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बैंकिंग प्रणाली का विनियामक

बैंक राष्‍ट्रीय वित्‍तीय प्रणाली की नींव होते हैं। बैंकिंग प्रणाली की सुरक्षा एवं सुदृढता को सुनिश्चित करने और वित्‍तीय स्थिरता को बनाए रखने तथा इस प्रणाली के प्रति जनता में विश्‍वास जगाने में केंद्रीय बैंक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न


बैंकों में अनुपालन कार्य एवं मुख्य अनुपालन अधिकारी (सीसीओ) की भूमिका

(संदर्भ सं.पवि.केंका.पीपीजी/एसईसी.02/11.01.005/2020-21 दिनांक 11 सितंबर, 2020)

1. पैरा 2.1 के अनुसार, अन्य नियमों, विनियमों और आचार संहिता के अलावा अनुपालन कार्य से संबंधित लागू सभी सांविधिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की अपेक्षा की जाती है। चूंकि बैंकों में विभिन्न समूह/विभाग विभिन्न सांविधिक आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार हैं, तो अनुपालन कार्यों से वास्तविक अपेक्षाएं क्या होंगी?

बैंकों को सभी लागू सांविधिक प्रावधानों, नियमों और विनियमों, विभिन्न आचार संहिताओं (स्वैच्छिक सहित) और अपने स्वयं के आंतरिक नियमों, नीतियों और प्रक्रियाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हालांकि, यह दोहराया जाता है कि अनुपालन व्यावसायिक इकाइयों और अनुपालन कार्य की एक साझा जिम्मेदारी है। इसलिए, लागू सांविधिक प्रावधानों और विनियमों का पालन बैंक के प्रत्येक कर्मचारी/स्टाफ सदस्य की जिम्मेदारी होनी चाहिए और इसे सुनिश्चित करना अनुपालन कार्य का भाग है।

कुछ बैंकों में, विभिन्न सांविधिक और अन्य आवश्यकताओं के अनुपालन को संभालने वाले अलग-अलग विभाग हो सकते हैं, जबकि अनुपालन कार्य नियमों, आंतरिक नीतियों और प्रक्रियाओं के अनुपालन की निगरानी एवं प्रबंधन को रिपोर्ट करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है। संबंधित विभाग अपने-अपने क्षेत्रों के लिए प्रमुख जिम्मेदारी संभालेंगे, जिसे स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जाना चाहिए, जबकि अनुपालन कार्य को समग्र निरीक्षण सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी। यदि ऐसे अनुपालनों में गंभीर कमियाँ देखी जाती हैं, तो अनुपालन कार्य को अनुपालन शिष्टता को ठीक करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। विभागों के बीच और मुख्य अनुपालन अधिकारी के साथ सहयोग के लिए उचित तंत्र भी होना चाहिए।

2. परिपत्र के पैरा 2.4 में, सीसीओ के रूप में नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंडों में से एक 55 वर्ष से अधिक की आयु सीमा के न होने का उल्लेख किया गया है। आयु सीमा पर विचार करने के लिए संदर्भ बिंदु क्या होगा?

उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 2.4 में आयु-सीमा यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से दी गई थी कि सीसीओ से जुड़ी जिम्मेदारियों को एक विशेष और मुख्य कार्य के रूप में माना जाए। उपर्युक्त सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, यदि सीसीओ के रूप में चिन्हित किया गया कोई व्यक्ति 55 वर्ष से अधिक आयु का है, भले ही वह सीसीओ के रूप में या अन्यथा, अनुपालन कार्य के साथ जुड़ा रहा/रही हो, तो 55 वर्ष की आयु सीमा को उस तारीख के रूप में लिया जा सकता है जब से वह सीसीओ के रूप में अनुपालन कार्य के साथ जुड़ा हुआ था/हुई थी; उदाहरण के रूप में, यदि सीसीओ की भूमिका के लिए चिन्हित किए गए व्यक्ति की आयु 55 वर्ष से अधिक है, लेकिन वह 55 वर्ष की आयु पूरी करने से पहले अनुपालन कार्य से लगातार जुड़ा हुआ/हुई है, तो वह ऐसी नियुक्ति के लिए पात्र होगा/होगी।

