भारिबैं/डीएनबीआर/2018-19/66
गैबैंविवि.पीडी(एआरसी).सीसी.सं.06/26.03.001/2018-19
25 अक्तूबर 2018
अध्यक्ष/ प्रबंध निदेशक/ मुख्य कार्यकारी अधिकारी
सभी पंजीकृत आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां
प्रिय महोदय/ महोदया
मास्टर निदेश - प्रायोजकों के लिए उचित और उपयुक्त मानदंड - आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश 2018
भारतीय रिज़र्व बैंक (बैंक), वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियमन 2002 (अधिनियम) की धारा (3) की उप धारा 3 के खंड (एफ) और इस संबंध में विनियमित करने हेतु बैंक को सक्षम बनाने संबंधित सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस अधिनियम के तहत पंजीकृत आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (एआरसी) के प्रायोजकों के लिए उचित और उपयुक्त मानदंड पर निदेश देता है।
1. संक्षिप्त शीर्षक और निदेशों का प्रारंभ
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ये निदेश प्रायोजकों के लिए उचित और उपयुक्त मानदंड- आस्ति पुनर्निर्माण कंपनियां (रिज़र्व बैंक) निदेश 2018 के नाम से जाने जाएंगे।
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ये निदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावी होंगे।
2. प्रयोजनीयता
इन निदेशों के प्रावधान एआरसी के वर्तमान और प्रस्तावित प्रायोजकों पर लागू होंगे।
3. परिभाषाएं
इन निदेशों में जब तक अन्यथा अपेक्षित न हो, उल्लिखित शब्दों का वही अर्थ होगा जो नीचे दिया गया है-
(i) “अधिनियम” का अभिप्राय है वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियमन 2002 और इसमें यथासंशोधन।
(ii) "आवेदक" का तात्पर्य अधिनियम की धारा 3 के तहत आवेदन करने वाला व्यक्ति।
(iii) “प्रायोजक” का वही अभिप्राय है, जो अधिनियम की धारा 2(1)(जेडएच) में दिया गया है और इसका अर्थ है कोई व्यक्ति जो आस्ति पुनर्निर्माण कंपनी में कम से कम दस प्रतिशत की चुकता इक्विटी पूंजी होल्डिंग/धारिता रखता हो।
4. एआरसी के प्रायोजकों के लिए पात्रता मानदंड
एआरसी को प्रायोजित करने की पात्रता रखने के लिए प्रायोजकों को ‘उचित और उपयुक्त’ होना होगा।
5. एआरसी के प्रायोजकों के ‘उचित और उपयुक्त’ स्थिति के निर्धारक
कोई प्रायोजक उचित और उपयुक्त है अथवा नहीं यह निर्धारित करने के लिए बैंक उपयुक्ततानुसार सभी प्रासंगिक कारकों को शामिल करेगा, किन्तु यह निम्नलिखित तक ही सीमित नहीं है,
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प्रायोजक की सत्यनिष्ठा, प्रतिष्ठा, ट्रैक रिकॉर्ड और लागू नियमों और विनियमों के संबंध में अनुपालन;
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प्रायोजक एवं उनसे जुड़े व्यक्तियों और अन्य संस्थाओं के संबंध में कारोबार संचालित करने का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड और प्रतिष्ठा ऐसा हो कि वह उत्तम कारपोरेट गवर्नेंस, सत्यनिष्ठा के अनुरूप हो;
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प्रायोजक का कारोबार रिकार्ड और अनुभव;
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अधिग्रहण के लिए निधियों का स्रोत और स्थिरता तथा वित्तीय बाजारों तक पहुँच की क्षमता;
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शेयरधारिता करार और एआरसी के नियंत्रण तथा प्रबंधन में उनका प्रभाव।
6. प्रायोजकों द्वारा प्रदत सूचनाओं के साथ-साथ प्रासंगिक समर्थनकारी दस्तावेज
(i) प्राकृतिक व्यक्ति द्वारा सूचना
इन निदेशों की अनुसूची में विनिर्दिष्ट फॉर्म I (भाग ए, बी और सी) के अनुसार स्व-घोषणा।
(ii) विधिक व्यक्ति द्वारा सूचना
इन निदेशों की अनुसूची में विनिर्दिष्ट फॉर्म I (भाग ए, बी, सी और डी) के अनुसार स्व-घोषणा।
(iii) एआरसी को फॉर्म I (भाग ई) के अनुसार अतिरिक्त सूचनाएं देनी होगी।
7. मौजूदा प्रायोजकों के लिए समुचित सावधानी बरतने के लिए निरंतर जांच व्यवस्था
