Click here to Visit the RBI’s new website

बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक क्रेडिट की डिलीवरी के लिए ऋण प्रणाली पर प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए

11 जून 2018

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बैंक क्रेडिट की डिलीवरी के लिए ऋण प्रणाली पर प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आज बैंक क्रेडिट की डिलीवरी के लिए ऋण प्रणाली पर प्रारूप दिशानिर्देश जारी किए जो निधि आधारित कार्यशील पूंजी वित्त में ऋण घटक के न्यूनतम स्तर और बड़े उधारकर्ताओं द्वारा प्राप्त की गई नकदी क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट सीमाओं के गैर-आहरित भाग के लिए अनिवार्य क्रेडिट अंतरण कारक (सीसीएफ) निर्धारित करती हैं जिसका लक्ष्य बड़े उधारकर्ताओं के बीच क्रेडिट अनुशासन को बढ़ाना है।

बैंक नकदी क्रेडिट/ओवरड्राफ्ट, कार्यशील पूंजी मांग ऋण, खरीद/बिलों के डिस्काउंट, बैंक गारंटी साख पत्र, फैक्टरिंग आदि के माध्यम से कार्यशील पूंजी वित्त उपलब्ध कराते हैं। नकदी क्रेडिट अभी तक कार्यशील पूंजी वित्तपोषण का सबसे लोकप्रिय मोड है। जबकि सीसी के अपने लाभ हैं, इसमें कुछ विनियामकीय चुनौतियों भी हैं जैसे स्थायी रोल ओवर, उधारकर्ताओं से बैंक/आरबीआई को चलनिधि अंतरण प्रबंधन, मौद्रिक नीति का सहज अंतरण आदि।

बैंकों और अन्य स्टेकधारकों से 26 जून तक प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत आमंत्रित किए जाते हैं। प्रारूप दिशानिर्देशों पर अभिमत/फीडबैक निम्नलिखित को भेजे जा सकते हैं:

प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक
बैंकिंग विनियमन विभाग,
12वीं मंजिल, मुख्य भवन
शहीद भगत सिंह मार्ग,
मुंबई – 400001

या ‘बैंक क्रेडिट की डिलीवरी के लिए ऋण प्रणाली पर प्रारूप दिशानिर्देशों पर फीडबैक’ विषय पंक्ति के साथ ई-मेल से भेजे जा सकते हैं।

जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/3244

2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
पुरालेख
Server 214
शीर्ष