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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश – दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र- आहरण सीमा मे छूट

27 दिसंबर 2018

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी सोसायटियों पर यथालागू) की धारा 35क के अंतर्गत निदेश –
दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र- आहरण सीमा मे छूट

दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई, महाराष्ट्र को दिनांक 17 अप्रैल 2018 के निदेश के माध्‍यम से दि. 17 अप्रैल 2018 की कारोबार समाप्ति से निदेशाधीन रखा गया था। निदेशों की वैधता को समय समय पर बढाया गया और पिछली बार इन निदेशों की अवधी को दि. 15 अक्तूबर 2018 के आदेश के माध्यम से 17 अप्रैल 2019 तक विस्तार किया गया था। मौजूदा निदेश के अनुसार, अन्य नियमों सहित, प्रत्येक बचत बैंक या चालू खाता या किसी भी अन्य जमा खाते, उसे किसी भी नाम से जाना जा हो, में कुल राशि से रु. 1,000/- (केवल एक हजार रुपये) तक किसी भी जमाकर्ता को आहरण की अनुमति दी गई थी।

जन साधारण के सूचनार्थ एतद्द्वारा सूचित किया जाता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 35ए की उपधारा (1) और (2) में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए, निदेश देता है कि: दी सिटी को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मुंबई को जारी 17 अप्रैल 2018 के निदेश के पैराग्राफ 1 (i) जो कि 15 अक्तूबर 2018 के निदेश में अपरिवर्तित था, को निम्नवत आंशिक संशोधित किया गया है:

i. “प्रत्येक बचत बैंक खाते या चालू खाता या सावधि जमा खाते या किसी भी अन्य जमा खाते (जिसे किसी भी नाम से जाना जाता हो) में से कुल जमा शेष से जमाकर्ता को रू.5,000/- (केवल पाँच हजार रुपये) तक के आहरण की अनुमति है; बशर्ते कि जहां कहीं भी ऐसे जमाकर्ता की बैंक में किसी भी तरह की देयता हों, जैसे उधारकर्ता या/और प्रतिभू (Guarantor) के रूप में अथवा बैंक में जमा बदले लिया गया ऋण सहित, को पहले संबंधित उधारकर्ता के खाता/खातों से समायोजित किया जाए।”

17 अप्रैल 2018 के निदेश के अन्य नियम और शर्तों यथावत है।

उपरोक्त संशोधन को सूचित करनेवाले दि. 12 दिसम्बर 2018 के निदेश की एक प्रति बैंक के परिसर मे जनता की सूचना के लिए लगाई गई है।

भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपरोक्त संशोधन करने का यह अर्थ न लगाया जाए कि भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक की वित्तीय स्थिति में मौलिक सुधार से संतुष्ट है।

अजीत प्रसाद
सहायक परामर्शदाता

प्रेस प्रकाशनी: 2018-2019/1472

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