(i) यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी प्रायोजक ‘उचित और उपयुक्त’ हैं, प्रत्येक एआरसी
(ए) वित्तीय वर्ष की समाप्ति के एक माह के भीतर इन निदेशों की अनुसूची में विनिर्दिष्ट फॉर्म I में अपने सभी प्रायोजकों से घोषणा फॉर्म प्राप्त करें;
(बी) प्रत्येक वर्ष के मई माह के अंत तक प्रायोजक की स्थिति में परिवर्तन के संबंध में फॉर्म III में प्रमाणपत्र रिज़र्व बैंक को भेजें।
(ii) यदि एआरसी के पास प्रायोजकों से संबंधित ऐसी कोई जानकारी आती है, जिसके कारण ऐसे व्यक्ति इन शेयरों को धारण करने के लिए उचित और उपयुक्त नहीं रह जाते है; तो वे इसकी जांच करेगी तथा इसके संबंध में बैंक को रिपोर्ट करेगी।
8. पूर्वानुमोदन आवश्यकता का अनुपालन
(i) 24 फरवरी 2015 को जारी परिपत्र बैंविवि(नीप्र)कंपरि.सं.01/एससीआरसी/26.03.001/2014-2015 तथा इसमें समय-समय पर हुए संशोधनों में दर्शाये अनुसार एआरसी की शेयरधारिता में परिवर्तन हेतु बैंक से पूर्वानुमोदन लेने के लिए एआरसी इन निदेशों की अनुसूची में विनिर्दिष्ट फॉर्म II के साथ आवेदन करेगी।
(ii) कोई प्रायोजक उचित और उपयुक्त है या नहीं इसका मूल्यांकन करने के लिए बैंक, अन्य बातों के साथ-साथ, आवश्यकतानुसार अन्य देशी तथा विदेशी विनियामकों और प्रवर्तन एवं जांच एजेंसियों से प्रायोजक के संबंध में प्रतिपुष्टि प्राप्त करेगा।
भवदीय
(मनोरंजन मिश्रा)
मुख्य महाप्रबंधक
अनुसूची
फॉर्म
फॉर्म I
प्रायोजकों द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला घोषणापत्र
एआरसी का नाम:
क्रम सं |
मद |
टिप्पणी |
भाग ए |
1. |
प्रायोजक का नाम (पूर्व नाम, यदि कोई हो तो ऐसे परिवर्तन की तिथि सहित) |
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2. |
प्रायोजक का वर्तमान और स्थायी पता |
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3. |
प्रायोजक का पंजीकृत और कारपोरेट कार्यालय का पता |
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4. |
प्रायोजक का व्यवसाय / कारोबार का स्वरूप |
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5. |
यदि प्रायोजक एक व्यक्ति हो, तो नागरिकता और आवासीय स्थिति/ यदि प्रायोजक संस्था हो तो स्वामित्व और नियंत्रण स्थिति (फेमा के अनुसार) |
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6. |
जन्म /निगमीकरण की तिथि |
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7. |
सीआईएन/पंजीकरण सं./पैन/टैन |
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8. |
बैंक खातों का विवरण – बैंक, शखा और खाता सं. |
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9. |
पिछले तीन वर्षों के लिए लाभप्रदता और औसत आय तथा सकल मूल्य (वैधानिक लेखा परीक्षकों द्वारा विधिवत प्रमाणित) |
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10. |
शेयर/ अनिवार्यतः परिवर्तनीय अधिमान्य शेयर/ डिबेंचर/ बॉन्ड के अधिग्रहण के लिए निधियों के स्रोत (वैधानिक लेखा परीक्षक द्वारा विधिवत प्रमाणित) |
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11. |
पिछले तीन वर्षों के लिए प्रायोजक का आय कर रिटर्न तथा लेखा परीक्षित वित्तीय विवरण |
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12. |
बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं में प्रायोजक का निदेशक का पद/शेयरधारिता/ मताधिकार/ अनिवार्यतः परिवर्तनीय अधिमान्य शेयर/ डिबेंचर/ बॉन्ड इत्यादि का विवरण |
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13. |
प्रायोजक द्वारा एआरसी में “अधिग्रहण” का ब्योरा (शेयरधारिता रुपये में और प्रतिशत) |
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14. |
क्या कोई अन्य व्यक्ति प्रस्तावित अधिग्रहण में लाभकारी हित रखता है? |
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15. |
