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वित्तीय बाजार

सुचारू ढ़ंग से कार्य करने वाले, चलनिधि युक्त और लचीले वित्तीय बाजार मौद्रिक नीति अंतरण और भारत के विकास के वित्तपोषण में अपरिहार्य जोखिमों के आवंटन और अवशोषण में सहायता करते हैं।

अधिसूचनाएं


सरकारी प्रतिभूति बाजार में बाजार रेपो लेन देन

भारिबैं/2016-17/49
एफएमआरडी.डीआइआरडी.6/14.03.002/2016-17

25 अगस्त 2016

सभी बाजार प्रतिभागी

प्रिय महोदय/महोदया,

सरकारी प्रतिभूति बाजार में बाजार रेपो लेन देन

कृपया आप चतुर्थ द्वैमासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2015-16 दिनांक 29 सितंबर 2015 का पैराग्राफ 34 देखे, जिसमें कहा गया था कि रिज़र्व बैंक रेपो लेन देनों पर लगाये गये प्रतिबंधो की समीक्षा करेगा, विशेष रूप से रेपो बाजार में गिल्ट खाता धारकों की सहभागिता के संबंध में ।

2. तदनुसार, इस संबंध में1 भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पूर्व में जारी किये गये परिपत्रों में अंतर्विष्ट पात्रता शर्तों और सहभागिता की अन्य शर्तों को निम्नलिखित लेन देनों की अनुमति देने के लिए शिथिल किया गया है :

  1. गिल्ट खाता धारक (जीएएच) अपने अभिरक्षक के साथ या उसी अभिरक्षक के अन्य जीएएच के साथ रेपो2 लेन देन कर सकते हैं ;

  2. सहकारी बैंक सभी पात्र बाजार प्रतिभागियों के साथ, जिनमें एनबीएफसी शामिल हैं, रेपो लेन देन कर सकते हैं ;

  3. सूचीबद्ध कंपनियाँ सात दिनों के न्यूनतम कालावधि (tenor) प्रतिबंध के बिना रेपो के अंतर्गत सभी पात्र बाजार प्रतिभागियों से (बैंकों सहित) उधार ले सकती हैं या उधार दे सकती हैं ;

  4. पात्र असूचीगत कंपनियाँ उन्हें निर्गत विशेष भारत सरकार प्रतिभूतियों की जमानत पर किसी भी पात्र बाजार प्रतिभागी से उधार ले सकती हैं ;

  5. आरबीआई में पंजीकृत एनबीएफसी, जिनमें कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 की उप धारा (45) में यथा परिभाषित सरकारी कंपनियाँ शामिल हैं, जो गैर बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा एनबीएफसी के लिए निर्धारित विवेकपूर्ण मानदंडों का पालन करती हैं, सभी पात्र बाजार प्रतिभागियों से रेपो के अंतर्गत उधार ले सकती हैं/उधार दे सकती हैं ।

3. संशोधित दिशा-निर्देश निम्नवत् हैं :

3.1 पात्रता

(i) रेपो लेन देन I) भारत सरकार द्वारा जारी की गयी दिनांकित प्रतिभूतियों एवं खजाना बिलों और ii) राज्य सरकारों द्वारा जारी की गयी दिनांकित प्रतिभूतियों, में किये जा सकते हैं ।

(ii) ऊपर उल्लिखित प्रतिभूतियों में रेपो लेन देन निम्नलिखित के द्वारा किये जा सकते हैं :

  1. व्यक्तियों या प्रतिष्ठानों द्वारा, जिनका भारतीय रिज़र्व बैंक में सब्सिडियरी जनरल लेजर (एसजीएल) खाता हो; और

  2. अनुबंध में यथा विनिर्दिष्ट प्रतिष्ठान, जो किसी बैंक में गिल्ट खाता रखते हों या कोई अन्य प्रतिष्ठान, जिसे रिज़र्व बैंक अपने लोक ऋण कार्यालय में सहायक सामान्य बही खाता (दि कस्टोडियन) बनाये रखने के लिए अनुमति दे ।

(iii) तदनुसार, अब रेपो लेन देन निम्नलिखित प्रतिष्ठानों के बीच करने की अनुमति दी जाती है :

  1. एसजीएल खाता धारक

  2. कोई एसजीएल खाता धारक और इसका अपना गिल्ट खाता धारक (जीएएच)

  3. एक एसजीएल खाताधारक और किसी अन्य अभिरक्षक का जीएएच

  4. एक ही अभिरक्षक के अलग-अलग जीएएच

  5. दो भिन्न अभिरक्षकों के लग-अलग जीएएच

3.2 व्यापार और निपटान

  1. रेपो लेन देन या तो अनुमोदित इलेक्ट्रॉनिक प्लैटफार्म पर या दोनों पक्षों द्वारा ओटीसी बाजार में किये जा सकते हैं ।

  2. ओटीसी बाजार में किये गये सभी रेपो लेन देनों की रिपोर्ट निर्धारित रिपोर्टिंग प्लैफार्म पर व्यापार निष्पादन के 15 मिनट के भीतर की जायेगी ।

