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शहरी बैंकिंग

शायद यह भूमिका हमारे कार्यकलापों का सबसे अधिक अघोषित पहलू है, फिर भी यह सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों के लिए ऋण उपलब्धता सुनिश्चित करना, देश की वित्तीय मूलभूत सुविधा के निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए संस्थानों की स्थापना करना, वहनीय वित्तीय सेवाओं की पहुंच में विस्तार करना और वित्तीय शिक्षा और साक्षरता को बढ़ावा देना शामिल है।

प्रेस प्रकाशनी


भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीएफसी बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

24 अक्टूबर 2017

भारतीय रिज़र्व बैंक ने आईडीएफसी बैंक लिमिटेड पर मौद्रिक दंड लगाया

भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 23 अक्टूबर 2017 को, ऋण और अग्रिम के संबंध में विनियामक प्रतिबंधों के उल्लंघन पर आईडीएफसी बैंक लिमिटेड (बैंक) पर 20 मिलियन का मौद्रिक दंड लगाया है। यह दंड आरबीआई द्वारा जारी कुछ दिशानिर्देश का बैंक द्वारा अनुपालन न करने पर बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 46 (4)(आई) के साथ पठित खंड 47ए(1)(सी) के प्रावधानों के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामक अनुपालन में कमी पर आधारित है और इसका बैंक द्वारा उसके ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय का इरादा नहीं है।

पृष्ठभूमि

31 मार्च 2016 को वित्तीय स्थिति पर आधारित बैंक की स्थिति रिपोर्ट में, अन्य बातों के साथ साथ, ऋण और अग्रिमों की स्वीकृति / नवीकरण से संबंधित कुछ दिशानिर्देशों का गैर-अनुपालन पाया गया था। स्थिति रिपोर्ट के आधार पर 7 अगस्त 2017 को बैंक को एक नोटिस जारी किया गया था, उन्हें सूचित किया गया कि वे कारण बताएं कि आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन न करने पर उन पर दंड क्यों नहीं लगाया जाना चाहिए। बैंक के उत्तर, सुनवाई के दौरान वैयक्तिक रूप से प्रस्‍तुत की गई दलीलों पर विचार करने के बाद, भारतीय रिज़र्व बैंक इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा है कि आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन न करने के उक्त आरोप सिद्ध हुए हैं और इस कारण से मौद्रिक दंड लगाना ज़रूरी है।

जोस जे.कट्टूर
मुख्य महाप्रबंधक

प्रेस प्रकाशनी : 2017-2018/1117

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