प्रायोजक की पृष्ठभूमि और अनुभव, कारोबार का अनुभव तथा पिछले ट्रैक रिकॉर्ड पर विस्तृत प्रोफाइल |
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16. |
क्या प्रायोजक एक वित्तीय क्षेत्र की संस्था है अथवा सरकारी/ सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम |
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17. |
क्या प्रायोजक को पिछले पांच वर्षों के दौरान कभी भी जानबुझकर किया गया चूककर्ता घोषित किया गया है। यदि हाँ तो क्या वे अभी भी जानबुझकर चूक कर रहें हैं? |
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भाग बी |
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18. |
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प्रायोजक के “रिश्तेदारों की सूची”
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प्रायोजक के “साथ मिल कर कार्य करने वाले व्यक्तियों” की सूची
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प्रायोजक के “सहयोगी उपक्रमों” की सूची
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ऐसी संस्थाओं की सूची जिसमें प्रायोजकों का 10% अथवा उससे अधिक की चुकता शेयर पूँजी धारिता हो।
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हिन्दू अविभक्त परिवारों (एचयूएफ) की सूची जिसमें प्रायोजक या उसके परिवार के सदस्य सदस्य/ कर्ता हैं।
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संस्थाओं की सूची, जहां ऊपर (ङ) का एचयूएफ उस संस्था में 10% या उससे अधिक चुकता पूंजी धारण करता है।
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संस्थाओं की सूची, जिनमें प्रायोजक ऐसी संस्थाओं की चुकता शेयर पूंजी का 10% या उससे अधिक धारण करता है।
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संस्थाएं, जिनमें ऐसा माना जाता है कि प्रायोजक की रुचि / हित है, यदि हों, (देखें कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 184)।
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ऐसी संस्थाएं, जहां प्रायोजक के सामान्य शेयरधारक हैं, जो सामूहिक रूप से प्रायोजक तथा उन संस्थाओं की चुकता शेयर पूंजी का 20% या उससे अधिक धारण करते हैं।
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प्रायोजक की संबंधित पार्टियां (एएस 18 देखें)
व्याख्याः इस भाग के उपयोग के लिए
(i) “रिश्तेदार” का तात्पर्य है कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(77) में दिये गए परिभाषा के अनुसार “रिश्तेदार”।
(ii) ऐसे व्यक्तियों के बारे में “साथ मिल कर कार्य करने वाले व्यक्तियों” के रूप में समझा जाएगा, जो किसी सामान्य उद्देश्य अथवा 10% से अधिक शेयरों के अधिग्रहण के उद्देश्य से किसी करार अथवा समझौते (औपचारिक अथवा अनौपचारिक) के अंतर्गत प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से एआरसी में शेयरों को अधिग्रहण करते हैं अथवा अधिग्रहण के लिए स्वीकृति देते हैं।
(iii) “प्रायोजक का सहयोगी उपक्रम” का अर्थ है कोई ऐसी कंपनी जो, चाहे निगमित हुआ है अथवा नहीं, और जो
(a) एक होल्डिंग कंपनी है अथवा प्रायोजक की सहायक कंपनी है; अथवा
(b) प्रायोजक का एक संयुक्त उपक्रम है (एएस 23 की शर्तों के अनुसार परिभाषित) अथवा
(c) निदेशक मंडल अथवा प्रायोजक को शासित करने वाली किसी अन्य निकाय के गठन को नियंत्रित करती हो अथवा
(d) आवेदक की गतिविधियों से आर्थिक लाभ प्राप्त करने में सक्षम हो |
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भाग सी |
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19. |
क्या प्रायोजक या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों में से कोई भी किसी भी समय दिवालिया न्यायनिर्णीत हुआ है। |
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20.* |