3. पैरा 2.4 में निर्धारित किया गया है कि सीसीओ के पास बैंकिंग या वित्तीय सेवाओं में कम से कम 15 वर्ष का समग्र अनुभव होना चाहिए, जिसमें से कम से कम 5 वर्ष का अनुभव लेखा परीक्षा / वित्त / अनुपालन / कानूनी / जोखिम प्रबंधन कार्यों में होगा। क्या न्यूनतम 5 वर्ष के अनुभव पर विचार करने के लिए अनुभव की कोई अन्य श्रेणी भी प्रासंगिक होगी?

इस आवश्यकता के पीछे सिद्धांत यह है कि निर्धारित सीसीओ एक अनुभवी अधिकारी है ताकि वह स्वतंत्र रूप से और प्रभावी ढंग से अनिवार्य कार्यों का निर्वहन कर सके। तदनुसार, उपर्युक्त के अनुरूप, जोखिम प्रबंधन कार्यों में कारोबारी लाइनों के भीतर नियंत्रण कार्य भी शामिल होंगे। इसलिए, यदि किसी क्षेत्रीय / आंचलिक / कारोबार प्रमुख के पास 5 साल या उससे अधिक के लिए कारोबार लाइनों के नियंत्रण कार्यों पर अपेक्षित जिम्मेदारी/अनुभव था, तो वह इस शर्त के तहत सीसीओ के पद के लिए पात्र होगा/होगी।

4. शाखा मॉडल के तहत संचालित विदेशी बैंक (एफबीओबीएम) के मामले में चयन प्रक्रिया/रिपोर्टिंग लाइन (पैरा 2.5 और 2.7 के संदर्भ में) क्या होगी?

चयन/निष्कासन/योग्यता आदि की प्रक्रिया से संबंधित प्रावधान शाखा मॉडल के तहत संचालित विदेशी बैंकों (एफबीओबीएम) पर पूरी तरह से लागू होंगे। हालांकि, एफबीओबीएम के संबंध में चयन प्रक्रिया का ब्यौरा देने वाले उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 2.5 के अनुसार बोर्ड को दिए गए किसी भी संदर्भ को क्षेत्रीय अथवा प्रधान कार्यालय अनुपालन के समकक्ष माना जाएगा। इसके अलावा, रिपोर्टिंग लाइन के विवरण संबंधी पैरा 2.7 के संदर्भ में, बोर्ड/एसीबी के किसी भी संदर्भ को एफबीओबीएम के मामले में क्षेत्रीय या प्रधान कार्यालय अनुपालन के समकक्ष माना जाएगा।

5. सीसीओ की नियुक्ति के संबंध में पालन किए जाने वाला 'फिट एंड प्रॉपर’ (उपयुक्त एवं उचित) मानदंड क्या है?

परिपत्र के पैरा 2 के अनुसार, सीसीओ का चयन उपयुक्त 'फिट एंड प्रॉपर' मूल्यांकन/चयन मानदंडों के आधार पर उपयुक्त प्रक्रिया के माध्यम से किया जाना है। 'फिट एंड प्रॉपर' मानदंडों की जांच और रिपोर्ट योग्यता,अखंडता एवं दूसरों के मध्य हितों के टकराव के परिप्रेक्ष्य में की जा सकती है।

6. सभी आवश्यकताओं को पूरा करने वाले नए सीसीओ की नियुक्ति के मामले में कई बैंकों के सामने आ रही कठिनाइयों को देखते हुए, क्या सीसीओ की नियुक्ति के लिए अनुमत समयावधि को छह महीने की निर्धारित अवधि से बढ़ाया जा सकता है?

बैंकों द्वारा व्यक्त की गई कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए, वे उपर्युक्त परिपत्र में सीसीओ के चयन के लिए उल्लिखित प्रक्रियाओं का पालन परिपत्र की तारीख यानी 11 सितंबर, 2020 से नौ महीने की अवधि के भीतर कर सकते हैं और यदि वर्तमान पदाधिकारी आवश्यकताओं को पूरा करता/करती है, तो वे उसे सीसीओ के रूप में फिर से नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं।

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