16 मार्च 2018
वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर) के दौरान भारत के भुगतान संतुलन की गतिविधियां
तीसरी तिमाही अर्थात अक्तूबर-दिसंबर 2017-18 के लिए भारत के भुगतान संतुलन (बीओपी) पर प्रारंभिक आंकड़े विवरण I (बीपीएम6 फार्मेट) और II (पुराने फार्मेट) में प्रस्तुत किए गए हैं।
वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में भारत के भुगतान संतुलन की मुख्य विशेषताएं
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भारत का चालू खाता घाटा वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में बढ़कर 13.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.0 प्रतिशत) हो गया जबकि वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही में यह 8.0 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.4 प्रतिशत) और पिछली तिमाही में 7.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.1 प्रतिशत) था।
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वर्ष-दर-वर्ष आधार पर चालू खाता घाटे का बढ़ना मुख्य रूप से उच्चतर व्यापार घाटे (44.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के कारण हुआ और ऐसा निर्यात की तुलना में व्यापारिक वस्तुओं के आयात में ज्यादा वृद्धि से हुआ।
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सॉफ्टवेयर सेवाओं और यात्रा प्राप्तियों से हुई निवल कमाई में वृद्धि होने से निवल सेवा प्राप्तियां वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 17.8 प्रतिशत तक बढ़ गई।
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निजी अंतरण प्राप्तियां जिनमें मुख्य रूप से विदेशों में कार्यरत भारतीय का विप्रेषण है, वे एक वर्ष पहले के अपने स्तर से 16.0 प्रतिशत तक बढ़कर 17.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।
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वित्तीय खाते में, निवल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 4.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जो वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के 9.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से कम रही।
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पोर्टफोलियो निवेश में वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 5.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया गया जबकि पिछले वर्ष की तीसरी में बहिर्वाह 11.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा। ऐसा ऋण और इक्विटी बाजार में निवल खरीद के कारण हुआ।
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अनिवासी भारतीयों की जमाराशियों के कारण निवल प्राप्तियां वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 3.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रही जबकि एक वर्ष पहले निवल अदायगी 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
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विदेशी मुद्रा भंडार (बीओपी आधार पर) में वर्ष 2016-17 की तीसरी तिमाही के 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमी की तुलना में वर्ष 2017-18 की तीसरी तिमाही में 9.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई (सारणी 1)।
अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान बीओपी
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संचयी आधार पर, व्यापार घाटे के बढ़ने के कारण चालू खाता घाटा वर्ष 2016-17 की इस अवधि के 0.7 प्रतिशत से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2017-18 में 1.9 प्रतिशत हो गया।
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भारत का व्यापार घाटा अप्रैल-दिसंबर 2016 में 82.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर अप्रैल-दिसंबर 2017 में 118.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
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मुख्य रूप से निवल सेवा अर्जन और निजी अंतरण प्राप्तियों में वृद्धि के कारण निवल अदृश्य प्राप्तियां अप्रैल-दिसंबर 2017 में उच्चतर रहीं।
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निवल एफडीआई अंतर्वाह पिछले वर्ष की इस अवधि के 30.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटकर अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान 23.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
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पोर्टफोलियो निवेश ने अप्रैल-दिसंबर 2017 के दौरान 19.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवल अंतर्वाह दर्ज किया जबकि एक वर्ष पहले निवल बहिर्वाह 3.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
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अप्रैल-दिसंबर 2017 में विदेशी मुद्रा भंडार में 30.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अभिवृद्धि हुई।
सारणी 1: भारत के भुगतान संतुलन की प्रमुख मदें |
(बिलियन अमेरिकी डॉलर) |
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अक्तूबर-दिसंबर 2017 प्रा. |
अक्तूबर-दिसंबर 2016 |
अप्रैल-दिसंबर 2017-18 प्रा. |
अप्रैल-दिसंबर 2016-17 |
जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
जमा |
नामे |
निवल |
क. चालू खाता |
150.1 |
163.6 |
-13.5 |
130.2 |
138.1 |
-8.0 |
435.6 |
471.3 |
-35.6 |
382.8 |
394.6 |
-11.8 |
1. माल |
77.5 |
121.6 |
-44.1 |
68.8 |
102.0 |
-33.3 |
226.8 |
345.6 |
-118.9 |
202.8 |
285.5 |
-82.7 |
जिसमें से : |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
पीओएल |
9.9 |
29.2 |
-19.3 |
8.1 |
21.8 |
-13.7 |
26.5 |
75.8 |
-49.2 |
22.5 |
61.3 |
-38.8 |
2. सेवा |
50.0 |
29.0 |
20.9 |
42.1 |
24.4 |
17.8 |
143.3 |
85.7 |
57.6 |
122.4 |
72.6 |
49.8 |
3. प्राथमिक आय |
4.9 |
11.3 |
-6.4 |
4.0 |
10.4 |
-6.4 |
14.3 |
34.9 |
-20.6 |
11.8 |
32.5 |
-20.7 |
4. द्वितीयक आय |
17.7 |
1.6 |
16.1 |
15.3 |
1.4 |
13.9 |
51.3 |
5.1 |
46.3 |
45.8 |
4.0 |
41.8 |
ख. पूंजी लेखा और वित्तीय लेखा |
168.8 |
156.2 |
12.6 |
138.7 |
131.4 |
7.3 |
470.9 |
437.0 |
33.9 |
406.8 |
395.0 |
11.8 |
जिसमें से: |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
मुद्रा भंडार में परिवर्तन (वृद्धि (-)/कमी (+)) |
0.0 |
9.4 |
-9.4 |
1.2 |
0.0 |
1.2 |
0.0 |
30.3 |
-30.3 |
1.2 |
15.5 |
-14.2 |
ग. भुल-चूक (-) (ए+बी) |
0.8 |
|
0.8 |
0.7 |
|
0.7 |
1.8 |
|
1.8 |
0.0 |
0.01 |
-0.01 |
प्रा : प्रारंभिक |
नोट : पूर्णांकन के कारण उप घटकों का योग कुल योग से भिन्न हो सकता है। |
जोस जे. कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक
प्रेस प्रकाशनी: 2017-2018/2470 |