यदि प्रायोजक या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों में से कोई किसी व्यावसायिक संघ/निकाय का सदस्य है, उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई लंबित या शुरू की गई, या जिसके परिणामस्वरूप विगत समय में उन्हें दोषी ठहराया गया है/या क्या उन्हें किसी भी समय किसी व्यवसाय / कारोबार में प्रवेश से प्रतिबंधित किया गया है, यदि कोई हो, का ब्योरा। |
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21.* |
प्रायोजक या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों में से किसी के विरुद्ध विगत समय में गंभीर अनुशासनिक अथवा आपराधिक मामला लंबित या शुरू किया गया या जिसके परिणामस्वरूप उन्हें दोषी ठहराया गया है, यदि कोई हो, का ब्योरा। |
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22.* |
क्या प्रायोजक या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों में से कोई किसी भी समय सीमा-शुल्क/ उत्पाद-शुल्क/ आयकर/विदेशी मुद्रा/ अन्य राजस्व प्राधिकारियों/जांच एजेंसियों/आर्थिक विधियों द्वारा अपेक्षित नियमों/वैधानिक अपेक्षाओं के उल्लंघन का दोषी पाया गया है? यदि हाँ, तो ब्योरा दें। |
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23. |
क्या बेईमानी, अक्षमता या दुराचार के कारण होने वाली वित्तीय हानि से जनता की रक्षा करने के लिए बनाए गए किसी विधान के अंतर्गत प्रायोजक या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों को अपराध के लिए दोषी करार किया गया है? |
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24. |
क्या भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों को पिछले पांच वर्षों के दौरान कभी भी जानबुझकर किया गया चूककर्ता घोषित किया गया है? यदि हाँ तो क्या वह अभी भी जानबुझकर चूक कर रहा/रही है? |
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भाग डी |
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25. |
यदि प्रायोजक एक निगमित संस्था है, तो भारत और विदेशों में आवेदक के नियामकों के नाम और पते |
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26. |
प्रायोजक के शेयरधारिता का पैटर्न |
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27. |
प्रायोजक द्वारा पिछले 3 वर्ष के दौरान जुटाई गई पूंजी का ब्योरा |
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28. |
यदि प्रायोजक किसी समूह से संबद्ध है, तो जिस समूह से संबद्ध है उसका विस्तृत कारपोरेट संरचना (पिक्चर फार्मेट को प्राथमिकता दें) |
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* उपर्युक्त कॉलम में नियामकों द्वारा दिया गया ऐसा उक्त आदेश और निष्कर्ष जिसे बाद में पूरी तरह पलट दिया गया/ दरकिनार कर दिया गया है, का उल्लेख आवश्यक नहीं होगा किन्तु योग्यता के आधार की बजाय सीमाओं अथवा क्षेत्राधिकार की कमी इत्यादि जैसे तकनीकी आधारों पर उक्त आदेश को पलटने /दरकिनार करने की स्थिति में इसका उल्लेख आवश्यक होगा। यदि नियामक का आदेश अस्थाई तौर पर रोका गया है और अपीलीय / न्यायालयीन कार्रवाही लंबित है, तो इसका भी उल्लेख किया जाना है। |
वचनपत्र
मैं पुष्टि करता/ती हूँ कि ऊपर दी गई सूचना मेरी जानकारी और विश्वास के अनुसार सत्य और पूर्ण है। मैं वचन देता/ती हूँ कि इस घोषणापत्र की प्रस्तुति के बाद ऊपर दी गई जानकारी से प्रासंगिक जो भी घटनाएँ होंगी उन्हें यथाशीघ्र एआरसी की पूर्ण जानकारी में लाऊँगा/गी।
प्रायोजक का हस्ताक्षर और मुहर
स्थान :
तारीख :
मैं दृढतापूर्वक घोषणा करता/ती हूँ कि ऊपर वचन में दी गई सूचना मेरी जानकारी और विश्वास के अनुसार सही, पूर्ण और सत्यता के साथ कही गई है।
कंपनी का प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर
नाम
पदनाम
कंपनी का मुहर
तारीख :
स्थान :
भाग ई
एआरसी द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली अतिरिक्त जानकारी
क्रम सं |
मद |
टिप्पणी |
29. |
