्देशों में परिशोधन किए जाने पर विचार कर सकता है । भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निर्देशों का यह अर्थ नहीं लगाया जाना चाहिए कि इस बैंक का बैंकिंग लाएसेंस रद्द किया गया है । बैंक की वित्तीय स्थिती में जब तक सुधार नहीं हो जाता तब तक, बैंक प्रतिबंधों के अधीन बैंकिंग कारोबार जारी रखेगा ।

(योगेश दयाल) 
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2019-2020/2085

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