  3. जीएएच के बीच रेपो लेन देन के संबंध में, जिनमें अभिरक्षक और इसका अपना जीएएच और उसी अभिरक्षक के दो जीएएच शामिल हैं, जिस अभिरक्षक के पास गिल्ट खाता रखा जाता है वह जीएएच की ओर से सौदे की रिपोर्ट रिपोर्टिंग प्लैटफार्म पर करने के लिए जिम्मेवार होगा ।

  4. सभी रेपो लेन देन भारतीय रिज़र्व बैंक में रखे गये एसजीएल खाता/सीएसजीएल खाता में, जिसमें क्लियरिंग कारपोरेशन ऑफ इंडिया लि. (सीसीआइएल) केंद्रीय पार्टी होता है, निपटाये जायेंगे । तथापि, अभिरक्षक और इसके जीएएच के बीच और एक ही अभिरक्षक के दो जीएएच के बीच रेपो लेन देनों का प्रतिभूति चरण द्विपक्षीय रूप से क्रमशः रिज़र्व बैंक और अभिरक्षक की लेखाबहियों में निपटाये जायेंगे ।

  5. सूचीबद्ध कंपनियाँ अब रेपो के अंतर्गत सात दिनों से कम अवधि के लिए, जिसमें ओवरनाइट शामिल है, निधियाँ उधार दे सकती हैं और उधार ले सकती हैं ।

  6. पात्र असूचीगत कंपनियाँ केवल भारत सरकार द्वारा उनको जारी की गयी विशेष प्रतिभूतियों के संपार्श्विक पर विनिर्दिष्ट रूप से रेपो के अंतर्गत उधार ले सकती हैं

3.3 सामान्य अपेक्षाएँ

  1. बैंक केवल उन प्रतिभूतयों में रेपो लेन देन कर सकते हैं, जो निर्धारित सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) अपेक्षाओं से अधिक हों ।

  2. अभिरक्षकों को आंतरिक नियंत्रण और समवर्ती लेखापरीक्षा की एक कारगर प्रणाली स्थापित करनी चाहिए और अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए ।

  3. विनियमित प्रतिष्ठानों को रेपो लेन देन करने के लिए अपने-अपने विनियामकों द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए ।

4. रिवर्स रेपो के अंतर्गत अर्जित प्रतिभूतियों का रि-रेपो करने की अनुमति एसजीएल खाता धारकों को परिपत्र सं.एफएमआरडी.डीआइआरडी.5/14.03.002/2014-15 दिनांक 5 फरवरी 2015 के अनुसार दी जाती रहेगी । तथापि, एसजीएल खाता धारक से भिन्न प्रतिष्ठानों को, रिवर्स रेपो के अंतर्गत उधार ली गयी प्रतिभूतियों का रि-रेपो करने की अनुमति नहीं है ।

5. उपर्युक्त संशोधित दिशा-निर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45डब्लू द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किये गये हैं और वे 6 सितंबर 2016 से प्रभावी होंगे । दिशा-निर्देश समय समय पर समीक्षा के अधीन होंगे ।

भवदीय,
(आर. सुब्रमणियन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

उन प्रतिष्ठानों की सूची, जिनका एसजीएल खाता है और जिन्हें सरकारी प्रतिभूतियों में लेन देन करने की अनुमति है

  1. कोई अनुसूचित बैंक

  2. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत कोई प्राधिकृत व्यापारी

  3. भारतीय रिज़र्व बैंक में पंजीकृत कोई गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी, जिसमें कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2 की उप धारा (45) में यथा परिभाषित सरकारी कंपनियाँ शामिल हैं, जो एनबीएफसी के लिए गैर बैंकिंग विनियमन विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों का पालन करती है

  4. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड में पंजीकृत कोई म्युचुअल फंड

  5. राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) में पंजीकृत कोई आवास वित्त कंपनी

  6. भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण में पंजीकृत कोई बीमा कंपनी

  7. कोई पेंशन निधि/भविष्य निधि, जो पेंशन निधि विनियामक विकास प्राधिकरण द्वारा विनियमित हो

  8. कोई गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक

  9. रोई राज्य एवं जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

  10. कोई अखिल भारतीय वित्तीय संस्था (एफआइ), यथा एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी और सिडबी

  11. कोई सूचीबद्ध कंपनी, जिसका किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक मे गिल्ट खाता हो

  12. कोई असूचीगत कंपनी, जिसे भारत सरकार द्वारा विशेष प्रतिभूतियाँ जारी की गयी हों

  13. कोई अन्य प्रतिष्ठान, जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से अनुमति दी गयी हो ।


1 तैयार वायदा संविदाओं के संबंध में आइडीएमसी/पीडीआरएस/3432/10.02.01/2002-03 दिनांक 21 फरवरी 2003 और परवर्ती परिशोधन परिपत्र आइडीएमडी/पीडीआरएस/4779/10.02.01/2004-05 दिनांक 11 मई 2005 एवं आइडीएमडी.डीओडी.सं.334/ 11.08.36/2009-10 दिनांक 20 जुलाई 2009 द्वारा सूचित किया गया ।

2 इस परिपत्र के प्रयोजनार्थ रेपो का प्रयोग रेपो और रिवर्स रेपो, दोनों के लिए, एक सामान्य नाम के रूप में किया गया है ।

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