प्रायोजक के “उचित और उपयुक्त” की स्थिति के संबंध में निर्णय लेने के लिए उपर्युक्त मदों के संबंध में अन्य कोई व्याख्या/सूचना |
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30. |
शेयरधारक करारों का संक्षिप्त विवरण |
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कंपनी का प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर
नाम
पदनाम
कंपनी का मुहर
तारीख :
स्थान :
फॉर्म II
“प्रायोजकों” के लिए पूर्वानुमोदन हेतु आवेदन को अग्रेषित करते समय आस्ति पुनर्निर्माण
कंपनियों (एआरसी) द्वारा बैंक को प्रस्तुत की जाने वाली जानकारी
क्रम सं |
मद |
टिप्पणी |
1. |
एआरसी का नाम |
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2. |
एआरसी की चुकता पूंजी |
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3. |
एआरसी के मौजूदा प्रायोजकों के नाम |
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4. |
प्रस्तावित प्रायोजक के नाम |
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5. |
प्रस्तावित प्रायोजक की सत्यनिष्ठा और प्रतिष्ठा का पिछला ट्रैक रिकॉर्ड |
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6. |
अधिग्रहण पर एआरसी की रिपोर्ट (निदेशक मंडल द्वारा की गई समीक्षा के आधार पर) |
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7. |
प्रस्तावित प्रायोजक निवासी है अथवा अनिवासी। |
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8. |
क्या प्रस्तावित प्रायोजक या फॉर्म I के भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों के विरुद्ध किसी गंभीर अनुशासनिक या आपराधिक स्वरूप की कार्यवाही की गई है? |
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संलग्नक :
1. एआरसी की रिपोर्ट
2. बोर्ड के संकल्प की प्रति
3. प्रत्येक प्रायोजक के लिए अलग-अलग फॉर्मI
कंपनी का प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर
नाम
पदनाम
कंपनी का मुहर
तारीख :
स्थान :
फॉर्म III
एआरसी के सभी मौजूदा “प्रायोजकों” द्वारा एआरसी
को प्रस्तुत किया जाने वाला वार्षिक (प्रति वर्ष 31 मार्च को) घोषणापत्र
एआरसी का नाम:
क्रम सं |
मद |
टिप्पणी |
1. |
प्रायोजक का नाम |
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2. |
प्रायोजक का पता |
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3. |
प्रायोजक का व्यवसाय (व्यक्ति के मामले में) |
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4. |
प्रायोजक द्वारा एआरसी में धारित शेयरों/ अनिवार्यतः परिवर्तनीय अधिमान्य शेयर/ डिबेंचर/ बॉन्ड की कुल संख्या |
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5. |
पिछले 5 वर्षों में एआरसी में शेयरों/ अनिवार्यतः परिवर्तनीय अधिमान्य शेयर/ डिबेंचर/ बॉन्ड के अधिग्रहण की तारीख |
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6. |
प्रायोजकों या फॉर्म I के भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों के विरुद्ध पिछले 5 वर्ष के दौरान की गई विनियामक कार्रवाईयों का ब्योरा |
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7. |
क्या प्रायोजकों या फॉर्म I के भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों के विरुद्ध पिछले 5 वर्ष के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो उसका ब्योरा |
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8. |
क्या प्रायोजकों या फॉर्म I के भाग बी में सूचीबद्ध संस्थाओं/ व्यक्तियों के विरुद्ध पिछले 5 वर्ष के दौरान कोई दीवानी (सिविल) कार्यवाही की गई है? यदि हाँ, तो उसका ब्योरा |
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9. |
पिछले 5 वर्षों में प्रायोजकों के स्वामित्व में परिवर्तन (संस्थाओं के मामले में) यदि कोई हो |
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प्रायोजक का हस्ताक्षर और मुहर
स्थान
तारीख |